भारतीय नौसेना के जहाजों और विशेष बलों के सामरिक प्रदर्शनों का गवाह बने
"भारत अपने नौसैनिकों के समर्पण को सलाम करता है"
"सिंधुदुर्ग के किले को देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है"
"छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जानते थे कि किसी भी देश के लिए समुद्री सामर्थ्‍य कितना जरूरी होता है"
"हमारे नौसैनिक अधिकारी जो एपोलेट्स पहनते हैं अब उसमें छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखने वाली है"
"हम सशस्त्र बलों में नारी शक्ति की संख्‍या बढ़ाने पर भी जोर"
"भारत के पास विजय, शौर्य, ज्ञान, विज्ञान, कौशल और समुद्री सामर्थ्‍य का गौरवशाली इतिहास है"
"तटवर्ती क्षेत्रों में लोगों के जीवन में सुधार लाना प्राथमिकता"
"कोंकण अभूतपूर्व संभावनाओं का क्षेत्र है"
"विरासत भी, विकास भी, यही विकसित भारत का हमारा रास्ता है "

छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की जय !

छत्रपति वीर संभाजी महाराज की जय !

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्रीमान रमेश जी, मुख्यमंत्री एकनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी राजनाथ सिंह जी, नारायण राणे जी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी, अजीत पवार जी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, नौसेना के सभी साथी, और सभी मेरे परिवारजन !

आज 4 दिसंबर का ये ऐतिहासिक दिन....हमें आशीर्वाद देता है सिंधुदुर्ग का ऐतिहासिक किला...मालवण-तारकरली का ये खूबसूरत किनारा, चारों और फैला छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का प्रताप...राजकोट फोर्ट पर उनकी विशाल प्रतिमा का अनावरण और आपकी ये हुंकार...हर भारतवासी को जोश से भर रही है। आपके लिए ही कहा गया है-

चलो नई मिसाल हो, बढ़ो नया कमाल हो,

झुको नही, रुको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

मैं नौसेना परिवार के सभी सदस्यों को नेवी डे पर विशेष रूप से बधाई देता हूं। आज के दिन हम उन शूरवीरों को भी प्रणाम करते हैं, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

साथियों,

आज सिंधुदुर्ग की इस वीरभूमि से देशवासियों को नौसेना दिवस की बधाई देना वाकई अपने आप में बहुत बड़े गौरव की घटना है। सिंधुदुर्ग के ऐतिहासिक किले को देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जानते थे कि किसी भी देश के लिए सुमद्री सामर्थ्य कितना जरूरी होता है। उनका उदघोष था- जलमेव यस्य, बलमेव तस्य! यानि "जो समुद्र पर नियंत्रण रखता है वह सर्वशक्तिमान है।" उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना बनाई। कान्होजी आंग्रे हों, मायाजी नाईक भाटकर हों, हीरोजी इंदालकर हों, ऐसे अनेक योद्धा आज भी हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। मैं आज नौसेना दिवस पर, देश के ऐसे पराक्रमी योद्धाओं को भी नमन करता हूं।

साथियों,

छत्रपति वीर शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेते हुए आज भारत, गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी है कि हमारे Naval Officers जो ‘एपो-लेट्स’ पहनते हैं अब उसमें छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक भी देखने को मिलने वाली है। नए ‘एपो-लेट्स’ भी अब उनकी नौसेना के प्रतीक चिह्न की तरह ही होंगे।

ये मेरा सौभाग्य है कि नौसेना के ध्वज को मुझे पिछले वर्ष छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत से जोड़ने का अवसर मिला था। अब ‘एपो-लेट्स’ में भी छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का प्रतिबिंब हम सबको नजर आएगा। अपनी विरासत पर गर्व की भावना के साथ, मुझे एक और घोषणा करते हुए आज गौरव हो रहा है। भारतीय नौसेना अब अपने Ranks का नामकरण, भारतीय परंपराओं के अनुरूप करने जा रही है। हम सशस्त्र बलों में अपनी नारी शक्ति की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दे रहे हैं। मैं नौसेना को बधाई दूंगा कि आपने नेवल शिप में देश की पहली महिला कमांडिंग अफसर की तैनाती की है।

