प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व में विनिर्माण क्षेत्र की मदद के लिए किए गए विभिन्न उपायों के कारण भारत के आर्थिक विकास में और तेजी आईः जापान के प्रधानमंत्री किशिदा
“मारुति-सुजुकी की सफलता मजबूत भारत-जापान साझेदारी का प्रतीक”
“पिछले आठ वर्षों में भारत और जापान के बीच संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचे”
“जब भी मित्रता की बात आती है, तो हर भारतीय निश्चित तौर पर हमारे मित्र पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे को याद करता है”
“हमारे प्रयासों ने हमेशा जापान के लिए गंभीरता और सम्मान दिखाया, यही कारण है लगभग 125 जापानी कंपनियां गुजरात में काम कर रही हैं”
“आपूर्ति, मांग और इकोसिस्टम की मजबूती के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल का क्षेत्र निश्चित रूप से बढ़ रहा है प्रगति की ओर”

गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी, उपमुख्यमंत्री भाई श्रीकृष्‍ण चौटाला जी, संसद में मेरे साथी श्रीमान सी आर पाटिल, सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के वरिष्ठ पदाधिकारी गण, भारत में जापान के एम्बेसडर, मारुति-सुजुकी के वरिष्ठ अधिकारीगण, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

सबसे पहले मैं सुज़ुकी और सुज़ुकी परिवार से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूँ।

भारत और भारत के लोगों के साथ सुज़ुकी का पारिवारिक रिश्ता अब 40 वर्ष का हो गया है। आज एक ओर गुजरात में electric vehicle battery के प्रॉडक्शन के लिए ambitious प्लांट का शिलान्यास हो रहा है, तो साथ ही हरियाणा में नयी कार manufacturing facility की शुरुआत भी हो रही है।

मैं मानता हूँ ये विस्तार सुज़ुकी के लिए भविष्य की अपार संभावनाओं का आधार बनेगा। मैं इसके लिए सुज़ुकी मोटर्स को, इस विशाल परिवार के सभी मेम्बर्स को हार्दिक बधाई भी देता हूँ। विशेष रूप से, मैं श्रीमान ओसामू सुजुकी और श्रीमान तोषी-रिहीरो सुजुकी, इन दोनों को भी को बधाई देता हूँ। आप जब भी मुझसे मिलते हैं, भारत में सुज़ुकी का नया विज़न पेश करते हैं। अभी इसी साल मई में मेरी मुलाक़ात हुई थी, ओसामू सुजुकी जी से हुई थी और उन्होंने मुझसे 40 वर्ष के कार्यक्रम में आने का आग्रह किया था। मेरे लिए इस तरह के futuristic initiatives का साक्षी बनना एक सुखद अनुभव है।

साथियों,

मारुति-सुज़ुकी की सफलता भारत-जापान की मजबूत पार्टनरशिप का भी प्रतीक है। बीते आठ वर्षों में तो हम दोनों देशों के बीच ये रिश्ते नई ऊंचाइयों तक गए हैं। आज गुजरात-महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन से लेकर उत्तर प्रदेश में बनारस के रुद्राक्ष सेंटर तक, विकास की कितनी ही परियोजनाएं भारत-जापान दोस्ती का उदाहरण हैं, और इस दोस्ती की जब बात होती है, तो हर एक भारतवासी को हमारे मित्र पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे जी, उनकी याद जरूर आती है। आबे शान जब गुजरात आए थे, उन्होंने जो समय यहां बिताया था, उसे गुजरात के लोग बहुत आत्मीयता से याद करते हैं। हमारे देशों को और करीब लाने के लिए जो प्रयास उन्होंने किए थे, आज पीएम किशिदा उसे आगे बढ़ा रहे हैं। अभी हमने प्रधानमंत्री किशिदा का वीडियो संदेश भी सुना। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री किशिदा और जापान के सभी नागरिकों का भी भारत की ओर से अभिनंदन करता हूँ।

साथियों,

मैं इस अवसर पर गुजरात और हरियाणा के लोगों को भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ, जो देश के औद्योगिक विकास और ‘मेक इन इंडिया’ को लगातार गति दे रहे हैं। इन दोनों ही राज्यों की सरकारों की जो विकासपरक, उद्योग-परक नीतियाँ हैं, ‘ease of doing business’ की दिशा में जो प्रयास हैं, उनका लाभ करोड़ों प्रदेशवासियों को और विशेष रूप से युवाओं को मिल रहा है।

