राजकोट के लोग, कैसे हैं आप सभी,
आनंद ही आनंद !
अभी तो आपने नवरात्रि का जबरदस्त जलसा किया। दो साल के बाद यह अवसर मिला ना, दिवाली की तैयारी कैसी है? आज तो आपकी दिवाली मुझे अभी से दिखने लगी है। आज तो राजकोट ने रंग जमा दिया। कोई कल्पना कर सकता है कि अभी ही नवरात्रि गई है, विजयादशमी गई हो, गरबा खेल-खेल के थक गए हों, धनतेरस की राह देख रहे हों, दिवाली की तैयारी कर रहे हों, नया साल आने वाला हो, छोटे-बड़े व्यापारियों को कितना सारा काम हो और फिर भी आज जो राजकोट ने भव्य कार्यक्रम किया है, जिस प्रेम और आशीर्वाद से स्वागत-सम्मान किया है, मैं राजकोट को शत-शत प्रणाम करता हूं।
अपने यहां दिवाली यानी किए हुए कामों का हिसाब-किताब करना। और नया साल यानी नए संकल्प की शुरुआत होना और दृढ़ निश्चय कर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति। इस समय राजकोट सहित पूरे सौराष्ट्र के विकास के लिए आज अनेक प्रोजेक्ट जो पूरे हुए, उसे दिवाली के भेंट की तरह आपके चरणों में रख रहा हूँ। और जिसका शिलान्यास किया है, उस नये संकल्पों का एक प्रकार से फाउंडेशन कर दिया है। कनेक्टिविटी, इंडस्ट्री, पानी, लोगों की सुविधा से जुड़े अनेक ऐसे प्रोजेक्ट जो राजकोट को कई गुना शक्तिशाली बनाएंगे। यहां के नागरिकों को उनकी जिंदगी आसान बनाने के काम में आएंगे।
दुनिया की उत्तम तकनीक द्वारा देश में छह जगहों पर मकान बनाने का नया अभियान शुरू किया गया। उसमें एक राजकोट को पसंद किया गया। और 1144 मकान, नई टेक्नोलॉजी, नई पद्धति, नई गति और कोरोना के संकटकाल में भी यह उत्तम काम करने के लिए टेक्नोलॉजी हो और उसके साथ ही गुड गवर्नेंस हो, कमिटमेन्ट हो, लोगों की जरूरत की चिंता हो, तभी इतना अच्छा काम होता है। और उसके लिए भारत सरकार के मंत्री भाई हरदीप सिंह पुरी और गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री और उनकी टीम, भाई भूपेंद्र भाई इन सभी का और राजकोट का लाख-लाख अभिनंदन।
आज मैं खास करके इस नई तकनीक से बने हुए सुंदर मकानों के लिए इन घरों की मालिक बनी हुई माताओं-बहनों को विशेष रूप से बधाई देता हूं। और दिवाली में यह घर बना है, तब लक्ष्मी आपके घर में वास करे, ऐसे हम सब मिलकर परमात्मा से प्रार्थना करें। यहां जब मैं चाबी दे रहा था, तब सबसे पूछ रहा था, कि मकान कैसा बना है? उनके चेहरे ही बता रहे कि उन्हें कितना संतोष हुआ है, इन मकानों को देखकर, नहीं तो सरकारी मकान की कोई गिनती ही ना करे। पर अब तो सरकार ऐसी है, जिसे कदम-कदम पर लोग गिनते हैं।
बीते 21 सालों में हमने साथ में मिलकर अनेक सपने देखें, अनेक कदम उठाए, हैं, अनेक सिद्धियों के शिखर को हासिल किया। और मेरे लिए तो राजकोट, यह मेरी पहली पाठशाला थी। जैसे महात्मा गांधी का सौभाग्य था, कि पोरबंदर में जन्म हुआ और राजकोट में पाठशाला मिली। वैसे मेरा सौभाग्य था कि वहां उत्तर गुजरात में जन्म हुआ, और राजकोट में सत्ताकरण और राजनीति की पहली पाठशाला आपके चरणों से शुरू हुई। यह राजकोट की धरती की ताकत देखिए, उसने पहली पाठशाला में गांधीजी को आशीर्वाद दिया, आज गांधीजी हमारे लिए प्रेरणा रूप शक्ति बन गए। और आपने मुझे आशीर्वाद दिया, कि आज दो-दो दशक पूरे हो गए, जिम्मेदारी बढ़ती ही जा रही है, बढ़ती ही जा रही है, यह आपके राजकोट के आशीर्वाद की ताकत है।
