"नई ऊर्जा, प्रेरणा और संकल्पों के आलोक में एक नया अध्याय आरंभ हो रहा है"
'आज संपूर्ण विश्‍व की दृष्टि भारत पर है। भारत के प्रति विश्‍व का दृष्टिकोण बदल गया है’
"इतने सारे स्टेशनों के आधुनिकीकरण से देश में विकास के लिए एक नया वातावरण बनेगा"
"ये अमृत रेलवे स्टेशन अपनी विरासत पर गौरवान्वित होने और हर नागरिक में गर्व की भावना उत्‍पन्‍न करने के प्रतीक होंगे"
"हमारा बल भारतीय रेल को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर है"
"अब यह हमारा उत्‍तरदायित्‍व है कि हम रेलवे को एक बेहतर पहचान और आधुनिक भविष्य से जोड़ें"
"नए भारत में, विकास युवाओं के लिए नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, और युवा देश के विकास को नए पंख दे रहे हैं"
'अगस्त क्रांति, कृतज्ञता और कर्तव्य का महीना है। ऐसे कई ऐतिहासिक अवसर, जिन्‍होंने भारत के इतिहास को नई दिशा दी, अगस्त में घटित हुए’
"हमारा स्वतंत्रता दिवस हमारे तिरंगे और हमारे राष्ट्र की प्रगति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का समय है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी हमें हर घर पर तिरंगा फहराना है"

नमस्कार, देश के रेलमंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी, कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से जुड़े केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, विभिन्न राज्यों के गवर्नर, मुख्यमंत्री गण, राज्य मंत्रीमंडल के मंत्री श्री, सांसदगण, विधायक गण, अन्य सभी महानुभाव, और मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों!

विकसित होने के लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ा रहा भारत, अपने अमृतकाल के प्रारंभ में है। नई ऊर्जा है, नई प्रेरणा है, नए संकल्प हैं। इसी आलोक में आज भारतीय रेल के इतिहास में भी एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। भारत के करीब 1300 प्रमुख रेलवे स्टेशन, अब अमृत भारत रेलवे स्टेशन के तौर पर विकसित किए जाएंगे, उनका पुनर्विकास होगा, आधुनिकता के साथ होगा। इसमें से आज 508 अमृत भारत स्टेशनों के पुनर्निर्माण का काम शुरू हो रहा है। और इन 508 अमृत भारत स्टेशन्स के नवनिर्माण पर करीब 25 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप कल्पना कर सकते हैं, ये देश के इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए, रेलवे के लिए और सबसे बड़ी बात है मेरे देश के सामान्य नागरिकों के लिए ये कितना बड़ा अभियान होने वाला है। इसका लाभ देश के लगभग सभी राज्यों को मिलेगा। जैसे यूपी में इसके लिए करीब साढ़े 4 हजार करोड़ रुपए के खर्च से 55 अमृत स्टेशन्स को विकसित किया जाएगा। राजस्थान के भी 55 रेलवे स्टेशन, अमृत भारत स्टेशन बनेंगे। एमपी में 1 हजार करोड़ रुपए के खर्च से 34 स्टेशन्स का कायाकल्प होने वाला है। महाराष्ट्र में 44 स्टेशन्स के विकास के लिए डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे। तमिलनाडु, कर्नाटका और केरला के भी प्रमुख स्टेशन्स को अमृत भारत स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। मैं अमृतकाल के प्रारंभ में इस ऐतिहासिक अभियान के लिए रेल मंत्रालय की सराहना करता हूँ और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।

