एनडीए सरकार गरीबों, किसानों और वंचितों की सेवा के प्रति तत्पर है: नरेंद्र मोदी
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने किसानों को कम ब्याज पर ज्यादा बीमा मुहैया कराया: प्रधानमंत्री
भ्रष्टाचार और कालेधन जैसी बुराईयों ने देश को बर्बाद कर दिया है। भारत को अब इन सभी बुराईयों से मुक्ति मिलनी चाहिए: प्रधानमंत्री
तकनीक ने हमारे जीवन को सरल बना दिया है, मोबाइल फोन आज हमारे बैंक बन गये हैं: प्रधानमंत्री

भारत माता की... जय

भारत माता की.. जय

महात्मा बुद्ध की महा परिनिर्माण स्थली कुशीनगर की ई पवित्र भूमि के प्रणाम करत बानी... सब काम-धाम, खेती-बारी, जोतनी-बोवनी छोड़ के रौव्वा लोगन-लोग इतनी बड़ी संख्या में यहां आईल बीड़ी... ई देखके हमार मन गदगद हो गईल बा। आप लोगन के भी प्रधान सेवक के नमस्कार..ई भगवान बुद्ध का धरती है, भगवान महावीर का ई धरती है...भारत सहित पूरी दुनिया के इहे धरती शांति, अहिंसा के उपदेश दीहलस। अस्तेर अउर क्रांति, एवं योग के ऊ नायक शिवा अवतारी महायोगी गोरखनाथ... यहि क्षेत्र के तपस्या के लिए चुनल, महान संत कबीर इहे क्षेत्र में चीरशांति पउलस, इहे भूमि पर दुनिया में सबसे पहले लोकतंत्र के जन्म भईल... गणराज्यन के ई पवित्र भूमि से प्रदेश में परिवर्तन के हुंकार फुकलें के अब समय आ गईला बा। रौव्वा लोग अब प्रदेश के विकास की खातिर भी गौठी बांधी तैयार हो जाई...

मंच पर विराजमान श्रीमान ओम जी, प्रदेश के उत्साही..लोकप्रिय नौजवान अध्यक्ष श्री केशव प्रसाद मोर्य जी, आदरणीय कलराज मिश्र जी, श्री मनोज सिन्हा जी, अनुप्रिया पटेल जी, सांसद श्रीमान आदित्यनाथ जी, रीता बहुगणा जी, श्रीमान रमापति जी, रामेश्वर जी, सूर्यप्रताप जी, उपेंद्र शुक्ला जी, स्वामी प्रसाद मौर्य जी, हमारे यहां के सांसद श्रीमान राजेश पांडे जी, श्रीमान कामेश्वर सिंह जी, श्री राम चौहान जी, संतोषी जी, जन्मेजय सिंह जी, दारासिंह जी, विजय दुबे जी, स्वतंत्र देवसिंह जी, जयप्रकाश जी, श्री प्रताप शुक्ला जी, जयप्रकाश निषाद जी, भाई पंकज सिंह जी, महेंद्र यादव जी, श्री गंगा सिंह कुशवाहा जी, रविंद्र कुशवाहा जी और विशाल संख्या में पधारे हुए...मेरे प्यारे भाईयो और बहनों....

मुझे एक बार फिर आप सब के बीच आने का सौभाग्य मिला है। 2014 के चुनाव में मैं उत्तर प्रदेश के काशी क्षेत्र से चुनाव लड़ रहा था। उत्तर प्रदेश के कई स्थानों में जाने का सौभाग्य मिला था, लेकिन मेरे भाईयों-बहनों... उस समय मैं खुद चुनाव लड़ रहा था... यहां कुशीनगर में भी आया था, लेकिन उस समय सभा में इससे आधे लोग भी नहीं आते थे... और माताएं-बहनें तो कभी नहीं आती थीं। आज इतनी बड़ी तादाद में माताएं-बहनें मुझे आशीर्वाद देने आए हैं... इतनी बड़ी विशाल जनसभा... मुझे आशीर्वाद देने आई है। माताएं-बहनें, भाईयों-बहनों मैं आप सब को सर झुका कर नमन करता हूं, आप का अभिनंदन करता हूं और आपने मुझ पर जो यह विश्वास जताया है, आपके आशीर्वाद से... आपके विश्वास को कभी... मैं चोट नहीं पहुंचने दूंगा, आंच नहीं आने दूंगा। भाईयों-बहनों हम सालों से सुनकर के आए हैं... कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है।

