International Exhibition-cum-Convention Centre (IECC) complex named ‘Bharat Mandapam’
Unveils the G-20 coin and G-20 stamp
“Bharat Mandapam is a call for India’s capabilities and new energy of the nation, it is a philosophy of India’s grandeur and will power”
“‘Anubhav Mandapam’ of Bhagwan Basaveshwara is the inspiration behind the name ‘Bharat Mandapam’”
“This Bharat Mandapam is a beautiful gift by us Indians to our democracy as we celebrate the 75th anniversary of Independence”
“In the 21st century, we will have to have construction suitable for the 21st century”
“India is moving ahead with the principle of ‘Think Big, Dream Big, Act Big’”
“Development journey of India is unstoppable now. In the third term of the government, India will be among the top three economies of the world. This is Modi’s guarantee”
“We took the G-20 meetings to more than 50 cities in the country showcasing India's diversity through this”

नमस्‍कार,

एक अद्भुत दृश्य मेरे सामने है। भव्य है, विराट है, विहंगम है। और ये आज का ये जो अवसर है, इसके पीछे जो कल्पना है, और आज हमारी आंखों के सामने उस सपने को साकार होते हुए देख रहे हैं, तब मुझे एक प्रसिद्ध कविता की पंक्तियां गुनगुनाने का मन करता है:-

नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।

नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई।

उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो।

जन-जन के जीवन में फिर से नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

आज के ये दिव्य और भव्य ‘भारत मंडपम’ उसे देख करके हर भारतीय खुशी से भर रहा है, आनंदित है, और गर्व महसूस कर रहा है। ‘भारत मंडपम’ आह्वान है भारत के सामर्थ्य का, भारत की नई ऊर्जा का। ‘भारत मंडपम’ दर्शन है, भारत की भव्यता का और भारत की इच्छाशक्ति का। कोरोना के कठिन काल में जब हर तरफ काम रुका हुआ था, हमारे देश के श्रमजीवियों ने दिन-रात मेहनत करके इसका निर्माण पूरा किया है।

‘भारत मंडपम’ के निर्माण से जुड़े हर श्रमिक भाई-बहन को, हर कर्मी को आज सच्‍चे हृदय से मैं अभिनंदन करता हूं, उनका साधुवाद करता हूं। आज सुबह मुझे इन सभी श्रमजीवियों से मिलने का मौका मिला था, हमारे इन श्रमिक साथियों को सम्मानित करने का मुझे सौभाग्य मिला था। आज उनकी मेहनत देख, पूरा भारत विस्मित है, भारत चकित है।

मैं राजधानी दिल्ली के लोगों को, देश के लोगों को इस नए इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर- ‘भारत मंडपम’ की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। यहां देश के कोने-कोने से अतिथि आए हैं, मैं उन सबका हृदय से स्वागत करता हूं। टीवी के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से जो करोड़ों लोग इस वक्त हमारे साथ जुड़े हुए हैं, मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

आज का दिन वैसे भी हर देशवासी के लिए बहुत ऐतिहासिक है, आज कारगिल विजय दिवस है। देश के दुश्मनों ने जो दुस्साहस दिखाया था, उसे मां भारती के बेटे-बेटियों ने अपने पराक्रम से परास्त कर दिया था। कारगिल युद्ध में अपना बलिदान देने वाले प्रत्येक वीर को मैं कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से श्रद्धांजलि देता हूं।

साथियों,

‘भारत मंडपम’ के इस नाम के पीछे और जैसा अभी पीयूष जी ने बताया, भगवान बशवेश्वर के ‘अनुभव मंडपम’ की प्रेरणा है। अनुभव मंडपम यानि वाद और संवाद की लोकतांत्रिक पद्धति, अनुभव मंडपम यानि अभिव्यक्ति, अभिमत। आज दुनिया ये स्वीकार कर रही है कि भारत Mother of Democracy है। तमिलनाडु के उत्तरामेरूर में मिले शिलालेखों से लेकर वैशाली तक, भारत की वाइब्रेंट डेमोक्रेसी सदियों से हमारा गौरव रही है।

आज जब हम आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ये ‘भारत मंडपम’, हम भारतीयों द्वारा अपने लोकतंत्र को दिया एक खूबसूरत उपहार है। कुछ हफ्तों बाद ही यहीं पर G-20 से जुड़े आयोजन होंगे, दुनिया के बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां उपस्थिति होंगे। भारत के बढ़ते हुए कदम और भारत का बढ़ता हुआ कद, इस भव्य ‘भारत मंडपम’ से पूरी दुनिया देखेगी।

