प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 75,000 लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत निर्मित घरों की चाबियां सौंपी
स्मार्ट सिटी मिशन एवं अमृत के तहत उत्तर प्रदेश की 75 शहरी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन/शिलान्यास किया
फेम (एफएएमई)-II के तहत लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी और गाजियाबाद के लिए 75 बसों को झंडी दिखाकर रवाना किया
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू), लखनऊ में श्री अटल बिहारी वाजपेयी पीठ की स्थापना की घोषणा की
आगरा, कानपुर और ललितपुर के तीन लाभार्थियों के साथ एक अनौपचारिक और स्वतः स्फूर्त बातचीत की
“पीएमएवाई के तहत शहरों में 1.13 करोड़ से अधिक आवास इकाइयों का निर्माण किया गया है और इनमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है”
“प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में करीब 3 करोड़ घर बने हैं, आप उनकी कीमत का अंदाजा लगा सकते हैं; ये लोग ‘लखपति’बन गए हैं”
"आज, हमें 'पहले आप' कहना होगा, यानी - प्रौद्योगिकी पहले"
“एलईडी स्ट्रीट लाइट लगने से शहरी निकायों के भी हर साल करीब 1 हज़ार करोड़ रुपये बच रहे हैं”

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी और लखनऊ के ही सांसद, हमारे वरिष्ट साथी, श्रीमान राजनाथ सिंह जी, श्री हरदीप सिंह पुरी जी, महेंद्र नाथ पांडे जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी, श्री दिनेश शर्मा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान कौशल किशोर जी, राज्य सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक गण, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए सभी आदरणीय मंत्रीगण, अन्य सभी महानुभाव और उत्तर प्रदेश के मेरे प्रिय बहनों और भाइयों !

लखनऊ आता हूं तो अवध के इस क्षेत्र का इतिहास, मलिहाबादी दशहरी जैसी मीठी बोली, खान-पान, कुशल कारीगरी, आर्ट-आर्किटेक्चर सब कुछ सामने दिखने लगता है। मुझे अच्छा लगा कि तीन दिनों तक लखनऊ में न्यू अर्बन इंडिया यानि भारत के शहरों के नए स्वरूप पर देशभर के एक्सपर्ट्स एकत्र आ करके मंथन करने वाले हैं। यहां जो प्रदर्शनी लगी है, वो आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में 75 साल की उपलब्धियां और देश के नए संकल्पों को भलीभांति प्रदर्शित करती है। मैंने अनुभव किया है पिछले दिनों जब डिफेंस का कार्यक्रम किया था और उस समय जो प्रदर्शनी लगी थी, सिर्फ लखनऊ में ही नहीं पूरा उत्‍तर प्रदेश उसे देखने क लिए पहुंचा था। मैं इस बार भी आग्रह करूंगा कि ये जो प्रदर्शनी लगी है, यहां के नागरिकों से मेरा आग्रह है आप जरूर देखें। हम सब मिल करके देश को कहां से कहां ले जा सकते हैं, हमारे विश्‍वास को जगाने वाली यह अच्‍छी प्रदर्शनी है, आपको जरूर देखनी चाहिए।

आज यूपी के शहरों के विकास से जुड़े 75 प्रोजेक्ट्स विकास के, उनका भी शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। आज ही यूपी के 75 जिलों में 75 हज़ार लाभार्थियों को उनके अपने पक्के घर की चाबियां मिली हैं। ये सभी साथी इस वर्ष दशहरा, दीवाली, छठ, गुरू पूरब, ईद-ए-मिलाद, आने वाले अनेकों उत्सव, अपने नए घर में ही मनाएंगे। अभी कुछ लोगों से बात करके मुझे बहुत संतोष मिला है। और भोजन का निमंत्रण भी मिलगाया है। मुझे इस बात की भी खुशी होती है कि देश में पीएम आवास योजना के तहत जो घर दिए जा रहे हैं, उनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों पर मालिकाना हक महिलाओं का है या फिर वो ज्वाइंट ओनर हैं।

