"30 और 31 अक्टूबर हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं क्योंकि पहले गोविंद गुरु जी की पुण्य तिथि और दूसरे दिन सरदार पटेल जी की जयंती है"
"भारत की विकास गाथा दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई है"
“मोदी जो संकल्प लेते हैं, उसे पूरा करते हैं ”
"सिंचाई परियोजनाओं के कारण उत्तर गुजरात में सिंचाई का दायरा 20-22 वर्षों में कई गुना बढ़ गया"
"गुजरात में शुरू की गई जल संरक्षण योजना अब देश के लिए जल जीवन मिशन का रूप ले चुकी है"
"उत्तरी गुजरात में 800 से अधिक नई ग्राम डेयरी सहकारी समितियाँ बनाई गई"
"आज देश में हमारी विरासत को विकास से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य हो रहा है"

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

क्या हुआ, जरा इतनी जोर से बोलिए कि आपकी आवाज़ अंबाजी तक पहुंचे।

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई, अन्य सभी मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष भाई सी.आर.पाटिल, अन्य सभी सांसदगण और विधायकगण। तहसील पंचायत और जिला पंचायत के सभी सदस्य और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्रिय गुजरात के परिवारजन।

कैसा है अपना खाखरिया टप्पा, पहले तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री जी का और सरकार का आभारी हूं कि मुझे आपके बीच में आकर के दर्शन करने का यहां मौका मिला है। स्कूल समय के कितने मित्रों के चेहरे दिख रहे थे मुझे, मेरे लिए यह सौभाग्य का क्षण था। आप सभी के निकट आकर आप सभी के दर्शन करना, घर आंगन में आने पर पुराने सारे स्मरण भी तरोताजा हो जाते हैं, जिस धरती और जिन लोगों ने मुझे बनाया है, उसका ऋण स्वीकार करने का जब भी मुझे मौका मिलता है, मन को संतोष मिलता है। इसलिए एक प्रकार से आज यह मेरी मुलाकात ऋण स्वीकार करने का मेरे लिए अवसर है। आज 30 अक्टूबर और कल 31 अक्टूबर, यह दोनों दिन हम सबके लिए बहुत ही प्रेरक दिन हैं, आज आजादी के जंग में आदिवासियों को जिन्होंने नेतृत्व दिया और अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे, ऐसे गोविन्द गुरुजी की पुण्यतिथी है। और कल सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती है। हमारी पीढ़ी ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार साहब को सही अर्थ में बहुत ही ऊँचाई वाली श्रद्धा हमने व्यक्त की है और आने वाली पीढ़ी भी जब सरदार साहब की मूर्ती देखेगी तब उनका सर झुकेगा नहीं, उनका सर ऊपर ही होगा। सरदार साहब के चरणों मे खड़ा हुआ एक-एक व्यक्ति सर ऊपर करेगा, सर झुकाएगा नहीं ऐसा काम वहां हुआ है। गुरु गोविन्दजी का पूरा जीवन मां भारती की आजादी के लिए संघर्ष में और आदिवासी समाज की सेवा में, सेवा और राष्ट्रभक्ति इतनी तीव्र थी कि बलिदानियों की परंपरा खड़ी कर दी थी। और खुद बलिदानियों के प्रतीक बन गए, मुझे आनंद है कि मेरी सरकार ने गत वर्षो में गुरू गोविन्दजी की स्मृति में मानगढ़ धाम जो मध्यप्रदेश- गुजरात के आदिवासी पट्टे के क्षेत्र में है, उसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर उसे बहुत बड़े अवसर के रूप में मनाते हैं।