अगर भारत में गांव, गरीब, किसान उसके जीवन में अगर हमने बदलाव लाया होता तो हिंदुस्तान को आज जो मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं... ये मुसीबतें कभी झेलनी नहीं पड़ती... ये हमारा गांव ताकतवर होता... हमारा किसान ताकतवर होता तो वो हिंदुस्तान की समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे पहले खड़ा हुआ होता और इसलिए भाईयों-बहनों आज जो दिल्ली में सरकार बैठी है, ये सरकार पूरी तरह गरीबों को समर्पित है, ये सरकार गांव को समर्पित है, ये सरकार किसानों को समर्पित है, ये सरकार दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित... इन सभी हमारे समाज के लोगों को समर्पित है, उनका कल्याण करना चाहती है। भाईयों-बहनों यहां गन्ना का किसान कैसी-कैसी परेशानियों से गुजरा है ये कौन नहीं जानता है?

चीनी मिलें यहां के जीवन के लिए चुनौती बन गई और राजेश जी कह रहे थे कि अगर देने वाला मजबूत है तो मांगने की ज़रुरत क्या है? भाईयों-बहनों... मैं भी आप ही के जैसा हूं, ये जमाना चला गया... जब सरकार में बैठे हुए लोग ये मानते थे कि वो देने वाले बन गए हैं हम तो सेवक हैं..सेवक, आपकी सेवा करने के लिए आए हैं आपका कष्ट...आपका कष्ट हमारा कष्ट है, आपकी कठिनाईयों को दूर करना ही हमारी जिम्मेवारी है, सेवा भाव से करना हमारी जिम्मेवारी है... भाईयों-बहनों, अगर देने वाला कोई है तो देशवासी हैं भाईयों-बहनों भाईयों-बहनों...जनता जनार्दन देने वाली होती है और आपने मुझे इतना दिया है इतना दिया है मैं तो कर्ज चुकाने आया हूं भाईयों-बहनों... कर्ज चुकाने आया हूं।

2014-15 में गन्ना किसानों का बकाया 22 हजार करोड़ रुपया था भाईयों-बहनों 22 हजार करोड़ और लोगों को ऐसी आदत हो गई थी... भई इसके बिना ठीक है आया तो आया... नहीं आया तो नहीं आया इसी से गुजारा कर लो। लोग नाराज़गी भी व्यक्त नहीं करते थे, सिर्फ हाथ जोड़कर विनती करते रहते थे, चीनी मालिकों को कह रहे थे कि जरा भुगतान कर दो। लखनऊ में सरकार को परवाह नहीं होती थी, उसको तो लगता थी कि चुनाव आएंगे... कुछ इधर-उधर का बांट देंगे तो चल जाएगा। लोग सहने के आदि हो गए थे। जब दिल्ली में सरकार बनी उत्तर प्रदेश के लोगों ने मुझे इतना बड़ा सेवा का अवसर दिया... हमने तय किया कि गन्ना किसानों की चिंता करेंगे। भाईयों-बहनों 2014-15 के 22 हजार करोड़ बकाया था अब शायद मुश्किल से अंगुली से गिन सकेंगे इतना सा बचा होगा बाकी सारी बातें किसान के घर तक पहुंचा दी।

मेरे पास चीनी वाले आए थे वो कह रहे थे साहेब... दाम कम हो गया है चीनी का कारखाना चलाना मुश्किल हो गया है, हमें पैकेज दे दो। मैंने कहा पैकेज लेने की आपकी आदत पुरानी है, लेकिन मोदी नया है... मुझे ये पुरानी आदत आती नहीं है, तो पहली मीटिंग में मैंने कहा जो मांगोगे देने को तैयार हूं तो बड़े खुश होकर के गए... फिर मैंने धीरे से अफसरों को भेजा और मैंने कहा जरा मुझे सूची दो कौन-कौन गन्ने किसान का कितना पैसा बकाया है... उसकी ज़रा सूची दो तो चीनी मिल के लोग ज़रा कांपने लग गए, फिर दोबारा मिलने आए। मैंने कहा पैकेज मिलेगा लेकिन कारखानें के मालिक को नहीं मिलेगा। हमें सूची दे दो... गन्ना किसान को जो बकाया है सीधा-सीधा उसके बैंक अकाउंट में जमा करेंगे, आपको बीच में नहीं आने देंगे। वो कहने लगे नहीं..नहीं साहेब पैकेज नहीं चाहिए, यहां तक कहने लग पैकेज नहीं चाहिए। भाईयों-बहनों सरकार ने फैसला किया कि गन्ना किसानों का बकाया है उसका पैकेज चीनी मालिकों को नहीं दिया जाएगा, गन्ना किसानों के खाते में जमा होगा और जिन-जिन लोगों ने बैंक का खाता खुलवाया, उसका तुरन्त फायदा उनको मिल गया, उनके खाते में सीधा पैसा जमा हो गया कोई बिचौलिया बीच में नहीं आया।

