“भारत की जनता ने पिछले 10 वर्षों के हमारी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड पर भरोसा जताया है और हमें तीसरी बार सुशासन जारी रखने का अवसर दिया है”
“लोगों ने ‘जन सेवा ही प्रभु सेवा’ यानी यानी मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है, के विश्वास के साथ नागरिकों की सेवा करने की हमारी प्रतिबद्धता देखी है,”
“भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को लोगों ने पुरस्कृत किया”
“हमने तुष्टीकरण के बजाय संतुष्टिकरण - तुष्टीकरण के बजाय संतृप्ति (परिपूर्णता) के लिए काम किया”
“140 करोड़ नागरिकों का विश्वास, अपेक्षाएं और भरोसा विकास के लिए प्रेरक शक्ति बन गया है”
“राष्ट्र प्रथम ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है”
“जब कोई देश विकसित होता है, तो आने वाली पीढ़ियों के सपनों को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव रखी जाती है”
“तीसरे कार्यकाल में, हम तीन गुना गति से काम करेंगे, तीन गुना ऊर्जा लगाएंगे और तीन गुना परिणाम देंगे”

आदरणीय सभापति जी,

मैं राष्ट्रपति जी के भाषण के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुआ हूं।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे आदरणीय राष्ट्रपति जी ने विकसित भारत के संकल्प को अपने प्रवचन में विस्तार दिया है। आदरणीय राष्ट्रपति महोदया ने अहम विषय उठाएं हैं। आदरणीय राष्ट्रपति जी ने हम सबका और देश का मार्गदर्शन किया है, इसके लिए मैं राष्ट्रपति जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

कल और आज कई माननीय सदस्यों ने राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। मैं विशेषकर के जो पहली बार सांसद बनकर के हमारे बीच आए हैं और उनमें से कुछ आदरणीय साथियों ने अपने जो विचार व्यक्त किए, संसद के सभी नियमों का पालन करते हुए किए, उनका व्यवहार ऐसा था जैसे एक अनुभवी सांसद का होता है। और इसलिए प्रथम बार आने के बावजूद भी उन्होंने सदन की गरिमा को बढ़ाया है और उन्होंने अपने विचारों से इस debate को और अधिक मूल्यवान बनाया है।

आदरणीय सभापति जी,

देश ने एक सफल चुनाव अभियान को पार करते हुए विश्व को दिखा दिया है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव अभियान था। देश की जनता ने दुनिया के सबसे बड़े चुनाव अभियान में, जनता ने हमें चुना हैं।

और आदरणीय सभापति जी,

मैं कुछ लोगों की पीड़ा समझ सकता हूं कि लगातार झूठ चलाने के बावजूद भी उनका घोर पराजय हुआ और लोकतंत्र के, आदरणीय सभापति जी, ये विश्व का सबसे बड़ा चुनाव अभियान और उसमें भारत की जनता ने हमें तीसरी बार देश की सेवा करने का मौका दिया है। ये अपने आप में लोकतांत्रिक विश्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है, बहुत ही गौरवपूर्ण घटना है।

आदरणीय सभापति जी,

हमें हर कसौटी पर कसने के बाद देश की जनता ने ये जनादेश दिया है। जनता ने हमारे 10 साल के ट्रेक रिकॉर्ड को देखा है। जनता ने देखा है कि गरीबों के कल्याण के लिए हमने जिस समर्पण- भाव से जनसेवा ही प्रथम सेवा इस मंत्र को कृतार्थ करते हुए, हमने जो कार्य किया है उसके कारण 10 साल में 25 करोड़ गरीब गरीबी से बाहर निकले हैं। देश की आजादी के कालखंड में इतने कम समय में, इतने लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का ये सफल प्रयास इस चुनाव में हमारे लिए आशीर्वाद का कारण बना है।

आदरणीय सभापति जी,

हम 2014 में जब पहली बार जीतकर के आए थे तो चुनाव के अभियान में भी हमने कहा था कि हमारा करप्शन के प्रति zero tolerance रहेगा। और आज मुझे गर्व है कि हमारे सरकार ने देश का सामान्य मानवी जो करप्शन के कारण पीड़ित है, देश को करप्शन ने दीमक की तरह खोखला कर दिया है। ऐसे में भ्रष्टाचार के प्रति हमारी जो zero tolerance नीति है, आज देश ने हमें उसके लिए आशीर्वाद दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

आज दुनिया भर में भारत की साख बढ़ी है। आज विश्व में भारत का गौरव हो रहा है और भारत की तरफ देखने का नजरिया भी एक गौरवपूर्ण नजरिया हर भारतवासी अनुभव करता है।

आदरणीय सभापति जी,

देश की जनता ने देखा है कि हमारा एकमात्र लक्ष्य nation first है, भारत सर्वप्रथम है। हमारे हर नीति, हमारे हर निर्णय, हमारे हर कार्य का एक ही तराजू रहा है कि भारत प्रथम और भारत की प्रथम की भावना के साथ देश में जो आवश्यक reform थे, उस reform को भी हमने लगातार जारी रखा हैं। 10 वर्ष में हमारी सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ इस मंत्र को लेकर के लगातार देश के सभी लोगों का कल्याण करने का प्रयास करती रही है।

आदरणीय सभापति जी,

हम उस सिद्धातों को समर्पित हैं जिसमें भारत के संविधान के स्प्रिट के अनुसार सर्वपंथ समभाव उस विचार को सर्वोपरि रखते हुए हमने देश की सेवा करने प्रयास किया हैं।

आदरणीय सभापति जी,

इस देश ने लंबे अरसे तक तुष्टिकरण की राजनीति भी देखी, इस देश ने लंबे अरसे तक तुष्टीकरण का गवर्नेंस का मॉडल भी देखा। देश ने पहली बार secularism का एक पूरा हमने जो प्रयास किया और वो हमने तुष्टीकरण नहीं, संतुष्टीकरण और संतुष्टीकरण के विचार को लेकर के हम चले हैं। और जब हम संतुष्टीकरण की बात करते हैं तो इसका मतलब है कि हर योजना का सैचुरेशन। गवर्नेंस की आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने की हमारी जो संकल्पना है इसको परिपूर्ण करना। और जब हम सैचुरेशन के सिद्धांत को लेकर चलते हैं तब सैचुरेशन सच्चे अर्थ में सामाजिक न्याय होता है। सैचुरेशन सच्चे अर्थ में secularism होता है और उसी को देश की जनता ने हमें तीसरी बार बिठाकर के मोहर लगा दी है।

आदरणीय सभापति जी,

Appeasement ने इस देश तबाह करके रखा है और इसलिए हमने justice to all, appeasement to none इस सिद्धांत को लेकर के चले हैं।

आदरणीय सभापति जी,

10 साल के हमारे कार्यकाल को देखने, परखने के बाद भारत की जनता ने हमारा समर्थन किया है।

आदरणीय सभापति जी,

हमें फिर एक बार 140 करोड़ देशवासियों की सेवा करने का मौका मिला है।

आदरणीय सभापति जी,

इस चुनाव ने इस बात को सिद्ध किया है कि भारत की जनता कितनी परिपक्व है, भारत की जनता कितने विवेकपूर्ण से और कितने उच्च आदर्शों को लेकर के अपने विवेक का सद्बुद्धि से उपयोग करती है। और उसी का नतीजा है कि आज तीसरी बार हम आपके सामने, देश की जनता के सामने नम्रतापूर्वक सेवा करने के लिए उपस्थित हुए हैं।

आदरणीय सभापति जी,

देश की जनता ने हमारी नीतियों को देखा है। हमारी नीयत, हमारी निष्ठा उस पर देश की जनता ने भरोसा किया है।