साथियों,

आज पूरी दुनिया की दृष्टि भारत पर है। वैश्विक स्तर पर भारत की साख बढ़ी है, भारत को लेकर दुनिया का रवैया बदला है, और इसकी दो प्रमुख बातें हैं दो मुख्य वजह हैं। पहली, आप देशवासी भारत के लोगों ने करीब-करीब तीन दशक बाद, तीस साल बाद देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, वो पहली वजह है और दूसरी वजह है - पूर्ण बहुमत की सरकार ने उसी स्पष्टता के साथ जनता जनार्दन की उनकी भावना का आदर करते हुए बड़े-बड़े निर्णय लिए, चुनौतियों के स्थाई समाधान के लिए अविरत काम किया। आज भारतीय रेलवे भी इसका प्रतीक बन चुकी है। बीते वर्षों में रेलवे में ही जितना काम हुआ है, उसके आंकड़े, उसकी जानकारी हर किसी को प्रसन्न भी करती है, हैरान भी कर देती है। जैसे, दुनिया में साउथ अफ्रीका, यूक्रेन, पोलैंड, यूके और स्वीडन जैसे देशों में जितना रेल नेटवर्क है, उससे ज्यादा रेल ट्रैक हमारे देश में इन 9 वर्षों में बिछाए गए हैं। आप कल्पना करिये ये स्केल। साउथ कोरिया, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों का जितना रेल नेटवर्क है, उससे ज्यादा ट्रैक भारत ने अकेले पिछले साल बनाए हैं, एक साल में। भारत में आज आधुनिक ट्रेनों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। आज देश का लक्ष्य है कि रेलवे की यात्रा हर यात्री के लिए, हर नागरिक के लिए सुलभ भी हो, और सुखद भी हो। अब ट्रेन से लेकर स्टेशन तक आपको एक बेहतर एक उम्दा से उम्दा एक्सपीरियन्स देने का प्रयास है। प्लेटफॉर्म्स पर बैठने के लिए बेहतर सीटें लग रही हैं, अच्छे वेटिंग रूम बनाए जा रहे हैं। आज देश के हजारों रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाईफाई की सुविधा है। हमने देखा है, इस मुफ्त इंटरनेट का कितने ही युवाओं ने लाभ उठाया है, पढ़ाई करके वो अब बहुत कुछ अपने जीवन में सिद्धियां प्राप्त कर चुके हैं।

साथियों,

ये इतनी बड़ी सिद्धियां हैं, जिस प्रकार से रेलवे में काम हुआ है। किसी भी पीएम का मन कर जाए कि इनका जिक्र 15 अगस्त को लाल किले से करे। औऱ जब 15 अगस्त सामने है तो मन बहुत ही लालायित होता है कि उसी दिन इसकी चर्चा करूं। लेकिन आज ये इतना विराट आयोजन हो रहा है, देश के कोने-कोने से लोग जुड़े हैं। इसलिए मैं अभी ही इस बात पर इतने विस्तार से चर्चा कर रहा हूं।

साथियों,

रेलवे को हमारे देश की लाइफ-लाइन कहा जाता है। लेकिन इसके साथ ही, हमारे शहरों की पहचान भी शहर के रेलवे स्टेशन से जुड़ी होती है। समय के साथ ये रेलवे स्टेशन अब 'हार्ट ऑफ द सिटी' बन गए हैं। शहर की सारी प्रमुख गतिविधियां, रेलवे स्टेशनों के आसपास ही होती हैं। इसलिए आज बहुत आवश्यक है कि हमारे रेलवे स्टेशनों को नए आधुनिक स्वरूप में ढाला जाए, रेलवे की जगह का Optimum Utilization किया जाए।

साथियों,

जब देश में इतने सारे नए आधुनिक स्टेशन बनेंगे, तो उससे विकास को लेकर एक नया माहौल भी बनेगा। देसी, विदेशी, कोई भी पर्यटक जब ट्रेन से इन आधुनिक स्टेशनों पर पहुंचेगा, तो राज्य की, आपके शहर की पहली तस्वीर उसे जरूर प्रभावित करेगी, वो यादगार बन जाती है। आधुनिक सेवाओं के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्टेशन के आस-पास अच्छी व्यवस्थाएं होने से आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने स्टेशनों को शहर और राज्यों की पहचान से जोड़ने के लिए 'वन स्टेशन, वन प्रॉडक्ट' योजना भी शुरू की है। इससे पूरे इलाके के लोगों को, कामगारों और कारीगरों को फायदा होगा, साथ ही जिले की ब्रांडिंग भी होगी।

