उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी और लखनऊ के ही सांसद, हमारे वरिष्ट साथी, श्रीमान राजनाथ सिंह जी, श्री हरदीप सिंह पुरी जी, महेंद्र नाथ पांडे जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी, श्री दिनेश शर्मा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान कौशल किशोर जी, राज्य सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक गण, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए सभी आदरणीय मंत्रीगण, अन्य सभी महानुभाव और उत्तर प्रदेश के मेरे प्रिय बहनों और भाइयों !
लखनऊ आता हूं तो अवध के इस क्षेत्र का इतिहास, मलिहाबादी दशहरी जैसी मीठी बोली, खान-पान, कुशल कारीगरी, आर्ट-आर्किटेक्चर सब कुछ सामने दिखने लगता है। मुझे अच्छा लगा कि तीन दिनों तक लखनऊ में न्यू अर्बन इंडिया यानि भारत के शहरों के नए स्वरूप पर देशभर के एक्सपर्ट्स एकत्र आ करके मंथन करने वाले हैं। यहां जो प्रदर्शनी लगी है, वो आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में 75 साल की उपलब्धियां और देश के नए संकल्पों को भलीभांति प्रदर्शित करती है। मैंने अनुभव किया है पिछले दिनों जब डिफेंस का कार्यक्रम किया था और उस समय जो प्रदर्शनी लगी थी, सिर्फ लखनऊ में ही नहीं पूरा उत्तर प्रदेश उसे देखने क लिए पहुंचा था। मैं इस बार भी आग्रह करूंगा कि ये जो प्रदर्शनी लगी है, यहां के नागरिकों से मेरा आग्रह है आप जरूर देखें। हम सब मिल करके देश को कहां से कहां ले जा सकते हैं, हमारे विश्वास को जगाने वाली यह अच्छी प्रदर्शनी है, आपको जरूर देखनी चाहिए।
आज यूपी के शहरों के विकास से जुड़े 75 प्रोजेक्ट्स विकास के, उनका भी शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। आज ही यूपी के 75 जिलों में 75 हज़ार लाभार्थियों को उनके अपने पक्के घर की चाबियां मिली हैं। ये सभी साथी इस वर्ष दशहरा, दीवाली, छठ, गुरू पूरब, ईद-ए-मिलाद, आने वाले अनेकों उत्सव, अपने नए घर में ही मनाएंगे। अभी कुछ लोगों से बात करके मुझे बहुत संतोष मिला है। और भोजन का निमंत्रण भी मिलगाया है। मुझे इस बात की भी खुशी होती है कि देश में पीएम आवास योजना के तहत जो घर दिए जा रहे हैं, उनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों पर मालिकाना हक महिलाओं का है या फिर वो ज्वाइंट ओनर हैं।
और मुझे ये भी बताया गया है कि यूपी सरकार ने भी महिलाओं के घरों से जुड़ा एक अच्छा फैसला लिया है। 10 लाख रुपए तक की राशि के घरों की रजिस्ट्री कराने पर स्टैंप ड्यूटी में महिलाओं को 2 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है। ये बहुत प्रशंसनीय निर्णय है। लेकिन साथ में हम जब ये बात करते हैं महिलाओं को ये उनके नाम मिल्कियत होगी तो उतना हमारे मन में रजिस्टर्ड नहीं होता है। लेकिन मैं बस थोड़ा आपको उस दुनिया में ले जाता हूं आपको अंदाज होगा कि ये निर्णय कितना महत्वपूर्ण है।
आप देखिए, किसी भी परिवार में जाइए अच्छा है, गलत है ये मैं नहीं कह रहा। मैं सिर्फ स्थिति का बयान कर रहा हूं। अगर मकान है तो पति के नाम पर, खेत है तो पति के नाम पर, गाड़ी है तो पति के नाम पर, स्कूटर है तो पति के नाम पर। दुकान है तो पति के नाम पर और अगर पति नहीं रहा तो बेटे के नाम पर, लेकिन उस मां के नाम पर कुछ नहीं होता है, उस महिला के नाम पर कुछ भी नहीं होता है। एक स्वस्थ समाज के लिए संतुलन बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ते हैं और इसलिए हमने तय किया है कि सरकार जो आवास देगी उसका मालिकाना हक महिला को दिया जाएगा।
