भारतीय नौसेना के जहाजों और विशेष बलों के सामरिक प्रदर्शनों का गवाह बने
"भारत अपने नौसैनिकों के समर्पण को सलाम करता है"
"सिंधुदुर्ग के किले को देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है"
"छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जानते थे कि किसी भी देश के लिए समुद्री सामर्थ्‍य कितना जरूरी होता है"
"हमारे नौसैनिक अधिकारी जो एपोलेट्स पहनते हैं अब उसमें छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखने वाली है"
"हम सशस्त्र बलों में नारी शक्ति की संख्‍या बढ़ाने पर भी जोर"
"भारत के पास विजय, शौर्य, ज्ञान, विज्ञान, कौशल और समुद्री सामर्थ्‍य का गौरवशाली इतिहास है"
"तटवर्ती क्षेत्रों में लोगों के जीवन में सुधार लाना प्राथमिकता"
"कोंकण अभूतपूर्व संभावनाओं का क्षेत्र है"
"विरासत भी, विकास भी, यही विकसित भारत का हमारा रास्ता है "

छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की जय !

छत्रपति वीर संभाजी महाराज की जय !

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्रीमान रमेश जी, मुख्यमंत्री एकनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी राजनाथ सिंह जी, नारायण राणे जी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी, अजीत पवार जी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, नौसेना के सभी साथी, और सभी मेरे परिवारजन !

आज 4 दिसंबर का ये ऐतिहासिक दिन....हमें आशीर्वाद देता है सिंधुदुर्ग का ऐतिहासिक किला...मालवण-तारकरली का ये खूबसूरत किनारा, चारों और फैला छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का प्रताप...राजकोट फोर्ट पर उनकी विशाल प्रतिमा का अनावरण और आपकी ये हुंकार...हर भारतवासी को जोश से भर रही है। आपके लिए ही कहा गया है-

चलो नई मिसाल हो, बढ़ो नया कमाल हो,

झुको नही, रुको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

मैं नौसेना परिवार के सभी सदस्यों को नेवी डे पर विशेष रूप से बधाई देता हूं। आज के दिन हम उन शूरवीरों को भी प्रणाम करते हैं, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

साथियों,

आज सिंधुदुर्ग की इस वीरभूमि से देशवासियों को नौसेना दिवस की बधाई देना वाकई अपने आप में बहुत बड़े गौरव की घटना है। सिंधुदुर्ग के ऐतिहासिक किले को देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जानते थे कि किसी भी देश के लिए सुमद्री सामर्थ्य कितना जरूरी होता है। उनका उदघोष था- जलमेव यस्य, बलमेव तस्य! यानि "जो समुद्र पर नियंत्रण रखता है वह सर्वशक्तिमान है।" उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना बनाई। कान्होजी आंग्रे हों, मायाजी नाईक भाटकर हों, हीरोजी इंदालकर हों, ऐसे अनेक योद्धा आज भी हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। मैं आज नौसेना दिवस पर, देश के ऐसे पराक्रमी योद्धाओं को भी नमन करता हूं।

साथियों,

छत्रपति वीर शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेते हुए आज भारत, गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी है कि हमारे Naval Officers जो ‘एपो-लेट्स’ पहनते हैं अब उसमें छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक भी देखने को मिलने वाली है। नए ‘एपो-लेट्स’ भी अब उनकी नौसेना के प्रतीक चिह्न की तरह ही होंगे।

ये मेरा सौभाग्य है कि नौसेना के ध्वज को मुझे पिछले वर्ष छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत से जोड़ने का अवसर मिला था। अब ‘एपो-लेट्स’ में भी छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का प्रतिबिंब हम सबको नजर आएगा। अपनी विरासत पर गर्व की भावना के साथ, मुझे एक और घोषणा करते हुए आज गौरव हो रहा है। भारतीय नौसेना अब अपने Ranks का नामकरण, भारतीय परंपराओं के अनुरूप करने जा रही है। हम सशस्त्र बलों में अपनी नारी शक्ति की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दे रहे हैं। मैं नौसेना को बधाई दूंगा कि आपने नेवल शिप में देश की पहली महिला कमांडिंग अफसर की तैनाती की है।

