Quoteदीन दयाल उपाध्याय जी ने हमें अंत्योदय का मार्ग दिखाया था: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमारी सरकार ने सड़क, राजमार्ग, जलमार्ग, रेलवे को और विशेष रूप से बुनियादी ढांचे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है: पीएम मोदी
Quoteहमारी सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने, उन्हें विकास का लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है: प्रधानमंत्री

हर-हर महादेव !!!

महाशिवरात्रि, रंगभरी एकादशी अऊर होली का आप सबके बहुत बधाई हौ।

यहां भारी संख्या में पधारे मेरे भाइयों और बहनों !!

मां गंगा के तट पर आज एक अद्भुत संयोग बन रहा है। अवधूत बाबा भगवान राम की तपोस्थली इस पार है और अब दीनदयाल उपाध्याय जी की स्मृति स्थली भी गंगापार क्षेत्र विकसित की गई है।

साथियों, मां गंगा जब काशी में प्रवेश करती हैं, तो वो उन्मुक्त होकर अपनी दोनों भुजाओं को फैला देती हैं। एक भुजा पर धर्म, दर्शन और आध्यात्म की विराट संस्कृति विकसित हुई और दूसरी भुजा अर्थात इस पार, सेवा, त्याग, समर्पण और तपस्या मूर्तिमान हुई है। इसी तट पर सिद्धयोगी अवधूत बाबा भगवान राम ने तप और साधना का पारंपरिक रूप बदलकर सेवा की एक नवीन तपोस्थली को निर्मित किया। आज इस क्षेत्र, दीनदयाल जी की स्मृति स्थली का जुड़ना, अपने नाम ‘पड़ाव’ की सार्थकता को और सशक्त कर रहा है। ऐसा पड़ाव जहां, सेवा, त्याग विराग और लोकहित सभी एक साथ जुड़कर एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित होंगे। मुझे विश्वास है कि यह क्षेत्र जीवन के सच्चे उद्देश्य को जानने, समझने और उन्हें प्राप्त करने की संकल्प भूमि बनेगा।

साथियों, आज का ये दिन उन करोड़ों भारतीयों के लिए सपना साकार होने जैसा है, जिनको पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी हमेशा से प्रेरित करते आए हैं। यहां जो देश के सबसे बड़े बड़े रेल जंक्शनों में से एक है, वो उनकी स्मृति के लिए पहले ही समर्पित हो चुका है। अब यहां जो ये स्मृति स्थल बना है, उद्यान बना है, उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है, इससे आने वाली पीढ़ियों को भी दीन दयाल जी के आचार और विचार से प्रेरणा मिलती रहेगी।

भाईयों और बहनों जिनके दिल में दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, दबे-कुचले समाज के किसी भी व्यक्ति के लिए दर्द है, अनुकंपा है ऐसे सभी के लिए यह भूमि प्रेरणा भूमि है, प्रेरणा स्थली है जो देश भक्ति के रंग में रंगे हुए है जिनके जीवन में दल से उपर देश है स्व के बदले समस्त की चिंता है ऐसे देशभक्ति के रंग में रंगे हुए देश के कोटि-कोटि जनों के लिए यह तीर्थ क्षेत्र है जहां से देश के लिए जीने की, देश के लिए जुझने के लिए और देश के लिए जीवन खपाने के लिए पे्ररणा मिलती रहेगी। मैं आज इस धरती को नमन करता हूं उस पुण्यआत्मा को नमन करता हूं। और मुझे विश्वास है कि दीनदयाल जी का आत्मा जहां भी होगी हमें निरंतर आर्शीवाद देती रहती है, हमें निरंतर प्रेरण देती रहती है क्योंकि हम समाज के आखिरी छोर के व्यक्ति के लिए समाज के दबे कुचले व्यक्ति के लिए दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित लोगों के लिए हम अपना जीवन खपाएं उनकी सेवा के लिए हमें जो भी जिम्मेदारी मिली है उसका पूरी तरह निर्वाह करें।