साथियों,
आज लखनऊ के लिए एक और बधाई का अवसर है। लखनऊ ने अटल जी के रूप में एक विजनरी, मां भारती के लिए समर्पित राष्ट्रनायक देश को दिया है। आज उनकी स्मृति में, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में अटल बिहारी वाजपेयी चेयर स्थापित की जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये चेयर अटल जी के विजन, उनके एक्शन, राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को विश्व पटल पर लाएगी। जैसे भारत की 75 साल की विदेश नीति में अनेक मोड़ आए, लेकिन अटल जी ने उसे नई दिशा दी। देश की कनेक्टिविटी, लोगों की कनेक्टिविटी के लिए उनके प्रयास, आज के भारत की मजबूत नींव हैं। आप सोचिए, एक तरफ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और दूसरी तरफ स्वर्णिम चतुष्कर- नॉर्थ-ईस्ट, ईस्ट–वेस्ट और नॉर्थ-साऊथ-ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर यानी दोनों तरफ एक साथ दृष्टि और दोनों तरफ विकास का प्रयास।
साथियों,
वर्षों पहले जब अटल जी ने नेशनल हाईवे के माध्यम से देश के महानगरों को जोड़ने का विचार रखा था तो कुछ लोगों को यकीन ही नहीं होता था कि ऐसा संभव है। 6-7 साल पहले जब मैंने, गरीबों के लिए करोड़ों पक्के घर, करोड़ों शौचालय, तेज़ी से चलने वाली रेल, शहरों में पाइप से गैस, ऑप्टिकल फाइबर जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बात की, तब भी आदतन कुछ लोग यही सोचते थे कि इतना सब कुछ कैसे हो पाएगा। लेकिन आज इन अभियानों में भारत की सफलता, दुनिया देख रही है। भारत आज पीएम आवास योजना के तहत जितने पक्के घर बना रहा है, वो दुनिया के अनेक देशों की कुल आबादी से भी अधिक है।
एक समय था जब घर की स्वीकृति से लेकर उसको ज़मीन पर उतरने में ही बरसों लग जाते थे। जो घर बनते भी थे, वो शायद रहने लायक थे कि नहीं ये सवालिया निशान जरूर पूछे जाते थे। घरों की साइज छोटी, कंस्ट्रक्शन मटीरियल खराब, अलॉटमेंट में हेरा-फेरी, यही सब मेरे गरीब भाइयों और बहनों का भाग्य बना दिया गया था। 2014 में देश ने हमें सेवा करने का अवसर दिया और मैं उत्तर प्रदेश का विशेष रूप से आभारी हूं कि आपने मुझे देश की संसद में पहुंचाया है। और जब आपने हमें दायित्व दिया तो हमने अपना दायित्व निभाने की ईमानदार कोशिश की है।
साथियों,
2014 से पहले जो सरकार थी, उसने देश में शहरी आवास योजनाओं के तहत सिर्फ 13 लाख मकान ही मंजूर किए गए थे। आंकड़ा याद रहेगा? पुरानी सरकार ने 13 लाख आवास, इसमें भी सिर्फ 8 लाख मकान ही बनाए गए थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत शहरों में 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण की मंजूरी दी है। कहां 13 लाख और कहां 1 करोड़ 13 लाख? इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है।
साथियों,
ईंट-पत्थर जोड़कर इमारत तो बन सकती है, लेकिन उसे घर नहीं कह सकते। लेकिन वो घर तब बनता है, जब उसमें परिवार के हर सदस्य का सपना जुड़ा हो, अपनापन हो, परिवार के सदस्य जी जान से एक लक्ष्य के लिए जुटे हुए हों तब इमारत घर बन जाती है।