आदरणीय सभापति जी,

इस चुनाव में हम जनता के बीच एक बड़े संकल्प के साथ देश की जनता के पास आशीर्वाद मांगने के लिए गए थे। और हमने आशीर्वाद मांगा था विकसित भारत के हमारे संकल्प के लिए। हमने विकसित भारत के निर्माण के लिए एक प्रतिबद्धता के साथ, एक शुभनिष्ठा के साथ, जन सामान्य का कल्याण करने के इरादे से हम गए थे। जनता ने विकसित भारत के संकल्प को चार चांद लगा करके हमें फिर से एक बार हमें विजयी बनाकर के देश की जनता की सेवा करने का मौका दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

जब देश विकसित होता है तब कोटि-कोटि जनों के सपने पूरे होते हैं। देश जब विकसित होता है तब कोटि-कोटि जनों के संकल्प सिद्ध होते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

जब देश विकसित होता है तब आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत नीव उनके सपनों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाती है।

आदरणीय सभापति जी,

विकसित भारत का सीधा-सीधा लाभ हमारे देश के नागरिकों की गरिमा, हमारे देश के नागरिकों के quality of life में सुधार ये स्वाभाविक हमें विकसित भारत होने से देश के कोटि-कोटि जनों के भाग्य में आता है। आजादी के बाद मेरे देश का सामान्य नागरिक इन चीजों के लिए तरसता रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

जब विकसित भारत होता है तब हमारे गांव की स्थिति, हमारे शहरों की स्थिति उसमें भी बहुत बड़ा सुधार होता है। गांव के जीवन में गौरव भी होता है, गरिमा भी होती है और विकास के नए-नए अवसर भी होते हैं। हमारे शहरों का विकास भी एक अवसर के रूप में विकसित भारत में उभरता है तब दुनिया की विकास यात्रा में भारत के शहर भी बराबरी करेंगे ये हमारा सपना है।

आदरणीय सभापति जी,

विकसित भारत का मतलब होता है कोटि-कोटि नागरिकों को कोटि-कोटि अवसर उपलब्ध होते हैं। अनेक-अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं और वो अपने कौशल, अपनी क्षमता और संसाधनों के अनुसार विकास की नई सीमाओं को प्राप्त कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

आदरणीय सभापति जी,

आदरणीय सभापति जी,

मैं आज आपके माध्यम से देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि विकसित भारत के जिस संकल्प को लेकर के हम चले हैं उस संकल्प की पूर्ति के लिए हम भरसक प्रयास करेंगे, पूरी निष्ठा से करेंगे, पूरी ईमानदारी से करेंगे और हमारा समय का पल-पल और हमारे शरीर का कण-कण हम देशवासियों को विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए लगाएंगे। हमने देश की जनता को कहा था 24 by7 for 2047. आज मैं इस सदन में दोहराता हूं कि हम उस काम को अवश्य पूरा करेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

2014 के उन दिनों को याद कीजिए, उन 2014 के उन दिनों को याद करेंगे तो हमारे ध्यान में आएगा कि हमारे देश के लोगों ने उनका आत्मविश्वास खो चुका था, देश निराशा की गर्त में डूब चुका था। ऐसे में 2014 के पहले देश ने जो सबसे बड़ा नुकसान भुगता था, जो सबसे बड़ी अमानत खोई थी, वो था देशवासियों को आत्मविश्वास। और जब विश्वास और आत्मविश्वास खो जाता है तब उस व्यक्ति को, उस समाज को, उस देश को खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। और उस समय सामान्य मानवी के मुहं से यही निकलता था कि वो इस देश का कुछ हो नहीं सकता, उस समय हर जगह पर ये सात शब्द सुनाई देते थे। इस देश का कुछ नहीं हो सकता। यही शब्द 2014 के पहले सुनाई देते थे । भारतीयों की हताशा के ये सात शब्द एक प्रकार से पहचान बन गए थे। उस समय हर आए दिन अखबार खोलते थे तो घोटालों की खबरें ही पढ़ने को मिलती थी। और सैंकड़ों करोड़ के घोटाले, रोज नए घोटाले, घोटालों की घोटालों से स्पर्धा, ये घोटालेबाज लोगों के घोटाले, इसी का ये कालखंड था। और बेशर्मी के साथ सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी कर लिया जाता था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो 15 पैसा पहुंचता है। एक रुपये में 85 पैसे का घोटाला। इस घोटालों की दुनिया ने देश को निराशा की गर्त में डूबा दिया था। पॉलिसी paralysis था। भाई भतीजावाद इतना फैला हुआ था कि जिसके लिए सामान्य नौजवान तो आशा छोड़ चुका था कि अगर कोई सिफारिश करने वाला नहीं है तो जिंदगी अटक जाएगी। ये स्थति पैदा हुई थी। गरीब को घर लेना हो हजारों रुपयों की रिश्वत देनी पड़ती थी।

आदरणीय सभापति जी,

अरे गैस के कनेक्शन के लिए, Member Parliament के यहां, सांसदों के यहां अच्छे अच्छों को चक्कर काटने पड़ते थे। और वो भी बिना कट लिए गैस के कनेक्शन नहीं मिलते थे।

आदरणीय सभापति जी,

मुफ्त राशन भी पता नहीं कब बाजार में दुकान पर बोर्ड लटक जाए। हक का राशन नहीं मिलता था, उसके लिए भी रिश्वत देनी पड़ती थी। और हमारे ज्यादातर भाई – बहन इतने निराश हो चुके थे कि वो अपने भाग्य को दोष देकर के, अपने नसीब को दोष देकर के जिंदगी काटने के लिए मजबूर हो जाते थे।

आदरणीय सभापति जी,

वो एक वक्त था 2014 के पहले जब वो सात शब्द हिन्दुस्तान के जन मन में स्थिर हो चुके थे। निराशा की गर्त में डूबा हुआ समाज था। तब देश की जनता ने हमें सेवा करने के लिए चुना था और वो पल देश के परिवर्तित युग का प्रारंभ हो चुका था। और 10 साल में मैं कहूंगा मेरी सरकार की अनेक सफलताएं हैं, अनेक सिद्धियां हैं। लेकिन एक सिद्धि जिसने हर सिद्धियों में भी जोर भर दिया, ताकत भर दी वो थी देश निराशा की गर्त में से निकलकर के आशा और विश्वास के साथ खड़ा हो गया। देश में आत्मविश्वास बुलंदी पर पहुंचा और उसके कारण वो सब वक्त के जो शब्द थे देश की युवा पीढ़ी की dictionary से निकलने लगे। धीरे- धीरे देश के मन में स्थिर हो गया। जो 2014 से पहले कहते थे कुछ नहीं हो सकता, वो कहने लगे कि अब इस देश में सब कुछ हो सकता है, इस देश में सब कुछ संभव है। ये विश्वास जताने का काम किया हमने। सबसे पहले तेज 5जी रोल आउट हमने दिखाया। आज देश कहने लगा तीव्र गति से 5जी का रोल आउट होना, देश गौरव से कहने लगा भारत कुछ भी कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

वो एक जमाना था जब कोयले घोटाले में बड़ों-बड़ों के हाथ काले हो चुके थे। आज कोयले का सर्वाधिक उत्पाद, सर्वाधिक पुनरक्षण आज coal production के विक्रम हुए हैं। और इसी के कारण देश अब कहने लगा है-अब भारत कुछ भी कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

वो एक समय था 2014 के पहले फोन बैंकिंग करके बड़े-बड़े बैंक घोटाले किये जा रहे थे। अपनी personal property की तरह बैंक का खजाना लूट लिया गया था।

आदरणीय सभापति जी,

2014 के बाद नीतियों में परिवर्तन, निर्णयों में गति, निष्ठा प्रमाणिकता की और उसी का परिणाम है दुनिया की अच्छी बैंकों में आज भारत की बैंकों का स्थान बन गया। आज भारत की बैंक सर्वाधिक मुनाफा करने वाली बैंक बन गई। और लोगों की सेवा करने के लिए।

