"भूकंप से मची तबाही को पीछे छोड़कर भुज और कच्छ के लोग अब अपने परिश्रम से इस क्षेत्र का नया भाग्य लिख रहे हैं"
"बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सिर्फ बीमारी के इलाज तक ही सीमित नहीं होती हैं, ये सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करती हैं"
“जब किसी गरीब को सस्ता और उत्तम इलाज सुलभ होता है, तो उसका व्यवस्था पर भरोसा मज़बूत होता है। इलाज के खर्च की चिंता से गरीब को मुक्ति मिलती है तो वो निश्चिंत होकर गरीबी से बाहर निकलने के लिए परिश्रम करता है”


नमस्कार

आप सभी को मेरा जय स्वामीनारायण | मेरे कच्छी भाई बहेनो कैसे हो? मजे में? आज के.के. पटेल सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का हमारी सेवा में लोकार्पण हो रहा है |
आप सभी को मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ |

गुजरात के लोकप्रिय मृदु एवं मक्‍कम हमारे मुख्‍यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, महंत स्‍वामी पूज्‍य धर्मनंदन दास जी, केंदीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मांडविया जी, गुजरात विधानसभा अध्‍यक्ष नीमाबेन आचार्य, गुजरात सरकार के अन्‍य मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी श्री विनोद छाबड़ा, अन्‍य जन-प्रतिनिधिगण, वहां उपस्थित श्रद्धेया संतगण, कछीय लेवा पटेल एजुकेशन और मेडिकल ट्रस्‍ट के चेयरमैन गोपालभाई गोरछिया जी, अन्‍य सभी ट्रस्‍टी, समाज के प्रमुख साथी, देश और दुनिया से आस सभी दानी सज्‍जन महानुभाव, चिकित्‍सक गण और सभी सेवारत और कर्मचारीऔर कच्‍छ के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

आरोग्‍य से जुड़े इतने बड़े कार्यक्रम के लिए कच्‍छवासियों को बहुत-बहुत बधाई। गुजरात को भी बधाई। भूकंप से मची तबाही को पीछे छोड़कर भुज और कच्‍छ के लोग अब अपने परिश्रम से इस क्षेत्र का नया भाग्‍य लिख रहे हैं। आज इस क्षेत्र में अनेक आधुनिक मेडिकल सेवाएं मौजूद हैं। इसी कड़ी में भुज को आज एक आधुनिक सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल मिल रहा है। ये कच्‍छ का पहला चैरिटेबल सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल है। इस आधुनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा के लिए कच्‍छ को बहुत-बहुत बधाई। 200 बेड का ये सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल कच्‍छ के लाखों लोगों को सस्‍ती और बेहतरीन इलाज की सुविधा देने वाला है। यह हमारे सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों के परिवारों और व्‍यापार जगत के अनेक लोगों के लिए भी उत्‍तम इलाज की गारंटी बनकर सामने आने वाला है।

साथियो,

बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं सिर्फ बीमारी के इलाज तक ही सीमित नहीं होतीं। ये सामाजिक न्‍याय को प्रोत्‍साहित करती हैं, प्रतिष्ठित करती हैं। जब किसी गरीब को सस्‍ता और उत्‍तम इलाज सुलभ होता है तो उसका व्‍यवस्‍था पर भरोसा मजबूत होता है। इलाज के खर्च की चिंता से गरीब को मुक्ति मिलती है तो वो निश्चिंत होकर गरीबी से बाहर निकलने के लिए परिश्रम करता है। बीते सालों में हेल्‍थ सेक्‍टर की जितनी भी योजनाएं लागू की गईं उनकी प्रेरणा यही सोच है। आयुष्‍मान भारत योजना और जन-औ‍षिधि योजना से हर साल गरीब और मिडिल क्‍लास परिवारों के लाखों करोड़ रुपए इलाज में खर्च होने से बच रहे हैं। हेल्‍थ एंड वैलनेस सेंटर्स, आयुष्‍मान भारत हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर योजना जैसे अभियान इलाज को सबके लिए सुलभ बनाने में मदद कर रहे हैं।

