भारत माता की – जय!
भारत माता की – जय!
उत्तराखंड के लोकप्रिय, युवा मुख्यमंत्री भाई पुष्कर सिंह धामी जी, केंद्रीय मंत्री श्री अजय भट्ट जी, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी, राज्य भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जी, उत्तराखंड सरकार के मंत्री, सभी सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव और देवभूमि के मेरे प्यारे परिवारजनों, आप सभी को प्रणाम। आज तो उत्तराखंड ने कमाल कर दिया जी। शायद ऐसा दृश्य देखने का सौभाग्य शायद ही पहले किसी को मिला हो। आज सुबह से मैं उत्तराखंड में जहां गया, अद्भुत प्यार, अपार आशीर्वाद; ऐसा लग रहा था जैसे स्नेह की गंगा बह रही है।
आध्यात्म और अप्रतिम शौर्य की इस धरा का मैं वंदन करता हूं। वीर माताओं को विशेष रूप से वंदन करता हूं। जब बद्रीनाथ धाम में "जय बदरी-विशाल" का उद्घोष होता है, तो गढ़वाल राइफल्स के वीरों का जोश बढ़ जाता है। जब गंगोलीहाट के कालिका मंदिर की घंटियां "जय महाकाली" के जयकारों से गूंजती हैं, तो कुमाऊं रेजीमेंट के वीरों में अदम्य साहस का संचार होने लगता है। यहाँ मानसखंड में बागेश्वर, बैजनाथ, नंदा देवी, गोलू देवता, पूर्णागिरी, कसार देवी, कैंची धाम, कटारमल, नानकमत्ता, रीठासाहिब, अनगिनत, अनगिनत देव स्थलों की श्रृखंला का वैभव, हमारे पास बहुत बड़ी विरासत है। राष्ट्ररक्षा और आस्था की इस तीर्थभूमि पर मैं जब-जब आया हूं, जब भी आपका स्मरण किया है, मैं धन्य हो जाता हूं।
मेरे परिवारजनों,
यहां आने से पहले मुझे पार्वती कुंड और जोगेश्वरधाम में पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य मिला। मैंने हर देशवासी के अच्छे स्वास्थ्य और विकसित भारत के संकल्प को मज़बूत करने के लिए और मेरे उत्तराखंड के सारे सपने, सारे संकल्प पूरे हों, इसलिए आशीर्वाद मांगा है। कुछ ही देर पहले मेरी मुलाकात, हमारी सीमा के प्रहरियों, हमारे जवानों के साथ भी हुई है। मुझे स्थानीय कला और स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हमारे सभी बहनें, भाई, उनसे भी मिलने का मौका मिला। यानी, भारत की संस्कृति, भारत की सुरक्षा, भारत की समृद्धि से जुड़े हुए इन तीनों स्वरूप में इस प्रकार से मेरी ये नए प्रकार की यात्रा भी जुड़ गई। सभी के दर्शन एक साथ हो गए। उत्तराखंड का ये सामर्थ्य, अद्भुत है, अतुलनीय है। इसलिए मेरा विश्वास है और ये विश्वास मैंने बाबा केदार के चरणों में बैठ कर व्यक्त किया था। मेरा विश्वास है कि ये दशक उत्तराखंड का दशक होने वाला है। और आज मैं आदि कैलाश के चरणों में बैठ करके आया हूं, मेरे उस विश्वास को फिर एक बार दोहराता हूं।
उत्तराखंड विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचे, आप लोगों का जीवन आसान हो, इसके लिए हमारी सरकार पूरी ईमानदारी से, पूरे समर्पण भाव से और एक ही लक्ष्य ले कर आज काम कर रही है। अभी यहां, 4 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। एक ही कार्यक्रम में 4 हजार करोड़ रुपए, मेरे उत्तराखंड के भाई-बहन, आप कल्पना कर सकते हैं? मैं आप सभी को इन परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
मेरे परिवारजनों,
मेरे लिए ना तो ये रास्ते नए हैं और ना ही आप सभी साथी नए हैं। उत्तराखंड में अपनेपन की अनूभूति हमेशा मेरे साथ रहती है। और मैं देखता हूं कि आप भी अपनेपन के उसी हक के साथ, उसी आत्मीयता से मुझसे जुड़े रहते हैं। अनेक साथी उत्तराखंड के, दूर-दूर गांव के भी मुझे चिट्ठी लिखते हैं। हर अच्छे-बुरे वक्त पर साथ खड़े रहते हैं। परिवार में कोई नए मेहमान का जन्म हुआ हो तो भी मुझे खबर भेजते हैं। बेटी पढ़ाई में कहीं आगे बढ़ी हो तो भी चिट्ठी लिखते हैं। यानी जैसे पूरे उत्तराखंड परिवार का मैं एक सदस्य हूं वैसे उत्तराखंड मुझसे जुड़ गया है।
