योग शांति लाता है : पीएम मोदी

Published By : Admin | June 21, 2022 | 06:55 IST
Quoteदेशभर में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा भी विराट योग प्रदर्शनों का आयोजन, जिनमें करोड़ों लोग ने भागीदारी की
Quoteप्रधानमंत्री का मैसुरु का योग कार्यक्रम ‘वन सन, वन अर्थ’ की अवधारणा को रेखांकित करने वाले अभिनव कार्यक्रम ‘गार्डियन योग रिंग’ का अंग
Quote“योग किसी व्यक्ति मात्र के लिये नहीं, संपूर्ण मानवता के लिये है”
Quote“योग से हमारे समाज, राष्ट्रों, विश्व और हमारे ब्रह्माण्ड में शांति आती है”
Quote“योग दिवस की यह व्यापकता, यह स्वीकार्यता भारत की उस अमृत भावना की स्वीकार्यता है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी थी”
Quote“भारत के ऐतिहासिक स्थलों पर सामूहिक योगाभ्यास का अनुभव, भारत के अतीत, भारत की विविधता और भारत के विस्तार को एक सूत्र में पिरोने जैसा है”
Quote“योगाभ्यास से स्वास्थ्य, संतुलन और सहकारिता के लिये अद्भुत प्रेरणा मिलती है”
Quote“आज समय आ गया है कि हम योग से जुड़ी अनन्त संभावनाओं को पहचानें”
Quote“जब हम योग को जीना शुरू करते हैं, तो योग दिवस हमारे स्वास्थ्य, आनन्द और शांति के मंगलोत्सव का माध्यम बन जाता है”

राज्य के गवर्नर श्रीमान थावरचंद गहलोत जी, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी, श्री यदुवीर कृष्णा दाता चामराजा वाडीयार जी, राजमाता प्रमोदा देवी, मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, देश और विश्व भर के सभी लोगों को आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

आज योग दिवस के अवसर पर मैं कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी, आध्यात्म और योग की धरती मैसूरू को प्रणाम करता हूं। मैसूरू जैसे भारत के आध्यात्मिक केन्द्रों ने जिस योग-ऊर्जा को सदियों से पोषित किया, आज वो योग ऊर्जा विश्व स्वास्थ्य को दिशा दे रही है। आज योग वैश्विक सहयोग का पारस्परिक आधार बन रहा है। आज योग मानव मात्र को निरोग जीवन का विश्वास दे रहा है।

हम आज सुबह से देख रहे हैं कि योग की जो तस्वीरें कुछ वर्ष पहले केवल घरों में, आध्यात्मिक केन्द्रों में दिखती थीं, वो आज विश्व के कोने-कोने से आ रही हैं। ये तस्वीरें आत्मिक बोध के विस्तार की तस्वीरें हैं। ये तस्वीरें एक सहज, स्वाभाविक और सांझी मानवीय चेतना की तस्वीरें हैं। खास तौर पर तब, जब दुनिया ने बीते दो सालों में सदी की इतनी बड़ी महामारी का सामना किया हो! इन परिस्थितियों में देश, द्वीप, महाद्वीप की सीमाओं से ऊपर, योग दिवस का ये उत्साह, ये हमारी जीवटता का भी प्रमाण है।

योग अब एक वैश्विक पर्व बन गया है। योग किसी व्यक्ति मात्र के लिए नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए है। इसीलिए, इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम है-Yoga for humanity! मैं इस थीम के जरिए योग के इस संदेश को पूरी मानवता तक पहुंचाने के लिए यूनाइटेड नेशन्स का और सभी देशों का हृदय से धन्यवाद करता हूं। मैं दुनिया के सभी नागरिकों का भी सभी भारतीयों की तरफ से अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

योग के लिए हमारे ऋषियों, हमारे महर्षियों ने, हमारे आचार्यों ने कहा है- “शांतिम् योगेन विंदति”।

It means Yoga brings peace for us. The peace from yoga is not only for individuals. Yoga brings peace to our society. Yoga brings peace to our nations and the world. And, Yoga brings peace for our universe. This might feel an extreme thought to someone, but our Indian sages have answered this with a simple mantra- “यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे”।

This whole universe starts from our own body and soul. The universe starts from us. And, Yoga makes us conscious of everything within us and builds a sense of awareness. It starts with self-awareness and proceeds to awareness of the world. When we become aware of ourselves and our world, we begin to spot things that need to be changed, both in ourselves and in the world.

