अब तक हमारे यहां प्रक्रिया केंद्रित टैक्स सिस्टम हावी रहा, अब उसे नागरिक केंद्रित बनाया जा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
पहली बार किसी सरकार ने छोटे शहरों की भी आर्थिक विकास पर ध्यान दिया है। पहली बार किसी सरकार ने, इन छोटे शहरों के बड़े सपनों को सम्मान दिया है: पीएम मोदी
स्वतंत्र भारत के निर्माण में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है, अब समृद्ध भारत के निर्माण में भी मीडिया को अपनी भूमिका का विस्तार करना चाहिए: प्रधानमंत्री

मैं Times Now ग्रुप के सभी दर्शकों, कर्मचारियों, फील्ड और डेस्क के सभी पत्रकारों, कैमरा और लॉजिस्टिक्स से जुड़े हर साथी को इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

ये Times Now की पहली समिट है। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

साथियों,

इस बार की थीम आपने India Action Plan 20-20 रखी है।

लेकिन आज का India तो पूरे दशक के Action Plan पर काम कर रहा है।

हां, तरीका 20-20 वाला है और इरादा, पूरी सीरीज में अच्छे परफॉर्मेंस का, नए रिकॉर्ड्स बनाने का और इस सीरीज को भारत की सीरीज बनाने का है। *

दुनिया का सबसे युवा देश, अब तेजी से खेलने के मूड में है।

सिर्फ 8 महीने की सरकार ने फैसलों की जो सेंचुरी बनाई है, वो अभूतपूर्व है।

आपको अच्छा लगेगा, आपको गर्व होगा कि भारत ने इतने तेज फैसले लिए, इतनी तेजी से काम हुआ।

देश के हर किसान को PM किसान योजना के दायरे में लाने का फैसला- DONE
किसान, मज़दूर, दुकानदार को पेंशन देने की योजना- DONE
पानी जैसे अहम विषय पर Silos खत्म करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय का गठन- DONE
Middle Class के अधूरे घरों को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल फंड- DONE
दिल्ली के 40 लाख लोगों को घरों पर अधिकार देने वाला कानून- DONE
तीन तलाक से जुड़ा कानून- DONE
Child Abuse के खिलाफ सख्त सज़ा का कानून- DONE
Transgender Persons को अधिकार देने वाला कानून- DONE
चिटफंड स्कीम के धोखे से बचाने वाला कानून- DONE
National Medical Commission Act- DONE
Corporate Tax में ऐतिहासिक कमी- DONE
Road Accidents की रोक के लिए सख्त कानून- DONE
Chief of Defence Staff का गठन- DONE
देश को Next Generation Fighter Plane की डिलिवरी- DONE
Bodo Peace Accord – DONE
Brue-Reang Permanent Settlement- DONE
भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का काम- DONE
Article-370 को हटाने का फैसला- DONE
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला- DONE
और

Citizenship Amendment Act भी - DONE

मैं कभी कभार Times Now पर देखता हूं, News 30, इतने मिनट में इतनी खबरें। ये कुछ वैसा ही हो गया। *

और ये भी सैंपल ही है।

इस सैंपल से ही आपको लग गया होगा कि The Actual Action begins here!!!

मैं Non-Stop ऐसे अनेकों फैसले और भी गिना सकता हूं। सिर्फ सेंचुरी नहीं, डबल सेंचुरी लग सकती है।

लेकिन ये फैसले गिनाकर, मैं जिस Point पर आपको ले जाना चाहता हूं, उसे समझना भी जरूरी है।

साथियों,

आज देश दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान करते हुए, 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

दुनिया के सबसे युवा देश को जितनी Speed से काम करना चाहिए, हम वैसे ही कर रहे हैं।

अब भारत समय नहीं गंवाएगा।

अब भारत तेजी से चलेगा भी और नए आत्मविश्वास के साथ आगे भी बढ़ेगा।

देश में हो रहे इन परिवर्तनों ने, समाज के हर स्तर पर नई ऊर्जा का संचार किया है, उसे आत्मविश्वास से भर दिया है।

आज देश के गरीब में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो अपना जीवन स्तर सुधार सकता है, अपनी गरीबी दूर कर सकता है।
आज देश के युवा में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो Job Creator बन सकता है, अपने दम पर नए Challenges को पार कर सकता है।
आज देश की महिलाओं में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो हर क्षेत्र में अपना दम-खम दिखा सकती हैं, नए कीर्तिमान बना सकती हैं।
आज देश के किसान में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो खेती के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती से जुड़े अन्य विकल्पों पर काम कर सकता है।
आज देश के उद्यमियों में. व्यापारियों में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो एक अच्छे बिजनेस Environment में, अपना बिजनेस कर सकते हैं, अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं।

