Quoteप्रधानमंत्री ने दुनिया के पहले सीएनजी टर्मिनल की आधारशिला रखी
Quoteप्रधानमंत्री ने भावनगर में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र का भी उद्घाटन किया
Quoteप्रधानमंत्री ने सौनी योजना लिंक 2 के पैकेज 7, 25 मेगावाट पालिताना सौर पीवी परियोजना, एपीपीएल कंटेनर परियोजना सहित कई अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया
Quoteप्रधानमंत्री ने सौनी योजना लिंक 2 के पैकेज 9, चोरवडला जोन जलापूर्ति परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं की आधारशिला रखी
Quote"300 वर्षों की अपनी इस यात्रा में भावनगर ने सतत विकास की, सौराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाई है"
Quote"बीते 2 दशकों में गुजरात की कोस्टलाइन को भारत की समृद्धि का द्वार बनाने के लिए हमने ईमानदारी से प्रयास किया है"
Quote"भावनगर पोर्ट से जुड़े विकास के एक शानदार उदाहरण के रूप में उभर रहा है"
Quote"लोथल दुनिया का सबसे पुराना बंदरगाह है और लोथल समुद्री संग्रहालय के निर्माण से इस स्थान को एक नई पहचान मिलेगी"
Quote"किसानों के सशक्तिकरण की तर्ज पर, मछुआरों को क्रेडिट कार्ड जारी किए गए"
Quote"पीछे छूट गए लोगों की मदद करना डबल इंजन वाली सरकार की प्रतिबद्धता है"
Quote"गरीबों के सपने और उनकी आकांक्षाएं मुझे निरंतर काम करने की ऊर्जा देती हैं"

भावनगर के सभी स्वजनों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। सबसे पहले तो मुझे भावनगर से माफी मांगनी है, मैं भूतकाल में कभी भी इतने ज्यादा समय के बाद भावनगर आया हूँ, ऐसी यह पहली घटना है। बीच में आ नहीं सका, इसलिए क्षमा मांगता हूँ। और फिर भी आज आपने जो आशीर्वाद बरसाएं हैं, जो प्यार दिया है, यह मैं कभी भी नहीं भूलूंगा। दूर-दूर तक मेरी नजर जा रही है, इतनी बड़ी संख्या में और वह भी इतनी गर्मी में, आप सभी को शत-शत नमन करता हूँ।

आज मेरी भावनगर की मुलाकात विशेष है। एक तरफ देश जहां आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका है, वहीं इस साल भावनगर अपनी स्थापना के 300 वर्ष पूरे करने जा रहा है। 300 वर्षों की अपनी इस यात्रा में भावनगर ने सतत विकास की, सौराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में अपनी एक पहचान बनाई है। इस विकास यात्रा को नए आयाम देने के लिए आज यहां करोड़ों रुपयों के अनेक प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट भावनगर की पहचान को सशक्त करेंगे, सौराष्ट्र के किसानों को सिंचाई की नई सौगात देंगे, आत्मनिर्भर भारत अभियान को और मज़बूती देंगे। रीजनल साइंस सेंटर के बनने से शिक्षा और संस्कृति के शहर के रूप में भावनगर की पहचान और समृद्ध होगी। इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

भाइयों और बहनों,

जब भी मैं भावनगर आया हूं तो एक बात ज़रूर कहता रहा हूं। बीते ढाई-तीन दशकों में जो गूंज सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद की रही है, अब वही गूंज राजकोट, जामनगर, भावनगर की होने वाली है। सौराष्ट्र की समृद्धि को लेकर मेरा विश्वास इसलिए प्रगाढ़ रहा है, क्योंकि यहां उद्योग, खेती, पर्यटन, इन तीनों के लिए ही अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। आज का ये कार्यक्रम इसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ते डबल इंजन सरकार के प्रयासों का एक जीता जागता सबूत है। भावनगर समंदर के किनारे बसा जिला है। गुजरात के पास देश की सबसे लंबी कोस्टलाइन है। लेकिन आजादी के बाद कई दशकों में तटीय विकास पर उतना ध्यान ना दिए जाने की वजह से, ये विशाल कोस्टलाइन एक तरह से लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी। समंदर का खारा पानी,

यहां के लिए अभिशाप बना हुआ था। समंदर के किनारे बसे गांव के गांव खाली हो गए थे। लोग यहां-वहां पलायन करने लगे थे। कितने ही नौजवान सूरत जाते थे, वहां एक ही कमरे में 10-10, 15-15, 20-20 लोग जैसे-तैसे गुज़ारा करते थे। ये स्थिति बहुत दुखद थी।

