Quote“हमने अमृत काल का नाम 'कर्तव्य काल' रखा है। प्रतिज्ञाओं में हमारे आध्यात्मिक मूल्यों के मार्गदर्शन के साथ-साथ भविष्य के संकल्प भी शामिल हैं"
Quote"आज एक ओर देश में आध्यात्मिक केन्द्रों का पुनरोद्धार हो रहा है, वहीं भारत प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में भी अग्रणी है"
Quote"देश में देखा गया परिवर्तन प्रत्येक सामाजिक वर्ग के योगदानों का परिणाम है"
Quote"हमारे संतों ने हजारों वर्षों से 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना का पोषण किया है"
Quote“भारत जैसे देश में धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाएं हमेशा सामाजिक कल्याण के केन्द्र में रही हैं"
Quote"हमें सत्य साईं जिले को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का संकल्प लेना चाहिए''
Quote"सत्य साईं ट्रस्ट जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्थानों की पर्यावरण और टिकाऊ जीवन शैली जैसे क्षेत्रों में भारत के उभरते नेतृत्व के ऐसे सभी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका है"

साईंराम, आंध्र प्रदेश के गवर्नर श्रीमान अब्दुल नज़ीर जी, श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट के मैनिजिंग ट्रस्टी श्री आरजे रत्नाकर जी, श्री के चक्रवर्ती जी, मेरे बहुत पुराने मित्र श्री र्-यूको हीरा जी, डॉ वी मोहन जी, श्री एमएस नागानंद जी, श्री निमिष पाण्ड्या जी, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों, आप सबको फिर से एक बार साईंराम।

मुझे अनेक बार पुट्टापर्थी आने का सौभाग्य मिला है। मेरा बहुत मन था कि मैं इस बार भी आप सबके बीच आता, आपसे मिलता, वहाँ उपस्थित रहकर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनता। लेकिन यहां की व्यस्तता के चलते मैं उपस्थित नहीं हो सका। अभी भाई रत्नाकर जी मुझे निमंत्रण देते समय कहा कि आप एक बार आईये और आशीर्वाद दीजिए। मुझे लगता है कि रत्नाकर जी की बात को करेक्ट करना चाहिए। मैं वहां जरूर आऊंगा लेकिन आशीर्वाद देने के लिए नहीं, आशीर्वाद लेने के लिए आऊंगा। टेक्नोलॉजी के माध्यम से मैं आप सबके बीच ही हूँ। मैं श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट से जुड़े सभी सदस्यों, और सत्य साईं बाबा के सभी को भक्तों को आज के लिए इस आयोजन के लिए बधाई देता हूँ। इस पूरे आयोजन में श्री सत्य साईं की प्रेरणा, उनका आशीर्वाद हमारे साथ है। मुझे खुशी है कि इस पवित्र अवसर पर श्री सत्य साईं बाबा के मिशन का विस्तार हो रहा है। श्री हीरा ग्लोबल convention सेंटर के रूप में देश को एक प्रमुख विचार केंद्र मिल रहा है। मैंने इस convention सेंटर की तस्वीरें देखीं हैं और अभी आपकी इस छोटी सी फिल्म में भी उसकी झलक देखने को मिली। इस सेंटर में आध्यात्मिकता की अनुभूति हो, और आधुनिकता की आभा भी है। इसमें सांस्कृतिक दिव्यता भी है, और वैचारिक भव्यता भी है। ये सेंटर spiritual conference औऱ academic programs के लिए एक केंद्र बनेगा। यहाँ अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े पूरी दुनिया के विद्वान और एक्स्पर्ट्स इकट्ठा होंगे। मैं आशा करता हूँ कि, इस सेंटर से युवाओं को बहुत मदद मिलेगी।

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साथियों,

कोई भी विचार सबसे प्रभावी तब होता है जब वो विचार आगे बढ़े, कर्म के स्वरूप में आगे बढ़े। थोथे वचन प्रभाव पैदा नहीं करते। जितना कि एक सतक्रम पैदा करता है। आज convention सेंटर के लोकार्पण के साथ ही यहाँ श्री सत्य साई ग्लोबल काउंसिल की लीडर्स कॉन्फ्रेंस भी शुरू हो रही है। इस कॉन्फ्रेंस में देश और दुनिया के कई देशों के डेलीगेट्स यहां पर उपस्थित हैं। खासकर, आपने इस आयोजन के लिए जो थीम चुनी है- ''प्रैक्टिस एंड इंस्पॉयर'', ये थीम प्रभावी भी है, और प्रासंगिक भी है। हमारे यहाँ कहा भी जाता है- यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत्-तत् एव इतरः जनः॥ अर्थात्, श्रेष्ठ लोग जैसा जैसा आचरण करते हैं, समाज वैसा ही अनुसरण करता है।