साथियों,

आज का भारत अपने लिए बड़े लक्ष्य तय कर रहा है, और उसे पाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहा है। भारत के पास इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ी ताकत है। ये ताकत, 140 करोड़ भारतीयों के विश्वास की है। ये ताकत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की मजबूती की है। कल आपने देश के 4 राज्यों में इसी ताकत की झलक देखी। देश ने देखा, जब लोगों के संकल्प जुड़ते हैं...जब लोगों की भावनाएं जुड़ती हैं...जब लोगों की आकांक्षाएं जुड़ती हैं...तो कितने सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।

अलग-अलग राज्यों की प्राथमिकताएं अलग हैं, उनकी आवश्यकताएं अलग हैं। लेकिन सभी राज्यों के लोग राष्ट्र प्रथम की भावना से ओतप्रोत हैं। देश है तो हम हैं, देश आगे बढ़ेगा तो हम आगे बढ़ेंगे, यही भावना आज हर नागरिक के मन में है। आज देश, इतिहास से प्रेरणा लेकर उज्ज्वल भविष्य के रोडमैप तैयार करने में जुट गया है। लोगों ने नकारात्मकता की राजनीति को हराकर, हर क्षेत्र में आगे निकलने का प्रण किया है। यही प्रण हमें विकसित भारत की ओर ले जाएगा। यही प्रण देश का वो गौरव लौटाएगा, जिसका ये देश हमेशा से हकदार है।

साथियों,

भारत का इतिहास, सिर्फ एक हजार साल की गुलामी का इतिहास नहीं है, सिर्फ हार और निराशा का इतिहास नहीं है। भारत का इतिहास, विजय का इतिहास है। भारत का इतिहास, शौर्य का इतिहास है। भारत का इतिहास, ज्ञान और विज्ञान का इतिहास है। भारत का इतिहास, कला और सृजन कौशल का इतिहास है। भारत का इतिहास, हमारे सामुद्री सामर्थ्य का इतिहास है। सैकड़ों वर्ष पहले जब ऐसी टेक्‍नोलॉजी नहीं थी, जब ऐसे संसाधन नहीं थे, तब उस जमाने में समंदर को चीरकर हमने सिंधुदुर्ग जैसे कितने ही किले बनवाए। भारत का सामुद्रिक सामर्थ्य हजारों साल पुराना है। गुजरात के लोथल में मिला सिंधु घाटी सभ्यता का पोर्ट, आज हमारी बहुत बड़ी विरासत है। एक समय में सूरत के बंदरगाह पर 80 से ज्यादा देशों के जहाज लंगर डालकर रहा करते थे। चोल साम्राज्य ने भारत के इसी सामर्थ्य के बलबूते, दक्षिण पूर्व एशिया के कितने ही देशों तक अपना व्यापार फैलाया।

और इसलिए, जब विदेशी ताकतों ने भारत पर हमला किया, तो सबसे पहले हमारी इस शक्ति को निशाना बनाया गया। जो भारत, नाव और जहाज़ बनाने के लिए मशहूर था, उसकी ये कला, ये कौशल, सब कुछ ठप कर दिया गया। और अब जब हमने समंदर पर अपना नियंत्रण खोया, हमने अपनी सामरिक-आर्थिक ताकत भी खो दी। इसलिए, आज जब भारत विकसित होने के लक्ष्य पर चल रहा है, तो हमें अपने इस खोए हुए गौरव को फिर से पा करके ही रहना है। इसलिए ही आज हमारी सरकार भी इससे जुड़े हर क्षेत्र पर फोकस करते हुए काम कर रही है। आज भारत ब्लू इकॉनॉमी को अभूतपूर्व प्रोत्साहन दे रहा है। आज भारत 'सागरमाला' के तहत Port led Development में जुटा है। आज भारत 'मैरीटाइम विजन' के तहत अपने सागरों के पूरे सामर्थ्य का इस्तेमाल करने की ओर तेज गति से बढ़ रहा है। मर्चेंट शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार ने नए नियम बनाए हैं। सरकार के प्रयासों से, बीते 9 वर्षों में भारत में seafarers की संख्या भी 140 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।