भाईयों-बहनों चीनी मिलें... चलें... गन्ना किसानों को उनकी मेहनत का पैसा मिले, इसके लिए हमारी भरपूर कोशिश है। लेकिन इसके लिए... एक के बाद एक कदम उठाने पड़ते हैं, हमने कदम उठाया कि जब चीनी का दाम कम हो जाता है दुनिया में... तो चीनी मिलें बंद हो जाती है, चीनी मिलें बंद हो जाए तो गन्ना किसान का गन्ना कोई खरीदता नहीं है और खरीदता है तो तीन महीने, चार महीने के बाद खरीदता है और तब उसका वजन कम हो जाता है, वजन कम हो जाता है तो किसान तो घाटे में ही चला जाता है... ये खेल चलता रहता है और बेचारा किसान चुपचाप सहन करता रहता है।

हमने तय किया कि अगर दुनिया में चीनी का दाम इधर-उधर हो गया तो हम हिंदुस्तान के चीनी के कारखानें में चीनी नहीं बनाएंगे तो इथेनॉल बनाएंगे और इथेनॉल बनाकर के पेट्रोल, डीजल, की जगह पर उसको उपयोग करेंगे... गाड़ी चलाने के लिए उसको जलाएंगे, लेकिन किसान का गन्ना नहीं जलने देंगे और चीनी मिलों को इथेनॉल बनाने के लिए मज़बूर किया, जिनके पास प्लांट नहीं थे उनको कहा है प्लांट लगाओ, चीनी का दाम गिर जाता है तो चीनी मत बनाओ इथेनॉल बनाओ और पेट्रोल की जगह पर इथेनॉल यूज करो, डीजल की जगह पर इथेनॉल यूज करो लेकिन गन्ने के किसान को मरने नहीं दिया जाएगा... ये काम हमने कर के दिखाया भाईयों-बहनों।

सौ करोड़ लीटर... आज तक का हिंदुस्तान का रिकॉर्ड है कि भारत ने सौ करोड़ लीटर इथेनॉल बनाकर के गाड़ियों में उसका उपयोग किया। उसके कारण जो विदेशों से... तेल लाना पड़ता है उसमें हम कुछ बचत कर पाए, इधर गन्ना के किसान का भुगतान कर पाए। भाईयों-बहनों समस्याएं आती हैं लेकिन समस्याओं के रास्ते भी खोजे जा सकते हैं। ये सरकार ऐसी है कि समस्याओं को भी सामना करने के लिए हर पल तैयार रहती है... जनता-जनार्दन के साथ खड़े होकर चलती है।

 

भाईयों-बहनों मैं हमेशा कहता हूं कि उत्तर प्रदेश का भला तब तक नहीं होगा जब तक उत्तर प्रदेश का पूर्वी... उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश का विकास होना चाहिए और विकास करने के लिए रेल का काम हो... रोड का काम हो... इसके लिए भारत सरकार अरबों-खरबों रुपये लगा रही है। हमारे मनोज सिन्हा जी रेल मंत्री... दिन-रात लगे हुए हैं कि रेल में विकास उत्तर प्रदेश में कैसे हो? उत्तर प्रदेश के लोगों को कैसे लाभ मिले?  पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई बीमार हो जाए तो कहां जाए... कब पहुंचे... अच्छी अस्पताल नहीं, भारत सरकार ने निर्णय किया... गोरखपुर के अंदर एम्स का अस्पताल लगा देंगे और उस पूरे इलाके के भाग्य को बदलने के लिए, उनको आरोग्य की सुरक्षा देने के लिए हम काम करेंगे।

फर्टीलाइजर का कारखाना... उसको चालू करने का हमने निर्णय किया। एक जमाना था, भईया... बहुत-बहुत... आपका प्यार सर-आंखों पर भैया, आपका प्यार सरांखों पर... अब जगह है नहीं कोई आगे आ नहीं आ पाओगे भैया। ये जन-सैलाब उमड़ पड़ा है।

भाईयों-बहनों... हमने देखा है जब हमारे किसान को यूरिया चाहिए... यूरिया, किसान को रात-रात यूरिया लेने के लिए कतारों में खड़ा रहना पड़ता था। हड्डियां पिघल जाएं ऐसी ठंड में रात-रात भर खड़ा रहना पड़ता था, लेकिन देश में कभी किसी को इसकी पीड़ा नहीं होती थी, और जब यूरिया लेने जाता था, पुलिस आकर के लाठी चार्ज करती थी, किसान को यूरिया नहीं मिलता था। मेरे भाईयों-बहनों एक साल हो गया... आपने देखा होगा कहीं पर ग्राहक को यूरिया के लिए कतार नहीं लगानी पड़ती, कहीं पर यूरिया के लिए पुलिस को लाठी नहीं चलानी पड़ती, ये कैसे हुआ? ये जादू कैसे आया?

