आज मुझे संतोष है कि भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया: प्रधानमंत्री मोदी
21वीं सदी के भारत से पूरी दुनिया को बहुत अपेक्षाएं हैं: पीएम मोदी
भारत का सामर्थ्य है कि कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है हमारी इस जिम्मेदारी को भी हमारी शिक्षा नीति संबोधित करती है: प्रधानमंत्री

नमस्कार! मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्रीमान रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्रीमान संजय धोत्रे जी, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के जाने- माने वैज्ञानिक डॉ कस्तूरी रंगन जी और उनकी टीम, इस सम्मलेन में भाग ले रहे वाइस चांसलर्स, अन्य सभी शिक्षाविद, सभी महानुभाव, आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन।

National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आज का ये event बहुत महत्वपूर्ण है। इस कॉन्क्लेव से भारत के Education World को National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। जितनी ज्यादा जानकारी स्पष्ट होगी फिर उतना ही आसान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का Implementation भी होगा।

साथियों, 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है। आज देश-भर में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है। अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचार-धाराओं के लोग, अपने views दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को Review कर रहे हैं। ये एक Healthy Debate है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। ये भी खुशी की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का Bias है, या किसी एक ओर झुकी हुई है। ये एक Indicator भी है कि लोग बरसों से चली आ रहे एजुकेशन सिस्टम में जो बदलाव चाहते थे, वो उन्हें देखने को मिले हैं।

वैसे, कुछ लोगों के मन में ये सवाल आना स्वभाविक है कि इतना बड़ा Reform कागजों पर तो कर दिया गया, लेकिन इसे जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। यानि अब सब की निगाहें इसके Implementation की तरफ हैं। इस चैलेंज को देखते हुए, व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की आवश्यकता है, वो हमें सबको मिलकर ही करना है और करना ही है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के implementation से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है। जहां तक Political Will की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं।

साथियों, हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी National Values के साथ जोड़ते हुए, अपने National Goals के अनुसार Reform करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश का Education System, अपनी वर्तमान औऱ आने वाली पीढ़ियों को Future Ready रखे, Future Ready करे। भारत की National Educational Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की Foundation तैयार करने वाली है। 21वीं सदी के भारत को, हमारे युवाओं को जिस तरह की Education चाहिए, जैसी Skills चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस पर फोकस करती है।

भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, भारत के नागरिकों को और सशक्त करने के लिए, उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसरों के उपयुक्त बनाने के लिए, इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। जब भारत का Student, चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, Scientific तरीके से पढ़ेगा, तेजी से बदलते हुए समय और तेजी से बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा, तो वो Nation Building में भी Constructive भूमिका निभा पाएगा।

साथियों, बीते अनेक वर्षों से हमारे Education System में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में Curiosity और Imagination की Values को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। कभी डॉक्टर बनने के लिए होड़ लगी, कभी इंजीनियर बनाने की होड़ लगी, कभी वकील बनाने की होड़ लगी। Interest, ability और Demand की Mapping किए बिना होड़ लगाने की प्रवृत्ति से education को बाहर निकालना ज़रूरी था। हमारे Students में, हमारे युवाओं में Critical thinking और Innovative thinking विकसित कैसे हो सकती है, जब तक हमारी शिक्षा में Passion ना हो, Philosophy of Education ना हो, Purpose of Education ना हो।

साथियों, आज गुरुवर रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे-

“उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।“

निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने के बजाय एक Holistic Approach की ज़रूरत थी, जिसको सामने रखने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति सफल रही है।

साथियों, आज जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूर्त रूप ले चुकी है, तो मैं उस समय और सवालों की भी चर्चा आपसे करना चाहता हूं, जो हमारे सामने शुरुआती दिनों में आए थे। उस समय जो दो सबसे बड़े सवाल थे, वो यही थे कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे युवाओं को Creative, Curiosity और Commitment Driven Life के लिए Motivate करती है? आप लोग इस क्षेत्र में इतने वर्षों से हैं। इसका जवाब बेहतर जानते हैं।

साथियों, हमारे सामने दूसरा सवाल था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को Empower करती है, देश में एक Empowered Society के निर्माण में मदद करती है? आप सब इन सवालों से भी परिचित हैं और जवाबों से भी परिचित हैं। साथियों, आज मुझे संतोष है कि भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया।