आयुष्‍मान भारत डिजिटल हेल्‍थ मिशन से मरीजों की सुविधाएं और बढ़ेंगी। आयुष्‍मान हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मिशन के माध्‍यम से आधुनिक और क्रिटिकल हेल्‍थकेयर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को जिला और ब्‍लॉक लेवल तक पहुंचाया जा रहा है। देश में आज दर्जनों एम्‍स के साथ-साथ अनेकों सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पतालों का निर्माण भी किया जा रहा है। देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण का लक्ष्‍य हो या फिर मेडिकल एजुकेशन को सबकी पहुंच में रखने का प्रयास, इससे आने वाले दस सालों में देश को रिकॉर्ड संख्‍या में नए डॉक्‍टर मिलने वाले हैं।

और ईसका लाभ अपने कच्छ को ही मिलने वाला है. यहां गोपालभाई मुझे कह रह थे, मैने लाल किले से कहा कि, आजादी का अमृत महोत्सव में हर एक को कुछ न कुछ योगदान देना चाहिए और आज वो संकल्प पूरा हो रहा है| उसके लिए सच में यह कर्तव्य भावना, समाज के प्रति निष्ठा का भाव, समाज के प्रति सदभावना-संवेदना, वह अपनी सबसे बडीं पूंजी होती है और कच्छ की एक विशेषता है | आप कहीं पर भी जाओ, कहीं भी मिलो, कच्छी कहो, उसके बाद कोई नहीं पूछेगा कि आप कौन से गांव के है, कौन सी जाति के है कुछ भी नहीं | आप तुरंत उसके हो जाते हो| यही कच्छ की विशेषता है, और कच्छ के कर्तव्य के क रूप में पहचान बने ईस तरह आप कदम रख रहे हो, और इसलिए आप सब और यहां इतने ही नहीं, और जेसे भूपेन्द्रभाई ने कहा, प्रधानमंत्री का सबसे प्रिय जिला, वास्तव में किसी को भी जब हम मुसीबत के समय पसंद आये हो, तो वो रिश्ता इतना अटूट बन जाता है | और कच्छ में भूकंप से जो दर्दनाक स्थिति थी, एसी परिस्थिति में मेरा जो आपसे घनिष्ठ संबंध जुड गया, उसका परिणाम है | न तो मैं कच्छ को छोड सकता हुं, न हीं कच्छ मुझे छोड सकता है | और ऐसा सौभाग्य सार्वजनिक जीवन में बहुत कम लोगो को मिलता है, और मेरे लिए यह गर्व की बात है | गुजरात आज चारो दिशा में प्रगति कर रहा है |

गुजरात के विकास की बात मात्र गुजरात में नहीं बल्की देश में भी उसका संज्ञान लिया जाता है|आप विचार करो, दो दसक पहले गुजरात में मात्र 9 मेडिकल कॉलेज थी. दो दसक मात्र 9 मेडिकल कॉलेज, और मात्र गुजरात के युवाओं को डोक्टर बनना हो तो ग्यारह सौ सीट थी |आज एक एम्स है, और तीन दर्जन से ज्यादा मेडिकल कॉलेज है| और जब दो दसक पहले हजार बालकों को स्थान मिलता था, आज छ हजार बालकों को डॉक्टर बनाने की व्यवस्था है, और 2021 में 50 सीट के साथ राजकोट में ऐम्स की शुरूआत हो चुकी है | अहमदाबाद, राजकोट में मेडिकल कॉलेज का अपग्रेडेशन का काम चल रहा है| भावनगर के मेडिकल कॉलेज का अपग्रेडेशन का काम लगभग पूरा हो चुका है | सिविल अस्पताल अहमदाबाद 1500 बेड वाला, और मेरी दृष्टि से ये एक बडा काम है | मातृ और शिशु, माता और बालकों उनके लिए सही अर्थ में एक उम्दा व्यवस्था वाली पूरी संरचना अपने यहां बनी है|कार्डियोलोजी हो, रिसर्च हो उसके लिए भी 800 बेड का अलग अस्पताल है जहाँ रिसर्च का भी काम होता है| गुजरात में कैंसर अनुसंधान का काम भी बडे पैमाने पर चल रहा है | इतना ही हमने पूरे देश में किडनी के पेशेंट और डायालिसिस की जरूरत का बडा संकट था | जहां डायालिसिस हफ्ते में दो बार करवाना होता है, महिनें में दो बार भी मौका न मिलता हो, उसके शरीर का क्या हो? आज जिले-जिले में मुफ्त में डायालिसिस की सेवा हमने शुरू की है | तो एक तरह से खूब बडे पैमाने पर काम चल रहा है |

