प्रधानमंत्री ने सिपेट (सीआईपीईटी): पेट्रोरसायन प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री ने राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला भी रखी
"भारत ने महामारी के दौरान अपनी ताकत व आत्मनिर्भरता बढ़ाने का संकल्प लिया है"
"हमने देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को बदलने के लिए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर कार्य किया है"
"पिछले 6-7 वर्षों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं और 100 से अधिक नए मेडिकल कॉलेजों पर तेजी से काम चल रहा है"
"2014 में, देश में मेडिकल स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए कुल सीटें लगभग 82000 थीं, आज उनकी संख्या बढ़कर 140,000 हो गई है"
"राजस्थान का विकास, देश के विकास को गति देता है"

नमस्कार,

राजस्थान की धरती के सपूत और भारत की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा के कस्टोडियन, हमारे आदरणीय स्पीकर श्रीमान ओम बिरला जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रीमान अशोक गहलोत जी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे अन्य सभी सहयोगी श्रीमान गजेंद्र सिंह शेखावत जी, भूपेंद्र यादव जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, कैलाश चौधरी जी, डॉक्टर भारती पवार जी, भगवंत खुबा जी, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री बहन वसुंधरा राजे जी, नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया जी, राजस्थान सरकार के अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, विधायक गण, कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी महानुभाव, और राजस्थान के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

100 साल की सबसे बड़ी महामारी ने दुनिया के हेल्थ सेक्टरके सामने अनेक चुनौतियां खड़ी कर दी, और ये महामारी बहुत कुछ सिखाया भी है और बहुत कुछ सिखा रही है।हर देश अपने-अपने तरीके से इस संकट से निपटने में जुटा है। भारत ने इस आपदा में आत्मनिर्भरता का, अपने सामर्थ्य में बढ़ोतरी का संकल्प लिया है। राजस्थान में 4 नए मेडिकल कॉलेज के निर्माणकेकार्य का प्रारंभ और जयपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी का उद्घाटन, इसी दिशा में एक अहम कदम है। मैं राजस्थान केसभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।और आज मुझे राजस्थान के एक विशेष कार्यक्रम में virtually मिलने का मोका मिला है।तो मैं राजस्थान के उस बेटे-बेटियों का भी अभिनंदन करना चाहता हूं।जिन्होंने ऑलिंपिक में हिन्दुस्तान का झंडा गाडने में अहम भूमिका निभाई है। वैसे मेरे राजस्थान के बेटे-बेटियों को भी मैं आज फिर से एक बार बधाई देना चाहता हूं।आज जब ये कार्यक्रम हो रहा है तब, जयपुर सहित देश के 10 CIPET सेंटर्स में प्लास्टिक और उससे जुड़े वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी चल रहा है। इस पहल के लिए भी मैंदेश के सभी गणमान्य नागरिकों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भाइयों और बहनों,

साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी। इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज काम करना शुरू कर चुके हैं। और आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है। मैं इन क्षेत्रों के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैंने देखा है यहां के जो जनप्रतिनिधि रहे हैं, हमारे माननीयसांसद हैं, उनसे जब भी मुलाकात होती थी तो वो बताते थे कि मेडिकल कॉलेज बनने से कितना फायदा होगा। चाहे सांसद, मेरे मित्र भाई ‘कनक-मल’ कटारा जी हों, हमारीसीनियर एमपी बहन, जसकौर मीणा जी हों, मेरेबहुत पुराने साथीभाई निहालचंद चौहान जी हों या हमारेआधे गुजराती आधे राजस्थानी ऐसे भाईदेवजी पटेल हों, आप सभी राजस्थान में मेडिकल इंफ्रा को लेकर काफी जागरूक रहे हैं। मुझे विश्वास है, इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा।

साथियों,

हम सभी ने देखा है कि कुछ दशक पहले देश की मेडिकल व्यवस्थाओं का क्या हाल था। 2001 में, आज से 20 साल पहलेजब मुझे गुजरात नेमुख्यमंत्री के तौर परसेवा का अवसर दिया, तो हेल्थ सेक्टर की स्थिति वहां की भी बहुत चुनौतियों से भरी हुई थी।चाहे वो मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर हो, मेडिकल शिक्षा हो, या फिर इलाज की सुविधाएं हो, हर पहलू पर तेज़ी से काम करने की ज़रूरत थी। हमने चुनौती को स्वीकारा और मिलकर स्थितियों को बदलने की कोशिश की। गुजरात में उस समय मुख्यमंत्री अमृतम योजनाके तहत गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा शुरु की गई थी। गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में डिलीवरी के लिए चिरंजीवी योजना के तहत प्रोत्साहित किया गया, जिससे माताओं और बच्चों का जीवन बचाने में बहुत अधिक सफलता मिली। मेडिकल शिक्षा के मामले में भी बीते 2 दशकों के अथक प्रयासों से गुजरात ने मेडिकल सीटों में लगभग 6 गुना वृद्धि दर्ज की है।