भाईयों-बहनों रातों-रात, रातों-रात... कोई यूरिया का कारखाना तो नहीं लग गया था, लेकिन क्यों नहीं मिलता था युरिया...? यूरिया की पैदावर नहीं थी क्या...? यूरिया की पैदावर थी... यूरिया के कारखाने चलते थे... किसान को सब्सिडी भी मिलती थी लेकिन यूरिया किसान के खेत में नहीं जाता था... कैमिकल के कारखाने में चोर रास्ते से चला जाता था... और कैमिकल वालों को सस्ते में यूरिया मिल जाता था। उसमें से वो अपनी और चीजें बनाकर के बाजार में बेचते थे।

फर्टीलाइजर... फसल के लिए हुआ करता था, फर्टीलाइजर यूरिया उद्योगपतियों की भलाई के उपयोग में आता था। हमने आकर के उसकी दवाई की, बड़ा अच्छा ऊपाय ढूंढ करके निकाला। हमने कहा कि हम यूरिया का नीमकोटिंग कर देंगे, जो नीम का पेड़ होता है नीम की जो फली होती है, उसका तेल यूरिया पर लगा देंगे, उससे... जो धरती माता है, उसको भी अच्छा खुराक मिल जाएगा, और एक बार अगर यूरिया पर नीमकोटिंग हो गया... तो किसी भी कैमिकल के लिए वो यूरिया बेकार हो गया, और इसलिए अब 100 ग्राम यूरिया भी कैमिकल के कारखाने में नहीं जाता है। जितना यूरिया पैदा होता है किसान के खेत में जाता है, बताइए भाईयों-बहनों... चोरी बंद हुई कि नहीं हुई? बेईमानी बंद हुई कि नहीं हुई? काला बाजारी बंद हुई कि नहीं हुई? किसान को यूरिया मिला कि नहीं मिला? भाईयों-बहनों...क्या इसका ज्ञान पहले नहीं था क्या? पहले की सरकारों को भी इसका ज्ञान था, कागज पर सब लिखा हुआ है, लेकिन किसान से ज्यादा... उनको कारखानें वालों की चिंता थी। और इसलिए कभी भी उन्होंने यूरिया की इस प्रकार चिंता नहीं की, हमने शत प्रतिशत यूरिया नीमकोटिंग कर दिया। उसके कारण आज किसान को यूरिया मिल रहा है।

भाईयों-बहनों... हमने किसान के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड बनाया। आज आप देखते होंगे... जब हम बीमार हो जाते हैं, बीमार हो जाते हैं तो हम लोग ब्लड टेस्ट कराते हैं, पेशाब की जांच करवाने के लिए डॉक्टर कहता है, उसका जब तक रिपोर्ट नहीं आता है डॉक्टर दवाई नहीं देता है। वो कहता है पहले पैथोलॉजिकल जांच करवा के लाइए, बल्ड टेस्ट का रिपोर्ट लाइए, युरीन टेस्ट का रिपोर्ट लाइए उसके बाद वो दवाई करता है। भाईयों-बहनों जैसा शरीर का स्वभाव है, वैसा ही हमारी धरती माता का भी है, धरती माता में भी बीमारियां होती हैं, धरती माता में भी ताकत होती हैं, अच्छाईयां होती हैं और इसलिए जैसे हमारे शरीर में ब्लड की जांच हो सकती है, हमारे खून की जांच हो सकती है, हमारे पेशाब की जांच हो सकती है, वैसे ये धरती मां के अंदर क्या..क्या अच्छाईयां हैं... कमियां हैं..., उसकी जांच हो सकती है।

और इसलिए हमने ये धरती मां की जांच करने की लेबोरेटरी बनाना, अपनी ज़मीन, खेत की ज़मीन का टेस्टिंग कराना और फिर रिपोर्ट आती है कि आपके जमीन में ये दवाई डालनी चाहिए... ये नहीं डालनी चाहिए... ये खाद डालनी चाहिए... ये नहीं डालनी चाहिए... ये फसल उगानी चाहिए... ये फसल नहीं उगानी चाहिए और उसके कारण किसान के जो पैसे बर्बाद होते थे, वरना किसान क्या करता था? अगर पड़ोसी ने लाल डिब्बे वाली दवाई डाल दी तो ये भी लाल डिब्बे वाली दवाई डाल देता था। पड़ोसी ने काले डिब्बे वाला पाउडर डाल दिया तो ये भी काले डिब्बे वाला पाउडर डाल देता था। और उसके कारण किसान को बहुत नुकसान होता था। भाईयों-बहनों... हमने सॉइल हेल्थ कार्ड लगाकर के... किसान को उसकी धरती माता की रक्षा कैसै हो?, उस धरती माता में से ज्यादा से ज्याद उपज कैसे मिले? उसके लिए रास्ता खोल दिया औऱ जो आने वाले दिनों में किसान का भला करने वाला है।