आज के भारत ने, आज के न्यू इंडिया ने अपनी बहुत सी समस्याओं को पीछे छोड़ दिया है।

आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में करोड़ों लोग बैंकिंग सिस्टम से नहीं जुड़े थे, करोड़ों लोगों के पास गैस कनेक्शन नहीं था, घरों में टॉयलेट्स नहीं थे।

ऐसी अनेक दिक्कतें थीं जिनमें देश के लोग और देश उलझा हुआ था। अब ऐसी अनेक परेशानियां दूर हो चुकी हैं।

अब भारत का लक्ष्य है अगले पाँच साल में अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक का विस्तार देना।

ये लक्ष्य, आसान नहीं, लेकिन ऐसा भी नहीं कि जिसे प्राप्त ही नहीं किया जा सके।

साथियों,

आज भारत की Economy करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की है।

यहां इतने Informed लोग हैं।

मैं आपसे एक और सवाल पूछता हूं।

क्या आपने कभी सुना था कि देश में कभी 3 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था।

नहीं न।

हम 70 साल में 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे।

पहले न किसी ने सवाल पूछा कि इतना समय क्यों लगा और न ही किसी ने जवाब दिया।

अब हमने लक्ष्य रखा है, सवालों का भी सामना कर रहे हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जी-जान से जुटे भी हैं।

ये भी पहले की सरकारों औऱ हमारी सरकार के काम करने के तरीके का फर्क है।

दिशाहीन होकर आगे बढ़ने से अच्छा है कि मुश्किल लक्ष्य तय करके उसे प्राप्त करने की कोशिश की जाए।

अभी हाल में जो बजट आया है, वो देश को इस लक्ष्य की प्राप्ति में, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में और मदद करेगा।

साथियों,

इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ये बहुत आवश्यक है कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़े, Export बढ़े। इसके लिए सरकार ने अनेक फैसले लिए हैं।

देशभर में इलेक्ट्रॉनिक, मेडिकल डिवाइस और टेक्नोलॉजी क्लस्टर बनाने का फैसला किया है। नेशनल टेक्नीकल टेक्सटाइल मिशन से भी इसे सहयोग मिलेगा। हम जो एक्सपोर्ट करेंगे, उसकी क्वालिटी बनी रहे, इसके लिए भी नीतिगत निर्णय लिए गए हैं।

साथियों,

Make In India, भारत की अर्थव्यवस्था को, देश के छोटे से छोटे उद्यमियों के लिए बहुत बड़ी मदद कर रहा है। विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स Items की मैन्यूफैक्चरिंग में तो भारत ने अभूतपूर्व तेजी दिखाई है।

वर्ष 2014 में देश में 1 लाख 90 हजार करोड़ रुपए के इलेक्ट्रॉनिक Items का निर्माण हुआ था। पिछले साल ये बढ़कर 4 लाख 60 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

सोचिए,

2014 में भारत में मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं।

आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

साथियों,

5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश से भी बड़ी मदद मिलेगी। देशभर में 6500 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर होने वाला काम, अपने आसपास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को गति देगा।

इन प्रयासों के बीच, ये भी सही है कि भारत जैसी ‘Emerging Economy’ वाले देश के सामने चुनौतियां भी ज्यादा होती हैं। उतार-चढ़ाव भी आते हैं और वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव भी ज्यादा झेलना पड़ता है।

भारत हमेशा ऐसी परिस्थितियों को पार करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।

हम स्थितियों को सुधार रहे हैं, निरंतर फैसले ले रहे हैं।

बजट के बाद भी वित्त मंत्री निर्मला जी, लगातार अलग-अलग शहरों में Stakeholders से मिल रही हैं।

ये इसलिए, क्योंकि हम सभी के सुझावों को मानते हुए, सभी को साथ लेकर चल रहे हैं।

Friends,

अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की कोशिशों के साथ ही, इसी से जुड़ा एक और महत्वूपूर्ण विषय है, देश में Economic Activity के उभरते हुए नए सेंटर्स।

ये नए सेंटर्स क्या हैं?

ये सेंटर्स हैं हमारे छोटे शहर, Tier-2. Tier-3 Cities.