साथियों,

मुख्यमंत्री के रूप में देश के हेल्थ सेक्टर की जो कमियां मुझे अनुभव होती थी, बीते 6-7 सालों से उनको दूर करने की निरंतर कोशिश की जा रही है।और हम सबको मालूम है हमारा संविधान के तहत जो federal structure की व्यवस्था है। उसमें हेल्थ ये राज्य का विषय है, राज्य की जिम्मेवारी है।लेकिन मैं राज्य का मुखयमंत्री रहा लम्बे समय तक। तो क्या कठिनाईयां है वो मुझे मालूम थी। तो मैने भारत सरकार में आकर के भले दायित्व राज्य का हो तो भी उसमे बहुत सारे काम करने चाहिए भारत सरकार ने और उस दिशा में हमने प्रयास शुरू किया।हमारे यहां एक बड़ी समस्या ये थी कि देश का हेल्थ सिस्टम बहुत ही अधिक टुकड़ों में बंटा हुआ था। अलग-अलग राज्यों के मेडिकल सिस्टम में राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी और कलेक्टिव अप्रोच का अभाव था। भारत जैसे देश में जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य की राजधानियां या कुछ मेट्रो सिटीज़ तक ही सीमित थीं, जहां गरीब परिवार रोज़गार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, वहां राज्यों की सीमाओं तक सिमटी स्वास्थ्य योजनाओं से बहुत लाभ नहीं हो पा रहा था। इसी प्रकार प्राइमरी हेल्थकेयर और बड़े अस्पतालों में भी एक बहुत बड़ा गैप नज़र आता था। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बीच भी तालमेल की कमी थी। गवर्नेंस की इन कमियों को दूर किया जाना बहुत जरूरी था। देश के स्वास्थ्य सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए हमने एक राष्ट्रीय अप्रोच, एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर काम किया। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर आयुष्मान भारत और अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तक, ऐसे अनेक प्रयास इसी का हिस्सा हैं। आयुष्मान भारत योजना से ही अभी तक राजस्थान के लगभग साढ़े 3 लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है। गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाले लगभग ढाई हज़ार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आज राजस्थान में काम करना शुरू कर चुके हैं। सरकार का जोर प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर भी है। हमने नया आयुष मंत्रालय तो बनाया ही है, आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

एक और बड़ी समस्या मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की धीमी गति की भी रही है। चाहे एम्स हो, मेडिकल कॉलेज हो या फिर एम्स जैसे सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल हों, इनका नेटवर्क देश के कोने-कोने तक तेज़ी से फैलाना बहुत ज़रूरी है। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि 6 एम्स से आगे बढ़कर आज भारत 22 से ज्यादा एम्स के सशक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है। इन 6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं और 100 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हजार के करीब थीं। आज इनकी संख्या बढ़कर एक लाख 40 हजार सीट तक पहुंच रही है। यानि आज ज्यादा नौजवानों को डॉक्टर बनने का मौका मिल रहा है, आज पहले से कहीं अधिक नौजवान डॉक्टर बन रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन की इस तेज प्रगति का बहुत बड़ा लाभ राजस्थान को भी मिला है। राजस्थान में इस दौरान मेडिकल सीटों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यूजी सीटें 2 हज़ार से बढ़कर 4 हज़ार से ज्यादा हुई हैं। पीजी सीटें राजस्थान में हज़ार से भी कम थीं। आज PG सीटें भी 2100 तक पहुंच रही हैं।

भाइयों और बहनों,

आज देश में प्रयास ये है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या फिर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन देने वाला कम से कम एक संस्थान जरूर हो। इसके लिए मेडिकल शिक्षा से जुड़ी गवर्नेंस से लेकर दूसरी नीतियों, कानूनों, संस्थानों में बीते वर्षों के दौरान बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। हमने देखा है कि पहले जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया- MCI थी, किस तरह उसके फैसलों पर सवाल उठते थे, भांति-भांतिके आरोप लगते थे, पार्लियामेंट में भी घंटों उसकी बहस होती थी। पारदर्शिता के विषय में सवालया निशान आते थे।इसका बहुत बड़ा प्रभाव देश में मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी और हेल्थ सर्विसेस की डिलिवरी पर पड़ा रहा। बरसों सेहर सरकार सोचती थी कुछ करना चाहिए, बदलाव करना चाहिए कुछ निर्णय करना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा था। मुझे भी ये काम करने में बहुत मुशकिलें आई। संसद में कई, पिछली सरकार के समय करना चाहता था। नहीं कर पाता था। इतने ग्रुप इतने बड़े अड़ंगे डालते थे। बड़ी मुसिबतों से आखिरकार हुआ।हमें भी इसे ठीक करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अब इन व्यवस्थाओं का दायित्वनेशनल मेडिकल कमीशनके पास है। इसका बहुत बेहतर प्रभाव, देश के हेल्थकेयर ह्यूमन रीसोर्स और हेल्थ सर्विसेस पर दिखना शुरू हो गया है।

