"पोर्ट ब्लेयर के नए टर्मिनल भवन से यात्रा में, कारोबार करने में आसानी होगी और कनेक्टिविटी बढ़ेगी"
"भारत में लंबे समय से विकास का दायरा बड़े शहरों तक ही सीमित रहा"
“भारत में समावेशन के विकास का नया मॉडल सामने आया है। यह मॉडल 'सबका साथ, सबका विकास' है''
"अंडमान विकास और विरासत के महामंत्र का एक जीवंत और
आश्चर्यजनक उदाहरण बन रहा है, जो साथ-साथ चल रहा है"
"अंडमान निकोबार द्वीप समूह का विकास देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है"
"विकास हर प्रकार के समाधानों के साथ आता है"
"द्वीपों और छोटे तटीय देशों के ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने आज दुनिया में अभूतपूर्व प्रगति की है"

नमस्कार!

अंडमान-निकोबार द्वीप के उपराज्यपाल श्रीमान डी के जोशी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी भाई ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, वी के सिंह जी, संसद में मेरे साथी, सांसद श्री, अन्य सभी महानुभाव, और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के मेरे भाइयों और बहनों!

आज का ये कार्यक्रम भले ही पोर्ट ब्लेयर में हो रहा है, लेकिन इस पर पूरे देश की नज़रें हैं। लंबे समय से अंडमान-निकोबार के लोगों की मांग थी कि वीर सावरकर एयरपोर्ट की कैपेसिटी बढ़ाई जाए। और पिछले जो हमारे सांसद थे, वो तो हर हफ्ते मेरी चैंबर में आ करके इसी काम के लिए लगे रहते थे। तो आज वो बहुत खुश नजर आ रहे हैं और में भी टीवी पर सब मेरे पुराने साथियों को देख रहा हूं। अच्‍छा होता मैं आज आपके बीच आ करके इस उत्सव में शरीक होता। लेकिन समय अभाव से नहीं आ पाया, लेकिन आप सबके चेहरे की खुशी देख रहा हूं। आनंद से भरा हुआ माहौल मैं अनुभव कर रहा हूं।

साथियों,

देशभर से जो कोई वहां घूमने जाना चाहते हैं, उनकी भी यही इच्छा थी। अभी तक मौजूदा टर्मिनल की कैपेसिटी हर रोज 4 हजार टूरिस्ट्स को हैंडल करने की थी। नया टर्मिनल बनने के बाद इस एयरपोर्ट पर हर रोज करीब-करीब 11 हजार टूरिस्ट्स को हैंडल करने की कैपेसिटी बन गई है। नई व्यवस्था में अब एय़रपोर्ट पर एक साथ 10 विमान भी खड़े हो पाएंगे। यानि यहां के लिए नई फ्लाइट्स के लिए भी रास्ता खुल गया है। और ज्यादा फ्लाइट्स आने, ज्यादा टूरिस्ट्स आने का सीधा मतलब है, ज्यादा से ज्यादा रोजगार। पोर्ट ब्लेयर की इस नई टर्मिनल बिल्डिंग में Ease of Travel बढ़ेगा, Ease of Doing Business बढ़ेगा और कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। मैं देश के लोगों को, पोर्ट ब्लेयर के सभी साथियों को इस सुविधा के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ बड़े शहरों, कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा। कुछ दलों की स्वार्थ भरी राजनीति के कारण, विकास का लाभ, देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं। ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे, जिसमें इनका खुद का भला हो, इनके परिवार का भला हो। नतीजा ये हुआ है कि जो हमारे आदिवासी क्षेत्र हैं, जो हमारे आइलैंड हैं, वहां की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही।

बीते 9 वर्षों में हमने पूरी संवेदनशीलता के साथ पहले की सरकारों की उन गलतियों को सुधारा है, इतना ही नहीं, नई व्यवस्थाएं भी बनाई हैं। अब भारत में विकास का एक नया मॉडल विकसित हुआ है। ये मॉडल Inclusion का है, सबको साथ लेकर चलने का है। ये मॉडल सबका साथ, सबका विकास का है। और जब मैं सबका विकास कहता हूं- तो इसका अर्थ बहुत व्यापक है। सबका विकास मतलब- हर व्यक्ति, हर वर्ग, हर क्षेत्र का विकास। सबका विकास मतलब- जीवन के हर पहलू का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी, हर प्रकार से सबका विकास।

