"अमृत काल हमें एक मजबूत, विकसित और समावेशी भारत की दिशा में काम करने का अवसर देता है"
"प्रत्येक मीडिया हाउस ने बड़ी ईमानदारी के साथ स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाया"
"मीडिया ने योग, फिटनेस और बेटी बचाओ, बेटी पढाओ को लोकप्रिय बनाने में बहुत उत्साहजनक भूमिका निभाई है"
"भारत के प्रतिभाशाली युवाओं की शक्ति से हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है"
"हमारे प्रयासों का मार्गदर्शक सिद्धांत है - आने वाली पीढ़ियों के लिए वर्तमान की तुलना में बेहतर जीवन शैली सुनिश्चित हो"

मातृभूमि के प्रबंध निदेशक श्री एम. वी. श्रेयम्स कुमार जी, मातृभूमि की पूरी टीम और पाठकगण, विशिष्ट अतिथिगण,

 नमस्कारम!

मातृभूमि के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। इस अवसर पर, समाचार पत्र से जुड़े सभी लोगों को मेरी ओर से बधाई। मैं उन लोगों के योगदान को भी याद करना चाहता हूं, जो पहले इस मीडिया हाउस में काम कर चुके हैं। श्री के. पी. केशव मेनन, के. ए. दामोदर मेनन, केरल गांधी श्री के. केलप्पन और के. एन. नंबूरीपाद जैसे कई दिग्गज मातृभूमि से जुड़े रहे हैं। मैं एम. पी. वीरेंद्र कुमार का जिक्र करना चाहूंगा, जिनके समय में मातृभूमि तेजी से आगे बढ़ा। हम आपातकाल के दौरान भारत की लोकतांत्रिक प्रकृति को बनाए रखने के उनके प्रयासों को कभी नहीं भूलेंगे। वह एक महान वक्ता, विद्वान थे और पर्यावरण के प्रति उनका गहरा लगाव था।

 मित्रो,

महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर मातृभूमि का जन्म भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत करने के लिए हुआ था। मातृभूमि, औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के लोगों को एकजुट करने के लिए पूरे भारत में स्थापित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की गौरवशाली परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर हम अपने इतिहास पर नजर डालें तो कई महान व्यक्ति किसी न किसी अखबार से जुड़े रहे हैं। लोकमान्य तिलक ने केसरी और महरट्टा को आगे बढ़ाया। गोपाल कृष्ण गोखले हितवाद से जुड़े थे। प्रबुद्ध भारत का संबंध स्वामी विवेकानंद से था। जब हम महात्मा गांधी को याद करते हैं तो हम यंग इंडिया, नवजीवन और हरिजन में उनके कार्यों को भी याद करते हैं। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट का संपादन किया। मैंने अभी कुछ उदाहरण दिए हैं, लेकिन यह सूची असीमित है।

मित्रो,

अगर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मातृभूमि की शुरुआत हुई तो शताब्दी समारोह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। स्वराज्य के लिए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमें अपना जीवन बलिदान करने का अवसर नहीं मिला। हालांकि यह अमृत काल हमें एक मजबूत, विकसित और समावेशी भारत बनाने की दिशा में काम करने का अवसर दे रहा है। किसी भी देश के विकास के लिए अच्छी नीतियां बनाना एक पहलू है। लेकिन, नीतियों को सफल बनाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बड़े पैमाने पर परिवर्तन हो, समाज के सभी क्षेत्रों से सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मीडिया एक अहम भूमिका निभाता है। बीते वर्षों में, मैंने देखा है कि मीडिया का कैसे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्वच्छ भारत मिशन का उदाहरण जगजाहिर है। हर मीडिया हाउस ने इस मिशन को पूरी निष्ठा के साथ लिया। इसी तरह, योग, फिटनेस और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लोकप्रिय बनाने में मीडिया ने बहुत उत्साहजनक भूमिका निभाई है। ये राजनीति और राजनीतिक दलों के क्षेत्र से बाहर के विषय हैं। ये आने वाले वर्षों में एक बेहतर राष्ट्र बनाने को लेकर हैं। इसके अलावा, और भी बहुत कुछ है जो आजादी का अमृत महोत्सव को ध्यान में रखकर किया जा सकता है। इन दिनों हम देख रहे हैं कि लोग स्वतंत्रता संग्राम की कम चर्चित घटनाओं और गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की चर्चा कर रहे हैं। इसे आगे बढ़ाने में मीडिया एक बड़ा माध्यम हो सकता है। इसी तरह, हर कस्बे या गांव में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े स्थान हैं। उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। हम उन स्थानों को हाइलाइट कर सकते हैं और लोगों को वहां जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। क्या हम गैर-मीडिया पृष्ठभूमि से आने वाले लेखकों को प्रोत्साहित कर सकते हैं और उन्हें अपने लेखन कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान कर सकते हैं? भारत की एक सबसे बड़ी ताकत हमारी विविधता है। क्या हम मीडिया के माध्यम से अन्य भाषाओं के प्रमुख शब्दों को लोकप्रिय बनाने के बारे में सोच सकते हैं?