साथियों,

आज का भारत अपने लिए बड़े लक्ष्य तय कर रहा है, और उसे पाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहा है। भारत के पास इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ी ताकत है। ये ताकत, 140 करोड़ भारतीयों के विश्वास की है। ये ताकत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की मजबूती की है। कल आपने देश के 4 राज्यों में इसी ताकत की झलक देखी। देश ने देखा, जब लोगों के संकल्प जुड़ते हैं...जब लोगों की भावनाएं जुड़ती हैं...जब लोगों की आकांक्षाएं जुड़ती हैं...तो कितने सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।

अलग-अलग राज्यों की प्राथमिकताएं अलग हैं, उनकी आवश्यकताएं अलग हैं। लेकिन सभी राज्यों के लोग राष्ट्र प्रथम की भावना से ओतप्रोत हैं। देश है तो हम हैं, देश आगे बढ़ेगा तो हम आगे बढ़ेंगे, यही भावना आज हर नागरिक के मन में है। आज देश, इतिहास से प्रेरणा लेकर उज्ज्वल भविष्य के रोडमैप तैयार करने में जुट गया है। लोगों ने नकारात्मकता की राजनीति को हराकर, हर क्षेत्र में आगे निकलने का प्रण किया है। यही प्रण हमें विकसित भारत की ओर ले जाएगा। यही प्रण देश का वो गौरव लौटाएगा, जिसका ये देश हमेशा से हकदार है।

साथियों,

भारत का इतिहास, सिर्फ एक हजार साल की गुलामी का इतिहास नहीं है, सिर्फ हार और निराशा का इतिहास नहीं है। भारत का इतिहास, विजय का इतिहास है। भारत का इतिहास, शौर्य का इतिहास है। भारत का इतिहास, ज्ञान और विज्ञान का इतिहास है। भारत का इतिहास, कला और सृजन कौशल का इतिहास है। भारत का इतिहास, हमारे सामुद्री सामर्थ्य का इतिहास है। सैकड़ों वर्ष पहले जब ऐसी टेक्‍नोलॉजी नहीं थी, जब ऐसे संसाधन नहीं थे, तब उस जमाने में समंदर को चीरकर हमने सिंधुदुर्ग जैसे कितने ही किले बनवाए। भारत का सामुद्रिक सामर्थ्य हजारों साल पुराना है। गुजरात के लोथल में मिला सिंधु घाटी सभ्यता का पोर्ट, आज हमारी बहुत बड़ी विरासत है। एक समय में सूरत के बंदरगाह पर 80 से ज्यादा देशों के जहाज लंगर डालकर रहा करते थे। चोल साम्राज्य ने भारत के इसी सामर्थ्य के बलबूते, दक्षिण पूर्व एशिया के कितने ही देशों तक अपना व्यापार फैलाया।

और इसलिए, जब विदेशी ताकतों ने भारत पर हमला किया, तो सबसे पहले हमारी इस शक्ति को निशाना बनाया गया। जो भारत, नाव और जहाज़ बनाने के लिए मशहूर था, उसकी ये कला, ये कौशल, सब कुछ ठप कर दिया गया। और अब जब हमने समंदर पर अपना नियंत्रण खोया, हमने अपनी सामरिक-आर्थिक ताकत भी खो दी। इसलिए, आज जब भारत विकसित होने के लक्ष्य पर चल रहा है, तो हमें अपने इस खोए हुए गौरव को फिर से पा करके ही रहना है। इसलिए ही आज हमारी सरकार भी इससे जुड़े हर क्षेत्र पर फोकस करते हुए काम कर रही है। आज भारत ब्लू इकॉनॉमी को अभूतपूर्व प्रोत्साहन दे रहा है। आज भारत 'सागरमाला' के तहत Port led Development में जुटा है। आज भारत 'मैरीटाइम विजन' के तहत अपने सागरों के पूरे सामर्थ्य का इस्तेमाल करने की ओर तेज गति से बढ़ रहा है। मर्चेंट शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार ने नए नियम बनाए हैं। सरकार के प्रयासों से, बीते 9 वर्षों में भारत में seafarers की संख्या भी 140 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।