और मुझे ये भी बताया गया है कि यूपी सरकार ने भी महिलाओं के घरों से जुड़ा एक अच्छा फैसला लिया है। 10 लाख रुपए तक की राशि के घरों की रजिस्ट्री कराने पर स्टैंप ड्यूटी में महिलाओं को 2 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है। ये बहुत प्रशंसनीय निर्णय है। लेकिन साथ में हम जब ये बात करते हैं महिलाओं को ये उनके नाम मिल्कियत होगी तो उतना हमारे मन में रजिस्टर्ड नहीं होता है। लेकिन मैं बस थोड़ा आपको उस दुनिया में ले जाता हूं आपको अंदाज होगा कि ये निर्णय कितना महत्‍वपूर्ण है।

आप देखिए, किसी भी परिवार में जाइए अच्‍छा है, गलत है ये मैं नहीं कह रहा। मैं सिर्फ स्थिति का बयान कर रहा हूं। अगर मकान है तो पति के नाम पर, खेत है तो पति के नाम पर, गाड़ी है तो पति के नाम पर, स्‍कूटर है तो पति के नाम पर। दुकान है तो पति के नाम पर और अगर पति नहीं रहा तो बेटे के नाम पर, लेकिन उस मां के नाम पर कुछ नहीं होता है, उस महिला के नाम पर कुछ भी नहीं होता है। एक स्‍वस्‍थ समाज के लिए संतुलन बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ते हैं और इसलिए हमने तय किया है कि सरकार जो आवास देगी उसका मालिकाना हक महिला को दिया जाएगा।

साथियों,

आज लखनऊ के लिए एक और बधाई का अवसर है। लखनऊ ने अटल जी के रूप में एक विजनरी, मां भारती के लिए समर्पित राष्ट्रनायक देश को दिया है। आज उनकी स्मृति में, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में अटल बिहारी वाजपेयी चेयर स्थापित की जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये चेयर अटल जी के विजन, उनके एक्शन, राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को विश्व पटल पर लाएगी। जैसे भारत की 75 साल की विदेश नीति में अनेक मोड़ आए, लेकिन अटल जी ने उसे नई दिशा दी। देश की कनेक्टिविटी, लोगों की कनेक्टिविटी के लिए उनके प्रयास, आज के भारत की मजबूत नींव हैं। आप सोचिए, एक तरफ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और दूसरी तरफ स्‍वर्णिम चतुष्‍कर- नॉर्थ-ईस्‍ट, ईस्‍ट–वेस्‍ट और नॉर्थ-साऊथ-ईस्‍ट-वेस्‍ट कॉरिडोर यानी दोनों तरफ एक साथ दृष्टि और दोनों तरफ विकास का प्रयास।

साथियों,

वर्षों पहले जब अटल जी ने नेशनल हाईवे के माध्यम से देश के महानगरों को जोड़ने का विचार रखा था तो कुछ लोगों को यकीन ही नहीं होता था कि ऐसा संभव है। 6-7 साल पहले जब मैंने, गरीबों के लिए करोड़ों पक्के घर, करोड़ों शौचालय, तेज़ी से चलने वाली रेल, शहरों में पाइप से गैस, ऑप्टिकल फाइबर जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बात की, तब भी आदतन कुछ लोग यही सोचते थे कि इतना सब कुछ कैसे हो पाएगा। लेकिन आज इन अभियानों में भारत की सफलता, दुनिया देख रही है। भारत आज पीएम आवास योजना के तहत जितने पक्के घर बना रहा है, वो दुनिया के अनेक देशों की कुल आबादी से भी अधिक है।

एक समय था जब घर की स्वीकृति से लेकर उसको ज़मीन पर उतरने में ही बरसों लग जाते थे। जो घर बनते भी थे, वो शायद रहने लायक थे कि नहीं ये सवालिया निशान जरूर पूछे जाते थे। घरों की साइज छोटी, कंस्ट्रक्शन मटीरियल खराब, अलॉटमेंट में हेरा-फेरी, यही सब मेरे गरीब भाइयों और बहनों का भाग्य बना दिया गया था। 2014 में देश ने हमें सेवा करने का अवसर दिया और मैं उत्‍तर प्रदेश का विशेष रूप से आभारी हूं कि आपने मुझे देश की संसद में पहुंचाया है। और जब आपने हमें दायित्‍व दिया तो हमने अपना दायित्व निभाने की ईमानदार कोशिश की है।

साथियों,

2014 से पहले जो सरकार थी, उसने देश में शहरी आवास योजनाओं के तहत सिर्फ 13 लाख मकान ही मंजूर किए गए थे। आंकड़ा याद रहेगा? पुरानी सरकार ने 13 लाख आवास, इसमें भी सिर्फ 8 लाख मकान ही बनाए गए थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत शहरों में 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण की मंजूरी दी है। कहां 13 लाख और कहां 1 करोड़ 13 लाख? इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है।

साथियों,

ईंट-पत्थर जोड़कर इमारत तो बन सकती है, लेकिन उसे घर नहीं कह सकते। लेकिन वो घर तब बनता है, जब उसमें परिवार के हर सदस्य का सपना जुड़ा हो, अपनापन हो, परिवार के सदस्य जी जान से एक लक्ष्य के लिए जुटे हुए हों तब इमारत घर बन जाती है।

साथियों,

हमने घरों के डिजायन से लेकर घरों के निर्माण तक की पूरी आज़ादी लाभार्थियों को सौंप दी। उनको मर्जी पड़े जैसा मकान बनाएं। दिल्‍ली में एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर कोई ये तय नहीं कर सकता कि खिड़की इधर होगी या उधर होगी। 2014 के पहले सरकारी योजनाओं के घर किस साइज के बनेंगे, इसकी कोई स्पष्ट नीति ही नहीं थी। कहीं 15 स्कवेयर मीटर के मकान बनते थे, तो कहीं 17 स्कवेयर मीटर के। इतने छोटी जमीन पर जो निर्माण होता था, उसमें रहना भी मुश्किल था।

2014 के बाद हमारी सरकार ने घरों की साइज को लेकर भी स्पष्ट नीति बनाई। हमने ये तय किया कि 22 स्कवेयर मीटर से छोटा कोई घर नहीं बनेगा। हमने घर का साइज़ भी बढ़ाने के साथ ही पैसा सीधा लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजना शुरु किया। गरीबों के बैंक खातों में घर बनाने के लिए भेजी ये राशि कितनी है, इसकी चर्चा बहुत कम हुई है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि पीएम आवास योजना- शहरी के तहत केंद्र सरकार ने करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए, गरीबों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए हैं।

साथियों,

हमारे यहां कुछ महानुभाव कहते रहते हैं कि मोदी को हमने प्रधानमंत्री तो बना दिया, मोदी ने किया क्‍या है? आज पहली बार मैं ऐसी बात बताना चाहता हूं जिसके बाद बड़े-बड़े विरोधी, जो दिन रात हमारा विरोध करने में ही अपनी ऊर्जा खपाते हैं, वो मेरा ये भाषण सुनने के बाद टूट पड़ने वाले हैं, मुझे पता है। फिर भी मुझे लगता है मुझे बताना चाहिए।

मेरे जो साथी, जो मेरे परिवार जन हैं, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, जिनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को इस कार्यकाल में एक ही योजना से लखपति बनने का अवसर मिल गया है। इस देश में मोटा-मोटा अंदाज करें तो 25-30 करोड़ परिवार, उसमें से इतने छोटे से कार्यकाल में 3 करोड़ गरीब परिवार लखपति बनना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। अब आप कहेंगे मोदी इतना बड़ा क्‍लेम कर रहे हैं कैसे करेंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में जो करीब-करीब 3 करोड़ घर बने हैं, आप उनकी कीमत का अंदाजा लगा लीजिए। ये लोग अब लखपति हैं। 3 करोड़ पक्के घर बनाकर हमने गरीब परिवारों का सबसे बड़ा सपना पूरा किया है।

साथियों,

मुझे वो दिन भी याद आते हैं जब तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश, घरों के निर्माण में आगे नहीं बढ़ रहा था। आज लखनऊ में हूं तो मुझे लगता है जरा विस्तार से ये बात बतानी चाहिए! बतानी चाहिए ना, आप तैयार हैं? हमारी अर्बन प्लानिंग कैसे राजनीति का शिकार हो जाती है, ये समझने के लिए भी यूपी के लोगों को ये जानना जरूरी है।

साथियों,

गरीबों के लिए घर बनाने का पैसा केंद्र सरकार दे रही थी, बावजूद इसके, 2017 से पहले, योगीजी के आने से पहले की बात कर रहा हूं, 2017 से पहले यूपी में जो सरकार थी, वो गरीबों के लिए घर बनवाना ही नहीं चाहती थी। गरीबों के लिए घर बनवाओ, इसके लिए हमें पहले जो यहां सरकार में थे उनसे मिन्नतें करनी पड़ती थीं। 2017 से पहले पीएम आवास योजना के तहत यूपी के लिए 18 हजार घरों की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन जो सरकार यहां थी, उसने गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत 18 घर भी बनाकर नहीं दिए।

आप कल्पना कर सकते हैं। 18 हजार घरों की स्‍वीकृति और 18 घर भी न बनें, मेरे देश के भाइयो-बहनों ये चीजें आपको सोचनी चाहिए। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि 18 हजार घरों मंजूरी थी लेकिन उन लोगों ने गरीब के लिए 18 घर भी नहीं बनाए। पैसा था, घरों को स्वीकृति थी लेकिन तब जो यूपी को चला रहे थे, वो इसमें लगातार अड़ंगा डाल रहे थे। उनका ये कृत्य यूपी के लोग, यूपी के गरीब कभी नहीं भूल सकते हैं।

साथियों,

मुझे संतुष्टि है कि योगी जी की सरकार आने के बाद यूपी में शहरी गरीबों को 9 लाख घर बनाकर दिए गए हैं। शहर में रहने वाले हमारे गरीब भाई-बहनों के लिए अब यूपी में 14 लाख घर निर्माण के अलग-अलग चरणों में हैं। अब घर में बिजली, पानी, गैस, शौचालय जैसी सुविधाएं भी मिल रही हैं, तो गृह प्रवेश भी पूरी खुशी के साथ, आन-बान के साथ हो रहा है।

लेकिन मैं जब उत्‍तर प्रदेश आया हूं तो कुछ होमवर्क भी देने का मन करता है। दे दूं? लेकिन आपको करना पड़ेगा, करेंगे? पक्‍का? देखिए मैंने अखबार में पढ़ा है और साथ ही योगी जी से भी शायद मैं पूछ रहा था। इस बार दीपावली में अयोध्‍या में कहते हैं साढ़े सात लाख दीए का कार्यक्रम होगा। मैं उत्‍तर प्रदेश को कहता हूं कि रोशनी के लिए स्‍पर्धा में मैदान में आएं। देखें अयोध्‍या ज्‍यादा दीए जलाता है कि ये जो 9 लाख घर दिए गए हैं, वे 9 लाख घर 18 लाख दीए जला करके दिखाएं। हो सकता है क्‍या? जिन परिवारो को, ये 9 लाख परिवार जिनको घर मिले हैं पिछले सात साल में, वे दो-दो दीए अपने घर के बाहर जलाएं। अयोध्‍या में साढ़े सात लाख दीए जलेंगे मेरे गरीब परिवारों के घर में 18 लाख दीए जलेंगे। भगवान राम जी को खुशी होगी।

भाइयों और बहनों,

बीते दशकों में हमारे शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें जरूर बनीं लेकिन जो अपने श्रम से इन इमारतों का निर्माण करते हैं, उनके हिस्से में झुग्गियों का ही जीवन आता रहा है। झुग्गियों की स्थिति ऐसी जहां पानी और शौचालय जैसी मूल सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। झुग्गी में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को अब पक्के घर बनाने से बहुत मदद मिल रही है। गांव से शहर काम के लिए आने वाले श्रमिकों को उचित किराए पर बेहतर रिहाइश मिले, इसके लिए सरकार ने योजना शुरू की है।

साथियों,

शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने का हमारी सरकार ने बहुत गंभीर प्रयास किया है। Real Estate Regulatory Authority यानि रेरा कानून ऐसा ही एक बड़ा कदम रहा है। इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है। इस कानून के बनने से घर खरीदारों को समय पर न्याय भी मिल रहा है। हमने शहरों में अधूरे पड़े घरों को पूरा करने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड भी बनाया है।

मिडिल क्लास अपने घर का सपना पूरा कर सके इसके लिए पहली बार घर खरीदने वालों को लाखों रुपए की मदद भी दी जा रही है। उन्हें कम ब्याज़ दरों से भी मदद मिल रही है। हाल ही में मॉडल टेनेंसी एक्ट भी राज्यों को भेजा गया है, और मुझे खुशी है कि यूपी सरकार ने तुरंत ही उसे लागू भी कर दिया है। इस कानून से मकान मालिक और किराएदार, दोनों की बरसों पुरानी दिक्कतें दूर हो रही हैं। इससे किराए का मकान मिलने में आसानी भी होगी और रेंटल प्रॉपर्टी के बाज़ार को बल मिलेगा, अधिक निवेश और रोज़गार के अवसर बनेंगे।

भाइयों और बहनों,

कोरोना के काल में वर्क फ्रॉम होम को लेकर जो नए नियम बनाए गए, उनसे शहरी डिल क्लास का जीवन और आसान हुआ है। रिमोट वर्किंग के आसान होने से कोरोना काल में मिडिल क्लास के साथियों को बहुत राहत मिली है।

भाइयों और बहनों,

अगर आप याद करें तो, 2014 से पहले हमारे शहरों की साफ-सफाई को लेकर अक्सर हम नकारात्मक चर्चाएं ही सुनते थे। गंदगी को शहरी जीवन का स्वभाव मान लिया गया था। साफ-सफाई के प्रति बेरुखी से शहरों की सुंदरता, शहरों में आने वाले टूरिस्ट, पर तो असर पड़ता ही है, शहरों में रहने वालों के स्वास्थ्य पर भी ये बहुत बड़ा संकट है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश स्वच्छ भारत मिशन और अमृत मिशन के तहत बहुत बड़ा अभियान चला रहा है।

बीते वर्षों में शहरों में 60 लाख से ज्यादा निजी टॉयलेट और 6 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालय बने हैं। 7 साल पहले तक जहां सिर्फ 18 प्रतिशत कचरे का ही निष्पादन हो पाता था, वो आज बढ़कर 70 प्रतिशत हो चुका है। यहां यूपी में भी वेस्ट प्रोसेसिंग की बड़ी क्षमता बीते वर्षों में विकसित की गई है। और आज मैंने प्रदर्शनी में देखा, ऐसी अनेक चीजों को वहां रखा गया है और मन को बड़ा सुकून देने वाला दृश्‍य था। अब स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के तहत शहरों में खड़े कूड़े के पहाड़ों को हटाने का भी अभियान शुरू कर दिया गया है।

साथियों,

शहरों की भव्यता बढ़ाने में एक और अहम भूमिका निभाई है- LED लाइट्स ने। सरकार ने अभियान चलाकर देश में 90 लाख से ज्यादा पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को LED से बदला है। LED स्ट्रीट लाइट लगने से शहरी निकायों के भी हर साल करीब करीब 1 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं। अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में वो शहरी निकाय लगा सकते हैं और लगा रहे हैं। LED ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है। जो LED बल्ब पहले 300 रुपए से भी महंगा आता था, वो सरकार ने उजाला योजना के तहत 50-60 रुपए में दिया है। इस योजना के माध्यम से करीब 37 करोड़ LED बल्ब बांटे गए हैं। इस वजह से गरीब और मध्यम वर्ग की करीब 24 हजार करोड़ रुपए बिजली बिल में बचत हुई है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत में, शहरों के कायाकल्प का सबसे प्रमुख तरीका है- टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल। शहरों के विकास से जुड़ी जो संस्थाएं हैं, जो सिटी प्लानर्स हैं, उन्हें अपनी अप्रोच में सर्वोच्च प्राथमिकता टेक्नोलॉजी को देनी होगी।

साथियों,

जब हम गुजरात में छोटे से इलाके में रहते थे और जब भी लखनऊ की बात आती थी तो लोगों के मुंह से निकलता था कि भई लखनऊ में तो कहीं पर जाइए- सुनने को मिलता है- पहले आप, पहले आप, यही बात होती है। आज मजाक में ही सही, हमें टेक्नोलॉजी को भी कहना पड़ेगा- पहले आप ! भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन टेक्नोलॉजी से आया है। देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है। आज देश के शहरों में CCTV कैमरों का जो नेटवर्क बिछ रहा है, टेक्नोलॉजी ही उसे मजबूत कर रही है। देश के 75 शहरों में जो 30 हजार से ज्यादा आधुनिक CCTV कैमरे लगे हैं, उनकी वजह से गुनहगारों को सौ बार सोचना पड़ता है। ये CCTV, अपराधियों को सजा दिलाने में भी काफी मदद कर रहे हैं।

साथियों,

आज भारत के शहरों में हर रोज जो हजारों टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है, Process हो रहा है, सड़कों के निर्माण में लग रहा है, वो भी टेक्नोलॉजी की ही वजह से है। waste में से वेल्थ अनेक प्रोजेक्‍ट मैंने आज प्रदर्शनी में देखे हैं। हर किसी को प्रेरणा देने वाले प्रयोग हैं बड़ा बारीकी से देखने जैसा है।

 

 

 

 

 

 

 

साथियो,

आज देशभर में जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं, आधुनिक टेक्नोलॉजी उनकी क्षमता और बढ़ा रही है। ये नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, टेक्नोलॉजी की ही तो देन है। आज यहां इस कार्यक्रम में, 75 इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाई गई है। ये भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का ही तो प्रतिबिंब है।

साथियों,

मैंने अभी लाइटहाउस प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ में बन रहे घर को देखा। इन घरों में जो टेक्नॉलॉजी इस्तेमाल हो रही है, उसमें प्लस्तर और पेंट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसमें पहले से तैयार पूरी-पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। इससे घर और तेज़ी से बनेंगे। मुझे विश्वास है कि यहां लखनऊ में देशभर से जो साथी आए हैं, वो इस प्रोजेक्ट से बहुत कुछ सीखकर जाएंगे और अपने शहरों में इनको इंप्लीमेंट करने का प्रयास करेंगे।

 

 

साथियों,

टेक्नोलॉजी कैसे गरीब का जीवन बदलती है, इसका एक उदाहरण पीएम स्वनिधि योजना भी है। लखनऊ जैसे कई शहरों में तो अनेक प्रकार के बाजारों की परंपरा रही है। कहीं बुध बाजार लगता है, कहीं गुरु बाजार लगता है, कहीं शनि बाजार लगता है, और इन बाजारों की रौनक हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन ही बढ़ाते हैं। हमारे इन भाई-बहनों के लिए भी अब टेक्नोलॉजी एक साथी बनकर आई है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को, स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से जोड़ा जा रहा है। इस योजना के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा साथियों को 2500 करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई है। इसमें भी यूपी के 7 लाख से ज्यादा साथियों ने स्वनिधि योजना का लाभ लिया है। अब उनकी बैंकिंग हिस्ट्री बन रही है और वो ज्यादा से ज्यादा डिजिटल लेन-देन भी कर रहे हैं।

मुझे खुशी इस बात की भी है कि स्वनिधि योजना का सबसे ज्यादा लाभ पहुंचाने वाले पूरे देश के टॉप तीन शहरों में 2 हमारे उत्तर प्रदेश के ही हैं। पूरे देश में नंबर वन है लखनऊ, और नंबर टू पर है कानपुर। कोरोना के इस समय में, ये बहुत बड़ी मदद है। मैं योगी जी की सरकार की इसके लिए सराहना करता हूं।

 



 

 

साथियों,

आज जब मैं हमारे रेहड़ी-पटरी वाले साथियों द्वारा डिजिटल लेन-देन की बात कर रहा हूं, तो मुझे ये भी याद आ रहा है कि पहले कैसे इसका मजाक उड़ाया जाता था। कहा जाता था कि ये कम पढ़े-लिखे लोग कैसे डिजिटल लेन-देन कर पाएंगे। लेकिन स्वनिधि योजना से जुड़े रेहड़ी-पटरी वाले, अब तक 7 करोड़ से ज्यादा बार डिजिटल लेन-देन कर चुके हैं। अब ये थोक व्यापारियों से भी कुछ खरीदने जाते हैं तो डिजिटल पेमेंट ही करते हैं। आज ऐसे ही साथियों की वजह से भारत डिजिटल पेमेंट में नए रिकॉर्ड बना रहा है। जुलाई, अगस्त, सितंबर यानि पिछले तीन महीने में, हर महीने 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का डिजिटल लेन-देन हुआ है। यानि बैंकों में लोगों का आना-जाना उतना ही कम हो रहा है। ये बदलते हुए भारत और टेक्नोलॉजी के अपनाते भारत की ताकत को दिखाता है।

साथियों,

बीते वर्षों में भारत में ट्रैफिक की समस्या और प्रदूषण की चुनौती, दोनों पर होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम हुआ है। मेट्रो भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। आज भारत मेट्रो सेवा का देश भर के बड़े शहरों में तेजी से विस्तार कर रहा है। 2014 में जहां 250 किलोमीटर से कम रूट पर मेट्रो चलती थी, वहीं आज लगभग साढ़े 7 सौ किलोमीटर में मेट्रो दौड़ रही है। और मुझे आज अफसर बता रहे थे एक हजार पचास किलोमीटर पर काम चल रहा है। यूपी के भी 6 शहरों में आज मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। 100 से ज्यादा शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का लक्ष्य हो या फिर उड़ान योजना, ये भी शहरी विकास को गति दे रही हैं। 21वीं सदी का भारत, अब मल्टी मोडल कनेक्टिविटी की ताकत के साथ आगे बढ़ेगा और इसकी भी तैयारी बहुत तेजी से चल रही है।

और साथियों,

शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के इन सारे प्रोजेक्ट्स का सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव है- रोजगार निर्माण शहरों में चाहे मेट्रो का काम हो, घरों का निर्माण हो, बिजली-पानी का काम हो, ये बहुत बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर बनाते हैं। एक्सपर्ट्स इन्हें फोर्स-मल्टीप्लायर मानते हैं। इसलिए हमें इन परियोजनाओं की गति को बनाए रखना है।

भाइयों और बहनों,

उत्तर प्रदेश में तो पूरे भारत की, भारतीय संस्कृति की प्राणवायु समाई है। ये प्रभु श्रीराम की भूमि है, श्रीकृष्ण की भूमि है, भगवान बुद्ध की भूमि है। यूपी की समद्ध विरासत को संजोना संवारना, शहरों को आधुनिक बनाना हमारी जिम्मेदारी है। 2017 के पहले के यूपी और बाद के यूपी का अंतर उत्तर प्रदेश के लोग भी अच्छी जानते हैं। पहले बिजली यूपी में आती कम थी, जाती ज्यादा थी, और आती भी थी तो वहां आती थी जहां नेता चाहते थे। बिजली सुविधा नहीं सियासत का टूल थी, सड़क सिर्फ तब बनती थी जब सिफारिश हो, पानी की स्थिति तो आप सभी को पता है।

अब बिजली सबको, सब जगह, एक समान मिल रही है। अब गरीब के घर में भी बिजली आती है। गांव की सड़क किसी सिफारिश की मोहताज नहीं है। यानि शहरी विकास के लिए जिस इच्छाशक्ति की जरूरत है, वो भी आज यूपी में मौजूद है।

मुझे विश्वास है, आज यूपी की जिन परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है, वो योगी जी के नेतृत्व में, तेजी से पूरी की जाएंगी।

एक बार फिर आप सभी को विकास परियोजनाओं की बहुत बहुत बधाई।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
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‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।