These may be individual life-style problems or global challenges like climate change and international conflicts. Yoga makes us conscious, competent and compassionate towards these challenges. Millions of people with a common consciousness and consensus, Millions of people with inner peace will create an environment of global peace. That’s how Yoga can connect the people. That’s how yoga can connect the countries. And that’s how yoga can become a problem solver for all of us.

साथियों,

भारत में हम इस बार योग दिवस हम एक ऐसे समय पर मना रहे हैं, जब देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है। योग दिवस की ये व्यापकता, ये स्वीकार्यता भारत की उस अमृत भावना की स्वीकार्यता है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी थी।

इसी भावना को celebrate करने के लिए आज देश के 75 अलग-अलग शहरों के 75 ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही, अन्य नगरों के लोग भी ऐतिहासिक स्थानों पर योग कर रहे हैं। जो ऐतिहासिक स्थान भारत के इतिहास के साक्षी रहे, जो स्थान सांस्कृतिक ऊर्जा के केंद्र हैं, वो आज योग दिवस के जरिए एक साथ जुड़ रहे हैं।

इस मैसूरू पैलेस का भी इतिहास में अपना ही विशेष स्थान है। भारत के ऐतिहासिक स्थलों पर सामूहिक योग का अनुभव, भारत के अतीत को, भारत की विविधता को, और भारत के विस्तार को एक सूत्र में पिरोने जैसा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हमने इस बार “Guardian Ring of Yoga”, ये “Guardian Ring of Yoga” का ऐसा ही अभिनव प्रयोग आज पूरे विश्‍वभर में हो रहा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्योदय के साथ, सूर्य की गति के साथ, लोग योग कर रहे हैं, योग से जुड़ रहे हैं। जैसे-जैसे सूर्य आगे बढ़ रहा है, उदय हो रहा है, उसकी प्रथम किरण के साथ अलग-अलग देशों में लोग साथ जुड़ते जा रहे हैं, पूरी पृथ्वी के चारों ओर योग की रिंग बन रही है। यही है Guardian Ring of Yoga. योग के ये प्रयोग स्वास्थ्य, संतुलन और सहयोग की अद्भुत प्रेरणा दे रहे हैं।

साथियों,

दुनिया के लोगों के लिए योग आज हमारे लिए केवल part of life नहीं है, please remind ये part of life नहीं है, बल्कि योग अब way of life बन रहा है। हमारा दिन योग के साथ शुरू हो, इससे बेहतर शुरुआत और क्या हो सकती है? लेकिन, हमें योग को किसी एक खास समय और स्थान तक ही सीमित नहीं रखना है। हमने देखा भी है, हमारे यहाँ घर के बड़े, हमारे योग साधक दिन के अलग-अलग समय में प्राणायाम करते हैं। कई लोग अपने ऑफिस में भी काम के बीच में कुछ देर दंडासन करते हैं, फिर दोबारा काम शुरू करते हैं। हम कितने भी तनावपूर्ण माहौल में क्यों न हों, कुछ मिनट का ध्यान हमें relax कर देता है, हमारी productivity को बढ़ा देता है।

इसलिए, हमें योग को एक अतिरिक्त काम के तौर पर नहीं लेना है। हमें योग को जानना भी है, हमें योग को जीना भी है। हमें योग को पाना भी है, हमें योग को अपनाना भी है और हमें योग को पनपाना भी है। और जब हम योग को जीने लगेंगे, योग दिवस हमारे लिए योग करने का नहीं, बल्कि अपने स्वास्थ्य, सुख और शांति को celebrate करने का माध्यम बन जाएगा।