इसलिए, हमारा आचरण ही दूसरों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा होती है। सत्य साईं बाबा का जीवन अपने आपमें इसका जीवंत उदाहरण है। आज भारत भी कर्तव्यों को पहली प्राथमिकता बनाकर आगे बढ़ रहा है। आजादी के 100 वर्ष के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए, हमने हमारे अमृतकाल को कर्तव्यकाल का नाम दिया है। हमारे इन कर्तव्यों में आध्यात्मिक मूल्यों का मार्गदर्शन भी है, और भविष्य के संकल्प भी हैं। इसमें विकास भी है, और विरासत भी है। आज एक ओर देश में आध्यात्मिक केन्द्रों का पुनरोद्धार हो रहा है तो साथ ही भारत इकॉनमी और टेक्नालजी में भी लीड कर रहा है। आज भारत दुनिया की टॉप-5 इकॉनमी में शामिल हो चुका है। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ecosystem है। डिजिटल टेक्नालजी और 5G जैसे क्षेत्रों में हम बड़े-बड़े देशों का मुकाबला कर रहे हैं। दुनिया में आज जितने भी real-time online transactions हो रहे हैं, उसके 40 प्रतिशत अकेले भारत में हो रहे हैं। और मैं तो आज रत्नाकर जी से आग्रह करूंगा और सभी हमारे साईं भक्तों से भी आग्रह करूंगा, क्या ये हमारा नया बना हुआ जिला जो साईं बाबा के नाम से जुड़ा हुआ है ये पूरा पुट्टापर्थी जिला क्या आप इसको 100 पर्सेंट डिजिटल बना सकते हैं। हर ट्रांजेक्शन डिजिटल हो, आप देखिए दुनिया में इस जिले की अलग ही पहचान बन जाएगी और बाबा के आशीर्वाद से रत्नाकर जी जैसे मेरे मित्र अगर इस कर्तव्य को अपना जिम्मा बना दे तो हो सकता है कि बाबा के अगले जन्मदिन तक पूरे जिले को डिजिटल बना सकते हैं। जहां कोई एक कैश रुपये की आवश्यकता नहीं होगी और ये कर सकते हैं।

साथियों,

समाज की हर वर्ग की भागीदारी से परिवर्तन आ रहा है। इसलिए, ग्लोबल काउंसिल जैसे आयोजन भारत के बारे में जानने का, और बाकी विश्व को इससे जोड़ने का एक प्रभावी जरिया है।

साथियों,

संतों को हमारे यहाँ अक्सर बहते जल की तरह बताया जाता है। क्योंकि संत न कभी विचार से रुकते हैं, न कभी व्यवहार से थमते हैं। अनवरत प्रवाह, और अनवरत प्रयास ही संतों का जीवन होता है। एक सामान्य भारतीय के लिए ये मायने नहीं रखता कि इन संतों का जन्मस्थान क्या है। उसके लिए कोई भी सच्चा संत उसका अपना होता है, उसकी आस्था और संस्कृति का प्रतिनिधि होता है। इसीलिए, हमारे संतों ने हजारों वर्षों से 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का पोषण किया है। सत्य साईं बाबा भी आंध्र प्रदेश के पुट्ट्पर्थी में जन्मे! लेकिन उनके मानने वाले, उनके चाहने वाले दुनिया के हर कोने में हैं। आज देश के हर क्षेत्र में सत्य साईं से जुड़े स्थान और आश्रम भी हैं। हर भाषा, हर रीति-रिवाज के लोग प्रशांति निलयम से एक मिशन के तहत जुड़े हैं। यही भारत की वो चेतना है, जो भारत को एक सूत्र में पिरोती है, इसे अमर बनाती है।

