“This post-budget brainstorming is important from the point of view of implementation and time-bound delivery. This also ensures proper utilization of every penny of taxpayers money”
“The more emphasis we put on good governance, the more easily our goal of reaching the last mile will be accomplished”
“Approach of reaching the last mile and policy of saturation complement each other”
“When our aim is to reach everyone, then there will be no scope for discrimination and corruption”
“This year’s Budget has paid special attention to taking the mantra of reaching the last mile to tribal and rural areas”
“For the first time, the country is tapping the huge potential of the tribal society of our country at this scale”
“Whole-of-the-Nation approach is needed to rapidly provide facilities under special mission for the most deprived among the tribal community”
“The Aspirational District Program has emerged as a successful model in terms of Reaching The Last Mile”

आमतौर पर ये परंपरा रही है कि बजट के बाद, बजट के संदर्भ में संसद में चर्चा होती है। और ये जरूरी भी है, उपयोगी भी है। लेकिन हमारी सरकार बजट पर चर्चा को एक कदम आगे लेकर गई है। बीते कुछ वर्षों से हमारी सरकार ने बजट बनाने से पहले भी और बजट के बाद भी सभी स्टेकहोल्डर्स से गहन मंथन की नई परंपरा शुरू की है। ये Implementation के लिहाज से, Time Bound Delivery के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे Taxpayers Money की पाई-पाई का सही इस्तेमाल भी सुनिश्चित होता है। बीते कुछ दिनों में मैं अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट्स से बात कर चुका हूं। आज Reaching The Last Mile, जो महात्मा गाँधी कहते थे की आपकी नीतियां, आपकी योजनाएं आखरी छोर पर बैठे हुए व्यक्ति तक कितनी जल्दी पहुँचती है, कैसे पहुँचती है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। और इसलिए आज सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ ईसी विषय पर व्यापक चर्चा हो रही है के बजट में लोक कल्याण के इतने काम होते हैं, इतना बजट होता है, हम उसको लाभार्थी तक पूरी transparency के साथ कैसे पहुँचा सकते हैं ।

साथियों,

हमारे देश में एक पुरानी अवधारणा रही है कि लोगों का कल्याण और देश का विकास सिर्फ धन से ही होता है। ऐसा नहीं है। देश और देशवासियों के विकास के लिए धन तो ज़रूरी है ही लेकिन धन के साथ ही मन भी चाहिए। सरकारी कार्यों और सरकारी योजनाओं की सफलता की सबसे अनिवार्य शर्त है- Good Governance, सुशासन, संवेदनशील शासन, जन सामान्य को समर्पित शासन। जब सरकार के काम Measurable होते हैं, उसकी निरंतर मॉनीटरिंग होती है तो स्वाभाविक है की आप समय सीमा में निर्धारित किये हुए लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं Desired Result मिल सकते हैं। इसलिए Good Governance पर हम जितना जोर देंगे, उतना ही Reaching The Last Mile का हमारा लक्ष्य आसानी से पूरा होगा। आप याद करिए, हमारे देश में पहले दूर-दराज के क्षेत्रों तक वैक्सीन पहुंचने में कई-कई दशक लग जाते थे। देश वैक्सीनेशन कवरेज के मामले में बहुत पीछे था। देश के करोड़ों बच्चों को, खासकर गांवों और ट्राइबल बेल्ट में रहने वाले बच्चों को वैक्सीन के लिए बरसों का इंतजार करना पड़ता था। अगर पुरानी अप्रोच के साथ काम करते तो भारत में वैक्सीनेशन करवेज को शत-प्रतिशत करने में कई दशक और बीत जाते। हमने नई अप्रोच के साथ काम शुरू किया, मिशन इंद्रधनुष शुरू किया और पूरे देश में वैक्सीनेशन की व्यवस्था को सुधारा। जब कोरोना वैश्विक महामारी आई, तो इस नई व्यवस्था, नए सिस्टम का लाभ हमें दूर-सुदूर वैक्सीन पहुंचाने में मिला। और मैं मानता हूँ Good Governance का इसमें बहुत बड़ा रोल है, ताकत है जिसने Last Mile delivery को संभव बनाया।