साथियों,

इसी सोच के साथ बीते 9 वर्षों में अंडमान-निकोबार में विकास की नई गाथा लिखी गई है। पिछली सरकार के 9 साल में, यानी हमारे पहले जो सरकार थी, अंडमान-निकोबार को करीब 23 हजार करोड़ रुपए का बजट अलॉट किया गया था। जबकि हमारी सरकार के दौरान अंडमान-निकोबार के विकास के लिए 9 वर्षों में करीब-करीब 48 हजार करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। यानी हमारी सरकार ने अंडमान-निकोबार के विकास के लिए पहले के मुकाबले दोगुना ज्यादा पैसा खर्च किया है।

पिछली सरकार के 9 साल में अंडमान-निकोबार में 28 हजार घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया था। हमारी सरकार के 9 साल में यहां के करीब 50 हजार घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंचाया गया है। यानि हर घर जल पहुंचाने के लिए भी हमारी सरकार ने पहले के मुकाबले दोगुनी रफ्तार से काम किया है।

आज यहां के लगभग हर व्यक्ति के पास अपना बैंक अकाउंट है। आज यहां के हर गरीब को वन नेशन, वन राशन कार्ड की सुविधा मिली हुई है। पहले की सरकार के समय अंडमान-निकोबार में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं था। ये हमारी सरकार है, जिसने पोर्ट ब्लेयर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है।

पहले की सरकार के समय अंडमान-निकोबार में इंटरनेट सैटेलाइट के भरोसे ही था। हमारी सरकार ने समंदर के नीचे सैकड़ों किलोमीटर सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर, इस परेशानी को दूर कर दिया है।

साथियों,

अंडमान-निकोबार में हो रहा सुविधाओं का ये विकास, यहां के टूरिज्म को गति दे रहा है। जब मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ती है, तो टूरिस्ट भी बढ़ते हैं। जब हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर सुधरता है, तो टूरिस्ट का आना-जाना और बढ़ जाता है। जब एयरपोर्ट पर सुविधाएं बढ़ती हैं, तो टूरिस्ट यहां आना पसंद करता है। जब रोड अच्छी होती है, तो टूरिस्ट अपने इलाके में ज्यादा समय बिताता है। इसलिए ही अंडमान-निकोबार आने वाले टूरिस्टों की संख्या अब 2014 के मुकाबले दोगुनी हो गई है।

यहां स्नॉर्केलिंग, स्कूबा डाइविंग, सी-क्रूज़ जैसे एडवेंचर के लिए आने वाले टूरिस्टों की संख्या भी बढ़ रही है। और साथियों मेरे अंडमान निकोबार के भाई-बहन सुन लीजिए, ये तो अभी शुरुआत है। आने वाले सालों में ये संख्या कई गुणा बढ़ने वाली है। इससे अंडमान-निकोबार में रोजगार-स्वरोजगार की नई संभावनाएं बनने वाली हैं।

साथियों,

आज अंडमान-निकोबार विरासत भी और विकास भी, इस महामंत्र का जीवंत उदाहरण बन रहा है। आप भी जानते हैं कि अंडमान निकोबार में लाल किले से भी पहले तिरंगा फहराया गया था। लेकिन फिर भी यहां सिर्फ गुलामी के ही निशान दिखते थे।

ये मेरा सौभाग्य है कि साल 2018 में मैंने अंडमान में उसी स्थान पर तिरंगा लहराया, जहां नेताजी सुभाष ने झंडा फहराया था। ये हमारी ही सरकार है जिसने रॉस आइलैंड को नेताजी सुभाष का नाम दिया। ये हमारी ही सरकार है जिसने हैवलॉक और नील आइलैंड को स्वराज और शहीद आइलैंड का नाम दिया है। हमने ही 21 द्वीपों का नामकरण देश के लिए पराक्रम दिखाने वाले वीर पराक्रमी सपूतों के नाम, परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया है। आज अंडमान-निकोबार के ये द्वीप पूरे देश के युवाओं को देश के विकास की नई प्रेरणा दे रहे हैं।