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साथियों, दीन दयाल उपाध्याय जी ने हमें अंत्योदय का मार्ग दिखाया था। यानि जो समाज की आखिरी पंक्ति में हैं, उसका उदय। 21वीं सदी का भारत, इसी विचार से प्रेरणा लेते हुए अंत्योदय के लिए काम कर रहा है। जो विकास की आखिरी पायदान पर है, उसे विकास की पहली पायदान पर लाने के लिए काम हो रहा है। चाहे वो पूर्वांचल हो, पूर्वी भारत हो, उत्तर पूर्व हो, देश के 100 से ज्यादा आकांक्षी जिले हों, सभी क्षेत्रों में विकास के अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। इसी कड़ी में आज इस पवित्र अवसर पर वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल को लाभ पहुंचाने वाली करीब 1200 करोड़ रुपए से भी अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। इसमें बड़े अस्पताल भी हैं, स्कूल और शैक्षणिक संस्थान भी हैं, सड़कें भी हैं, फ्लाईओवर भी हैं, पानी की योजनाएं भी हैं, पार्क भी हैं, शहर को और सुंदर बनाने वाले प्रोजेक्ट्स भी हैं। सामान्य मानवी के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सुविधा, आस्था और रोज़गार से जुड़ी इन तमाम परियोजनाओं के लिए मैं आप सभी को, वाराणसी और पूर्वांचल के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

ये तमाम प्रोजेक्ट्स बीते 5 वर्षों से काशी सहित संपूर्ण पूर्वांचल में चल रहे कायाकल्प के संकल्प का एक अटूट हिस्सा हैं। इन वर्षों में वाराणसी जनपद में लगभग 25 हज़ार करोड़ रुपए के विकास कार्य या तो पूरे हो चुके हैं, या काम तेज गति से चल रहा है। देवी अहिल्याबाई होल्कर के बाद इतने बड़े पैमाने पर काशी नगरी में विकास के कार्य हो रहे हैं, तो इसके पीछे महादेव की ही इच्छा है, बाबा भोले का ही आशीर्वाद है। ये हम सभी का सौभाग्य है कि बाबा ने इन कार्यों के लिए हम सबको दायित्‍व दिया है, जिम्‍मेदारी दी है। इन कार्यों का बहुत बड़ा लाभ, बनारस सहित पूरे पूर्वांचल को मिल रहा है। विशेषकर इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर, सड़क, हाईवे, वॉटरवे, रेलवे को सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर योगी जी की टीम तेज़ी से काम कर रही है। बहुत जल्द इसका लाभ इस पूरे क्षेत्र को मिलने वाला है।

आज यहां, चौकाघाट-लहरतारा मार्ग पर बने पुल का लोकार्पण भी हो गया है। पहले की स्थिति आपको पता है। कैंट रेलवे स्टेशन हो, BHU हो, बस स्टेशन हो, हवाई अड्डा हो, इन सभी जगहों तक आने-जाने में कितनी समस्या होती थी, कितना जाम लगता था। अब इस जाम से मुक्ति मिल जाएगी। ये 4 लेन का पुल बनने से अब लहरतारा-इलाहाबाद और चौकाघाट-दीन दयाल उपाध्याय नगर का रास्ता भी जुड़ गया है। इसके साथ-साथ अलग-अलग गांवों को जोड़ने वाली 16 सड़कों का भी आज लोकार्पण हुआ है। इससे प्रयागराज, मिर्जापुर, जौनपुर, गाजीपुर, आज़मगढ़, गोरखपुर, बलिया से लेकर बिहार आने जाने वालों को भी बहुत लाभ होगा। जिसको सारनाथ सहित तमाम दूसरे पर्यटन स्थलों में जाना है, उनको भी इन रास्तों से सुविधा होगी।

साथियों, काशी सहित इस पूरे क्षेत्र में हो रहे कनेक्टिविटी के ये काम आपकी सुविधा के साथ-साथ रोज़गार निर्माण के भी बड़े साधन तैयार कर रहे हैं। विशेषतौर पर पर्यटन आधारित रोज़गार, जिसको लेकर काशी और आसपास के क्षेत्रों में बहुत बड़ी संभावना है, उनको बल मिल रहा है। पर्यटन एक ऐसा सेक्टर है जिसमें हर स्तर, हर वर्ग का व्यक्ति कम से कम निवेश में ज्‍यादा से ज्‍यादा कमाता है। यही कारण है कि आज जब भारत में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात हो रही है, तो पर्यटन उसका अहम हिस्सा है। भारत के पास तो प्रकृति के साथ-साथ हैरिटेज टूरिज्म की भी बहुत बड़ी ताकत है, जिसको 21वीं सदी का रूप दिया जा रहा है। विशेषतौर पर काशी समेत हमारे आस्था से जुड़े तमाम स्थलों को नई ज़रूरतों के मुताबिक, नई तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया जा रहा है। सारनाथ का सुंदरीकरण हो, गंगा जी के घाटों का सुंदरीकरण हो, आज काशी आने वाला हर श्रद्धालु, हर पर्यटक सुखद अनुभव लेकर यहां से जाता है। कुछ दिन पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी यहां आए थे। तो यहां के अद्भुत वातावरण, दिव्य अनुभूति से बहुत मंत्रमुग्ध थे। आपने भी देखा होगा कि सोशल मीडिया में उन्होंने काशी के साथियों की बहुत प्रशंसा की है।

