"ये वेबिनार बजट के दौरान निर्धारित किए गए लक्ष्यों को हासिल करने में उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं"
"हमें लीक से हटकर सोचना होगा और पर्यटन में नई ऊंचाइयों को अर्जित करने के लिए आगे की योजनाएं बनानी होंगी"
"पर्यटन अमीरों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक आकर्षक (फैंसी) शब्द मात्र नहीं है"
"इस वर्ष के बजट में पर्यटन स्थलों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है"
"सुविधाओं में वृद्धि होने से काशी विश्वनाथ, केदार धाम और पावागढ़ में तीर्थयात्रियों के आगमन में कई गुना वृद्धि हुई है"
"प्रत्येक पर्यटन स्थल अपना राजस्व मॉडल विकसित कर सकता है"
"हमारे गांव अपने बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण पर्यटन के केंद्र बन रहे हैं"
इस साल जनवरी में 8 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए हैं, जबकि पिछले साल जनवरी में केवल 2 लाख विदेशी पर्यटक ही भारत आए थे
"भारत के पास अधिक खर्च करने की क्षमता वाले पर्यटकों के लिए भी बहुत कुछ है"
"पर्यटन में कृषि, रियल एस्टेट विकास, बुनियादी ढांचे और कपड़ा के समान ही क्षमता मौजूद है"

नमस्कार।

इस वेबिनार में उपस्थित सभी महानुभाव का स्वागत है। आज का नया भारत, नए Work-Culture के साथ आगे बढ़ रहा है। इस बार भी बजट की खूब वाहवाही हुई है, देश के लोगों ने इसे बहुत पॉजिटिव तरीके से लिया है। अगर पुराना वर्क कल्चर होता, तो इस तरह के बजट वेबिनार्स के बारे में कोई सोचता ही नहीं। लेकिन आज हमारी सरकार बजट के पहले भी और बजट के बाद भी हर स्टेकहोल्डर के साथ विस्तार से चर्चा करती है, उनको साथ लेकर के चलने का प्रयास करती है। बजट का Maximum Outcome कैसे आए, बजट का Implementation तय समय सीमा के भीतर कैसे हो, जो लक्ष्य बजट में तय किए गए हैं, उन्हें प्राप्त करने में ये वेबिनार एक कैटेलिस्ट की तरह काम करता है। आप भी जानते हैं कि मुझे Head of the Government के तौर पर काम करते हुए 20 साल से भी अधिक समय का अनुभव रहा है। इस अनुभव का एक निचोड़ ये भी है कि जब किसी नीतिगत निर्णय से सभी स्टेकहोल्डर्स जुड़ते हैं तो रिजल्ट भी मनचाहा आता है, समय सीमा के भीतर आता है। हमने देखा है कि बीते कुछ दिनों में जो वेबिनार हुए उसमें हजारों लोग हमारे साथ जुड़े दिन भर सब लोग मिलकर के बहुत ही गहन मंथन करते रहे और मैं कह सकता हूं कि बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव आए और आगे के लिए आए। जो बजट है उसी पर ध्यान केंद्रित किया और उसी में से कैसे आगे बढ़ा जाए बहुत उत्तम सुझाव आए। अब आज हम देश के टूरिज्म सेक्टर के कायाकल्प के लिए ये बजट वेबिनार कर रहे हैं।