भाईयों-बहनों... हमारा किसान कितनी ही मेहनत करे लेकिन, हमारा किसान कितनी ही मेहनत करे लेकिन, लेकिन जब प्राकृतिक आपदा आ जाए तो उसकी सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती है, पानी में बह जाती है, किसान बर्बाद हो जाता है। अधिक बारिश आ जाए तो भी किसान दुखी, कम बारिश आ जाए तो भी किसान दुखी, नदियों में ज्यादा पानी आ जाए तो भी किसान दुखी, ज्यादा फसल हो जाए तो भी किसान दुखी, कम फसल हो जाए तो भी किसान दुखी, इस किसान की रक्षा कैसे करेंगे?

भाईयों-बहनों और इसलिए हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हम लाए हैं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और उसमें किसान को बहुत कम पैसा देना है, बहुत कम देना है, भारत सरकार पैसे देगी और आपके फसल को कोई भी प्राकृतिक नुकसान होगा तो उस किसान को बीमा योजना से पूरा का पूरा पैसा मिलेगा... भाईयों-बहनों। इतना ही नहीं आपने तय किया हो कि जून महीने में बुवाई करनी है, लेकिन बारिश नहीं आई, आपने सोचा जुलाई में करेंगे फिर भी बारिश नहीं आई, आपने सोचा अगस्त में करेंगे फिर भी बारिश नहीं आई। पानी ही नहीं आया तो बुवाई कहां करोगे?  और बुवाई नहीं की तो फसल कहां होगी?, और फसल नहीं होगी तो फसल बर्बाद भी कैसे होगी? तो ऐसी स्थिति में किसान क्या करेगा? जिसकी बुवाई नहीं हुई तो उसको तो फसल नहीं आनी है तो फसल बीमा लगना नहीं है। पहली बार इस देश में दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी है, इसमें ऐसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए है कि प्राकृतिक आपदा के कारण अगर बुवाई नहीं हुई तो भी उसका हिसाब लगाकर उसको मिनिमम बीमा का पैसा दिया जाएगा।

भाईयों-बहनों कभी हमारा किसान... अच्छी फसल हो... खुशी मना रहा हो... खेत में फसल काट कर खलिहान में बड़ा ढेर किया है.... अपनी किसानी पैदावर का, अब वो इंतजार कर रहा है कि कोई ट्रैक्टर मिल जाए और ट्रैक्टर में समान रखकर बाजार में मंडी में जाकर के बेच कर के आ जाऊंगा। अब उसको ट्रैक्टर आने में देर हो गई दो-चार दिन, पांच दिन, ट्रक आने में देर हो गई, मंडी सामान पहुंचाने में मुश्किल हो गया और अचानक... अचानक बारिश आ गई, सारी फसल तैयार है खेत में ढेर पड़ा है, फसल का बीमा कहां से मिलेगा क्योंकि सब पूरा हो गया था। ये दिल्ली में ऐसी सरकार है, जो किसानों की चिंता करने वाली सरकार है। हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा में योजना बनाईं कि फसल की कटाई के बाद जो फसल का ढेर है, अगर 15 दिन के भीतर-भीतर कोई प्राकृतिक आपदा आ गई और किसान का नुकसान हो गया तो उसका बीमा भी मिलेगा भाईयों-बहनों।

आप मुझे बताईए भाईयों कि बुवाई से लेकर कटाई तक हर परिस्थिति में बीमा देने की ताकत ये दिल्ली में बैठी सरकार लेकर आई है, लेकिन मैं दिल्ली की सरकार को कहना चाहता हूं कि अगर अब झगड़े शांत हो गये हो, आपके पास समय हो, यहां के गरीबों की चिंता करने की फुर्सत हो, किसानों की चिंता करने की फुर्सत हो तो ये उत्तर प्रदेश सरकार ये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उत्तर प्रदेश में लागू करवाए। यहां के किसानों को जरा लाभ मिले, खर्चा दिल्ली सरकार करने को तैयार है, काम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कुछ करे। मुझे नहीं लगता है कर पाएंगे। उनको इसमें इंटरेस्ट ही नहीं है भाईयों, समस्याओं का समाधान करने में इंटरेस्ट नहीं है।