साथियों,

आजादी के अमृतकाल में देश ने अपनी विरासत पर गर्व का भी संकल्प लिया है। ये अमृत रेलवे स्टेशन उसके भी प्रतीक बनेंगे, हमें गर्व से भर देंगे। इन स्टेशन्स में देश की संस्कृति और स्थानीय विरासत की झलक दिखेगी। जैसे जयपुर रेलवे स्टेशन में हवामहल, आमेर फोर्ट जैसी राजस्थान की धरोहरों की झलक होगी। जम्मू-कश्मीर का जम्मू तवी रेलवे स्टेशन, प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर से प्रेरित होगा। नागालैंड के दिमापुर स्टेशन पर वहाँ की 16 जनजातियों की लोकल वास्तुकला दिखाई देगी। हर अमृत स्टेशन शहर की आधुनिक आकांक्षाओं और प्राचीन विरासत का प्रतीक बनेगा। देश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और तीर्थ स्थानों को जोड़ने के लिए इन दिनों देश में एक भारत गौरव यात्रा ट्रेन, भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन भी चल रही है। शायद आपके ध्यान में आया होगा, उसको भी मजबूती दी जा रही है।

साथियों,

किसी भी व्यवस्था को transform करने के लिए जरूरी होता है कि हम उसके potential को पहचानें। भारतीय रेल में तो ग्रोथ को रफ्तार देने का अपार potential है। इसी सोच के साथ बीते 9 वर्षों में हमने रेलवे में रिकॉर्ड इनवेस्टमेंट किया है। इस साल रेलवे को ढाई लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट दिया गया है। ये बजट 2014 की तुलना में 5 गुना ज्यादा है। आज एक holistic सोच के साथ रेलवे के समग्र विकास के लिए काम हो रहा है। इन 9 वर्षों में लोकोमोटिव्स उत्पादन में भी 9 गुना की वृद्धि हुई है। आज देश में पहले की अपेक्षा 13 गुना ज्यादा HLB कोच बन रहे हैं।

साथियों,

नॉर्थ ईस्ट में रेलवे के विस्तार को भी हमारी सरकार ने प्राथमिकता दी है। रेलवे लाइनों का दोहरीकरण हो, गेज परिवर्तन हो, इलेक्ट्रीफिकेशन हो, नए रूट्स का निर्माण हो, इस पर तेजी से काम किया जा रहा है। जल्द ही पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियां रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएंगी। नागालैंड में 100 साल बाद दूसरा रेलवे स्टेशन बना है। नॉर्थ ईस्ट में नई रेल लाइनों की कमीशनिंग भी पहले के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हो रही है।

साथियों,

पिछले 9 वर्षों में 22 सौ किलोमीटर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉर भी बनाए गए हैं। इसकी वजह से मालगाड़ियों के ट्रैवल टाइम में काफी कमी आई है। दिल्ली-NCR से वेस्टर्न पोर्ट्स तक चाहे गुजरात के समुद्री तट हो या महाराष्ट्रा का समुद्री तट हो पहले जो सामान ट्रेन से पहुंचाने में average, औसतन 72 घंटे लगते थे, आज वही लगेज, वही सामान, वही गुड्स 24 घंटे में पहुँच जाता है। ऐसे ही दूसरे रूट्स पर भी टाइम में 40 प्रतिशत तक की कमी आई है। ट्रेवेल टाइम में कमी आने का मतलब है कि मालगाड़ियों की गति बढ़ी है और सामान भी अब ज्यादा तेजी से पहुंच रहा है। इसका बड़ा लाभ हमारे उद्मियों, कारोबारियों और खासकर के हमारे किसान भाई-बहनों को हो रहा है। हमारी फल-सब्जियां अब ज्यादा तेजी से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जा रही हैं। जब देश में इस तरह का ट्रांसपोर्टेशन तेज होगा तो उतनी ही तेजी से भारत के जो उत्पाद हैं। हमारे छोटे-मोटे कारिगर हमारे लघु उद्योग जो कुछ भी उत्पादन करते हैं वो सामान विश्व बाजार में भी तेजी से पहुंचेगा।

साथियों,

आप सभी ने देखा है कि पहले रेलवे ओवर ब्रिज कम होने के कारण कितनी दिक्कतें आती थीं। 2014 से पहले देश में 6 हजार से भी कम, रेलवे ओवर ब्रिज और अंडर ब्रिज थे। आज ओवर ब्रिज और अंडर ब्रिज की ये संख्या 10 हजार से ज्यादा हो गई है। देश में बड़ी लाइन पर मानव रहित क्रॉसिंग की संख्या भी शून्य हो चुकी है। रेल में और रेलवे प्लेटफॉर्म पर, यात्री सुविधाओं के निर्माण में आज बुजुर्गों की, दिव्यांगजनों की जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