सबसे ज्यादा गरीब इन्हीं शहरों में है, सबसे बड़ा मध्यम वर्ग इन्हीं शहरों में है।

आज देश के आधे से अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन छोटे शहरों में हो रहे हैं।

आज देश में जितने स्टार्टअप्स रजिस्टर हो रहे हैं, उनमें से आधे टीयर-2., टीयर-3 शहरों में ही हैं।

और इसलिए

पहली बार किसी सरकार ने छोटे शहरों की भी Economic Growth पर ध्यान दिया है।

पहली बार किसी सरकार ने, इन छोटे शहरों के बड़े सपनों को सम्मान दिया है।

आज,

छोटे शहरों के बड़े सपनों को, नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे बुलंदी दे रहे हैं। उड़ान के तहत बन रहे नए एयरपोर्ट, नए एयर रूट्स उन्हें एयर कनेक्टिविटी से जोड़ रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में इन शहरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र खुलवाए गए हैं।

साथियों,

5 लाख तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स का लाभ भी छोटे शहरों को सबसे अधिक हुआ है।

MSMEs को बढ़ावा देने के लिए, जो फैसले हमने लिए उसका लाभ भी इन्हीं शहरों के उद्यमियों को सबसे ज्यादा हुआ है।

अभी बजट में सरकार ने जो नए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी घोषणा की है, उससे भी सबसे ज्यादा फायदा छोटे शहरों को ही होगा।

साथियों,

हमारे देश में एक और क्षेत्र रहा है जिस पर हाथ लगाने में सरकारें बहुत हिचकती रही हैं। ये है टैक्स सिस्टम। बरसों से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।

अब तक हमारे यहां Process Centric टैक्स सिस्टम ही हावी रहा है। अब उसे People Centric बनाया जा रहा है।

हमारा प्रयास टैक्स/जीडीपी रेशियो में बढ़ोतरी के साथ ही लोगों पर टैक्स का बोझ कम करना भी है।

जीएसटी, इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स, हर दिशा में हमारी सरकार ने टैक्स में कटौती की है।

पहले गुड्स एंड सर्विसेस पर ऐवरेज टैक्स रेट 14.4 परसेंट था, जोकि आज कम होकर 11.8 परसेंट हो गया है।

इस बजट में ही इनकम टैक्स स्लैब्स को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है। पहले टैक्स में छूट के लिए कुछ तय Investments ज़रूरी थे। अब आपको एक विकल्प दिया गया है।

साथियों,

कभी-कभी देश के नागरिकों को टैक्स देने में उतनी दिक्कत नहीं होती जितनी इस प्रक्रिया से और प्रक्रिया का पालन कराने वाले लोगों से। हमने इसका भी रास्ता खोजा है।

फेसलेस असेसमेंट के बाद इस बजट में फेसलेस अपील की भी घोषणा की गई है।

यानि टैक्स असेस करने वाले को अब ये पता नहीं चलेगा कि वो किसका टैक्स असेस कर रहा है, वो किस शहर का है।

इतना ही नहीं, जिसका टैक्स असेसमेंट होना है, उसे भी पता ही नहीं लगेगा कि अफसर कौन है?

यानि खेल की सारी गुंजाइश ही खत्म।

साथियों,

अकसर सरकार के ये प्रयास हेडलाइंस नहीं बन पाते लेकिन आज हम दुनिया के उन गिने चुने देशों में शामिल हो गए हैं, जहां टैक्स पेयर्स के अधिकारों को स्पष्टता से डिफाइन करने वाला टैक्सपेयर्स चार्टर भी लागू होगा।

अब भारत में टैक्स Harassment बीते दिनों की बातें होने जा रही हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से अब देश टैक्स Encouragement की दिशा में बढ़ रहा है।

Friends,

सरकार द्वारा देश को Tax Compliant (कम्प्लायंट) Society बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बीते 4-5 वर्षों में देश ने इसमें काफी प्रगति की है लेकिन अभी लंबा सफर बाकी है।

मैं आपके सामने कुछ आंकड़ों के साथ अपनी बात कहना चाहता हूं।

साथियों,

पिछले पाँच साल में देश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा कारों की बिक्री हुई है।

3 करोड़ से ज्यादा भारतीय, बिजनेस के काम से या घूमने के लिए विदेश गए हैं।

लेकिन स्थिति ये है कि 130 करोड़ से ज्यादा के हमारे देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही इनकम टैक्स देते हैं।

इसमें से भी प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए से ज्यादा आय घोषित करने वालों की संख्या लगभग 3 लाख है।

आपको एक और आंकड़ा देता हूं।

हमारे देश में बड़े-बड़े डॉक्टर हैं, लॉयर्स हैं, चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, अनेक प्रोफेशनल्स हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में छाए हुए हैं, देश की सेवा कर रहे हैं।

लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि देश में करीब सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स ही हैं जो अपनी सालाना इनकम को एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताते हैं।

पूरे देश में सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स !!!