साथियों,

आज पूरी दुनिया Inter-Connected है, Inter-Dependent है और वैश्विक स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों और समिट्स की श्रृंखला लगातार चलती रहती है। ऐसे कार्यक्रम कभी एक देश में तो कभी दूसरे देश में होते हैं। ऐसे में भारत में, देश की राजधानी दिल्ली में, अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक कन्वेंशन सेंटर होना बहुत ही जरूरी था। यहां जो व्यवस्था थीं, जो हॉल्स थे, वो कई दशक पहले यहां बने थे। पिछली शताब्दी की वो पुरानी व्यवस्था, 21वीं सदी के भारत के साथ कदमताल नहीं कर पा रही थी। 21वीं सदी के भारत में हमें 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला निर्माण करना ही होगा।

इसलिए ये भव्य निर्माण, ये ‘भारत मंडपम’ आज मेरे देशवासियों के सामने है, आपके सामने है। ‘भारत मंडपम’ देश-विदेश के बड़े-बड़े exhibitors को मदद करेगा। ‘भारत मंडपम’ देश में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का बहुत बड़ा जरिया बनेगा। ‘भारत मंडपम’ हमारे स्टार्टअप्स की शक्ति को शो-केस का माध्यम बनेगा। ‘भारत मंडपम’ हमारे सिनेमा-जगत, हमारे आर्टिस्ट्स की परफॉर्मेंस का साक्षी बनेगा।

‘भारत मंडपम’ हमारे हस्तशिल्पियों, कारीगरों-बुनकरों के परिश्रम को प्लेटफॉर्म देने का एक महत्‍वपूर्ण माध्‍यम बनने वाला है और ‘भारत मंडपम’ आत्मनिर्भर भारत औऱ Vocal For Local अभियान का प्रतिबिंब बनेगा। यानि इकोनॉमी से इकोलॉजी तक, ट्रेड से टेक्‍नोलॉजी तक, ऐसे हर आयोजन के लिए ये विशाल परिश्रम और ये विशाल परिसर, ये ‘भारत मंडपम’ बहुत बड़ा मंच बनेगा।

साथियों,

भारत मंडपम जैसी इस व्यवस्था का निर्माण कई दशक पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन शायद मुझे लगता है, बहुत सारे काम मेरे हाथ में ही लिखे हुए हैं। और हम देखते हैं, दुनिया में किसी देश में अगर एक ओलंपिक समिट होता है, पूरी दुनिया में उस देश का प्रोफाइल एकदम से बदल जाता है। आज ये विश्‍व में इन चीजों का महात्‍मय बहुत बड़ा हो गया है और देश का प्रोफाइल भी बहुत मायने रखता है। और ऐसी ही व्‍यवस्‍थाएं हैं जो कुछ न कुछ उसमें value addition करती हैं।

लेकिन हमारे देश में कुछ अलग सोच के लोग भी हैं। नकारात्मक सोच वालों की कोई कमी तो है नहीं हमारे यहां। इस निर्माण को रोकने के लिए भी नकारात्मक सोच वालों ने क्या-क्या कोशिशें नहीं की। खूब तूफान मचाया गया, अदालतों के चक्कर काटे गए। लेकिन जहां सत्‍य होता है, वहां ईश्‍वर भी होता है। लेकिन अब ये सुंदर परिसर आपकी आंखों के सामने मौजूद है।

दरअसल, कुछ लोगों की फितरत होती है, हर अच्छे काम को रोकने की, टोकने की। अब आपको याद होगा जब कर्तव्य पथ बन रहा था तो न जाने क्‍या-क्‍या कथायें चल रहीं थीं, फ्रंट पेज पर, ब्रेकिंग न्‍यूज में क्‍या कुछ चल रहा था। अदालत में भी न जाने कितने मामले उठाये गये थे। लेकिन जब अब कर्तव्‍य पथ बन गया, वे लोग भी दबी जुबान में कह रहे हैं कि अच्‍छा हुआ है कुछ, देश की शोभा बढ़ाने वाला है। और मुझे विश्‍वास है कुछ समय बाद ‘भारत मंडपम’ के लिए भी वो टोली खुल करके बोले या न बोले, लेकिन भीतर से तो स्‍वीकार करेगी और हो सकता है किसी के समारोह में यहां आकर लेक्‍चर देने भी आ जाये।