साथियों, बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था, एक नए रंग-रूप और व्‍यवस्‍थाओं में बदलाव, एक नई विश्‍व व्‍यवस्‍था खड़ी हो रही है। एक नया Global Standard भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। School Curriculum के 10+2 structure से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 curriculum का structure देना, इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने students को Global Citizen भी बनाना है और इसका भी ध्यान रखना है कि वे Global Citizen तो बने लेकिन साथ-साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें। जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है।

साथियों, इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, 5Th class तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है। इससे बच्चों की नींव तो मजबूत होगी ही, उनकी आगे की पढ़ाई के लिए भी उनका Base और मजबूत होगा।

साथियों, अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें What to Think पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में How to think पर बल दिया जा रहा है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां Information और Content की कोई कमी नहीं है। एक प्रकार से बाढ़ आयी हुई है, हर प्रकार की जानकारी आपके मोबाइल फोन पर available है। जरूरी ये है कि कौन सी जानकारी हासिल करनी है, क्या पढ़ना है। इस बात को ध्यान में रखकर ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रयास किया गया है कि जो पढ़ाई के लिए लंबा-चौड़ा Syllabus होता है, ढेर सारी किताबें होती हैं, उसकी अनिवार्यता को कम किया जाए। अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए Inquiry-based, Discovery-based, Discussion based, और analysis based तरीकों पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनका Participation भी बढ़ेगा।

साथियों, हर विद्यार्थी को, Student को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने Passion को Follow करे। वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को Follow कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके। अक्सर ऐसा होता है कि कोई course करने के बाद student जब job के लिए जाता है तो उसे पता चलता है कि जो उसने पढ़ा है वो Job की requirement को पूरा नहीं करता। कई students को अलग-अलग वजहों से बीच में ही course छोड़कर Job करनी पड़ती है। ऐसे सभी students की जरूरतों का खयाल रखते हुए Multiple entry-exit का Option दिया गया है। अब student वापस अपने course से जुड़कर अपनी Job requirement के हिसाब से ज्यादा effective तरीके से पढ़ाई कर सकता है, learn कर सकता है। इसका एक और aspect है।

अब students को ये भी स्वतंत्रता होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहें तो कर सकते हैं। इसके लिए वो पहले कोर्स से एक निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स join कर सकते हैं। Higher education को, streams से मुक्त करने, multiple entry और Exit, Credit Bank के पीछे यही सोच है। हम उस era की तरफ बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा, बदलाव निश्चित है, यह मानकर रहिए। इसके लिए उसे निरंतर खुद को re-skill और up-skill करते रहना होगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका भी ध्यान रखा गया है।

साथियों, किसी भी देश के विकास में एक बड़ी भूमिका रहती है- समाज के हर तबके की गरिमा, उसकी dignity. समाज का कोई व्‍यक्ति कोई भी काम करता हो, कोई निम्‍न नहीं होता। हमें ये सोचना चाहिए कि भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे देश में यह बुराई कहां से आई। ऊंच-नीच का भाव, मेहनत-मजदूरी करने वालों के प्रति हीन भाव इस प्रकार की विकृति हमारे अंदर कैसे घर कर गई। से देखने का विपरीत भाव कैसे आया। इसकी एक बड़ी वजह रही कि हमारी एजुकेशन का समाज के इस तबके के साथ एक Dis-connect रहा। जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, वे कितना बड़ा योगदान कर रहे हैं, समाज की आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए वे कैसे अपना जीवन खपा रहे हैं। उनके श्रम का सम्मान करना हमारी पीढ़ी को सीखना ही होगा। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में student education और Dignity of Labour पर बहुत ध्‍यान दिया गया है।

साथियों, 21वीं सदी के भारत से पूरी दुनिया को बहुत अपेक्षाएं हैं। भारत का सामर्थ्य है कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है। हमारी इस जिम्मेदारी को भी हमारी Education Policy address करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो भी समाधान सुझाए गए हैं, उससे Futuristic Technology के प्रति एक माइंडसेट विकसित करने की भावना है। अब टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत तेजी से, बहुत अच्छी तरह से, बहुत कम खर्च में, समाज के आखिरी छोर पर खड़े Student तक पहुंचने का माध्यम दिया है। हमें इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना है।

इस Education Policy के माध्यम से Technology आधारित बेहतर Content और Course के डेवलमेंट में बहुत मदद मिलेगी। Basic Computing पर बल हो, Coding पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का माध्यम बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कॉन्सेप्ट ऐसे लाखों साथियों तक बेहतर शिक्षा के सपने को ले जाने वाला है, जो पहले ऐसे Subjects पढ़ ही नहीं पाते थे जिसमें Lab Experiment जरूरी हो। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, हमारे देश में Research और Education के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है।