आदरणीय सभापति जी,

2014 के पहले वो भी एक वक्त था जब आतंकी आकर के जी चाहे वहां, जी चाहे वहां, जब चाहे वहां हमला कर सकते थे। 2014 के बाद स्थिति ये बनी कि जब वहां उस समय 2014 के पहले निर्दोष लोग मारे जाते थे। हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने को टारगेट किया जाता था और सरकारें चुपचाप बैठी रहती थी, मुंह तक खोलने को तैयार नहीं थी। आज 2014 के बाद का हिन्‍दुस्‍तान घर में घुसकर मारता है, सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एयर स्ट्राइक करता है और आतंकवाद के आकाओं को भी सामर्थ्‍य दिखा दिया है।

आज आदरणीय सभापति जी,

देश एक-एक नागरिक जानता है कि अपनी सुरक्षा के लिए भारत कुछ भी कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

आर्टिकल 370, इसकी पूजा करने वाले लोगों ने वोट बैंक की राजनीति का हथियार बनाने वालों ने 370 को उसने जम्मू-कश्मीर के जो हालात कर दिए थे, वहां के लोगों के अधिकार छीन लिए थे, भारत का संविधान जम्‍मू-कश्मीर की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकता था और यहां संविधान सर पर रखकर के नाचने वाले लोग संविधान को जम्मू-कश्मीर में लागू करने का हौसला नहीं रखते थे। बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया करते थे और 370 का वो जमाना था, सेनाओं पर पत्थर चलते थे और लोग निराशा में डूबकर के कहते थे, अब तो जम्मू-कश्मीर में कोई हो नहीं सकता है। आज आर्टिकल 370 की दीवार गिरी, पत्थरबाजी बंद है, लोकतंत्र मजबूत है और लोग बढ़-चढ़ करके भारत के संविधान में भरोसा करते हुए, भारत के तिरंगे झंडे पर भरोसा करते हुए, भारत के लोकतंत्र में भरोसा करते हुए बढ़-चढ़ करके मतदान करने के लिए आगे आ रहे हैं, ये साफ-साफ दिखाई देता है।

आदरणीय सभापति जी,

140 करोड़ देशवासियों में ये विश्वास पैदा होना ये उम्मीद और जब विश्वास जगता है तो विकास का वो ड्राइविंग फोर्स बन जाता है। इस विश्वास ने विकास का ड्राइविंग फोर्स का काम किया है।

आदरणीय सभापति जी,

ये विश्वास विकसित भारत, संकल्प से सिद्धि का विश्वास है।

आदरणीय सभापति जी,

जब आजादी का जंग चल रहा था और जो भाव देश में था। जो जोश था, उत्साह था, उमंग था, जो विश्वास था कि आजादी लेकर रहेंगे, आज देश के कोटि-कोटि जनों में वो विश्वास पैदा हुआ है जिस विश्वास के कारण आज विकसित भारत होना एक प्रकार से उसकी मजबूत नींव इस चुनाव में शिलान्यास हो चुका है। जो ललक आजादी के आंदोलन में थी, वो ही ललक विकसित भारत के इस सपने को साकार करने में है।

आदरणीय सभापति जी,

आज भारत के लक्ष्य बहुत विराट हैं और आज भारत को एक ऐसी स्थिति पर 10 साल में पहुंचा है कि हमें खुद से ही स्पर्धा करनी है, हमें ही अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ने हैं और नेक्‍स्‍ट लेवल पर हमें हमारी विकास यात्रा को ले जाना है। 10 वर्षों में भारत विकास की जिस ऊंचाई पर पहुंचा है वो हमारी प्रतिस्पर्धा का एक मार्क बन चुका है, एक बेंचमार्क बन चुका है। पिछले 10 साल में हमने जो स्पीड पकड़ी है, अब हमारा मुकाबला उसी स्पीड को और ज्यादा स्पीड में ले जाने का है और विश्वास है देश की इच्छा को हम उसी गति से पूरा करेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

हम हर सफलता को, हर सेक्टर को नेक्‍स्‍ट लेवल तक ले जाएंगे।

आदरणीय सभापति जी,

10 सालों में भारत की इकोनॉमी को 10 साल के अल्पकाल में हम 10 नंबर से इकोनॉमी को 5 नंबर पर ले गए। अब हम नेक्‍स्‍ट लेवल पर जाने के लिए जिस गति से निकले हैं, अब हम देश की इकोनॉमी को नंबर 3 पर ले जाएंगे।

आदरणीय सभापति जी,

10 सालों में हमने भारत को मोबाइल फोन का बड़ा मैन्युफैक्चरर बना दिया। भारत को मोबाइल फोन का बड़ा एक्सपोर्टर बना दिया। अब यही काम इस हमारे टेन्योर में सेमीकंडक्टर और अन्य सेक्‍टर्स में हम करने जा रहे हैं। दुनिया के महत्वपूर्ण कामों में जो चिप्स काम में आएंगी, वो चिप मेरे भारत की मिट्टी में तैयार हुई होगी। मेरे भारत की नौजवानों की बुद्धि का परिणाम होगा। मेरा भारत के नौजवानों के परिश्रम का परिणाम होगा, ये विश्वास हमारे दिल में है।

आदरणीय सभापति जी,

हम आधुनिक भारत की तरफ भी जाएंगे। हम विकास की नई ऊंचाइयों को, लेकिन हमारी जड़ें जमीन से जुड़ी रहेंगी, हमारे पैर देश के जनसामान्य की जिंदगी से जुड़े रहेंगे, और हम चार करोड़ गरीबों के घर बना चुके हैं। आने वाले इस टेन्योर में तेज गति से तीन करोड़ और घर बना करके इस देश में किसी को भी घर के बिना रहना न पड़े, ये हम देखेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

दस साल में women self help group में हमने देश की कोटि-कोटि बहनों को entrepreneur के क्षेत्र में एक बहुत सफलता पूर्वक हम आगे बढ़े हैं। अब हम उसको next level पर ले जाने वाले हैं। अब हमारे women self help group में जो बहनें काम कर रही हैं, उनकी आर्थिक गतिविधि इतना बढ़ाना चाहते हैं, उसका इतना विस्तार करना चाहते हैं कि हम बहुत कम समय में तीन करोड़ ऐसी बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प ले करके चलने वाले हैं।

आदरणीय सभापति जी,

मैंने पहले भी कहा है, आज मैं फिर से दोहरा रहा हूं- हमारी तीसरी टर्म का मतलब है हम तीन गुना स्पीड से काम करेंगे। हमारी तीसरी टर्म का मतलब है हम तीन गुना शक्ति लगाएंगे। हमारी तीसरी टर्म का मतलब है हम देशवासियों को तीन गुना परिणाम लाकर दे देंगे।

आदरणीय सभापति जी,

एनडीए का तीसरी बार सरकार में आना एक ऐतिहासिक घटना है। आजादी के बाद ये सौभाग्य दूसरी बार इस देश में आया है। और 60 साल के बाद आया है। इसका मतलब ये सिद्धि पाना कितना कठोर परिश्रम के बाद होता है। कितना अभूतपूर्व विश्वास संपादन होने के बाद होता है। ऐसे ही ये राजनीति के खेल से नहीं होता है। जनता जनार्दन की सेवा से प्राप्त आशीर्वाद से होता है।

आदरणीय सभापति जी,

जनता ने हमें स्थिरता और निरंतरता, इसके लिए जनादेश दिया है। लोकसभा चुनाव के साथ ही आदरणीय सभापति जी, लोगों की नजर से चीजें जरा ओझल हो गईं। लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हमारे देश में चार राज्यों के भी चुनाव हुए हैं और आदरणीय सभापति जी, इन चारों ही राज्यों में एनडीए ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है, अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। हमने शानदार विजय प्राप्त की है। महाप्रभु जगन्नाथ जी की धरती उड़ीसा ने हमें भरपूर आशीर्वाद दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

आंध्र प्रदेश एनडीए ने क्‍लीन स्‍वीप किया है। सूक्ष्म दर्शन यन्त्र में भी ये नजर नहीं आते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

अरुणाचल प्रदेश, हम फिर एक बार सरकार बनाएंगे। सिक्किम में एनडीए ने फिर एक बार सरकार बनाई है। अभी 6 महीने पहले ही आदरणीय सभापति जी, आपका होम स्टेट राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हमने प्रचण्ड विजय पाया है।