मेरे साथियों,

ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है, जो सिर्फ 5-10 साल का नहीं बल्कि आने वाली सदियों का भविष्य लिखने वाला है। 10 वर्ष से भी कम के कालखंड में भारत, दुनिया में 10वें नंबर की आर्थिक ताकत से बढ़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। और अब बहुत तेज़ी से तीसरे नंबर की आर्थिक महाशक्ति बनने की तरफ आज भारत अग्रसर है।

आज देश, विश्वास और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। आज दुनिया को भारत में विश्व-मित्र का उदय होता दिख रहा है। आज स्पेस हो या फिर समंदर, हर जगह दुनिया को भारत का सामर्थ्य दिख रहा है। आज पूरी दुनिया भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनॉमिक कॉरिडोर की चर्चा कर रही है। जिस स्पाइस रूट को अतीत में हमने खो दिया था, वो अब फिर से भारत की समृद्धि का सशक्त आधार बनने जा रहा है। आज मेड इन इंडिया की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। तेजस विमान हो या किसान ड्रोन, यूपीआई सिस्टम हो या फिर चंद्रयान 3, हर जगह, हर सेक्टर में मेड इन इंडिया की धूम है। आज हमारी सेनाओं की अधिकतर ज़रूरतें मेड इन इंडिया अस्त्र-शस्त्र से ही पूरी की जा रही हैं। देश में पहली बार ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण शुरू हो रहा है। पिछले साल ही मैंने कोच्चि में स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर, INS Vikrant को नौसेना में कमीशन किया था। INS Vikrant मेक इन इंडिया आत्मनिर्भर भारत का एक सशक्त उदाहरण है। आज भारत दुनिया के कुछ गिने-चुने देशों में है जिसके पास ऐसा सामर्थ्य है।

साथियों,

बीते वर्षों में हमने पहले की सरकारों की एक और पुरानी सोच को बदला है। पहले की सरकारें, हमारे सीमावर्ती और समुद्र किनारे बसे गांवों को, इलाकों को अंतिम गांव मानती थी। हमारे रक्षामंत्री जी ने अभी उसका उल्‍लेख भी किया है। इस सोच के कारण हमारे तटीय क्षेत्र भी विकास से वंचित रहे, यहां मूल सुविधाओं का अभाव रहा। आज समंदर किनारे बसे हर परिवार के जीवन को बेहतर बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। ये हमारी सरकार है जिसने 2019 में पहली बार फिशरीज सेक्टर के लिए अलग मंत्रालय बनाया। हमने फिशरीज सेक्टर में लगभग 40 हजार करोड़ का निवेश किया है। इस वजह से 2014 के बाद से भारत में मछली उत्पादन 80 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। भारत से मछली का एक्सपोर्ट भी 110 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। अपने मछुआरों की मदद करने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। हमारी सरकार ने मछुआरों के लिए बीमा कवर 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया है।

देश में पहली बार मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड का भी लाभ मिला है। सरकार, फिशरीज सेक्टर में वैल्यू चेन डेवलपमेंट पर भी काफी जोर दे रही है। आज सागरमाला योजना से पूरे समुद्री किनारे में आधुनिक कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। इस पर लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, ताकि समुद्री किनारों में नए उद्योग लगें, नए बिजनेस आएं। मछली हो, दूसरा सी-फूड हो, इसकी पूरी दुनिया में बहुत अधिक डिमांड है। इसलिए हम सी-फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी इंडस्ट्री पर बल दे रहे हैं, ताकि मछुआरों की आय बढ़ाई जाए। मछुआरे, गहरे समंदर में मछली पकड़ सकें, इसके लिए नावों के आधुनिकीकरण के लिए भी उनको मदद दी जा रही है।