साथियों,

बीते 2 दशकों में गुजरात की कोस्टलाइन को भारत की समृद्धि का द्वार बनाने के लिए हमने ईमानदारी से प्रयास किया है। रोजगार के अनेक नए अवसर खड़े किये हैं। गुजरात में हमने अनेकों पोर्ट्स विकसित किए, बहुत से पोर्ट्स का आधुनिकीकरण कराया, गुजरात में आज तीन बड़े LNG टर्मिनल हैं, पेट्रोकेमिकल हब्स हैं और देश में गुजरता पहला राज्य था, जहां पहला LNG टर्मिनल बना था। राज्य के तटीय इलाकों में हमने सैकड़ों कोस्टल इंडस्ट्रीज डेवलप की, छोटे-बड़े अनेक उद्योग विकसित किए। उद्योगों की ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए हमने कोल-टर्मिनल्स का नेटवर्क भी तैयार किया है। आज गुजरात के तटीय इलाकों में अनेक पॉवर प्लांट्स जो केवल गुजरात ही नहीं पूरे देश को ऊर्जा देते हैं। हमारे मछुवारे भाई-बहनों की मदद के लिए हमने फिशिंग हार्बर्स बनवाए, फिश लेंडिंग सेंटर्स और फिश प्रोसेसिंग को भी बढ़ावा दिया। फिशिंग हार्बर का जो मजबूत नेटवर्क हमने तैयार किया है, उसका भी निरंतर विस्तार किया जा रहा है, उसका आधुनिकीकरण किया जा रहा है। गुजरात के तटीय क्षेत्र में मैंग्रूव के जंगलों का विकास करके हमने कोस्टल इकोसिस्टम को और सुरक्षित बनाया है, और मजबूत बनाया है, और उस समय भारत सरकार में जो मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने एक बार कहा था। कि हिन्दुस्तान के तटीय राज्यों को गुजरात से मैंग्रूव का विकास कैसे हो सकता है, ये सीखना चाहिए। ये काम आप सबके सहयोग से गुजरात में हुआ है।

हमने Aquaculture को भी निरंतर बढ़ावा दिया। गुजरात देश के उन अग्रणी राज्यों में है, जहां Sea-Weed की खेती को लेकर बड़े प्रयास हुए हैं। आज गुजरात की कोस्ट लाइन, देश के आयात-निर्यात में बहुत बड़ी भूमिका निभाने के साथ ही लाखों लोगों को रोजगार का माध्यम भी बनी है। आज गुजरात की कोस्टलाइन, री-न्यूएबल एनर्जी और हाइड्रोजन इकोसिस्टम उसका पर्याय बनकर उभर रही है। हमने सौराष्ट्र को भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का प्रयास किया है। गुजरात और देश की ऊर्जा उसकी जो जरूरतें हैं। उसके लिए जो कुछ भी चाहिए, आज ये क्षेत्र उसका बड़ा हब बन रहा है। अब तो सौर ऊर्जा के भी अनेक प्रोजेक्ट इस क्षेत्र में लग रहे हैं। पालिताना में आज जिस सोलर पावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ है, उससे क्षेत्र के अनेक परिवारों को सस्ती और पर्याप्त बिजली मिल पाएगी। एक समय था, जो आज 20-22 साल के होंगे ना उनको तो इन बातों को पता भी नहीं होगा, यही हमारे गुजरात में एक समय था, जब शाम को खाना खाने के समय अगर बिजली आ गई तो खुशी का दिन होता था। और मुझे याद है, मैं मुख्यमंत्री बना पहले ही दिन से लोग कहते थे कि कम से कम शाम को खाना खाते समय बिजली मिले ऐसा तो करो। वो सारे दुख वाले दिन चले गए दोस्तों।

आज यहां पर्याप्त बिजली के कारण बिजनेस के नए अवसर यहां बन रहे हैं, उद्योग-धंधे फल-फूल रहे हैं। धोलेरा में री-न्यूएबल एनर्जी, स्पेस और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर जो निवेश होने जा रहा है, उसका लाभ भी भावनगर को मिलने वाला है। क्योंकि एक प्रकार से वो भावनगर का पड़ोसी इलाका डेवलप हो रहा है और वो दिन दूर नहीं होगा अहमदाबाद से धोलेरा, भावनगर ये पूरा क्षेत्र विकास की नई–नई ऊंचाईयों को प्राप्त करने वाला है।