आदरणीय सभापति जी,

हमें नए-नए क्षेत्रों में जनता का प्यार मिल रहा है, जनता का आर्शीवाद मिल रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

बीजेपी ने केरला में इस बार खाता खोला है और बड़े गर्व से केरला से हमारे सांसद हमारे साथ बैठते हैं। तमिलनाडु में कई सीटों पर बीजेपी ने दमदार उपस्थिति दर्ज की है। कर्नाटक, यूपी और राजस्थान में पिछले बार की तुलना में बीजेपी का वोट परसेंट बढ़ा है। आने वाले समय में तीन राज्यों में चुनाव है। जिन राज्यों में चुनाव है उसमें से तीन की मैं बात करता हूं। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड… यहां चुनाव आ रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

पिछली विधानसभा में इन तीन राज्यों में हमें जितने वोट मिले थे। इस लोकसभा चुनाव में इन तीन राज्यों में हमें उससे भी ज्यादा वोट मिले थे।

आदरणीय सभापति जी,

पंजाब में भी हमारा अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा है और हमें बढ़त मिली है। जनता जनार्दन का भरपूर आशीर्वाद हमारे साथ है।

आदरणीय सभापति जी,

2024 के चुनाव में कांग्रेस के लिए भी इस देश की जनता ने जनादेश दिया है और इस देश की जनादेश है कि आप वहीं बैठिए, विपक्ष में ही बैठो और तर्क खत्‍म हो जाएं तो चीखते रहो, चिल्‍लाते रहो।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस के इतिहास का ये पहला मौका है, जब लगातार तीन बार, लगातार तीन बार कांग्रेस 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। कांग्रेस के इतिहास में ये तीसरी सबसे बड़ी हार है। तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। अच्‍छा होता कांग्रेस अपनी हार स्वीकार करती, जनता जनार्दन के आदेश को सर-आंखों पर चढ़ाती, आत्ममंथन करती… लेकिन ये तो कुछ शीर्षासन करने में लगे हुए हैं और कांग्रेस और उसका इकोसिस्टम दिन-रात बिजली जला करके हिन्‍दुस्‍तान के नागरिकों के मन में ये प्रस्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने हमें हरा दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

ऐसा क्यों हो रहा है? मैं जरा अपने सामान्य के जीवन के अनुभव से बताता हूं। कोई छोटा बच्चा साइकिल लेकर के निकला है और अगर वो बच्चा गिर जाता है, साइकिल से लुढ़क जाता है, रोने लगता है तो कोई बड़ा व्यक्ति आकर के उसके पास पहुंच जाता है और उसको कहता है देखो चींटी मर गई, देखो चिड़िया उड़ गई, अरे देखो तुम तो बढ़िया साइकिल चलाते हो, अरे तुम तो गिरे नहीं हो… ऐसा करके उसका जरा मगज ठीक करने के लिए प्रयास करते हैं। उसका ध्यान भटका करके उस बच्‍चे का मन बहला देते हैं। तोे आजकल बच्चे का मन बहलाने का काम चल रहा है और कांग्रेस के लोग और उनका इकोसिस्टम आजकल ये मन बहलाने का काम कर रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

1984, उस चुनाव को याद कीजिए, उसके बाद इस देश में 10 लोकसभा के चुनाव हुए… 10 लोकसभा के चुनाव हुए हैं… 1984 के बाद 10-10 लोकसभा के चुनाव होने के बावजूद भी कांग्रेस 250 के आंकड़े को छू नहीं पाई है। इस बार किसी तरह 99 के चक्कर में फंसे गए हैं।

आदरणीय सभापति जी,

मुझे एक किस्सा याद आता है… 99 मार्क्स लेकर एक बालक घमंड में घूम रहा था और वो सबको दिखाता था देखो कितने ज्यादा मार्क्स आए हैं, तो लोग भी जब 99 सुनते थे तो शाबाशी देते थे, बहुत उसको हौसला बुलंद करते थे। तो फिर उनके टीचर आए कि भैया किस बात की मिठाई बांट रहे हो? ये 100 में से 99 नहीं लाया, ये तो 543 में से लाया है। अब उस बालक-बुद्धि को कौन समझाए कि तुमने फेल होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है। कांग्रेस…

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस के नेताओं के बयानों में ये बयानबाजी ने शोले फिल्म को भी पीछे छोड़ दिया है। आप सबको शोले फिल्‍म की वो मौसी जी याद होंगी… तीसरी बार तो हारे हैं पर मौसी ये बात तो सही है तीसरी बार ही तो हारे हैं पर मौसी मोरल विक्‍ट्री तो है ना?

आदरणीय सभापति जी,

13 राज्यों में 0 सीटें आईं हैं, अरे मौसी 13 राज्यों में 0 सीटें आईं हैं पर हीरो तो है ना?

आदरणीय सभापति जी,

अरे पार्टी की लुटिया तो डुबोई है, अरे मौसी पार्टी अभी भी सांसे तो ले रही है। मैं कांग्रेस के लोगों को कहूंगा, जनादेश को फर्जी जीत के जश्न में मत दबाओ। जनादेश को फर्जी जीत के नशे में मत डुबाओ, उस जश्न में मत दबाओ। ईमानदारी से देशवासियों के जनादेश को जरा समझने की कोशिश करो, उसे स्वीकार करो।

आदरणीय सभापति जी,

मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथी दल हैं, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण किया है कि नहीं किया है। ये चुनाव इन साथियों के लिए भी एक संदेश है।

आदरणीय सभापति जी,

अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस पार्टी के रूप से जानी जाएगी। 2024 से जो कांग्रेस है वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर पर उस शरीर के साथ रहता है, ये परजीवी उसी को ही खाता है। कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसलिए कांग्रेस परजीवी कांग्रेस बन चुकी है। मैं जब परजीवी कह रहा हूं तो तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं।

आदरणीय सभापति जी,

मैं कुछ आंकड़े आपके माध्यम से सदन को और इस सदन के माध्यम से देश के सामने रखना चाहता हूं। जहां-जहां भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था या जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी और साथी के पास 1-2-3 सीटें थीं वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ और सिर्फ 26 परसेंट है। लेकिन जहां किसी का पल्लू पकड़कर के चलते थे, जहां वो जूनियर पार्टनर थे, किसी दल ने उनको कुछ दे दिया मौका, ऐसे राज्यों में कांग्रेस जहां जूनियर पार्टनर थी उनका स्ट्राइक रेट 50 परसेंट है। और कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने उनको जिताया है। और इसलिए मैं कहता हूं ये परजीवी कांग्रेस है। 16 राज्यों में जहां कांग्रेस अकेले लड़ी वहां उसका वोटर शेयर इस चुनाव में गिर चुका है।

आदरणीय सभापति जी,

गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इन तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से, चौंसठ में से सिर्फ 2 सीट जीत पाई है, 64 में से 2. इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर उन्होंने चढ़कर के ये सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है। अगर कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं वो अगर ना खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था।

आदरणीय सभापति जी,

ऐसे समय एक अवसर आया देश ने विकास के रास्ते को चुना है, देश ने विकसित भारत के सपने को साकार करने का मन बना लिया है। तब भारत को एकजुट होकर समृद्धि का नया सफर तय करना है। ऐसे समय ये देश का दुर्भाग्य है कि हिंदुस्तान में 6-6 दशक तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी अराजकता फैलाने में जुट़ी हुई है। ये दक्षिण में जाकर उत्तर के लोगों के खिलाफ बोलते हैं, ये उत्तर में जाकर के दक्षिण के खिलाफ जह़र उगलते हैं, पश्चिम के लोगों के खिलाफ बोलते हैं, महापुरुषों के खिलाफ बोलते हैं। इन्होंने भाषा के आधार पर बांटने की हर कोशिश की है। जिन नेताओं ने देश के हिस्से को भारत से अलग करने की वकालत की थी उनको संसद की टिकट देने तक का दुर्भाग्य हमें देखना पड़ा जो कांग्रेस पार्टी ने पाप किया है। कांग्रेस पार्टी खुलेआम एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ लड़ाने के लिए रोज नए-नए narrative जड़ रही है। नयी नयी अफवाहें फैला रही है।