साथियों,

भारत में हमें टूरिज्म सेक्टर को नई ऊंचाई देने के लिए Out of The Box सोचना होगा और Long Term Planning करके चलना होगा। जब भी कोई टूरिस्ट डेस्टिनेशन को विकसित करने की बात आती है तो कुछ बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, जैसे उस स्थान का Potential क्या है? Ease of Travel के लिए वहां की Infrastructural Need क्या है, उसे कैसे पूरा करेंगे? इस पूरे टूरिस्ट डेस्टिनेशन को प्रमोशन के लिए हम और क्या-क्या नए तरीके अपना सकते हैं। इन सारे सवालों का जवाब आपको भविष्य का रोडमैप बनाने में बहुत मदद करेगा। अब जैसे हमारे देश में टूरिज्म का पोटेंशियल बहुत ज्यादा है। कोस्टल टूरिज्म, Beach टूरिज्म, Mangrove टूरिज्म, हिमालयन टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, वाइल्डलाइफ टूरिज्म, Eco टूरिज्म, हेरीटेज टूरिज्म, स्पीरिचुअल टूरिज्म, वेडिंग डेस्टिनेशन, कॉन्फ्रेंसस के द्वारा टूरिज्म, स्पोर्टस के द्वारा टूरिज्म ऐसे अनेक क्षेत्र हैं। अब देखिए रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, नार्थ ईस्ट सर्किट, गांधी सर्किट, सब हमारे महान गुरू परंपरा हुई उनके सारे तीर्थ क्षेत्र पूरा पंजाब भरा पड़ा है। हमें इन सभी को ध्यान में रखते हुए मिलकर के काम करना ही है। इस वर्ष के बजट में देश में कंपीटिटिव स्पीरिट से, चैलेंज रूट से देश के कुछ टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स को डेवलपमेंट के लिए select करने की बात कही गई है। ये चैलेंज हर स्टेकहोल्डर को साथ मिलकर प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा। बजट में टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स इसके एक holistic development पर भी फोकस किया गया है। इसके लिए अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स को हम कैसे एंगेज कर सकते हैं, इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।

साथियों,

जब हम टूरिज्म की बात करते हैं, तो कुछ लोगों को लगता है कि एक फैंसी सा शब्द है, समाज के High Income Group से और उन्हीं लोगों को Represent करता है। लेकिन भारत के संदर्भ में देखें तो टूरिज्म का दायरा बहुत बड़ा है, बहुत पुराना है। सदियों से हमारे यहां यात्राएं होती रही हैं, ये हमारे सांस्कृतिक-सामाजिक जीवन का हिस्सा रहा है। और वो भी जब संसाधन नहीं थे, यातायात की व्यवस्था ही नहीं थी, बहुत कठिनाई होती थी। तब भी कष्ट उठाकर लोग यात्राओं पर निकल पड़ते थे। चारधाम यात्रा हो, द्वादश ज्योर्लिंग की यात्रा हो, 51 शक्तिपीठ की यात्रा हो, ऐसी कितनी ही यात्राएं हमारे आस्था के स्थलों को जोड़ती थीं। हमारे यहां होने वाली यात्राओं ने देश की एकता को मजबूत करने का भी काम किया है। देश के कितने ही बड़े-बड़े शहरों की पूरी अर्थव्यवस्था, उस पूरे जिले की पूरी अर्थव्यवस्था यात्राओं पर ही निर्भर थी। यात्राओं की इस पुरातन परंपरा के बावजूद, दुर्भाग्य ये रहा कि इन स्थानों पर समय के अनुकूल सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया। पहले सैकड़ों वर्षों की गुलामी और फिर आजादी के बाद के दशकों में इन स्थानों की राजनीतिक उपेक्षा ने देश का बहुत नुकसान किया।

अब आज का भारत इस स्थिति को बदल रहा है। जब यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ती हैं, तो कैसे यात्रियों में आकर्षण बढ़ता है, उनकी संख्या में भारी वृद्धि होती है और ये भी हम देश में देख रहे हैं। जब वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निमाण नहीं हुआ था, तो उस समय साल में 70-80 लाख के आसपास ही लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते थे। काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निमाण होने के बाद पिछले साल वाराणसी जाने वाले लोगों की संख्या 7 करोड़ को पार कर गई है। इसी तरह जब केदारघाटी में पुनर्निमाण का काम नहीं हुआ था, तो वहां भी सालाना 4-5 लाख लोग ही दर्शन के लिए आते थे। लेकिन पिछले साल 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए गए। अगर मेरा गुजरात का पुराना अनुभव है, वहां का भी अनुभव आपसे शेयर करता हूं। गुजरात में पावागढ़ करके एक तीर्थ क्षेत्र है, बड़ौदा के पास। जब वहां का पुनर्निमाण नहीं हुआ था, पुरानी हालत थी, तो मुश्किल से 2 हजार, 5 हजार, 3 हजार इतनी संख्या में लोग आते थे लेकिन वहां जीर्णोद्धार हुआ, कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर बना, सुविधाएं बनी तो उस पावागढ़ मंदिर के पुनर्निमाण के बाद, नव निर्माण के बाद करीब-करीब 80 हजार लोग वहां औसतन आते हैं। यानि सुविधाएं बढ़ीं तो इसका सीधा प्रभाव, यात्रियों की संख्या पर पड़ा, टूरिज्म को बढ़ाने के लिए उसके surrounding जो चीजें होती हैं वो भी बढ़ने लग गई हैं। और ज्यादा संख्या में लोगों के आने का अर्थ है, स्थानीय स्तर पर कमाई के ज्यादा अवसर, रोजगार-स्वरोजगार के ज्यादा मौके। अब देखिए दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का भी उदाहरण दूंगा। ये प्रतिमा बनने के बाद एक साल के भीतर ही 27 लाख लोग उसे देखने के लिए पहुंचे। ये दिखाता है कि भारत के विभिन्न स्थलों में अगर Civic Amenities बढ़ाई जाएं, वहां डिजिटल कनेक्टिविटी अच्छी हो, होटल-हॉस्पिटल अच्छे हों, गंदगी का नामो-निशान ना हो, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर हो, तो भारत के टूरिज्म सेक्टर में कई गुना वृद्धि हो सकती है।