साथियों,

दशकों पुराने हेल्थ सिस्टम में आज की आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव जरूरी हैं। मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ सर्विस डिलिवरी में जो गैप था, उसको लगातार कम किया जा रहा है। बड़े अस्पताल, चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट, उनके संसाधनों का नए डॉक्टर, नए पैरामेडिक्स तैयार करने में ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, इस पर सरकार का बहुत जोर है। तीन-चार दिन पहले शुरू हुआ आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, देश के कोने-कोने तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में बहुत मदद करेगा। अच्छे अस्पताल, टेस्टिंग लैब्स, फार्मेसी, डॉक्टरों से अपाइंटमेंट, सभी एक क्लिक पर होगा। इससे मरीजों को अपना हेल्थ रिकॉर्ड संभालकर रखने की भी एक सुविधा मिल जाएगी।

भाइयों और बहनों,

स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी स्किल्ड मैनपावर का सीधा असर प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं पर होता है। इसे हमने इस कोरोना काल में औऱ ज्यादा महसूस किया है।केंद्र सरकार के सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीनअभियान की सफलता इसी का प्रतिबिंब है। आज भारत में कोरोना वैक्सीन की 88 करोड़ से अधिक डोज लग चुकी है। राजस्थान में भी 5 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लग चुकी है। हजारों सेंटर्स पर हमारे डॉक्टर्स, नर्सेस, मेडिकल स्टाफ लगातार वैक्सीनेशन करने में जुटे हैं। मेडिकल क्षेत्र में देश का ये सामर्थ्य हमें और बढ़ाना है। गांव और गरीब परिवारों से आने वाले युवाओं के लिए सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा में मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की पढ़ाई एक और बाधा रही है। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का भी मार्ग बना है। राजस्थान के गांव की, गरीब परिवारों की माताओं ने अपनी संतानों के लिए जो सपने देखे हैं, वो अब और आसानी से पूरे होंगे।गरीब का बेटा भी, गरीब की बेटी भीजिसको अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने का मौका नहीं मिला है। वो भी अब डॉक्टर बनकर के मानवता की सेवा करेगी। आवश्यक ये भी है कि मेडिकल शिक्षा से जुड़े अवसर समाज के हर हिस्से, हर वर्ग को समान रूप से मिलें। मेडिकल शिक्षा में ओबीसी और आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के युवाओं को आरक्षण देने के पीछे भी यही भावना है।

साथियों,

आज़ादी के इस अमृतकाल में उच्च स्तर का कौशल, न सिर्फ भारत की ताकत बढ़ाएगा बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने में भी बड़ी भूमिका निभाएगा। सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे उद्योगों में से एक, पेट्रो-केमिकल इंडस्ट्री के लिए, स्किल्ड मैनपावर, आज की आवश्यकता है। राजस्थान का नया इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी इस क्षेत्र में हर साल सैकड़ों युवाओं को नई संभावनाओं से जोड़ेगा। पेट्रोकेमिकल्स का उपयोग आजकल एग्रीकल्चर, हेल्थकेयर और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से लेकर जीवन के अनेक हिस्सों में बढ़ रहा है। इसलिए स्किल्ड युवाओं के लिए आने वाले वर्षो में रोज़गार के अनेक अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

आज जब हम, इस पेट्रोकेमिकल संस्थान का उद्घाटन कर रहे हैं, तो मुझे 13-14 साल पहले के वो दिन भी याद आ रहे हैं, जब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपगुजरातमें हमने पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के Idea पर काम शुरू किया था। तब कुछ लोग इस Idea पर हंसते थे कि आखिर इस यूनिवर्सिटी की जरूरत क्या है, ये क्या कर पाएगी, इसमें पढ़ने के लिए छात्र-छात्राएं कहां से आएंगे? लेकिन हमने इस Idea को Drop नहीं किया। राजधानी गांधीनगर में जमीन तलाशी गई और फिर पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी- PDPU की शुरुआत हुई। बहुत ही कम समय में PDPU ने दिखा दिया है कि उसका सामर्थ्य क्या है। पूरे देश के विद्यार्थियों में वहां पढ़ने की होड़ लग गई। अब इस यूनिवर्सिटी के विजन का और विस्तार हो चुका है। अब ये पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी- PDEU केरूप में जानीजाती है। इस तरह के संस्थान अब भारत के युवाओं को Clean Energy के लिए Innovative Solutions के लिए अविष्कार का मार्ग दिखा रहे हैं, उनकी एक्सपर्टीज बढ़ा रहे हैं।