देश जब कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करता है, तब भी आप खुशी साझा करते हैं। कुछ सुधार की गुंजाइश अगर कहीं दिखती है, तो वो भी आप मुझे बताने में कभी पीछे नहीं रहते। हाल ही में देश ने लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का बहुत बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया है। 30-30, 40-40 साल से लटका हुआ काम, माताओं-बहनों आपके आशीर्वाद से ये आपका भाई, आपका बेटा कर पाया है। और मजा देखिए, उस दौरान भी मुझे यहां की बहनों ने बहुत सारी चिट्ठियां भेजी हैं।
मेरे परिवारजनों,
आप सभी के आशीर्वाद से आज भारत, विकास की नई बुलंदी की तरफ बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में भारत और भारतीयों का गौरव गान हो रहा है। हो रहा है ना, हो रहा है ना, पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है ना? एक समय था चारों तरफ निराशा का माहौल था। पूरा देश जैसे मानो निराशा में डूब गया था। तब हम लोग हर मंदिर में जाकर यही कामना करते थे कि भारत जल्द से जल्द मुश्किलों से बाहर निकले। हर भारतीय सोचता था कि हजारों करोड़ के घोटालों से देश को मुक्ति मिले। सबकी कामना थी कि भारत का यश बढ़े।
आज देखिए, चुनौतियों से घिरी इस दुनिया में, दुनिया का हाल आप देख रहे हैं, चुनौतियों से घिरी दुनिया में भारत की आवाज़ कितनी बुलंद होती जा रही है। अभी कुछ सप्ताह पहले ही G-20 का इतना बड़ा शानदार आयोजन हुआ। उसमें भी आपने देखा कि कैसे दुनिया ने हम भारतीयों का लोहा माना है। आप मुझे बताइए, जब दुनिया भारत का गौरव गान करती है, जब दुनिया में भारत का डंका बजता है, आप बतायेंगे, जवाब देंगे? मैं पूछूं, जवाब देंगे? जब दुनिया में भारत का नाम ऊंचा होता है आपको अच्छा लगता है? पूरी ताकत से बताइए आपको अच्छा लगता है? जब भारत दुनिया को दिशा दिखाता है, तो आपको अच्छा लगता है?
ये सब किसने किया है? ये सब किसने किया है? ये मोदी ने नहीं किया है, ये सब कुछ आप मेरे परिवारजनों ने किया है, इसका यश आप सब जनता जनार्दन को जाता है। क्यों? याद रखिए क्यों? क्योंकि आपने 30 साल के बाद दिल्ली में स्थिर और मजबूत सरकार बनाकर मुझे आपकी सेवा करने का मौका दिया है। आपके वोट की ताकत है, जब मैं दुनिया के बड़े-बड़े लोगों से हाथ मिलाता हूं ना, आपने देखा होगा अच्छे–अच्छों से हो रहा है मामला। लेकिन जब मैं हाथ मिलाता हूं ना तो बराबर आंख भी मिलाता हूं। और जब मेरी तरफ वो देखते हैं ना तो मुझे नहीं देखते हैं, 140 करोड़ हिंदुस्तानियों को देखते हैं।
मेरे परिवारजनों,
दूर-सुदूर पहाड़ों पर, देश के कोने-कोने में जो लोग रहते हैं, हमने उनकी भी चिंता की। इसलिए, सिर्फ 5 वर्षों में ही देश में साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। साढ़े 13 करोड़ लोग, ये आंकड़ा याद रखोगे? आंकड़ा याद रखोगे? साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर पांच साल में आना ये अपने-आप में दुनिया अचरज कर रही है। ये साढ़े 13 करोड़ लोग कौन हैं? इनमें से बहुत सारे लोग आपकी तरह ही पहाड़ों में रहने वाले हैं, सुदूर इलाकों में रहते हैं। ये साढ़े 13 करोड़ लोग, इस बात का उदाहरण हैं कि भारत अपनी गरीबी मिटा सकता है।
साथियों,
