असम के गवर्नर श्रीमान गुलाब चंद कटारिया जी, मुख्यमंत्री श्रीमान हेमंता बिसवा सरमा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, देश के आरोग्य मंत्री मनसुख मांडविया जी, डॉक्टर भारती पवार जी, असम सरकार के मंत्री केशब महंता जी, यहां उपस्थित मेडिकल जगत के सभी महानुभाव, अन्य महानुभाव, अलग-अलग स्थानों पर video conference से जुड़े हुए सभी महानुभाव और असम के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
मां कामाख्यार,ए पोबिट्रॉ भूमीर पोरा ऑहोमोर होमूह,भाट्रि भॉग्निलोइ, मोर प्रोनाम, आप सभी को रोंगाली बीहू की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! इस पावन अवसर पर असम के, नॉर्थ ईस्ट के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को, आज एक नई ताकत मिली है। आज नॉर्थ ईस्ट को अपना पहला AIIMS मिला है। और असम को 3 नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं। IIT गुवाहाटी के साथ मिलकर आधुनिक रिसर्च के लिए 500 बेड वाले सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का भी शिलान्यास हुआ है। और असम के लाखों-लाख साथियों तक आयुष्मान कार्ड पहुंचाने का काम मिशन मोड पर शुरु हुआ है। नए एम्स से असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, मिज़ोरम और मणिपुर के साथियों को भी इसका बहुत लाभ मिलने वाला है। आरोग्य के इन सारे प्रोजेक्ट्स के लिए आप सभी को, नॉर्थ ईस्ट के सभी मेरे भाईयों बहनों को बहुत-बहुत बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
भाइयों और बहनों,
पिछले 9 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बहुत चर्चा हुई है। आज जो भी नॉर्थ ईस्ट आता है, तो यहां के रोड, रेल, एयरपोर्ट्स से जुड़े कार्यों को देखकर प्रशंसा किए बिना रह नहीं सकता है। लेकिन नॉर्थ ईस्ट में एक और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत तेजी से काम हुआ है, और वो है- सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर। यहां शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं का जो विस्तार हुआ है, वो वाकई दोस्तों अभूतपूर्व है। पिछले वर्ष जब मैं डिब्रूगढ़ आया था, तो असम के अनेक जिलों में मुझे एक साथ कई अस्पतालों का शिलान्यास और उद्घाटन करने का अवसर मिला था। आज एम्स और 3 मेडिकल कॉलेज आपको सौंपने का मुझे सौभाग्य मिला है। बीते वर्षों में असम में डेंटल कॉलेजों की सुविधा का भी विस्तार हुआ है। इन सभी को नॉर्थ ईस्ट में लगातार बेहतर होती रेल-रोड कनेक्टिविटी से भी मदद मिल रही है। विशेषरूप से, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जो समस्या आती थीं, वो अब दूर हुई है। इससे माता और बच्चे के जीवन पर संकट बहुत कम हुआ है।
आजकल एक नई बीमारी देखने को मिल रही है, मैं देश में कही भी जाता हु, उत्तर में ,दक्षिण में, नॉर्थ ईस्ट में, पिछले 9 वर्षों में हुए विकास की चर्चा करता हूं, तो कुछ लोगों को बहुत परेशानी हो जाती है। ये नई बीमारी है, वो शिकायत करते हैं कि दशकों तक उन्होंने भी देश पर राज किया है, उन्हें क्रेडिट क्यों नहीं मिलता? क्रेडिट के भूखे लोगों और जनता पर राज करने की भावना ने देश का बहुत अहित किया है। अरे जनता तो जनार्दन का रूप होती है, ईश्वर का रूप होती है। पहले वाले क्रेडिट के भूखे थे, इसलिए नॉर्थ ईस्ट उन्हें दूर लगता था, एक पराएपन का भाव उन्होंने पैदा कर दिया था। हम तो सेवा भाव से, आपके सेवक होने की भावना से, समर्पण भाव से आपकी सेवा करते रहते हैं, इसलिए नॉर्थ ईस्ट हमें दूर भी नहीं लगता और अपनेपन का भाव भी कभी भी कम नहीं होता है।