साथियों,

हमारा जोर भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने के साथ ही पर्यावरण friendly बनाने पर भी है। बहुत जल्द भारत के शत प्रतिशत रेल ट्रैक्स electrified होने जा रहे हैं। यानि कुछ ही वर्षों में भारत की सारी ट्रेनें सिर्फ बिजली से चला करेंगी। इससे पर्यावरण की कितनी बड़ी मदद होगी, आप अंदाजा लगा सकते हैं। 9 वर्षों में सोलर पैनल से बिजली बनाने वाले रेलवे स्टेशनों की संख्या भी 12 सौ से ज्यादा हो गई है। लक्ष्य यही है कि आने वाले समय में सभी स्टेशन ग्रीन एनर्जी बनाएं। हमारी ट्रेनों के करीब-करीब 70 हजार डिब्बे, 70 हजार कोचेस में LED लाइट्स लगाई जा चुकी हैं। ट्रेनों में बायोटॉइलेट्स की संख्या भी 2014 के मुकाबले अब 28 गुना ज्यादा हो गई है। ये जितने अमृत स्टेशन्स बनेंगे, ये भी ग्रीन बिल्डिंग्स के मानकों को पूरा करेंगे। 2030 तक भारत एक ऐसा देश होगा, जिसकी रेलवे नेट ज़ीरो एमिशन पर चलेगी।

साथियों,

रेल ने दशकों से हमें अपनों से मिलने का बहुत बड़ा अभियान चलाया है, काम किया है, एक प्रकार से देश को जोड़ने का भी काम किया है। अब ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम रेल को एक बेहतर पहचान और आधुनिक भविष्य से जोड़ें। और रेल की रक्षा, व्यवस्थाओं की रक्षा, सुविधाओं की रक्षा, स्वच्छता की रक्षा एक नागरिक के नाते उस कर्तव्य को हमे निभाना है। अमृतकाल कर्तव्यकाल भी है। लेकिन साथियों, कुछ बातें जब हम देखते हैं तो मन को पीड़ा भी होती है। दुर्भाग्य से, हमारे देश में विपक्ष का एक धड़ा आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। वो आज भी खुद तो कुछ करेंगे नहीं और किसी को करने भी न देंगे। 'न काम करेंगे, न करने देंगे' ये रवैये पर अड़े हुये हैं। देश ने आज की, और भविष्य की जरूरतों की चिंता करते हुए संसद की आधुनिक इमारत बनवाई। संसद देश के लोकतन्त्र की प्रतीक होती है, उसमें पक्ष विपक्ष सबका प्रतिनिधित्व होता है। लेकिन, विपक्ष के इस धड़े ने संसद की नई इमारत का भी विरोध किया। हमने कर्तव्यपथ का विकास किया तो उसका भी विरोध किया गया। इन लोगों ने 70 साल तक देश वीर शहीदों के लिए वॉर मेमोरियल तक नहीं बनाया। जब हमने नेशनल वॉर मेमोरियल बनाया, उसका निर्माण किया, तो इसकी भी सरेआम आलोचना करते उनको शर्म नहीं आई। सरदार वल्ल्भ भाई पटेल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आज दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। हर हिन्दुस्तानी को गर्व होता है। और कुछ राजनीतिक दल चुनाव के समय तो सरदार साहब को याद कर लेते हैं। लेकिन, आज तक इनका एक भी बड़ा नेता स्टेचू ऑफ यूनिटी में जाकर के सरदार साहब की इस भव्य प्रतिमा के ना दर्शन किए ना उन्हें नमन किया है।

लेकिन साथियों,

हमने देश के विकास को इस सकारात्मक राजनीति से आगे बढ़ाने का फैसला किया है, और इसलिए नकारात्मक राजनीति से ऊपर उठकर सकारात्मक राजनीति के मार्ग पर एक मिशन के रूप में हम चल रहे हैं। किस राज्य में किसकी सरकार है, कहाँ किसका वोट बैंक है, इस सबसे ऊपर उठकर हम पूरे देश में विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास ये धरती पर चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटे हैं।