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साथियों,

श्री सत्य साईं कहते थे- सेवा अने, रेंडु अक्षराल-लोने, अनन्त-मइन शक्ति इमिडि उन्दी। अर्थात्त सेवा के दो अक्षरों में ही अनन्त शक्ति निहित है। सत्य साईं का जीवन इसी भावना का जीवंत स्वरूप था। ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे सत्य साईं बाबा के जीवन को करीब से देखने का, उनसे सीखने का और अविरत उनकी आशीर्वाद की छांया में जीने का अवसर मिला है। उनका हमेशा मेरे लिए एक विशेष स्नेह होता था, हमेशा उनका आशीर्वाद मुझे मिलता था। जब भी उनसे बात होती थी, वो गहरी से गहरी बात भी बेहद सरलता से कह देते थे। मुझे और उनके भक्तों को श्री सत्य साईं के कितने ही ऐसे मंत्र आज भी याद हैं। ''Love All-Serve All'', ''Help Ever, Hurt Never'', ''Less Talk- More Work'', ''Every experience is a lesson. Every loss is a gain.'' ऐसे कितने ही जीवन सूत्र श्री सत्य साईं हमें देकर गए हैं। इनमें संवेदनशीलता है, जीवन का गंभीर दर्शन भी है। मुझे याद है, गुजरात में भूकंप आया था, तब उन्होंने मुझे विशेषकर फोन किया था। हर तरह से राहत और बचाव के लिए वो खुद लग गए थे। संस्था के हजारों लोग उनके निर्देश पर दिन-रात भुज के प्रभावित इलाके में काम कर रहे थे। कोई भी व्यक्ति हो, वो उसकी चिंता ऐसे करते थे जैसे कोई बहुत अपना हो, बहुत करीबी हो! सत्य साईं के लिए 'मानव सेवा ही माधव सेवा' थी। 'हर नर में नारायण', 'हर जीव में शिव' देखने की यही भावना, जनता को जनार्दन बनाती है।

साथियों,

भारत जैसे देश में धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाएं, हमेशा से समाज उत्थान के केंद्र में रही हैं। आज देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका है, और अगले 25 वर्षों का संकल्प लेकर हमने अमृतकाल में प्रवेश किया है। आज जब हम विरासत और विकास को एक गति दे रहे हैं, तो सत्य साईं ट्रस्ट जैसी संस्थाओं की इसमें बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि आपका spiritual wing बाल विकास जैसे कार्यक्रम के जरिये नई पीढ़ी के भीतर सांस्कृतिक भारत को गढ़ रहा है। सत्य साईं बाबा ने मानव सेवा के लिए अस्पतालों का निर्माण कराया, प्रशांति निलयम में हाइटेक हॉस्पिटल बनकर तैयार हुआ। सत्य साईं ट्रस्ट वर्षों से निःशुल्क शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल और कॉलेज भी चला रहा है। राष्ट्र निर्माण में, समाज के सशक्तिकरण में आपकी संस्था के ये प्रयास, बहुत प्रशंसनीय हैं। देश ने जो initiatives लिए हैं, सत्य साईं से जुड़ी संस्थाएं उस दिशा में भी समर्पित भाव से काम कर रही हैं। देश आज 'जल जीवन मिशन' के तहत हर गाँव को साफ पानी की सप्लाइ से जोड़ रहा है। सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट भी दूर दराज के गांवों में निःशुल्क पानी पहुंचा कर इस मानवीय कार्य में भागीदार बन रहा है।

साथियों,

21वीं सदी की चुनौतियों को देखते हुये पूरे विश्व के सामने क्लाइमेट चेंज भी एक बड़ी समस्या है। भारत ने ग्लोबल प्लैटफ़ार्म पर मिशन LiFE जैसे कई initiatives लिए हैं। विश्व भारत के नेतृत्व में भरोसा कर रहा है। आप सब जानते हैं, इस साल G-20 जैसे महत्वपूर्ण ग्रुप की अध्यक्षता भी भारत के पास में है। ये आयोजन भी इस बार ''One Earth, One Family, One Future” ऐसी भारत की मूलभूत चिंतन की थीम पर आधारित है। विश्व आज भारत के इस विज़न से प्रभावित भी हो रहा है, और दुनिया में भारत के प्रति आकर्षण भी बढ़ रहा है। आपने देखा है, पिछले महीने 21 जून को, इंटरनेशनल योगा डे पर किस तरह यूनाइटेड नेशंस के हेडक्वार्टर पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। दुनिया के सबसे ज्यादा देशों के प्रतिनिधि, एक ही समय पर एक ही जगह योग के लिए जुटे। योग आज पूरे विश्व में लोगों के जीवन का हिस्सा बन रहा है।