भाइयों और बहनों,

भावनगर आज Port-led Development के एक अहम सेंटर के रूप में विकसित हो रहा है। इस पोर्ट की देशभर के अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों के साथ मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। मालगाड़ियों के लिए अलग से जो ट्रैक बिछाया जा रहा है, उससे भी ये पोर्ट जुड़ेगा और दूसरे हाईवे, रेलवे नेटवर्क से भी बेहतर कनेक्टिविटी होगी। पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान ये कनेक्टिविटी की परियोजनाओं को और नया बल देने वाली है। यानि भावनगर का ये पोर्ट आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा और रोज़गार के सैकड़ों नए अवसर यहां बनेंगे। यहां भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स से जुड़े व्यापार-कारोबार का विस्तार होने वाला है। ये बंदरगाह गाड़ियों की स्क्रैपिंग, कंटेनर उत्पादन और धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स की भी ज़रूरतों को पूरा करेगा। इससे यहां नए रोज़गार बनेंगे, स्वरोजगार की संभावनाएं बनेंगी।

साथियों,

अलंग को दुनिया के बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड में से एक के लिए जाना जाता है। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसको अलंग का पता ना हो। केंद्र सरकार ने जो नई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी यानि पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने के लिए जो नीति बनाई। वो जब लागू होगी, मैं साथियों दावे से कहता हूं। पूरे हिन्दुस्तान में ये व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी का सबसे पहले और सबसे ज्यादा लाभ किसी को मिलने वाला है, तो आप लोगों को मिलने वाला है। इसका कारण है, अलंग के पास तो स्क्रैपिंग से जुड़ी विशेषज्ञता है। बड़े-बड़े जहाजों को कैसे स्क्रैप किया जाता है, उसकी उनको जानकारी है। ऐसे में जहाजों के साथ-साथ दूसरे छोटे वाहनों की स्क्रैपिंग का भी देश का ये बड़ा सेंटर बन सकता है। भावनगर के मेरे होनहार उद्यमियों को मुझे ये याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि वो विदेशों से भी ये छोटी-छोटी गाड़ियां लाकर, उन्हें यहां स्क्रैप करने का काम भी शुरू कर देंगे।

साथियों,

यहां जहाज़ों को तोड़कर जो लोहा निकलता है, अभी तक कंस्ट्रक्शन सेक्टर में उसका बड़ा उपयोग होता है। हाल ही में हमने देखा है कि कंटेनरों के लिए किसी एक ही देश पर अति-निर्भरता से कितना बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। भावनगर के लिए ये भी एक नया अवसर है और बड़ा अवसर है। एक तरफ वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ दुनिया भी कंटेनर्स के मामले में भरोसेमंद सप्लायर की तलाश में है। पूरी दुनिया को लाखों कंटेनर की जरूरत है। भावनगर में बनने वाले कंटेनर, आत्मनिर्भर भारत को भी ऊर्जा देंगे और यहां रोज़गार के अनेक अवसर भी बनाएंगे।

साथियों,

जब मन में लोगों की सेवा का भाव हो, परिवर्तन लाने की इच्छाशक्ति हो, तो बड़े से बड़े लक्ष्य को पाना संभव होता है। सूरत से भावनगर आने-जाने वाली गाड़ियों की क्या स्थिति होती थी, ये आप लोग अच्छी तरह जानते हैं। घंटों का सफर, सड़क हादसे, पेट्रोल-डीजल का खर्चा, कितनी सारी मुश्किलें थीं। अब जीवन पर संकट भी कम हुआ है, किराए-भाड़े का पैसा और समय भी बच रहा है। तमाम अड़चनों के बावजूद हमने घोघा-दहेज फ़ेरी शुरू करके दिखाई, इस सपने को पूरा किया। घोघा-हज़ीरा रो-रो फेरी सर्विस से सौराष्ट्र और सूरत की दूरी लगभग 400 किलोमीटर से घटकर के 100 किलोमीटर से भी कम हो गई है। बहुत ही कम समय में इस सेवा से लगभग 3 लाख यात्री सफर कर चुके हैं। 80 हज़ार से अधिक गाड़ियों को यहां से वहां पहुंचाया गया है और इसी साल अब तक 40 लाख लीटर से अधिक पेट्रोल-डीज़ल की बचत हुई है, मतलब उतने पैसे आप लोगों की जेब में बचे हैं। आज से तो इस रूट पर बड़े जहाजों के लिए भी रास्ता साफ हुआ है।