साथियों, काशी विश्वनाथ धाम से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर चल रहे काम से भी आप सब भलीभांति परिचित हैं। आज भी यहां मंदिर परिसर में बन चुके अन्नक्षेत्र भवन का लोकार्पण किया गया है। इस भवन के बनने से यहां प्रसाद वितरण और भक्तों को भोजन से होने वाली असुविधा अब हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। काशी विश्वनाथ धाम में ऐसे तमाम कार्य तेज़ी से पूरे किए जा रहे हैं। बहुत ही जल्द बाबा का दिव्य प्रांगण एक आकर्षक और भव्य रूप में हम सभी के सामने आएगा। इसी तरह अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में भी भव्य मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हो चुका है। ये ट्रस्ट अब श्री राम धाम के निर्माण पर तेज़ी से काम करना शुरु कर देगा।

भाइयों और बहनों, देशभर में, आस्था और आध्यात्म से जुड़े तमाम बड़े केंद्रों को विकसित करने के साथ-साथ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाजनक भी बनाया जा रहा है। खासतौर पर इन स्थानों में निरंतर कनेक्टिविटी श्रद्धालुओं को मिले, इसके लिए काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज बाबा विश्वनाथ की नगरी को ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर से जोड़ने वाली काशी-महाकाल एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई गई है। अब काशी में बाबा के दर्शन करने के बाद उज्जैन में महाकाल के दर्शन कर पाएंगे और इसी ट्रेन में आगे बढ़ते हुए इंदौर में ओंकारेश्वर में भी श्रद्धा सुमन अर्पित कर पाएंगे। यही नहीं ये रेल सेवा प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, बीना, संत हिरदाराम जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के क्षेत्रों को भी जोड़ेगी। ये महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा के भक्तों को एक विशेष उपहार की तरह है।

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भाइयों और बहनों, काशी आस्था और आध्यात्म के साथ-साथ ज्ञान का भी मुख्य केंद्र रहा है। बीते 5 वर्षों में BHU जैसे ज्ञान और विज्ञान के बड़े सेंटर को विस्तार दिया गया है। आज भी यहां वैदिक ज्ञान-विज्ञान से लेकर आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी अनेक सुविधाओं का लोकार्पण किया गया है। आज वाराणसी, पूर्वांचल का बहुत बड़ा मेडिकल HUB बनकर उभर रहा है। यहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के आधुनिक इलाज के लिए कई अस्पताल तैयार हो चुके हैं। पहले जिन बीमारियों के इलाज के लिए दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, उनका इलाज अब यहीं पर मिल रहा है। इसका व्यापक लाभ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूर्वी भारत के बहुत बड़े हिस्से को हो रहा है। BHU में आज जिस सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का लोकार्पण हुआ है, उसका शिलान्यास तो 2016 के आखिरी में, मैंने ही किया था। सिर्फ 21 महीने में 430 बेड का ये अस्पताल बनकर काशी और पूर्वांचल के लोगों की सेवा के लिए तैयार हुआ है। कबीरचौरा में जिला महिला चिकित्सालय में 100 बेड के मैटरनिटी विंग से शहर की महिलाओं को बहुत मदद मिलेगी। मैं योगी जी और उनकी टीम को बधाई दूंगा कि पूरे उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेज और आयुष्मान योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स बनाने पर फोकस किया जा रहा है। इसके साथ-साथ शुद्ध पीने के पानी और स्वच्छता को लेकर भी जो प्रयास बीते 2-3 वर्षों में यहां हुए हैं, उससे एनसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों से निपटने में बहुत सहायता मिली है।

