Quoteदेश का गरीब वर्ग आज कह रहा है 'खर्चे काम कराए, बचत बढ़ाए बार-बार; फिर एक बार, मोदी सरकार': बस्तर में पीएम मोदी
Quoteपीएम मोदी ने कहा कि कई दशकों के बाद देश ने बीजेपी की स्थिर और मजबूत सरकार देखी है। हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता गरीबों का कल्याण है।
Quoteआजादी के बाद दशकों तक कांग्रेस सरकार ने गरीबों की जरूरतों को नजरअंदाज किया: पीएम मोदी
Quoteआजादी के बाद कांग्रेस मान बैठी थी कि उसके पास देश को लूटने का लाइसेंस है लेकिन 2014 में मोदी ने उसका यह लूट का लाइसेंस कैंसिल कर दिया: पीएम मोदी


आमचो भाई बहिनी, दादा दीदी, आपन सपाय मन के, मोचो बाट ले…जुहार, राम राम
मां दंतेश्वरी की पावन धरा को मेरा प्रणाम।
आप विराजिए, दोनों साथी।

आज मैं हमारे बहुत पुराने साथी बलिराम कश्यप जी की जन्मस्थली कर्मस्थली, जब यहां आता हूं तो पुरानी यादें ताजा होना बहुत स्वाभाविक है, शायद यहां कोई क्षेत्र ऐसा नहीं होगा कि मैंने और बलिराम जी ने साथ दौरा न किया हो। एक साथ हम प्रवास करते थे। संगठन के कार्य के लिए निकलते थे। तो स्वाभाविक है कि बलिराम जी ने जो तपस्या की जो पुरुषार्थ किया उसी का नतीजा है कि आज हम सबने आपका इतना विश्वास प्राप्त किया है। प्यारे भाइयों-बहनों, देश के लिए, आदिवासी कल्याण के लिए बलिराम जी हर पल जागरूक रहते थे। जितना हो सके करने का प्रयास करते थे। बस्तर ने, छत्तीसगढ़ ने मुझे और भाजपा के हमारे हर साथी को अपने आशीर्वाद में कोई कमी नहीं रखी है। आज भी आप यहां दूर-दूर से इतनी विशाल संख्या आप हमें आशीर्वाद देने आए हैं। मैं उधर रेलिंग के बाहर भी बहुत बड़ी तादाद में चारों तरफ लोगों को देख रहा हूं। आज मैं आपके बीच आया हूं। पिछले 10 साल में देश कहां से कहां पहुंचा है, देश ने कितनी प्रगति की है। और उसमें आप सबका जो साथ मिला है। मैं आप सबका आभार व्यक्त करने भी आया हूं। आप लोगों ने यहां सिर्फ भाजपा सरकार ही नहीं बनाई, बल्कि विकसित भारत की आधारशिला भी मजबूत की है। छत्तीससगढ़ वासियों ने मोदी की गारंटी पर मोहर लगाई है। आपने मोदी की गारंटी पर मोहर लगाई है। आज उसी विश्वास से पूरा देश कह रहा है- फिर एक बार...मोदी सरकार ! फिर एक बार...मोदी सरकार ! फिर एक बार...मोदी सरकार !

साथियों,
अनेक दशकों बाद देश ने भाजपा की स्थिर और मजबूत सरकार देखी है। हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही- गरीब का कल्याण। आजादी के बाद दशकों तक गरीब की जरूरतों को कांग्रेस की सरकारों ने नजरअंदाज किया। कांग्रेस ने कभी गरीब की चिंता नहीं की, उनकी परेशानियों को समझे तक नहीं। कांग्रेस के सबसे बड़े परिवार के अमीरों को कभी महंगाई का मतलब समझ ही नहीं आया। आपने 2014 में गरीब के इस बेटे को देश की सेवा का अवसर दिया। कच्ची छत के नीचे रहने की तकलीफ क्या होती है, ये मुझे पता है। जब घर में राशन नहीं होता, तो एक मां पर क्या बीतती है, मुझे पता है। जब दवा खरीदने के लिए घर में पैसे नहीं होते, तो बेबसी कितनी ज्यादा होती है, ये मैं जानता हूं। इसलिए मैंने ठाना कि जब तक गरीब की हर चिंता दूर नहीं करूंगा, मैं चैन से नहीं बैठूंगा। हमारी सरकार ने गरीब के लिए एक-एक करके योजनाएं बनाईं, गरीब को उसका हक दिया। आज सरकार के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि देश में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