साथियों,

आप समझ सकते हैं ये कितनी बड़ी सेवा इस क्षेत्र के सामान्य जनों, किसानों और व्यापारियों की हुई है। लेकिन इतना सब कुछ बिना किसी शोर-शराबे के, बड़े-बड़े विज्ञापन के पीछे पैसे बर्बाद किए बिना ये सारे काम हो रहे हैं, साथियों। क्योंकि हमारी प्रेरणा और लक्ष्य कभी भी सत्ता सुख नहीं रहा है। हम तो हमेशा सत्ता को सेवा का माध्यम मानते हैं। ये हमारा सेवा का यज्ञ चल रहा है। इसी सेवाभाव के कारण ही इतना प्यार, इतना आशीर्वाद निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है, बढ़ता ही चला जा रहा है।

साथियों,

हमारे प्रयासों से इस क्षेत्र में सिर्फ आना-जाना, ट्रांसपोर्टेशन ही नहीं, इतनी ही सुविधा हुई है ऐसा नहीं है, लेकिन टूरिज्म को भी बढ़ावा मिला है। अपनी समुद्री विरासत को सहेजकर उसको पर्यटन की ताकत बनाने पर गुजरात के तटीय क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम हो रहा है। लोथल में बनने वाला मेरीटाइम म्यूज़ियम, शायद आपमें से बहुत कम लोगों को मालूम होगा। लोथल में दुनिया में नाम कमा सके, ऐसा मेरीटाइम म्यूज़ियम बन रहा है। जैसे Statue of Unity उसने एक पहचान बनाई है। ये लोथल का मेरीटाइम म्यूज़ियम भी बनाएगा। क्योंकि हमारे लिए गर्व की बात है। दुनिया का सबसे पुराना बंदरगाह लोथल ये हमारी गुजरात की धरती पर है, ये हमारे भावनगर के किनारे पर है। लोथल हमारी विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, जिसको पूरी दुनिया के पर्यटन नक्शे पर लाने के लिए बहुत परिश्रम किया जा रहा है। लोथल के साथ वेलावदर नेशनल पार्क में इको टूरिज्म से जुड़े सर्किट का लाभ भी भावनगर को होने वाला है, विशेष रूप से छोटे–छोटे जो बिजनेसमेन हैं, छोटे-छोटे कारोबारी हैं, व्यापारी हैं, उनको विशेष होने वाला है।

भाइयों और बहनों,

सौराष्ट्र में किसानों और मछुआरों, दोनों के जीवन में पिछले 2 दशकों में बहुत बड़ा बदलाव आया है। एक समय था, जब जानकारी के अभाव में अक्सर मछुआरों का जीवन खतरे में पड़ जाता था। जब मैं यहां मुख्यमंत्री था, तब मछुआरों को एक लाल रंग की बास्केट दी गई थी, जिसमें अलग अलग बटन लगे थे। दुर्घटना की स्थिति में बटन दबाने पर कोस्ट गार्ड के ऑफिस में सीधा अलर्ट पहुंच जाता था। जिससे तुरंत सहायता पहुंचाना संभव हो पाता था। इसी भावना का 2014 के बाद पूरे देश के लिए हमने विस्तार किया है। मछुआरों की नावों को आधुनिक बनाने के लिए सब्सिडी दी, किसानों की तरह ही मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए।

साथियों,

आज मुझे बहुत संतोष होता है, जब सौनी योजना से हो रहे बदलाव को मैं देखता हूं। मुझे याद है मैंने जब सौनी योना की बात कही थी तो हमारे सौराष्ट्र में मैंने राजकोट में आकर के इसकी शुरूआत की थी। सारे मीडिया वालों ने लिखा था कि देखो चुनाव आया, इसलिए मोदी जी ने घोषणा कर दी है। चुनाव जाएगा, भूल जाएंगे। लेकिन मैंने सबको गलत सिद्ध कर दिया। आज सौनी योजना नर्मदा मैया को लेकर के उसे जहां-जहां पहुंचाने का संकल्प किया था, तेज गति से पहुंच रही है भाइयों। हम वचन के पक्के लोग हैं, हम समाज के लिए जीने वाले लोग हैं।

साथियों,

इस सौनी परियोजना के इसके एक हिस्से का लोकार्पण आज होता है और दूसरे हिस्से पर काम शुरु होता है। हम काम रूकने नहीं देते। आज भी जिस हिस्से का लोकार्पण हुआ है, उससे भावनगर और अमरेली जिले के अनेक डैम तक पानी पहुंच रहा है। इससे भावनगर के गारीयाधार, जेसर और महुवा तालुका और अमरेली जिले के राजुला और खांभा तालुका अनेक गांवों के किसानों को लाभ होने वाला है। भावनगर, गिर सोमनाथ, अमरेली, बोटाद, जूनागढ़, राजकोट, पोरबंदर इन जिलों के सैकड़ों गांवों और दर्जनों शहरों तक पानी पहुंचाने के लिए भी आज काम नए सिरे से जोड़ा गया है।