साथियों,

इस खास आयोजन में, आज मुझे बहुत कुछ पुराना याद आ रहा है, स्‍वाभाविक है। मुझे याद है, 13 साल पहले जब सुज़ुकी कंपनी अपनी manufacturing unit के निर्माण के लिए गुजरात आई थी। तब मैंने कहा था कि- ‘जैसे-जैसे हमारे मारुति के मित्र गुजरात का पानी पिएंगे, उन्हें भली-भाँति पता चल जाएगा कि विकास का परफेक्ट मॉडल कहां है’? आज मुझे खुशी है कि गुजरात ने सुज़ुकी को किया अपना वायदा बखूबी निभाया, और सुज़ुकी ने गुजरात की बात भी उसी सम्मान के साथ रखी। आज गुजरात देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में top auto-motive manufacturing hub बन करके उभरा है।

साथियों,

आज का ये अवसर ऐसा है, जिसमें मैं गुजरात और जापान के आत्मीय रिश्तों पर जितनी चर्चा करूं, उतनी ही कम होगी। गुजरात और जापान के बीच जो रिश्ता रहा है, वो डिप्लोमेटिक दायरों से भी बहुत ऊंचा रहा है।

मुझे याद है जब 2009 में वाइब्रेंट गुजरात समिट का आयोजन शुरू हुआ था, तभी से जापान इसके साथ एक पार्टनर कंट्री के तौर पर हमेशा जुड़ा रहा है। और ये बहुत बड़ी बात है, एक राज्य और दूसरी तरफ एक डेवलप कंट्री, ये दोनों का साथ चलना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। आज भी वाइब्रेंट गुजरात समिट में जापान की भागीदारी सबसे ज्यादा होती है।

अपने मुख्यमंत्री काल के दिनों में, मैं अक्सर एक बात कहता था- I want to create a Mini-Japan in Gujarat. इसके पीछे का भाव यही था कि जापान के हमारे अतिथियों को, गुजरात में भी जापान की अनुभूति हो, उनको फीलिंग आए। हमने प्रयास किया कि जापान के लोगों को, जापान की कंपनियों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो।

आप अंदाजा लगा सकते हैं कितनी छोटी-छोटी चीजों पर हम ध्यान देते थे। बहुतों को शायद सुन करके आश्चर्य भी होगा, अब हम सबको पता है जापान के लोग हों और गोल्फ खेलना न हो तो बात अधूरी रह जाती है। बिना गोल्‍फ आप जापानीज की कल्पना ही नहीं कर सकते। अब हमारा गुजरात, वहां गोल्‍फ की दुनिया से कोई लेना-देना ही नहीं था। तो मुझे अगर जापान को यहां लाना है तो मुझे golf course भी शुरू करने चाहिए और मुझे खुशी है कि आज गुजरात में अनेक गोल्फ के मैदान हुए हैं, जहां हमारे जापान के लोग यहां काम करते हैं उनको weekend बिताने के लिए अवसर मिल जाता है। कई रेस्टोरेंट्स भी ऐसे हैं, जिनकी विशेषता जापानीज कुजीन है, जापानी फूड है, उसकी भी चिंता की।

जापान से आए साथियों को दिक्कत ना हो, इसके लिए बहुत से गुजरातियों ने जापानी भाषा भी सीखी है और इन दिनों भी जापानी भाषा के क्‍लासेज चल रहे हैं।

साथियों,

हमारे प्रयासों में हमेशा से गंभीरता भी रही है और जापान के लिए स्नेह भी रहा है। आज इसी का नतीजा है कि सुजुकी समेत जापान की सवा सौ से ज्यादा कंपनियां गुजरात में काम कर रही हैं। ऑटोमोबाइल से लेकर बायो-फ्यूल तक के क्षेत्र में यहां जापानी कंपनियां अपना विस्तार कर रही हैं। JETRO द्वारा स्थापित Ahmedabad Business Support Centre में एक साथ कई कंपनियों को plug and play work-space facility देने की सुविधा है। आज गुजरात में दो, Japan-India Institute for Manufacturing, हर साल सैकड़ों युवाओं को ट्रेन कर रहे हैं।

कई कंपनियों का गुजरात की टेक्निकल यूनिवर्सिटीज और ITI’s से भी टाई-अप है। अहमदाबाद में Zen Garden और Kaizen Academy की स्थापना में भी जिस तरह Hyogo International Association का बहुमूल्य योगदान रहा, उसे गुजरात कभी भूल नहीं सकता। अब ऐसा ही Eco-Friendly गार्डन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के समीप विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। Kaizen को लेकर 18-19 साल पहले जो प्रयास गुजरात ने किए थे, जितनी गंभीरता से इसे लागू किया था, उसका गुजरात को बहुत लाभ मिला। गुजरात आज विकास की जिस ऊंचाई पर है, उसमें निश्चित तौर पर Kaizen की भी एक बड़ी भूमिका है।

