प्रधानमंत्री ने गांधीनगर और मुंबई के बीच गांधीनगर स्टेशन पर नई वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया
प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद मेट्रो रेल परियोजना का शुभारंभ किया
"आज 21वीं सदी के भारत के लिए, अर्बन कनेक्टिविटी के लिए और आत्मनिर्भर होते भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है"
"21वीं सदी के भारत को देश के शहरों से नई गति मिलने वाली है"
"देश में मेट्रो के इतिहास में पहली बार 32 किमी लंबे खंड को एक बार में चालू किया गया है"
"21वीं सदी का भारत गति को तेज विकास का एक महत्वपूर्ण कारक और उसकी गारंटी मानता है"
"गति को लेकर ये आग्रह आज गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान में भी दिखता है, नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में भी दिखता है"
"पिछले 8 वर्षों में, हमने इन्फ्राट्रक्चर को लोगों की आकांक्षाओं से जोड़ा है"

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

आज 21वीं सदी के भारत के लिए, अर्बन कनेक्टिविटी के लिए और आत्मनिर्भर होते भारत के लिए एक बहुत बड़ा दिन है। थोड़ी देर पहले मैंने गांधीनगर-मुंबई, वंदे भारत एक्सप्रेस के तेज रफ्तार सफर का अनुभव किया है। ये सफर था तो कुछ मिनटों का ही, लेकिन ये मेरे लिए बहुत गौरव से भरे क्षण थे। ये देश की तीसरी और गुजरात की पहली वंदेभारत ट्रेन है। कालुपुर रेलवे स्टेशन से कालुपुर मेट्रो स्टेशन और फिर वहां से अहमदाबाद मेट्रो की सवारी करते हुए मैं थलतेज पहुंचा। यानि कोई बाहर से वंदेभारत के जरिए आ रहा हो तो उसके बाद सीधे-सीधे मेट्रो पर चढ़कर शहर में अपने घर जा सकता है या काम के लिए शहर के दूसरे हिस्से में जा सकता है और गति इतनी तेज की जो शेड्यूल कार्यक्रम बनाया था, उससे 20 मिनट पहले मैं थलतेज पहुंच गया। मैं आज ट्रेन में सफर कर रहा था, डिपार्टमेंट के लोग कई खूबियाँ बताते रहते हैं, एडवरटाइजमेंट भी करते रहते हैं। कितनी स्पीड है, क्या है, क्या व्यवस्था है सब। लेकिन एक और पहलु जो शायद डिपार्टमेंट की तरफ का ध्यान नहीं गया है। मुझे वो अच्छा लगा, मैं बताना चाहता हूं। ये जो वंदे भारत ट्रेन है, मैं कोई गणितज्ञ नहीं हूं, कोई वैज्ञानिक नहीं हूं। लेकिन मोटा-मोटा मैं अंदाज लगा सकता हूं कि हवाई जहाज में यात्रा करते समय अंदर जितनी आवाज आती है। वंदे भारत ट्रेन में वो आवाज शायद सौंवे हिस्से की हो जाती है। यानि सौ गुणा ज्यादा आवाज विमान में होती है। विमान में अगर बातचीत करनी है, तो काफी दिक्कत रहती है। मैं वंदे भारत ट्रेन में देख रहा था। आराम से मैं लोगों से बातचीत कर रहा था। क्योंकि कोई आवाज ही नहीं थी बाकी। इसका मतलब जो लोग हवाई जहाज के आदि हैं। उनको अगर ये आवाज के विषय में ज्ञान हो जाएगा, मैं पक्का मानता हूं वो हवाई जहाज नहीं वंदे भारत ट्रेन पसंद करेंगे, और मेरे अहमदाबाद के वासी मुझे मेरे अहमदाबाद को सौ-सौ बार सलाम करेंगे, नवरात्रि का त्यौहार हो, रात पूरी डांडिया चल रहा हो, अपना शहर, अपना गुजरात सोया ना हो, ऐसे नवरात्रि के दिनों में, एसी गर्मी के बीच, इतना बड़ा विराट जनसमूह का सागर मैंने पहली बार देखा है भाई, मैं यही बड़ा हुआ, ऐसा बड़ा कार्यक्रम अहमदाबाद ने किया हो, यह मेरा पहला अनुभव है। और इसलिए अहमदाबाद के वासियों को मेरा सौ-सौ सलाम। और उसका अर्थ यह हुआ कि अहमदाबाद वासियों को मेट्रो क्या है, उसकी समझ है। मैंने एक बार मेरे अर्बन डेवलपमेंट के मंत्रियों से बात की थी। मैंने कहा कि आपको मेट्रो, जोकि पूरे देश में करनी चाहिए, हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन आपको अहमदाबाद के वासी सबसे ज्यादा रिटर्न देगें, उन्होंने मुझसे कहा कैसे, मैंने कहा हमारे अहमदाबादी हिसाब लगाते हैं कि, ऑटो रिक्शा में जाऊंगा तो कितना होगा, कितना समय लगेगा, कितनी गरमी लगेगी, और मेट्रो मे जाऊंगा तो इतना होगा, तुरंत ही वह मेट्रो में आ जाएगा। सबसे ज्यादा आर्थिक लाभ करेगा, वह अहमदाबाद का पैसेंजर करेगा। इसलिए तो हमारे अहमदाबाद में एक जमाने में, मैं अहमदाबाद का ऑटो रिक्शावाला ऐसा करके गीत गाते थे। अब मेट्रो वाला ऐसे कहकर गीत गाएगा। मैं सचमुच में आज अहमदाबाद को जितनी बधाई दूं, जितनी सलाम करूं, उतनी कम है दोस्तों। आज अहमदाबाद ने मेरा दिल जीत लिया है।