साथियों, ये जो कुछ भी पिछले 5 साढ़े 5 वर्षों में हमने हासिल किया है, अब उसे और तेज गति से आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। स्वच्छता को लेकर जो ये मुहिम छेड़ी गई है, उसको हमें जारी रखना है। वहीं जल जीवन मिशन के तहत आने वाले 5 वर्षों में हर घर तक जल पहुंचाने के लिए भी हमें पूरी शक्ति से काम करना है। मैं आपको ये आश्वस्त करता हूं कि इस काम के लिए ना तो बजट आड़े आएगा ना सरकार के इरादे कमजोर होंगे। बनारस के कायाकल्प की महादेव की इच्छा को हम सभी मिलकर पूरा करेंगे।

भाइयों और बहनों, बदलते हुए भारत में देश के विकास की कहानी में नए अध्याय जोड़ने का काम बड़े-बड़े मेट्रो सिटीज से ज्यादा बनारस जैसे टीयर-2, टीयर-थ्री सिटिज ही करेंगे। दीन दयाल जी, जिस तरह अंत्योदय की बात करते थे, वैसे ही, देश के छोटे शहरों का उदय, देश के विकास को नई ऊँचाई पर ले जाएगा। केंद्र सरकार की योजनाओं का बहुत ज्यादा लाभ, इन छोटे शहरों और इनमें रहने वाले लोगों को ही हुआ है। अभी हाल में जो बजट आया है, उसमें सरकार ने घोषणा की है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जाएगा। इसका बहुत बड़ा हिस्सा, देश के छोटे-छोटे शहरों के ही खाते में आएगा।

साथियों, दीन दयाल जी कहते थे कि आत्म निर्भरता और स्वयं सहायता सभी योजनाओं के केंद्र में होनी चाहिए। उनके इन विचारों को सरकार की योजनाओं और सरकार की कार्य संस्कृति में निरंतर लाने का प्रयास किया जा रहा है। आप देखिए, मेक इन इंडिया के केंद्र में आत्मनिर्भरता है। आज रेल के डिब्बों से लेकर, मोबाइल फोन और सेना के लिए आधुनिक अस्त्र-शस्त्र तक भारत में बनने लगे हैं। पूर्वांचल सहित पूरे यूपी में भी अनेक नई फैक्ट्रियां बीते 5 वर्ष में लगी हैं।

इसी तरह, स्टार्ट अप इंडिया के केंद्र में भी आत्मनिर्भरता है। बीते 5 वर्षों में लगभग 26 हज़ार नए स्टार्ट अप रजिस्टर हुए हैं, जिससे भारत के युवाओं ने ही भारत के लाखों युवाओं को रोज़गार देने का काम किया है। मुद्रा योजना के केंद्र में भी आत्मनिर्भरता और स्वयं सहायता है। इस योजना ने पूरे देश में लगभग साढ़े 5 करोड़ नए उद्यमी तैयार किए हैं। करीब 3 हज़ार करोड़ रुपए का मुद्रा ऋण वाराणसी के ही लगभग साढ़े 6 लाख साथियों को मिला है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के मूल में भी स्वयं सहायता ही है। इसके तहत यूपी के लगभग 2 करोड़ किसानों को करीब 12 हजार करोड़ रुपए उनके खाते में ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

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भाइयों और बहनों, हमारी सरकार समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचने के लिए, उस तक विकास के लाभ पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रही है। आप बताइए, वो 50 करोड़ से अधिक देशवासी जिनको आज आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज संभव हुआ है, वो कौन हैं? ये 70 वर्षों में विकास के आखिरी पायदान पर ही रहे हैं। आज देश में लगभग 90 लाख गरीब मरीज़ों को इलाज मिल चुका है, जिसमें से यूपी के 3 लाख और वाराणसी के करीब 16 हज़ार साथी हैं। देश के वो 11 करोड़ साथी भी अंतिम पायदान पर ही थे, जिनके घर में पहली बार शौचालय पहुंचा है। देश के वो 8 करोड़ से अधिक परिवार भी अंतिम पायदान पर ही थे, जिनको पहली बार उज्‍ज्‍वला का गैस कनेक्शन मिला है। इसमें भी यूपी के करीब डेढ़ करोड़ और वाराणसी के लगभग पौने 2 लाख परिवारों को लाभ हुआ। इनमें भी करीब 50 लाख मेरे दलित भाई-बहन के परिवार हैं, जिनको उज्‍ज्‍वला का गैस कनेक्शन मिला है।