मेरे साथियों,

ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है, जो सिर्फ 5-10 साल का नहीं बल्कि आने वाली सदियों का भविष्य लिखने वाला है। 10 वर्ष से भी कम के कालखंड में भारत, दुनिया में 10वें नंबर की आर्थिक ताकत से बढ़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। और अब बहुत तेज़ी से तीसरे नंबर की आर्थिक महाशक्ति बनने की तरफ आज भारत अग्रसर है।

आज देश, विश्वास और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। आज दुनिया को भारत में विश्व-मित्र का उदय होता दिख रहा है। आज स्पेस हो या फिर समंदर, हर जगह दुनिया को भारत का सामर्थ्य दिख रहा है। आज पूरी दुनिया भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनॉमिक कॉरिडोर की चर्चा कर रही है। जिस स्पाइस रूट को अतीत में हमने खो दिया था, वो अब फिर से भारत की समृद्धि का सशक्त आधार बनने जा रहा है। आज मेड इन इंडिया की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। तेजस विमान हो या किसान ड्रोन, यूपीआई सिस्टम हो या फिर चंद्रयान 3, हर जगह, हर सेक्टर में मेड इन इंडिया की धूम है। आज हमारी सेनाओं की अधिकतर ज़रूरतें मेड इन इंडिया अस्त्र-शस्त्र से ही पूरी की जा रही हैं। देश में पहली बार ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण शुरू हो रहा है। पिछले साल ही मैंने कोच्चि में स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर, INS Vikrant को नौसेना में कमीशन किया था। INS Vikrant मेक इन इंडिया आत्मनिर्भर भारत का एक सशक्त उदाहरण है। आज भारत दुनिया के कुछ गिने-चुने देशों में है जिसके पास ऐसा सामर्थ्य है।

साथियों,

बीते वर्षों में हमने पहले की सरकारों की एक और पुरानी सोच को बदला है। पहले की सरकारें, हमारे सीमावर्ती और समुद्र किनारे बसे गांवों को, इलाकों को अंतिम गांव मानती थी। हमारे रक्षामंत्री जी ने अभी उसका उल्‍लेख भी किया है। इस सोच के कारण हमारे तटीय क्षेत्र भी विकास से वंचित रहे, यहां मूल सुविधाओं का अभाव रहा। आज समंदर किनारे बसे हर परिवार के जीवन को बेहतर बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। ये हमारी सरकार है जिसने 2019 में पहली बार फिशरीज सेक्टर के लिए अलग मंत्रालय बनाया। हमने फिशरीज सेक्टर में लगभग 40 हजार करोड़ का निवेश किया है। इस वजह से 2014 के बाद से भारत में मछली उत्पादन 80 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। भारत से मछली का एक्सपोर्ट भी 110 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। अपने मछुआरों की मदद करने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। हमारी सरकार ने मछुआरों के लिए बीमा कवर 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया है।

देश में पहली बार मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड का भी लाभ मिला है। सरकार, फिशरीज सेक्टर में वैल्यू चेन डेवलपमेंट पर भी काफी जोर दे रही है। आज सागरमाला योजना से पूरे समुद्री किनारे में आधुनिक कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। इस पर लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, ताकि समुद्री किनारों में नए उद्योग लगें, नए बिजनेस आएं। मछली हो, दूसरा सी-फूड हो, इसकी पूरी दुनिया में बहुत अधिक डिमांड है। इसलिए हम सी-फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी इंडस्ट्री पर बल दे रहे हैं, ताकि मछुआरों की आय बढ़ाई जाए। मछुआरे, गहरे समंदर में मछली पकड़ सकें, इसके लिए नावों के आधुनिकीकरण के लिए भी उनको मदद दी जा रही है।

