प्रधानमंत्री ने ‘सशक्त उत्तराखंड’ पुस्तक और ब्रांड-हाउस ऑफ हिमालयाज को लॉन्च किया
"उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां हम दिव्यता और विकास दोनों का एक साथ अनुभव करते हैं"
"भारत का एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण आकांक्षाओं, आशा, आत्मविश्वास, नवाचार और अवसरों की प्रचुरता को प्रतिबिंबित करेगा"
"आकांक्षी भारत अस्थिर की बजाय स्थिर सरकार चाहता है"
"उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार एक दूसरे के प्रयासों को बढ़ावा दे रही हैं"
"मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'वेड इन इंडिया' अभियान शुरू करें"
"उत्तराखंड में मध्यमवर्गीय समाज की शक्ति एक बड़ा बाजार तैयार कर रही है"
"हाउस ऑफ हिमालयाज, वोकल फॉर लोकल और लोकल फॉर ग्लोबल की हमारी अवधारणा को और मजबूत करता है"
"मैं दो करोड़ लखपति दीदी बनाने का संकल्प लेता हूं"
“यही समय है, सही समय है, यह भारत का समय है”

उत्तराखंड के गवर्नर श्रीमान गुरमीत सिंह जी, यहां के लोकप्रिय और युवा मुख्यमंत्री श्रीमान पुष्कर सिंह धामी, सरकार के मंत्रीगण, विभिन्न देशों के प्रतिनिधिगण, उद्योग जगत के महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

देवभूमि उत्तराखंड में आकर मन धन्य हो जाता है। कुछ वर्ष पहले जब मैं बाबा केदार के दर्शन के लिए निकला था, तो अचानक मेरे मुंह से निकला था कि 21वीं सदी का ये तीसरा दशक, उत्तराखंड का दशक है। और मुझे खुशी है कि अपने उस कथन को मैं लगातार चरितार्थ होते हुए देख रहा हूं। आप सभी को भी इस गौरव से जुड़ने के लिए, उत्तराखंड की विकास यात्रा से जुड़ने का एक बहुत बड़ा अवसर मिल रहा है। बीते दिनों, उत्तरकाशी में टनल से हमारे श्रमिक भाइयों को सुरक्षित निकालने का जो सफल अभियान चला, उसके लिए मैं राज्य सरकार समेत सभी का विशेष तौर पर अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

उत्तराखंड वो राज्य है, जहां आपको Divinity और Development, दोनों का अनुभव एक साथ होता है, और मैंने तो उत्तराखंड की भावनाओं और संभावनाओं को निकट से देखा है, मैंने उसे जिया है, अनुभव किया है। एक कविता मुझे याद आती है, जो मैंने उत्तराखंड के लिए कही थी-

जहाँ अंजुली में गंगा जल हो,

जहाँ हर एक मन बस निश्छल हो,

जहाँ गाँव-गाँव में देशभक्त हो,

जहाँ नारी में सच्चा बल हो,

उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए मैं चलता जाता हूं!

इस देव भूमि के ध्यान से ही, मैं सदा धन्य हो जाता हूँ।

है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूँ"।

साथियों,

सामर्थ्य से भरी ये देवभूमि निश्चित रूप से आपके लिए निवेश के बहुत सारे द्वार खोलने जा रही है। आज भारत, विकास भी और विरासत भी के जिस मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, उत्तराखंड उसका प्रखर उदाहरण है।