आदरणीय सभापति जी,

देश के एक हिस्से के लोगों को हीन बताने की प्रवृत्ति का भी कांग्रेस के लोग बढ़ावा दे रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस देश में आर्थिक अराजकता फैलाने की दिशा में भी सोची-समझी चाल रही है। चुनाव के दौरान जो बातें की गई राज्यों में, उनके राज्यों में जिस प्रकार से आर्थिक कदम ये उठा रहे हैं, ये वो रास्ता आर्थिक अराजकता की तरफ देश को घसीटने वाला है। उनके राज्य देश पर आर्थिक बोझ बन जाए ये खेल जानबूझकर के खेला जा रहा है। मंचों से साफ-साफ घोषणा की गई, अगर इनके मन का परिणाम नहीं आया 4 जून को देश में आग लगा दी जाएगी। लोग इकट्ठे होंगे, अराजकता फैलाएंगे ये अधिकृत रूप से आह्वान किए गए। ये अराजकता फैलाना इनका मकसद है। भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सवालों के घेरे में लाकर अराजकता फैलाने का प्रयास किया गया है। CAA को लेकर जो अराजकता फैलाई गई, देश के लोगों में गुमराह करने का जो खेल खेला गया, पूरी eco-system इस बात को बल देती रही क्योंकि उनकी राजनीतिक मकसद परे हो।

आदरणीय सभापति जी,

देश को दंगों में झोंकने के भी उचित प्रयास पूरे देश ने देखें हैं।

आदरणीय सभापति जी,

आजकल sympathy gain करने का एक नई ड्रामेबाजी शुरू की गई है, नया खेल खेला जा रहा है, मैं एक किस्सा सुनाता हूं। एक बच्चा स्कूल से आया और जोर-जोर से रोने लगा और उसकी मां भी डर गई क्या हो गया, बहुत रोने लगा और फिर कहने लगा मां मुझे आज स्कूल में मारा गया, आज स्कूल में मुझे उसने मारा, आज स्कूल में मुझे इसने मारा और जोरो-जोरो से रोने लगा, मां परेशान हो गई। उसने उसे पूछा कि बेटा बात क्या थी लेकिन वो बता नहीं रहा था बस रो रहा था मुझे मारा, मुझे मारा। बच्चा ये नहीं बता रहा था कि आज स्कूल में उस बच्चे ने किसी बच्चे को मां की गाली दी थी। उसने ये नहीं बताया किसी बच्चे की किताबें उसने फाड़ दी थी। उसने ये नहीं बताया कि उसने टीचर को चोर कहा था। उसने ये नहीं बताया कि किसी का टिफिन चुराकर के खा गया था। हमने कल सदन में यही बचकाना हरकत देखी हैं। कल यहां बालक बुद्धि विलाप चल रहा था, मुझे मारा गया, मुझे इसने मारा, मुझे उसने मारा, मुझे यहां मारा, मुझे वहां मारा। ये चल रहा था।

आदरणीय सभापति जी,

Sympathy हासिल करने के लिए ये नया ड्रामा चलाया गया है। लेकिन देश ये सच्चाई जानते हैं कि ये हजारों करोड़ रुपये, उसकी हेरा-फेरी के मामले में जमानत पर बाहर है। ये ओबीसी वर्ग के लोगों को चोर बताने के मामले में सजा पा चुके हैं। इनको देश की सर्वोच्च अदालत पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने के बाद माफी मांगनी पड़ी है। इनपर महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जैसे महान व्यक्तित्व पर अपमान करने का मुकदमा है। इनपर देश की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष को हत्यारा कहने का मुकदमा चल रहा है। इनपर अनेक नेताओं, अधिकारियों संस्थानों पर झूठ बोलने के गंभीर आरोप हैं, और वो केस चल रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

बालक बुद्धि में ना बोलने का ठिकाना होता है और ना ही बालक बुद्धि में व्यवहार का कोई ठिकाना होता है। और जब ये बालक बुद्धि पूरी तरह सवार हो जाती है तो सदन में भी किसी के गले पड़ जाते हैं। ये बालक बुद्धि अपनी सीमाएं खो देती हैं तो सदन के अंदर बैठकर के आंखें मारते हैं, आंखें मारते हैं। इनकी सच्चाई आदरणीय सभापति जी अब पूरा देश समझ गया है। इसलिए आज देश इनसे कह रहा है तुमसे नहीं हो पाएगा, तुमसे न हो पाएगा।

आदरणीय सभापति जी,

तुलसीदास जी कह गए हैं, अखिलेश जी... तुलसीदास जी कह गए हैं झूठइ लेना झूठइ देना। झूठइ भोजन झूठ चबेना। तुलसीदास जी ने कहा है झूठइ लेना झूठइ देना। झूठइ भोजन झूठ चबेना। कांग्रेस ने झूठ को राजनीति का हथियार बनाया। कांग्रेस के मुंह झूठ लग गया है। जैसे वो आदमखोर एनिमल होता है ना जिसको लहू मुंह पर लग जाता है वैसे आदरणीय सभापति जी, कांग्रेस के मुंह झूठ का खून लग गया है। देश ने कल 1 जुलाई को खटाखट दिवस भी मनाया है। 1 जुलाई को लोग अपने बैंक चैक कर रहे थे। कि 8500 रुपए आए कि नहीं आए। ये झूठ नेरेटिव का परिणाम देखिए कांग्रेस ने देशवासियों को गुमराह किया। माताओं-बहनों को हर महीने 8500 रुपए देने का झूठ इन माताओं के, बहनों के दिलों को जो चोट लगी है ना वो श्राप बनकर के ये कांग्रेस को तबाह करने वाली है।

आदरणीय सभापति जी,

ईवीएम को लेकर झूठ, संविधान को लेकर झूठ, आरक्षण को लेकर झूठ, उससे पहले राफेल को लेकर झूठ, एचएएल को लेकर के झूठ, एलआईसी को लेकर के झूठ, बैंकों को लेकर झूठ, कर्मचारियों को भी भड़काने के प्रयास हुए। हौसला तो इतना बढ़ गया कि कल सदन को भी गुमराह करने का प्रयास हुआ। कल अग्निवीर को लेकर सदन में झूठ बोला गया। कल यहां भरपूर असत्य बोला गया कि एमएसपी नहीं दिया जा रहा।

अध्यक्ष जी,

संविधान की गरिमा से खिलवाड़ ये सदन का दुर्भाग्य है और अनेक बार लोकसभा में जीतकर के आए लोग सदन की गरिमा के साथ खिलवाड़ करे ये शोभा नहीं देता है।

आदरणीय सभापति जी,

जो दल साठ-साठ साल तक यहां बैठा है, जो सरकार के कामों को जानता है। जिसके पास अनुभवी नेताओं की श्रृंखला है। वे जब अराजकता के इस रास्ते पर चले जाएं, झूठ के रास्ते को चुन ले तब देश गंभीर संकट की तरफ जा रहा है इसका सबूत मिल रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

सदन की गरिमा से खिलवाड़ ये हमारा संविधान निर्माताओं का अपमान है, इस देश के महापुरुषों को अपमान है। देश के लिए आजादी के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूतों को अपमान है।

और इसलिए आदरणीय सभापति जी,

मैं जानता हूं आप बहुत सर्वदयी हैं, आप उदार मन के मालिक हैं, आप संकट के समय भी हल्की फुल्की मीठी मुस्कान के साथ चीजों को झेल लेते हैं।

लेकिन आदरणीय सभापति जी,

अब जो हो रहा है, कल जो हुआ है उसको गंभीरता से लिए बिना संसदीय लोकतंत्र को हम रक्षित नहीं कर पाएंगे।

