भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
क्या हुआ, जरा इतनी जोर से बोलिए कि आपकी आवाज़ अंबाजी तक पहुंचे।
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई, अन्य सभी मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष भाई सी.आर.पाटिल, अन्य सभी सांसदगण और विधायकगण। तहसील पंचायत और जिला पंचायत के सभी सदस्य और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्रिय गुजरात के परिवारजन।
कैसा है अपना खाखरिया टप्पा, पहले तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री जी का और सरकार का आभारी हूं कि मुझे आपके बीच में आकर के दर्शन करने का यहां मौका मिला है। स्कूल समय के कितने मित्रों के चेहरे दिख रहे थे मुझे, मेरे लिए यह सौभाग्य का क्षण था। आप सभी के निकट आकर आप सभी के दर्शन करना, घर आंगन में आने पर पुराने सारे स्मरण भी तरोताजा हो जाते हैं, जिस धरती और जिन लोगों ने मुझे बनाया है, उसका ऋण स्वीकार करने का जब भी मुझे मौका मिलता है, मन को संतोष मिलता है। इसलिए एक प्रकार से आज यह मेरी मुलाकात ऋण स्वीकार करने का मेरे लिए अवसर है। आज 30 अक्टूबर और कल 31 अक्टूबर, यह दोनों दिन हम सबके लिए बहुत ही प्रेरक दिन हैं, आज आजादी के जंग में आदिवासियों को जिन्होंने नेतृत्व दिया और अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे, ऐसे गोविन्द गुरुजी की पुण्यतिथी है। और कल सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती है। हमारी पीढ़ी ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार साहब को सही अर्थ में बहुत ही ऊँचाई वाली श्रद्धा हमने व्यक्त की है और आने वाली पीढ़ी भी जब सरदार साहब की मूर्ती देखेगी तब उनका सर झुकेगा नहीं, उनका सर ऊपर ही होगा। सरदार साहब के चरणों मे खड़ा हुआ एक-एक व्यक्ति सर ऊपर करेगा, सर झुकाएगा नहीं ऐसा काम वहां हुआ है। गुरु गोविन्दजी का पूरा जीवन मां भारती की आजादी के लिए संघर्ष में और आदिवासी समाज की सेवा में, सेवा और राष्ट्रभक्ति इतनी तीव्र थी कि बलिदानियों की परंपरा खड़ी कर दी थी। और खुद बलिदानियों के प्रतीक बन गए, मुझे आनंद है कि मेरी सरकार ने गत वर्षो में गुरू गोविन्दजी की स्मृति में मानगढ़ धाम जो मध्यप्रदेश- गुजरात के आदिवासी पट्टे के क्षेत्र में है, उसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर उसे बहुत बड़े अवसर के रूप में मनाते हैं।
मेरे प्रिय परिवारजनों,
यहां आने से पहले मां अंबे के चरणों में मुझे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला, मुझे आनंद हुआ, अंबे मां की रौनक देखकर, अंबे मां के स्थान की रौनक देखकर, मैंने तो सुना है कि गत सप्ताह से आप सफाई में लगे हुए थे। खेरालु कहो कि अंबाजी कहो, यह स्वच्छता के अभियान में आपने जो काम किया है, उसके लिए आपको और सरकार के साथियों को भी अभिनंदन देता हूं। मां अंबे का आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर बना रहे, वहां जिस प्रकार गब्बर पर्वत का विकास हो रहा है, जो भव्यता दिख रही है, और कल मैंने मन की बात में भी उसका उल्लेख किया था। सचमुच अभूतपूर्व कार्य हो रहा है। मां अंबे का आशीर्वाद और उसके साथ ही आज लगभग 6 हजार करोड़ रुपये के विकास परियोजना के कार्यों का लोकार्पण का आज यहां मौका मिला है। यह परियोजना, यह सभी प्रकल्प किसानों के भाग्य को मजबूती देने वाला है। समग्र उत्तर गुजरात के विकास के लिए देश के साथ जोड़ने के लिए कनेक्टिविटी का बहुत अच्छा प्रयोग है। हमारे मेहसाणा के आसपास जितने भी जिले हैं, चाहे पाटण हो, बनासकाँठा हो, साबरकांठा हो, महिसागर, खेड़ा, अहमदाबाद, गांधीनगर हो, इतना बड़ा खजाना है विकास के कामों का। इतने सारे लोगों की खुशी के लिए तेज गति से कामों की वजह से सीधा-सीधा फायदा इस क्षेत्र के विकास को मिलने वाला है। विकास के कार्यों के लिए गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत अभिनंदन देना चाहता हूं।
मेरे प्रिय परिवारजनों,
भारत के विकास की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। हो रही है कि नहीं हो रही, जरा जोर से बोलिए। समग्र दुनिया में भारत के विकास की चर्चा हो रही है कि नहीं हो रही। और आपने देखा होगा अभी हमारे भारत ने चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचाया। गांव का आदमी हो जो स्कूल भी ना गया हो, 80-90 साल हो चुके हों उसे ऐसा लगता है कि भारत ने बहुत बड़ा काम किया है, और भारत को चांद तक पहुंचा दिया। दुनिया के देशों में कोई भी वहां पहुंचा नहीं, जहाँ हमारा भारत पहुंचा है भाई। जी-20 की दुनिया के लोगों में शायद ही इतनी चर्चा नहीं हुई होगी, जितना भारत के कारण जी-20 की चर्चा हुई। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं होगा कि जिसे जी-20 पता नहीं होगा, क्रिकेट में 20-20 के बारे में पता नहीं होगा, परंतु जी-20 के बारे में पता हो ऐसा वातावरण बन गया। जी-20 में विश्व के नेता भारत के कोने-कोने में गए, और अंत में दिल्ली में भी भारत का वैभव और भारत के लोगों की क्षमता देखी, दुनिया चकित हो गई दोस्तों, विश्वभर के नेताओं का भारत के लिए उनके मन में कौतुहल जागने लगा। भारत का सामर्थ्य और उनकी क्षमता का परिचय समग्र दुनिया को दिख रहा है। भारत में आज एक से बढ़कर एक आधुनिक इन्फ्रास्ट्क्चर का निर्माण हो रहा है।
रोड, रेल या फिर एयरपोर्ट हो, आज जितना भी निवेश भारत के कोने-कोने, गुजरात के कोने-कोने में हो रहा है। आज से वर्षों पहले इसका नामोनिशान नहीं था दोस्तों। आज इतना बड़ा काम हो रहा है, परंतु भाइयों-बहनों एक बात आप बहुत अच्छी तरह से जानते हो, कि विकास के जो बड़े-बड़े काम हो रहे हैं, हिम्मत से जो निर्णय लिए जा रहे हैं और गुजरात जो तेज गति से आगे बढ़ रहा है, उसमें गत समय में मजबूती से काम किया गया है। और आपको पता है कि आपके नरेन्द्र भाई, आपको ऐसा नहीं लगा होगा कि प्रधानमंत्री आए हैं। आपको ऐसा ही लगेगा कि अपने नरेन्द्र भाई आए हैं। इससे बेहतर और क्या हो सकता है भाई, और नरेन्द्र भाई को आप पहचानते हो, कि वह एक बार संकल्प ले लें तो पूरा करके ही रहते हैं। और आप सभी मुझे अच्छी तरह से जानते हो कि, आज जो देश में तेजी से विकास हो रहा, आज जो दुनिया में वाहवाही और चर्चा हो रही है। उसकी जड़ में कौन सी ताकत है पता है, आज दुनिया में जय-जयकार हो रही है उसके मूल में कौन सी ताकत है भाई, इस देश के कोटि-कोटि जनों की ताकत है। जिन्होंने देश में स्थिर सरकार बनाई। और हम तो गुजरात के अनुभवी हैं, लंबे समय से गुजरात में स्थिर सरकार होने के कारण पूर्ण बहुमत की सरकार होने के कारण हम एक के बाद एक निर्णय कर सके हैं और उसका फायदा भी गुजरात को हुआ है।