साथियों,

कोंकण का ये क्षेत्र तो अदभुत संभावनाओं का क्षेत्र है। हमारी सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, अलीबाग, परभनी और धाराशिव में मेडिकल कॉलेज खुले हैं। चिपी हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडॉर माणगांव तक जुड़ने वाला है। यहां के काजू किसानों के लिए भी विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। समुद्री तट पर बसे रिहाइशी क्षेत्रों को बचाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए मैंग्रूव्स का दायरा बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए विशेष मिष्ठी योजना बनाई है। इसमें मालवन, अचरा-रत्नागिरी, देवगढ़-विजयदुर्ग सहित महाराष्ट्र की अनेक साइट्स को मैंग्रूव मैनेजमेंट के लिए चुना गया है।

साथियों,

विरासत भी और विकास भी, यही विकसित भारत का हमारा रास्ता है। इसलिए आज यहां इस क्षेत्र में भी अपनी गौरवशाली विरासत के संरक्षण का प्रयास हो रहा है। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के कालखंड में जो दुर्ग, जो किले बने हैं, उनको संरक्षित रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार संकल्पित है। कोंकण सहित पूरे महाराष्ट्र में इन धरोहरों के संरक्षण पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि पूरे देश से लोग अपनी इस गौरवशाली विरासत को देखने आएं। इससे इस क्षेत्र में टूरिज्म भी बढ़ेगा, रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

साथियों,

यहां से हमें अब विकसित भारत की यात्रा और तेज करनी है। ऐसा विकसित भारत जिसमें हमारा देश सुरक्षित, समृद्ध और शक्तिशाली हो सके। और साथियो आमतौर पर आर्मी डे, एयफोर्स डे, नेवी डे...ये दिल्‍ली में मनाए जाते रहे हैं। और दिल्‍ली में जो आसपास के लोग हैं वो इसका हिस्‍सा बनते थे और ज्‍यादातर इसके जो चीफ होते थे उनके घर के लॉन में ही कार्यक्रम होते थे। मैंने उस परम्‍परा को बदला है। और मेरी कोशिश है कि चाहे आर्मी डे हो, नेवी डे हो, या एयरफोर्स डे हो, देश के अलग-अलग हिस्‍सो में हो। और उसी योजना के तहत इस बार का नेवी डे इस पवित्र भूमि पर हो रहा है, जहां पर नेवी का जन्‍म हुआ था।

और मुझे थोड़े समय पहले बता रहे थे कुछ लोग कि बोले पिछले सप्‍ताह से हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं, इस हलचल के कारण। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि अब देश के लोगों का इस भूमि के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। सिंधु दुर्ग के प्रति एक तीर्थ का भाव पैदा होगा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने युद्ध के क्षेत्र में कितना बड़ा योगदान दिया था। जिस नेवी के लिए हम गर्व करते हैं उसकी मूल धारा छत्रपति शिवाजी महाराज से शुरू होती है। इसका गर्व आप देशवासी करेंगे।

और इसलिए मैं नेवी के मेरे साथियों को, हमारे रक्षामंत्री जी को, मैं हृदय से बधाई देता हूं कि उन्‍होंने इस कार्यक्रम के लिए इस प्रकार के स्‍थान को चुना है। मैं जानता हूं ये सारी व्‍यवस्‍थाएं करना कठिन है लेकिन इस क्षेत्र को भी लाभ होता है, बहुत बड़ी तादाद में जन-सामान्य भी इससे जुड़ता है और विदेश के भी बहुत मेहमान यहां आज मौजूद हैं। उनके लिए भी बहुत सी बातें नई होंगी कि नेवी का concept छत्रपति शिवाजी महाराज ने कितनी शताब्दियों पहले शुरू किया था।

मैं पक्का मानता हूं जैसे आज जी-20 में दुनिया का ध्‍यान इस बात पर गया कि भारत सिर्फ विश्‍व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है इतना ही नहीं, भारत mother of democracy है। उसी प्रकार से भारत है जिसने नेवी के इस concept को जन्‍म दिया, सामर्थ्‍य दिया और आज विश्‍व ने उसको स्‍वीकार किया है। और इसलिए आज का ये अवसर विश्‍व पटल पर भी एक नई सोच के लिए निर्माण का कारण बनने वाला है।

मैं फिर एक बार आज नेवी डे पर देश के सभी जवानों को, उनके परिवारजनों को और देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ पूरी शक्ति से एक बार बोलिए-

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

बहुत-बहुत धन्‍यवाद !

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.