पर मुझे आप सभी भाइयों - बहनों से एक बात करनी है | यह आजादी का अमृत महोत्सव है, हम कितने भी अस्पताल बनाए, कितने भी, लाखो नए बेड बना दे, पर उससे कभी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता | परंतु हम समाज के अंदर ऐसी जागृति लाए, हम सब अपने कर्तव्य का पालन करे, और ऐसा वातावरण और ऐसी स्थिति बनाए की हॉस्पिटल जाना ही ना पडे | इन सभी मुसीबतो का उपाय यह है की अस्पताल जाना ही ना पडे और आज खूब सुंदर अस्पताल का उद्दघाटन हो रहा है | पर मुझे जो शुभकामना देनी हो तो मैं क्या दू? मैं शुभकामना दु, की अपने के. के. पटेल चेरिटेबल ट्र्स्ट में इतने सारे करोडो रुपये लगाए, सुंदर अस्पताल बनाया पर भगवान करे किसी को भी अस्पताल आना ही ना पडे और होस्पिटल खाली ही रहे | हमे तो ऐसे ही दिन देखने है | और होस्पिटल खाली कब रह सकती है, जब हम स्वच्छता के उपर ध्यान देते हो | स्वच्छता के सामने जोरदार लोगों में आक्रोश हो, गंदगी का घर में बाहर कहीं भी नामोनिशान ना हो, गदंगी के लिए नफरत, यह जो वातावरण पैदा हो, तो बिमारी घुसने का रस्ता मिल सकता है, नहीं मिल सकता | उसी तरह पानी, शुद्ध पीने का पानी, अपने देश में स्वच्छता का अभियान चलाया, शौचालय बनाने का अभियान चलाया, खुले में शौच मुक्ति के लिए अभियान चलाया और समाज ने भी पूरे देश में सहयोग दिया | और सबको पता है यह कोरोना की लडाई में हम जीतने लगे क्योंकी मूलभूत शरीर मजबूत हो, तो लडाई जीती जा सकती है | इतना बडा तूफान आया फिर भी हम ल़ड रहे है क्योंकी अभी भी कोरोना गया नहीं, हमें भूल नहीं करनी है परंतु यह अन्य देखभाल और जल जीवन मिशन के द्वारा नल से जल पहुंचाने का काम पूरे देश में चल रहा है | जो शुद्ध पीने का पानी मिले, इसी तरह पोषण, उसमें भी जंकफूड खाते रहे, पोस्ट ओफिस में जैसे सब डालते है वैसे सब डाला करे, तो न शरीर को लाभ होगा और न हीं स्वास्थ्य को लाभ होगा और इसके लिए ये जो डॉक्टर बैठै हैं, वो मुस्कुरा रहे है मेरी बात सुनकर, कारण, आहार के अंदर अपने यहाँ शास्त्रों में भी कहा है, आहार के अंदर जितनी नियमितता हो, जितना संयम हो, वो खूब महत्व का होता है | और आचार्य विनोबा जी ने, जो लोगो ने पढा हो उन्होंने बहुत अच्छी बात कही है, आचार्य विनोबाजी ने कहा है कि, व्रत करना आसान है, आप आसानी से व्रत कर सकते हो परंतु संयमपूर्ण भोजन करना मुश्किल काम है| टेबल पर बैठे हो और चार चीजे आई तो मन तो हो ही जाता है |