जहां कुदरती संसाधनों की कमी हो, वहां अगर कोई अपनी पुत्री देना हो तो 100 बार विचार करता था, पानी के संकट से जूझता यह क्षेत्र, वह आज विकास के पथ पर अग्रसर है। उसके मूल में ताकत है। एक जमाना था घूम फिर कर एक डेरी, उसके अलावा हमारे पास कुछ नहीं था। और आज तो हमारे चारों तरफ विकास के नए-नए क्षेत्रों, उस समय पीने के पानी की समस्या थी। न हीं सिंचाई का पानी था, लगभग पूरे उत्तर गुजरात का बड़ा क्षेत्र डार्क जोन में फंसा हुआ था। और उसमें पानी भी नीचे, हजार-बारह सौ फुट नीचे, ट्युबवेल भी बंद हो जाए ऐसी दशा थी, बार-बार ट्युबवेल डालनी पड़े और बार-बार मोटर भी बिगड़ जाए। अनेक मुसीबतों में जीते थे, इन मुसीबतों से हम सब बाहर आए हैं। पहले किसानों को एक फसल मुश्किल से मिलती थी। आज दो-दो, तीन-तीन की गारन्टी हो गई है मित्रों। इस परिस्थिति में हमने संकल्प लिया कि उत्तर गुजरात का जीवन बदलेंगे। उत्तर गुजरात का कायाकल्प करेंगे, दरिया का विस्तार करेंगे और आदिवासी क्षेत्र का कायाकल्प करेंगे। और उसमें एक काम बड़ा किया और कनेक्टिविटी पर जोर दिया। पानी की बात हो, सप्लाई हो, सिंचाई हो उस पर जोर दिया। खेती के विकास के लिए पूरी ताकत लगाई।
उसके कारण अब धीरे-धीरे गुजरात औद्योगिक विकास की तरफ बढ़ा है। और हमारा लक्ष्य था कि उत्तर गुजरात में यहां के लोगों को यहीं रोजगार मिले। नहीं तो मैं जब पढ़ता था, कोई भी गांव में किसी को भी पूछो क्या करते हो, तो कहता था मैं शिक्षक हूं। पुछा जाता था तो कहते थे कि कच्छ में नौकरी करता हूं। बड़े भागों के गांवो में से दो-पांच, दो-पांच शिक्षक गुजरात के किनारे कहीं नौकरी करने जाते थे। क्योंकि यहां रोजगार नहीं था, आज उद्योग का झंडा फहरा रहा है। नर्मदा का पानी, मही का पानी जो समुद्र में जाता था, अब अपने खेतों में पहुंचा है। मां नर्मदा का नाम लेते ही पवित्रता मिलती है, आज मां नर्मदा अपने घर घर पहुंची है। आज 20-25 साल का जो नव युवा है ना उसे तो शायद पता ही नहीं होगा कि उसके मां-बाप ने कितनी मुसीबतों में जिंदगी निकाली है। आज उसे कोई मुसीबत देखने को ना मिले ऐसा गुजरात हमने बनाया है। सुजलाम-सुफलाम योजना और आज मैं उत्तर गुजरात के किसानों का बार-बार आभार मानता हूं कि उन्होनें एक ही बार में सुजलाम-सुफलाम के लिए जमीन दी थी। लगभग 500 किलोमीटर केनाल, एक भी कोर्ट कचहरी नहीं हुई। जमीन लोगों ने दी कच्ची केनाल बन गई, पानी उतरने लगा और पानी का स्तर ऊपर आने लगा। साबरमती का ज्यादा से ज्यादा पानी इस क्षेत्र के लोगों को मिले ऐसी व्यवस्था की गई है। छह बैराज हमने बनाये, उसके लिए हमने काम किया और आज एक बैराज के लोकार्पण का भी काम हुआ है। इसका बड़ा फायदा अपने किसान भाइयों और सैकड़ों गांवों को होने वाला है।
मेरे परिवारजनों,