मेरे प्रिय परिवारजनों,

यहां आने से पहले मां अंबे के चरणों में मुझे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला, मुझे आनंद हुआ, अंबे मां की रौनक देखकर, अंबे मां के स्थान की रौनक देखकर, मैंने तो सुना है कि गत सप्ताह से आप सफाई में लगे हुए थे। खेरालु कहो कि अंबाजी कहो, यह स्वच्छता के अभियान में आपने जो काम किया है, उसके लिए आपको और सरकार के साथियों को भी अभिनंदन देता हूं। मां अंबे का आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर बना रहे, वहां जिस प्रकार गब्बर पर्वत का विकास हो रहा है, जो भव्यता दिख रही है, और कल मैंने मन की बात में भी उसका उल्लेख किया था। सचमुच अभूतपूर्व कार्य हो रहा है। मां अंबे का आशीर्वाद और उसके साथ ही आज लगभग 6 हजार करोड़ रुपये के विकास परियोजना के कार्यों का लोकार्पण का आज यहां मौका मिला है। यह परियोजना, यह सभी प्रकल्प किसानों के भाग्य को मजबूती देने वाला है। समग्र उत्तर गुजरात के विकास के लिए देश के साथ जोड़ने के लिए कनेक्टिविटी का बहुत अच्छा प्रयोग है। हमारे मेहसाणा के आसपास जितने भी जिले हैं, चाहे पाटण हो, बनासकाँठा हो, साबरकांठा हो, महिसागर, खेड़ा, अहमदाबाद, गांधीनगर हो, इतना बड़ा खजाना है विकास के कामों का। इतने सारे लोगों की खुशी के लिए तेज गति से कामों की वजह से सीधा-सीधा फायदा इस क्षेत्र के विकास को मिलने वाला है। विकास के कार्यों के लिए गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत अभिनंदन देना चाहता हूं।

मेरे प्रिय परिवारजनों,

भारत के विकास की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। हो रही है कि नहीं हो रही, जरा जोर से बोलिए। समग्र दुनिया में भारत के विकास की चर्चा हो रही है कि नहीं हो रही। और आपने देखा होगा अभी हमारे भारत ने चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचाया। गांव का आदमी हो जो स्कूल भी ना गया हो, 80-90 साल हो चुके हों उसे ऐसा लगता है कि भारत ने बहुत बड़ा काम किया है, और भारत को चांद तक पहुंचा दिया। दुनिया के देशों में कोई भी वहां पहुंचा नहीं, जहाँ हमारा भारत पहुंचा है भाई। जी-20 की दुनिया के लोगों में शायद ही इतनी चर्चा नहीं हुई होगी, जितना भारत के कारण जी-20 की चर्चा हुई। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं होगा कि जिसे जी-20 पता नहीं होगा, क्रिकेट में 20-20 के बारे में पता नहीं होगा, परंतु जी-20 के बारे में पता हो ऐसा वातावरण बन गया। जी-20 में विश्व के नेता भारत के कोने-कोने में गए, और अंत में दिल्ली में भी भारत का वैभव और भारत के लोगों की क्षमता देखी, दुनिया चकित हो गई दोस्तों, विश्वभर के नेताओं का भारत के लिए उनके मन में कौतुहल जागने लगा। भारत का सामर्थ्य और उनकी क्षमता का परिचय समग्र दुनिया को दिख रहा है। भारत में आज एक से बढ़कर एक आधुनिक इन्फ्रास्ट्क्चर का निर्माण हो रहा है।

रोड, रेल या फिर एयरपोर्ट हो, आज जितना भी निवेश भारत के कोने-कोने, गुजरात के कोने-कोने में हो रहा है। आज से वर्षों पहले इसका नामोनिशान नहीं था दोस्तों। आज इतना बड़ा काम हो रहा है, परंतु भाइयों-बहनों एक बात आप बहुत अच्छी तरह से जानते हो, कि विकास के जो बड़े-बड़े काम हो रहे हैं, हिम्मत से जो निर्णय लिए जा रहे हैं और गुजरात जो तेज गति से आगे बढ़ रहा है, उसमें गत समय में मजबूती से काम किया गया है। और आपको पता है कि आपके नरेन्द्र भाई, आपको ऐसा नहीं लगा होगा कि प्रधानमंत्री आए हैं। आपको ऐसा ही लगेगा कि अपने नरेन्द्र भाई आए हैं। इससे बेहतर और क्या हो सकता है भाई, और नरेन्द्र भाई को आप पहचानते हो, कि वह एक बार संकल्प ले लें तो पूरा करके ही रहते हैं। और आप सभी मुझे अच्छी तरह से जानते हो कि, आज जो देश में तेजी से विकास हो रहा, आज जो दुनिया में वाहवाही और चर्चा हो रही है। उसकी जड़ में कौन सी ताकत है पता है, आज दुनिया में जय-जयकार हो रही है उसके मूल में कौन सी ताकत है भाई, इस देश के कोटि-कोटि जनों की ताकत है। जिन्होंने देश में स्थिर सरकार बनाई। और हम तो गुजरात के अनुभवी हैं, लंबे समय से गुजरात में स्थिर सरकार होने के कारण पूर्ण बहुमत की सरकार होने के कारण हम एक के बाद एक निर्णय कर सके हैं और उसका फायदा भी गुजरात को हुआ है।