साथियों,
हमने घरों के डिजायन से लेकर घरों के निर्माण तक की पूरी आज़ादी लाभार्थियों को सौंप दी। उनको मर्जी पड़े जैसा मकान बनाएं। दिल्ली में एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर कोई ये तय नहीं कर सकता कि खिड़की इधर होगी या उधर होगी। 2014 के पहले सरकारी योजनाओं के घर किस साइज के बनेंगे, इसकी कोई स्पष्ट नीति ही नहीं थी। कहीं 15 स्कवेयर मीटर के मकान बनते थे, तो कहीं 17 स्कवेयर मीटर के। इतने छोटी जमीन पर जो निर्माण होता था, उसमें रहना भी मुश्किल था।
2014 के बाद हमारी सरकार ने घरों की साइज को लेकर भी स्पष्ट नीति बनाई। हमने ये तय किया कि 22 स्कवेयर मीटर से छोटा कोई घर नहीं बनेगा। हमने घर का साइज़ भी बढ़ाने के साथ ही पैसा सीधा लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजना शुरु किया। गरीबों के बैंक खातों में घर बनाने के लिए भेजी ये राशि कितनी है, इसकी चर्चा बहुत कम हुई है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि पीएम आवास योजना- शहरी के तहत केंद्र सरकार ने करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए, गरीबों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए हैं।
साथियों,
हमारे यहां कुछ महानुभाव कहते रहते हैं कि मोदी को हमने प्रधानमंत्री तो बना दिया, मोदी ने किया क्या है? आज पहली बार मैं ऐसी बात बताना चाहता हूं जिसके बाद बड़े-बड़े विरोधी, जो दिन रात हमारा विरोध करने में ही अपनी ऊर्जा खपाते हैं, वो मेरा ये भाषण सुनने के बाद टूट पड़ने वाले हैं, मुझे पता है। फिर भी मुझे लगता है मुझे बताना चाहिए।
मेरे जो साथी, जो मेरे परिवार जन हैं, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, जिनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को इस कार्यकाल में एक ही योजना से लखपति बनने का अवसर मिल गया है। इस देश में मोटा-मोटा अंदाज करें तो 25-30 करोड़ परिवार, उसमें से इतने छोटे से कार्यकाल में 3 करोड़ गरीब परिवार लखपति बनना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। अब आप कहेंगे मोदी इतना बड़ा क्लेम कर रहे हैं कैसे करेंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में जो करीब-करीब 3 करोड़ घर बने हैं, आप उनकी कीमत का अंदाजा लगा लीजिए। ये लोग अब लखपति हैं। 3 करोड़ पक्के घर बनाकर हमने गरीब परिवारों का सबसे बड़ा सपना पूरा किया है।
साथियों,
मुझे वो दिन भी याद आते हैं जब तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश, घरों के निर्माण में आगे नहीं बढ़ रहा था। आज लखनऊ में हूं तो मुझे लगता है जरा विस्तार से ये बात बतानी चाहिए! बतानी चाहिए ना, आप तैयार हैं? हमारी अर्बन प्लानिंग कैसे राजनीति का शिकार हो जाती है, ये समझने के लिए भी यूपी के लोगों को ये जानना जरूरी है।
साथियों,
गरीबों के लिए घर बनाने का पैसा केंद्र सरकार दे रही थी, बावजूद इसके, 2017 से पहले, योगीजी के आने से पहले की बात कर रहा हूं, 2017 से पहले यूपी में जो सरकार थी, वो गरीबों के लिए घर बनवाना ही नहीं चाहती थी। गरीबों के लिए घर बनवाओ, इसके लिए हमें पहले जो यहां सरकार में थे उनसे मिन्नतें करनी पड़ती थीं। 2017 से पहले पीएम आवास योजना के तहत यूपी के लिए 18 हजार घरों की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन जो सरकार यहां थी, उसने गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत 18 घर भी बनाकर नहीं दिए।