हमारे वजुभाई ने सीट खाली की, और मुझे राजकोट भेजा और आपने मुझे अपना लिया और यही आपके आशीर्वाद से यात्रा शुरू हुई और यह यात्रा आज गुजरात और देश के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर बन गई। राजकोट के इस ऋण को मैं कभी भी नहीं चुका सकता। मैं आपका कर्जदार हूं। और आज जब आपके बीच आया हूं, तब संपूर्ण सेवाभाव से, समर्पण भाव से, सिर झुकाकर आपके चरणों में यह विकास के कार्यों की भेंट करता हूं भाइयों।
एक विद्यार्थी के रूप में आपसे बहुत कुछ सीखा। बहुत कुछ समझा और जो राजकोट ने सिखाया है, वह आज देश को काम आ रहा है भाइयों। आज जब गुजरात के जहो-जलाली की चर्चा होती हो, गुजरात के कायदे कानून की चर्चा होती हो, देशभर के खिलाड़ी गुजरात में खेलकूद स्पर्धा में आए थे और उसी समय नवरात्रि का त्यौहार चल रहा था। ज्यादातर खिलाड़ियों ने, कितनों ने मेरे साथ फोन पर बात की और बहुत सारों ने सोशल मीडिया में गुजरात में अपना अनुभव, उसमें भी रात-रात बहनें-लड़कियां सोने के गहने पहनकर कहीं भी जा रही हों, कोई भय ना हो, चिंता ना हो। यह सब गुजरात में देखकर, राजकोट में देखकर देशभर से आये हुए लोग मुंह में उंगली डाल लिए।
कायदे-कानून की व्यवस्था को प्राथमिकता देने का यह परिणाम है। हमारे यहां स्थिति थी, और हमारे राजकोट में तो पता है, पूरे सौराष्ट्र में जिस समय जनसंघ का जमाना था, मैं तो राजनीति में नहीं था, जनसंघ के जमाने में हमारे चिमनभाई शुक्ल और सूर्यकांत भाई आचार्य, इनकी जोड़ी ने गुंडा विरोधी समिति बनाई थी और गुंडा विरोधी मुक्त अभियान चलाया था। राजकोट और पूरे सौराष्ट्र में इस गुंडा विरोधी तत्वों के सामने जनसंघ ने उस जमाने में लड़ाई लड़ी थी।
आज भाजपा की सरकार बनने के बाद कायदा-कानून, सुख-शांति सहज बन गया। अपराधी, माफिया, आतंकी, कब्जे करने वाले गिरोह हों, इन सभी गुंडा तत्वों से मुक्ति और उसका आनंद समाज के हर वर्ग को हो रहा है। शांति, सद्भावना, एकता हर मां-बाप के मन में संतानों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बन गई है। और उसके लिए तनतोड़ मेहनत और यह सब जब देखता हूँ तब मुझे कितना गर्व होता है, कितना आनंद होता है भाइयों।
मुझे याद है कि हम इस प्रकार की प्रगति निरंतर करते आये हैं। हर समय नये प्रकल्प और बीते दशक में हमने निरंतर प्रयास किया है कि अपना गुजरात ज्यादा से ज्यादा सक्षम बने, ज्यादा से ज्यादा समर्थ बने। उसके लिए जो माहौल चाहिए, वातावरण चाहिए, उसे हमेशा प्रोत्साहित करते रहे। और उसके कारण सरकार के प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप आज गुजरात तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात का यह मंत्र लेकर चल रहे थे हम, समृद्ध भारत के लिए समृद्ध गुजरात यह मकसद लेकर चल रहे थे। और उसके लिए वाइब्रेंट गुजरात का अभियान हमने चलाया। दुनियाभर के लोगों को पूंजी निवेश के लिए बुलाया, हमने कृषि महोत्सव किया। एक-एक महीने तेज धूप में कृषि महोत्सव चलता था, जिस राज्य के अंदर खेती का नाम नहीं होता था, अकाल के दिन होते थे, आज वह राज्य पेट भर अनाज उगा सकता है, उस राज्य ने 9 प्रतिशत-10 प्रतिशत के एग्रीकल्चर ग्रोथ से हिंदुस्तान के लोगों का ध्यान खींचा है। अपने यहाँ गरीब कल्याण मेला होता है, गांव गरीब को सशक्त करने के लिए अपने यहाँ काम होता है, हमने देखा है कि जब गरीब सशक्त होता है, जब मध्यमवर्गीय ताकतवर रहता है और जब उन्हें एम्पावर किया जाता है तो पूरा समाज गति पकड़ लेता है, पूरा विस्तार आगे बढ़ता है भाइयों। और उसमें भी सिर के ऊपर छत मिले, खुद का घर मिले, तब सम्मान से जीने की शुरुआत होती है। कोई भी हो, कैसा भी मध्यमवर्गीय परिवार हो, पर उसके मन में इच्छा होती है कि मेरा खुद का घर हो।