साथियों,

आप सभी बिजनेस की दुनिया के दिग्गज हैं। और जो बिजनेस की दुनिया के लोग रहते हैं, वो जरा अपने काम का SWOT Analysis करते हैं। आपकी कंपनी की ताकत क्या है, कमज़ोरी क्या है, अवसर क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं, और आप उसका आकलन करके अपनी आगे की रणनीति बनाते हैं। एक राष्ट्र के रूप में आज हम भारत को लेकर ऐसी ही स्वॉट एनालिसिस करें, तो क्या पाते हैं? हमें चारों तरफ aspirations, hope, self-confidence, innovation और opportunity ही दिखेगी। आपको आज देश में policy driven governance दिखेगी। आपको आज Political stability के लिए देशवासियों का मज़बूत आग्रह दिखेगा। आकांक्षी भारत, आज अस्थिरता नहीं चाहता, वो स्थिर सरकार चाहता है। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भी हमने ये देखा है। और उत्तराखंड के लोगों ने पहले ही करके दिखाया है। जनता ने स्थिर और मजबूत सरकारों के लिए जनादेश दिया है। जनता ने गुड गवर्नेंस के लिए वोट दिया, गवर्नेंस के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर वोट दिया है। आज भारत और भारतीयों को दुनिया जिस उम्मीद और सम्मान से देख रही है, और अभी सभी उद्योग जगत के लोगों ने इस बात का जिक्र भी किया। हर भारतीय एक दायित्व के रूप में इसे ले रहा है। हर देशवासी को लगता है कि विकसित भारत का निर्माण उसकी अपनी जिम्मेदारी है, हर देशवासी की जिम्मेदारी है। इसी आत्मविश्वास का परिणाम है कि कोरोना महासंकट और युद्धों के संकट के बावजूद, भारत इतनी तेज़ी से विकसित हो रहा है। आपने देखा है कि कोरोना वैक्सीन हो या फिर इकोनॉमिक पॉलिसीज़, भारत ने अपनी नीतियों, अपने सामर्थ्य पर भरोसा किया। उसी कारण आज भारत बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अलग ही लीग में दिखता है। राष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस मजबूती का फायदा, उत्तराखंड समेत देश के हर राज्य को हो रहा है।

साथियों,

इन परिस्थितियों में उत्तराखंड इसलिए भी विशेष हो और स्वाभाविक हो जाता है, क्योंकि यहां डबल इंजन सरकार है। उत्तराखंड में डबल इंजन सरकार के डबल प्रयास चारों तरफ दिख रहे हैं। राज्य सरकार अपनी तरफ से जमीनी सच्चाई को समझते हुए यहां तेजी से काम कर रही है। इसके अलावा भारत सरकार की योजनाओं को, हमारे विजन को भी यहां की सरकार उतनी ही तेजी से ज़मीन पर उतारती है। आप देखिए, आज भारत सरकार 21वीं सदी के आधुनिक कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर उत्तराखंड में अभूतपूर्व इन्वेस्टमेंट कर रही है। केंद्र सरकार के इन प्रयासों के बीच राज्य सरकार भी छोटे शहरों और गांव-कस्बों को जोड़ने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। आज उत्तराखंड में गांव की सड़कें हों या फिर चारधाम महामार्ग इन पर अभूतपूर्व गति से काम चल रहा है। वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से दिल्ली और देहरादून की दूरी ढाई घंटे होने वाली है। देहरादून और पंतनगर के एयरपोर्ट के विस्तार से एयर कनेक्टिविटी सशक्त होगी। यहां की सरकार हैली-टैक्सी सेवाओं के राज्य के भीतर विस्तार दे रही है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, इस रेल लाइन से यहां की रेल कनेक्टिविटी सशक्त होने वाली है। आधुनिक कनेक्टिविटी जीवन तो आसान बना ही रही है, ये बिजनेस को भी आसान बना रही है। इससे खेती हो या फिर टूरिज्म, हर सेक्टर के लिए नई संभावनाएं खुल रही हैं। लॉजिस्टिक्स हो, स्टोरेज हो, टूर-ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी हो, इसके लिए यहां नए रास्ते बन रहे हैं। और ये हर नया रास्ता, हर इन्वेस्टर के लिए एक गोल्डन opportunity लेकर आया है।

साथियों,

पहले की सरकारों की अप्रोच थी कि जो इलाके सीमा पर हैं, उन्हें ऐसा रखा जाए कि एक्सेस कम से कम हो। डबल इंजन सरकार ने इस सोच को भी बदला है। हम सीमावर्ती गांवों को लास्ट विलेज नहीं, बल्कि देश के फर्स्ट विलेज के रूप में विकसित करने में जुटे हैं। हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम चलाया, अब एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम चला रहे हैं। ऐसे गांव, ऐसे क्षेत्र जो विकास के हर पहलू में पीछे थे, उन्हें आगे लाया जा रहा है। यानि हर इन्वेस्टर के लिए उत्तराखंड में बहुत सारा ऐसा Untapped Potential है, जिसका आप ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।