जहां कुदरती संसाधनों की कमी हो, वहां अगर कोई अपनी पुत्री देना हो तो 100 बार विचार करता था, पानी के संकट से जूझता यह क्षेत्र, वह आज विकास के पथ पर अग्रसर है। उसके मूल में ताकत है। एक जमाना था घूम फिर कर एक डेरी, उसके अलावा हमारे पास कुछ नहीं था। और आज तो हमारे चारों तरफ विकास के नए-नए क्षेत्रों, उस समय पीने के पानी की समस्या थी। न हीं सिंचाई का पानी था, लगभग पूरे उत्तर गुजरात का बड़ा क्षेत्र डार्क जोन में फंसा हुआ था। और उसमें पानी भी नीचे, हजार-बारह सौ फुट नीचे, ट्युबवेल भी बंद हो जाए ऐसी दशा थी, बार-बार ट्युबवेल डालनी पड़े और बार-बार मोटर भी बिगड़ जाए। अनेक मुसीबतों में जीते थे, इन मुसीबतों से हम सब बाहर आए हैं। पहले किसानों को एक फसल मुश्किल से मिलती थी। आज दो-दो, तीन-तीन की गारन्टी हो गई है मित्रों। इस परिस्थिति में हमने संकल्प लिया कि उत्तर गुजरात का जीवन बदलेंगे। उत्तर गुजरात का कायाकल्प करेंगे, दरिया का विस्तार करेंगे और आदिवासी क्षेत्र का कायाकल्प करेंगे। और उसमें एक काम बड़ा किया और कनेक्टिविटी पर जोर दिया। पानी की बात हो, सप्लाई हो, सिंचाई हो उस पर जोर दिया। खेती के विकास के लिए पूरी ताकत लगाई।

उसके कारण अब धीरे-धीरे गुजरात औद्योगिक विकास की तरफ बढ़ा है। और हमारा लक्ष्य था कि उत्तर गुजरात में यहां के लोगों को यहीं रोजगार मिले। नहीं तो मैं जब पढ़ता था, कोई भी गांव में किसी को भी पूछो क्या करते हो, तो कहता था मैं शिक्षक हूं। पुछा जाता था तो कहते थे कि कच्छ में नौकरी करता हूं। बड़े भागों के गांवो में से दो-पांच, दो-पांच शिक्षक गुजरात के किनारे कहीं नौकरी करने जाते थे। क्योंकि यहां रोजगार नहीं था, आज उद्योग का झंडा फहरा रहा है। नर्मदा का पानी, मही का पानी जो समुद्र में जाता था, अब अपने खेतों में पहुंचा है। मां नर्मदा का नाम लेते ही पवित्रता मिलती है, आज मां नर्मदा अपने घर घर पहुंची है। आज 20-25 साल का जो नव युवा है ना उसे तो शायद पता ही नहीं होगा कि उसके मां-बाप ने कितनी मुसीबतों में जिंदगी निकाली है। आज उसे कोई मुसीबत देखने को ना मिले ऐसा गुजरात हमने बनाया है। सुजलाम-सुफलाम योजना और आज मैं उत्तर गुजरात के किसानों का बार-बार आभार मानता हूं कि उन्होनें एक ही बार में सुजलाम-सुफलाम के लिए जमीन दी थी। लगभग 500 किलोमीटर केनाल, एक भी कोर्ट कचहरी नहीं हुई। जमीन लोगों ने दी कच्ची केनाल बन गई, पानी उतरने लगा और पानी का स्तर ऊपर आने लगा। साबरमती का ज्यादा से ज्यादा पानी इस क्षेत्र के लोगों को मिले ऐसी व्यवस्था की गई है। छह बैराज हमने बनाये, उसके लिए हमने काम किया और आज एक बैराज के लोकार्पण का भी काम हुआ है। इसका बड़ा फायदा अपने किसान भाइयों और सैकड़ों गांवों को होने वाला है।