यह खुद का घर बनाने के लिए अपनी यह सरकार मध्यम वर्ग के लिए, गरीबों के लिए अनेक योजनाएं लेकर आई है। इतना ही नहीं घर ऐसा होना चाहिए कि जिसमें जिंदगी जीने का मजा आए, टॉयलेट हो, बिजली हो, पानी हो, गैस हो, इन्टरनेट कनेक्टिविटी हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क हो, यह सभी चीजें, संपूर्ण रूप से आधुनिक युग के जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयास हो।
सामान्य मानवी के जीवन में अन्य कौन सी चिंता हो, कितनी भी गरीबी में से व्यक्ति बाहर आया हो, मेहनत की हो, मध्यमवर्ग में गया हो, लेकिन परिवार में एक बीमारी आ जाए तो फिर से वह गरीबी के चक्र में फंस जाता है। गरीब के घर में बीमारी आ जाए तो कंगालियत आ जाती है, भीख मांगने के दिन आ जाते हैं। परंतु अगर अपने समाज को आरोग्य के अंदर सुरक्षा मिले, तो फिर वह गरीब चिंताओं से मुक्त हो जाता है, और इसी भावना को ध्यान में रखकर हमने आयुष्मान भारत योजना, पीएमजय और अब तो पीएमजय मां इस योजना के द्वारा पांच लाख रुपये दिए जा रहे हैं और इस योजना से करोड़ों रुपये का लाभ मिल रहा है भाइयों।
भाइयों-बहनों,
गरीबी हटाओ का नारा तो बहुत चला। रोटी-कपड़े का नारा भी बहुत चला। और इतने भ्रमित थे कि ऐसा कहे कि आधी रोटी खाएंगे, लेकिन फलाने-फलाने लाएंगे। ऐसा सब चल रहा था, हमने कह दिया भाई यह सभी नारे, नारे के ठिकाने हैं, मुझे तो आपकी जिंदगी बदलनी है। आधी रोटी नहीं खानी, पक्की रोटी खानी है। और कोई भूखा घर आए तो उसे खिलाने की ताकत आए, ऐसी मुझे आपकी जिंदगी बनानी है। इन लोगों ने राजनीति में आकर उनके महल बनाये, पर गरीबों की झुग्गियों का विचार कभी नहीं किया। मैंने गरीबों के पक्के घर बनाने के लिए देशभर में अभियान चलाया।
एक ताकत ने देश में उसके लिए काम किया है। और आज जब गुजरात और उसमें भी हमारा राजकोट जिसने तो उद्योगों के अंदर नाम कमाया है। मुझे याद है, जब मैं मुख्यमंत्री था, तब बहुत साल पहले एक बार भाषण दिया था। मैंने कहा था, मैं देख रहा हूं मोरबी, राजकोट, जामनगर यह पूरा एक पट्टा वह मिनी जापान की तरह आगे बढ़ेगा, ऐसा मैंने सालों पहले कहा था। तब लोगों ने मेरे बाल खींच लिए थे, मजाक उड़ाया था। आप बताइए भाइयों मेरी भविष्यवाणी सच हुई कि नहीं। आज राजकोट इंजीनियरिंग उद्योग का केंद्र बना है कि नहीं बना। मैं उस समय देख सकता था, मोरबी, राजकोट, जामनगर पूरे क्षेत्र की ताकत समग्र गुजरात को ऊपर लाने की ताकत इस भूमि में है।
भाइयों-बहनों,
घर देने की योजना हो, उसके लिए प्रगति करने की बात हो, और बीते आठ सालों में गांवों में, शहरों में तीन करोड़ से ज्यादा पक्के मकान हमने बनाने का काम किया है। और उसमें हमारे गुजरात में दस लाख पक्के मकान और उसमें से सात लाख तो बनाकर दे दिए। भूपेन्द्र भाई और उनकी टीम को बधाई देता हूं कि गुजरात को आगे बढ़ाने के लिए यह काम उनके नेतृत्व में हुआ है। उनकी मैं प्रशंसा करता हूं, गरीबों की ही, नहीं परंतु मध्यमवर्ग के लिए भी उतनी ही चिंता की गई है। रेरा का कानून बनाकर मध्यमवर्ग के सपने को हमने सुरक्षित किया है।