साथियों,

डबल इंजन सरकार की प्राथमिकताओं का उत्तराखंड को कैसे डबल फायदा मिल रहा है, इसका एक उदाहरण टूरिज्म सेक्टर भी है। आज भारत को देखने के लिए भारतीयों और विदेशियों, दोनों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। हम पूरे देश में थीम बेस्ड टूरिज्म सर्किट तैयार कर रहे हैं। कोशिश ये है कि भारत के नेचर और हैरिटेज, दोनों से ही दुनिया को परिचित कराया जाए। इस अभियान में उत्तराखंड, टूरिज्म का एक सशक्त ब्रांड बनकर उभरने वाला है। यहां नेचर, कल्चर, हैरिटेज सब कुछ है। यहां योग, आयुर्वेद, तीर्थ, एडवेंचर स्पोर्ट्स, हर प्रकार की संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं को एक्सप्लोर करना और उन्हें अवसरों में बदलना, ये आप जैसे साथियों की प्राथमिकता ज़रूर होनी चाहिए। और मैं तो एक और बात कहूंगा शायद यहां जो लोग आए हैं उनको अच्छा लगे, बुरा लगे लेकिन यहां कुछ लोग ऐसे हैं कि जिनके माध्यम से उन तक तो मुझे बात पहुंचानी है, लेकिन उनके माध्यम से उन तक भी पहुंचानी है जो यहां नहीं हैं। खासकर के देश के धन्ना सेठों को मैं कहना चाहता हूं, अमीर लोगों को कहना चाहता हूं। मिलेनियर्स-बिलेनियर्स से कहना चाहता हूं। हमारे यहां माना जाता है, कहा जाता है, जो शादी होती है ना वो जोड़े ईश्वर बनाता है। ईश्वर तय करता है ये जोड़ा। मैं समझ नही पा रहा हूं जोड़े जब ईश्वर बना रहा है तो जोड़ा अपने जीवन की यात्रा उस ईश्वर के चरणों में आने की बजाय विदेश में जाकर के क्यों करता है। और मैं तो चाहता हूं मेरे देश के नौजवानों को मेक इन इंडिया जैसा है ना, वैसे ही एक मूवमेंट चलना चाहिए, वेडिंग इन इंडिया। शादी हिन्दुस्तान में करो। ये दुनिया के देशों में शादी करने का ये हमारे सारे धन्ना सेठ का आजकल का फैशन हो गया है। यहां कई लोग बैठे होंगे अब नीचा देखते होंगे। और मैं तो चाहूंगा, आप कुछ इनवेस्टमेंट कर पाओ न कर पाओ छोड़ो, हो सकता है सब लोग न करें। कम से कम आने वाले 5 साल में आपके परिवार की एक डेस्टिनेशन शादी उत्तराखंड में करिये। अगर एक साल में पांच हजार भी शादियां यहां होने लग जाए ना, नया इंफ्रास्ट्रकचर खड़ा हो जाएगा, दुनिया के लिए ये बहुत बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन बन जाएगा। भारत के पास इतनी ताकत है मिलकर के तय करें कि ये करना है, ये हो जाएगा जी। इतना सामर्थ्य है।

साथियों,

बदलते हुए समय में, आज भारत में भी परिवर्तन की एक तेज हवा चल रही है। बीते 10 वर्षों में एक आकांक्षी भारत का निर्माण हुआ है। देश की एक बहुत बड़ी आबादी थी, जो अभाव में थी, वंचित थी, वो असुविधाओं से जुड़ी थी, अब वो उन सारी मुसीबतों से निकलकर के सुविधाओं के साथ जुड़ रही है, नए अवसरों से जुड़ रही है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की वजह से पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ से ज्यादा लोग, गरीबी से बाहर आए हैं। इन करोड़ों लोगों ने अर्थव्यवस्था को एक नई गति दी है। आज भारत के भीतर Consumption based economy तेजी से आगे बढ़ रही है। एक तरफ आज निओ-मिडिल क्लास है, जो गरीबी से बाहर निकल चुका है, जो नया-नया गरीबी से बाहर निकला है वो अपनी ज़रूरतों पर ज्यादा खर्च करने लगा है। दूसरी तरफ मिडिल क्लास है, जो अब अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति पर, अपनी पसंद की चीजों पर भी ज्यादा खर्च कर रहा है। इसलिए हमें भारत के मिडिल क्लास के पोटेंशियल को समझना होगा। उत्तराखंड में समाज की ये शक्ति भी आपके लिए बहुत बड़ा मार्केट तैयार कर रही है।