साथियों,

Reaching The Last Mile की अप्रोच और सैचुरेशन की नीति, एक दूसरे की पूरक है। एक समय था जब गरीब मूल सुविधाओं के लिए सरकार के पास चक्कर लगाता था, किसी बिचौलिये की तलाश में रहता था जिसके कारण corruption भी बढ़ता था और लोगों के अधिकारों का हनन भी होता था। अब सरकार गरीब के दरवाजे पर जाकर उसे सुविधाएं दे रही है। जिस दिन हम ठान लेंगे कि हर मूलभूत सुविधा, हर क्षेत्र में, हर नागरिक तक बिना भेद भाव के पहुंचाकर ही रहेंगे, तो देखिएगा कितना बड़ा परिवर्तन स्थानीय स्तर पर कार्यसंस्कृति में आता है। सैचुरेशन की नीति के पीछे यही भावना है। जब हमारा लक्ष्य, हर एक के पास पहुंचने का होगा, हर हितधारक के पास पहुंचने का होगा, तो फिर किसी के साथ भेदभाव की, भ्रष्टाचार की, भाई-भतीजावाद की गुंजाइश ही नहीं रह जाएगी। और तभी Reaching The Last Mile का लक्ष्य़ भी आप पूरा कर पाएंगे। आप देखिए, आज पहली बार देश में पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स को फॉर्मल बैंकिंग से जोड़ा गया है। आज पहली बार देश में बंजारा, घुमंतु-अर्ध घूमंतु वर्ग के लिए वेलफेयर बोर्ड बना है। गांवों में बने 5 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स, सरकार की सेवाओं को गांवों तक ले गए हैं। मैंने कल ही मन की बात में विस्तार से बताया है कि कैसे देश में टेलीमेडिसीन के 10 करोड़ केसेस पूरे हुए हैं। ये भी स्वास्थ्य को लेकर Reaching The Last Mile की भावना का ही प्रतिबिंब है।

साथियों,

भारत में जो आदिवासी क्षेत्र हैं, ग्रामीण क्षेत्र हैं, वहां आखिरी छोर तक Reaching The Last Mile के मंत्र को ले जाने की जरूरत है। इस साल के बजट में भी इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। Reaching The Last Mile के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही जल-जीवन मिशन के लिए हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है। साल 2019 तक हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में सिर्फ

तीन करोड़ घरों में ही नल से जल आता था। अब इनकी संख्या बढ़कर 11 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, और इतने कम समय में भी। सिर्फ एक साल के भीतर ही देश में लगभग 60 हजार अमृत सरोवरों का काम शुरू हुआ है और मुझे जो जानकारी बताई गयी है अब तक 30 हजार से अधिक अमृत सरोवर बन भी चुके हैं। ये अभियान, दूर-सुदूर में रहने वाले उस भारतीय का जीवन स्तर सुधार रहे हैं, जो दशकों से ऐसी व्यवस्थाओं का इंतजार करता था।

लेकिन साथियों,

हमें यहाँ रुकना मंज़ूर नहीं है। हमें एक मैकेनिज्म क्रिएट करना होगा ताकि पानी के नए कनेक्शन्स में हम water consumption का pattern देख सकें। हमें इस बात की भी समीक्षा करनी है कि पानी समिति को और सशक्त करने के लिए क्या किया जा सकता है। गर्मी का मौसम आ ही गया है। जल संरक्षण के लिए अभी से हम पानी समितियों का क्या इस्तेमाल कर सकते हैं, ये भी हमें सोचना होगा। बारिश के पहले ही catch the rain movement के लिए लोक शिक्षण हो जाए, लोगों की सक्रियता हो जाए, जैसे ही पानी आये, काम शुरू हो जाए।

साथियों,

इस वर्ष के बजट में हमने गरीबों के घर के लिए करीब 80 हज़ार करोड़ रुपए रखे हैं। हमें Housing for All की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। हाउसिंग को technology से कैसे जोड़ें, कम खर्च में ज्यादा टिकाऊ और मजबूत घर कैसे बने? ग्रीन एनर्जी, जैसे सोलर पावर का फायदा कैसे हो? ग्रुप हाउसिंग के नए मॉडल, गांव और शहरों में भी स्वीकार्य हों, ये क्या हो सकते हैं? इस पर ठोस चर्चा की ज़रूरत है। आपके अनुभव का निचोड़ उसमें निकलना चाहिए।