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साथियों,
गरीबों के लिए भाजपा ने कैसे काम किया है, उसका एक बहुत बड़ा गवाह हमारा ये बस्तर है। बस्तर के बारे में तो कहा जाता है- मावा बस्तर, सोबले बस्तर ! बस्तर डिविजन से ही मैंने आयुष्मान आरोग्य मंदिर के निर्माण की शुरुआत की थी। ये आयुष्मान आरोग्य मंदिर, देशभर में गरीब को सस्ते इलाज, सस्ती जांच का प्रमुख केंद्र बने हैं। यहां छत्तीसगढ़ में भी हजारों आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोले गए हैं। इन आरोग्य मंदिरों की वजह से गरीबों को इलाज की बहुत बड़ी सुविधा मिली है, उनकी चिंता कम हुई है। मोदी ने 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज वाली जो आयुष्मान भारत योजना चलाई है, वो भी गरीबों के बहुत काम आ रही है। हम अपने यहां जानते हैं चाहे आदिवासी बस्ती हो या शहर घर में मां कभी बीमार हो जाती है न तो घर में किसी को पता नहीं चलने देती है कि वो बीमार है। कितनी ही पीड़ा हो मां सहती रहती है। उसके मन में एक ही बात होती है चलिए धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। अगर परिवार में बच्चों को पता चलेगा कि मां को बीमारी है, मां को तकलीफ है तो वो अस्पताल ले जाएंगे, बहुत खर्चा हो जाएगा, संतानों के सर पर कर्ज लग जाएगा। इसलिए मां सोचती थी अब कितने लंबे दिन जीना है, चलिए मुसीबत भोग लेंगे लेकिन बच्चों पर बोझ नहीं बनने दूंगी। ये हमारी हर माता सोचती थी, सहती थी। तब आपके इस बेटे ने सोचा कि अगर तुम्हारा बेटा वहां बैठा है तो फिर आपकी बीमारी की चिंता ये तुम्हारा बेटा करेगा। देश के करोड़ों गरीबों ने इस योजना की वजह से अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराया है। इस योजना की वजह से गरीबों के एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने से बच गए हैं। जो उनको बीमारी के लिए खर्च करना पड़ता। मोदी ने जो ये 11 हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र खोले हैं, उन पर 80 प्रतिशत छूट के साथ दवा दी जाती है। 80 परसेंट डिस्काउंट। इससे भी गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए, दवाई खरीदने में जो खर्च होता था न उसमें बचत हो गई है। इसलिए ही आज देश का गरीब कह रहा है- खर्चे कम कराए, बचत बढ़ाए बार-बार, फिर एक बार मोदी सरकार। बचत बढ़ाए बार-बार, फिर एक बार मोदी सरकार।

साथियों,
दुनिया में 100 साल का सबसे बड़ा महासंकट आय़ा, कोरोना, कोविड। लोग कहते थे, भारत कैसे बचेगा, भारत के गरीबों का क्या होगा? कांग्रेस के अमीरों की सरकार के समय देश में बीमारी का टीका आने में दशकों लग जाते थे। मोदी ने कहा कि मैं अपने देश के हर गरीब के साथ खड़ा हूं। मैं गरीबों को मुफ्त वैक्सीन भी दूंगा...मैं गरीबों को मुफ्त राशन भी दूंगा। ऐसे समय में जब दूसरे देशों में कोरोना का एक एक टीका हजारों रुपए में लग रहा था, मोदी ने आपको मुफ्त टीका लगवाया। ऐसे समय में जब दूसरे देशों में खाने के लिए हाहाकार मचा था, मोदी ने अपने गरीब भाई-बहनों के लिए मुफ्त राशन की दुकान खुलवा दी। मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीनेशन पर मोदी ने 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए। और इतना ही नहीं, मुफ्त राशन की योजना को मोदी ने अगले 5 साल तक औऱ बढ़ा दिया है। आने वाले पांच साल भी मोदी ये मुफ्त राशन की सेवा करता रहेगा। इसके कारण अब गरीब का ये पैसा बच रहा है और जब पैसा बचता है तो जिंदगी के कई सारे सपने पूरे करने के काम आता है। इसलिए आज हर कोई कह रहा है कि मोदी के कारण, उनकी योजनाओं ने खर्चे कम कराए, बचत बढ़ाए बार-बार, फिर एक बार मोदी सरकार।