साथियों,

मैं आज उत्तराखंड सरकार को हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड लॉन्च करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये उत्तराखंड के लोकल उत्पादों को विदेशी बाजारों में स्थापित करने के लिए बहुत अभिनव प्रयास है। ये हमारी Vocal for Local और Local for Global की अवधारणा को और मजबूत करता है। इससे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों में पहचान मिलेगी, नया स्थान मिलेगा। भारत के तो हर जिले, हर ब्लॉक में ऐसे प्रोडक्ट हैं, जो लोकल हैं, लेकिन उनमें ग्लोबल बनने की संभावनाएं हैं। मैं अक्सर देखता हूं कि विदेशों में कई बार मिटटी के बर्तन को भी बहुत स्पेशल बनाकर प्रस्तुत किया जाता है। ये मिट्टी के बर्तन वहां बहुत महंगे दामों में मिलते हैं। भारत में तो हमारे विश्वकर्मा साथी, ऐसे अनेक बेहतरीन प्रोडक्ट्स पारंपरिक रूप से बनाते हैं। हमें स्थानीय उत्पादों के इस तरह के महत्व को भी समझना होगा और इनके लिए ग्लोबल मार्केट को एक्सप्लोर करना होगा। और इसलिए ये जो हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड आप लेकर आए हैं, वह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से आनंद का एक विषय है। यहां बहुत कम लोग होंगे, जिनको शायद मेरे एक संकल्प के विषय में पता होगा। क्योंकि ये संकल्प कुछ ऐसे मेरे होते हैं, उसमें सीधा बेनिफिट शायद आपको न दिखता हो, लेकिन उसमें ताकत बहुत बड़ी है। मेरा एक संकल्प है, आने वाले कुछ समय में मैं इस देश में दो करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के लिए मैंने लखपति दीदी अभियान चलाया है। दो करोड़ लखपति दीदी बनाना हो सकता है कठिन काम होगा। लेकिन मैंने मन में संकल्प बना लिया है। ये हाउस ऑफ हिमालय जो ब्रांड है ना उससे मेरा दो करोड़ लखपति दीदी बनाने का काम है ना वो तेजी से बढ़ जाएगा। और इसलिए भी मैं धन्यवाद करता हूं।

साथियों,

आप भी एक बिजनेस के रुप में, यहां के अलग-अलग जिलों में ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान करें। हमारी बहनों के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हों, FPOs हों, उनके साथ मिलकर, नई संभावनाओं को तलाश करें। ये लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए एक अद्भुत पार्टनरशिप हो सकती है।

साथियों,

इस बार लाल किले से मैंने कहा है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए, नेशनल कैरेक्टर-राष्ट्रीय चरित्र को सशक्त करना होगा। हम जो भी करें, वो विश्व में श्रेष्ठ हो। हमारे स्टैंडर्ड को दुनिया फॉलो करे। हमारी मैन्युफेक्चरिंग- ज़ीरो इफेक्ट, ज़ीरो डिफेक्ट के सिद्धांत पर हो। एक्सपोर्ट ओरियंटेड मैन्युफेक्चरिंग कैसे बढ़े, हमें अब इस पर फोकस करना है। केंद्र सरकार ने PLI जैसा एक महत्वकांक्षी अभियान चलाया है। इसमें क्रिटिकल सेक्टर्स के लिए एक इकोसिस्टम बनाने का संकल्प स्पष्ट दिखता है। इसमें आप जैसे साथियों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। ये लोकल सप्लाई चेन को, हमारे MSMEs को मजबूत करने का समय है, उस पर निवेश करने का समय है। हमें भारत में ऐसी सप्लाई चेन विकसित करनी है कि हम दूसरे देशों पर कम से कम निर्भर हों। हमें उस पुरानी मानसिकता से भी बाहर आना है कि फलां जगह कोई चीज कम कीमत में उपलब्ध है तो वहीं से इंपोर्ट कर दो। इसका बहुत बड़ा नुकसान हमने झेला है। आप सभी उद्यमियों को भारत में ही Capacity Building पर भी उतना ही जोर देना चाहिए। जितना फोकस हमें एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर करना है, उतना ही अधिक बल इंपोर्ट को घटाने पर भी देना है। हम 15 लाख करोड़ रुपए का पेट्रोलियम प्रोडक्ट हर साल इंपोर्ट करते हैं। कोयला प्रधान देश होते हुए भी हम 4 लाख करोड़ का कोयला हर साल इंपोर्ट करते हैं। पिछले 10 वर्षों में देश में दलहन और तिलहन इसके इंपोर्ट को कम करने के लिए अनेक प्रयास हुए हैं। लेकिन आज भी देश को 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की दालें बाहर से इंपोर्ट करनी पड़ती हैं। अगर भारत दाल के मामले में आत्मनिर्भर होगा, तो ये पैसा देश के ही किसानों के पास जाएगा।