अब आज बडी चिंता यह है कि वजन बढ रहा है| अब वहां बैठे ज्यादा वजन वाले लोग शरमाना मत, वजन बढ रहा है, डायबिटीस का रोग घर-घर पहुंच रहा है| यह ऐसी चीजे है और डायबिटीस खुद ऐसी बिमारी है, जो दुनियाभर की बिमारी को निमंत्रण देती है | अब हमें अपना वजन घटाने के लिए कोई के. के. अस्पताल की राह देखनी होती है, हमें डायबिटीस से बचना हो तो थोडा सुबह में चलने जाना, चलना-फिरना होगा की नहीं, जो हम ये सब करते है, फिर जो स्वास्थ्य के लिए मूलभूत चीजे है वो हमें अस्पताल जाने नहीं देगी | उसी तरह आंतरराष्ट्रीय योग दिवस द्वारा हम सारी दुनिया में योग के लिए अभियान चला रहे है | सारी दुनिया ने योग को स्वीकारा है | इस बार आपने देखा होगा, कोरोना में हमारा योग और हमारा आर्युवेद पर लगभग दुनियाभर की नजरें गई है | दुनिया के हर देश में कोइ ना कोइ चीज आप देखिये, अपनी हल्दी सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट हो गई है | कोरोना में क्यों जनता को पता चला की भारत की जो जडी बूटियां होती है, वो स्वास्थ्य के लिये लाभदायी है | लेकीन अपने ही उसे छोड दे तो और उसके लिए हम उस तरफ जा सके | मैं मेरे कच्छ के लोगो को कहना चाहता हुं कि इस बार जब जून महिने में आंतरराष्ट्रीय योग दिवस आये तो क्या कच्छ वर्ल्ड रेकोर्ड कर सकता है ? इतना जबरदस्त विशाल कच्छ के अंदर योग के कार्यक्रम हो सकते है ? कच्छ का कोई ऐसा गांव ना हो, अभी भी डेढ- दो महिने बाकी है | इतनी महेनत किजीये, इतनी महेनत कीजीये कि अच्छे से अच्छा योग का कार्यक्रम हम करे | आप देखियेगा कभी होस्पिटल जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी | और मेरी जो इच्छा है कि किसी को के. के. होस्पिटल में आना ही ना पडे| मेरी इच्छा आप पुरी कीजीये स्वस्थ रहके | हा एक्सिडेन्ट होके जाना पडे वो अपने हाथ मे नहीं होता लेकिन मेरा मत यह है की ये सब चीज हम आग्रह पूर्वक करे |

अब जब कच्छ के भाइयो को मिल रहा हूं तब अब तो मेरा हक बनता है, आपके पास कुछ ना कुछ मांगने का और आपको देना हीं पडेंगा | हक से कहता हूं अब देखिये, दुनिया के इतने सारे देश मैं अपने कच्छी भाइ रहते है | हमारा कच्छ का रणोत्सव देखने पूरे देश के लोग अपने आप आने लगे है | कच्छ की जाहो-जलाली बढा रहे है | कच्छ की आर्थिक व्यवस्था को बढा रहे है | इससे बडी बात ये है की, कच्छ की महेमान नावाजी की पुरे हिंदुस्तान मैं प्रशंसा हो रही है | भाइ, कच्छ यानी की कच्छ ये जनता कहने लगी है | अब मुजे बताइये की कच्छ रणोत्सव में इतनी सारी महेनत सरकार करे, कच्छ के लोग महेमान नवाजी करे, उसका इतना जय जयकार होता है | लेकिन विदेशी महेमान कच्छ के रण में न दिखाइ दे, वह कैसे चलेंगा | हम हेल्थ टूरिज्म में लोग आये इसके लिये होस्पिटल बनाते है लेकिन टुरिजम के लिये आये उसकी तो शरूआत कीजीये | मेरी ये कच्छ के भाइयो को विनंती है और खास करके हमारे लेउआ पटेल समाज के भाइ यहा बेठे है, वह हिंदुस्तान में भी फैले हुए है और विश्व में भी फैले हुए है | हर साल और में चाहता हूं, आप हिसाब रखियेगा और अपने गोपालभाइ तो हिसाब किताब वाले इंसान है| वह तो पक्का करेंगे मेरी आप सबको विनंती है की हर साल विदेश में बसते हर कच्छी परिवार कम से कम पांच विदेशी नागरिको को हमारा कच्छ का रण देखने के लिये यहाँ भेजे | आप मुझे बताइए कि हमारा कच्छ का रण कैसे भरा हुआ लगेगा और दुनियाभर में सही मायने में कच्छ की पहेचान बने ही बने ? ये कोइ बहुत बडा काम नहीं है | आपके लिये आपको वहा छींक आयेंगी तो भी आप भूज आ जाये एसे लोग है | विदेश में बिमार पडे तो कहते हैं कच्छ में भूज जाकर एक हफ्ता हवा पानी चेन्ज करके आ जाओ तो स्वस्थ्य हो जाओगें| यह हमारा कच्छ के लिये प्रेम है, और जब यह प्रेम हो तो हम कम से कम 5 विदेशी लोग, भारतीय नहीं, उनको कच्छ के रण में लाये और इस साल इस दिसंबर मास में उसे भेजाना है | दुसरा सरदार पटेल साहेब को इतनी बडी श्रद्धांजलि आजादी के इतने साल बाद | सरदार साहेब का इतना बडा स्मारक बना उसका आपको गर्व है की नहीं है | आप तो मेरी प्रशंसा करते रहो मुजे शाबाशी देते रहो की मोदी साहेब आपने तो बहुत अच्छा काम किया | गुजरात सरकार तो भी अभिनंदन देते रहो कि बहुत अच्छा किया इतने से बात ख़त्म नहीं होती |