आज लोग आयुर्वेद को अपना रहे हैं, भारत की sustainable lifestyle से सीखने की बात कर रहे हैं। हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारा अतीत, हमारी धरोहर, इनके प्रति जिज्ञासा भी लगातार बढ़ती जा रही है, और जिज्ञासा ही नहीं आस्था भी बढ़ रही है। बीते कुछ वर्षों में दुनिया के अलग-अलग देशों से कितनी ही ऐसी मूर्तियाँ भारत आई हैं, जो मूर्तियाँ 100-100 साल पहले 50 साल पहले हमारे देश से चोरी होकर के बाहर चली गई थी। भारत के इन प्रयासों के पीछे, इस लीडरशिप के पीछे हमारी सांस्कृतिक सोच ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इसलिए, ऐसे सभी प्रयासों में सत्य साईं ट्रस्ट जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्थानों की एक बड़ी भूमिका है। आपने अगले 2 वर्षों में 'प्रेम तरु' के नाम से 1 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। मैं चाहूँगा कि वृक्षारोपण हो और मैं तो चाहूंगा जब मेरे मित्र भाई हीरा जी यहां बैठे हैं तो जापान की जो छोटे-छोटे फॉरेस्ट बनाने की टेक्निक है मियावाकी, मैं चाहूंगा कि उसका उपयोग हमारे यहां ट्रस्ट के लोग करें और हम सिर्फ पेड़ नहीं, अलग-अलग जगह पर छोटे-छोटे-छोटे फॉरेस्ट बनाने का एक नमूना देश के सामने पेश करें। तो बहुत बड़ी मात्रा में क्योंक उसमें एक-दूसरे को जिंदा रखने की ताकत होती है। पौधे को जिंदा रखने की ताकत दूसरे पौधे में होती है। मैं समझता हूं कि इसका अध्ययन हीरा जी तो यहां हैं और मैं बड़े हक से हीरा जी को कोई भी काम बता सकता हूं। और इसलिए मैंने आज हीरा जी को भी बता दिया। देखिए प्लास्टिक फ्री इंडिया का संकल्प हो, आप इसके साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ें।

सोलर एनर्जी क्लीन एनर्जी के विकल्पों के लिए भी लोगों को प्रेरित करने की जरूरत है। मुझे बताया गया है और अभी छोटी सी आपकी वीडियो में देखा ही गया सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट, आंध्र के करीब 40 लाख स्टूडेंट्स को श्रीअन्न रागी-जवा से बना भोजन दे रहा है। ये भी एक बहुत सराहनीय पहल है। इस तरह के initiatives से दूसरे राज्यों को भी जोड़ा जाए तो देश को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। श्रीअन्न में स्वास्थ्य भी है, और संभावनाएं भी हैं। हमारे ऐसे सभी प्रयास वैश्विक स्तर पर भारत के सामर्थ्य को बढ़ाएँगे, भारत की पहचान को मजबूती देंगे।

साथियों,

सत्य साईं का आशीर्वाद हम सभी के साथ है। इसी शक्ति से हम विकसित भारत का निर्माण करेंगे, और पूरे विश्व की सेवा के संकल्प को पूरा करेंगे। मैं फिर एक बार रूबरू नहीं आ पाया हूं लेकिन भविष्य में जरूर आऊंगा, आप सबके बीच पुराने दिनों को याद करते हुए बड़े गौरव पल बिताऊंगा। हीरा जी तो बीच-बीच में मिलते रहते हैं लेकिन मैं आज विश्वास देता हूं कि आज भले मैं नहीं आ पाया लेकिन आगे जरूर आऊंगा और इसी विश्वास के साथ, आप सभी को एक बार हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। साईंराम!

  • krishangopal sharma Bjp January 16, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 16, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp January 16, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp January 16, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp January 16, 2025

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  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Amit Choudhary November 20, 2024

    jai hind
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • Jitender Kumar Haryana BJP State President July 04, 2024

    Sir watch my youtube
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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!