भाईयों-बहनों आप बताइए कि यहां हमारी गंडक नहर... कितनी लंबी गंडक नहर है, लेकिन उसकी तलहटी में सारी मिट्टी भरी पड़ी है और उसके कारण पानी की संग्रह क्षमता कम हो गई है और केनाल के आखरी में पानी पहुंचता ही नहीं है। पानी दिखता है फिर भी किसान का खेत सूखा है। भाईयों-बहनों हम कह-कह कर थक गए इन सरकारों को... उत्तर प्रदेश सरकार को कह-कह कर थक गए कि मनरेगा के पैसे हम दे रहे हैं आप मनरेगा से इस गंडक की नहर जो है... उसको जरा मिट्टी निकलवाइए ताकि पानी मेरे किसानों को पहुंचे, उनको ये करने की भी फुर्सत नहीं है।

आप मुझे बताईए भाईयों क्या ये कूड़ा-कचरा निकालना कोई राजनीति है क्या? राजनीति है क्या? ये कूड़ा-कचरा निकालोगे तो किसानों का भला होगा कि नहीं होगा? अगर नहर साफ होगी तो किसानों का भला होगा कि नहीं होगा? लेकिन भाईयों-बहनों ये ऐसे राजनीतिक प्रकृति के लोग हैं कि उनको कूड़ा-कचरा निकालना ही नहीं है। उनको सब जगह पर कूड़े-कचरे में ही मजा आता है।

अभी पिछले दिनों हमने एक निर्णय किया भ्रष्टाचार के खिलाफ... काले धन के खिलाफ... 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए। आप मुझे बताइए मेरे भाईयों-बहनों... ये भ्रष्टाचार ने देश को बर्बाद किया है कि नहीं किया है? ये काले धन ने बर्बादी लाई है कि नहीं लाई है? ये देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहिए कि नहीं कराना चाहिए? इस देश को काले धन से मुक्त कराना चाहिए कि नहीं कराना चाहिए? किसी ने तो कदम उठाना चाहिए कि नहीं उठाना चाहिए? भाईयों-बहनों बीमारी के कारण, जब बीमारी दूर करने के लिए दवाईयां देते हैं तो थोड़ी तकलीफ तो होती है कि नहीं होती है?

आज मैं देश का आभार व्यक्त करने आया हूं। भगवान बुद्ध की इस धरती से मैं देशवासियों का आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि यही तो महापुरुष थे, जिन्होंने हमें संयम का मार्ग सिखाया है, यही तो महापुरुष हैं, यही तो महात्मा गांधी की धरती है जिसने हमें ट्रस्टिसशिप का सिद्धांत सिखाया है। भाईयों-बहनों दूसरों का लूट कर के जमा करने वाले लोग... क्या कभी किसी का भला करेंगे?  हक का पैसा हरेक को मिलना चाहिए लेकिन लूट का पैसा मिलना चाहिए क्या? ये सरकारी खजाने में जमा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? और इसलिए भाईयों-बहनों सरकार ने 8 तारीख को निर्णय किया है और मैंने देश से 50 दिन मांगे हैं 50 दिन... पहले दिन से मैंने कहा है कि तकलीफ होगी... जो बड़े-बड़े हैं उनको बड़ी-बड़ी तकलीफ होगी लेकिन छोटे लोगों को छोटी-छोटी तकलीफ तो होगी।

मेरे भाईयों-बहनों ये देश की जनता को मैं नमन करता हूं, ये लोकतंत्र की ताकत देखिए, कल चीन के अखबारों में लिखा है कि लोकतंत्र में कोई ऐसा फैसला लेने की हिम्मत नहीं कर सकता है, अरे उन्हें मालूम नहीं है कि भारत की जनता की रग-रग में ऐसा लोकतंत्र है, जो औरों की भलाई सोचता है, अपनी भलाई बाद में सोचता है। और इसलिए जनता-जनार्दन के आशीर्वाद के कारण ऐसा कठोर फैसला करने का साहस होता है।

मैं इस बात से सहमत हूं। मैंने पहले ही दिन से कहा है कि ये निर्णय सरल नहीं है, उसको लागू करना भी सरल नहीं है। 8 तारीख को हीं मैंने कहा था कि 50 दिन तकलीफ रहने वाली है अभी तो मेरे प्यारे भाईयों-बहनों 20 दिन ही हुआ है, अभी 30 दिन बाकी है। सरकार पूरी तरह आपकी समस्याओं का समाधान करने के लिए लगी हुई है और देशवासियों ने तकलीफ झेल करके भी मेरा साथ दिया है, इसके लिए मैं देशवासियों का जितना आभार व्यक्त करुं, उतना कम है। भाईयों-बहनों ये बात सही है लोग ऐसा समझाते हैं कि हमारे पास नोटें नहीं है तो हम क्या करें...