साथियों,

बाड़मेर में राजस्थान रिफाइनरी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम जारी है। इस प्रोजेक्ट पर 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी से पढ़कर निकलने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये प्रोजेक्ट बहुत से नए मौके बनाएगा। राजस्थान में जो सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन का काम हो रहा है, उसमें भी युवाओं के लिए बहुत संभावनाए हैं। 2014 तक राजस्थान के सिर्फ एक शहर में ही सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन की मंजूरी थी। आज राजस्थान के 17 जिले सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं। आने वाले वर्षों में राज्य के हर जिले में पाइप से गैस पहुंचने का नेटवर्क होगा।

भाइयों और बहनों,

राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी तो है ही, सीमावर्ती भी है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हमारी माताएं-बहनें बहुत सी चुनौतियों का सामना करती रही हैं। अऩेक वर्षों तक मैं राजस्थान के दूर-दराज के क्षेत्रों में आता-जाता रहा हूं। मैंने देखा है कि शौचालय, बिजली और गैस कनेक्शन के अभाव में माताओं-बहनों को कितनी मुश्किलें आती थीं। आज गरीब से गरीब के घर शौचालय, बिजली और गैस का कनेक्शन पहुंचने से जीवन बहुत आसान हुआ है। पीने का पानी तो राजस्थान में, एक प्रकार से आए दिन माताओं-बहनों के धैर्य की परीक्षा लेता है। आज जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान के 21 लाख से अधिक परिवारों को पाइप से पानी पहुंचना शुरू हुआ है। हर घर जलअभियान, राजस्थान की माताओं-बहनों-बेटियों के पैरों में जो सालों-साल छालेपड़तेहैं, उन पर मरहम लगाने का छोटापर ईमानदार प्रयास है।

साथियों,

राजस्थान का विकास, भारत के विकास को भी गति देता है। जब राजस्थान के लोगों को, गरीब की, मध्यम वर्ग की सहूलियत बढ़ती है, उनकी Ease of Living बढ़ती है, तो मुझे भी संतोष होता है। बीते 6-7 वर्षों में केंद्र की आवास योजनाओं के माध्यम से राजस्थान में गरीबों के लिए 13 लाख से अधिक पक्के घर बनाए गए हैं।पीएम किसान सम्मान निधि के तहत राजस्थान के 74 लाख से ज्यादा किसान परिवारोंके बैंक खाते मेंलगभग 11 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के किसानों को 15 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का क्लेम भी दिया गया है।

साथियों,

बॉर्डर स्टेट होने के नाते कनेक्टिविटी और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट को प्राथमिकता का लाभ भी राजस्थान को मिल रहा है। नेशनल हाईवे का निर्माण हो, नई रेलवे लाइनों का काम हो, सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन हो, दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम जारी है। देश के रेलवे को ट्रांस्फॉर्म करने जा रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का भी बड़ा हिस्सा राजस्थान सेऔर गुजरात सेहै। इसका काम भी नए रोज़गार की अनेक संभावनाएं बना रहा है।

भाइयों और बहनों,

राजस्थान का सामर्थ्य, पूरे देश को प्रेरणा देता है। हमें राजस्थान के सामर्थ्य को भी बढ़ाना है और देश को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है। ये हम सबके प्रयास से ही संभव है।सबका प्रयास, ये आजादी के 75 वर्ष में हमने ये सबका मही प्रयास इस मंत्र को लेकर केऔर ज्यादा ताकत से आगे बढ़ना है। भारत की आज़ादी का ये अमृतकाल राजस्थान के विकास का भी स्वर्णिम काल बने, ये हमारी शुभकामनाएं हैं। और अभी जब मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री जी को सुन रहा था। तो उन्होंने एक लंबी सूची कामों की बता दी। मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं। कि उनका मुझपर इतना भरोसा है। और लोकतंत्र में ये ही बहुत बड़ी ताकत है। उनकी राजनीतिक विचारधारा भी पार्टी अलग है, मेरी राजनीतिक विचारधारा पार्टी अलग है लेकिन अशोक जी का मुझपे जो भरोसा है उसी के कारण आज उन्होनें दिल खोलकर के बहुत सी बाते रखी हैं। ये दोस्ती, ये विश्वास, ये भरोसा ये लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है। मैं फिर एक बार राजस्थान के लोगों का हृदय से अभिनंदन करता हूं। बहुत – बहुत बधाई देता हूं।

धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।