भाइयों और बहनों,

21वीं सदी के भारत को देश के शहरों से नई गति मिलने वाली है। हमें बदलते हुए समय और बदलती हुई जरूरतों के साथ अपने शहरों को भी निरंतर आधुनिक बनाना जरूरी है। शहर में ट्रांसपोर्ट का सिस्टम आधुनिक हो, सीमलेस कनेक्टिविटी हो, यातायात का एक साधन दूसरे को सपोर्ट करे, ये किया जाना बहुत आवश्यक है, और जो गुजरात में मोदी पर बारीकी नज़र रखने वाले लोग हैं, वो वैसे ही एक अच्छी जमात है और एक तेज जमात भी है। उन्हें ध्यान होगा, जब मैं यहां मुख्यमंत्री था, मुझे साल तो याद नहीं है, बहुत वर्षों पहले हमने अहमदाबाद में मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन को लेकर एक ग्लोबल समिट किया था। यानि उस समय भी मेरे दिमाग में चलता था। लेकिन कुछ विषय भारत सरकार के होने के कारण मैं तब नहीं कर पाया। अब आपने मुझे वहां भेजा तो मैंने ये कर दिया। लेकिन ये सोच आज साकार होते हुए देखता हूं और इसी सोच के साथ बीते आठ वर्षों में शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर इतना बड़ा निवेश किया जा रहा है। आठ वर्षों में एक के बाद एक देश के दो दर्जन से ज्यादा शहरों में मेट्रो या तो शुरु हो चुकी है या फिर तेज़ी से काम चल रहा है। देश के दर्जनों छोटे शहरों को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है। उड़ान योजना छोटे शहरों में हवाई सुविधा देने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। हमारे जो रेलवे स्टेशन्स हुआ करते थे, उनकी क्या स्थिति थी, ये आप भलीभांति जानते हैं। आज गांधीनगर रेलवे स्टेशन दुनिया के किसी भी एयरपोर्ट से कम नहीं है और दो दिन पहले भारत सरकार ने अहमदाबाद रेलवे स्टेशन को भी आधुनिक बनाने की स्वीकृति दे दी है।