मेरे परिवारजनों,

सिंचाई की इन योजनाओं का तो काम हुआ ही है, पर उसमें 20-22 साल में उत्तर गुजरात के सिंचाई का दायरा लगभग अनेक गुना बढ़ गया है। और मुझे तो खुशी है कि जब मैं शुरुआत में उत्तर गुजरात के लोगों को कहता कि हमें टपक (स्प्रिंकल) सिंचाई करनी पड़ेगी तो सब मेरे बाल खिंचते थे, गुस्सा करते थे, कहते थे साहब इसमें क्या होगा। अब मेरे उत्तर गुजरात का एक-एक जिला टपक (स्प्रिंकल) सिंचाई, लघु सिंचाई और नई टेक्निक अपनाने लगा और इसके कारण उत्तर गुजरात के किसानों की अनेक प्रकार की फसलों की संभावना बनी है। आज बनासकाँठा में लगभग 70 टका जितना हिस्सा लघु सिंचाई वाला बन गया है। इतनी ही सिंचाई और नई टेक्नोलॉजी के कारण जो मदद मिली है, उसका लाभ पूरे अपने गुजरात के सूखे क्षेत्र को भी मिल रहा है। जहां कभी किसान मुश्किलों में जीता था, मुश्किलों में फसल उगाता था, वह आज गेंहू, अरंड, चना की इसमें से थोड़ा-थोड़ा उगाकर उसमें से बाहर आकर अनेक नई फसलों की तरफ बढ़ा है। और रवि फसल उगाने लगा है, और अपने तो सौंफ, जीरा, इसबगोल का जय जयकार चारों तरफ है भाई। इसबगोल आपको याद होगा, कोविड के बाद दो चीजों की दुनिया में चर्चा हुई थी, एक अपनी हल्दी और दूसरा अपना इसबगोल आज दुनियाभर में इसकी चर्चा है। आज 90 प्रतिशत इसबगोल, उसका प्रोसेसिंग उत्तर गुजरात में होता है। और विदेशों में भी इसबगोल का गुणगाना गाया जा रहा है। लोगों में इसबगोल का उपयोग बढ़ रहा है।

आज उत्तर गुजरात फल, सब्जी, आलू इन सबके उत्पादन में आगे बढ़ रहा है। आलू हो, गाजर हो, यहां तक की आम, आंवला, अनार,अमरुद, नींबू क्या क्या नहीं हो रहा। एक काम जो जड़ से करे ना तो पीढ़ियां तर जाती हैं, ऐसे काम हमने किये हैं। और उसके कारण हम भव्य जिंदगी जी रहे हैं। और उत्तर गुजरात के आलू तो दुनियाभर में फेमस हो रहे है। मैं जब यहां था तब केन्द्र की कंपनियां आती थी पूछने के लिए, आज एक्सपोर्ट क्वालिटी के आलू अपने उत्तर गुजरात में बनने लगे हैं। फ्रेन्च फ्राईस उसके प्रोडक्ट आज विदेश में जाने लगे हैं। आज डिसा के आलू, ओर्गेनिक फार्मिंग उसके हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। और उसकी विशेष मांग हो रही है। बनासकांठा में आलू की प्रोसेसिंग के बड़े-बड़े प्लांट लगे हुए हैं, जिसका लाभ हमारे आलू उगाने वाले रेती वाले जमीन में से सोना पकाने का काम हुआ है। महेसाणा में ऐग्रो फूड पार्क बना, अब बनासकांठा में भी मेगा फूड पार्क बनाने का काम हम आगे बढ़ा रहे हैं।

मेरे परिवारजनों,

इस उत्तर गुजरात में मेरी माता-बहनों को सिर पर पानी के घड़े लेकर 5-10 किलोमीटर जाना पड़ता था। आज घर में नल से जल आने लगा, मेरी माता-बहनों का जितना आशीर्वाद मिले, और मुझे तो माता-बहनों का आशीर्वाद हमेशा ही रहा, और सिर्फ गुजरात नहीं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में से माता-बहनों का जो आशीर्वाद मिला है ना उसकी कल्पना भी मैं नहीं कर सकता, कारण कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा, शौचालय जैसी सुविधा, जलक्रांति का जो अभियान आगे बढ़ाया है। बहनों के नेतृत्व में यह व्यवस्था विकसित हुई है। घर-घर पानी, पानी के संरक्षण का अभियान, इसे भी हमने बल दिया है। जिसके कारण गुजरात के घरों में पानी पहुंचाया, हिंदुस्तान के घरों में पानी पहुंचाने का काम चल रहा है। हर घर जल अभियान, हमारा आदिवासी क्षेत्र हो, टेकरीयां हो, छोटी-छोटी पर्वतमाला हो, करोड़ों लोगों के जीवन को बदलने का काम हुआ है।