पहले नारा दिया जाता था गरीबी हटाओ। मतलब आप हटाओ, उन्होंने कह दिया गरीबी हटाओ। मोदी कह रहा है हम मिल कर गरीबी हटाते रहेंगे। हम (35.54) मुनर्सिब लेते हैं जिम्मेदारी लेते हैं और जी-जान से जुट जाते हैं। आज हर क्षेत्र, हर मैदान में हमारा तिरंगा ऊंचे से ऊंचा लहरा रहा है। हमारा चंद्रयान, ये चंद्रयान जहां पहुंचा है, जहां दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच पाया। और भारत ने जहां अपना चंद्रयान गया है उस स्थान को नाम दिया है शिव-शक्ति। मेरे उत्तराखंड के लोग ये शिव-शक्ति के विचार से आप खुश हैं कि नहीं हैं? आपका मन आनंदित हो गया कि नहीं हो गया? यानी वहां भी मेरे उत्तराखंड की पहचान पहुंच गई। शिव और शक्ति का ये योग क्या मतलब होता है, ये हमें उत्तराखंड में सिखाने की जरूरत नहीं, यहां तो डगर-डगर पर साक्षात दिखता है।
साथियों,
Space में ही नहीं, sports में भी भारत का दम आज दुनिया देख रही है। हाल में एशियाई खेल समाप्त हुए हैं। इसमें भारत ने इतिहास के सारे record तोड़ दिए हैं। पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने century लगाई, 100 से ज्यादा medals जीतने का record बनाया है। और आप जरा जोर से ताली बजाना, Asian Games में उत्तराखंड के भी 8 बेटे-बेटियां अपना दम-खम दिखाने गए थे। और इसमें हमारे लक्ष्य सेन की team ने भी medal जीता और वंदना कटारिया की hockey team ने भी शानदार medal देश को दिया है। एक काम करेंगे, ये उत्तराखंड के बच्चों ने कमाल किया है, एक काम करेंगे, करेंगे? अपना mobile phone बाहर निकालिए, mobile निकाल करके उसका flash चालू करिए। और उन सबको ये खिलाड़ियों का अभिनंदन कीजिए अपना flashlight करके। सब अपना-अपना mobile phone निकाल कर flashlight करके, शाबाश। ये हमारे उत्तराखंड के बच्चों का अभिवादन है, हमारे खिलाड़ियों का अभिवादन है। मैं फिर से एक बार देवभूमि के मेरे इन युवा बेटे-बेटियों को, इन खिलाड़ियों को फिर से अपनी बधाई देता हूं। और आपने भी आज एक नया रंग भर दिया।
साथियों,
बैठिए, बहुत आभारी हूं मैं आपका। भारत के खिलाड़ी, देश-दुनिया में अपना परचम लहराएं, इसके लिए सरकार खिलाड़ियों की पूरी मदद कर रही है। खिलाड़ियों के खाने-पीने से लेकर आधुनिक training तक, सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। ये तो सही है लेकिन एक उलटा भी चल रहा है। सरकार तो कर रही है लेकिन लक्ष का जो परिवार है ना और लक्ष जो है वो मुझे हमेशा जब विजयी होता है तो आपकी बाल मिठाई लेकर आता है। खिलाड़ियों को बहुत दूर नहीं जाना पड़े, इसके लिए सरकार जगह-जगह खेल के मैदान भी बनवा रही है। आज ही हल्द्वानी में hockey ground और रुद्रपुर में Velodrome Stadium का भी शिलान्यास हुआ है। मेरे नौजवानों ताली बजाइए, आपका काम हो रहा है। इसका लाभ मेरे उत्तराखंड के युवाओं को मिलेगा। मैं धामी जी और उनकी पूरी team को भी बहुत-बहुत बधाई भी देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी दूंगा जो राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में पूरे जोश से जुटी हुई है। बहुत-बहुत बधाई, आपको और आपकी पूरी team को बधाई।
मेरे परिवारजनों,
उत्तराखंड के हर गांव में देश के रक्षक हैं। यहां की वीर माताओं ने वीर पुत्रों को जन्म दिया है जो मेरे देश की रक्षा कर रहे हैं। One Rank One Pension की उनकी दशकों पुरानी मांग को हमारी ही सरकार ने पूरा किया है। अब तक One Rank One Pension के तहत 70 हजार करोड़ रुपए, उससे भी ज्यादा हमारी सरकार ने पूर्व सैनिकों को दिए हैं। इसका लाभ उत्तराखंड के भी 75 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिकों के परिवारों को मिला है। हमारी सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता, border areas में विकास की भी है। आज border areas में सुविधाओं का निर्माण बहुत तेज़ गति से हो रहा है। आप सोच रहे होंगे कि आपकी क्या गलती थी...