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साथियों,
कांग्रेस की सरकार के समय, भ्रष्टाचार ही देश की पहचान बन गई थी। और भ्रष्टाचार से अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी का होता है, तो गरीब का नुकसान होता है। भ्रष्टाचार, गरीब का हक मारता है। 2014 से पहले लाखों करोड़ रुपए के घोटाले होते थे। कांग्रेस की सरकार में दिल्ली से एक रुपया निकलता था और सिर्फ 15 पैसा गांव तक पहुंचता था। ये मैं नहीं कह रहा हूं कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से हम एक रुपया भेजते हैं, 15 पैसा ही पहुंचता है। अरे भई बताओ न वो कौन पंचा था जो 85 पैसे मार लेता था। मोदी ने कांग्रेस की लूट की ये पूरी व्यवस्था ही बंद करा दी। भाजपा सरकार ने अपने 10 साल में 34 लाख करोड़ रुपए, आंकड़ा याद रखिए 34 लाख करोड़ रुपए सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे हैं। दिल्ली से एक रुपया भेजा पूरे सौ पैसे गरीब के खाते में जमा हो गए। रुपया एक भेजो 15 पहुंचे, 85 पैसे गायब हो जाए वो जादू का खेल बंद हो गया। और जब डायरेक्ट पैसा जाता है तो एक पैसा कांग्रेस लूट नहीं पाई। अगर देश में कांग्रेस की सरकार होती तो ये कांग्रेस गरीबों के, ये जो 34 लाख करोड़ हैं न, और जो राजीव गांधी वाला अगर मैं हिसाब लगाऊं, तो 28 लाख करोड़ लूट लेते। 34 लाख करोड़ में से 28 लाख करोड़ गायब हो जाते। आजादी के बाद से कांग्रेस समझती थी कि उसे देश को लूटने का लाइसेंस मिला हुआ है। 2014 में सरकार में आने के बाद मोदी ने कांग्रेस की लूट का लाइसेंस ही कैंसिल कर दिया है। मोद ये लाइसेंस इसलिए कैंसल कर पाया, क्योंकि आपने मोदी को लाइसेंस दिया था। अब आप बताइए, जब उनकी दुकान बंद हो गई, लूटने का लाइसेंस चला गया, तो मोदी को गाली देंगे कि नहीं देंगे? देंगे कि नहीं देंगे? तो मेरी रक्षा कौन करेगा? मेरी रक्षा कौन करेगा? ये मेरे कोटि-कोटि देशवासी ही, मेरी माताएं-बहनें आज मोदी का रक्षा कवच बन गई।

साथियों,
मोदी ने जब घोटालेबाज़ों का रास्ता रोका, जब बिचौलियों की कमाई बंद की, तब से इनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। ये मोदी से भड़के हुए हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर आज कड़ी कार्रवाई हो रही है। यहां के युवाओं को जिन्होंने धोखा दिया है, उनकी तेजी से जांच चल रही है। अब नाराज होकर ये लाठी से मोदी का सिर फोड़ने की धमकी दे रहे हैं। मोदी गरीब का बेटा है, सिर ऊंचा रख करके चलता है...मोदी इनकी धमकियों से डरने वाला नहीं है। आप मुझे बताइए, गरीबों को जिन्होंने लूटा, गरीबों को जिन्होंने लूटा, उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? सबलोग बताइए, सज़ा मिलनी चाहिए? सज़ा मिलनी चाहिए?