मेरे प्रिय परिवारजनों,

अपनी बहनों की बहुत बड़ी भागीदारी डेयरी सेक्टर में है, ऐसा कहुं कि अपने गुजरात की डेयरियों का संचालन ही मेरी माता-बहनों के परिश्रम से हो रहा है, और डेयरी सेक्टर के विकास के कारण आज घर की इनकम में स्थिरता आई है, जिसमें मेरी माताओं-बहनों का बहुत बड़ा योगदान है। कुछ नहीं बना हो, परंतु 50 लाख करोड़ के दूध का व्यापार सरलता से करती हो ऐसी मेरी माता- बहनों की ताकत है। गत वर्ष उत्तर गुजरात में सैकड़ों नए पशु अस्पताल बनाये गए हैं, उसका कारण है हम उसकी ताकत समझते है। पशुओं की तबियत अच्छी रहे, अच्छे से अच्छी सेवा मिले और हमारे पशुओं की दूध उत्पादकता बढ़े उसकी ओर हम ध्यान कर रहे हैं। दो पशुओं से जितना दूध मिलता हो उसके लिए चार पशु रखने की जरुरत ना हो इस तरह हम आगे बढ़ रहे हैं। गत दो दशको में गुजरात में 800 से ज्यादा नई ग्राम डेयरी की सहकारी समिति हमने बनाई है। आज बनास डेयरी, दूधसागर डेयरी, साबर डेयरी हो, इसका अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। और देश और विदेश में से लोग अपना यह डेयरी का मॉडल देखने आते हैं। दूध के साथ-साथ किसानों को अन्य उपज मिले उसके लिए भी हमने प्रोसेसिंग के बडे केन्द्र खड़े किए हैं।

मेरे परिवारजनों,

डेयरी सेक्टर के किसान तो जानते हैं, पशु उनके लिए कितना बड़ा धन है, और किसानों का जो पशुधन है ना उसकी रक्षा के लिए आपको जैसे कोविड में ये मोदी साहब ने वैक्सीन भेजी न मुफ्त में एक-एक की जिंदगी बचाई ना। यह आपके पुत्र ने काम किया है, मात्र लोगों का नहीं हम पशुओं का भी वैक्सीनेशन कर रहे हैं। और लगभग 15 हजार करोड़ रुपये में पशुओं का मुफ्त में वैक्सीन अभियान चल रहा है। यहां विशाल संख्या में मेरे किसान और पशुपालक हैं, उनसे विनती है कि यह टीकाकरण आपके पशुओं को हो जाए, यह उनके जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। टीकाकरण करा लेना चाहिए, मित्रो दूध तो बिकता है पर अब गोबर का भी व्यापार हो, उसमें से भी किसानों को इनकम हो, गोबरधन का हम बड़ा काम कर रहे हैं, यह काम देशभर में हो रहा है। और हमारे बनास डेरी में तो सीएनजी का प्लान्ट भी गोबर में से बनाने का शुरु किया है। गोबरधन योजना के प्लान्ट आज सभी जगह लग रहे हैं। बायोगेस, बायो सीएनजी उसकी शुरुआत हो रही है और अब तो देश में बड़ा बायो फ्यूल अभियान भी चल रहा है, जिसके कारण यह मेरे किसानों के खेत का पशुओं का जो वेस्ट निकलता है उसमें से भी इनकम हो उसके ऊपर भी काम चल रहा है। गोबर में से बिजली कैसे बने, उस दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं।