साथियों,

हमारे देश के ट्राइबल समाज के विशाल पोटेंशियल को टैप करने के लिए पहली बार देश में इतने बड़े स्तर पर काम हो रहा है। इस बार के बजट में भी ट्राइबल डेवलपमेंट को प्रमुखता दी गयी है। एकलव्य मॉडल रेज़ीडेंशियल स्कूलों में शिक्षकों और स्टाफ की भर्ती का बहुत बड़ा प्रावधान किया गया है। एकलव्य मॉडल स्कूलों में हमें ये भी देखना होगा कि विद्यार्थियों का फीडबैक क्या है, शिक्षकों का फीडबैक क्या है? इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को देश के बड़े शहरों में एक्सपोजर कैसे मिले, इनमें अटल टिंकरिंग लैब्स ज्यादा से ज्यादा कैसे बनें, इस दिशा में भी हमें सोचना होगा। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हम इन स्कूलों में अभी से स्टार्ट-अप्स के लिए, डिजिटल मार्केटिंग के लिए वर्कशॉप्स शुरू करवाएं तो इसका कितना बढ़ा लाभ हमारे आदिवासी समाज को होगा। जब ये बच्चे एकलव्य मॉडल स्कूलों से पढ़कर निकलेंगे तो उन्हें पहले से पता होगा कि अपने क्षेत्र के ट्राइबल प्रॉडक्ट को उन्हें कैसे प्रमोट करना है, कैसे ऑनलाइन उनकी ब्राडिंग करनी है।

साथियों,

पहली बार आदिवासियों में भी जो सबसे वंचित हैं, उनके लिए एक विशेष Mission हम शुरु कर रहे हैं। देश के 200 से अधिक जिलों में 22 हज़ार से अधिक गांवों में ट्राइबल साथियों तक हमें तेज़ी से सुविधाएं पहुंचानी है। वैसे ही हमारे लघुमति समाज में, ख़ास करके हमारे मुस्लमान समाज में पश्मंदा समाज है, वहाँ तक लाभ कैसे पहुँचे, जो आज भी आजादी की इतने साल बाद भी बहुत पीछे रह गए हैं। इस बजट में सिकल सेल से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य भी रखा गया है। इसके लिए whole of the nation approach की ज़रूरत है। इसलिए हेल्थ से जुड़े हर स्टेकहोल्डर्स को तेजी से काम करना होगा।

साथियों,

Aspirational District Program, Reaching The Last Mile के लिहाज से एक सक्सेस मॉडल बन कर उभरा है। इसी अप्रोच पर अब देश के 500 ब्लाक्स में aspirational block कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। Aspirational Block programme के लिए हमें comparative parameters को ध्यान में रखते हुए वैसे ही काम करना है जैसे हमने Aspirational Districts के लिए काम किया है। हमें हर ब्लॉक में भी एक दूसरे के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाना है। मुझे विश्वास है कि इस वेबिनार से Last Mile delivery से जुड़े नए विचार, नए सुझाव इस मंथन में से वो अमृत निकलेगा जो हमारे दूर-दराज के क्षेत्रों में आखरी छोर पर बैठे हुए जो हमारे भाई बहन हैं, उनके जीवन में बदलाव लेन के लिए आपके सुझाव बहुत काम आयेंगे। हमें आगे के लिए सोचना है, हमें इम्प्लीमेंटेशन पर बल देना है, हमें टेक्नोलॉजी का सर्वधिक्क उपयोग करते हुए, transparency को सुनिश्चत करना है। हितधारक सही हो, उसको मिलने की व्यवस्था उसके काम आने वाली हो, और समय सीमा में मिले, ताकि जल्दी से जल्दी वो एक नए विश्वास के साथ खुद गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हमारा एक सैनिक बन जायेगा। हमारे गरीबों की फ़ौज, गरीबी को परास्त करने के लिए ताकतवर होनी चाहिए। हमें गरीबों की ऐसी शक्ति बढ़नी है ताकि हमारा गरीब ही गरीबी को परास्त करे, हर गरीब ये संकल्प लेना शुरू करे की अब मुझे गरीब नहीं रहना है, मुझे मेरे परिवार को गरीबी से बाहर निकलना है, सरकार मेरा हाथ पकड़ रही है मैं चल पडूंगा। ये वातावरण हमें पैदा करना है, और इसके लिए मुझे आप जैसे सभी stakeholders के सक्रिय सहयोग की अपेक्षा है। मुझे विश्वास है की आज का ये वेबिनार एक प्रकार से सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय एक बहुत बड़े संकल्प की पूर्ती का कारण बनेगा। मेरे तरफ से आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ! धन्यवाद !