सिंचाई की इन योजनाओं का तो काम हुआ ही है, पर उसमें 20-22 साल में उत्तर गुजरात के सिंचाई का दायरा लगभग अनेक गुना बढ़ गया है। और मुझे तो खुशी है कि जब मैं शुरुआत में उत्तर गुजरात के लोगों को कहता कि हमें टपक (स्प्रिंकल) सिंचाई करनी पड़ेगी तो सब मेरे बाल खिंचते थे, गुस्सा करते थे, कहते थे साहब इसमें क्या होगा। अब मेरे उत्तर गुजरात का एक-एक जिला टपक (स्प्रिंकल) सिंचाई, लघु सिंचाई और नई टेक्निक अपनाने लगा और इसके कारण उत्तर गुजरात के किसानों की अनेक प्रकार की फसलों की संभावना बनी है। आज बनासकाँठा में लगभग 70 टका जितना हिस्सा लघु सिंचाई वाला बन गया है। इतनी ही सिंचाई और नई टेक्नोलॉजी के कारण जो मदद मिली है, उसका लाभ पूरे अपने गुजरात के सूखे क्षेत्र को भी मिल रहा है। जहां कभी किसान मुश्किलों में जीता था, मुश्किलों में फसल उगाता था, वह आज गेंहू, अरंड, चना की इसमें से थोड़ा-थोड़ा उगाकर उसमें से बाहर आकर अनेक नई फसलों की तरफ बढ़ा है। और रवि फसल उगाने लगा है, और अपने तो सौंफ, जीरा, इसबगोल का जय जयकार चारों तरफ है भाई। इसबगोल आपको याद होगा, कोविड के बाद दो चीजों की दुनिया में चर्चा हुई थी, एक अपनी हल्दी और दूसरा अपना इसबगोल आज दुनियाभर में इसकी चर्चा है। आज 90 प्रतिशत इसबगोल, उसका प्रोसेसिंग उत्तर गुजरात में होता है। और विदेशों में भी इसबगोल का गुणगाना गाया जा रहा है। लोगों में इसबगोल का उपयोग बढ़ रहा है।
आज उत्तर गुजरात फल, सब्जी, आलू इन सबके उत्पादन में आगे बढ़ रहा है। आलू हो, गाजर हो, यहां तक की आम, आंवला, अनार,अमरुद, नींबू क्या क्या नहीं हो रहा। एक काम जो जड़ से करे ना तो पीढ़ियां तर जाती हैं, ऐसे काम हमने किये हैं। और उसके कारण हम भव्य जिंदगी जी रहे हैं। और उत्तर गुजरात के आलू तो दुनियाभर में फेमस हो रहे है। मैं जब यहां था तब केन्द्र की कंपनियां आती थी पूछने के लिए, आज एक्सपोर्ट क्वालिटी के आलू अपने उत्तर गुजरात में बनने लगे हैं। फ्रेन्च फ्राईस उसके प्रोडक्ट आज विदेश में जाने लगे हैं। आज डिसा के आलू, ओर्गेनिक फार्मिंग उसके हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। और उसकी विशेष मांग हो रही है। बनासकांठा में आलू की प्रोसेसिंग के बड़े-बड़े प्लांट लगे हुए हैं, जिसका लाभ हमारे आलू उगाने वाले रेती वाले जमीन में से सोना पकाने का काम हुआ है। महेसाणा में ऐग्रो फूड पार्क बना, अब बनासकांठा में भी मेगा फूड पार्क बनाने का काम हम आगे बढ़ा रहे हैं।
मेरे परिवारजनों,
इस उत्तर गुजरात में मेरी माता-बहनों को सिर पर पानी के घड़े लेकर 5-10 किलोमीटर जाना पड़ता था। आज घर में नल से जल आने लगा, मेरी माता-बहनों का जितना आशीर्वाद मिले, और मुझे तो माता-बहनों का आशीर्वाद हमेशा ही रहा, और सिर्फ गुजरात नहीं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में से माता-बहनों का जो आशीर्वाद मिला है ना उसकी कल्पना भी मैं नहीं कर सकता, कारण कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा, शौचालय जैसी सुविधा, जलक्रांति का जो अभियान आगे बढ़ाया है। बहनों के नेतृत्व में यह व्यवस्था विकसित हुई है। घर-घर पानी, पानी के संरक्षण का अभियान, इसे भी हमने बल दिया है। जिसके कारण गुजरात के घरों में पानी पहुंचाया, हिंदुस्तान के घरों में पानी पहुंचाने का काम चल रहा है। हर घर जल अभियान, हमारा आदिवासी क्षेत्र हो, टेकरीयां हो, छोटी-छोटी पर्वतमाला हो, करोड़ों लोगों के जीवन को बदलने का काम हुआ है।