मेरे प्रिय परिवारजनों,

उत्तर गुजरात आज जो विकास की ऊँचाई को छु रहा है, उसके पीछे दिन रात विकास कार्यों का होना है। थोड़े दशक पहले हम सोच रहे थे कि उत्तर गुजरात के अंदर कोई उद्योग आ ही नहीं सकता, आज देखिए यह विरमगाम से लेकर पूरा क्षेत्र, मंडल से लेकर बहुचराजी से घूम घूमकर मेहसाणा की तरफ आ रहा है। और उत्तर गुजरात की ओर जा रहा है, इस तरफ रांधनपुर की ओर जा रहा है। आप सोचिये पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस क्षेत्र के अंदर फैल रही है। मांडल, बहुचराजी हो पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, यह मेरे उत्तर गुजरात के लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता था, और आज बाहर के लोग रोजगार के लिए उत्तर गुजरात आने लगे हैं, ऐसी स्थिति पैदा हुई है। दस साल के अंदर औद्योगीकरण के साथ हम आगे बढ़े हैं। आज इनकम दोगुनी हो गई है। मेहसाणा में फूड प्रोसेसिंग के साथ दवा, इंजीनियरिंग उद्योग उसका भी विकास होने लगा है। बनासकांठा, साबरकांठा यह तो सिरामिक की दिशा में आगे बढ़े है। मैं जब छोटा था, तब मैंने सरदारपुर के आसपास की मिट्टी सिरामिक के लिए ले जाए ऐसा सुनता था। आज उसे धरती पर उतारने का काम किया गया है।

मेरे प्रिय परिवारजनों,

आने वाले समय में ग्रीन हाईड्रोजन के रुप में एक सशक्त माध्यम से देश आगे बढ़ने वाला है। और उसमें भी नॉर्थ गुजरात का योगदान बहुत बड़ा रहने वाला है। यहां रोजगार के नए अवसर आने वाले हैं, और अब तो इस क्षेत्र की पहचान एक महत्वपूर्ण सोलर एनर्जी के रूप में होने लगी है। मोढेरा में तो आपने देखा, सूर्य ग्राम परंतु पूरा उत्तर गुजरात सूर्य की शक्ति से तेजस्वी रूप से आगे बढ़ने वाला है। पहले पाडण में फिर बनासकांठा में सोलर प्लांट का निर्माण हुआ, और अब मोढेरा 24 घंटे सूर्य़ ऊर्जा से चलता है। सूर्य शक्ति के सामर्थ्य का फाय़दा उत्तर गुजरात ले रहा है। सरकार का जो रूफ टॉप सोलर पालिसी, घर पर खुद की छत पर सोलर, उसे बिजली खुद के घर में तो फ्री मिले परंतु वह सरकार को भी ज्यादा बिजली बेच सके, उसकी दिशा में काम किया है। पहले बिजली पैसे देकर भी नहीं मिलती थी, वह बिजली अब गुजरात के लोग बेच सके, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

आज रेलवे के लिए भी बहुत काम हुए हैं, 5 हजार करो़ड़ रुपये से भी ज्यादा प्रोजेक्ट आज गुजरात को मिले है। महेसाणा-अहमदाबाद के बीच डेडीकेटेडेट कोरीडोर यह बहुत बड़ा काम होने वाला है, इसका बहुत बड़ा लाभ होने वाला है, उसका लोकार्पण हुआ है। इससे पीपावाव, पोरबंदर, जामनगर तक के बंदरगाह तक की कनेक्टिविटी बढ़ने वाली है। और गुजरात की विकास गति बढ़ेगी। उसका लाभ किसानों, पशुपालकों और उद्योगों सबको मिलने वाला है, और उसके कारण यहां इंडस्ट्री का विस्तार होने की पूरी संभावना है। उत्तर गुजरात में लॉजिस्टिक के लिए हब बने, स्टोरेज के लिए बड़े सेक्टर बने, उसके लिए बड़ी ताकत मिलने वाली है।

मेरे परिवारजनों,

गत 9 सालों में पूर्व और पश्चिम डेडीकेटेडेट फ्रेट कोरिडोर का काम लगभग 25 सौ किलोमीटर का हिस्सा पूर्ण हो गया है। इसमें पैसेंजर ट्रेन हो, मालगाड़ी हो यहां सभी को बड़ा लाभ मिल रहा है और लास्ट स्टेशन तक इसका लाभ मिले इसकी व्यवस्था की गई है। फ्रेट कोरिडोर का फायदा यह हो रहा है कि ट्रक और टैंकर आज कोई भी सामान लेकर सड़क पर जाते हों तो बहुत समय लगता है और महंगा भी होता है। अब उसमें भी फाय़दा होगा गति भी बढ़ेगी। यह डेडीकेटेडेट फ्रेट कोरिडोर बड़ी-बड़ी गाड़ियों को लेकर ट्रेन के ऊपर माल से लदे ट्रक भी उसके ऊपर चढ़ जाया करते हैं। बनास में आपने देखा होगा कि गाड़ी के ऊपर ट्रक चढ़कर दूध लेकर रेवाड़ी पहुँचता है। उसके कारण समय बच जाता है, दूध ख़राब होने से बच जाता है और किसानों की आमदनी में भी लाभ होता है। इस क्षेत्र के किसानों के भी पालनपुर, हरियाणा और रेवाड़ी तक दूध के टैंकर पहुंच रहे हैं।