Friends,

कोई भी देश हो, कोई भी समाज हो, वो टुकड़ों में सोचकर, टुकड़ों में काम करके आगे नहीं बढ़ सकता। आज ये कन्वेंशन सेंटर, ये ‘भारत मंडपम’ इस बात का भी गवाह है कि हमारी सरकार कैसे होलिस्टिक तरीके से, बहुत दूर की सोचकर काम कर रही है। इन जैसे सेंटर्स में आना आसान हो, देश-विदेश की बड़ी कंपनियां यहां आ सकें, इसलिए आज भारत 160 से ज्यादा देशों को e-Conference visa की सुविधा दे रहा है। यानी सिर्फ ये बनाया ऐसा नहीं, पूरी सप्‍लाई चेन, सिस्‍टम चेन, उसकी व्‍यवस्‍था की है।

2014 में दिल्ली एयरपोर्ट की कैपेसिटी भी सालाना करीब 5 करोड़ यात्रियों को हैंडल करने की थी। आज ये भी बढ़कर सालाना साढ़े सात करोड़ पैसेंजर हो चुकी है। टर्मिनल टू और चौथा रनवे भी शुरू हो चुका है। ग्रेटर नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू होने के बाद इसे और शक्ति मिलेगी। बीते वर्षों में दिल्ली-NCR में होटल इंडस्ट्री का भी काफी विस्तार हुआ है। यानी कॉन्फ्रेंस टूरिज्म के लिए एक पूरा इकोसिस्टम बनाने का हमने बिल्‍कुल प्‍लान-वे में प्रयास किया है।

साथियों,

इसके अलावा भी यहां राजधानी दिल्ली में भी बीते वर्षों में जो निर्माण हुए हैं, वो देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। कौन भारतीय होगा, जिसका सिर देश की नई संसद देख करके ऊंचा नहीं होगा। आज दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल है, पुलिस मेमोरियल है, बाबा साहेब अंबेडकर मेमोरियल है। आज कर्तव्य पथ के आसपास सरकार के आधुनिक ऑफिसेज, दफ्तर, उस पर बहुत तेजी से काम चल रहा है। हमें वर्क कल्‍चर भी बदलना है, वर्क एनवायरमेंट भी बदलना है।

आप सबने देखा होगा, प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम से आज की नई पीढ़ी को देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में जानने का मौका मिल रहा है। जल्द ही दिल्ली में, और ये भी आप लोगों के लिए खुशखबरी होगी, दुनिया के लिए भी खुशखबरी होगी, जल्‍द ही दिल्‍ली में दुनिया का सबसे बड़ा और जब मैं कहता हूं, दुनिया का सबसे बड़ा मतलब दुनिया का सबसे बड़ा म्यूजियम- युगे-युगीन भारत भी बनने जा रहा है।

साथियों,

आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत आज वो हासिल कर रहा है, जो पहले अकल्पनीय था, कोई सोच भी नहीं सकता था। विकसित होने के लिए हमें बड़ा सोचना ही होगा, बड़े लक्ष्य हासिल करने ही होंगे। इसलिए “Think Big, Dream Big, Act Big” के सिद्धांत को अपनाते हुए भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। और कहा भी गया है- इतने ऊँचे उठो कि, जितना उठा गगन है। हम पहले से बड़ा निर्माण कर रहे हैं, हम पहले से बेहतर निर्माण कर रहे हैं, हम पहले से तेज गति से निर्माण कर रहे हैं।

पूर्व से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर बदल रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा Solar Wind Park आज भारत में बन रहा है। दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज आज भारत में है। 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी टनल आज भारत में है। दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड आज भारत में है। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम आज भारत में है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा आज भारत में है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज भी भारत में है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां ग्रीन हाइड्रोजन पर इतना बड़ा काम हो रहा है।

साथियों,

आज हमारी सरकार के इस टर्म और पिछले टर्म के कार्यों का परिणाम पूरा देश देख रहा है। आज देश का विश्वास पक्का हो गया है कि अब भारत की विकास यात्रा रुकने वाली नहीं है। आप जानते हैं कि हमारे पहले टर्म की शुरुआत में भारत, वर्ल्ड इकोनॉमी में दसवें नंबर पर था। जब मुझे आज लोगों ने काम दिया तब हम दस नंबरी थे। दूसरे टर्म में आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। और यह ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर, बातों-बातों में नहीं, ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर मैं कह रहा हूं।

