Quoteएक सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी के स्मारक का शिलान्यास किया
Quote1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार होने वाली दो सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ किया
Quote2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दोहरीकरण किए गए कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित किया
Quote"संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी के स्मारक में भव्यता के साथ-साथ दिव्यता भी होगी"
Quote"संत रविदास जी ने समाज को उत्पीड़न से लड़ने की शक्ति प्रदान की"
Quote"आज देश गुलामी की मानसिकता को दरकिनार करते हुए आजादी की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है"
Quote"अमृत काल में हम देश से गरीबी एवं भुखमरी मिटाने का प्रयास कर रहे हैं"
Quote“मैं गरीबों की भूख और स्वाभिमान की पीड़ा जानता हूं। मैं आपके परिवार का सदस्य हूं और आपका दर्द समझने के लिए मुझे किताबों में झांकने की आवश्यकता नहीं है”
Quote"हमारा ध्यान गरीबों के कल्याण और समाज के हर वर्ग के सशक्तिकरण पर है"
Quote"आज दलित हो, वंचित हो, पिछड़ा हो या आदिवासी हो, हमारी सरकार उन्हें उचित सम्मान व नए अवसर दे रही है"

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

कार्यक्रम में उपस्थित मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी श्री वीरेंद्र खटीक जी, ज्य़ोतिरादित्य सिंधिया जी, प्रह्लाद पटेल जी, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रीगण, सभी सांसद, अलग-अलग स्थानों से पधारे सभी पूज्य संतगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सागर की धरती, संतों का सानिध्य, संत रविदास जी का आशीर्वाद, और समाज के हर वर्ग से, हर कोने से इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए हुए आप सब महानुभाव। आज सागर में समरसता का महासागर उमड़ा हुआ है। देश की इसी साझी संस्कृति को और समृद्ध करने के लिए आज यहाँ संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय की नींव पड़ी है। संतों की कृपा से कुछ देर पहले मुझे इस पवित्र स्मारक के भूमि पूजन का पुण्य अवसर मिला है और मैं काशी का सांसद हूं और इसलिए ये मेरे लिए दोहरी खुशी का अवसर है। और पूज्य संत रविदास जी के आशीर्वाद से मैं विश्वास से कहता हूं कि आज मैंने शिलान्यास किया है, एक-डेढ़ साल के बाद मंदिर बन जाएगा, तो लोकार्पण के लिए भी मैं जरूर आऊंगा। और संत रविदास जी मुझे यहां अगली बार आने का मौका देने ही वाले है। मुझे बनारस में संत रविदास जी की जन्मस्थली पर जाने का कई बार सौभाग्य मिला है। और अब आज मैं यहां आप सबके सानिध्य में हूं। मैं आज सागर की इस धरती से संत शिरोमणि पूज्य रविदास जी के चरणों में नमन करता हूँ, उन्हें प्रणाम करता हूँ।

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भाइयों और बहनों,

संत रविदास स्मारक एवं संग्रहालय में भव्यता भी होगी, और दिव्यता भी होगी। ये दिव्यता रविदास जी की उन शिक्षाओं से आएगी जिन्हें आज इस स्मारक की नींव में जोड़ा गया है, गढ़ा गया है। समरसता की भावना से ओतप्रोत 20 हजार से ज्यादा गांवों की, 300 से ज्यादा नदियों की मिट्टी आज इस स्मारक का हिस्सा बनी है। एक मुट्ठी मिट्टी के साथ-साथ एमपी के लाखों परिवारों ने समरसता भोज के लिए एक-एक मुट्ठी अनाज भी भेजा है। इसके लिए जो 5 समरसता यात्राएं चल रही थीं, आज उनका भी सागर की धरती पर समागम हुआ है। और मैं मानता हूँ कि ये समरसता यात्राएं यहाँ खत्म नहीं हुई हैं, बल्कि, यहाँ से सामाजिक समरसता के एक नए युग की शुरूआत हुई है। मैं इस कार्य के लिए मध्य प्रदेश सरकार का अभिनंदन करता हूँ, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी का अभिनंदन करता हूं और आप सभी को बधाई देता हूं।