साथियों,

पिछले वर्षों में रेलवे युवाओं को जॉब देने का भी बहुत बड़ा जरिया बनी है। करीब डेढ़ लाख से ज्यादा युवाओं को अकेले रेलवे में पक्की नौकरी मिली है। इसी तरह, इनफ्रास्ट्रक्चर पर लाखों करोड़ के निवेश से लाखों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। इस समय केंद्र सरकार 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का अभियान भी चला रही है। रोजगार मेलों में लगातार युवाओं को नियुक्ति पत्र मिल रहे हैं। ये बदलते भारत की वो तस्वीर है, जिसमें विकास युवाओं को नए अवसर दे रहा है, और युवा विकास को नए पंख लगा रहे हैं।

साथियों,

आज इस कार्यक्रम में बहुत सारे स्वसंत्रता सेनानी भी हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हैं। कई पद्म सम्मान प्राप्त महानुभाव भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे हैं। हर भारतीय के लिए अगस्त महीना बहुत विशेष महीना होता है। ये महीना क्रांति का महीना है, कृतज्ञता का महीना है, कर्तव्य भावना का माह है। अगस्त में कितने ही ऐतिहासिक दिवस आते हैं, जिन्होंने भारत के इतिहास को नई दिशा दी और आज भी हमें प्रेरित करते हैं। कल 7 अगस्त को पूरा देश स्वदेशी आंदोलन को समर्पित, नेशनल हैंडलूम डे मनाएगा। 7 अगस्त की ये तारीख, हर भारतीय के लिए वोकल फॉर लोकल होने के संकल्प को दोहराने का दिन है। कुछ ही दिनों बाद गणेश चतुर्थी का पवित्र पर्व भी आने वाला है। हमें अभी से इको-फ्रेंडली गणेश चतुर्थी की तरफ जाना है। हम कोशिश करें कि गणपति बप्पा की प्रतिमाएं, इको-फ्रेंडली मैटेरियल की बनी हों। ये पर्व हमारे स्थानीय कारीगरों, हमारे हस्तशिल्पियों और हमारे छोटे उद्यमियों के बनाए उत्पादो को खरीदने की प्रेरणा देता है।

साथियों

7 तारीख के एक दिन बाद 9 अगस्त आ रही है। 9 अगस्त, वो तारीख है जब ऐतिहासिक Quit India movement की शुरुआत हुई थी। महात्मा गांधी ने मंत्र दिया था और Quit India movement ने स्वतंत्रता की तरफ भारत के कदमों में नई ऊर्जा पैदा कर दी थी। इसी से प्रेरित होकर आज पूरा देश हर बुराई के लिए कह रहा है- क्विट इंडिया। चारों तरफ एक ही गूंज है। करप्शन- क्विट इंडिया यानि भ्रष्टाचार इंडिया छोड़ो। Dynasty quit India यानि परिवारवाद इंडिया छोड़ो। अपीजमेंट quit India यानि तुष्टिकरण इंडिया छोड़ो!

साथियों,

उसके बाद 15 अगस्त की पूर्व संध्या 14 अगस्त, 14 अगस्त का विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस, जब मां भारती की दो टुकड़े हो गए थे, एक ऐसा दिन है, जो हर भारतीय की आंखों को नम कर देता है। ये उन अनगिनत लोगों को याद करने का दिन है जिन्होंने भारत के बंटवारे की बड़ी कीमत चुकाई। ये उन परिवारों के प्रति एकजुटता को दिखाने का जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया और फिर भी साहस के साथ मां भारती के लिए अपनी श्रद्धा को लेते हुए जीवन को पटरी पर लेने के लिए जुझते रहे। आज ये अपने परिवार, अपने देश के हित में, देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। औऱ साथियों, 14 अगस्त विभाजन विभिषिका दिवस, मां भारती के टुकड़ों का वो दिन हमें भविष्य में मां भारती को एक रखने की जिम्मेवारी भी देता है। अब इस देश को किसी भी तरह से कोई नुकसान न हो पाए, ये संकल्प करने का समय भी ये विभाजन विभिषिका दिवस 14 अगस्त है।