साथियों,

आजादी के 75 वर्षों में हमारा भारत, कहीं से कहीं पहुंच सकता था और ये मैं बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं, कहीं से कहीं पहुंच सकता था। हम भारतीयों के सामर्थ्य में कभी कोई कमी नहीं रही है। लेकिन सामान्य भारतीय के इस सामर्थ्य के साथ हमेशा भ्रष्टाचारी और परिवारवादी पार्टियों ने अन्याय किया। आज देश के लोग 2024 चुनाव में फिर एक बार हमारी सरकार वापस लाने का मन बना चुके हैं, निर्णय ले चुके हैं। ऐसे में भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। इन्हें देखकर मुझे एक कविता की कुछ पंक्तियां याद आती हैं। एक कवि महाशय ने अवधी में लिखा था, ये अवधि भाषा में लिखी गई कविता है-

''गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है, माल कुछ है''

चौबीस के लिए छब्बीस होने वाले राजनीतिक दलों पर ये बड़ा फिट बैठता है।

''गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है, और माल कुछ है''

यानि गाना कोई और गाया जा रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है। लेबल किसी और का लगाया गया है, जबकि प्रॉडक्ट कुछ और ही है। इनकी दुकान की यही सच्चाई है। इनकी दुकान पर दो चीजों की गारंटी मिलती है। एक तो ये अपनी दुकान पर जातिवाद का जहर बेचते हैं। और दूसरा, ये लोग असीमित भ्रष्टाचार करते हैं। आजकल ये लोग बेंगलुरु में जुटे हैं।

एक जमाने में एक गाना बहुत मशहूर था, मुझे तो पूरा याद नहीं है, लेकिन मुझे याद आ रहा है- एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग। आप देखिए, ये लोग कितने चेहरे लगाकर बैठे हैं। जब ये लोग कैमरे के सामने एक फ्रेम में आ जाते हैं, तो पहला विचार देश के सामने क्‍या आता है- पहला विचार देश के लोगों के मन में यही आता है, पूरा फ्रेम देख करके देशवासी यही बोलता है- लाखों करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार। इसलिए देश की जनता कह रही है कि ये तो 'कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन' हो रहा है। ये लोग गा कुछ और रहे हैं, हाल कुछ और है। इन्होंने लेबल कुछ और लगाया हुआ है, माल कुछ और है। इनका प्रॉडक्ट है- 20 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की गारंटी।

साथियों,

इस बैठक की एक और खास बात है। अगर कोई करोड़ों के घोटाले में जमानत पर हैं, तो उसे बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है। अगर पूरा का पूरा परिवार ही जमानत पर है, तो उसकी और ज्यादा खातिरदारी होती है। अगर किसी दल का कोई वर्तमान मंत्री भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाता है, तो उसे एक्स्ट्रा नंबर देकर, 'स्पेशल इन्वाइटी' बनाकर बुलाया जाता है। अगर कोई किसी समाज का अपमान करता है, अदालत से सजा पाता है, तो उसकी बड़ी आवभगत होती है। अगर कोई अदालत से करोड़ों के घोटाले में दोषी पाया गया है, तो इस बैठक में शामिल होने की उसकी क्वालिफिकेशन और बढ़ जाती है। बल्कि ये लोग तो उससे मार्गदर्शन मांगते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर इनमें बड़ी आत्मीयता है, बड़ा प्रेम है। इसलिए 20 लाख करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार की गारंटी देने वाले ये लोग बड़े प्रेम से, बड़ी आत्‍मीयता से आपस में मिल रहे हैं।

साथियों,

भ्रष्टाचार की इस दुकान में जुटे ये सभी परिवारवाद के कट्टर समर्थक हैं। ना खाता ना बही, जो परिवार कहे, वही सही। लोकतंत्र के लिए कहा जाता है- Of the People, By the People, For the People. लेकिन इन परिवारवादियों का मंत्र है- Of the family, By the family, For the family. Family First, Nation Nothing इन लोगों का मोटो है, इनकी यही प्रेरणा है।

ये लोग देश के लोकतंत्र को, देश के संविधान को अपना बंधक बनाना चाहते हैं। इनके लिए मैं यही कहना चाहूंगा...नफरत है, घोटाले हैं। तुष्टिकरण है, मन काले हैं। परिवारवाद की आग के, दशकों से देश हवाले है।

