आईएनएस विक्रांत का निर्माण उन स्वदेशी उपकरणों और मशीनों के उपयोग से किया गया है, जिनकी आपूर्ति भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों तथा 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों ने की है
आईएनएस विक्रांत भारत के सामुद्रिक इतिहास का सबसे विशाल निर्मित पोत है और यह अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है
औपनिवेशिक अतीत से अलग, प्रधानमंत्री ने नये नौसेना ध्वज का अनावरण किया और उस निशान को छत्रपति शिवाजी के प्रति समर्पित किया
“आईएनएस विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है”
“आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है आईएनएस विक्रांत”
“आईएनएस विक्रांत स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है”
“अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहरायेगा”
“विक्रांत पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नये भारत की बुलंद पहचान बन रही है”

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में उपस्थित केरल के राज्यपाल श्रीमान आरिफ़ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री श्रीमान पिनाराई विजयन जी, देश के रक्षामंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे अन्य सहयोगीगण, चीफ़ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल आर हरिकुमार जी, एमडी कोचीन शिपयार्ड, सभी विशिष्ट एवं गणमान्य अतिथिगण, और इस कार्यक्रम में जुड़े मेरे प्यारे देशवासियों!

आज यहाँ केरल के समुद्री तट पर भारत का हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। आजादी के आंदोलन में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस सक्षम, समर्थ और शक्तिशाली भारत का सपना देखा था, उसकी एक सशक्त तस्वीर आज हम यहाँ देख रहे हैं।

विक्रांत- विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियाँ अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है-विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है-विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है-विक्रांत। ये हर भारतीय के लिए गर्व और गौरव का अनमोल अवसर है। ये हर भारतीय का मान-स्वाभिमान बढ़ाने वाला अवसर है। मैं इसके लिए हर एक देशवासी को बधाई देता हूँ।

साथियों,

लक्ष्य कठिन से कठिन क्यों ना हों, चुनौतियां बड़ी से बड़ी क्यों ना हों, भारत जब ठान लेता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है। आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है। आज विक्रांत को देखकर समंदर की ये लहरें आह्वान कर रही हैं-

अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,

प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।

साथियों,

इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं भारतीय नौसेना का, कोचीन शिपयार्ड के सभी इंजीनियर्स, वैज्ञानिकों और मेरे श्रमिक भाई-बहनों का अभिनंदन करता हूँ, जिन्होंने इस सपने को साकार किया है। केरल की पुण्य भूमि पर देश को ये उपलब्धि एक ऐसे समय पर मिली है, जब ओणम का पवित्र पर्व भी चल रहा है। मैं सभी देशवासियों को इस अवसर पर ओणम की हार्दिक शुभकामनायें भी देता हूँ।

साथियों,

INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकास-यात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है। ये स्टील DRDO के वैज्ञानिकों ने विकसित किया, भारत की कंपनियों ने प्रोड्यूस किया।

ये एक युद्धपोत से भी ज्यादा, एक तैरता हुआ एयरफील्ड है, एक तैरता हुआ शहर है। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है, उससे 5 हजार घरों को रोशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइट डेक भी दो फुटबाल ग्राउंड के बराबर है। विक्रांत में जितने केबल्स और वायर्स इस्तेमाल हुए हैं, वो कोच्चि से शुरू हों तो काशी तक पहुँच सकते हैं। ये जटिलता, हमारे इंजीनियर्स की जीवटता का उदाहरण है। मेगा-इंजीनियरिंग से लेकर नैनो सर्किट्स तक, पहले जो भारत के लिए अकल्पनीय था, वो हकीकत में बदल रहा है।

साथियों,

इस बार स्वतन्त्रता दिवस पर मैंने लाल किले से ‘पंच प्रण’ का आह्वान किया है और हमारे हरि जी ने भी अभी इसका उल्‍लेख किया है। इन पंच प्रणों में पहला प्रण है- विकसित भारत का बड़ा संकल्प! दूसरा प्रण है- गुलामी की मानसिकता का सम्पूर्ण त्याग। तीसरा प्रण है- अपनी विरासत पर गर्व। चौथा और पांचवा प्रण है- देश की एकता, एकजुटता, और नागरिक कर्तव्य! INS विक्रांत के निर्माण और इसकी यात्रा में हम इन सभी पंच प्रणों की ऊर्जा को देख सकते हैं। INS विक्रांत इस ऊर्जा का जीवंत संयंत्र है। अभी तक इस तरह के एयरक्राफ्ट कैरियर केवल विकसित देश ही बनाते थे। आज भारत ने इस लीग में शामिल होकर विकसित राष्ट्र की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है।