मेरे प्रिय परिवारजनों,
अपनी बहनों की बहुत बड़ी भागीदारी डेयरी सेक्टर में है, ऐसा कहुं कि अपने गुजरात की डेयरियों का संचालन ही मेरी माता-बहनों के परिश्रम से हो रहा है, और डेयरी सेक्टर के विकास के कारण आज घर की इनकम में स्थिरता आई है, जिसमें मेरी माताओं-बहनों का बहुत बड़ा योगदान है। कुछ नहीं बना हो, परंतु 50 लाख करोड़ के दूध का व्यापार सरलता से करती हो ऐसी मेरी माता- बहनों की ताकत है। गत वर्ष उत्तर गुजरात में सैकड़ों नए पशु अस्पताल बनाये गए हैं, उसका कारण है हम उसकी ताकत समझते है। पशुओं की तबियत अच्छी रहे, अच्छे से अच्छी सेवा मिले और हमारे पशुओं की दूध उत्पादकता बढ़े उसकी ओर हम ध्यान कर रहे हैं। दो पशुओं से जितना दूध मिलता हो उसके लिए चार पशु रखने की जरुरत ना हो इस तरह हम आगे बढ़ रहे हैं। गत दो दशको में गुजरात में 800 से ज्यादा नई ग्राम डेयरी की सहकारी समिति हमने बनाई है। आज बनास डेयरी, दूधसागर डेयरी, साबर डेयरी हो, इसका अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। और देश और विदेश में से लोग अपना यह डेयरी का मॉडल देखने आते हैं। दूध के साथ-साथ किसानों को अन्य उपज मिले उसके लिए भी हमने प्रोसेसिंग के बडे केन्द्र खड़े किए हैं।
मेरे परिवारजनों,
डेयरी सेक्टर के किसान तो जानते हैं, पशु उनके लिए कितना बड़ा धन है, और किसानों का जो पशुधन है ना उसकी रक्षा के लिए आपको जैसे कोविड में ये मोदी साहब ने वैक्सीन भेजी न मुफ्त में एक-एक की जिंदगी बचाई ना। यह आपके पुत्र ने काम किया है, मात्र लोगों का नहीं हम पशुओं का भी वैक्सीनेशन कर रहे हैं। और लगभग 15 हजार करोड़ रुपये में पशुओं का मुफ्त में वैक्सीन अभियान चल रहा है। यहां विशाल संख्या में मेरे किसान और पशुपालक हैं, उनसे विनती है कि यह टीकाकरण आपके पशुओं को हो जाए, यह उनके जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। टीकाकरण करा लेना चाहिए, मित्रो दूध तो बिकता है पर अब गोबर का भी व्यापार हो, उसमें से भी किसानों को इनकम हो, गोबरधन का हम बड़ा काम कर रहे हैं, यह काम देशभर में हो रहा है। और हमारे बनास डेरी में तो सीएनजी का प्लान्ट भी गोबर में से बनाने का शुरु किया है। गोबरधन योजना के प्लान्ट आज सभी जगह लग रहे हैं। बायोगेस, बायो सीएनजी उसकी शुरुआत हो रही है और अब तो देश में बड़ा बायो फ्यूल अभियान भी चल रहा है, जिसके कारण यह मेरे किसानों के खेत का पशुओं का जो वेस्ट निकलता है उसमें से भी इनकम हो उसके ऊपर भी काम चल रहा है। गोबर में से बिजली कैसे बने, उस दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं।
मेरे प्रिय परिवारजनों,
उत्तर गुजरात आज जो विकास की ऊँचाई को छु रहा है, उसके पीछे दिन रात विकास कार्यों का होना है। थोड़े दशक पहले हम सोच रहे थे कि उत्तर गुजरात के अंदर कोई उद्योग आ ही नहीं सकता, आज देखिए यह विरमगाम से लेकर पूरा क्षेत्र, मंडल से लेकर बहुचराजी से घूम घूमकर मेहसाणा की तरफ आ रहा है। और उत्तर गुजरात की ओर जा रहा है, इस तरफ रांधनपुर की ओर जा रहा है। आप सोचिये पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस क्षेत्र के अंदर फैल रही है। मांडल, बहुचराजी हो पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, यह मेरे उत्तर गुजरात के लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता था, और आज बाहर के लोग रोजगार के लिए उत्तर गुजरात आने लगे हैं, ऐसी स्थिति पैदा हुई है। दस साल के अंदर औद्योगीकरण के साथ हम आगे बढ़े हैं। आज इनकम दोगुनी हो गई है। मेहसाणा में फूड प्रोसेसिंग के साथ दवा, इंजीनियरिंग उद्योग उसका भी विकास होने लगा है। बनासकांठा, साबरकांठा यह तो सिरामिक की दिशा में आगे बढ़े है। मैं जब छोटा था, तब मैंने सरदारपुर के आसपास की मिट्टी सिरामिक के लिए ले जाए ऐसा सुनता था। आज उसे धरती पर उतारने का काम किया गया है।
मेरे प्रिय परिवारजनों,
आने वाले समय में ग्रीन हाईड्रोजन के रुप में एक सशक्त माध्यम से देश आगे बढ़ने वाला है। और उसमें भी नॉर्थ गुजरात का योगदान बहुत बड़ा रहने वाला है। यहां रोजगार के नए अवसर आने वाले हैं, और अब तो इस क्षेत्र की पहचान एक महत्वपूर्ण सोलर एनर्जी के रूप में होने लगी है। मोढेरा में तो आपने देखा, सूर्य ग्राम परंतु पूरा उत्तर गुजरात सूर्य की शक्ति से तेजस्वी रूप से आगे बढ़ने वाला है। पहले पाडण में फिर बनासकांठा में सोलर प्लांट का निर्माण हुआ, और अब मोढेरा 24 घंटे सूर्य़ ऊर्जा से चलता है। सूर्य शक्ति के सामर्थ्य का फाय़दा उत्तर गुजरात ले रहा है। सरकार का जो रूफ टॉप सोलर पालिसी, घर पर खुद की छत पर सोलर, उसे बिजली खुद के घर में तो फ्री मिले परंतु वह सरकार को भी ज्यादा बिजली बेच सके, उसकी दिशा में काम किया है। पहले बिजली पैसे देकर भी नहीं मिलती थी, वह बिजली अब गुजरात के लोग बेच सके, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों,
आज रेलवे के लिए भी बहुत काम हुए हैं, 5 हजार करो़ड़ रुपये से भी ज्यादा प्रोजेक्ट आज गुजरात को मिले है। महेसाणा-अहमदाबाद के बीच डेडीकेटेडेट कोरीडोर यह बहुत बड़ा काम होने वाला है, इसका बहुत बड़ा लाभ होने वाला है, उसका लोकार्पण हुआ है। इससे पीपावाव, पोरबंदर, जामनगर तक के बंदरगाह तक की कनेक्टिविटी बढ़ने वाली है। और गुजरात की विकास गति बढ़ेगी। उसका लाभ किसानों, पशुपालकों और उद्योगों सबको मिलने वाला है, और उसके कारण यहां इंडस्ट्री का विस्तार होने की पूरी संभावना है। उत्तर गुजरात में लॉजिस्टिक के लिए हब बने, स्टोरेज के लिए बड़े सेक्टर बने, उसके लिए बड़ी ताकत मिलने वाली है।
मेरे परिवारजनों,
गत 9 सालों में पूर्व और पश्चिम डेडीकेटेडेट फ्रेट कोरिडोर का काम लगभग 25 सौ किलोमीटर का हिस्सा पूर्ण हो गया है। इसमें पैसेंजर ट्रेन हो, मालगाड़ी हो यहां सभी को बड़ा लाभ मिल रहा है और लास्ट स्टेशन तक इसका लाभ मिले इसकी व्यवस्था की गई है। फ्रेट कोरिडोर का फायदा यह हो रहा है कि ट्रक और टैंकर आज कोई भी सामान लेकर सड़क पर जाते हों तो बहुत समय लगता है और महंगा भी होता है। अब उसमें भी फाय़दा होगा गति भी बढ़ेगी। यह डेडीकेटेडेट फ्रेट कोरिडोर बड़ी-बड़ी गाड़ियों को लेकर ट्रेन के ऊपर माल से लदे ट्रक भी उसके ऊपर चढ़ जाया करते हैं। बनास में आपने देखा होगा कि गाड़ी के ऊपर ट्रक चढ़कर दूध लेकर रेवाड़ी पहुँचता है। उसके कारण समय बच जाता है, दूध ख़राब होने से बच जाता है और किसानों की आमदनी में भी लाभ होता है। इस क्षेत्र के किसानों के भी पालनपुर, हरियाणा और रेवाड़ी तक दूध के टैंकर पहुंच रहे हैं।