साथियों,

देश के शहरों के विकास पर इतना अधिक फोकस, इतना बड़ा निवेश इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये शहर आने वाले पच्चीस साल में विकसित भारत के निर्माण को सुनिश्चित करने वाले हैं। यही अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, भोपाल, इंदौर, जयपुर यही सब हिन्दुस्तान के 25 साल के भाग्य को गढ़ने वाले हैं। ये निवेश सिर्फ कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है। बल्कि दर्जनों शहरों में स्मार्ट सुविधाएं बन रही हैं, मूल सुविधाओं को सुधारा जा रहा है। मुख्य शहर के आसपास के इलाकों, suburbs को विकसित किया जा रहा है। ट्विन सिटी का विकास कैसे होता है, गांधीनगर, अहमदाबाद इसका उत्तम उदाहरण हैं। आने वाले समय में गुजरात में अनेक ट्विन सिटी के विकास का आधार तैयार हो रहा है। अब तक हम सिर्फ न्यूयार्क-न्यूजर्सी, न्यूयार्क-न्यूजर्सी ट्विन सिटी सुनते रहते थे। मेरा हिन्दुस्तान पीछे नहीं रह सकता, और आप अपनी आंखों के सामने देख सकते हैं। अहमदाबाद गांधीनगर का विकास ट्विन सिटी का वो मॉडल, उसी प्रकार से हमारा नजदीक में आणन्द – नडीयाद, उधर भरुच – अंकलेश्वर, वलसाड और वापी, सूरत और नवसारी, वडोदरा – हालोल कालोल, मोरबी – वांकानेर और मेहसाणा – कड़ी ऐसे बहुत सारे ट्विन सिटी, गुजरात की पहचान को और सशक्त करने वाले हैं। पुराने शहरों में सुधार और उनके विस्तार पर फोकस के साथ-साथ ऐसे नए शहरों का निर्माण भी किया जा रहा है, जो ग्लोबल बिजनेस डिमांड के अनुसार तैयार हो रहे हैं। गिफ्ट सिटी भी इस प्रकार के प्लग एंड प्ले सुविधाओं वाले शहरों का बहुत उत्तम उदाहरण हैं।

साथियों,

मुझे याद है, जब मैंने गिफ्ट सिटी की बात शायद 2005-06 में कही थी। और उस समय जो मेरा विजन था, उसका एक वीडियो प्रेजेंटेशन किया था। तो बहुत लोगों को लगता था कि यार ये क्या बातें करते हैं, कुछ हमारे देश में हो सकता है। ऐसा मैंने उस समय लिखा हुआ पढ़ा भी है और सुना भी है। आज गिफ्ट सिटी आपकी आंखों के सामने खड़ा हो चुका है दोस्तों, और देखते ही देखते हजारों लोगों को रोजगार देने वाला केंद्र बन रहा है।

साथियों,

एक समय था, जब अहमदाबाद में ट्रांसपोर्ट का मतलब क्या, अपने यहाँ ट्रान्सपोर्ट का मतलब क्या लाल बस, लाल दरवाजा और लाल बस और घूम फिर कर रिक्शा वाला।

साथियों,

जब मुझे गुजरात ने अपनी सेवा का अवसर दिया तो मेरा सौभाग्य रहा कि हम यहां BRT कॉरिडोर पर काम कर पाए। ये भी देश में पहला था। मुझे तो BRT बस की पहली यात्रा का साक्षी बनने का सौभाग्य भी मिला था, और मुझे याद है लोग विदेश से आते थे तो अपने परिवार को कहते थे कि इस बार जब गुजरात जाएंगे तो जरा BRT में ट्रेवल करना है बहुत पढ़ा है, बहुत सुना है।

साथियों,

तब भी कोशिश यही थी कि सामान्य नागरिक, सामान्य जन उनकी सुविधा कैसे बढ़े। उनके लिए सीमलेस कनेक्टिविटी का लाभ कैसे मिले। और लोकतंत्र और शासन का ये काम होता है कि सामान्य नागरिक की आवश्यकताओं के अनुसार और देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के संकल्प के साथ विकास की यात्रा को इन दो पटरी पर चलाना होता है। आज उसी सपने को भव्य रूप से हम सच होते देख रहे हैं। मैं इस अवसर पर हृदय से आप सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज अहमदाबाद मेट्रो के लगभग 32 किमी सेक्शन पर यात्रा शुरू हुई है, और ये आपको सुनकर के आश्चर्य होगा। भारत में मेट्रो की शुरूआत हुई, तब से अब तक में ये पहली बार ऐसा रिकॉर्ड बना है कि एक ही साथ 32 किलोमीटर करीब-करीब उसकी यात्रा का लोकार्पण हुआ है। इसकी और एक विशेषता रही है। रेलवे लाइन के ऊपर से मेट्रो ट्रैक के निर्माण की मुश्किल चुनौतियों के बावजूद ये काम तेज़ी से पूरा हुआ है। इससे मेट्रो के लिए अतिरिक्त ज़मीन की ज़रूरत भी नहीं पड़ी। आज मेट्रो के पहले फेज़ का लोकार्पण हुआ है, वहीं फेज़-2 में गांधीनगर को कनेक्ट किया जा रहा है।