साथियों,

प्रेरणा और प्रगति, जब एक साथ जुड़ते हैं तो एक नए युग की नींव पड़ती है। आज हमारा देश, हमारा एमपी इसी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में, आज यहाँ कोटा-बीना सेक्शन पर रेलमार्ग के दोहरीकरण का भी लोकार्पण हुआ है। नेशनल हाइवे पर दो महत्वपूर्ण मार्गों का शिलान्यास भी किया गया है। विकास के ये काम सागर और आस-पास के लोगों को बेहतर सुविधा देंगे। इसके लिए मैं यहाँ के सभी भाई-बहनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।

साथियों,

संत रविदास स्मारक और संग्रहालय की ये नींव एक ऐसे समय में पड़ी है, जब देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। अब अगले 25 वर्षों का अमृतकाल हमारे सामने है। अमृतकाल में हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को भी आगे बढ़ाएँ, और अतीत से सबक भी लें। एक राष्ट्र के रूप में हमने हजारों वर्षों की यात्रा की है। इतने लंबे कालखंड में समाज में कुछ बुराइयाँ आना भी स्वभाविक है। ये भारतीय समाज की ही शक्ति है कि इन बुराइयों को दूर करने वाला समय-समय पर कोई महापुरूष, कोई संत, कोई औलिया इसी समाज से निकलता रहा है। रविदास जी ऐसे ही महान संत थे। उन्होंने उस कालखंड में जन्म लिया था, जब देश पर मुगलों का शासन था। समाज, अस्थिरता, उत्पीड़न और अत्याचार से जूझ रहा था। उस समय भी रविदास जी समाज को जागृत कर रहे थे, समाज को जगा रहे थे, वो उसे उसकी बुराइयों से लड़ना सीखा रहे थे। संत रविदास जी ने कहा था-

जात पांत के फेर महि, उरझि रहई सब लोग।

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मानुष्ता कुं खात हई, रैदास जात कर रोग॥

अर्थात्, सब लोग जात-पात के फेर में उलझे हैं, और ये बीमारी मानवता को खा रही है। वो एक तरफ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बोल रहे थे, तो दूसरी तरफ देश की आत्मा को झकझोर रहे थे। जब हमारी आस्थाओं पर हमले हो रहे थे, हमारी पहचान मिटाने के लिए हम पर पाबन्दियाँ लगाई जा रहीं थीं, तब रविदास जी ने कहा था, उस समय मुगलों के कालखंड में, ये हिम्मत देखिए, ये राष्ट्रभक्ति देखिए, रविदास जी ने कहा था-

पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत|

रैदास पराधीन सौ, कौन करेहे प्रीत ||

यानी, पराधीनता सबसे बड़ा पाप है। जो पराधीनता को स्वीकार कर लेता है, उसके खिलाफ जो लड़ता नहीं है, उससे कोई प्रेम नहीं करता। एक तरह से उन्होंने समाज को अत्याचार के खिलाफ लड़ने का हौसला दिया था। इसी भावना को लेकर छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी थी। यही भावना आज़ादी की लड़ाई में लाखों लाख स्वाधीनता सेनानियों के दिलों में थी। और, इसी भावना को लेकर आज देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के संकल्प पर आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