साथियों,

जल परिवहन के क्षेत्र में भारत का बहुत गौरवमयी इतिहास रहा है, हमारी समृद्ध विरासत रही है। हमारे यहाँ नौकाओं और जहाजों से जुड़े श्लोकों में बताया गया है-

दीर्घिका तरणि: लोला, गत्वरा गामिनी तरिः।

जंघाला प्लाविनी चैव, धारिणी वेगिनी तथा॥

ये हमारे शास्‍त्रों में इतना वर्णन है। दीर्घिका, तरणि लोला, गत्वरा, गामिनी, जंघाला, प्लाविनी, धारिणी, वेगिनी... हमारे यहां जहाजों और नौकाओं के अलग-अलग आकार और प्रकार होते थे। हमारे वेदों में भी नौकाओं, जहाजों और समुद्र से जुड़े कितने ही मंत्र आते हैं। वैदिक काल से लेकर गुप्तकाल और मौर्यकाल तक, भारत के समुद्री सामर्थ्य का डंका पूरे विश्व में बजता था। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी।

जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए थे।

भारत के पास प्रतिभा थी, अनुभव था। लेकिन हमारे लोग इस कुटिलता के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे। हम कमजोर पड़े, और उसके बाद गुलामी के कालखंड में अपनी ताकत को धीरे-धीरे भुला बैठे। अब आजादी के अमृतकाल में भारत अपनी उस खोई हुई शक्ति को वापस ला रहा है, उस ऊर्जा को फिर से जगा रहा है।

साथियों,

आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।

कभी रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपनी कविता में लिखा था-

नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो, नमो!

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो, नमो!

आज इसी ध्वज वंदना के साथ मैं ये नया ध्वज, नौसेना के जनक, छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है, भारतीयता की भावना से ओतप्रोत ये नया ध्वज, भारतीय नौसेना के आत्मबल और आत्मसम्मान को नई ऊर्जा देगा।

साथियों,

हमारी सेनाओं में किस तरह बदलाव आ रहा है, उसका एक और अहम पक्ष मैं सभी देशवासियों के सामने रखना चाहता हूं। विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है।

मुझे बताया गया है कि अभी नेवी में करीब 600 महिला ऑफिसर्स हैं। लेकिन, अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबन्दियाँ थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं हैं।

अभी एक-दो साल पहले वूमेन ऑफिसर्स ने तारिणी बोट से पूरी पृथ्वी की परिक्रमा की थी। आने वाले समय में ऐसे पराक्रम के लिए कितनी ही बेटियाँ आगे आएंगी, दुनिया को अपनी शक्ति से परिचित करवाएँगी। नेवी की तरह ही, तीनों सशस्त्र सेनाओं में युद्धक भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल किया जा रहा है, उनके लिए नई जिम्मेदारियों के रास्ते खोले जा रहे हैं।

साथियों,

आत्मनिर्भरता और आजादी को एक दूसरे का पूरक कहा जाता है। जो देश जितना दूसरे किसी दूसरे देश पर निर्भर है, उतना ही उसके लिए संकट है। जो देश जितना आत्मनिर्भर है, वो उतना ही सशक्त है। कोरोना के संकटकाल में हम सभी ने आत्मनिर्भर होने की इस ताकत को देखा है, समझा है, अनुभव किया है। इसलिए आज भारत, आत्मनिर्भर होने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रहा है।

आज अगर अथाह समंदर में भारत की ताकत का उद्घोष करने के लिए INS विक्रांत तैयार है, तो अनंत आकाश में यही गर्जना हमारे तेजस कर रहे हैं। इस बार 15 अगस्त को पूरे देश ने लाल किले से स्वदेशी तोप की हुंकार भी सुनी है। आजादी के 75 साल बाद सेनाओं में Reform करके, भारत अपनी सेनाओं को निरंतर आधुनिक बना रहा है, आत्मनिर्भर बना रहा है।