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December 26, 2024

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – I have written three Books, my main cause of writing books is i love reading. And I myself have this rare disease and I was given only two years to live but with help of my mom, my sister, my School, …… and the platform that I have published my books on which is every books, I have been able to make it to what I am today.

प्रधानमंत्री जी – Who inspired you?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – I think it would be my English teacher.

प्रधानमंत्री जी – Now you have been inspiring others. Do they write you anything, reading your book.

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – Yes I have.

प्रधानमंत्री जी – So what type of message you are getting?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – one of the biggest if you I have got aside, people have started writing their own books.

प्रधानमंत्री जी – कहां किया, ट्रेनिंग कहां हुआ, कैसे हुआ?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – कुछ नहीं।

प्रधानमंत्री जी – कुछ नहीं, ऐसे ही मन कर गया।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां सर।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा तो और किस किस स्पर्धा में जाते हो?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैं इंग्लिश उर्दू कश्मीरी सब।

प्रधानमंत्री जी – तुम्हारा यूट्यूब चलता है या कुछ perform करने जाते हो क्या?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – सर यूट्यूब भी चलता है, सर perform भी करता हूं।

प्रधानमंत्री जी – घर में और कोई है परिवार में जो गाना गाते हैं।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नहीं सर, कोई भी नहीं।

प्रधानमंत्री जी – आपने ही शुरू कर दिया।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां सर।

प्रधानमंत्री जी – क्या किया तुमने? Chess खेलते हो?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां।

प्रधानमंत्री जी – किसने सिखाया Chess तुझे?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – Dad and YouTube.

प्रधानमंत्री जी – ओहो।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – and my Sir

प्रधानमंत्री जी – दिल्ली में तो ठंड लगता है, बहुत ठंड लगता है।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – इस साल कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती मनाने के लिए मैंने 1251 किलोमीटर की साईकिल यात्रा की थी। कारगिल वार मेमोरियल से लेकिर नेशनल वार मेमोरियल तक। और दो साल पहले आजादी का अमृत महोत्सव और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती मनाने के लिए मैंने आईएनए मेमोरियल महिरांग से लेकर नेशनल वार मेमोरियल नई दिल्ली तक साईकलिंग की थी।

प्रधानमंत्री जी – कितने दिन जाते थे उसमे?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – पहली वाली यात्रा में 32 दिन मैंने साईकिल चलाई थी, जो 2612 किलोमीटर थी और इस वाली में 13 दिन।

प्रधानमंत्री जी – एक दिन में कितना चला लेते हो।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – दोनों यात्रा में maximum एक दिन में मैंने 129.5 किलोमीटर चलाई थी।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नमस्ते सर।

प्रधानमंत्री जी – नमस्ते।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैंने दो international book of record बनाया है। पहला रिकॉर्ड मैंने one minute में 31 semi classical का और one minute में 13 संस्कृत श्लोक।

प्रधानमंत्री जी – हम ये कहां से सीखा सब।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – सर मैं यूट्यूब से सीखी।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा, क्या करती हो बताओं जरा एक मिनट में मुझे, क्या करती हो।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। (संस्कृत में)

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नमस्ते सर।

प्रधानमंत्री जी – नमस्ते।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैंने जूड़ो में राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल लाई।

प्रधानमंत्री जी – ये सब तो डरते होंगे तुमसे। कहां सीखे तुम स्कूल में सीखे।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नो सर एक्टिविटी कोच से सीखा है।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा, अब आगे क्या सोच रही हो?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैं ओलंपिक में गोल्ड लाकर देश का नाम रोशन कर सकती हूं।

प्रधानमंत्री जी – वाह , तो मेहनत कर रही हो।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – जी।