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देश के करीब 2 करोड़ साथी जिनको पक्का आवास मिला है, वो भी आखिरी पायदान पर खड़े हुए लोग थे। आज जिन 24 करोड़ देशवासियों को 4 लाख रुपए तक का दुर्घटना और जीवन बीमा मिल रहा है, वो भी अंतिम पायदान पर थे। जिन करोड़ों किसानों, श्रमिकों, छोटे व्यापारियों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3 हज़ार रुपए की मासिक पेंशन की सुविधा तय हुई है, वो भी विकास के आखिरी पायदान पर रहे हैं।

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साथियों, आज़ादी के लंबे कालखंड तक इस आखिरी पायदान को बनाए रखा गया, क्योंकि इसकी समस्याओं को सुलझाने में नहीं, उलझाने में ही राजनीतिक हित सिद्ध होते थे। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं, देश बदल रहा है। जो आखिरी पायदान पर रहा है, उसे अब सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। महादेव के आशीर्वाद से, देश आज वो फैसले भी ले रहा है जो हमेशा पीछे छोड़ दिए जाते थे। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला हो या फिर सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट, बरसों से देश को इन फैसलों का इंतजार था। देशहित में ये फैसले जरूरी थे और दुनिया भर के सारे दबावों के बावजूद, इन फैसलों पर हम कायम हैं और कायम रहेंगे। आज बाबा भोलेनाथ की नगरी में, अवधूत बाबा भगवान राम के सानिध्य में, दीन दयाल की स्मृति में, मैं काशी के लोगों को, देश के लोगों को ये विश्वास दिलाता हूं कि देश के लिए ये काम निरंतर जारी रहेंगे।

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एक बार फिर आप सभी को इतनी बड़ी तादाद में यहां आने के लिए, मुझे आशीर्वाद देने के लिए, बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!

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MUDRA NPA रेट दुनिया में सबसे कम: पीएम मोदी
April 08, 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को ऋण देने तथा मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज, रिटेल, कृषि और संबद्ध गतिविधियों में रोजगार व आय सृजित करने के उद्देश्य से माइक्रोफाइनेंस और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को कम लागत पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का शुभारंभ किया था।

इस एक्सरसाइज के एक हिस्से के रूप में माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) की स्थापना की गई थी। पीएम मोदी ने ET को दिए एक लिखित साक्षात्कार में कहा कि अब अपने 10वें वर्ष में, इस योजना ने सरकार को fund the unfunded की अनुमति दी है। प्रस्तुत हैं चुनिंदा अंश:

मुद्रा योजना से आपकी क्या अपेक्षाएं थीं और क्या यह पूरी हुईं?

मुद्रा योजना को एक अलग योजना के रूप में नहीं, बल्कि एक विशेष संदर्भ में देखा जाना चाहिए। किसी भी सरकारी पद पर आने से पहले भी, मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में कई दशकों तक पूरे देश में व्यापक यात्रा की थी। मैंने हर जगह एक समान बात देखी। हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा, जैसे कि गरीब, किसान, महिलाएं और हाशिए पर पड़े वर्ग, विकास की आकांक्षा रखते हैं, उद्यम की प्रबल भावना रखते हैं, ऊर्जा और जुझारूपन रखते हैं - ये सभी गुण एक सफल उद्यमी बनने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन ये वही वर्ग थे जिन्हें औपचारिक बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से पूरी तरह से बाहर रखा गया था। मुझे बताइए, अगर आपके पास बैंक खाता नहीं है, तो क्या आप कभी बैंक जाएंगे? जब लोगों के पास बुनियादी बैंकिंग तक पहुंच नहीं थी, तो उद्यमिता के लिए धन जुटाना एक दूर का सपना लगता था। इसलिए, जब लोगों ने 2014 में हमें वोट दिया, तो हमने पूरे वित्तीय ढांचे को लोगों पर केंद्रित और समावेशी बनाने का फैसला किया, ताकि हम उनकी आकांक्षाओं को पंख दे सकें। हमने वित्तीय प्रणाली का लोकतंत्रीकरण किया। इसकी शुरुआत जन धन योजना के साथ 'बैंकिंग से वंचित लोगों को बैंकिंग' से हुई। एक बार जब वे लोग जो छूट गए थे, इस योजना के माध्यम से औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनने लगे, तो हमने मुद्रा योजना के माध्यम से 'funding the unfunded' और जन सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से 'insuring the uninsured' प्रदान करना शुरू किया। इसलिए, मुद्रा एक बड़े दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि जमीनी स्तर पर लोगों की उद्यमशीलता क्षमता, इनोवेशन, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता का सम्मान, जश्न और समर्थन किया जाए। मुद्रा योजना के माध्यम से, हम हर भारतीय को यह संदेश देना चाहते थे कि हमें उनकी क्षमताओं पर भरोसा है और हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की उनकी यात्रा में गारंटी के रूप में खड़े होंगे। विश्वास से ही विश्वास पैदा होता है। लोगों ने भी बड़े उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी और आज 33 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 52 करोड़ से अधिक ऋण देकर उन्होंने मुद्रा योजना को बड़ी सफलता बना दिया है।