मैं देश को ये भी विश्वास दिलाऊंगा कि तीसरे टर्म में, दुनिया की पहली तीन इकोनॉमीज में एक नाम भारत का होगा। यानी, तीसरे टर्म में पहली तीन इकोनॉमी में गर्व के साथ हिन्‍दुस्‍तान खड़ा होगा दोस्तों। Third Term- Top Three Economy में पहुंच कर रहेगा भारत और ये मोदी की गारंटी है। मैं देशवासियों को ये भी विश्वास दिलाऊंगा कि 2024 के बाद हमारे तीसरे टर्म में, देश की विकास यात्रा और तेजी से बढ़ेगी। और मेरे तीसरे कार्यकाल में आप अपने सपने अपनी आंखों के सामने पूरे होते देखेंगे।

साथियों,

आज भारत में नव निर्माण की क्रांति चल रही है। बीते 9 साल में भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए करीब-करीब 34 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस साल के बजट में भी कैपिटल एक्सपेंडिचर 10 लाख करोड़ रुपए रखा गया है। नए एयरपोर्ट, नए एक्सप्रेस वे, नए रेल रूट, नए ब्रिज, नए अस्पताल, आज भारत जिस स्पीड और स्केल पर काम कर रहा है, ये वाकई अभूतपूर्व है।

70 साल में, ये मैं और किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं, लेकिन हिसाब-किताब के लिए कुछ reference जरूरी होता है। और इसलिए मैं उस reference के आधार पर बात कर रहा हूं। 70 साल में भारत में सिर्फ 20 हजार किलोमीटर के आसपास रेल लाइनों का Electrification हुआ था। जबकि पिछले 9 साल में भारत में करीब-करीब 40 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का Electrification हुआ है। 2014 से पहले हमारे देश में हर महीने सिर्फ 600 मीटर, किलोमीटर मत समझना, सिर्फ 600 मीटर नई मेट्रो लाइन बिछाई जा रही थी। आज भारत में हर महीने 6 किलोमीटर नई मेट्रो लाइन का काम पूरा हो रहा है।

2014 से पहले देश में 4 लाख किलोमीटर से भी कम ग्रामीण सड़कें थीं। आज देश में सवा सात लाख किलोमीटर से भी ज्यादा ग्रामीण सड़कें हैं। 2014 से पहले देश में करीब-करीब 70 के आसपास ही हमारे एयरपोर्ट थे। आज देश में एयरपोर्ट्स की संख्या भी बढ़कर 150 के आसपास पहुंच रही है। 2014 से पहले देश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम भी सिर्फ 60 शहरों में था। अब देश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम 600 से भी ज्यादा शहरों में पहुंच गया है।

साथियों,

बदलता हुआ भारत आज पुरानी चुनौतियों को समाप्त करते हुए आगे बढ़ रहा है। हम समस्याओं के स्थाई समाधान पर, Permanent Solution पर जोर दे रहे हैं। और इसका एक उदाहरण पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी है। यहां उद्योग जगत के साथी बैठे हैं, मैं चाहूंगा कि आप जाकर उस पोर्टल को देखिए। देश में रेल-रोड जैसे फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए, स्कूल बनाने हों, हॉस्पिटल बनाने हों, ऐसे सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए, पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान एक बहुत बड़ा गेमचेंजर साबित होने जा रहा है। इसमें अलग-अलग लेयर के 1600 से ज्यादा अलग-अलग लेयर्स के डेटा उसके अंदर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लाया गया है। कोशिश यही है कि देश का समय और देश का पैसा पहले की तरह बर्बाद ना हो।

साथियों,

आज भारत के सामने बहुत बड़ा अवसर है। आज से सौ साल पहले, मैं पिछली शताब्‍दी की बात कर रहा हूं, आज से 100 साल पहले जब भारत आजादी की जंग लड़ रहा था, तो वो पिछली शताब्दी का तीसरा दशक, मैं आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं। 1923-1930 का वो कालखंड याद कीजिए, पिछली शताब्‍दी का तीसरा दशक भारत की आजादी के लिए बहुत अहम था। इसी प्रकार 21वीं सदी का ये तीसरा दशक भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