साथियों,

मुझे आपसे बात करते हुए अहमदाबाद शहर में एक कांकरिया तालाब है। उस कांकरिया lake Project के विषय में भी कुछ कहने का मन करता है। अब ये कांकरिया lake प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले वहां आमतौर पर लोग जाते नहीं थे, ऐसे हीं वहां से गुजरना पड़े तो गुजरे नहीं तो वहां कोई जाता ही नहीं था। हमने वहां ना सिर्फ lake का re-development किया बल्कि फूड स्टॉल्स में काम करने वालों का Skill Development भी किया। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही हमने वहां स्वच्छता पर भी बहुत जोर दिया। आप कल्पना कर सकते हैं कि आज वहां Entry Fees होने के बावजूद भी औसतन प्रतिदिन 10 हजार लोग जाते हैं। ऐसे ही तरीकों से हर टूरिस्ट डेस्टिनेशन, अपना एक Revenue Model भी विकसित कर सकता है।

साथियों,

ये वो समय है जब हमारे गांव भी टूरिज्म का केंद्र बन रहे हैं। बेहतर होते इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण हमारे दूर-सुदूर के गांव, अब टूरिज्म के मैप पर आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने बॉर्डर किनारे पर बसे जो गांव हैं वहां वाइब्रेंट बार्डर विलेज योजना शुरू की है। ऐसे में होम स्टे, छोटे होटल, छोटे रेस्टोरेंट हो ऐसे अनेक बिजनेस के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करने का काम हम सबको मिलकर के करना है।

साथियों,

आज एक बात मैं भारत आ रहे foreign Tourists के संदर्भ में भी बताऊंगा। आज जिस तरह दुनिया में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, भारत आने वाले विदेशी टूरिस्टों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले साल जनवरी में सिर्फ 2 लाख विदेशी टूरिस्ट ही आए थे। जबकि इस साल जनवरी में 8 लाख से ज्यादा विदेशी टूरिस्ट भारत आए। विदेश से जो टूरिस्ट भारत आ रहे हैं, हमें उन्हें भी Profile करके अपना टारगेट ग्रुप तय करना होगा। विदेश में रहने वाले वो लोग जिनमें ज्यादा से ज्यादा खर्च करने की क्षमता होती है, हमें उन्हें ज्यादा से ज्यादा संख्या में भारत लाने के लिए विशेष रणनीति बनाने की आवश्यकता है। ऐसे टूरिस्ट भले ही कम दिन भारत में रहेंगे लेकिन ज्यादा राशि खर्च करके जाएंगे। आज जो विदेशी टूरिस्ट भारत आते हैं वो औसतन 1700 डॉलर खर्च करते हैं। जबकि अमेरिका में international traveler औसतन 2500 डॉलर और ऑस्ट्रेलिया में करीब 5 हजार डॉलर खर्च करते हैं। भारत में भी high spend tourists को ऑफर करने के लिए बहुत कुछ है। हर राज्य को इस सोच के साथ भी अपनी टूरिज्म पॉलिसी में बदलाव करने की जरूरत है। अब जैसे मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। सामान्य तौर पर कहा जाता है कि सबसे ज्यादा किसी स्थान पर रूकने वाला जो टूरिस्ट होता है- वो Bird Watcher होता है। ये लोग महीनों-महीनों किसी देश में डेरा डाले रहते हैं। भारत में इतने भांति-भांति प्रकार के पक्षी हैं। हमें ऐसे Potential Tourists को भी Target करके अपनी नीतियां बनानी होंगी।