भाईयों-बहनों आप लोग अपना मोबाइल फोन रिचार्ज कराना जानते हैं कि नहीं जानते हैं, क्या किसी स्कूल में पढ़ने के लिए गए थे? नहीं गए थे न...? आ गया कि नहीं आ गया? आपको मोबाईल फोन रिचार्ज कैसे करना है? आ गया कि नहीं आ गया? कितने पैसे भरना? कैसे भरना? कहां भरना? सब आया कि नहीं आया...? कोई सिखाने आया था...? नहीं आया था।

भाईयों-बहनों आप whatsApp  करते हैं whatsApp.... यूं-यूं करते हैं चला जाता है कोई सिखाने आया था...? कोई पढ़ाने आया था? किसी स्कूल में सीखने गए थे? आपको आया कि नहीं आया? आज भाईयों-बहनो टैक्नोलॉजी इतनी सरल है कि यहां आप लोग फोटो निकालते हैं और यहीं से अपने दोस्तो को फोटो भेज रहे हैं... भेज रहे हो न... मैं देख रहा हूं सब लोग फोटो निकाल रहे हैं... भेज रहे हो न, जितनी आसानी से आप अपने मोबाइल फोन से फोटो भेज सकते हो, whatsApp भेज सकते हो, अपने मोबाइल फोन का एकाउंट रिचार्ज करा सकते हो, उतनी ही आसानी से... बैंक में अगर आपका खाता है, बैंक में अगर आपका पैसा है तो आप मोबाईल फोन से जो भी खरीदना हो... खरीद सकते हो, जो भी लेना हो... ले सकते हो। आज आपका मोबाइल फोन... ये आपका मोबाइल फोन यही आपके बैंक की ब्रांच बन गया है। आपकी हथेली में आपकी अपनी बैंक बन गई है। पहले जेब में बटुवा रखना पड़ता था, और बटुए में पैसे रखने पड़ते थे।

अब जमाना चला गया है। अब बटुए की जरुरत नहीं.. अब मोबाईल फोन में ही पैसे होते हैं। दुकानदार के पास जाइए और उसको बताइए कि भई... बताइए मेरे पास ये बैंक का एप है। मैं आपके यहां से 20 रु का सामान लेना चाहता हूं, मैं मोबाइल फोन से पैसे दूंगा वो कहेगा हां-हां दे दीजिए... तुरन्त उसके मोबाइल में एक सेकेंड में पैसा चला जाएगा, आपको 20 रु का माल मिलेगा।

भाईयों-बहनों... आज हमारे देश में आधे से अधिक लोग जो रेलवे में जाते हैं वो खुद जाकर के पैसे देकर टिकट नहीं लेते ऑनलाइन टिकट लेते हैं, उनके पैसे वापिस आते हैं तो ऑनलाइन आ जाते हैं। भाईयों-बहनों आज आपने अखबार में एक इश्तेहार देखा होगा, एक एडवर्टाइज़मेंट आज आपने अखबार में देखा होगा। मेरा आप सब से आग्रह है कि इस एडवर्टाइज़मेंट को पूरी तरह पढ़ें और इसका कटिंग करके हर दुकान पर लगा दें... अखबार से निकाल करके सब लोग इतना काम ज़रुर करें और इसमें किस प्रकार से मोबाइल में खाता खोला जाता है, उसकी सारी विधि बताई गई है। आप के पैसे आप के हैं, बिना नोट के भी आप इसका खर्च कर सकते हो।

भाईयों-बहनों ये नोटों का उपयोग काले धन वाले संग्रह करना चाहते हैं। हम काले धन वालों को सफल होने नहीं देना चाहते हैं, हम भ्रष्टाचारियों को सफल होने देना नहीं चाहते हैं। और इसलिए भाईयों-बहनों मुझे आगे के भी उनके रास्ते बंद करने हैं। आज के अंग्रेजी अखबारों में भी इसका एडवर्टाइज़मेंट छपा हुआ है, आज के हिंदी अखबारों में भी ये इश्तेहार छपा हुआ है।