आदरणीय सभापति जी,

इन हरकतों को बालक बुद्धि कहकर के, बालक बुद्धि मानकर के अब नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। और मैं इसलिए कह रहा हूं कि इसके पीछे इरादे नेक नहीं हैं, इरादे गंभीर खतरे के हैं और मैं देशवासियों को भी जगाना चाहता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

इन लोगों का झूठ हमारे देश के नागरिकों की विवेक बुद्धि पर आशंका व्यक्त करता है। उनका झूठ देश के सामान्य विवेक बुद्धि पर एक तमाचा मारने की निर्लज्ज हरकत है।

आदरणीय सभापति जी,

ये हरकतें देश की महान परंपराओं पर तमाचा है।

आदरणीय सभापति जी,

इस सदन की गरिमा बचाने को बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप पर है। सदन में शुरू हुई झूठ की परंपरा पर कठोर कार्रवाई करेंगे ये देशवासियों की भी और इस सदन की भी अपेक्षा है।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण पर भी हमेशा झूठ बोला है। आज मैं 140 करोड़ देशवासियों के सामने सच्चाई रखना चाहता हूं, बड़ी नम्रता पूर्वक रखना चाहता हूं। देशवासियों को भी इस सत्य को जानना बहुत जरूरी है।

आदरणीय सभापति जी,

आपातकाल, इमरजेंसी का ये 50वां वर्ष है। इमरजेंसी सिर्फ और सिर्फ सत्ता के लोभ के खातिर, तानाशाही मानसिकता के कारण देश पर थोपा गया तानाशाही शासन था। और कांग्रेस क्रूरता की सभी हदें पार कर चुकी। उसने अपने ही देशवासियों पर क्रूरता का पंजा फैलाया था और देश के ताने बाने को छिन्न-विछिन्न करने का पाप किया था।

आदरणीय सभापति जी,

सरकारों को गिराना, मीडिया को दबाना, हर कारनामे संविधान की भावना के खिलाफ, संविधान की धाराओं के खिलाफ, संविधान के एक-एक शब्द के खिलाफ थे। ये वो लोग हैं, जिन्होंने प्रारंभ से देश के दलितों के साथ, देश के पिछड़ों के साथ घोर अन्याय किया है।

आदरणीय सभापति जी,

और इसी कारण से बाबा साहेब अंबेडकर ने कांग्रेस की दलित विरोधी, पिछड़े विरोधी मानसिकता के कारण, नेहरू जी की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उन्होंने पर्दाफाश किया था कि कैसे नेहरू जी ने दलितों, पिछड़ों के साथ अन्याय किया। और बाबा साहब अंबेडकर ने कैबिनेट से इस्तीफा देते समय जो कारण बताए थे वो कारण इनके चरित्र को दर्शाते हैं। बाबा साहब अंबेडकर जी ने कहा था मैं सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों की उपेक्षा पर अपने अंदर उत्पन्न आक्रोश को रोक नहीं सका, ये बाबा साहब अंबेडकर के शब्द हैं। अनुसूचित जातियों की उपेक्षा इसने बाबा साहब अंबेडकर को आक्रोशित कर दिया। बाबा साहब के सीधे हमले के बाद नेहरू जी ने बाबा साहब अंबेडकर का राजनीतिक जीवन खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगा दी।

आदरणीय सभापति जी,

पहले षड्यंत्र पूर्वक बाबा साहब अंबेडकर को चुनाव में हरवाया गया।

आदरणीय सभापति जी,

हराया इतनी ही नहीं, उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के इस पराजय की, उसका जश्न मनाया, खुशी मनाई और खुशी उन्होंने व्यक्त की।

आदरणीय सभापति जी,

एक पत्र में ये लिखित है इस खुशी का, आदरणीय सभापति जी, बाबा साहब की तरह ही दलित नेता बाबू जगजीवन राम जी को भी उनका हक नहीं दिया गया। इमरजेंसी के बाद जगजीवन राम जी के पीएम बनने की संभावना थी। इंदिरा गांधी जी ने पक्का किया कि जगजीवन राम जी किसी भी हालात में पीएम न बनें। और एक किताब में लिखा गया है कि किसी भी कीमत पर जगजीवन राम प्रधानमंत्री नहीं बनने चाहिए। अगर बन गए तो वो हटेंगे नहीं जिंदगी भर। ये इंदिरा गांधी जी का quote उस किताब में है। कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह जी के साथ भी यही व्यवहार किया, उनको भी नहीं छोड़ा था। पिछड़ों के नेता कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बिहार के सपूत सीताराम केसरी के साथ भी अपमानित व्यवहार करने का पाप इसी कांग्रेस ने किया।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस पार्टी प्रारंभ से ही आरक्षण की घोर विरोधी रही है। नेहरू जी ने तो मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर के साफ-साफ शब्दों में आरक्षण का विरोध किया था। कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने मंडल कमीशन का रिपोर्ट ठंडे बक्से में सालों तक दबाए रखा था।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस पार्टी के तीसरे प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी और जब विपक्ष में थे, उनका सबसे लंबा भाषण आरक्षण के खिलाफ था। वो आज भी संसद के रिकॉर्ड में उपलब्ध है। और इसलिए आदरणीय सभापति जी, मैं आज एक गंभीर विषय पर आपका और देशवासियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। कल जो हुआ, इस देश के कोटि-कोटि देशवासी आने वाली सदियों तक माफ नहीं करेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

131 साल पहले स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में कहा था। मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से आता हूं, जिसने पूरी दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकृति सिखाई है। 131 साल पहले हिंदू धर्म के लिए विवेकानंद जी ने अमेरिका के शिकागो में दुनिया के दिग्गजों के सामने कहा था।

आदरणीय सभापति जी,

हिंदू सहनशील है, हिंदू अपनत्व को लेकर के जीने वाला समूह है। इसी कारण भारत का लोकतंत्र, भारत की इतनी विविधताएं, उसकी विराटता आज उसी के कारण पनपी है और पनप रही है।

आदरणीय सभापति जी,

गंभीर बात है कि आज हिंदुओं पर झूठा आरोप लगाने की साजिश हो रही है, गंभीर षड्यंत्र हो रहा है। आदरणीय सभापति जी, ये कहा गया हिंदू हिंसक होते हैं, ये हैं आपके संस्कार, ये है आपका चरित्र, ये है आपकी सोच, ये है आपकी नफरत, इस देश के हिंदुओं के साथ ये कारनामे।

आदरणीय सभापति जी,

ये देश शताब्दियों तक इसे भूलने वाला नहीं है। कुछ दिन पहले हिंदुओं में जो शक्ति की कल्पना है, उसके विनाश की घोषणा की गई थी। आप किस शक्ति की विनाश की बात करते हैं। ये देश सदियों से शक्ति का उपासक है। ये मेरा बंगाल मां दुर्गा की पूजा करता है, शक्ति की उपासना करता है। ये बंगाल मां काली की उपासना करता है, समर्पित भाव से करता है। आप उस शक्ति के विनाश की बातें करते हो। ये वो लोग हैं, जिन्होंने हिंदू आतंकवाद ये शब्द गढ़ने की कोशिश की थी। इनके साथी हिंदू धर्म को इसकी तुलना डेंगू, मलेरिया, ऐसे शब्दों से करें और ये लोग तालियां बजाएं, ये देश कभी माफ नहीं करेगा।

आदरणीय सभापति जी,

एक सोची समझी रणनीति के तहत इनका पूरा इकोसिस्टम हिंदू परंपरा, हिंदू समाज, इस देश की संस्कृति, इस देश की विरासत, इसको नीचा दिखाना, उसको गाली देना, उसे अपमानित करना, हिंदुओं का मजाक उड़ाना इसे फैशन बना दिया है और उसको संरक्षण देने का काम अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसे तत्व कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हम बचपन से सीखते हुए आए हैं। गांव का हो और शहर होता हो, गरीब हो, अमीर हो, इस देश का हर बच्चा-बच्चा ये जानता है। ईश्वर का हर रूप, आदरणीय सभापति जी, ईश्वर का हर रूप दर्शन के लिए होता है। ईश्वर का कोई भी रूप निजी स्वार्थ के लिए, प्रदर्शन के लिए नहीं होता है। जिसके दर्शन होते हैं, उसके प्रदर्शन नहीं होते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे देवी-देवताओं का अपमान 140 करोड़ देशवासियों के दिलों को गहरी चोट पहुंचा रहा है। निजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए ईश्वर के रूपों का इस प्रकार से खेल। आदरणीय सभापति जी, ये देश कैसे माफ कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