प्रधानमंत्री जी – इतने हैकर कल्ब है तुम्हारा।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – जी अभी तो हम law enforcement को सशक्त करने के लिए जम्मू कश्मीर में trainings provide कर रहे हैं और साथ साथ 5000 बच्चों को फ्री में पढ़ा चुके हैं। हम चाहते हैं कि हम ऐसे models implement करे, जिससे हम समाज की सेवा कर सकें और साथ ही साथ हम मतलब।

प्रधानमंत्री जी – तुम्हारा प्रार्थना वाला कैसा चल रहा है?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – प्रार्थना वाला अभी भी development phase पर है! उसमे कुछ रिसर्च क्योंकि हमें वेदों के Translations हमें बाकी languages में जोड़नी है। Dutch over बाकी सारी कुछ complex languages में।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैंने एक Parkinsons disease के लिए self stabilizing spoon बनाया है और further हमने एक brain age prediction model भी बनाया है।

प्रधानमंत्री जी – कितने साल काम किया इस पर?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – सर मैंने दो साल काम किया है।

प्रधानमंत्री जी – अब आगे क्या करोगी?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – सर आगे मुझे रिसर्च करना है।

प्रधानमंत्री जी – आप हैं कहां से?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – सर मैं बैंगलोर से हूं, मेरी हिंदी उतनी ठीक नहीं है।

प्रधानमंत्री जी – बहुत बढ़िया है, मुझसे भी अच्छी है।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – Thank You Sir.

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – I do Harikatha performances with a blend of Karnataka music and Sanskritik Shlokas

प्रधानमंत्री जी – तो कितनी हरि कथाएं हो गई थी।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – Nearly hundred performances I have.

प्रधानमंत्री जी – बहुत बढ़िया।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – पिछले दो सालों में मैंने पांच देशों की पांच ऊंची ऊंची चोटियां फतेह की हैं और भारत का झंडा लहराया है और जब भी मैं किसी और देश में जाती हूं और उनको पता चलता है कि मैं भारत की रहने वाली हूं, वो मुझे बहुत प्यार और सम्मान देते हैं।

प्रधानमंत्री जी – क्या कहते हैं लोग जब मिलते हैं तुम भारत से हो तो क्या कहते हैं?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – वो मुझे बहुत प्यार देते हैं और सम्मान देते हैं, और जितना भी मैं पहाड़ चढ़ती हूं उसका motive है एक तो Girl child empowerment और physical fitness को प्रामोट करना।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – I do artistic roller skating. I got one international gold medal in roller skating, which was held in New Zealand this year and I got 6 national medals.

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैं एक Para athlete हूं सर और इसी month में मैं 1 से 7 दिसम्बर Para sport youth competetion Thailand में हुआ था सर, वहां पर हमने गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का नाम रोशन किया है सर।

प्रधानमंत्री जी – वाह।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – मैं इस साल youth for championship में gold medal लाई हूं। इस मैच में 57 केजी से गोल्ड लिया और 76 केजी से वर्ल्ड रिकॉर्ड किया है, उसमें भी गोल्ड लाया है, और टोटल में भी गोल्ड लाया है।

प्रधानमंत्री जी – इन सबको उठा लोगी तुम।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नहीं सर।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – one flat पर आग लग गई थी तो उस टाइम किसी को मालूम नहीं था कि वहां पर आग लग गई है, तो मेरा ध्यान उस धुएं पर चला गया, जहां से वो धुआं निकल रहा था घर से, तो उस घर पर जाने की किसी ने हिम्मत नहीं की, क्योंकि सब लोग डर गए थे जल जाएंगे और मुझे भी मना कर रहे थे कि मत जा पागल है क्या, वहां पर मरने जा रही, तो फिर भी मैंने हिम्म्त दिखकर गई और आग को बुझा दिया।

प्रधानमंत्री जी – काफी लोगों की जान बच गई?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – 70 घर थे उसमे और 200 families थीं उसमें।

प्रधानमंत्री जी – स्विमिंग करते हो तुम?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा तो सबको बचा लिया?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां।

प्रधानमंत्री जी – डर नहीं लगा तुझे?

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – नहीं।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा, तो निकालने के बाद तुम्हे अच्छा लगा कि अच्छा काम किया।

पुरस्कार प्राप्तकर्ता – हां।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा, शाबास!