भाइयों और बहनों,

अहमदाबाद और मुंबई के बीच शुरु हुई वंदे भारत ट्रेन देश के दो बड़े शहरों के बीच सफर को आरामदायक भी बनाएगी और दूरी को भी कम करेगी। सामान्य एक्सप्रेस ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई पहुंचने में करीब-करीब सात- साढ़े सात, आठ-साढ़े आठ घंटे लगा देती है। कभी-कभी उससे भी ज्यादा समय लगता है। शताब्दी ट्रेन भी कभी छह- साढ़े छह, सात–साढ़े सात घंटे तक समय ले लेती है। लेकिन वंदेभारत ट्रेन अब ज्यादा से ज्यादा साढ़े 5 घंटे में ही अहमदाबाद से मुंबई पहुंचा देगी। धीरे-धीरे इसमें और सुधार होने वाला है, और आज जब मैं वंदे भारत ट्रेन को बनाने वाले चेन्नई में बन रही थी। उसके बनाने वाले सारे इंजीनियर्स, वॉयरमैन, फीटर, इलेक्ट्रिशियन, इन सबसे मिला और मैंने उनसे पूछा, बोले साहब आप हमें काम दीजिए, हम इससे भी अच्छा बनाएंगे, इससे भी तेज बनाएंगे और जल्दी से बनाएंगे। मेरे देश के इंजीनियर्स, टेक्नीशियन्स इनका ये आत्मविश्वास, उनका ये भरोसा मुझे इस बात पर विश्वास से कहने के लिए प्रेरित करता है कि देश इससे भी तेज गति से बढ़ने वाला है। यही नहीं, बाकी ट्रेनों की तुलना में इसमें ज्यादा यात्री सफर कर पाएंगे। मैं एक बार काशी के स्टेशन पर पूछ रहा था। मैंने कहा भई वंदे भारत ट्रेन का क्या एक्सपीरियंस है। बोले सबसे ज्यादा टिकट वंदे भारत की जा रही है। मैंने कहा वो तो कैसे संभव है? बोले साहब गरीब लोग इसमें जाना पसंद करते हैं, मजदूर लोग जाना पसंद करते हैं। मैंने कहा क्यों? बोले साहब उनकी दो लॉजिक है। एक-लगेज काफी अंदर जगह है ले जाने के लिए। और दूसरा इतना जल्दी पहुंच जाते हैं कि जाकर के काम करते हैं तो उतने घंटे में टिकट का जो पैसा है, वो भी निकल जाता है। ये वंदे भारत की ताकत है।

साथियों,

आज इस अवसर पर मैं आप लोगों को ये भी बताना चाहता हूं कि डबल इंजन की सरकार का लाभ कैसे अहमदाबाद प्रोजेक्ट को मिला। जब बोटाद रेल लाइन का ओवरहेड स्पेस मेट्रो प्रोजेक्ट के लिये इस्तेमाल करने की बात आई, तो केंद्र सरकार ने तुरंत इसकी मंजूरी दे दी। इससे वासणा-ओल्ड हाइकोर्ट रुट की मेट्रो का काम भी तुरंत ही शुरू होना संभव हो सका। अहमदाबाद मेट्रो पर जब मेट्रो पर काम करना हमने शुरु किया तो रूट ऐसा प्लान किया गया जिससे गरीब से गरीब को भी लाभ हो। ये ध्यान रखा गया कि जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत है, जहां संकरी सड़कें पार करने में बहुत ज्यादा समय लगता हो, वहां से मेट्रो गुज़रे। अहमदाबाद मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी का हब बने, इसका पूरा ध्यान रखा गया। कालुपुर में आज मल्टीमॉडल हब बनाया जा रहा है। यहां BRT स्टेशन के सामने ही और ग्राउंड फ्लोर में सिटी बसें खड़ी होंगी,

टैक्सी और प्राइवेट कार के लिए अपर फ्लोर में सुविधा रहेगी। सरसपुर एंट्री की तरफ नया मेट्रो स्टेशन है और हाई स्पीड रेल स्टेशनों को भी ड्रॉप और पिक अप, पार्किंग जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा रहा हैं। कालुपुर रोड ओवर ब्रिज को सरसपुर रोड ओवरब्रिज से जोड़ने के लिए स्टेशन के सामने 13 लेन की रोड बनाई जाएगी। कालुपुर के अलावा साबरमती बुलेट ट्रेन स्टेशन को भी मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में विकसित किया जा रहा है।