सदन के कल के दृश्यों को देखकर के अब हिंदू समाज को भी सोचना होगा क्या ये अपमानजनक बयान संयोग है या कोई प्रयोग की तैयारी है। ये हिंदू समाज को सोचना पड़ेगा।

आदरणीय सभापति जी,

हमारी सेनाएं देश का अभिमान हैं। सारे देश को उनके साहस और हमारी सेना की वीरता पर गर्व है। और आज सारा देश देख रहा है हमारी सेनाएं, हमारा डिफेंस सेक्टर आजादी के बाद इतने सालों में जितना नहीं हुआ इतने ही रिफॉर्म हो रहे हैं। हमारी सेना को आधुनिक बनाया जा रहा है। हर चुनौती को हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब दे सके इसलिए युद्ध के सामर्थ्य वाली सेना बनाने के लिए हम भरपूर प्रयास कर रहे हैं, रिफॉर्म कर रहे हैं, कदम उठा रहे हैं, देश की सुरक्षा का मकसद लेकर के। बीते कुछ सालों में बहुत सारी चीजें बदली हैं। सीडीएस का पद बनने के बाद integration और सशक्त हुआ है।

आदरणीय सभापति जी,

हमारी सशस्त्र सेनाओं के बीच उनके सहयोग से जो लंबे समय से युद्ध शास्त्रों के निषादों का मत था कि भारत में theatre command जरूरी है। आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि सीडीएस व्यवस्था बनने के बाद देश में सुरक्षा के लिए जरूरी theatre command की दिशा में प्रगति हो रही है।

आदरणीय सभापति जी,

आत्मनिर्भर भारत, उसमें हमारी सेना को आत्मनिर्भर बनाना उसकी भी बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। हमारी देश की सेना युवा होनी चाहिए। सेना दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए होती है। हमें हमारे युवाओं पर भरोसा होना चाहिए। सेना में युवाओं की ताकत बढ़ानी चाहिए और इसलिए हम लगातार युद्ध योग्य सेना बनाने के लिए रिफॉर्म कर रहे हैं। समय पर रिफॉर्म न करने के कारण हमारी सेना का बहुत नुकसान हुआ है। लेकिन ये बाते सार्वजनिक कहने योग्य नहीं होने के कारण मैं मेरे मुंह को ताला लगाकर के बैठा हूं।

आदरणीय सभापति जी,

देश की सुरक्षा एक गंभीर मसला होता है। आदरणीय सभापति जी, ऐसे रिफॉर्म का उद्देश्य किसी भी परिस्थिति में अब युद्ध के रूप बदल रहे हैं। संसाधन बदल रहे हैं, शस्त्र बदल रहे हैं, टेक्निक बदल रही है। ऐसे में हमें हमारी सेनाओं को उसी चुनौतियों के अनुरूप तैयार करना ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। जिसको निभाने के लिए गालियां खाकर के भी, झूठे आरोप सहकर के भी मुंह पर ताला लगाकर हम काम कर रहे हैं। ऐसे समय देश की सेना को आधुनिक बनाना सशक्त बनाने के ऐसे समय कांग्रेस क्या कर रही है? ये झूठ फैला रहे हैं। ये डिफेंस रिफॉर्म्स के प्रयासों को कमजोर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

दरअसल कांग्रेस के लोग कभी भी भारतीय सेनाओं को ताकतवर होते नहीं देख सकते। आदरणीय सभापति जी, कौन नहीं जानता कि नेहरू जी के समय देश की सेनाएं कितनी कमजोर होती थी। हमारी सेनाओं में कांग्रेस ने जो लाखों करोड़ों के घोटाले किए वही तरीका था जिसने देश की सेना को कमजोर किया है। ये देश की सेनाओं को कमजोर किया। जल हो, थल हो, नभ हो, सेना की हर आवश्यकता में इन्होंने देश आजाद हुआ, तब से भ्रष्टाचार की परंपरा बनाई। जीप घोटाला हो, पनडुब्बी घोटाला हो, बोफोर्स घोटाला हो, इन सारे घोटालों ने देश की सेना की ताकत को बढ़ने से रोका है। वो भी एक वक्त था, आदरणीय सभापति जी, कांग्रेस के एक जमाने में हमारी सेनाओं के पास बुलेट प्रूफ जैकेट भी नहीं हुआ करते थे। सत्ता में रहते हुए देश की सेना को तो बर्बाद किया ही किया, उसको कमजोर किया ही किया, लेकिन ये कारनामे विपक्ष में जाने के बाद भी चलते रहे। विपक्ष में जाने के बाद भी सेना को कमजोर करने के लगातार प्रयास होते रहे हैं। जब ये कांग्रेस सरकार में थे तो फाइटर जेट नहीं लिए और जब हमने कोशिश की तो कांग्रेस हर तरह की साजिश पर उतर आई। फाइटर जेट एयर फोर्स तक न पहुंच पाए, इसके लिए साजिशें की गईं और आदरणीय सभापति जी, ये बालक-बुद्धि देखिए कि राफेल के छोटे-छोटे खिलौने बना करके उड़ाने में मजा लेते थे, देश की सेना का मजाक उड़ाते थे।

अध्यक्ष जी,

कांग्रेस ऐसे हर कदम का हर रिफॉर्म का विरोध करती है, जो भारत की सेना को मजबूती दे, भारत की सेना को मजबूत बनाएं।

आदरणीय सभापति जी,

समय देने के लिए और समय का विस्तार करने के लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

अब कांग्रेस के लोगों को ये पता चल गया है कि हमारे नौजवानों की ऊर्जा, हमारे सैनिकों का आत्मबल ही हमारे सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी शक्ति है और अब इस पर हमला करके और एक नया तरीका सेना में भर्ती को लेकर सरासर झूठ फैलाया जा रहा है ताकि लोग, मेरे देश के नौजवान, मेरे देश की रक्षा करने के लिए सेना में न जाएं, उनको रोकने के लिए षड्यंत्र हो रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

मैं इस सदन के माध्यम से जानना चाहता हूं, आखिर किसके लिए कांग्रेस हमारी सेनाओं को कमजोर करना चाहती है? किसके फायदे के लिए कांग्रेस वाले सेना के संबंध में इतना झूठ फैला रहे हैं?

आदरणीय सभापति जी,

वन रैंक वन पेंशन को लेकर के देश के वीर जवानों को उनकी आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया गया।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे देश में श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने वन रैंक वन पेंशन की व्यवस्था को खत्म किया था। दशकों तक कांग्रेस ने इस वन रैंक वन पेंशन को लागू नहीं होने दिया और चुनाव जब आए तो 500 करोड़ रुपया दिखाकर सेवा से निवृत्त सेना नायकों को मूर्ख बनाने की कोशिशें भी की गईं। लेकिन उनका इरादा था, हो सके उतना वन रैंक वन पेंशन को टालते रहना। एनडीए सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू की और आदरणीय सभापति जी, भारत के पास संसाधन कितने भी सीमित क्यों न हो लेकिन उसके बावजूद भी, कोरोना की कठिन लड़ाई के बावजूद भी एक लाख बीस हजार करोड़ रुपए हमारे पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन के रूप में दिये गए।

आदरणीय सभापति जी,

आदरणीय राष्ट्रपति महोदया ने अपने उद्बोधन में पेपर लीक पर भी चिंता जताई है। मैं भी देश के हर विद्यार्थी को, देश के हर नौजवानों को कहूंगा कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत गंभीर है और युद्धस्तर पर हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को कतई छोड़ा नहीं जाएगा। नीट के मामले में पूरे देश में लगातार गिरफ्तारियां की जा रही हैं। केन्द्र सरकार पहले ही एक कड़ा कानून बना चुकी है। परीक्षा कराने वाले पूरे सिस्टम को पुख्ता करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