रैदास जी ने अपने एक दोहे में कहा है और अभी शिवराज जी ने उसका उल्लेख भी किया -

ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिलै सबन को अन्न।

छोट-बड़ों सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न॥

यानी, समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें कोई भी भूखा न रहे, छोटा-बड़ा, इससे ऊपर उठकर सब लोग मिलकर साथ रहें। आज आजादी के अमृतकाल में हम देश को गरीबी और भूख से मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आपने देखा है, कोरोना की इतनी बड़ी महामारी आई। पूरी दुनिया की व्यवस्थाएं चरमरा गई, ठप्प पड़ गई। भारत के गरीब तबके के लिए, दलित-आदिवासी के लिए हर कोई आशंका जता रहा था। कहा जा रहा था कि सौ साल बाद इतनी बड़ी आपदा आई है, समाज का ये तबका कैसे रह पाएगा। लेकिन, तब मैंने ये तय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं मेरे गरीब भाई-बहन को खाली पेट सोने नहीं दूँगा। दोस्तों मैं भली-भांति जानता हूं कि भूखे रहने की तकलीफ क्या होती है। मैं जानता हूं कि गरीब का स्वाभिमान क्या होता है। मैं तो आपके ही परिवार का सदस्य हूं, आपका सुख-दुख समझना मुझे किताबें नहीं ढूंढनी पड़ती। इसलिए ही हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की। 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया। और आज देखिए, हमारे इन प्रयासों की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है।

साथियों,

आज देश गरीब कल्याण की जितनी भी बड़ी योजनाएँ चला रहा है, उसका सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़े आदिवासी समाज को ही हो रहा है। आप सब अच्छे से जानते हैं, पहले की सरकारों के समय जो योजनाएँ आती थीं वो चुनावी मौसम के हिसाब से आती थीं। लेकिन, हमारी सोच है कि जीवन के हर पड़ाव पर देश दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी, महिलाएं इन सबके साथ खड़ा हो, हम उनकी आशाओं-आकांक्षाओं को सहारा दें। आप देखिए जरा योजनाओं पर नजर करेंगे तो पता चलेगा बच्चे के जन्म का समय होता है तो मातृवंदना योजना के जरिए गर्भवती माता को 6 हजार रुपए दिए जाते हैं ताकि माँ-बच्चा स्वस्थ रहें। आप भी जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चों को बीमारियों का, संक्रामक रोगों का खतरा होता है। गरीबी के कारण दलित-आदिवासी बस्तियों में इनकी सबसे ज्यादा मार होती थी। आज नवजात बच्चों की पूरी सुरक्षा के लिए मिशन इंद्रधनुष चलाया जा रहा है। बच्चों को सभी बीमारियों से बचने के लिए टीका लगें, ये चिंता सरकार करती है। मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में साढ़े 5 करोड़ से अधिक माताओं और बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका हैं।

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साथियों,

आज हम देश के 7 करोड़ भाई-बहनों को सिकल सेल अनीमिया से मुक्ति के लिए अभियान चला रहे हैं। देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए काम हो रहा है, काला जार और दिमागी बुखार का प्रकोप धीरे-धीरे कम हो रहा है। इन बीमारियों से सबसे ज्यादा दलित, वंचित, गरीब परिवार वो ही इसके शिकार होते थे। इसी तरह, अगर इलाज की जरूरत होती है तो आयुष्मान योजना के जरिए अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई है। लोग कहते है मोदी कार्ड मिल गया है, 5 लाख रूपये तक अगर कोई बीमारी को लेकर के बिल चुकाना है तो ये आपका बेटा कर देता है।

साथियों,

जीवन चक्र में पढ़ाई का बहुत महत्व है। आज देश में आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छे स्कूलों की व्यवस्था हो रही है। आदिवासी क्षेत्रों में 700 एकलव्य आवासीय स्कूल खोले जा रहे हैं। उन्हें सरकार पढ़ाई के लिए किताबें देती है, स्कॉलरशिप देती है। मिड डे मील की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा रहा है ताकि बच्चों को अच्छा पोषण वाला खाना मिले। बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई है, ताकि बेटियाँ भी बराबरी से आगे बढ़े। स्कूल के बाद हायर एजुकेशन में जाने के लिए SC, ST, OBC युवा-युवतियों के लिए अलग से स्कॉलरशिप की व्यवस्था की गई है। हमारे युवा आत्मनिर्भर बनें, अपने सपनों को पूरा कर सकें, इसके लिए मुद्रा लोन जैसी योजनाएँ भी शुरू की गई हैं। मुद्रा योजना के अब तक जितने लाभार्थी हैं, उनमें बड़ी संख्या में SC-ST समाज के ही मेरे भाई-बहन हैं। और सारा पैसा बिना गांरटी दिया जाता है।