साथियों,

यहां जो कडोसण रोड, बहुचराजी रेल लाईन उसका जो विरमगाम रेल सामखीयाणी रेल लाइन का डबलीकरण किया गया है, उसका भी लाभ इस कनेक्टिविटी से मिलेगा, गाड़ियां तेज गति से चलेगी। मित्रों, उत्तर गुजरात में प्रवासन की भी पूरी संभावनाएं है, आप देखो आपके पड़ोस में वडनगर जितना महत्व काशी का है, एक काशी अविनाशी है, काशी में कभी लोग ना हो ऐसा कालखंड नहीं गया, हर युग में वहां लोग रहे हैं, काशी के बाद वडनगर है, जिसका कभी विनाश नहीं हुआ। यह सब खुदाई में निकला है, दुनियाभर के लोग टूरिस्ट के तौर पर आने वाले हैं, अपना काम है इस टूरिज्म का लाभ हम लें, राजस्थान और गुजरात को जोड़ती तारंगा हिल, अंबाजी-आबू रोड रेल लाइन। यह रेल लाइन बड़ा भाग्य बदलने वाली है दोस्तों, इसका अपने यहाँ से विस्तार होने वाला है। ब्रोडग्रेज लाईन यहां से डाय़रेक्ट दिल्ली पहुंचने वाली है। देश के साथ जुड़ने वाली है, जिसके कारण तारंगा, अंबाजी, धरोई हो यह सभी टूरिज्म के क्षेत्र भी विकसित होने वाले हैं। इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास, पर्यटन सेक्टर के विकास में यह रेल लाइन बहुत बड़ी भूमिका अदा करने वाली है। इससे अंबाजी तक उत्तम से उत्तम रेल कनेक्टिविटी होने वाली है। यहां दिल्ली, मुंबई और देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आना-जाना आसान हो जायेगा।

मेरे परिवारजनों,

आपको याद होगा कच्छ की चर्चा मैं करता था। एक जमाना था, जब कोई कच्छ का नाम नहीं लेना चाहता था और आज कच्छ में रणोत्सव धोरडो की दुनिया में सकी जय-जयकार कर रही है। दुनिया के उत्तम से उत्तम विलेज टूरिस्ट टूरिजम के लिए अपने धोरडो को पसंद करते हैं। और उसी तरह अपने नडाबेट का भी जयकार थोड़े दिन में होने वाला है, उसे भी हमें आगे बढ़ाना है। मेरे कहने का तात्पर्य इतना है कि आज जब आपके बीच आया हूं, तब यहां कि नव युवा पीढ़ी के बीच में आया हूं, तब गुजरात के उज्ज्वल भविष्य, देश के उज्ज्वल भविष्य और संपूर्ण रुप से समर्पित गुजरात के कल्याण करने के हेतु आज जब हम काम कर रहे हैं। गुजरात के उज्ज्वल भविष्य, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह मेरी खुद की मिट्टी, जिस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है, उसका आशीर्वाद लेकर निकलूंगा, एक नई शक्ति प्राप्त करके निकलूंगा और पहले जितनी मेहनत करता था, उससे अनेक गुना ज्यादा मेहनत करुंगा, पहले जो विकास के काम जिस गति से करता था, उससे ज्यादा गति से करुंगा, क्योंकि यह आपका प्रेम, आशीर्वाद यही मेरी ऊर्जा है, मेरी ताकत है। गुजरात और देश का सपना है, 2047 में जब आजादी के 100 वर्ष पूर्ण हो जाए, तब यह देश विकसित देश होना चाहिए। दुनिया के बड़े-बड़े देशों के बराबर होना चाहिए। उसके लिए हमने काम बीड़ा उठाया है। मेरी इस धरती के सभी मेरे वरिष्ठ, स्वजन आपके बीच आया हूं, आप मुझे आशीर्वाद दें ताकि पूरी शक्ति से काम करूँ, ज्यादा से ज्यादा काम करूं, पूरे समर्पण भाव से करूं, इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माती की जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।