आप कल्पना कर सकते हैं। 18 हजार घरों की स्वीकृति और 18 घर भी न बनें, मेरे देश के भाइयो-बहनों ये चीजें आपको सोचनी चाहिए। आप कल्पना कर सकते हैं कि 18 हजार घरों मंजूरी थी लेकिन उन लोगों ने गरीब के लिए 18 घर भी नहीं बनाए। पैसा था, घरों को स्वीकृति थी लेकिन तब जो यूपी को चला रहे थे, वो इसमें लगातार अड़ंगा डाल रहे थे। उनका ये कृत्य यूपी के लोग, यूपी के गरीब कभी नहीं भूल सकते हैं।
साथियों,
मुझे संतुष्टि है कि योगी जी की सरकार आने के बाद यूपी में शहरी गरीबों को 9 लाख घर बनाकर दिए गए हैं। शहर में रहने वाले हमारे गरीब भाई-बहनों के लिए अब यूपी में 14 लाख घर निर्माण के अलग-अलग चरणों में हैं। अब घर में बिजली, पानी, गैस, शौचालय जैसी सुविधाएं भी मिल रही हैं, तो गृह प्रवेश भी पूरी खुशी के साथ, आन-बान के साथ हो रहा है।
लेकिन मैं जब उत्तर प्रदेश आया हूं तो कुछ होमवर्क भी देने का मन करता है। दे दूं? लेकिन आपको करना पड़ेगा, करेंगे? पक्का? देखिए मैंने अखबार में पढ़ा है और साथ ही योगी जी से भी शायद मैं पूछ रहा था। इस बार दीपावली में अयोध्या में कहते हैं साढ़े सात लाख दीए का कार्यक्रम होगा। मैं उत्तर प्रदेश को कहता हूं कि रोशनी के लिए स्पर्धा में मैदान में आएं। देखें अयोध्या ज्यादा दीए जलाता है कि ये जो 9 लाख घर दिए गए हैं, वे 9 लाख घर 18 लाख दीए जला करके दिखाएं। हो सकता है क्या? जिन परिवारो को, ये 9 लाख परिवार जिनको घर मिले हैं पिछले सात साल में, वे दो-दो दीए अपने घर के बाहर जलाएं। अयोध्या में साढ़े सात लाख दीए जलेंगे मेरे गरीब परिवारों के घर में 18 लाख दीए जलेंगे। भगवान राम जी को खुशी होगी।
भाइयों और बहनों,
बीते दशकों में हमारे शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें जरूर बनीं लेकिन जो अपने श्रम से इन इमारतों का निर्माण करते हैं, उनके हिस्से में झुग्गियों का ही जीवन आता रहा है। झुग्गियों की स्थिति ऐसी जहां पानी और शौचालय जैसी मूल सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। झुग्गी में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को अब पक्के घर बनाने से बहुत मदद मिल रही है। गांव से शहर काम के लिए आने वाले श्रमिकों को उचित किराए पर बेहतर रिहाइश मिले, इसके लिए सरकार ने योजना शुरू की है।
साथियों,
शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने का हमारी सरकार ने बहुत गंभीर प्रयास किया है। Real Estate Regulatory Authority यानि रेरा कानून ऐसा ही एक बड़ा कदम रहा है। इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है। इस कानून के बनने से घर खरीदारों को समय पर न्याय भी मिल रहा है। हमने शहरों में अधूरे पड़े घरों को पूरा करने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड भी बनाया है।
मिडिल क्लास अपने घर का सपना पूरा कर सके इसके लिए पहली बार घर खरीदने वालों को लाखों रुपए की मदद भी दी जा रही है। उन्हें कम ब्याज़ दरों से भी मदद मिल रही है। हाल ही में मॉडल टेनेंसी एक्ट भी राज्यों को भेजा गया है, और मुझे खुशी है कि यूपी सरकार ने तुरंत ही उसे लागू भी कर दिया है। इस कानून से मकान मालिक और किराएदार, दोनों की बरसों पुरानी दिक्कतें दूर हो रही हैं। इससे किराए का मकान मिलने में आसानी भी होगी और रेंटल प्रॉपर्टी के बाज़ार को बल मिलेगा, अधिक निवेश और रोज़गार के अवसर बनेंगे।