मेरा आप सब से आग्रह है, और यहां जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं वो अखबार से कटिंग निकाल करके हर दुकान के बाहर एक बोर्ड पर लगा दें और ऐसे इश्तेहार रोज आते जाएंगे। स्टेट बैक ऑफ इंडिया की एप है, सरकार की एप है, आपको सिर्फ अपने मोबाईल फोन पर उस एप को डाउनलोड करना है, आपके गांव के मोहल्ले के व्यापारी को डाउनलोड करना है, सीधा आपका पैसा बैंक से चला जाएगा जो सामान खरीद चाहते हैं, खरीद सकते हैं। एक रुपया के बिना कोई काम अटकने वाला नहीं है...ये व्यवस्था मौजूद है भाईयों। और इसलिए.. इसलिए मुझे आपसे मदद चाहिए। मेरी विशेष पढ़े-लिखे नौजवानों से आग्रह है, सरकारी मुलाजिमों से आग्रह है कि आप भी अपने अड़ोस-पड़ोस में... जिसके पास भी माबाइल फोन है, उसको ज़रा सिखाइए कि किस प्रकार से मोबाइल फोन से कारोबार किया जा सकता है।

आप देखिए ये जो सारी चर्चाएं हैं आप खुद उसको एक मिनट में बंद करवा सकते हैं। और देशवासियों ने सहयोग दिया है, हमारे पास रास्ते भी हैं उस रास्तों पर चलिए देश में कभी भ्रष्टाचार दोबारा आने की हिम्मत नहीं करेगा भाईयों, देश में दोबारा काला धन पैदा होने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी। देश में नोटें छाप-छाप कर के ढेर करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी, और नोटों के बंडल किसी को बिस्तर के नीचे छुपाने की नौबत नहीं आएगी।

भाईयों-बहनों एक तरफ में भ्रष्टाचार का... भाईयों-बहनों एक तरफ सरकार... एक तरफ हम सब भ्रष्टाचार के सारे रास्ते बंद करने में लगे हैं, काले धन के सारे रास्ते बंद करने में लगे हैं, और दूसरी तरफ.... भारत बंद करने में लगे हैं। आप मुझे बताइए... भ्रष्टाचार का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? पूरी ताकत से बताइए कि भ्रष्टाचार का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? भ्रष्टाचार का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? काला धन का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? काले धन का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? काले धन का रास्ता बंद होना चाहिए कि भारत बंद होना चाहिए? भाईयों-बहनों सिर्फ और सिर्फ गरीब के लिए मैंने ये फैसला लिया है। 70 साल तक जो लूटा है उसको निकालना है... और गरीब का घर बनाना है, 70 साल तक लूटा है, किसान के खेत में पानी पहुंचाना है, 70 साल तक लूटा है उन पैसों को निकाल कर के गरीब की झोपड़ी में बिजली का तार पहुंचाना है, 70 साल तक लूटा है उन पैसों से गरीब बच्चों की पढ़ाई करवानी है। 70 साल तक जो लूटा है उन पैसों को निकाल कर के गरीब बुजूर्गों को दवाई दिलवानी है।

भाईयों-बहनों ये जो कुछ भी निकलेगा ये सारा का सारा गरीबों की भलाई के काम आने वाला है और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों अब हम लुटने नहीं देंगे देश को... और मुझे विश्वास है भाईयों, जिस देश में सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद हों वहां पर काला धन का खात्मा संभव है, भ्रष्टाचार का खात्मा संभव है, भाईयों-बहनों देश अच्छी दिशा में जाने के लिए तैयार बैठा है और मुझे विश्वास है ये देश इस महायज्ञ में, ईमानदारी के महायज्ञ में, देशवासियों को कष्ट झेलकर केभी आहूति देते मैं देख रहा हूं... और इसलिए भाईयों-बहनों आने वाले दिनों में देश इस बात को स्वीकार करेगा कि फैसला कठोर था, लेकिन भविष्य उज्जवल है, और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों मैं आपसे अनुरोध करने आया हूं कि आप गांव के हर दुकानदार को इन अखबार के माध्यम से कैसे मोबाइल पर उनकी बिजनेस लगाया जा सकता है... सिखाइए।

आप स्वंय कम से कम दस परिवार, पंद्रह परिवार उनको सिखाइए... बिना पैसे सारा कारोबार चलाने की दिशा में सारी दुनिया चल पड़ी है। हम पीछे रह गए भाईयों, हम पीछे रह गए भाईयों अब हिंदुस्तान पीछे नहीं रह सकता। आप मुझे बताइए, आप मेरी मदद करेंगे...? दोनों हाथ ऊपर कर के मुझे आशीर्वाद दीजिए... आप मेरी मदद करेंगे...? आपके आशीर्वाद रहेंगे....? ये परिवर्तन आकर रहेगा... भ्रष्टाचार जाके रहेगा... काला धन जाएगा... भाईयों-बहनों आपका भविष्य बन जाएगा।

आपके आशीर्वाद के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

धन्यवाद.....

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।