साथियों,

इनके लिए देश के गरीब के बच्चों का विकास नहीं बल्कि अपने बच्चों का, अपने भाई-भतीजों का विकास मायने रखता है। आजकल आप देखते हैं कि देश में स्टार्ट अप्स बढ़ रहे हैं, हमारे युवा बड़ी संख्या में पेटेंट करा रहे हैं, ट्रेडमार्क रजिस्टर करा रहे हैं, स्पोर्ट्स की दुनिया में मेरे देश के नौजवान छाए हुए हैं, बेटियां कमाल कर रही हैं।

ये युवा शक्ति हमारे देश में पहले भी थी, लेकिन इन परिवारवादी पार्टियों ने कभी देश के सामान्य युवा की शक्ति के साथ न्याय नहीं किया। इनकी एक ही विचारधारा है, एक ही एजेंडा है- अपना परिवार बचाओ, परिवार के लिए भ्रष्टाचार बढ़ाओ! इनका कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है- देश का विकास रोकना, अपने कुशासन पर पर्दा डालना और अपने भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई को रोकना।

अब देखिए, ये जो जमात इकट्ठी हुई है ना, उनके कुनबे में बड़े से बड़े घोटालों पर, अपराधों पर इनकी जुबान बंद हो जाती है। जब किसी एक राज्य में इनके कुशासन की पोल खुलती है, तो दूसरे राज्यों के ये लोग फौरन उसके बचाव में तर्क देने लगते हैं। कहीं बाढ़ घोटाला होता है, किसी का अपहरण होता है, तो कुनबे के सारे लोग सबसे पहले चुप हो जाते हैं।

आपने देखा है कि कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हुए हैं। वहां सरेआम हिंसा हुई, लगातार खून-खराबा हो रहा है। इस पर भी इन सबकी बोलती बंद है। कांग्रेस के, लेफ्ट के अपने कार्यकर्ता वहां खुद को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं ने अपने स्वार्थ में, अपने कार्यकर्ताओं को भी मरने के लिए छोड़ दिया है।

राजस्थान में बेटियों से अत्याचार हो या परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हों, इन्हें कुछ दिखाई नहीं देता। परिवर्तन की बातें करके जनता से विश्वासघात करने वाले जब करोड़ों का शराब घोटाला करते हैं, तो ये कुनबा फिर उन्हें कवर देने लग जाता है। इनका कट्टर भ्रष्टाचार उन्हें तब दिखाई देना बंद हो जाता है।

जब देश की कोई एजेंसी इन पर कार्रवाई करती है, तो इनका टेप रिकॉर्डर शुरू हो जाता है- कुछ हुआ ही नहीं...सब साजिश है, हमें फंसाया जा रहा है। आप तमिलनाडु में देखिए, भ्रष्टाचार के, घोटाले के अनेक मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन इनके कुनबे के सारे दलों ने पहले ही सबको क्लीन चिट दे दी है। इसलिए इन लोगों को पहचाने रहिए साथियों, इनको जान लीजिए। इन लोगों से सतर्क रहिए भाई-बहनों।

साथियों,

इन लोगों की साजिशों के बीच, हमें देश के विकास के लिए खुद को समर्पित रखना है। आज दुनिया में अनेक उदाहरण हैं, जहां द्वीपों ने और समुद्र किनारे बसे छोटे देशों ने अभूतपूर्व प्रगति की है। जब उन्होंने प्रगति का रास्ता चुना, तो उनके सामने भी चुनौतियां थी।

सब कुछ सरल नहीं था, लेकिन उन देशों ने दिखाया है, जब विकास आता है, तो हर प्रकार के समाधान लेकर आता है। मुझे विश्वास है, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में हो रहे विकास के काम, इस पूरे क्षेत्र को और सशक्त करेंगे। कनेक्टिविटी की ये नई सुविधा, वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नया टर्मिनल सबके लिए लाभकारी हो।

इसी कामना के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के इस कार्यक्रम में भी इतनी बड़ी तादाद में आप लोग आए, आपकी खुशी मैं यहां से अनुभव कर रहा हूं। आपका उत्‍साह मैं अनुभव कर रहा हूं।

ऐसे मौके पर एक नया विश्वास, नया संकल्प ले करके देश आगे बढ़े, अंडमान-निकोबार भी आगे बढ़े। इसी कामना के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.