ये काम पहले की सरकारों ने क्यों नहीं किया ? गलती आपकी नहीं थी। पहले की सरकारों ने इस डर से border areas का विकास नहीं किया कि कहीं दुश्मन इसका फायदा उठाकर अंदर ना आ जाए, बताइए क्या तर्क देते थे। आज का नया भारत, पहले की सरकारों की इस डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। न हम डरते हैं ना हम डराते हैं।
भारत की पूरी सीमा, उस पर हम आधुनिक सड़कें बना रहे हैं, सुरंगें बना रहे हैं, पुल बना रहे हैं। बीते 9 वर्ष में सिर्फ border areas में ही 4200 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें बनाई गई हैं। हमने border के किनारे करीब ढाई सौ बड़े पुल और 22 सुरंगें भी बनाई हैं। आज भी इस कार्यक्रम में अनेक नए पुलों के लिए शिलान्यास हुआ है। अब तो हम border तक trains को भी लेकर आने की तैयारी कर रहे हैं। इस बदली हुई सोच का लाभ उत्तराखंड को भी मिलने जा रहा है।
मेरे परिवारजनों,
पहले सीमावर्ती क्षेत्रों को, सीमावर्ती गांवों को देश का अंतिम गांव माना जाता था। जो अंतिम है, विकास के मामले में उसका नंबर भी आखिरी में ही आता था। ये भी एक पुरानी सोच थी। हमने सीमावर्ती गांवों को अंतिम नहीं, बल्कि देश के पहले गांव के रूप में विकसित करना शुरु किया है। Vibrant Village Programme के तहत, ऐसे ही सीमावर्ती गांवों का विकास किया जा रहा है। हमारी कोशिश यही है कि यहां से जो लोग पलायन करके गए हैं, वो फिर लौट कर आ जाएं। हम चाहते हैं इन गांवों में पर्यटन बढ़े, तीर्थयात्रा का विस्तार हो।
मेरे परिवारजनों,
एक पुरानी कहावत है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। मैंने संकल्प लिया है कि मैं इस अवधारणा को भी बदलकर रहूंगा। आपने भी देखा है कि अतीत की गलत नीतियों के कारण उत्तराखंड के अनेक गांव वीरान हो गए। सड़क, बिजली, पानी, पढ़ाई, दवाई, कमाई, हर चीज का अभाव और इस अभाव के कारण लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। अब स्थितियां बदल रही हैं। जैसे-जैसे उत्तराखंड में नए अवसर बन रहे हैं, नई सुविधाएं बन रही हैं, वैसे-वैसे अनेक साथी गांव लौटने लगे हैं। Double engine सरकार का प्रयास है कि गांव वापसी का ये काम तेज़ी से हो। इसलिए इन सड़कों पर, बिजली के projects पर, अस्पतालों पर, स्कूल-कॉलेज पर, mobile phone के tower पर इतना बड़ा निवेश किया जा रहा है। आज भी यहां इनसे जुड़े हुए कई projects शुरू हुए हैं।
यहां सेब के बागान और फल-सब्जियों के लिए बहुत संभावनाएं हैं। अब जब यहां सड़कें बन रही हैं, पानी पहुंच रहा है, तो मेरे किसान भाई-बहन भी प्रोत्साहित हो रहे हैं। आज जो polyhouse बनाने और सेब के बाग विकसित करने की योजना भी शुरू हुई है। इन योजनाओं पर 1100 करोड़ रुपए खर्च होने वाले हैं। इतना सारा पैसा, उत्तराखंड के हमारे छोटे-छोटे किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए खर्च किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी उत्तराखंड के किसानों को अब तक 2200 करोड़ रुपए अधिक मिल चुके हैं।
साथियों,
यहां तो मोटा अनाज-श्रीअन्न भी अनेक पीढ़ियों से उगाया जाता है। मैं जब आपके बीच में रहा करता था, बहुत समय काटा है आपके बीच में। तब घऱ-घर में मोटा अनाज भी खूब खाया जाता था। अब केंद्र सरकार, इस मोटे अनाज को, श्रीअन्न को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहती है। इसके लिए देशभर में एक अभियान शुरू किया गया है। इनका भी बहुत बड़ा फायदा हमारे उत्तराखंड के छोटे किसानों को मिलने जा रहा है।