इस योजना को लेकर एक चिंता यह है कि NPAs बहुत अधिक है और इसके परिणामस्वरूप सरकार पर अंडरराइटिंग का बोझ बढ़ रहा है। क्या इन पर ध्यान देने की आवश्यकता है या आप कहेंगे कि इस योजना के प्रभाव के लिए यह उचित लागत है?

NPAs की समस्या पर दो दृष्टिकोण हैं। एक ओर, हमारे पास कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA) के कार्यकाल का अनुभव है। तब बैंकिंग क्षेत्र एक ऐसी प्रणाली के तहत काम करता था जिसे 'फोन बैंकिंग' के नाम से जाना जाता था। ऋण राजनीतिक संपर्कों के आधार पर स्वीकृत किए जाते थे, न कि योग्यता या सख्त वित्तीय जांच के आधार पर। हम सभी जानते हैं कि इससे दोहरी बैलेंस शीट की समस्या कैसे पैदा हुई। पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी से चिह्नित इस अवधि ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को stressed assets की विरासत से जूझने के लिए छोड़ दिया, जिससे व्यापक आर्थिक विकास का समर्थन करने की उनकी क्षमता कम हो गई। दूसरी ओर, हमने मुद्रा योजना के माध्यम से गरीबों और मध्यम वर्ग को पैसा उधार दिया। इसे छोटे और मध्यम उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिनके पास कोई कनेक्शन नहीं था, लेकिन क्षमता और दृढ़ विश्वास था। UPA के top-heavy लोन मॉडल के विपरीत, मुद्रा ने जमीनी स्तर की आर्थिक गतिविधि पर ध्यान केंद्रित किया। आज, 52 करोड़ से अधिक ऋण खातों के साथ, मुद्रा उस विशाल पैमाने और हमारी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। जब हमने इस पहल को लॉन्च किया, तो उनके इकोसिस्टम के कई प्रमुख कांग्रेस नेताओं और टिप्पणीकारों ने कहा कि करोड़ों छोटे पैमाने के उधारकर्ताओं को ऋण देने से NPAs की समस्या पैदा होगी। उन्हें हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर कोई भरोसा नहीं था। लेकिन परिणामों ने इन भविष्यवाणियों को झुठला दिया है। जो बात सामने आई है वह है इन ऋणों का प्रदर्शन-केवल 3.5% NPAs में बदल गए हैं। यह दुनिया भर में इस क्षेत्र में एक असाधारण रूप से कम डिफॉल्ट दर है। जबकि UPA के 'फोन बैंकिंग' दौर ने बैंकों को खराब कर्ज (toxic assets) के बोझ तले दबा दिया था और सत्ता के करीबी चुनिंदा खास लोगों को लाभ पहुंचाया गया था, वहीं मुद्रा योजना ने संसाधनों को जमीनी स्तर तक पहुंचाया है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिला है बिना वित्तीय स्थिरता से समझौता किए।

बैंकिंग क्षेत्र आज अच्छी स्थिति में है। क्या आपको लगता है कि यह अधिक जोखिम उठा सकता है और मुद्रा जैसी योजनाओं के माध्यम से उन लोगों को फंड कर सकता है जिनके पास औपचारिक ऋण तक पहुंच नहीं है, जबकि कॉर्पोरेट उधारकर्ता, बॉन्ड बाजार के माध्यम से धन प्राप्त करते हैं?