मुझे खुशी है कि आज नॉर्थ ईस्ट में लोगों ने विकास की बागडोर आगे बढ़कर खुद संभाल ली है। वो नॉर्थ ईस्ट के विकास से, भारत के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। विकास के इस नए आंदोलन में, केंद्र सरकार एक दोस्त बनकर, एक सेवक बनकर, एक साथी बनकर, सभी राज्यों के साथ काम कर रही है। आज का ये आयोजन भी इसी का एक जीता जागता उदाहरण है।
साथियों,
दशकों तक हमारा पूर्वोत्तर कई औऱ चुनौतियों से जूझता रहा है। जब किसी सेक्टर में परिवारवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिरता की राजनीति हावी होती है, तब विकास होना असंभव हो जाता है। और यही हमारे हेल्थकेयर सिस्टम के साथ हुआ। दिल्ली में जो एम्स है, वो 50 के दशक में बना था। देश के कोने-कोने से लोग आकर दिल्ली एम्स में इलाज कराते थे। लेकिन दशकों तक किसी ने ये नहीं सोचा कि देश के दूसरे हिस्सों में भी एम्स खोलने चाहिए। अटल जी की जब सरकार थी तो उन्होंने पहली बार इसके लिए प्रयास शुरू किए थे। लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद फिर सब ठप्प का ठप्प पड़ गया। जो एम्स खोले भी गए, वहां व्यवस्थाएं खस्ताहाल ही रहीं। 2014 के बाद हमने इन सारी कमियों को दूर किया। हमने बीते वर्षों में 15 नए एम्स पर काम शुरु किया, पन्द्रह। इनमें से अधिकतर में इलाज और पढ़ाई दोनों सुविधा शुरु हो चुकी है। एम्स गुवाहाटी भी इस बात का उदाहरण है कि हमारी सरकार, जो संकल्प लेती है, उसे सिद्ध करके भी दिखाती है। ये असम की जनता का प्यार है जो मुझे बार बार यहाँ खींच के ले आता है, शिलान्यास के समय भी आपके प्यार ने मुझे यहां बुला लिया और आज लोकार्पण के समय भी आपका प्यार बढ़ चढ़कर के और वो भी बिहू के पवित्र समय यहां मुझे आने का अवसर मिला गयाI ये आपका प्यार ही है।
साथियों,
पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से हमारे यहां डॉक्टरों और दूसरे मेडिकल प्रोफेशनल्स की बहुत कमी रही है। ये कमी, भारत में क्वालिटी हेल्थ सर्विस के सामने बहुत बड़ी दीवार थी। इसलिए बीते 9 वर्षों में हमारी सरकार ने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल प्रोफेशनल बढ़ाने पर बड़े स्तर पर काम किया है। 2014 से पहले 10 सालों में करीब डेढ़ सौ मेडिकल कॉलेज ही बने थे। पिछले 9 वर्षों में हमारी सरकार में करीब 300 नए मेडिकल कॉलेज बने हैं। पिछले 9 वर्षों में, देश में MBBS सीटें भी दोगुनी बढ़कर 1 लाख से अधिक हो चुकी हैं। पिछले 9 वर्षों में, देश में मेडिकल की पीजी सीटों में भी 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हमने मेडिकल शिक्षा के विस्तार के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन की स्थापना की है। पिछड़े परिवारों को, backward family के बच्चे डॉक्टर बन सकें, इसके लिए हमने आरक्षण की सुविधा का भी विस्तार किया है। दूर-दराज वाले क्षेत्रों के बच्चे भी डॉक्टर बन सकें, इसलिए हमने पहली बार भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प दिया है। इस वर्ष के बजट में डेढ़ सौ से अधिक नर्सिंग कॉलेज खोलने का ऐलान भी किया गया है। अगर मैं नॉर्थ ईस्ट की बात करूं तो यहां भी बीते 9 वर्षों में मेडिकल कॉलेज की संख्या दोगुने से अधिक हो चुकी है। अभी अनेक मेडिकल कॉलेजों पर काम चल रहा है, कई नए मेडिकल कॉलेज यहां बनने जा रहे हैं। बीते 9 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में मेडिकल की सीटों की संख्या भी बढ़कर पहले के मुकाबले दोगुनी हो चुकी है।
भाइयों और बहनों,
आज भारत में हेल्थ सेक्टर में इतना काम इसलिए हो रहा है क्योंकि आप सभी देशवासियों ने 2014 में एक स्थिर और मजबूत सरकार बनाई। भाजपा की सरकारों में नीति, नीयत और निष्ठा किसी स्वार्थ से नहीं बल्कि- राष्ट्र प्रथम, देशवासी प्रथम इसी भावना से हमारी नीतियां तय होती हैं। इसलिए हमने वोटबैंक के बजाय देश की जनता की मुश्किलों को कम करने पर फोकस किया। हमने लक्ष्य बनाया कि हमारी बहनों को इलाज के लिए दूर ना जाना पड़े। हमने तय किया कि किसी गरीब को, पैसे के अभाव में अपना इलाज ना टालना पड़े। हमने प्रयास किया कि हमारे गरीब परिवारों को भी घर के पास ही बेहतर इलाज मिले।