साथियों,

आज हम न्युट्रिशन के नाम पर और मैं तो देखता हूं, किसी भी मिडिल क्लास फैमिली के यहां भोजन के लिए चले जाइये, उसके डाइनिंग टेबल पर भांति-भांति चीजों के पैकेट पड़े होते हैं, विदेशों से आए हुए और वो पैकेज्ड फूड का इतना फैशन बढ़ते हुए मैं देख रहा हूं। जबकि हमारे देश और उस पर लिख दिया कि प्रोटीन रिच है खाना शुरू। आयरन रिच है, खाना कोई इन्क्वायरी नहीं करता बस लिखा है हो गया और मेड इन फलांना देश है बस मारो ठप्पा। अरे हमारे देश में मिलेट्स से लेकर दूसरे तमाम फूड हैं, जो कहीं अधिक न्यूट्रिशियस हैं। हमारे किसानों की मेहनत पानी में नहीं जानी चाहिए। यहीं उत्तराखंड में ही ऐसे आयुष से जुड़े, ऑर्गेनिक फल-सब्जियों से जुड़े उत्पादों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। ये किसानों और उद्यमियों, दोनों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती हैं। पैकेज्ड फूड के मार्केट में भी हमारी छोटी कंपनियों को, हमारे प्रोडक्ट्स को ग्लोबल मार्केट तक पहुंचाने में मैं समझता हूं कि आप सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

साथियों,

भारत के लिए, भारत की कंपनियों के लिए, भारतीय निवेशकों के लिए मैं समझता हूं ये अभूतपूर्व समय है। अगले कुछ वर्षों में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनने जा रहा है। और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि मेरी तीसरी टर्म में देश दुनिया में पहले तीन में होकर रहेगा। स्थिर सरकार, सपोर्टिव पॉलिसी सिस्टम, रिफॉर्म से ट्रांसफॉर्म की मानसिकता और विकसित होने का आत्मविश्वास, ऐसा संयोग पहली बार बना है। इसलिए, मैं कहता हूं कि यही समय है, सही समय है। ये भारत का समय है। मैं आपका आह्वान करूंगा, उत्तराखंड के साथ चलकर, अपना भी विकास करिए और उत्तराखंड के विकास में भी सहभागी जरूर बनिए। और मैं हमेशा कहता हूं, हमारे यहां सालों से एक कल्पना बनी हुई है। बोला जाता है कि पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी पहाड़ के काम नहीं आता है। जवानी रोजी रोटी के लिए कहीं चली जाती हैं, पानी बहकर के कहीं पहुंच जाता है। लेकिन मोदी ने ठान ली है, अब पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम भी आएगी और पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आएगा। इतनी सारी संभावनाएं देखकर के मैं ये संकल्प ले सकता हूं कि हमारा देश हर कोने में सामर्थ्य के साथ खड़ा हो सकता है, नई ऊर्जा के साथ खड़ा हो सकता है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि आप सभी साथी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएं, नीतियों का फायदा उठाइये। सरकार नीतियां बनाती है, ट्रांसपेरेंट होती है हरेक के लिए खुली होती है। जिसमें दम हो, आ जाए मैदान में, फायदा उठा ले। और मैं आपको गारंटी देता हूं जो बातें हम बताते हैं, उसके लिए हम डटकर के खड़े भी रहते हैं, उसे पूरा भी करते हैं। आप सभी इस महत्वपूर्ण अवसर पर आए हैं, उत्तराखंड का मुझ पर विशेष अधिकार है और जैसे कईयों ने बताया कि मेरे जीवन के एक पहलू को बनाने में इस धरती बहुत बड़ा योगदान है। अगर उसे कुछ लौटाने का अवसर मिलता है, तो उसका आनंद भी कुछ और होता है। और इसलिए मैं आपको निमंत्रित करता हूं, आइये इस पवित्र धरती की चरण माथे पर लेकर के चल पड़िये। आपकी विकास यात्रा में कभी कोई रुकावट नहीं आएगी, ये इस भूमि का आशीर्वाद है। बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

 

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.