भाइयों और बहनों,
कोरोना के काल में वर्क फ्रॉम होम को लेकर जो नए नियम बनाए गए, उनसे शहरी डिल क्लास का जीवन और आसान हुआ है। रिमोट वर्किंग के आसान होने से कोरोना काल में मिडिल क्लास के साथियों को बहुत राहत मिली है।
भाइयों और बहनों,
अगर आप याद करें तो, 2014 से पहले हमारे शहरों की साफ-सफाई को लेकर अक्सर हम नकारात्मक चर्चाएं ही सुनते थे। गंदगी को शहरी जीवन का स्वभाव मान लिया गया था। साफ-सफाई के प्रति बेरुखी से शहरों की सुंदरता, शहरों में आने वाले टूरिस्ट, पर तो असर पड़ता ही है, शहरों में रहने वालों के स्वास्थ्य पर भी ये बहुत बड़ा संकट है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश स्वच्छ भारत मिशन और अमृत मिशन के तहत बहुत बड़ा अभियान चला रहा है।
बीते वर्षों में शहरों में 60 लाख से ज्यादा निजी टॉयलेट और 6 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालय बने हैं। 7 साल पहले तक जहां सिर्फ 18 प्रतिशत कचरे का ही निष्पादन हो पाता था, वो आज बढ़कर 70 प्रतिशत हो चुका है। यहां यूपी में भी वेस्ट प्रोसेसिंग की बड़ी क्षमता बीते वर्षों में विकसित की गई है। और आज मैंने प्रदर्शनी में देखा, ऐसी अनेक चीजों को वहां रखा गया है और मन को बड़ा सुकून देने वाला दृश्य था। अब स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के तहत शहरों में खड़े कूड़े के पहाड़ों को हटाने का भी अभियान शुरू कर दिया गया है।
साथियों,
शहरों की भव्यता बढ़ाने में एक और अहम भूमिका निभाई है- LED लाइट्स ने। सरकार ने अभियान चलाकर देश में 90 लाख से ज्यादा पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को LED से बदला है। LED स्ट्रीट लाइट लगने से शहरी निकायों के भी हर साल करीब करीब 1 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं। अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में वो शहरी निकाय लगा सकते हैं और लगा रहे हैं। LED ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है। जो LED बल्ब पहले 300 रुपए से भी महंगा आता था, वो सरकार ने उजाला योजना के तहत 50-60 रुपए में दिया है। इस योजना के माध्यम से करीब 37 करोड़ LED बल्ब बांटे गए हैं। इस वजह से गरीब और मध्यम वर्ग की करीब 24 हजार करोड़ रुपए बिजली बिल में बचत हुई है।
साथियों,
21वीं सदी के भारत में, शहरों के कायाकल्प का सबसे प्रमुख तरीका है- टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल। शहरों के विकास से जुड़ी जो संस्थाएं हैं, जो सिटी प्लानर्स हैं, उन्हें अपनी अप्रोच में सर्वोच्च प्राथमिकता टेक्नोलॉजी को देनी होगी।
साथियों,
जब हम गुजरात में छोटे से इलाके में रहते थे और जब भी लखनऊ की बात आती थी तो लोगों के मुंह से निकलता था कि भई लखनऊ में तो कहीं पर जाइए- सुनने को मिलता है- पहले आप, पहले आप, यही बात होती है। आज मजाक में ही सही, हमें टेक्नोलॉजी को भी कहना पड़ेगा- पहले आप ! भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन टेक्नोलॉजी से आया है। देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है। आज देश के शहरों में CCTV कैमरों का जो नेटवर्क बिछ रहा है, टेक्नोलॉजी ही उसे मजबूत कर रही है। देश के 75 शहरों में जो 30 हजार से ज्यादा आधुनिक CCTV कैमरे लगे हैं, उनकी वजह से गुनहगारों को सौ बार सोचना पड़ता है। ये CCTV, अपराधियों को सजा दिलाने में भी काफी मदद कर रहे हैं।