हमारी सेनाओं ने ऐसे उपकरणों की एक लंबी लिस्ट भी बनाई है, जिनकी खरीद अब स्वदेशी कंपनियों से ही की जाएगी। डिफेंस सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 25 प्रतिशत बजट भी देश की यूनिवर्सिटीज और देश की कंपनियों को ही उपलब्‍ध कराने का निर्णय लिया गया है। तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो बड़े डिफेंस कॉरिडॉर्स भी विकसित हो रहे हैं। डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए उठाए जा रहे इन कदमों से, देश में रोजगार के अनेकों नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

साथियों,

एक बार लाल किले से मैंने नागरिक कर्तव्य इसकी भी बात कही है। इस बार मैंने उसको दोहराया भी है। बूंद-बूंद जल से जैसे विराट समंदर बन जाता है। वैसे ही भारत का एक-एक नागरिक अगर ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा। जब सभी देशवासी लोकल के लिए वोकल होंगे तो उसकी गूंज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई देगी और देखते ही देखते दुनिया के जो भी मैन्‍युफैक्‍चरर होंगे उनको भी मजबूरन भारत में आ करके मैन्‍युफैक्‍चरिंग के रास्‍ते पर चलना पड़ेगा़। ये ताकत एक-एक नागरिक के अपने-आप के तजुर्बे में है।

साथियों,

आज जिस तेजी से वैश्विक परिवेश बदल रहा है, वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है, उसने विश्व को multi-polar बना दिया है। इसलिए, आने वाले समय में भविष्य की गतिविधियों और सक्रियता का केंद्र कहाँ होगा, ये भविष्यदृष्टि बहुत जरूरी हो जाती है। उदाहरण के तौर पर, पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीज़न और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरंदाज किया जाता रहा है। लेकिन, आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता हैं। इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक, हर दिशा में काम कर रहे हैं।

आज चाहे, offshore patrol vessels हों, submarines हों, या aircraft carriers हों, आज भारत की नौसेना की ताकत अभूतपूर्व गति से बढ़ रही है। इससे आने वाले समय में हमारी नेवी और मजबूत होगी। ज्यादा सुरक्षित ‘सी-लेन्स’, बेहतर monitoring और बेहतर protection से हमारा एक्सपोर्ट, मैरिटाइम ट्रेड और मैरिटाइम प्रॉडक्शन भी बढ़ेगा। इससे केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों, और विशेषकर हमारे पड़ोसी मित्र राष्ट्रों के लिए व्यापार और समृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे।

साथियों,

हमारे यहाँ शास्‍त्रों में कहा जाता है और बहुत महत्‍वपूर्ण बात कही जाती है और जिस बात को हमारे लोगों ने संस्‍कार के रूप में जीया है। हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा गया है-

विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय।

खलस्य साधोः विपरीतम् एतद्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय॥

अर्थात्, दुष्ट की विद्या विवाद करने के लिए, धन घमंड करने के लिए और शक्ति दूसरों को प्रताड़ित करने के लिए होती है। लेकिन, सज्जन के लिए ये ज्ञान, दान और कमजोर की रक्षा का जरिया होता है। यही भारत का संस्कार है, इसीलिए विश्व को सशक्त भारत की ज्‍यादा जरूरत है।

मैंने एक बार पढ़ा था कि एक बार जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से किसी ने पूछा कि आपका व्यक्तित्व तो बड़ा शांतिप्रिय है, आप तो बड़े शांत व्‍यक्ति लगते हैं, तो आपको हथियारों की क्या जरूरत लगती है? कलाम साहब ने कहा था- शक्ति और शांति एक दूसरे के लिए जरूरी हैं। और इसीलिए, आज भारत बल और बदलाव दोनों को एक साथ लेकर चल रहा है।

मुझे विश्वास है, सशक्त भारत शांत और सुरक्षित विश्व का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसी भाव के साथ, हमारे बहादुर जवानों को, वीर सेनानियों को आदरपूर्वक उनका गर्व करते हुए आज के इस महत्‍वपूर्ण अवसर को उनकी वीरता को समर्पित करते हुए आप सबका मैं हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

जय हिन्द!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।