साथियों, जब Institutions और Infrastructure में भी ये Reforms, Reflect होंगे, तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी और त्वरित गति से Implement किया जा सकेगा। आज समय की मांग है कि Innovation और Adaptation की जो Values हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं, वो खुद हमारे देश के Institutions से शुरु होनी चाहिए जिसका नेतृत्‍व आप सबके पास है। जब हम Education और विशेषकर Higher education को Empowered Society के निर्माता के रूप में खड़ा करना चाहते हैं तो इसके लिए Higher education institutions को भी Empower करना ज़रूरी है। और मैं जानता हूं, जैसे ही Institutions को Empower करने की बात आती है, उसके साथ एक और शब्द चला आता है- Autonomy. आप भी जानते हैं कि Autonomy को लेकर हमारे यहां दो तरह के मत रहे हैं। एक कहता है कि सब कुछ सरकारी नियंत्रण से, पूरी सख्ती से चलना चाहिए, तो दूसरा कहता है कि सभी संस्थानों को By Default Autonomy मिलनी चाहिए।

पहली अप्रोच में Non-govt संस्थानों के प्रति Mistrust दिखता है तो दूसरी अप्रोच में Autonomy को Entitlement के रूप में ट्रीट किया जाता है। Good Quality Education का रास्ता इन दोनों मतों के बीच में है। जो संस्थान Quality education के लिए ज्यादा काम करे, उसको ज्यादा Freedom से Reward किया जाना चाहिए। इससे Quality को Encouragement मिलेगा और सबको Grow करने के लिए Incentive भी मिलेगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने से पहले, हाल के वर्षों में आपने भी देखा है कि कैसे हमारी सरकार ने अनेकों Institutions को ऑटोनॉमी देने की पहल की है। मुझे उम्मीद है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जैसे-जैसे विस्तार होगा, शिक्षा संस्थानों को ऑटोनॉमी की प्रक्रिया भी और तेज होगी।

साथियों, देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक, डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे- The purpose of education is to make good human beings with skill and expertise... Enlightened human beings can be created by teachers. वाकई, शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे students, अच्छे प्रोफेशनल्स और उत्तम नागरिक देने का बहुत बड़ा माध्यम आप सभी Teachers ही हैं, प्रोफेसर्स ही हैं। शिक्षा जगत से जुड़े आप ही लोग इस काम को करते हैं और कर सकते हैं। इसलिए नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में dignity of teachers का भी विशेष ध्यान रखा गया है। एक प्रयास ये भी है कि भारत का जो टेलेंट है, वो भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में teacher training पर बहुत जोर है, वो अपनी skills लगातार अपडेट करते रहें, इस पर बहुत जोर है। I Believe, When a teacher learns, a nation leads.

साथियों, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए हम सभी को एक साथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है। यहां से Universities, Colleges, School education boards, अलग-अलग States, अलग-अलग Stakeholders के साथ संवाद और समन्वय का नया दौर शुरु होने वाला है। आप सभी साथी क्योंकि Higher Education के सबसे शीर्ष संस्थानों के शीर्ष में है, तो आपकी जिम्मेदारी ज्यादा है। मेरा आग्रह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लगातार वेबीनार करते रहिए, Discussions करते रहिए। नीति के लिए रणनीति बनाइए, रणनीति के बात को लागू करने के लिए रोडमैप, रोडमैप के साथ timeline जोडि़ए, उसको implement करने के लिए resources, human resources, ये सबको जोड़ने की योजना बनाइए और ये सारा चीज़ नई नीति के प्रकाश में आपको करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ सर्कुलर जारी करके, नोटिफाई करके Implement नहीं होगी। इसके लिए मन बनाना होगा, आप सभी को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए आपके लिए ये कार्य एक महायज्ञ की तरह है। इसमें आपका योगदान बहुत आवश्यक है, इस कॉन्क्लेव को देख रहे, सुन रहे प्रत्येक व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। मुझे विश्वास है कि इस Conclave में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के Effective Implementation को लेकर बेहतर सुझाव, बेहतर समाधान निकलकर आएंगे और विशेषकर आज मुझे अवसर मिला है। सार्वजनिक तौर पर डॉ. Kasturirangan जी का, उनकी पूरी टीम का बहुत-बहुत अभिनन्‍दन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत आभार!!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।