मित्रो,

आज के समय में, दुनिया को भारत से कई उम्मीदें हैं। जब कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी, तो यह अटकलें लगाई गईं कि भारत बेहतर तरीके से प्रबंधन नहीं कर पाएगा। भारत की जनता ने इन आलोचकों को गलत साबित कर दिया। हमने पिछले दो वर्षों का इस्तेमाल अपने समाज के स्वास्थ्य और अपनी अर्थव्यवस्था की सेहत में सुधार के लिए किया। दो साल तक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिला। 180 करोड़ टीकों की खुराक दी जा चुकी है। ऐसे समय में जब कई देश वैक्सीन की झिझक से उबर नहीं पा रहे हैं, भारत के लोगों ने उन्हें रास्ता दिखाया है। भारत के प्रतिभाशाली युवाओं की क्षमता से युक्त हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इस सिद्धांत के मूल में भारत को एक ऐसी आर्थिक ताकत बनाना है जो घरेलू और वैश्विक जरूरतों को पूरा कर सके। अभूतपूर्व सुधार किए गए हैं, जिससे आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय उद्यम को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की गईं। भारत का स्टार्टअप इको-सिस्टम इतना तेज कभी नहीं रहा। टियर-2, टियर-3 कस्बों और गावों के युवा बेहतरीन काम कर रहे हैं। आज भारत तकनीकी उन्नति में दुनिया में अग्रणी है। पिछले 4 वर्षों में ही, यूपीआई लेनदेन की संख्या में 70 गुना से अधिक वृद्धि हुई है। यह सकारात्मक परिवर्तन को अपनाने के लिए हमारे लोगों की उत्सुकता को दिखाता है।

 मित्रो,

हम अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के महत्व को पूरी तरह से समझते हैं। राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर 110 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पीएम गतिशक्ति बुनियादी ढांचे के निर्माण और शासन को अधिक सहज बनाने जा रही है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए तत्परता से काम कर रहे हैं कि भारत के हर गांव में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी हो। हमारे प्रयासों का मार्गदर्शक सिद्धांत यह सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान की तुलना में बेहतर जीवनशैली मिले।

 मित्रो,

वर्षों पहले, जब महात्मा गांधी ने मातृभूमि का दौरा किया था, उन्होंने कहा था और मैं उद्धृत करता हूं, 'मातृभूमि एक ऐसी संस्था है जो अपने पैरों पर मजबूती से खड़ी है। ऐसा भारत के कुछ ही अखबार कर सकते हैं। इसलिए भारत के समाचार पत्रों में मातृभूमि का एक विशिष्ट स्थान है।' मुझे विश्वास है कि मातृभूमि समाचार पत्र बापू के इन शब्दों पर खरा उतरने के लिए काम करता रहेगा। मैं एक बार फिर मातृभूमि को उसके शताब्दी समारोह के लिए बधाई देता हूं और पाठकों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

 धन्यवाद।

जय हिंद।

नमस्कारम

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Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.