साथियों,
मैं जानता हूं कि इलाज के लिए पैसे ना होना, गरीब की कितनी बड़ी चिंता होती है। इसीलिए हमारी सरकार ने 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान योजना शुरू की। मैं जानता हूं कि महंगी दवाइयों से गरीब और मध्यम वर्ग कितना परेशान होता है। इसलिए हमारी सरकार ने 9 हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र खोले, इन केंद्रों पर सैकड़ों दवाइयां सस्ते में उपलब्ध कराईं। मैं जानता हूं हार्ट के ऑपरेशन में, घुटने के ऑपरेशन में गरीब और मध्यम वर्ग का कितना ज्यादा खर्च हो रहा था। इसलिए हमारी सरकार ने स्टेंट की कीमतों को नियंत्रित किया, Knee-Implant की कीमतों को नियंत्रित किया। मैं जानता हूं कि जब गरीब को डायलिसिस की जरूरत होती है तो वो कितना परेशान होता है। इसलिए हमारी सरकार ने हर जिले में मुफ्त डायलिसिस वाली योजना शुरू की, लाखों लोगों को इसका फायदा पहुंचाया। मैं जानता हूं गंभीर बीमारी का समय से पता लगना कितना जरूरी है। इसलिए हमारी सरकार ने देश भर में डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले हैं, वहां जरूरी टेस्ट की सुविधा दी है। मैं जानता हूं कि टीबी की बीमारी कितने दशकों से गरीबों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसलिए हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरु किया है। हमने बाकी दुनिया से 5 वर्ष पहले ही देश को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। मैं जानता हूं कि बीमारी किस तरह गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार को बर्बाद कर देती है। इसलिए हमारी सरकार ने प्रिवेंटिव हेल्थ केयर पर फोकस किया, बीमारी हो ही नहीं, बीमारी आए ही नहीं, इस पर फोकस किया। योग-आयुर्वेद, फिट इंडिया अभियान चलाकर हमने लोगों को निरंतर सेहत के प्रति जागरूक किया है।
साथियों,
आज जब मैं सरकार की इन योजनाओं की सफलता देखता हूं, तो खुद को धन्य मानता हूं कि मैं गरीब की इतनी सेवा करने का परमात्मा ने और जनता जनार्दन ने मुझे आशीर्वाद दिया। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना आज देश के करोड़ों गरीबों का बहुत बड़ा संबल बनी है। बीते वर्षों में आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के 80 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं। जन-औषधि केंद्रों की वजह से गरीब और मध्यम वर्ग के 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। स्टेंट और Knee-Implant की कीमत कम होने से गरीब और मध्यम वर्ग के हर साल 13 हजार करोड़ रुपए बच रहे हैं। मुफ्त डायलिसिस की सुविधा से भी किडनी के गरीब मरीजों के 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने से बचे हैं। आज यहां असम के करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा नागरिकों को आयुष्मान भारत कार्ड देने का अभियान भी शुरु हुआ है। इस अभियान से असम के लोगों को बहुत बड़ी मदद मिलने वाली है, उनके पैसे बचने वाले हैं।
साथियों,
मैं अक्सर देश के कोने-कोने में हमारी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से मुलाकात करता रहता हूं। इसमें बहुत बड़ी संख्या में हमारी माताएं-बहनें, हमारे देश के बेटें-बेटियां, हमारी महिलाएं शामिल होती हैं। वो मुझे बताती हैं कि पहले की सरकारों में और अब भाजपा सरकार के समय में स्वास्थ्य सुविधाओं में कितना बड़ा फर्क आया है। आप और हम ये जानते हैं कि जब स्वास्थ्य की बात होती है, इलाज की बात होती है, तो हमारे यहां महिलाएं अक्सर पीछे रह जाती हैं। हमारी माताओं बहनों को खुद को लगता है कि क्यों अपने इलाज पर घर का पैसा खर्च करवाएं, क्यों अपनी वजह से दूसरों को इतनी तकलीफ दें। संसाधनों की कमी की वजह से, आर्थिक तंगी की वजह से, जिन हालातों में देश की करोड़ों महिलाएं रह रही थीं, उसमें उनका स्वास्थ्य ही सबसे ज्यादा प्रभावित था।