हमारे निरंतर बैंकिंग सुधारों और NPA संकट से कुशलतापूर्वक निपटने के कारण, आज हमारे बैंक फिर से अच्छी स्थिति में हैं। उनमें से कई ने रिकॉर्ड मुनाफ़ा कमाया है। पिछले एक दशक में, मुद्रा, पीएम-स्वनिधि और स्टैंडअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने हमारे बैंकों की बेहतर होती सेहत का लाभ उठाया है। इसके अलावा, इन योजनाओं के कारण, हमारी बैंकिंग प्रणाली छोटे उद्यमियों की ज़रूरतों के प्रति भी अधिक संवेदनशील हो गई है। परिणामस्वरूप, ग़रीब और मध्यम वर्ग ने अनौपचारिक ऋण पर अपनी निर्भरता काफी हद तक कम कर दी है। मुझे विश्वास है कि हमारा बैंकिंग क्षेत्र वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने और जमीनी स्तर पर उद्यमिता को समर्थन देने की यात्रा में एक मजबूत भागीदार बना रहेगा। जब छोटे उद्यमियों या कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को फंड करने का सवाल आता है, तो हमारे बैंक दोनों क्षेत्रों का समर्थन करने में सक्षम हैं और यह कोई zero-sum game नहीं है। इस वर्ष हमारे कॉरपोरेट्स ने बॉन्ड मार्केट के ज़रिए ₹1 ट्रिलियन से अधिक जुटाए। यह बढ़ता रहेगा क्योंकि बॉन्ड मार्केट भी परिपक्व हो रहे हैं। इसी तरह, MSMEs ने IPO के ज़रिए पैसा जुटाना शुरू कर दिया है और लोग इसकी भी सराहना कर रहे हैं। भारतीय बैंक प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने के साथ-साथ कॉर्पोरेट ऋण देने के मामले में संतुलन बनाए रखेंगे। यह संतुलित रणनीति वित्तीय स्थिरता और न्यायसंगत विकास दोनों को मजबूत करती है, जिससे सिस्टम के परिपक्व होने के साथ-साथ आगे बढ़ने का एक स्थायी मार्ग तय होता है।

यह योजना विशेष रूप से वंचितों और महिलाओं पर केंद्रित है।

वंचितों तक पहुंचना इस योजना की पहचान रही है। वंचितों को विविधता, हाशिए पर पड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना-यह हमारा आदर्श वाक्य रहा है। दशकों से, किफायती ऋण केवल अमीरों और अच्छी तरह से जुड़े लोगों के लिए उपलब्ध हुआ करता था। दुर्भाग्य से, वंचितों के उद्यमशीलता के प्रयास अक्सर उच्च चक्रवृद्धि ब्याज दरों के चक्रव्यूह में फंस जाते थे। मुद्रा योजना के माध्यम से, वंचितों को भी बिना किसी जमानत के ऋण मिल पाता है। इसलिए जब हम उद्यमिता को बढ़ावा देने में मुद्रा योजना की सफलता का जश्न मनाते हैं, तो खुशी की बात यह है कि इनमें से बड़ी संख्या में सफलता की कहानियाँ महिलाओं और वंचित समूहों से हैं। 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत होने के साथ, यह गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि क्षेत्र-क्षेत्रों में छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए एक जीवन रेखा साबित हुई है - जहाँ एससी, एसटी समुदाय और महिलाएँ अक्सर काम करती हैं। सभी ऋणों में से आधे एससी, एसटी, ओबीसी समुदायों के लोगों को दिए गए हैं। इनमें से लगभग 70% ऋण महिलाओं को दिए गए, जो दर्शाता है कि यह महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले किसी व्यक्ति या किसी महिला के पास व्यवसायिक विचार- जैसे कि एक छोटी सी दुकान या MSME जैसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना- के लिए इस योजना ने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए वास्तविक सहायता प्रदान की है। यह वंचित आबादी के लिए केवल एक उद्यमशीलता का अवसर नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ है जहाँ उनका दृढ़ विश्वास और विचार सभी प्रकार की शंकाओं और चुनौतियों पर विजय प्राप्त करते हैं, जिसमें सरकार उनके ऋणों के लिए गारंटर के रूप में खड़ी होती है।

मुद्रा का एक लक्ष्य उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना तथा रोजगार सृजन करना था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ताकि पलायन को हतोत्साहित किया जा सके।