साथियों,
कोई घर में घुस आए और लूट-पाट करने लगे, तो परिवार का हर सदस्य उससे भिड़ जाता है। मोदी के लिए तो, मेरा भारत मेरा परिवार है। मैं भी अपने देश को, अपने परिवार को लूट-पाट से बचाने में जुटा हूं। इसलिए मैं कहता हूं भ्रष्टाचार हटाओ, और वो कहते हैं भ्रष्टाचारी बचाओ। चुनाव की रैलियां नहीं कर रहे भ्रष्टाचारी को बचाने के लिए रैलियां कर रहे। लेकिन ये सारे लोग कान खोलकर सुन लें। ये मोदी को कितनी भी धमकियां दे दें, भ्रष्टाचारियों को जेल जाना ही पड़ेगा- ये मोदी की गारंटी है।

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भाइयों और बहनों,
रामनवमी बहुत दूर नहीं है। इस बार अयोध्या में हमारे रामलला टेंट में नहीं बल्कि भव्य मंदिर में दर्शन देंगे। 500 साल बाद ये सपना पूरा हुआ, तो इसकी सबसे अधिक खुशी प्रभु राम के ननिहाल, छत्तीसगढ़ को होना बहुत स्वाभाविक है। लेकिन कांग्रेस और इंडी-गठबंधन राम मंदिर बनने से बहुत नराज़ है। कांग्रेस के शाही परिवार ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकरा दिया। कांग्रेस के जिन नेताओं ने इस कदम को गलत बताया, उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। एकाध जो वहां पहुंच गए प्राण प्रतिष्ठा में, प्रभु राम के सामने सिर झुकाया, उनको छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया। ये दिखाता है कि कांग्रेस तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद को पार कर सकती है। कांग्रेस ने घोषणापत्र बनाया है, उसमें भी मुस्लिम लीग की छाप है।

साथियों,
कांग्रेस को आज भी देश के लोगों की जरूरतों से कोई लेना-देना नहीं है। ये भाजपा सरकार है जो हर गारंटी ज़मीन पर उतार रही है। अभी हमारे मुख्यमंत्री जी बड़े विस्तार से बता रहे थे, यहां की भाजपा सरकार ने धान किसानों के बकाए रकम को चुकाने की गारंटी पूरी की। तेंदुपत्ता संग्राहकों को दी गारंटी भी पूरी की गई है। मैं यहां की बहनों को विशेष बधाई दूंगा। महतारी वंदन योजना का लाभ मिलने लगा है। और मुख्यमंत्री जी ने बताया काशी बाबा के धाम से मुझे इस कार्यक्रम में साथ आने का मौका मिला था। यहां की लगभग 70 लाख बहनों को हर साल 12 हज़ार रुपए मिलना तय हुआ है। इसमें बस्तर की 5 लाख से अधिक और कांकेर की 5 लाख से अधिक बहनें भी इसकी लाभार्थी हैं, उसका लाभ ले रही है। अब यहां गरीब परिवारों, आदिवासी, दलित, पिछड़े परिवारों के पक्के घर तेजी से बनने शुरू होंगे। सरकार बनने के दूसरे ही दिन गरीबों को पक्का घर देने का निर्णय कर लिया गया। और मैं आपको कहता हूं, इस चुनाव के अंदर जब आप बूथ में जाएंगे। तो लोगों को मिलेंगे, तो कुछ लोग मिलेंगे जिनको योजना का लाभ पहुंच गया है। कुछ लोग मिलेंगे जिनको नहीं पहुंचा है। उनको मेरी तरफ से गारंटी दे देना। आपकी गारंटी होगी न ये मोदी पूरी करेगा। आप उनको गारंटी दे देना कि आने वाले पांच साल में जो रह गए हैं उनको भी मोदी सारी योजना पहुंचा देगा। और खुशी की बात है, हम जो आवास बना रहे हैं न उसमें जो मालिकाना हक का नाम है, वो हमारी माताओं-बहनों के नाम पर है। हर परिवार तक नल से जल पहुंचाने के लिए भी तेज़ी से काम होगा। मोदी ने अब देश की 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने की गारंटी दी है। क्या कभी सोचा है आपने, ऐसे कार्यक्रम की औरों की तो कल्पना नहीं हो सकती, मोदी में हिम्मत है कि तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का फैसला लिया है मैंने। इसमें यहां वनधन केंद्रों से जुड़ीं हज़ारों लाखों आदिवासी बहनें भी शामिल हैं।