साथियों,
आज भारत के शहरों में हर रोज जो हजारों टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है, Process हो रहा है, सड़कों के निर्माण में लग रहा है, वो भी टेक्नोलॉजी की ही वजह से है। waste में से वेल्थ अनेक प्रोजेक्ट मैंने आज प्रदर्शनी में देखे हैं। हर किसी को प्रेरणा देने वाले प्रयोग हैं बड़ा बारीकी से देखने जैसा है।
साथियो,
आज देशभर में जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं, आधुनिक टेक्नोलॉजी उनकी क्षमता और बढ़ा रही है। ये नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, टेक्नोलॉजी की ही तो देन है। आज यहां इस कार्यक्रम में, 75 इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाई गई है। ये भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का ही तो प्रतिबिंब है।
साथियों,
मैंने अभी लाइटहाउस प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ में बन रहे घर को देखा। इन घरों में जो टेक्नॉलॉजी इस्तेमाल हो रही है, उसमें प्लस्तर और पेंट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसमें पहले से तैयार पूरी-पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। इससे घर और तेज़ी से बनेंगे। मुझे विश्वास है कि यहां लखनऊ में देशभर से जो साथी आए हैं, वो इस प्रोजेक्ट से बहुत कुछ सीखकर जाएंगे और अपने शहरों में इनको इंप्लीमेंट करने का प्रयास करेंगे।
साथियों,
टेक्नोलॉजी कैसे गरीब का जीवन बदलती है, इसका एक उदाहरण पीएम स्वनिधि योजना भी है। लखनऊ जैसे कई शहरों में तो अनेक प्रकार के बाजारों की परंपरा रही है। कहीं बुध बाजार लगता है, कहीं गुरु बाजार लगता है, कहीं शनि बाजार लगता है, और इन बाजारों की रौनक हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन ही बढ़ाते हैं। हमारे इन भाई-बहनों के लिए भी अब टेक्नोलॉजी एक साथी बनकर आई है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को, स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से जोड़ा जा रहा है। इस योजना के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा साथियों को 2500 करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई है। इसमें भी यूपी के 7 लाख से ज्यादा साथियों ने स्वनिधि योजना का लाभ लिया है। अब उनकी बैंकिंग हिस्ट्री बन रही है और वो ज्यादा से ज्यादा डिजिटल लेन-देन भी कर रहे हैं।
मुझे खुशी इस बात की भी है कि स्वनिधि योजना का सबसे ज्यादा लाभ पहुंचाने वाले पूरे देश के टॉप तीन शहरों में 2 हमारे उत्तर प्रदेश के ही हैं। पूरे देश में नंबर वन है लखनऊ, और नंबर टू पर है कानपुर। कोरोना के इस समय में, ये बहुत बड़ी मदद है। मैं योगी जी की सरकार की इसके लिए सराहना करता हूं।
साथियों,