मुद्रा योजना ने आज समाज में एक बुनियादी सोच परिवर्तन लाया है। उद्यमिता, जिसे कुछ हद तक अभिजात वर्ग का काम माना जाता था, अब लोकतांत्रिक हो गई है। आज उद्यमिता में प्रवेश की बाधाएं, वास्तविक और कथित, काफी कम हो गई हैं और मुद्रा योजना इस बदलाव के पीछे की ताकत रही है। आज हमारे समाज का हर तबका उद्यमिता और विकास के बारे में सोच रहा है। छोटे-छोटे विचार MSMEs में, MSMEs सफल स्टार्टअप में और स्टार्टअप यूनिकॉर्न में बदल रहे हैं। मुद्रा के तहत दिए गए 52 करोड़ लोन में से 10.6 करोड़ से अधिक लोन पहली बार के उद्यमियों को दिए गए हैं! आपको यह समझना होगा कि देश के हर हिस्से में मुद्रा योजना द्वारा सशक्त सफल उद्यमी हैं, जिसका मतलब है कि देश के हर हिस्से में सफलता है। इन नए उद्यमियों ने स्थानीय विकास चक्र शुरू किया है। ये नए उद्यमी ज़्यादा लोगों को काम पर रख रहे हैं, बड़े दफ़्तर बना रहे हैं, स्थानीय स्तर पर दूसरे व्यवसायों को सहयोग और सहयोग दे रहे हैं। आज, टियर 2 या टियर 3 शहरों में रहने वाले कई युवा मेट्रो शहरों में जाने के बजाय घर के नज़दीक रहना पसंद करते हैं। आवास की कम लागत, अच्छी शिक्षा, यात्रा में आसानी, कम्युनिकेशन में आसानी और उद्यमिता के लिए बढ़े हुए अवसर उन्हें आकर्षक सौदा प्रदान करते हैं। इन उद्यमियों का मूल्य संवर्धन हमारे राष्ट्रीय विकास में देखा जा रहा है।

पिछले दशक में यह योजना किस प्रकार विकसित हुई है और आगे क्या होगा?

आइए हम मुद्रा योजना के तहत दिए गए ऋणों और वितरित राशि के पैमाने पर नजर डालें। 33 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से अधिक ऋण वितरित किए गए हैं। इसका मतलब है कि हर सेकंड 1.6 ऋण दिए गए हैं, जो एक दिल की धड़कन से भी तेज है। मंजूर की गई कुल राशि 100 देशों की जीडीपी से भी अधिक है। आपको यह अंदाजा देने के लिए कि योजना कैसे आगे बढ़ी है, योजना के तहत मंजूर/वितरित कुल ऋणों का विश्लेषण दिखाता है कि इसके लॉन्च के बाद से ऋणों का औसत टिकट आकार लगभग तिगुना हो गया है-वित्त वर्ष 2016 में 39,000 रुपये से वित्त वर्ष 23 में 73,000 रुपये और वित्त वर्ष 25 में 1.05 लाख रुपये हो गया है। इस वर्ष के बजट में हमने ऋण के लिए ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया है। मुद्रा के इर्द-गिर्द हमने अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर भी काम किया है ऋण और ऋण की आसानी के साथ, हम डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करना चाहते थे, और इसलिए, हमारे पास ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) है। इसे ऑनलाइन कॉमर्स के लिए UPI के रूप में सोचें, जहाँ उद्यमी, विशेष रूप से दूसरे दर्जे के शहरों और गाँवों में रहने वाले, अब बड़े प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर नहीं रहेंगे, जिनके साथ उन्हें अपना मुनाफ़ा साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। AA फ्रेमवर्क और ONDC के साथ MUDRA का भविष्य पहले से ही हमारे सामने है, और एक दशक पहले पहली बार बैंक खाता खोलने वाले अब अर्थव्यवस्था के साथ विकसित हो रहे हैं, एक समृद्ध क्रेडिट इतिहास बना रहे हैं, जो कल उनके लिए अपने बिजनेस ऑपरेशंस को आगे बढ़ाने में फायदेमंद होगा।

उन्होंने भारत की अगुवाई में चल रहे ग्रीन इनिशिएटिव्स को ऐसा प्लेटफॉर्म माना जहाँ सभी देश मिलकर क्लाइमेट-चेंज से निपट सकते हैं, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दे सकते हैं, डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर सकते हैं और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को गति दे सकते हैं।

सोर्स: द इकोनॉमिक टाइम्स