मेरे परिवारजनों,
हमारी सरकार, माताओं-बहनों की हर मुश्किल, हर असुविधा को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए हमारी सरकार ने गरीब बहनों को पक्का घर दिया। हमने बहनों-बेटियों को शौचालय बनाकर दिए, gas connection दिए, बैंक में खाता खुलवाया, मुफ्त इलाज किया, मुफ्त राशन आज भी चल रहा है ताकि गरीब के घर का चूल्हा जलता रहे।
हर घर जल योजना के तहत उत्तराखंड में 11 लाख परिवारों की बहनों को pipe से पानी की सुविधा मिल रही है। अब बहनों के लिए एक और काम किया जा रहा है। इस साल लाल किले से मैंने महिला स्वयं सहायता समूहों को drone देने की घोषणा की है। Drone के माध्यम से खेतों में दवा, खाद, बीज, ऐसे अनेक काम किए जा सकेंगे। अब तो ऐसे drone भी बनाए जा रहे हैं, जो फल-सब्जियों को निकट की सब्ज़ी मंडी तक पहुंचा सकें। पहाड़ में drone से दवाओं की delivery भी तेज़ी से करा सकें, यानी महिला स्वयं सहायता समूहों को मिलने वाले ये drone, उत्तराखंड को आधुनिकता की नई ऊंचाई पर ले जाने वाले हैं।
मेरे परिवारजनों,
उत्तराखंड के तो गांव-गांव में गंगा है, गंगोत्री है। यहां के हिमशिखरों में शिव जी और नंदा विराजते हैं। उत्तराखंड के मेले, कौथिग, थौल, गीत-संगीत, खान-पान अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। पांडव नृत्य, छोलिया नृत्य, मांगल गीत, फुलदेई, हरेला, बग्वाल और रम्माण जैसे सांस्कृतिक आयोजनों से ये धरती समृद्ध है। लोकजीवन के स्वाद रोट, अरसे, झंगोरे की खीर, कफली, पकोड़े, रायता, अल्मोडा की बाल मिठाई, सिंगोरी...इनका स्वाद कौन भूल सकता है। और ये जो काली गंगा की भूमि है, उस भूमि से तो मेरा नाता भी बहुत रहा है। यहां चंपावत स्थित अद्वैत आश्रम भी, उससे भी मेरा गहरा संबंध रहा है। वो मेरी जिंदगी का एक कालखंड था।
मेरी कितनी ही यादें यहां की इंच-इ्ंच जमीन पर पड़ी हुई हैं। इस बार बहुत इच्छा थी कि मैं इस दैवीय परिसर में ज्यादा समय बिताऊं। लेकिन कल दिल्ली में G-20 से जुड़ा एक और बड़ा सम्मेलन है। सारी दुनिया के Parliament के जो speaker हैं G-20 के, उनका एक बहुत बड़ा summit है। और इस वजह से मैं अद्वैत आश्रम चंपावत नहीं जा पा रहा हूं। मेरी ईश्वर से कामना है कि मुझे जल्द ही इस आश्रम में आने का फिर एक बार मौका मिले।
मेरे परिवारजनों,
उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थ यात्रा के विकास से जुड़े double engine सरकार के प्रयास अब रंग ला रहे हैं। इस वर्ष उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 50 लाख के आसपास पहुंच रही है, सारे record टूट चुके हैं। बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण से जुड़ा पहला चरण पूरा हो चुका है। श्री बद्रीनाथ धाम में भी सैकड़ों करोड़ रुपए की लागत से अनेक काम हो रहे हैं। केदारनाथ धाम और श्री हेमकुंड साहिब में ropeway का भी काम पूरा होते ही, दिव्यांग और बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को बहुत सुविधा होने वाली है। हमारी सरकार, केदारखंड के साथ-साथ और मैं आज इसलिए यहां आया हूं, मुझे मानसखंड को भी उस ऊंचाई पर लेकर जाना है। केदारखंड और मानसखंड की connectivity भी हम बहुत बल दे रहे हैं। जो लोग केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम जाते हैं, वे जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत भी आसानी से आ सकें, ये प्रयास किया जा रहा है। आज जो ये मानसखंड मंदिर माला मिशन शुरू हुआ है, उससे भी कुमाऊं के अनेक मंदिरों तक आना-जाना आसान होगा।