भाइयों और बहनों,

अभाव को दूर करना और जो विकास में पीछे छूट गया, उसका हाथ पकड़कर आगे ले जाना, ये डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता है। गरीब से गरीब को जब साधन मिलते हैं, जब सरकार उनको संसाधन देती है तो वो अपनी तकदीर बदलने में जुट जाता है। वो दिन रात मेहनत करता है और गरीबी से लड़ाई लड़कर गरीबी को परास्त करता है। गुजरात में हम अक्सर गरीब कल्याण मेले का आयोजन करते थे। ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान यहां भावनगर में एक बहन को मैंने तीन पहियें वाली साइकिल दी थी। दिव्यांग बहन थी, तो उसने मुझे क्या कहा। आप देखिए, मिजाज देखिए भावनगर के लोगों का, गुजरातियों का स्प्रिट देखिए, मुझे बराबर याद है। उस बहन ने कहा कि मुझे तो साइकिल चलाना आता नहीं है। मुझे तो इलेक्ट्रिकल ट्राइसिकल दीजिए। ये मिजाज है मेरे गुजरात का, ये मिजाज है मेरे भावनगर का और ये जो विश्वास था, उस बहन के मन में जो भरोसा था, वो भरोसा मेरी सबसे बड़ी पूंजी है भाइयों। गरीबों के यही सपने, यही आकांक्षाएं मुझे निरंतर काम करने की ऊर्जा देते हैं। आपके आशीर्वाद से ये ऊर्जा बनी रहे, और निरंतर आपका प्यार बढ़ता चला जा रहा है। और मैं आज ये जरूर कहुंगा कि मुझे आने में कुछ साल लग गए, मैं देर से आया, लेकिन खाली हाथ नहीं आया हूं। पिछले सालों का जो बकाया था, वो भी लेकर के आ गया हूं। और वैसे भी भावनगर का मेरे ऊपर अधिकार है भाई, आप भावनगर आओ और नरसीबापा का गांठीया, दास के पेड़े और जब गांठीया याद करूं, तब मुझे मेरे हरिसिंह दादा याद आते हैं। कई सालों पहले मैं छोटे कार्यकर्ता के रुप में तब तो मैं राजनीति में भी नहीं था। मुझे गांठीया खाना खाना किसी ने सिखाया है, तो हरिसिंह दादा ने सिखाया। जब अहमदाबाद आए, तब गांठीया लेकर आए, वह हमारी चिंता करते थे। आज जब भावनगर आया हूँ, तब अभी नवरात्रि का व्रत चल रहा है, तो अभी सब किसी काम का नहीं है। फिर भी भावनगर का गांठीया देश और दुनिया में प्रसिद्ध है, यह छोटी-मोटी बात नहीं है दोस्तों। यह भावनगर की ताकत है। साथियों आज विकास के अनेक प्रकल्प लेकर मैं आया हूँ। अनेक परियोजना लेकर आया हूँ। यह भावनगर की युवा पीढ़ी के भविष्य को निश्चित करने वाली योजनाएं हैं। भावनगर के भविष्य को चार चांद लगाने वाली योजनाएं हैं। कोई कल्पना नहीं कर सकेगा, तेज गति से भावनगर का विकास हो, इसके लिए यह योजनाएं हैं। और उसका लाभ समग्र सौराष्ट्र को मिलेगा, सारे गुजरात को मिलेगा और देश को भी उसके फल चखने को मिलेगा। भाइयों-बहनों आपने जो प्यार बरसाया है, जो आशीर्वाद बरसाया है। इतनी विराट संख्या में आप आए हैं, मैं अंतःकरणपूर्वक आपका आभारी हूँ। मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की-जय,

भारत माता की-जय,

भारत माता की-जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री के भाषण का कुछ अंश गुजराती भाषा में भी है, जिसका भावानुवाद यहाँ किया गया है।

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स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप से निकलने वाले लीडर, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे: पीएम
February 21, 2025
QuoteThe School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
QuoteToday, India is emerging as a global powerhouse: PM
QuoteLeaders must set trends: PM
QuoteIn future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
QuoteIndia needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
QuoteThe bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM

His Excellency,

भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।

साथियों,

कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।

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साथियों,

आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।

साथियों,

कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।

21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।

साथियों,

आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।

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साथियों,

आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।

साथियों,

हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।

यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।

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साथियों,

ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।

साथियों,

एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।

साथियों,

जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।

साथियों,

संस्कृत में एक बहुत ही सुंदर सुभाषित है:

अमन्त्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्। अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकाः तत्र दुर्लभः।।

यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।

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साथियों,

आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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साथियों,

ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।