पिछली शताब्‍दी के तीसरे दशक में ललक थी, लक्ष्‍य था स्‍वराज्‍य का, आज लक्ष्य है समृद्ध भारत का, विकसित भारत बनाने का। उस तीसरे दशक में देश आजादी के लिए निकल पड़ा था, देश के कोने कोने से आजादी की गूंज सुनाई देती थी। स्वराज आंदोलन की सभी धाराएं, सभी विचार चाहे वो क्रांति का मार्ग हो, या असहयोग का मार्ग हो, सारे मार्ग पूर्ण रूप से जागरूक थे, ऊर्जा से भरे हुए थे, इसी का परिणाम था कि इसके 25 साल के भीतर-भीतर देश आजाद हो गया, आजादी का हमारा सपना साकार हुआ। और इस शताब्‍दी के इस तीसरे दशक में हमारे सामने अगले 25 साल का लक्ष्य है। हम समर्थ भारत का सपना लेकर, विकसित भारत का सपना लेकर निकल पड़े हैं। हमें भारत को वो ऊंचाई देनी है, उस सफलता पर पहुंचाना है, जिसका सपना हर स्वतंत्रता सेनानी ने देखा था।

हमें इस संकल्प की सिद्धि के लिए सभी देशवासियों ने, 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों ने दिन रात एक कर देना है। और साथियों मैं अनुभव से कहता हूं, मैंने एक के बाद एक सफलताओं को अपनी आंखों के सामने देखा है। मैंने देश की शक्ति को भली-भांति समझा है, देश के सामर्थ्‍य को जाना है और उसके आधार पर मैं कहता हूं, बड़े विश्‍वास से कहता हूं, भारत मंडपम में खड़े हो करके इन सुयोग्‍य जनों के सामने कहता हूं भारत विकसित हो सकता है, अवश्‍य हो सकता है। भारत गरीबी दूर कर सकता है, जरूर कर सकता है। और मेरे इस विश्वास के पीछे जो आधार है, वो भी मैं आज आपको बताना चाहता हूं।

नीति आय़ोग की रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में सिर्फ पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। और भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी ये कह रही हैं कि भारत में अति गरीबी extreme poverty जो है, वो खत्‍म होने के कगार पर है। यानी बीते 9 वर्षों में देश ने जो नीतियां बनाईं हैं, जो निर्णय लिए हैं, वो देश को सही दिशा में ले जा रहे हैं।

साथियों,

देश का विकास तभी हो सकता है, जब नियत साफ़ हो, नीति सही हो, देश में सार्थक परिवर्तन लाने के लिए उपयुक्‍त नीति हो। भारत की प्रेसिडेंसी के दौरान, पूरे देश में हो रहे जी-20 के आयोजन भी इसका एक प्रेरक उदाहरण हैं। हमने जी-20 को सिर्फ एक शहर, एक स्थान तक सीमित नहीं रखा। हम जी-20 की बैठकों को देश के 50 से ज्यादा शहरों में ले गए। हमने इसके माध्यम से भारत की विविधता को शोकेस किया है। हमने दुनिया को दिखाया कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति क्या है, भारत की विरासत क्या है। विविधताओं के बीच भी भारत किस प्रकार से प्रगति कर रहा है। भारत किस प्रकार से विविधता को सेलिब्रेट करता है।

आज दुनिया भर से लोग इन आयोजनों में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं। G-20 की बैठकों के लिए अनेक शहरों में नई सुविधाओं का निर्माण हुआ, पुरानी सुविधाओं का आधुनिकीकरण हुआ। इससे देश का फायदा हुआ, देश के लोगों का फायदा हुआ। और यही तो सुशासन है, यही तो Good Governance है। नेशन फर्स्ट, सिटीज़न फर्स्ट की भावना पर चलते हुए ही हम भारत को विकसित भारत बनाने वाले हैं।

साथियों,

इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर आप सबका यहां आना, ये अपने-आप में आपके दिल के कोने में भी भारत के लिए जो सपने पड़े हैं ना, उन सपनों को खाद-पानी देने का ये अवसर है जी। एक बार फिर भारत मंडपम जैसी शानदार सुविधा के लिए दिल्ली के लोगों को, देश के लोगों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और इतनी बड़ी तादाद में आप आए, मैं आपका फिर से एक बार स्‍वागत और अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद!

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।