साथियों,

शहरों के हमारे गरीब, हमारे मध्यम वर्गीय परिवार, मीडिल क्लास के साथियों को धुएं वाली बसों से मुक्ति मिले, इसके लिए इलेक्ट्रिक बसों के निर्माण और संचालन के लिए भारत सरकार ने FAME योजना बनाई है, FAME योजना शुरु की है। ताकि पर्यावरण की भी रक्षा हो, लोगों को आवाज से भी मुक्ति मिले, धुएं से भी मुक्ति मिले और गति तेज मिले। इस योजना के तहत अभी तक देश में 7 हज़ार से अधिक इलेक्ट्रिक बसों को स्वीकृति दी जा चुकी है। इन बसों पर केंद्र सरकार लगभग साढ़े 3 हज़ार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। गुजरात के लिए भी अभी तक साढ़े 8 सौ इलेक्ट्रिक बसें स्वीकृत हो चुकी हैं, जिनमें से अनेक बसें आज यहां सड़कों पर उतर भी चुकी हैं।

भाइयों और बहनों,

लंबे समय तक हमारे यहां शहरों को जाम से मुक्त करने, हमारी ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं हुए। लेकिन आज का भारत स्पीड को, गति को, ज़रूरी मानता है, तेज़ विकास की गारंटी मानता है। गति को लेकर ये आग्रह आज गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान में भी दिखता है, नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में भी दिखता है, और हमारे रेलवे की गति को बढ़ाने के अभियान में भी स्पष्ट होता है। आज देश का रेल नेटवर्क, आज मेड इन इंडिया, वंदे भारत ट्रेन, को चलाने के लिए तेज़ी से तैयार हो रहा है। 180 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार पकड़ने वाली ये ट्रेनें भारतीय रेलवे की दशा भी बदलेंगी, दिशा भी बदलेंगी, ये मेरा पूरा विश्वास है। अगले साल अगस्त महीने तक 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने के लक्ष्य पर हम तेज़ी से काम कर रहे हैं। भारत की वंदे भारत ट्रेन की खूबी ये है कि ये मात्र 52 सेकेंड में 100 किमी प्रति घंटे की गति पकड़ लेती है। अभी जब चीता आया ना तो ज्यादातर मीडिया में इसकी चर्चा थी कि चीता दौड़ने की गति कितने सेकंड में पकड़ लेता है। 52 सेकेंड में ये ट्रेन गति पकड़ लेती है।

साथियों,

आज देश के रेल नेटवर्क का बहुत बड़ा हिस्सा मानव रहित फाटकों से मुक्त हो चुका है। ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जब तैयार हो जाएगा तो मालगाड़ी की स्पीड भी बढ़ेगी और पैसेंजर ट्रेनों में होने वाली देरी भी कम होगी। और साथियों जब मालगाड़ियों की स्पीड बढ़ेगी तो गुजरात के जो बंदर है ना, पोर्टस हैं न हमारे, वो इससे कई गुणा ज्यादा तेजी से काम करना शुरू करेंगे। हिन्दुस्तान दुनियाभर में पहुंचने लग जाएगा। हमारा माल एक्सपोर्ट होने लग जाएगा और विदेश से जो सामान आता है वो भी बहुत तेजी से हमें आगे ले जाएगा। क्योंकि गुजरात भौगोलिक रूप से उत्तर भारत के बिल्कुल निकट है। लैंड लॉक एरिया से निकट है। इसलिए गुजरात के समुद्री तट को सबसे अधिक फायदे की संभावना है। पूरे सौराष्ट्र और कच्छ को बहुत ज्यादा benefit होने वाला है।

साथियों,

स्पीड के साथ-साथ आज इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को लेकर सोच में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है। पिछले 8 वर्षों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर को जन आकांक्षा से जोड़ा है। एक समय वो भी था, जब इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर घोषणाएं सिर्फ चुनावी नफे-नुकसान को ध्यान में रखकर के होती थी। टैक्स पेयर की कमाई का उपयोग राजनीतिक स्वार्थों के लिए ही किया जाता था। डबल इंजन की सरकार ने इस सोच को बदला है। स्थायी प्रगति का आधार मज़बूत और दूरदर्शी सोच के साथ बना हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर होता है, आज इस सोच के साथ भारत काम कर रहा है, भारत दुनिया में अपनी जगह बना रहा है।