भाइओ,मेरी इच्छा है की दुनियाभर में से जैसे कच्छ के रण मे 5 लोग आये वैसे ही वोह 5 लोग स्टेच्यु ओफ युनिटी भी देखने जाये | आप देखिएगा, गुजरात का टूरिज्म का बहुत विकास होगा और टूरिज्म ऐसा व्यापार है की गरीब लोगों को रोज़गार देता है | कम से कम पूंजी लागत से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिलता है| आप देखिए कच्छ के रण मे आपने देख लिया की छोटी से छोटी चीज बनाकर बेचने से बारह महिने का काम दो महिने मे हो जाता है | टुरिस्ट आता है तो रिक्शा वाला कमाता है, टैक्सी वाला कमाता है और चाय बेचने वाला भी कमाता है| इसलिए मेरी आप सबसे यह विनती है की हमको कच्छ को टूरिज्म का बड़ा सेंटर बनाना है | और इसके लिये मेरी अपेक्षा है की विदेश मे रहते मेरे कच्छी भाइयों और बहनें इस बार तय करे की हर फॅमिली हर बार 5 लोगो को ठीक से समझाये और भारत भेजने के लिये आग्रह करे और उसको समझाये की कहा जाना है, कैसे जाना है, आपकी वहा कैसी महेमान नवाजी होती है, आइए चलिये | और मैं 100 प्रतिशत कहता हूँ की अब टूरिज्म के लिये भारत अब लोगों में आकर्षण पैदा हुआ है | यहाँ कोरोना से पहले बहुत ज्यादा टुरिस्ट आने लगे थे लेकिन कोरोना के कारण रोक लग गइ | फिर से शुरु हो गया है, और आप मेरी मदद करो तो चारो दिशा में अपना जयजय कार हो जायेगा| और मेरी इच्छा है की आप इसका काम कीजीये | दुसरा एक काम और, कच्छ के भाइयों के प्रति मेरी यह तो अपेक्षा है ही, अब देखीये हमारे मालधारीभाइ कच्छ में दो चार महिने रुकते हो और फिर छ आठ महिना उनके पशुधन लेकर रोड पर जाते है | मीलों तक चलते है, क्या यह हमारे कच्छ को शोभा देता है ? जिस जमाने मे कच्छ आपको छोडना पडा दुनियाभर में कच्छी को क्यों जाना पडा, जल की कमी की वजह से कच्छ में रहेना मुश्कील हो गया | बच्चे दुखी हो, वैसी परिस्थिति पैदा हुइ थी | इसिलिये दुनिया में जाके महेनत करके रोजी रोटी कमा के खुद का गुजारा किया | उसने किसी के सामने अपना हाथ नहीं फैलाया और वह अपने पैरो पर खडा भी हुआ| और जहां भी गये अपने समाज का भला किया | कोइ स्कूल चला रहा है, तो कोइ गौशाला चला रहा हे, जहा भी जाये कच्छीमांडु किसी ना किसी प्रकार का काम करता ही है | अब जब हम इतना सारा काम करते है तब मेरी आपसे विनती है | मेरी खासकर के मालधारीओ से विनती है की पहले के समय मे ठीक है की आप अपने पशुओ को लेकर निकल पडते थे, लेकिन अब कच्छ मे पानी आ गया है |