साथियों,

जब हम देखते हैं कि लोग घूमने जा रहे हैं, अपनी पसंद की गाड़ियां खरीद रहे हैं तो खुशी होती है। लेकिन जब टैक्स भरने वालों की संख्या देखते हैं, तो चिंता भी होती है।

ये Contrast भी देश की एक सच्चाई है।

जब बहुत सारे लोग टैक्स नहीं देते, टैक्स नहीं देने के तरीके खोज लेते हैं, तो इसका भार उन लोगों पर पड़ता है, तो ईमानदारी से टैक्स चुकाते हैं।

इसलिए, मैं आज प्रत्येक भारतीय से इस विषय में आत्ममंथन करने का आग्रह करूंगा।

क्या उन्हें ये स्थिति स्वीकार है?

आज पर्सनल इनकम टैक्स हो या फिर कॉरपोरेट इनकम टैक्स, भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे कम टैक्स लगता है।

क्या फिर जो असमानता मैंने आपको बताई, वो खत्म नहीं होनी चाहिए?

साथियों,

सरकार को जो टैक्स मिलता है, वो देश में जन कल्याण की योजनाओं में काम आता है, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने में काम आता है। टैक्स के इसी पैसे से देश में नए एयरपोर्ट्स बनते हैं, नए हाईवेज बनते हैं, मेट्रो का काम होता है।

गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त बिजली कनेक्शन, सस्ता राशन, गैस सब्सिडी, पेट्रोल डीजल सब्सिडी, स्कॉलरशिप, इतना सब कुछ सरकार इसलिए कर पाती है, क्योंकि देश के कुछ जिम्मेदार नागरिक, पूरी ईमानदारी से टैक्स दे रहे हैं।

और इसलिए,

बहुत आवश्यक है कि देश का हर वो व्यक्ति, जिसे देश ने, समाज ने इतना कुछ दिया है वो अपना कर्तव्य निभाए। जिनकी वजह से उसकी आय इतनी है कि वो टैक्स देने के लिए सक्षम बना है, उसे ईमानदारी से टैक्स देना भी चाहिए।

मैं आज Times Now के मंच से, सभी देशवासियों से ये आग्रह करूंगा कि देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वालों को याद करते हुए एक प्रण लें, संकल्प लें।

उन लोगों को याद करें जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की आहूति दे दी थी।

देश के उन महान वीर बेटे-बेटियों को याद करते हुए, ये प्रण लें कि वो ईमानदारी से जो टैक्स बनता है, उसे देंगे।

वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष होने जा रहे हैं। अपने संकल्पों को इस महान पर्व से जोड़िए, अपने कर्तव्यों को इस महान अवसर से जोड़िए।

मेरा मीडिया जगत से भी एक आग्रह है।

स्वतंत्र भारत के निर्माण में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है।

अब समृद्ध भारत के निर्माण में भी मीडिया को अपनी भूमिका का विस्तार करना चाहिए।

जिस तरह मीडिया ने स्वच्छ भारत, सिंगल यूज प्लास्टिक पर जागरूकता अभियान चलाया, वैसे ही उसे देश की चुनौतियों, जरूरतों के बारे में भी निरंतर अभियान चलाते रहना चाहिए।

आपको सरकार की आलोचना करनी हो, हमारी योजनाओं की गलतियां निकालनी हो, तो खुलकर करिए, वो मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण फीडबैक होता है, लेकिन देश के लोगों को निरंतर जागरूक भी करते रहिए।

जागरूक, सिर्फ खबरों से ही नहीं बल्कि देश को दिशा देने वाले विषयों से भी।

साथियों,

21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका है, अपने-अपने कर्तव्य के पालन की।

एक नागरिक के तौर पर देश हमसे जिन कर्तव्यों को निभाने की अपेक्षा करता है, वो जब पूरे होते हैं, तो देश को भी नई ताकत मिलती है, नई ऊर्जा मिलती है।

यही नई ऊर्जा, नई ताकत, भारत को इस दशक में भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

ये दशक भारत के Startups का होने वाला है।

ये दशक भारत के Global Leaders का होने वाला है।

ये दशक भारत में Industry 4.0 के मजबूत नेटवर्क का होने वाला है।

ये दशक, Renewable Energy से चलने वाले भारत का होने वाला है।

ये दशक Water efficient और Water Sufficient भारत का होने वाला है।

ये दशक भारत के छोटे शहरों का होने वाला है, हमारे गांवों का होने वाला है।

ये दशक, 130 करोड़ सपनों का है, Aspirations का है।

मुझे विश्वास है कि इस दशक को भारत का दशक बनाने के लिए अनेक सुझाव Times Now की पहली Summit से निकलेंगे।

और आलोचना के साथ, सुझावों के साथ ही, कुछ बात कर्तव्यों पर भी होगी।

आप सभी को फिर से बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!