साथियों,
यहां जो कडोसण रोड, बहुचराजी रेल लाईन उसका जो विरमगाम रेल सामखीयाणी रेल लाइन का डबलीकरण किया गया है, उसका भी लाभ इस कनेक्टिविटी से मिलेगा, गाड़ियां तेज गति से चलेगी। मित्रों, उत्तर गुजरात में प्रवासन की भी पूरी संभावनाएं है, आप देखो आपके पड़ोस में वडनगर जितना महत्व काशी का है, एक काशी अविनाशी है, काशी में कभी लोग ना हो ऐसा कालखंड नहीं गया, हर युग में वहां लोग रहे हैं, काशी के बाद वडनगर है, जिसका कभी विनाश नहीं हुआ। यह सब खुदाई में निकला है, दुनियाभर के लोग टूरिस्ट के तौर पर आने वाले हैं, अपना काम है इस टूरिज्म का लाभ हम लें, राजस्थान और गुजरात को जोड़ती तारंगा हिल, अंबाजी-आबू रोड रेल लाइन। यह रेल लाइन बड़ा भाग्य बदलने वाली है दोस्तों, इसका अपने यहाँ से विस्तार होने वाला है। ब्रोडग्रेज लाईन यहां से डाय़रेक्ट दिल्ली पहुंचने वाली है। देश के साथ जुड़ने वाली है, जिसके कारण तारंगा, अंबाजी, धरोई हो यह सभी टूरिज्म के क्षेत्र भी विकसित होने वाले हैं। इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास, पर्यटन सेक्टर के विकास में यह रेल लाइन बहुत बड़ी भूमिका अदा करने वाली है। इससे अंबाजी तक उत्तम से उत्तम रेल कनेक्टिविटी होने वाली है। यहां दिल्ली, मुंबई और देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आना-जाना आसान हो जायेगा।
मेरे परिवारजनों,
आपको याद होगा कच्छ की चर्चा मैं करता था। एक जमाना था, जब कोई कच्छ का नाम नहीं लेना चाहता था और आज कच्छ में रणोत्सव धोरडो की दुनिया में सकी जय-जयकार कर रही है। दुनिया के उत्तम से उत्तम विलेज टूरिस्ट टूरिजम के लिए अपने धोरडो को पसंद करते हैं। और उसी तरह अपने नडाबेट का भी जयकार थोड़े दिन में होने वाला है, उसे भी हमें आगे बढ़ाना है। मेरे कहने का तात्पर्य इतना है कि आज जब आपके बीच आया हूं, तब यहां कि नव युवा पीढ़ी के बीच में आया हूं, तब गुजरात के उज्ज्वल भविष्य, देश के उज्ज्वल भविष्य और संपूर्ण रुप से समर्पित गुजरात के कल्याण करने के हेतु आज जब हम काम कर रहे हैं। गुजरात के उज्ज्वल भविष्य, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह मेरी खुद की मिट्टी, जिस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है, उसका आशीर्वाद लेकर निकलूंगा, एक नई शक्ति प्राप्त करके निकलूंगा और पहले जितनी मेहनत करता था, उससे अनेक गुना ज्यादा मेहनत करुंगा, पहले जो विकास के काम जिस गति से करता था, उससे ज्यादा गति से करुंगा, क्योंकि यह आपका प्रेम, आशीर्वाद यही मेरी ऊर्जा है, मेरी ताकत है। गुजरात और देश का सपना है, 2047 में जब आजादी के 100 वर्ष पूर्ण हो जाए, तब यह देश विकसित देश होना चाहिए। दुनिया के बड़े-बड़े देशों के बराबर होना चाहिए। उसके लिए हमने काम बीड़ा उठाया है। मेरी इस धरती के सभी मेरे वरिष्ठ, स्वजन आपके बीच आया हूं, आप मुझे आशीर्वाद दें ताकि पूरी शक्ति से काम करूँ, ज्यादा से ज्यादा काम करूं, पूरे समर्पण भाव से करूं, इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माती की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद।