Quoteमैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मैं आज रामनाथस्वामी मंदिर में प्रार्थना कर सका: प्रधानमंत्री
Quoteरामेश्वरम के लिए नया पंबन ब्रिज प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ लाता है: प्रधानमंत्री
Quoteआज, पूरे देश में मेगा प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं: प्रधानमंत्री
Quoteभारत का विकास हमारी नीली अर्थव्यवस्था द्वारा महत्वपूर्ण रूप से संचालित होगा और दुनिया इस क्षेत्र में तमिलनाडु की ताकत देख सकती है: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि तमिल भाषा और विरासत दुनिया के हर कोने तक पहुँचे: प्रधानमंत्री

वणक्कम!

एन अंबू तमिल सोंधंगले !

तमिलनाडु के राज्यपाल एन रवि जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, डॉक्टर एल मुरुगन जी, तमिलनाडु सरकार के मंत्री गण, सांसद, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!

नमस्कार !

साथियों,

आज रामनवमी का पावन पर्व है। अब से कुछ समय पूर्व अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला का सूर्य की किरणों ने भव्य तिलक किया है। भगवान श्रीराम का जीवन, उनके राज्य से मिलने वाली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार है और आज रामनवमी है, मेरे साथ बोलिए, जय श्री राम! जय श्री राम! जय श्री राम! तमिलनाडु के संगम कालीन साहित्य में भी श्रीराम के बारे में कहा गया है। मैं रामेश्वरम की इस पवित्र धरती से, समस्त देशवासियों को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

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Friends,

I feel blessed that I could pray at the Ramanathaswamy Temple today. On this special day, I got the opportunity to hand over development projects worth Eight thousand and Three Hundred crore rupees. These rail and road projects will boost connectivity in Tamil Nadu. I congratulate my brothers and sisters in Tamil Nadu for these projects.

Friends,

This is the land of Bharat Ratna Dr. Kalam. His life showed us that science and spirituality complement each other. Similarly, the new Pamban bridge to Rameswaram brings technology and tradition together. A town that is thousands of years old is being connected by a 21st century engineering wonder. I thank our engineers and workers for their hard work. This bridge is India’s first vertical lift railway sea bridge. Big ships will be able to sail under it. Trains will also be able to travel faster on it. I just flagged off a new train service and also a ship a short while ago. Once again, I congratulate the people of Tamil Nadu for this project.

Friends,

For many decades, there was a demand for this bridge. With your blessings, we got the privilege of completing this work. Pamban bridge supports both Ease of Doing Business and Ease of Travel. It will have a positive impact on the lives of the lakhs of people. The new train service will improve the connectivity from Rameswaram to Chennai and other parts of the country. This will benefit both trade and tourism in Tamil Nadu. New job and business opportunities will also be created for the youth.

साथियों,

बीते 10 वर्षों में भारत ने अपनी इकॉनॉमी का साइज़ दोगुना किया है। इतनी तेज ग्रोथ का एक बड़ा कारण हमारा शानदार मॉर्डन इंफ्रास्ट्रक्चर भी है। बीते 10 सालों में हमने रेल, रोड, एयरपोर्ट, पोर्ट, बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट करीब 6 गुणा बढ़ाया है। आज देश में बहुत तेजी से मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है। आप नॉर्थ में देखेंगे, तो जम्मू कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज में से एक, चिनाब ब्रिज बना है। West में जाएंगे, तो मुंबई में देश का सबसे लंबा सी ब्रिज, अटल सेतु बना है। ईस्ट में जाएंगे, तो असम के बोगीबील ब्रिज के दर्शन होंगे। और साउथ में आते हैं, तो दुनिया के गिने-चुने वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज में से एक, पंबन ब्रिज का निर्माण पूरा हुआ है। इसी तरह, ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी तैयार हो रहे हैं। देश की पहली बुलेट ट्रेन पर तेजी से काम चल रहा है। वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें रेल नेटवर्क को और आधुनिक बना रही हैं।

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साथियों,

जब भारत का हर रीजन आपस में कनेक्ट होता है, तो डेवलप्ड नेशन बनाने का रास्ता मजबूत होता है। दुनिया के हर डेवलप्ड नेशन, हर डेवलप्ड रीजन में यही हुआ है। आज जब भारत का हर स्टेट आपस में कनेक्ट हो रहा है, तो पूरे देश का potential सामने आ रहा है। इसका बेनिफिट भी देश के हर रीजन को हो रहा है, हमारे तमिलनाडु को हो रहा है।

साथियों,

विकसित भारत के सफर में तमिलनाडु का बहुत बड़ा रोल है। मैं मानता हूं, तमिलनाडु का सामर्थ्य जितना ज्यादा बढ़ेगा, भारत की ग्रोथ उतनी ही तेज होगी। बीते दशक में तमिलनाडु के विकास के लिए, 2014 से पहले की तुलना में तीन गुणा ज्यादा पैसा सेंटर से दिया गया है। जब INDI Alliance की सरकार थी, DMK उस सरकार में विराजमान थे, तब जितना पैसा मिला, उससे तीन गुना मोदी सरकार ने दिया है। इससे तमिलनाडु की इकोनॉमिक और इंडस्ट्रियल ग्रोथ में बहुत बड़ी मदद मिली है।

साथियों,

तमिलनाडु का इंफ्रास्ट्रक्चर भारत सरकार की priority है। बीते एक दशक में तमिलनाडु का रेलवे बजट, सेवन टाइम्स से ज्यादा increase किया गया है। इसके बावजूद भी कुछ लोगों को बिना कारण रोते रहने की आदत है, वो रोते रहते हैं। 2014 से पहले, रेल प्रोजेक्ट्स के लिए हर साल सिर्फ only nine hundred crore rupees ही मिलते थे और आपको पता है उस समय INDI Alliance के मुख्य कर्ताधर्ता कौन थे, ये आपको पता है। इस वर्ष, तमिलनाडु का रेल बजट, six thousand crore rupees से ज्यादा है। भारत सरकार, यहां के 77 रेलवे स्टेशन्स को मॉडर्न भी बना रही है। इसमें रामेश्वरम का स्टेशन भी शामिल है।

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साथियों,

Last ten years में, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांवों के रोड्स और हाईवेज़ के क्षेत्र में भी बहुत सारा काम हुआ है। 2014 के बाद तमिलनाडु में केंद्र सरकार की मदद से, 4000 किलोमीटर रोड्स बनी हैं। चेन्नई पोर्ट को कनेक्ट करने वाला, elevated corridor, शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बेहतरीन उदाहरण बनेगा। आज भी करीब 8000 crore rupees के रोड प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। ये प्रोजेक्ट्स, तमिलनाडु के अलग अलग डिस्ट्रिक्स के साथ ही, आंध्र प्रदेश के साथ भी कनेक्टिविटी बेहतर करेंगे।

साथियों,

चेन्नई मेट्रो जैसा मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी, तमिलनाडु में ease of travel को बढ़ा रहा है। हमें याद रखना है, जब इतने सारे इंफ्रास्ट्रक्चर का काम होता है, तो इससे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट होती हैं। मेरे नौजवानों को रोजगार के नए अवसर मिलते हैं।

साथियों,

बीते दशक में भारत ने सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी रिकॉर्ड निवेश किया है। मुझे खुशी है कि तमिलनाडु के करोड़ों गरीब परिवारों को इसका बेनिफिट मिल रहा है। बीते 10 साल में 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर, देश भर के गरीब परिवारों को मिले हैं और इसमें, पीएम आवास योजना के तहत twelve lakh से ज्यादा पक्के घर, यहां तमिलनाडु में मेरे गरीब परिवार के भाई-बहनों को मिले हैं। पिछले 10 सालों में गांवों में करीब Twelve करोड़ परिवारों तक पहली बार पाइप से वॉटर, नीर पहुंचाया गया है। इसमें, one crore eleven lakh families, मेरे तमिलनाडु की हैं। इनके घर में पहली बार टैप वॉटर पहुंचा है। इसका बहुत बड़ा लाभ तमिलनाडु की मेरी माताओं-बहनों को मिला है।

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साथियों,

देशवासियों को क्वालिटी और सस्ता इलाज देने से, ये हमारी सरकार की कमिटमेंट है। आप देखिए, आयुष्मान योजना के तहत, तमिलनाडु में वन करोड़ से ज्यादा ट्रीटमेंट्स हो चुके हैं। इससे तमिलनाडु के इन परिवारों के eight thousand crore rupees जो उनकी जेब में से खर्च होना था, वो खर्च बच गया है। मेरे तमिलनाडु के भाई-बहनों के जेब में eight thousand crore rupees, ये बहुत बड़ा आंकड़ा है। तमिलनाडु में fourteen hundred से अधिक, जन-औषधि केंद्र हैं। ये मैं जरा तमिलनाडु का बताता हूं, यहां जन-औषधि केंद्र में eighty percent डिस्काउंट पर दवाएं मिलती हैं। इन सस्ती दवाओं से भी लोगों की जेब में seven hundred crore rupees, मेरे तमिलनाडु भाई-बहनों की जेब seven hundred crore rupees की सेविंग हुई है और इसलिए मैं तमिलनाडु के मेरे भाई-बहनों को कहूंगा, अगर आपको दवाई खरीदनी है, तो जन-औषधि केंद्र से खरीदीए। आपको एक रुपये की चीज 20 पैसे में, 25 पैसे में, 30 पैसे में मिल जाएगी।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि देश के नौजवानों को डॉक्टर बनने के लिए abroad जाने की मजबूरी ना रहे। बीते सालों में तमिलनाडु को 11 नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं।

साथियों,

देशभर में कई राज्यों ने मातृभाषा में डाॅक्‍टरी की शिक्षा आरंभ की है। अब गरीब से गरीब मां का बेटा-बेटी भी जिसने अंग्रेजी नहीं पढ़ी है, वो भी डॉक्टर बन सकते हैं। मैं भी तमिलनाडु सरकार से आग्रह करूंगा कि वो तमिल भाषा में डाॅक्‍टरी के कोर्सेस चालू करें, ताकि गरीब मां के बेटे-बेटी भी डॉक्टर बन सकें।

साथियों,

टैक्स पेयर का दिया हर पैसा, गरीब से गरीब के काम आए, यही गुड गवर्नेंस है। तमिलनाडु के लाखों small farmers को पीएम किसान सम्मान निधि के तहत, लगभग twelve thousand crores rupees दिए गए हैं। तमिलनाडु के farmers को पीएम फसल बीमा स्कीम से भी fourteen thousand eight hundred crore rupees का क्लेम मिला है।

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साथियों,

भारत की ग्रोथ में हमारी ब्लू इकोनॉमी का बहुत बड़ा रोल होने वाला है। इसमें तमिलनाडु की ताकत, दुनिया देख सकती है। तमिलनाडु का हमारा फिशरीज़ से जुड़ा समाज, बहुत मेहनती है। तमिलनाडु के फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए स्टेट को जो भी मदद चाहिए, वो केंद्र सरकार दे रही है। पिछले 5 साल में, पीएम मत्स्य संपदा स्कीम के तहत भी, तमिलनाडु को करोड़ों रुपए मिले हैं। हमारी कोशिश यही है कि मछुआरों को ज्यादा फैसिलिटीज़ मिले, आधुनिक सुविधाएं मिलें। चाहे सीवीड पार्क हो या फिर फिशिंग हार्बर और लेंडिंग सेंटर हों, केंद्र सरकार यहां सैकड़ों करोड़ रुपए इन्वेस्ट कर रही है। हमें आपकी रक्षा-सुरक्षा की भी चिंता है। भारत सरकार फिशरमेन के हर संकट में उनके साथ खड़ी है। भारत सरकार के प्रयासों से बीते 10 साल में Three Thousand Seven Hundred से ज्यादा फिशरमेन श्रीलंका से वापस लौटे हैं। इनमें से Six Hundred से अधिक फिशरमेन तो पिछले एक साल में फ्री हुए हैं और आपको याद होगा, कुछ हमारे मछुआरे साथियों को फांसी की सजा हुई थी, उनको भी हम जिंदा भारत लौटकर के लाकर के उनके परिवार को सुपुर्द किया है।

साथियों,

आज दुनिया में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है। लोग भारत को जानना चाहते हैं, भारत को समझना चाहते हैं। इसमें भारत के कल्चर का, हमारी सॉफ्ट पावर का भी बड़ा रोल है। Tamil language और हैरीटेज, दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचे, इसके लिए भी सरकार लगातार कोशिश कर रही है। मैं तो कभी-कभी हैरान हो जाता हूं, तमिलनाडु के कुछ नेताओं की चिट्ठीयां जब मेरे पास आती हैं, कभी भी कोई नेता तमिल भाषी में सिग्नेचर नहीं करता है, अरे तमिल का गौरव हो, मैं सबसे कहूंगा कम से कम तमिल भाषा में अपने सिग्नेचर तो करो। मैं मानता हूं कि ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी में इस ग्रेट ट्रेडिशन को हमें और आगे ले जाना है। मुझे विश्वास है कि रामेश्वरम और तमिलनाडु की ये धरती, हमें ऐसे ही निरंतर नई ऊर्जा देती रहेगी, नई प्रेरणा देती रहेगी। और आज भी देखिए कितना सुपर संयोग है, रामनवमी का पवित्र दिवस है, रामेश्वरम की धरती है और यहां पर जिस पंबन ब्रिज का आज उद्घाटन हुआ, सौ साल पहले जो पुराना ब्रिज था, उसको बनाने वाला व्यक्ति गुजरात में जन्म लिया था और आज सौ साल के बाद, उसका नया ब्रिज बनाने का उद्घाटन करने के बाद भी उस व्यक्ति को मिला है, वो भी गुजरात में पैदा हुआ है।

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साथियों,

आज जब रामनवमी है, रामेश्वर की पवित्र भूमि है, तब मेरे लिए कुछ भावुक पल भी है। आज भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है। सशक्त, समृद्ध और विकसित भारत के जिस लक्ष्य को लेकर हम चल रहे हैं, उसमें बीजेपी के हर एक कार्यकर्ता का परिश्रम है। तीन-तीन, चार-चार पीढ़ियां, मां भारती की जय-जयकार के लिए खप गई हैं। मेरे मिल गर्व की बात है कि भारतीय जनता पार्टी के उस विचार ने, भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के परिश्रम ने आज हमें देश की सेवा करने का अवसर दिया है। आज देश के लोग बीजेपी सरकारों की गुड गवर्नेंस देख रहे हैं, राष्ट्रहित में लिए जा रहे, वो निर्णय देख रहे हैं और हर हिंदुस्तानी का सीना चौड़ा हो रहा है। देश के हर राज्य, हर कोने में जिस तरह बीजेपी के कार्यकर्ता जमीन से जुड़कर कार्य करते हैं, गरीबों की सेवा करते हैं, वो देखकर मुझे गर्व होता है। मैं भारतीय जनता पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं, मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं। एक बार फिर आप सभी को तमिलनाडु के इन सभी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

नंडरि! वणक्कम! मीनडुम संधिप्पोम!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

  • Gaurav munday May 24, 2025

    🌁
  • ram Sagar pandey May 18, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐जय श्रीराम 🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माता दी 🚩🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹ॐनमः शिवाय 🙏🌹🙏जय कामतानाथ की 🙏🌹🙏
  • Jitendra Kumar May 17, 2025

    🙏🙏🙏
  • Dalbir Chopra EX Jila Vistark BJP May 13, 2025

    ओऐ
  • Yogendra Nath Pandey Lucknow Uttar vidhansabha May 11, 2025

    Jay shree Ram
  • ram Sagar pandey May 11, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐जय माता दी 🚩🙏🙏जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय श्रीराम 🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माता दी 🚩🙏🙏
  • Kukho10 May 03, 2025

    PM MODI DESERVE THE BESTEST LEADER IN INDIA!
  • Rajni May 01, 2025

    जय श्री राम 🙏🙏
  • ram Sagar pandey April 28, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐जय श्रीराम 🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹ॐनमः शिवाय 🙏🌹🙏जय कामतानाथ की 🙏🌹🙏
  • கார்த்திக் April 27, 2025

    Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🚩Jai Shree Ram🙏🏼
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अर्बन एरिया हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमी का ग्रोथ सेंटर बनाना होगा: गांधीनगर में पीएम मोदी
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Quoteआतंकवादी गतिविधियां अब छद्म युद्ध नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति हैं, इसलिए उनके जवाब भी उसी तरह दिये जाएंगे: प्रधानमंत्री
Quoteहम 'वसुधैव कुटुम्बकम' में विश्वास करते हैं, हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते, हम प्रगति करना चाहते हैं ताकि हम वैश्विक कल्याण में भी योगदान दे सकें: प्रधानमंत्री
Quoteभारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है, कोई समझौता नहीं, हम आजादी के 100 साल का उत्सव इस तरह मनाएंगे कि पूरी दुनिया 'विकसित भारत' की जय-जयकार करेगी: प्रधानमंत्री
Quoteशहरी क्षेत्र हमारे विकास केंद्र हैं, हमें शहरी निकायों को अर्थव्यवस्था के विकास का केंद्र बनाना होगा: प्रधानमंत्री
Quoteआज हमारे पास लगभग दो लाख स्टार्ट-अप हैं, उनमें से अधिकांश टियर 2-टियर 3 शहरों में हैं और हमारी बेटियों द्वारा उनका नेतृत्व किया जा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteहमारे देश में एक बड़ा बदलाव लाने की अपार क्षमता है, ऑपरेशन सिंदूर अब 140 करोड़ नागरिकों की जिम्मेदारी है: प्रधानमंत्री
Quoteहमें अपने ब्रांड "मेड इन इंडिया" पर गर्व होना चाहिए: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!