साथियों,

आज समय है कि हम योग से जुड़ी अनंत संभावनाओं को साकार करें। आज हमारे युवा बड़ी संख्या में योग के क्षेत्र में नए-नए ideas के साथ आ रहे हैं। इस दिशा में हमारे देश में आयुष मंत्रालय ने ‘स्टार्टअप योगा चैलेंज’ भी लांच किया है। योग के अतीत को, योग की यात्रा को और योग से जुड़ी संभावनाओं के लिए यहां मैसूरू के दशहरा ग्राउंड में Innovative digital Exhibition भी लगी है।

मैं देश के, और दुनिया के सभी युवाओं से इस तरह के प्रयासों से जुड़ने का आह्वान करता हूं। मैं वर्ष 2021 के लिए ‘Prime Minister’s Awards for outstanding contribution for Promotion and Development of Yoga’ के जो winners हैं, मैं उन सभी winners को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है, योग की ये अनादि यात्रा अनंत भविष्य की दिशा में ऐसे ही अनवरत चलती रहेगी।

हम ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः’ के भाव के साथ एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण विश्व को योग के माध्यम से भी गति देंगे। इसी भाव के साथ, आप सभी को एक बार फिर योग दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

बहुत-बहुत बधाई।

धन्यवाद

  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • Provash Biswas June 21, 2024