हमने गुजरात में मध्यमवर्ग को 11 हजार करोड़ की मदद कर उनको खुद का घर बनाने की व्यवस्था की है। इतना ही नहीं अब तो गुजरात में बाहर से मजदूर लाने पड़ते है, काम इतना बढ़ा है। इन श्रमिकों की जिंदगी में भी मुसीबत ना आए, उन्हें भी अच्छा घर मिले, इसके लिए भी योजना लेकर आगे बढ़ रहे हैं भाइयों।
पहले की सरकारें घर बनाएं, वैसा घर नहीं, हम एहसान करते हैं, ऐसी बात नहीं है, आप आत्मनिर्भर बने, सामर्थ्यवान बने, उसके लिए हम काम करते हैं। अनेक नए पैमाने लेकर हम काम करते हैं। ऐसी अनेक चीजें लेकर जब हम हम चलते हैं और आज जब राजकोट आया हूं, तब समाज जीवन को शक्तिशाली बनाने का हमारा निरंतर प्रयास, आजाद भारत का सपना पूरा करने का प्रयास, राजकोट का यह लाइट हाउस प्रोजेक्ट उसकी एक कोशिश है, भाइयों।
आज राजकोट में देश के लिए एक मॉडल स्वरूप काम हुआ है। इंजीनियरिंग के विद्यार्थी, यूनिवर्सिटी के लोगों को, रियल एस्टेट के काम करने वाले लोगों को राजकोट के लाइट हाउस प्रोजेक्ट से सबको लाभ मिलने वाला है। और उसमें से मॉडल बनेगा, लाखों गरीबों के लिए, मध्यमवर्ग के लिए नये मकान बनेंगे। राजकोट का आधुनिक तरीके से तेजी से प्रगति हो, इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्रगति हो और पूरे सौराष्ट्र को जोड़ने की व्यवस्था हो, उसकी भी चिंता कर रहे हैं, और क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए हम काम कर रहे हैं भाइयों-बहनों।
आधुनिक तकनीक के द्वारा भारत में आत्मनिर्भरता आए, इस नई व्यवस्था को देखकर अपने लोग भी चले, उसके लिए हमने एक बीड़ा उठाया है और उसे हम पूरा कर रहे हैं। इसलिए नौजवानों की ट्रेनिंग हो, नौजवान नए-नए स्टार्ट-अप लेकर आए, उसे हम प्रोत्साहित कर रहे हैं।
साथियों,
शहरों के जीवन में सड़क हो, बाजार हो, मॉल हो, प्लाजा हो, उसके आसपास ही विकास हो, वह पूरा नहीं है। शहरी जीवन की एक बड़ी जिम्मेदारी है, और यह जिम्मेदारी निभाने के लिए एक अवसर भी है और विकास के लिए नये आयाम भी है। इतना ही नहीं अपने यहां फुटपाथ पर बैठकर माल बेचने वाला हो, सब्जी वाला हो, उसकी भी हमने चिंता की है। उसे बैंक से कोई भी गारंटी के बिना पैसा मिले उसकी चिंता की है। उसे स्वनिधि योजना के द्वारा आसानी से लोन मिले, उसकी भी चिंता की है।
भाइयों-बहनों,
आज आप देख सकते हैं कि डिजिटल इंडिया कितनी बड़ी ताकत बन रही है। दुनिया में सस्ते से सस्ता इंटरनेट हम लेकर आए, और मेरा रेहड़ी वाला भी डिजिटल से पैसे चुकाता है। ऐसी कई चीजें गुजरात में हम देख सकते हैं और गुजरात को उसका लाभ मिल रहा है, भाइयों। इतना ही नहीं उसका प्रभाव भी ज्यादा हो रहा है।
लघु उद्योग, एम.एस.एम.ई राजकोट का मेरा इंजीनियरिंग उद्योग ने विकास की दिशा में बहुत बड़ा काम किया है। यहां जो पम्प बनता है, मशीन का टूल्स बनता है, आज शायद देश का कोई कोना ऐसा नहीं होगा कि राजकोट की बनी हुई ये सभी चीजें देश के कोने-कोने में न पहुंची हो। अपना फाल्कन पम्प, फिलमार्शल, एन्जल पम्प, रोटेक इंजीनियरिंग, जलगंगा पंप, सिल्वर पंप, रोटेक पंप, सिद्धि इंजीनियर, गुजरात फोरजिन, टोपलेन्ड कितने ही नाम, और यह सभी ब्रांड हिंदुस्तान के कोने-कोने में पहुंचे हैं। विदेशों में भी एक्सपोर्ट हो रहे हैं। यह ताकत राजकोट ने बनाई है।