आज जब मैं हमारे रेहड़ी-पटरी वाले साथियों द्वारा डिजिटल लेन-देन की बात कर रहा हूं, तो मुझे ये भी याद आ रहा है कि पहले कैसे इसका मजाक उड़ाया जाता था। कहा जाता था कि ये कम पढ़े-लिखे लोग कैसे डिजिटल लेन-देन कर पाएंगे। लेकिन स्वनिधि योजना से जुड़े रेहड़ी-पटरी वाले, अब तक 7 करोड़ से ज्यादा बार डिजिटल लेन-देन कर चुके हैं। अब ये थोक व्यापारियों से भी कुछ खरीदने जाते हैं तो डिजिटल पेमेंट ही करते हैं। आज ऐसे ही साथियों की वजह से भारत डिजिटल पेमेंट में नए रिकॉर्ड बना रहा है। जुलाई, अगस्त, सितंबर यानि पिछले तीन महीने में, हर महीने 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का डिजिटल लेन-देन हुआ है। यानि बैंकों में लोगों का आना-जाना उतना ही कम हो रहा है। ये बदलते हुए भारत और टेक्नोलॉजी के अपनाते भारत की ताकत को दिखाता है।
साथियों,
बीते वर्षों में भारत में ट्रैफिक की समस्या और प्रदूषण की चुनौती, दोनों पर होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम हुआ है। मेट्रो भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। आज भारत मेट्रो सेवा का देश भर के बड़े शहरों में तेजी से विस्तार कर रहा है। 2014 में जहां 250 किलोमीटर से कम रूट पर मेट्रो चलती थी, वहीं आज लगभग साढ़े 7 सौ किलोमीटर में मेट्रो दौड़ रही है। और मुझे आज अफसर बता रहे थे एक हजार पचास किलोमीटर पर काम चल रहा है। यूपी के भी 6 शहरों में आज मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। 100 से ज्यादा शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का लक्ष्य हो या फिर उड़ान योजना, ये भी शहरी विकास को गति दे रही हैं। 21वीं सदी का भारत, अब मल्टी मोडल कनेक्टिविटी की ताकत के साथ आगे बढ़ेगा और इसकी भी तैयारी बहुत तेजी से चल रही है।
और साथियों,
शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के इन सारे प्रोजेक्ट्स का सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव है- रोजगार निर्माण शहरों में चाहे मेट्रो का काम हो, घरों का निर्माण हो, बिजली-पानी का काम हो, ये बहुत बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर बनाते हैं। एक्सपर्ट्स इन्हें फोर्स-मल्टीप्लायर मानते हैं। इसलिए हमें इन परियोजनाओं की गति को बनाए रखना है।
भाइयों और बहनों,
उत्तर प्रदेश में तो पूरे भारत की, भारतीय संस्कृति की प्राणवायु समाई है। ये प्रभु श्रीराम की भूमि है, श्रीकृष्ण की भूमि है, भगवान बुद्ध की भूमि है। यूपी की समद्ध विरासत को संजोना संवारना, शहरों को आधुनिक बनाना हमारी जिम्मेदारी है। 2017 के पहले के यूपी और बाद के यूपी का अंतर उत्तर प्रदेश के लोग भी अच्छी जानते हैं। पहले बिजली यूपी में आती कम थी, जाती ज्यादा थी, और आती भी थी तो वहां आती थी जहां नेता चाहते थे। बिजली सुविधा नहीं सियासत का टूल थी, सड़क सिर्फ तब बनती थी जब सिफारिश हो, पानी की स्थिति तो आप सभी को पता है।
अब बिजली सबको, सब जगह, एक समान मिल रही है। अब गरीब के घर में भी बिजली आती है। गांव की सड़क किसी सिफारिश की मोहताज नहीं है। यानि शहरी विकास के लिए जिस इच्छाशक्ति की जरूरत है, वो भी आज यूपी में मौजूद है।
मुझे विश्वास है, आज यूपी की जिन परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है, वो योगी जी के नेतृत्व में, तेजी से पूरी की जाएंगी।
एक बार फिर आप सभी को विकास परियोजनाओं की बहुत बहुत बधाई।
बहुत-बहुत धन्यवाद !