भाइयों और बहनों,
जनजातीय समाज हमेशा भाजपा की प्राथमिकता रही है। जिस आदिवासी समाज का हमेशा कांग्रेस ने तिरस्कार किया, उसी आदिवासी समाज की बेटी आज देश की राष्ट्रपति हैं। भाजपा ने ही छत्तीसगढ़ को पहला आदिवासी मुख्यमंत्री दिया है। भाजपा ने ही आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय, अलग बजट बनाया है। बीते 10 वर्षों में आदिवासी कल्याण का बजट 5 गुणा बढ़ाया गया है। जब कांग्रेस सरकार थी, तो पूरे देश में सवा सौ से भी कम एकलव्य आवासीय विद्यालय थे। आज सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही 70 से अधिक एकलव्य विद्यालय हैं। कांग्रेस की सरकार के दौरान, सिर्फ 8-10 वन-उपजों पर ही MSP मिलता थी, आज ये संख्या 100 के आसपास पहुंच रही है।

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साथियों,
आपका सपना और ये मोदी की गारंटी है। आपका सपना ही मोदी का संकल्प है। इसे पूरा करने के लिए हर पल देश के नाम, हर पल आपके नाम। 24 बाय 7 फॉर 20247. साथियों, जिसको किसी ने नहीं पूछा, उनको मोदी ने पूजा है। इसलिए, जनजातियों में भी सबसे पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए पहली बार कोई योजना बनी है। 24 हज़ार करोड़ रुपए की पीएम जनमन योजना से छत्तीसगढ़ की अनेक जनजातियों का जीवन आसान होने वाला है। हर आदिवासी परिवार का जीवन बेहतर बनाना- ये मोदी की गारंटी है।

भाइयों और बहनों,
मोदी आराम करने के लिए नहीं, काम करने के लिए पैदा हुआ है। मेरा लक्ष्य देश को विकसित बनाना है, हर परिवार को समृद्ध बनाना है। और इसलिए छत्तीसगढ़ के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, बस्तर और कांकेर से आए मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, कमल छाप पर पड़ने वाला आपका हर वोट मोदी की ताकत बढ़ाएगा। इसलिए बस्तर में 19 अप्रैल को आप हमारे साथी महेश कश्यप जी को आशीर्वाद दीजिए। कांकेर में 26 अप्रैल को आप हमारे साथी भोजराज जी को ज्यादा से ज्यादा मतों से विजयी बनाएं। आपसे एक और बात करना चाहता हूं। मेरा एक और काम करना है, मुझे पक्का विश्वास है कि आप करोगे। मैंने जब संगठन का काम किया था, इस सारे इलाके में मैं बहुत भ्रमण कर चुका हूं। यहां के हर कोने को जानता हूं। अब मैं जा नहीं पाता हूं सब जगह पे, समय का अभाव रहता है। फिर भी छत्तीसगढ़ के प्रति मेरा प्यार इतना रहा है कि पहले जितने प्रधानमंत्री आए उससे ज्यादा बार मैं आपके बीच आया हूं। लेकिन अब जब जा नहीं रहा हूं तो मेरा काम आपको करना पड़ेगा। करोगे। मेरा एक काम करोगे। घर-घर जाना और कहना कि मोदी जी ने जोहार भेजा है, राम-राम कहा है। ये कह दोगे। कल गुडीपड़वा है। देश के कई हिस्सों में चैत्रसुदेकम नववर्ष मनाया जाता है। चैत्री नवरात्रि का भी पर्व होता है, शक्ति उपासना का पर्व होता है। कुछ दिनों के बाद रामनवमी भी आ रही है। मैं आप सभी को इन सभी त्योहारों की, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
काल के आसच्चो, नुआसाल और नवरात्री पर्व चालू होइसे। उनचो भले शुभकामना।
भारत माता की जय ! भारत माता की जय !

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भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!