साथियों,

देश का हर बच्चा, बुजुर्ग, सब कोई 15 अगस्त का इंतजार करता है। और हमारा 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस हमारे तिरंगे और हमारे राष्ट्र की प्रगति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का समय है। पिछले साल की तरह ही इस बार भी हमें हर घर तिरंगा फहराना है। हर घर तिरंगा, हर दिल तिरंगा, हर मन तिरंगा, हर मकसद तिरंगा, हर सपना तिरंगा, हर संकल्प तिरंगा। मैं देख रहा हूं कि अनेक साथी आजकल सोशल मीडिया पर अपनी तिरंगे वाली डीपी अपडेट कर रहे हैं। हर घर तिरंगा के उद्घोष के साथ फ्लैग मार्च भी निकाल रहे हैं। मैं आज सभी देशवासियों से, विशेष रूप से युवाओं को हर घर तिरंगे, इस आंदोलन से जुड़ने का और इसका प्रचार-प्रसार करने का भी आग्रह करता हूं।

साथियों,

लंबे समय तक, हमारे देश के लोग यही सोचते थे कि वो जो टैक्स चुका रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं है। उन्हें लगता था कि उनकी मेहनत से कमाए हुए पैसे को भ्रष्टाचार में उड़ा दिया जाएगा। लेकिन हमारी सरकार ने इस धारणा को बदल दिया। आज लोगों को महसूस होता है कि उनके पैसे का पाई-पाई का उपयोग राष्ट्र के निर्माण में हो रहा है। सुविधाएं बढ़ रही हैं, Ease of Living बढ़ रही है। जो मुसीबतें आपको झेलनी पड़ीं वो आपके बच्चों को झेलनी न पड़े उसके लिए दिन रात काम हो रहा है। इसका परिणाम ये है कि टैक्स भरने वाले लोगों की विकास के प्रति एक विश्वास बढ़ा है और उसके कारण टैक्स देने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। एक समय था जब देश में 2 लाख रुपए की इनकम पर टैक्स लग जाता था। आज ये मोदी की गारंटी देखिए, आज 7 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसके बावजूद, देश में जमा होने वाली इनकम टैक्स की राशि भी लगातार बढ़ रही है। जो विकास के काम आ रही है। इसका स्पष्ट संदेश है कि देश में मध्यम वर्ग का दायरा लगातार बढ़ रहा है। अभी पांच दिन पहले ही इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख गुजरी है। इस साल हमने देखा है कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या 16 परसेंट बढ़ी है। ये दिखाता है कि लोगों का देश की सरकार पर, देश में हो रहे नवनिर्माण पर और विकास की कितनी जरूरत है इस बात पर भरोसा कितना बढ़ रहा है। लोग आज देख रहे हैं कि देश में किस तरह रेलवे का कायाकल्प हो रहा है, मेट्रो का विस्तार हो रहा है। लोग आज देख रहे हैं कि देश में किस तरह एक के बाद एक नए एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं। लोग आज देख रहे हैं कि देश में किस तरह तेजी से नए-नए एयरपोर्ट्स बनाए जा रहे हैं, नए-नए अस्पताल बनाए जा रहे हैं, नए-नए स्कूल बनाए जा रहे हैं। जब लोग इस तरह का बदलाव देखते हैं तो ये एहसास और मजबूत होता है कि उनके पैसे से नए भारत का निर्माण हो रहा है। आपके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी इन सब कामों में गारंटी है। हमें इस विश्वास को दिनों-दिन और मजबूत करना है।

और भाइयों-बहनों,

ये 508 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण हुआ है ना ये भी भी उसी दिशा में उठाया गया कदम है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, अमृत भारत स्टेशन्स भारतीय रेल के इस कायाकल्प को एक नई ऊंचाई देंगे और इस क्रांति के महीने में हम सभी हिन्दुस्तानी नए संकल्पों के साथ 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, भारत को विकसित बनाने के लिए एक नागरिक के नाते मेरी जो भी ज़िम्मेदारी है उसको अवश्य पूर्ण करूंगा। इस संकल्प के साथ आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद! बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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