साथियों,

इन सब प्रयासों के बीच, आपको टूरिज्म सेक्टर की एक बेसिक चुनौती पर भी काम करना है। ये है हमारे यहां प्रोफेशनल टूरिस्ट गाइड्स की कमी। गाइड्स के लिए स्थानीय कॉलेजों में सर्टिफिकेट कोर्स हो, कंपटीशन हो, बहुत अच्छे नौजवान इस प्रोफेशन में आगे आने के लिए मेहनत करेंगे और हमें शानदार अनेक भाषा बोलने वाले अच्छे टूरिस्ट गाइड मिलेंगे। उसी प्रकार से डिजिटल टूरिस्ट गाइड भी तो अवेलेबल है, टेक्लोनॉजी का उपयोग करके भी कर सकते हैं। किसी एक विशेष टूरिस्ट डेस्टिशन में जो गाइड्स काम कर रहे हैं, उनकी एक Specific Dress या वर्दी भी होनी चाहिए। इससे लोगों को पहली नजर में ही पता चल जाएगा कि सामने वाला जो व्यक्ति है वो टूरिस्ट गाइड है औऱ वो हमारी इस काम में मदद करेगा। हमें ये याद रखना होगा कि जब कोई भी टूरिस्ट किसी स्थान पर पहुंचता है तो उसके मन में सवालों का भंडार भरा होता है। वो अनेक सवालों के तत्काल समाधान चाहता है। ऐसे में गाइड उन सभी सवालों के जवाब खोजने में उनकी मदद कर सकता हैं।

साथियों,

मुझे विश्वास है, इस वेबिनार के दौरान आप टूरिज्म से जुड़े हर पहलू पर गंभीरता से विचार करेंगे।

आप बेहतर सोल्युशंस के साथ सामने आएंगे। और मैं एक और बात कहना चाहता हूं जैसे टूरिज्म के लिए मान लीजिए हर राज्य एक या दो बहुत ही अच्छे टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जोर लगाता है, एक शुरूआत कैसे कर सकते हैं। हम तय करें कि स्कूल से बच्चे जो टूरिस्ट के रूप में निकलते हैं, हर स्कूल टूरिस्ट करते ही हैं, यात्रा के लिए निकलते ही हैं 2 दिन, 3 दिन के कार्यक्रम बनाते हैं। तो आप तय कर सकते हैं के भई फलाने डेस्टिनेशन में शुरू में हर दिन 100 स्टूडेंट्स आएंगे, फिर per day 200 आएंगे, फिर per day 300 आएंगे, फिर per day 1000 आएंगे। अलग-अलग स्कूल के आए वो खर्चा करते ही हैं। यहां जो लोग हैं, उनको लगेगा कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं चलो ये व्यवस्था खड़ी करो, ये दुकान खड़ी करो, पानी की व्यवस्था करो, अपने आप शुरू हो जाएगा। अगर मान लीजिए हमारे सभी राज्य तय करें कि नार्थ-ईस्ट के अष्ट लक्ष्मी हमारे 8 राज्य हैं। हम हर वर्ष 8 यूनिवर्सिटी हर राज्य में तय करें और हर यूनिवर्सिटी नार्थ-ईस्ट के एक राज्य में 5 दिन, 7 दिन टूर करेगी, दूसरी यूनिवर्सिटी दूसरे राज्य में टूर करेगी, तीसरी यूनिवर्सिटी तीसरे राज्य में टूर करेगी। आप देखिए आपके राज्य में 8 यूनिवर्सिटी ऐसी होगी जहां के हमारे युवकों को नार्थ-ईस्ट के 8 राज्यों का पूरा अता-पता होगा।