मैं जब प्रधानमंत्री के तौर पर दिल्ली गया, तो Kaizen के अनुभवों को PMO और केंद्र सरकार के अन्य विभागों में भी इसे लागू किया। अब Kaizen का लाभ देश को और ज्यादा मिल रहा है। सरकार में हमने जापान-प्लस की एक विशेष व्यवस्था भी की है। गुजरात और जापान की इस साझा यात्रा को यादगार बनाने वाले जापान के बहुत सारे मित्र, कई सारे पुराने मेरे साथी आज यहां इस कार्यक्रम में भी मौजूद हैं। एक बार फिर मैं आप सबका भी अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

आज भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाजार जितनी तेजी से बड़ा हो रहा है, कुछ साल पहले तक उसकी कल्पना भी नहीं होती थी। इलेक्ट्रिक वाहनों की एक बड़ी खासियत ये होती है कि वो silent होते हैं। 2 पहिया हो या 4 पहिया, वो कोई शोर नहीं करते। ये silence केवल इसकी इंजीनियरिंग का ही नहीं है, बल्कि ये देश में एक silent revolution के आने की भी शुरुआत है। आज लोग EV को एक extra vehicle नहीं समझ रहे, वो उसे प्रमुख साधन मानने लगे हैं।

देश भी पिछले आठ वर्षों से इस बदलाव के लिए जमीन तैयार कर रहा था। आज हम इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम में सप्लाई और डिमांड, दोनों पर तेजी से काम कर रहे हैं। सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के खरीदारों को कई तरह के incentive दे रही है, ताकि डिमांड में तेजी आए। इनकम टैक्स में छूट से लेकर लोन को आसान बनाने जैसे कई कदम उठाए गए हैं, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग बढ़े।

इसी तरह Automobile और Auto Components में PLI स्कीम के जरिए सप्लाई बढ़ाने की दिशा में भी तेजी से काम हो रहा है। सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के पूरे इकोसिस्टम को रफ्तार देने के लिए कई कदम उठाए हैं। PLI स्कीम के जरिए battery manufacturing को, उसको भी काफी बढ़ावा मिल रहा है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए भी देश ने कई नीतिगत फैसले लिए हैं। 2022 के बजट में battery swapping policy को पेश किया गया है। टेक्नोलॉजी शेयरिंग जैसी नीतियों पर नई शुरुआत हुई है। सप्लाई, डिमांड और इकोसिस्टम की मजबूती से EV सेक्टर का आगे बढ़ना तय है। यानी ये silent revolution आने वाले दिनों में बड़ा परिवर्तन करने के लिए तैयार है।

साथियों,

आज जब हम EV जैसे क्षेत्रों की बात करते हैं, तो हमें अपने देश के climate commitment को और उसके targets को भी सामने रखना बहुत आवश्‍यक है। भारत ने COP-26 में ये घोषणा की है कि वो 2030 तक अपनी installed electrical capacity की 50 प्रतिशत क्षमता non-fossil sources से हासिल करेगा। हमने 2070 के लिए ‘नेट ज़ीरो’ का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए हम EV Charging Infrastructure और Grid scale battery systems जैसे Energy Storage Systems को इंफ्रास्ट्रक्चर की harmonized लिस्ट में शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही, हमें बायो-गैस, फ़्लेक्स फ्युल जैसे विकल्पों की ओर भी बढ़ना होगा।

मुझे खुशी है कि मारुति-सुज़ुकी इस दिशा में बायो-फ्यूल, ethanol blending, हाइब्रिड EV जैसे तमाम विकल्पों पर भी काम कर रही है। मेरा सुझाव है कि, इसके साथ-साथ सुज़ुकी Compressed Bio-methane Gas यानी, CBG जैसी संभावनाओं से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी शुरू कर सकती है। भारत की दूसरी कंपनियाँ भी इस दिशा में काफी काम कर रही हैं। मैं चाहूंगा कि हमारे यहाँ एक healthy competition के साथ-साथ mutual learning का भी और बेहतर माहौल बने। इसका लाभ देश और व्यापार दोनों को होगा।

साथियों,

अगले 25 वर्षों के अमृतकाल में हमारा लक्ष्य है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बने। हम जानते हैं कि आज ऊर्जा आयात का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसपोर्ट से जुड़ा है। इसलिए, इस दिशा में इनोवेशन और प्रयास हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

मुझे भरोसा है, आपके और ऑटो सेक्टर के सभी साथियों के सहयोग से देश अपना ये लक्ष्य जरूर पूरा करेगा। हम विकास और समृद्धि के लक्ष्य पर उसी गति से पहुंचेंगे, जो गति आज हमारे एक्सप्रेसवेज पर दिखाई देती है।

इसी भावना के साथ, मैं आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और सुजुकी परिवार को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आप विस्तार के जो भी सपने ले करके चलेंगे, उसे गति देने में चाहे राज्‍य सरकार हो या केंद्र सरकार हो, हम कहीं पर भी पीछे नहीं रहेंगे।

इसी भावना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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