भाजपा के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने जो योजनाएं शुरू कीं, उसका बहुत बड़ा लाभ हमारी माताओं – बहनों को, महिलाओं की सेहत को हुआ है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने करोड़ों शौचालयों ने, महिलाओं को बहुत सारी बीमारियों से बचाया है। उज्जवला योजना के तहत मिले गैस, उस गैस कनेक्शन से महिलाओं को जानलेवा धुएं से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल आने से, करोड़ों महिलाओं का पानी से होने वाली बीमारियों से बचाव हुआ है। मिशन इंद्रधनुष ने करोड़ों महिलाओं का मुफ्त टीकाकरण करके उन्हें गंभीर बीमारी से बचाया है। आयुष्मान भारत योजना ने महिलाओं को अस्पताल में 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना ने महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक मदद दी है। राष्ट्रीय पोषण अभियान ने महिलाओं को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने में मदद की है। जब सरकार संवेदनशील होती है, जब गरीब के प्रति सेवा की भावना होती है, तो ऐसे ही काम किया जाता है।
साथियों,
हमारी सरकार, भारत के हेल्थ सेक्टर का 21वीं सदी की आवश्यकता के मुताबिक आधुनिकीकरण भी कर रही है। आज आय़ुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन से देशवासियों को डिजिटल हेल्थ आईडी दी जा रही है। देशभर के अस्पतालों, हेल्थ प्रोफेशनल्स को, एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है। इससे एक क्लिक पर ही देश के नागरिक का पूरा हेल्थ रिकॉर्ड उपलब्ध हो जाएगा। इससे अस्पतालों में इलाज की सुविधा बढ़ेगी, सही डॉक्टर तक पहुंचना सरल होगा। मुझे खुशी है कि इस योजना के तहत अभी तक लगभग 38 करोड़ डिजिटल आईडी बनाई जा चुकी हैं। इसमें 2 लाख से अधिक हेल्थ फैसिलिटी और डेढ़ लाख से अधिक हेल्थ प्रोफेशनल्स वैरिफाई हो चुके हैं। आज ई-संजीवनी भी, घर बैठे-बैठे उपचार का पसंदीदा माध्यम बनती जा रही है। इस सुविधा का लाभ देशभर के 10 करोड़ साथी ले चुके हैं। इससे समय और पैसा, दोनों की बचत सुनिश्चित हो रही है।
भाइयों और बहनों,
भारत के हेल्थकेयर सिस्टम में परिवर्तन का सबसे बड़ा आधार है- सबका प्रयास। कोरोना के इस संकटकाल में भी हमने सबका प्रयास की ताकत देखी है। दुनिया के सबसे बड़े, सबसे तेज़, सबसे प्रभावी कोविड टीकाकरण अभियान की प्रशंसा, आज दुनिया कर रही है। हमने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई, उन्हें बहुत कम समय के भीतर, दूर-दूर तक पहुंचाया। इसमें आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, प्राइमरी हेल्थकेयर वर्कर से लेकर फार्मास्यूटिकल सेक्टर तक के हर साथी ने शानदार काम किया है। इतना बड़ा महायज्ञ, तभी सफल होता है, जब सबका प्रयास हो और सबका विश्वास हो। सबका प्रयास की भावना के साथ हमें आगे बढ़ना है। आइए, सबका प्रयास से स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत के मिशन को हम पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाएं। एक बार फिर एम्स और मेडिकल कॉलेज के लिए असम के लोगों को मैं फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं और आपने जो प्यार दिखाया, इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए, आपको प्रणाम करते हुए, आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।