अब कच्छ में हरियाली भी आ गइ है| अब कच्छ मे जीरा की फसल होती है, सुन कर आनंद होता है कि कच्छ में जीरा की फसल होती है | कच्छ के आम विदेश मे जाते हैं कितना आनंद होता है | हमारे कच्छ ने तो कमलम की पहचान बनाइ है | अपनी खजुर क्या कुछ नहीं है अपने कच्छ में फिर भी मेरे मालधारी भाइओ को हिजरत करनी पडे वह नहीं चलेगा | अब वहा भी घास चारा भी वहां पे है | हम को वहां पे स्थायी होना पडेगा | अब तो वहां पे डेरी भी हो गइ है, और आपके लिये तो पांचो उंगलीया घी मे हो ऐसे दिन आ रहे है | इसीलीये अपने मालधारी भाइयो को मिले और समझाएँ की अब पशुओं को ले के हिजरत करना बंद करे और यहा पे रहे| आपको यहा पे कोइ तकलीफ नहीं है | आप रहे यहाँ और अपने बच्चो को पढाइये, क्योंकी हिजरत करने वाले लोगो के बच्चे पढते नहीं है| और इस बात की मुझे पीड़ा रहती है | इसमे मुझे आपकी मदद चाहिए और एक महत्व का काम आप करे वह मरी अपेक्षा है | हम आजादी के अमृत महोत्सव में 75 तालाब हर एक जिले में बनाने को कहा है| हमारे कच्छ में दो तीन साल मे तालाब भरे ऐसा पानी आता है | कइ बार तो पाँच सालों में भी नहीं आता | कई बार तो मैंने देखा है की बच्चा पैदा होता है वह चार साल का होता है, लेकिन उसने बारीश हीं नहीं देखी होती | ऐसे दिन हमारे कच्छ के लोगों ने देखे है | यह समय में मेरी आप सबको विनती है की 75 भव्य तालाब ऐतिहासिक तालाब कच्छ की अंदर हम बना सकते है| और इसके लिये हिंदुस्तान मे जो कच्छी फैले हुए है, मुंबइ में तो आप बहुत मात्रा में रहते है, केरल में रहेते है, आसाम में बहुत मात्रा मे आप रहते हैं | कही भी, आप कम नहीं है | हिंदुस्तान के आधे से भी ज्यादा जिले में कच्छीभाइ पहुंच चुके है | 75 तालाब, आप मानीए की छत्तीसगढ में कच्छी समाज है तो एक तालाब वह संभाले, मुंबइ में कच्छी समाज है तो 5 तालाब संभाले, और तालाब छोटा नहीं होना चाहीए| हमारे नीमाबेन के 50 ट्रक अंदर हो तो दिखाइ ना दे उतने गहरे होने चाहिए| आप देखीएगा पानी का संग्रह होगा भले दो साल बाद पानी आये तीन साल बाद पानी आये, दो इंच पानी आये फिर भी जब तालाब भर जायेगा कच्छ की बड़ी ताकात बन जायेंगा | और कच्छ के लिये मैंने जो किया, उससे ज्यादा कच्छ ने मेरी बात को मान के बहुत ज्यादा किया है | और जब आप ज्यादा काम करते हो तब आपको ज्यादा काम करने का मन होता है | आप कुछ करते ही ना तो नमस्ते कहके मैं निकल जाता, लेकिन आप करते हो तो कहने का मन होता है| और इसलिये मेरी आप सब से विनती है की हमारे कच्छ को कर्तव्यभाव वाला कच्छ उसकी उंचाइयो को नया आयाम बताये और टूरिज्म हो की जल संग्रह, दोनों मे विश्व में रहता | कच्छी हो या हिंदुस्तान के कोने कोने मे रहेता कच्छी हो| आईए हम सब मिलकर भुपेन्द्रभाइ के नेतृत्व मे गुजरात को जिस तेज गति से आगे बढाया है उसमे हम भी अपने कर्तव्य को निभाये |

वहीं अपेक्षा, सब को जय स्वामिनारायण मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ | धन्यवाद |

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।