उसी प्रकार से आजकल वेडिंग डेस्टिनेशन एक बहुत बड़ा बिजनेस हुआ है, बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना है। विदेशों में लोग जाते हैं, क्या हमारे राज्यों में वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्पेशल पैकेज घोषित कर सकते हैं और मैं तो कहूंगा कि हमारे देश में एक वातावरण बनाना चाहिए कि गुजरात के लोगों को लगना चाहिए कि भई 2024 में अगर हमारे यहां से शादियों के लिए वेडिंग डेस्टिनेशन होगा तो तमिलनाडु में होगा और तमिल पद्धति से हम शादी करवाएंगे। घर में 2 बच्चें हैं तो कोई सोचेगा कि एक हम असमिया पद्धति से शादी करवाना चाहते हैं, दूसरे कि हम पंजाबी पद्धति से शादी करवाना चाहते हैं। वेडिंग डेस्टिनेशन वहां बना देंगे। आप कल्पना कर सकते हैं, वेडिंग डेस्टिनेशन इतने बड़े कारोबार की संभावना है। हमारे देश के टॉप क्लास के लोग विदेश जाते होंगे, लेकिन मिडिल क्लास अपर मिडिल क्लास के लोग आजकल वेडिंग डेस्टिनेशन पर जाते हैं और उसमें भी जब नयापन होता है तो उनकी जिंदगी में यादगार हो जाता है। हम इस दिशा का अभी तक उपयोग नहीं कर रहे, कुछ गिने-चुने स्थान अपने तरीके से करते हैं। उसी प्रकार से कॉन्फ्रेंन्सेस आज दुनिया के लोग कॉन्फ्रेंस के लिए आते हैं। हम ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें public private partnership से करें, लोगों को कहे जमीन की कुछ ऐसी व्यवस्थाएं करें तो कॉन्फ्रेंन्सेस के लिए लोग आएंगे, आएंगे तो वो होटल में भी रूकेंगे hospitality industry भी बढ़ेगी। यानि एक पूरा eco-system develop हो जाएगा। उसी प्रकार से sports tourism बहुत क्षेत्र है, हम invite करें। अब देखिए अभी कतर में फुटबाल मैच हुआ पूरी दुनिया का कतर की economy में बहुत बड़ा प्रभाव हुआ उसका, दुनिया भर के लोग आए लाखों लोग आए। हम छोटे से शुरू करें, बहुत बड़ा हो सकता है। हमें इन तरीकों को ढूंढना होगा, उसके लिए फिर इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू में लोग आए न आए, हम अपने स्कूल के बच्चों, कॉलेज के बच्चों हमारे सरकार की मीटिंगों के लिए वहां जाना। अगर हम अपने एक डेस्टिनेशन को महत्व देना शुरू करेंगे तो अपने आप और लोग भी आना शुरू करेंगे और फिर वहां की व्यवस्थाएं बनेंगी। मैं चाहता हूं कि भारत में कम से कम 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसे हमें डेवलप करने चाहिए कि दुनिया के हर कोने में पता हो कि अगर भारत जाते हैं तो इस जगह पर तो जाना ही चाहिए। हर राज्य को गर्व होना चाहिए कि दुनिया के इतने देश के लोग मेरे यहां आते हैं। दुनिया के इतने देशों को हम टारगेट करेंगे। हम वहां की एम्बेसी को लिटरेचर भेजेंगे, वहां की एम्बेसी को हम कहेंगे कि देखिए आप टूरिस्टों के लिए मदद चाहते हैं तो हम ये-ये मदद करते हैं। हमें पूरी व्यवस्था हमारे जो टूर ऑपरेटर्स हैं उनसे भी मेरा आग्रह है कि आपको नए सिरे से सोचना होगा हमें हमारी एप्स, हमारी डिजिटल कनेक्टिविटी इन सबको बहुत आधुनिक बनाना होगा और हमारा कोई टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसा नहीं होना चाहिए जिसकी एप्स यूएन की सभी languages में न हो और भारत की सभी languages में न हो। अगर हम सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी में हमारी वेबसाइट बना देंगे तो संभव नहीं होगा। इतना ही नहीं हमारे टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर साइनेजिज सभी भाषाओं के होने चाहिए। अगर तमिल का कोई सामान्य परिवार आया है, बस लेकर के चला है और वहां पर उसको तमिल में अगर साइनेजिज मिल जाते हैं तो वह बड़ी आसानी से पहुँच जाता है। छोटी-छोटी चीजें हैं जी, हम एक बार अगर इसके महात्मय को समझेंगे तो हम अवश्य रूप से टूरिज्म को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।

मैं आपसे आशा करता हूं कि आज के इस वेबिनार में और विस्तार से चर्चा करिए और रोजगार के बहुत सारे अवसर जैसे agriculture में है, जैसे real estate development और infrastructure में है, textile में है उतनी ही ताकत टूरिज्म के अंदर रोजगार की है, बहुत अवसर है। मैं आपको निमंत्रण देता हूं और आपको इस आज के वेबिनार के लिए बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।