आज भारत में जो ऑटोमोबाइल उद्योग बढ़ा है, जो गुजरात में बढ़ा है, उसके पुर्जे बनाने का काम यह मेरे राजकोट में होता है और गाड़ियां के लिए दुनिया में पहुंचता है। जो गाड़ी गुजरात में बने, जापान आयात करे, और उसके स्पेयरपार्ट यह मेरे राजकोट के कारीगर बनाते हों, इससे बड़ा गर्व क्या होगा भाई। एक जमाना था, गुजरात साइकिल भी नहीं बनाता था, और मेरे शब्द लिखकर रखना कि इस गुजरात में प्लेन भी बनेगा और राजकोट में प्लेन के स्पेयर पार्ट्स भी बनने शुरू हो जाएंगे, वह दिन दूर नहीं भाइयों।
दो दशक पहले राजकोट ने कमाल किया है, भाइयों-बहनों। दो दशक में एक नया इतिहास लिख दिया है। यूनिवर्सिटी का अध्ययन करने का काम यह मेरे राजकोट ने किया है। राजकोट का इंजीनियरिंग, उसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट आप विचार करिए, मात्र राजकोट में से इंजीनियरिंग का पांच हजार करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हो रहा है, यह राजकोट की ताकत है, जो यहां के नौजवानों के भविष्य को आगे ले जा रही है भाइयों। और उसके कारण लोगों को अनेक रोजगार भी मिल रहे हैं, लोगों के जीवन में एक ईको सिस्टम बन गया है।
अपना मोरबी तो कमाल कर रहा है, मोरबी की सिरेमिक टाईल्स आज पूरी दुनिया में मशहूर हो गई हैं। और पूरी दुनिया में जो सिरेमिक का काम हो रहा है ना उसका 13 प्रतिशत अकेले मोरबी में हो रहा है। और इसलिए मोरबी टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सेलेंसी के रूप में पहचाना जाने लगा है भाइयों। दीवारें हो, फर्श हों, बाथरूम हों, टॉइलेट्स हों, मोरबी के बिना सब अधूरा है भाइयों। मोरबी के बिना पूरा हो ही नहीं सकता। यह ताकत, जब मोरबी के अंदर बाढ़ आई, मछलियों की जो हालत हुई, तब किसी को कल्पना भी नहीं थी कि मोरबी खड़ा होगा, लेकिन आज मोरबी दूसरों को खड़ा कर रहा है भाइयों।
मुझे याद है उस वक्त मोरबी टेक ऑफ स्टेज पर था, मुझे एहसास हुआ कि अगर वहाँ गैस बराबर पहुंच जाए तो मोरबी कमाल करेगा और इन्डस्ट्रीयल गैस की पाइपलाइन हमने लगा दी, और मोरबी को नई ताकत दी। आज मोरबी में 15 हजार करोड़ का सिरेमिक पार्क के लिए निवेश यह बहुत बड़ी घटना है। बीते 20-22 सालों में गुजरात में जो उद्योग में बढ़ोतरी हुई है, अलग-अलग क्षेत्र में हुई है, उसके कारण भी अनेक प्रकार के लाभ, औद्योगिक नीति और अभी भूपेन्द्र भाई की सरकार ने जो नई औद्योगिक नीति बनाई है, उसका लाभ भी आगामी दिनों में नई पीढ़ी को मिलने वाला है।
भाइयों-बहनों
पारंपरिक उद्योगों और उसके उपरांत अनेक संभावनाएं अपने राजकोट में रही हैं, सौराष्ट्र में रही हैं, गुजरात में रही हैं भाइयों। और इसलिए आज जब इतनी बड़ी योजनाएं आपके चरणों में रखने आया हूं, तब अत्यंत गर्व और संतोष का अनुभव कर रहा हूं। आपने इतना स्वागत-सम्मान किया, उसके लिए मैं फिर से एक बार राजकोट का आभारी हूं। और मैं हमेशा कहूंगा कि मैं हमेशा-हमेशा राजकोट का ऋणी रहूंगा, और राजकोट की सेवा करने का कोई मौका जाने नहीं दूंगा। इसी विश्वास के साथ फिर से एक बार आप सभी को अनेक-अनेक अभिनंदन, अनेक अनेक शुभकामनाएं।
धन्यवाद !