साथियों,

कोंकण का ये क्षेत्र तो अदभुत संभावनाओं का क्षेत्र है। हमारी सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, अलीबाग, परभनी और धाराशिव में मेडिकल कॉलेज खुले हैं। चिपी हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडॉर माणगांव तक जुड़ने वाला है। यहां के काजू किसानों के लिए भी विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। समुद्री तट पर बसे रिहाइशी क्षेत्रों को बचाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए मैंग्रूव्स का दायरा बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए विशेष मिष्ठी योजना बनाई है। इसमें मालवन, अचरा-रत्नागिरी, देवगढ़-विजयदुर्ग सहित महाराष्ट्र की अनेक साइट्स को मैंग्रूव मैनेजमेंट के लिए चुना गया है।

साथियों,

विरासत भी और विकास भी, यही विकसित भारत का हमारा रास्ता है। इसलिए आज यहां इस क्षेत्र में भी अपनी गौरवशाली विरासत के संरक्षण का प्रयास हो रहा है। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के कालखंड में जो दुर्ग, जो किले बने हैं, उनको संरक्षित रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार संकल्पित है। कोंकण सहित पूरे महाराष्ट्र में इन धरोहरों के संरक्षण पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि पूरे देश से लोग अपनी इस गौरवशाली विरासत को देखने आएं। इससे इस क्षेत्र में टूरिज्म भी बढ़ेगा, रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

साथियों,

यहां से हमें अब विकसित भारत की यात्रा और तेज करनी है। ऐसा विकसित भारत जिसमें हमारा देश सुरक्षित, समृद्ध और शक्तिशाली हो सके। और साथियो आमतौर पर आर्मी डे, एयफोर्स डे, नेवी डे...ये दिल्‍ली में मनाए जाते रहे हैं। और दिल्‍ली में जो आसपास के लोग हैं वो इसका हिस्‍सा बनते थे और ज्‍यादातर इसके जो चीफ होते थे उनके घर के लॉन में ही कार्यक्रम होते थे। मैंने उस परम्‍परा को बदला है। और मेरी कोशिश है कि चाहे आर्मी डे हो, नेवी डे हो, या एयरफोर्स डे हो, देश के अलग-अलग हिस्‍सो में हो। और उसी योजना के तहत इस बार का नेवी डे इस पवित्र भूमि पर हो रहा है, जहां पर नेवी का जन्‍म हुआ था।

और मुझे थोड़े समय पहले बता रहे थे कुछ लोग कि बोले पिछले सप्‍ताह से हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं, इस हलचल के कारण। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि अब देश के लोगों का इस भूमि के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। सिंधु दुर्ग के प्रति एक तीर्थ का भाव पैदा होगा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने युद्ध के क्षेत्र में कितना बड़ा योगदान दिया था। जिस नेवी के लिए हम गर्व करते हैं उसकी मूल धारा छत्रपति शिवाजी महाराज से शुरू होती है। इसका गर्व आप देशवासी करेंगे।

और इसलिए मैं नेवी के मेरे साथियों को, हमारे रक्षामंत्री जी को, मैं हृदय से बधाई देता हूं कि उन्‍होंने इस कार्यक्रम के लिए इस प्रकार के स्‍थान को चुना है। मैं जानता हूं ये सारी व्‍यवस्‍थाएं करना कठिन है लेकिन इस क्षेत्र को भी लाभ होता है, बहुत बड़ी तादाद में जन-सामान्य भी इससे जुड़ता है और विदेश के भी बहुत मेहमान यहां आज मौजूद हैं। उनके लिए भी बहुत सी बातें नई होंगी कि नेवी का concept छत्रपति शिवाजी महाराज ने कितनी शताब्दियों पहले शुरू किया था।

मैं पक्का मानता हूं जैसे आज जी-20 में दुनिया का ध्‍यान इस बात पर गया कि भारत सिर्फ विश्‍व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है इतना ही नहीं, भारत mother of democracy है। उसी प्रकार से भारत है जिसने नेवी के इस concept को जन्‍म दिया, सामर्थ्‍य दिया और आज विश्‍व ने उसको स्‍वीकार किया है। और इसलिए आज का ये अवसर विश्‍व पटल पर भी एक नई सोच के लिए निर्माण का कारण बनने वाला है।

मैं फिर एक बार आज नेवी डे पर देश के सभी जवानों को, उनके परिवारजनों को और देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ पूरी शक्ति से एक बार बोलिए-

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

बहुत-बहुत धन्‍यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।