    YOGA IS AN ART AND SCIENCE
  • Kranti Shaw June 21, 2024

    namo Namo
  • Ramesh Pandya June 19, 2024

    सोशल मीडिया पर बहुत से संदेश तैर रहे है। कुछ कह रहे है कार्यकर्ताओ की उपेक्षा का परिणाम है तो कुछ हिंदुओं को गाली दे रहे हैं। कोई अहंकार का फल बता रहे हैं तो कुछ यहां तक लिख रहे है कि अयोध्या जाएंगे तो आटा और पानी भी घर से लेकर जाएंगे। अयोध्या से कोई चीज नही खरीदेंगे। कुछ बोल रहे हैं कि ये राम जी के नही हुए तो किसी के नही हो सकते । वगैरह वगैरह भैया दो हजार किलोमीटर दूर बैठकर वहां के बारे में और क्या सोच सकते हो। ऐसा है तो काशी भी मत जाना क्योंकि मोदी जी की जीत भी 5 लाख से घटकर डेड लाख पर आ गई। तो काशी वालो को भी गाली दे ही लो कि विश्वप्रसिद्ध मोदी जी को तुम समझ नही पाए। या रामेश्वर भी अपना भोजन पानी लेकर जाओ क्योंकि वहां भी हिंदुओ ने भाजपा उम्मीदवार को वोट नही दिया। मजे की बात ये है कि यही लोग कश्मीर चले जायेंगे खाएंगे पीएंगे , अमरनाथ या केदारनाथ जाकर मुस्लिम घोड़े वालो को पैसा देने में कोई एतराज नही होगा। उज्जैन जाकर महाकाल मंदिर के आसपास बनी होटलों में ठहरेंगे और हिन्दू नाम से चल रही मुसलमानों की होटल में पैसा देने में कोई दिक्कत नही। अयोध्या में हार पचास हजार से हुई है। प्रश्न बीजेपी से भी तो पूछो कि उन्होंने कितनी बार इसी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया लेकिन जब इतने सालों से कार्यकर्ताओ और जनता का असंतोष था तो उनके विरोध के बावजूद उसी को टिकेट क्यों दिया ? यह प्रश्न उनसे पूछना चाहिए जो यह मानते है कि उम्मीदवार भले तुम्हे उपेक्षित करे पर तुम उसे मोदी जी के नाम पर वोट दो ही वरना तुम हिन्दू नही रहोगे। मैंने कई बार कहा है कि पांचवे नम्बर की इकोनामी बनने से प्रत्यक्ष फायदा बड़े उद्योगपतियों को होता है और वो वोट देने नही जाते हैं या न के बराबर देते हैं। निम्न आय वर्ग के लोग मुफ्तखोर बना दिये गए है। उन्हें यह पता भी नही की इकोनामी क्या होती है। एयरपोर्ट बनने या रॉड बनने से उन्हें कोई सीधा फायदा नही दिखता। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी जी ने भी अनाज, मकान, शौचालय, आयुष्यमान कार्ड या गैस बांटी वो गरीबी की 'सरकारी रेखा' से नीचे वालो को मिली। जिसमे 30 से अधिक प्रतिशत तो वही है जिन्होंने भरी गर्मी में काले तम्बू ओढ़कर 15 से 20 परसेंट भाजपा के विरोध में ही दिए। कौन नही जानता कि ये वर्ग वही है जो कमाई लाखो में करता है पर सब केश में। इनके सारे धंधे नकदी के है जिनकी इनकम का कोई हिसाब ही नही है तो इनकम टैक्स का कोई सवाल ही नही उठता। एक बार ये तो सोचना ही पड़ेगा कि समाचार सुनने वाला और देश की तरक्की पर खुश होने वाले मध्यमवर्गीय लोगो को क्या दिया गया अभी तक ? क्या इस वर्ग के मन मे नही आता होगा कि हम कमा क्यों रहे है ...केवल टेक्स देने के लिए ? इस पोस्ट को पढ़कर मुझे गाली देने वालो जरा ये भी तो सोचो कि तुम्हे भाजपा हो या कांग्रेस किसी की भी सरकारों से मिला क्या ? सबका साथ... सबका विश्वास ? कुछ नही केवल प्रयास ! वो भी सबका नही ... केवल तुम्हारा ! अगर भाजपा वास्तव में चाहती तो इनकम टैक्स माफ करके बेंक ट्रांजेक्शन टेक्स लगाती। तो मध्यम वर्ग खुश भी होता और एक नम्बर की कमाई भी देश की आय बड़ा देती। और ये दो नम्बरी धंधे वाले भी बैंक में पैसा डालते। सरकार जिस वर्ग से सबसे ज्यादा कमाई करती है उन्हें कौन सी सुविधा दे रही है? क्या ये बात उन्हें नही कचोटती ? कचोटती है पर वो उस कचोट को सहकर भी वो राम या राष्ट्र के नाम पर वोट देता है है। अब तुम सोचो कि ऊंट की लंबी गर्दन लंबी है तो काटते जाओ काटते जाओ। आरक्षण के नाम पर सबकी घिग्घी बंध जाती है। क्रीमी लेयर के खिलाफ बोलने में भी नानी मर जाती है। जाति भेद था या एक समय जाति के नाम पर एक वर्ग का उत्पीड़न हुआ है, बात सच है पर कौन नही जानता कि आज जाति सूचक शब्द के नाम पर उत्पीड़न तो सवर्ण का ही हो रहा है। उस कानून को छेडने की हिम्मत किसी की है किसी की नही। वर्तमान हालातो में तो किसी की नही। मंदिर सरकारी नियंत्रण से बाहर होना चाहिए...क्या केवल कांग्रेस सरकारों के लिए नियम बनना चाहिए? जहां भाजपा का शासन है वहां तो मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो सकते हैं न ? उन्हें तो बिजली पानी फ्री मिल सकता है न ? पर ऐसे प्रश्न भाजपा से पूछने की हिम्मत होती तो आज परिणाम से निराश नही होना पड़ता। और न अयोध्या के नाम पर गालियां देते। माना कि मोदी जी ने अतुलनीय काम किया है पर वे अमर नही है। सत्ता क्या एक दिन शरीर भी उन्हें छोड़ना होगा। राष्ट्रजीवन में भाजपा भी लंबे समय साथ नही दे पाएगी। इसलिए व्यक्तिवादी या दलवादी सोच से ऊपर उठकर सोचने की आदत डालना होगी। निरन्तर......
  • बबिता श्रीवास्तव June 16, 2024

    योग से डिप्रेशन दूर होता है।
  • बबिता श्रीवास्तव June 16, 2024

    योग करे निरोग रहे।
  • JBL SRIVASTAVA June 02, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    great
  • Vaishali Tangsale February 14, 2024

    🙏🏻🙏🏻
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 12, 2024

    जय हो
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