साथियों,

SC-ST समाज को ध्यान में रखकर हमने स्टैंडअप इंडिया योजना भी शुरू की थी। स्टैंडअप इंडिया के तहत SC-ST समाज के युवाओं को 8 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मिली है, 8 हजार करोड़ रूपए, ये हमारे SC-ST समाज के नव-जवानों के पास गए हैं। हमारे बहुत से आदिवासी भाई-बहन वन सम्पदा के जरिए अपना जीवन यापन करते हैं। उनके लिए देश वनधन योजना चला रहा है। आज करीब 90 वन उत्पाद को MSP का लाभ भी मिल रहा है। इतना ही नहीं, कोई भी दलित, वंचित, पिछड़ा बिना घर के न रहे, हर गरीब के सर पर छत हो, इसके लिए प्रधानमंत्री आवास भी दिये जा रहे हैं। घर में सभी जरूरी सुविधाएं हों, इसके लिए बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया है। इसका परिणाम है कि SC-ST समाज के लोग आज अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। उन्हें बराबरी के साथ समाज में सही स्थान मिल रहा है।

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साथियों,

सागर एक ऐसा जिला है, जिसके नाम में तो सागर है ही, इसकी एक पहचान 400 एकड़ की लाखा बंजारा झील से भी होती है। इस धरती से लाखा बंजारा जैसे वीर का नाम जुड़ा है। लाखा बंजारा ने इतने वर्ष पहले पानी की अहमियत को समझा था। लेकिन, जिन लोगों ने दशकों तक देश में सरकारें चलाईं, उन्होंने गरीबों को पीने का पानी पहुंचाने की जरूरत भी नहीं समझी। ये काम भी जलजीवन मिशन के जरिए हमारी सरकार जोरों पर कर रही है। आज दलित बस्तियों में, पिछड़े इलाकों में, आदिवासी क्षेत्रों में पाइप से पानी पहुँच रहा है। ऐसे ही, लाखा बंजारा की परंपरा को आगे बढ़ाते हुये हर जिले में 75 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं। ये सरोवर आज़ादी की भावना का प्रतीक बनेंगे, सामाजिक समरसता का केंद्र बनेंगे।

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साथियों,

आज देश का दलित हो, वंचित हो, पिछड़ा हो, आदिवासी हो, हमारी सरकार इन्हें उचित सम्मान दे रही है, नए अवसर दे रही है। न इस समाज के लोग कमजोर हैं, न इनका इतिहास कमजोर है। एक से एक महान विभूतियाँ समाज के इन वर्गों से निकलकर आई हैं। उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में असाधारण भूमिका निभाई है। इसीलिए, आज देश इनकी विरासत को भी गर्व के साथ सहेज रहा है। बनारस में संत रविदास जी की जन्मस्थली पर मंदिर का सौंदर्यीकरण किया गया। मुझे खुद उस कार्यक्रम में जाने का सौभाग्य मिला। यहाँ भोपाल के गोविंदपुरा में जो ग्लोबल स्किल पार्क बन रहा है, उसका नाम भी संत रविदास के नाम पर रखा गया है। बाबा साहब के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थानों को भी पंच-तीर्थ के रूप में विकसित करने का जिम्मा हमने उठाया है। इसी तरह, आज देश के कई राज्यों में जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास को अमर करने के लिए म्यूज़ियम्स बन रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को देश ने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की है। मध्य प्रदेश में भी हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड समाज की रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है। पातालपानी स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर किया गया है। आज पहली बार देश में दलित, पिछड़ा और आदिवासी परंपरा को वो सम्मान मिल रहा है, जिसके ये समाज के लोग हकदार थे। हमें ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’, के इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ना है। मुझे भरोसा है, देश की इस यात्रा में संत रविदास जी की शिक्षाएं हम सब देशवासियों को एकजुट करती रहेंगी। हम साथ मिलकर, बिना रुके भारत को विकसित राष्ट्र बनाएँगे। इसी भावना के साथ, आप सभी को बहुत- बहुत धन्यवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।