मेरा अनुभव कहता है कि जो लोग बद्रीनाथ और केदारनाथ आते हैं, वे भविष्य में इस ओर जरूर आएंगे। उनको इस क्षेत्र का पता नहीं है। और आज जो लोग वीडियो जब टीवी पर देखेंगे ना कि मोदी चक्कर काट कर आया है, आप देख लेना हर एक को कहेंगे यार कुछ तो होगा, और आप तैयारी करो यात्रियों की संख्या बढ़ने वाली है, मेरा मानसखंड धम-धम होने वाला है।
साथियों,
उत्तराखंड की बढ़ती हुई connectivity, यहां के विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने वाली है। चारधाम महापरियोजना से, all- weather road से आपको बहुत सुविधा हुई है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पूरी होने के बाद तो पूरे क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा। इस पूरे क्षेत्र में उड़ान योजना के तहत सस्ती हवाई सेवाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। आज ही यहां बागेश्वर से कनालीचिना तक, गंगोलीहाट से अल्मोड़ा तक और टनकपुर घाट से पिथौरागढ़ तक की सड़कों का काम शुरू हुआ है। इससे सामान्य जन को सुविधा के साथ-साथ पर्यटन से कमाई के अवसर भी बढ़ेंगे। मुझे खुशी है कि यहां की सरकार, homestay को प्रोत्साहन दे रही है। पर्यटन तो, एक ऐसा sector है, जहां सबसे अधिक रोज़गार है और कम से कम पूंजी लगती है। आने वाले समय में तो tourism sector का बहुत अधिक विस्तार होने वाला है। क्योंकि पूरी दुनिया आज भारत आना चाहती है। भारत को देखना चाहती है। भारत को जानना चाहती है। और जो भारत को देखना चाहता है, वो उत्तराखंड आए बिना, भारत को देखना उसका पूरा नहीं होता है।
मेरे परिवारजनों,
बीते समय में उत्तराखंड जिस तरह प्राकृतिक आपदाओं से घिरा रहा है, उससे भी मैं भली-भांति परिचित हूं। हमने अपने बहुत से स्वजन खोए हैं। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारी को हमें बेहतर करते रहना ही है और हम करते रहेंगे। इसके लिए आने वाले 4-5 सालों में उत्तराखंड में 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उत्तराखंड में ऐसी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा, जिससे आपदा की स्थिति में राहत और बचाव का काम तेज़ी से हो सके।
मेरे परिवारजनों,
ये भारत का अमृतकाल है। ये अमृतकाल, देश के हर क्षेत्र, हर वर्ग को सुविधा, सम्मान और समृद्धि से जोड़ने का काल है। मुझे पूरा विश्वास है कि बाबा केदार और बद्री विशाल के आशीर्वाद से, आदि कैलाश के आशीर्वाद से हम अपने संकल्पों को तेज़ी से सिद्ध कर पाएंगे। एक बार फिर इतना प्यार देने के…7 किलोमीटर, मैं सचमुच में, मेरे पास वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं हेलीकॉप्टर से निकला, 7 किलोमीटर यहां आया। और आने में भी देर इसलिए हुई, 7 किलोमीटर दोनों तरफ वो human chain नहीं थी, human wall थी। ऐसी भीड़ लगी थी और जैसे परिवार में कोई अवसर हो वैसे उत्सव के कपड़े पहनकर, शुभ प्रसंग के कपड़े पहन करके, मंगल वातावरण में, माताओं के हाथ में आरती, फूलों के गुलदस्ते, आशीर्वाद देने से वे रुकते नहीं थे। ये मेरे लिए बड़े भावुक क्षण थे। आज पिथौरागढ़ को और पिथौरागढ़ जिले के सब लोगों को, इस पूरे खंड को मेरा मानसखंड, उसने आज जो प्यार बरसाया, उत्साह दिखाया है; मैं शत-शत नमन करता हूं। आपका आभार व्यक्त करता हूं।
एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ बोलिए- दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए-
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
बहुत-बहुत धन्यवाद !