साथियों,

आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को हमें और गति देनी होगी। गुजरात में डबल इंजन सरकार इसके लिए गंभीरता से प्रयास भी कर रही है। मुझे विश्वास है कि सबका प्रयास से ये काम हम जिस समय चाहते हैं, उस समय तक हम धरती पर उतार कर रहेंगे, ये मैं विश्वास दिलाता हूं।

साथियों,

आज का दिन महत्वपूर्ण है। लेकिन मैं आज गुजरात के लोगों से एक और काम के लिए request करना चाहता हूं। मुझे मालूम है अभी दो चार दिन में जब मेट्रो सबके लिए खोली जाएगी तो जल्दी जाना, देखना, बहुत लोग जाएंगे। लेकिन मैं चाहता हूं हमारे नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं के बच्चे, हमारी इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स, रेलवे से अर्बन मिनिस्ट्री से बात करके, मेट्रो वालों से बात करके जाकर के अध्ययन करें कि इतनी गहरी खुदाई करके ये रेलवे स्टेशन कैसे बने होंगे? कितना खर्च करना पड़ा होगा? ये पैसा किसका है? हम देशवासियों का है। एक बार हम ये शिक्षा देते रहेंगे कि ये काम कैसे हुआ है? कितना बड़ा हुआ है? कितने समय में हुआ है? किस किस प्रकार की टेक्नोलॉजी लगी है? तो हमारे बच्चों के विकास के लिए भी काम आएगा और इसलिए मेरा आग्रह रहेगा शिक्षा विभाग से कि मेट्रो स्टेशनों की मुलाकात सिर्फ मेट्रो ट्रेन में सफर करने के लिए नहीं, उनको दिखाया जाए कि ये कैसे बना है? कैसे चलता है? क्या काम करता है? इतना नीचे टनल कैसे बनी होगी? इतनी लंबी-लंबी टनल कैसे बनी होगी? उनको एक विश्वास पैदा होगा कि टेक्नोलॉजी से देश में क्या प्रगति हो रही है और उनकी ऑनरशिप बनेगी। जब आप मेरे देश की नई पीढ़ी को ये तुम्हारा है, ये तुम्हारे भविष्य के लिए है, जब एक बार मेरे नौजवान को इस बात का एहसास होगा वो कभी भी किसी आंदोलन में ऐसी प्रॉपर्टी पर हाथ लगाने की कोशिश नहीं करेगा। उसको उतना ही दर्द होगा, जितना उसके अपने घर की प्रॉपर्टी का नुकसान होता है। उसकी साइकिल को अगर थोड़ा नुकसान होता है तो जो दर्द होता है, वो दर्द उसको मेट्रो को नुकसान होने से होने वाला है। लेकिन इसके लिए हम सबका दायित्व है, हम हमारी नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करें। उनकी संवेदनाओं को जगाएं, वंदे भारत कहते ही मां भारती का चित्रण मन के अंदर आना चाहिए। मेरी भारत मां के उज्ज्वल भविष्य के लिए ये वंदे भारत दौड़ रही है, जो वंदे भारत देश को दौड़ाने वाली है। ये मिजाज, ये संवेदनशीलता, ये शिक्षा के नए-नए माध्यम क्योंकि national education policy में व्यवस्था है कि आप बच्चों को उन स्थानों पर ले जाकर के उनको दिखाइये, अगर घर में मटका है तो उसको बताइये कुम्हार के घर ले जाकर के वो मटका कैसे बनाता है। उसे ये मेट्रो स्टेशन भी दिखाने चाहिए। मेट्रो की सारी व्यवस्थाएं समझानी चाहिए। आप देखिए उन बच्चों के मन पर वो भाव बनेगा, उसको भी कभी लगेगा, मैं भी इंजीनियर बन जाऊं, मैं भी मेरे देश के लिए कोई काम करूं। ऐसे सपने उनके अंदर बोए जा सकते हैं दोस्तों। इसलिए मेट्रो सिर्फ सफर के लिए नहीं, मेट्रो सफलता के लिए भी काम आनी चाहिए। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार आज अहमदाबाद वासियों को, गुजरात के लोगों को और देशवासियों को ये बहुत बड़ी सौगात देते हुए गर्व महसूस करता हूं, संतोष अनुभव करता हूं और आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ पूरे हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की– जय,

भारत माता की– जय,

भारत माता की– जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.