एनडीए सरकार ने बीते 10 वर्षों में विकास को अपना सबसे बड़ा संकल्प बनाया है। आज हमारे सामने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाने का संकल्प है। आज हमारे सामने आजादी के इतने सालों के बाद पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए, हर घर जल पहुंचाने का हमारा संकल्प है।

आदरणीय सभापति जी,

हर गरीब को आवास देना ये हमारा संकल्प है।

आदरणीय सभापति जी,

भारत की विश्व में जैसे-जैसे ताकत उभर रही है, हमारी सेनाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का हमारा दृढ़ संकल्प है।

आदरणीय सभापति जी,

ये युग हरित युग है। ये युग ग्रीन ऐरा का है और इसलिए दुनिया जो ग्लोबल वार्मिंग से लड़ाई लड़ रही है, उसको एक बहुत बड़ी ताकत देने का काम भारत ने ये बीड़ा उठाया है। हमने रिनिवेबल एनर्जी का भारत पावर हाउस में, उस दिशा में एक के बाद एक कदम उठाए हैं और उसको अचीव करने का हमारा संकल्प है।

आदरणीय सभापति जी,

भविष्‍य ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ा है, ई-व्हीकल से जुड़ा हुआ है। भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनाने के लिए भी हम पूरी तरह संकल्पबद्ध हैं।

आदरणीय सभापति जी,

21वीं सदी आज भारत 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए जिन संकल्पों को लेकर के हम चले हैं, उसमें इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर की भी बहुत बड़ी भूमिका है। हमें आधुनिक इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाना है। हमें विश्व के सारे बेंचमार्क की बराबरी पर जाना है।

आदरणीय सभापति जी,

जितना निवेश भारत में इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए हुआ है, वो इतना पहले कभी नहीं हुआ है और जिसका लाभ आज देशवासी देख रहे हैं। देश में बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बन रहे हैं, उसका अब विस्तार हो, उसको एक नए रंग रूप मिलें, आधुनिक भारत की आवश्यकताओं के अनुसार स्किल डेवलपमेंट हो और उसके आधार पर इंडस्ट्री 4.0 में भी भारत लीडर के रूप में उभरे और हमारे नौजवानों का भविष्य भी सवरें, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

एक स्‍टडी है कि पिछले 18 साल में, ये स्‍टडी बड़ी महत्वपूर्ण है। ये अध्ययन कहता है कि पिछले 18 साल में प्राइवेट सेक्टर में जॉब क्रिएशन में आज सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना है, 18 साल में सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना है।

आदरणीय सभापति जी,

आज भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम पूरी दुनिया में एक उदाहरण बना है। विश्व के लोग मैं जी-20 समूह में जब भी गया, भारत की डिजिटल इंडिया मूवमेंट को लेकर के, डिजिटल पेमेंट को लेकर के विश्व के समृद्ध देशों को भी अचरज होता है और बड़ी जिज्ञासा के साथ हमें सवाल पूछते हैं कि ये भारत की सफलता की बहुत बड़ी कहानी है।

आदरणीय सभापति जी,

जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ रहा है, स्वाभाविक है प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही हैं और चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। जिन्हें भारत की प्रगति से दिक्कत हैं, जो भारत की प्रगति को चुनौती के रूप में देखते हैं, वो गलत हथकंडे भी अपना रहे हैं। ये ताकतें भारत की डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डायवर्सिटी पर हमला कर रही है और ये चिंता सिर्फ मेरी नहीं है। ये चिंता सिर्फ सरकार की नहीं है, ये चिंता सिर्फ ट्रेजरी बेंच की नहीं है।

आदरणीय सभापति जी,

देश की जनता और माननीय सुप्रीम कोर्ट तक सब कोई इन बातों से चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वो quote मैं आज सदन के सामने रखना चाहता हूं। सुप्रीम कोर्ट का ये quote देश के करोड़ों-करोड़ों लोगों के लिए भी कैसे-कैसे संकट आने की संभावनाएं दिख रही हैं, इसकी तरफ इशारा करता है।

आदरणीय सभापति जी,

सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में बड़ी गंभीरतापूर्वक कहा है और मैं quote पढ़ता हूं- ऐसा लगता इस महान देश की की प्रगति पर, ऐसा लगता है कि इस महान देश की प्रगति पर संदेह प्रकट करने, उसे कम करने और हर संभव मोर्चे पर उसे कमजोर करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। ये सुप्रीम कोर्ट की बात पढ़ रहा हूं, सुप्रीम कोर्ट आगे कह रही है- इस तरह के किसी भी प्रयत्न या प्रयास को आरंभ में ही रोक दिया जाना चाहिए। देश की सुप्रीम कोर्ट का ये quote है।

आदरणीय सभापति जी,

सुप्रीम कोर्ट ने जो भावना व्यक्त की है इस पर हम यहां वाले या वहां वाले सदन में है सदन में आए उन्होंने, या सदन के बाहर उन्होंने, सबको गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

आदरणीय सभापति जी,

भारत में भी कुछ लोग हैं, जो ऐसी ताकतों की मदद कर रहे हैं। देशवासियों को ऐसी ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत है।

आदरणीय सभापति जी,

2014 में सरकार में आने के बाद देश के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस का eco-system भी रहा है। ये eco-system से मिली खाद्य-पानी इसके दम पर ये कांग्रेस की मदद से ये eco-system 70 साल तक फला-फूला है। मैं आज सभापति जी इस eco-system को चेतावनी देता हूं। मैं इस eco-system को चेताना चाहता हूं, ये eco-system की जो हरकतें हैं, जिस तरह eco-system ने ठान लिया है कि देश की विकास यात्रा को रोक देंगे, देश की प्रगति को de-rail कर देंगे। मैं आज eco-system को बता देना चाहता हूं, उस हर साजिश का जवाब अब उसी की भाषा में मिलेगा। ये देश, देश-विरोधी साजिशों को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।

आदरणीय सभापति जी,

ये ऐसा कालखंड है, जब दुनिया भारत की प्रगति को बहुत गंभीरता से ले रही है, हर बारीकी को नोटिस कर रही है।

आदरणीय सभापति जी,

अब चुनाव हो चुके हैं, 140 करोड़ देशवासियों ने 5 साल के लिए अपना निर्णय जनादेश दे दिया है। आवश्यक है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए, इस संकल्प को सिद्धि में बदलने के लिए इस सदन के सभी माननीय सदस्यों का योगदान होना चाहिए। मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए आप भी जिम्मेदारी के साथ आगे आइए। देशहित के विषय पर हम साथ चलें, मिलकर के चलें और देशवासियों की आशा-आकांक्षाओं को पूरा करने में हम कोई कमी न रहे दें।

आदरणीय सभापति जी,

पॉजिटिव राजनीति भारत के इस कालखंड में बहुत आवश्यक है। और मैं हमारे साथी पक्षों को भी कहना चाहूंगा, इंडी गठबंधन के पक्ष के लोगों को कहना चाहूंगा कि आप आइए मैदान में good-governance पर स्पर्धा करें। जहां-जहां आपकी सरकारें हैं वो NDA की सरकारों के साथ good-governance पर स्पर्धा करें, delivery पर स्पर्धा करें, लोगों की आकांक्षा पूरी करने में स्पर्धा करें। देश का भला हो जाए, आपका भी भला होगा।

आदरणीय सभापति जी,

आप अच्छे कामों के लिए NDA से स्पर्धा करें, आप reforms के मामलें में हिम्मत करें। जहां-जहां आपकी सरकारें हैं वो reforms में कदम बढ़ाएं और वो विदेशी निवेश को आकर्षित करें। अपने-अपने राज्यों में विदेशी निवेश ज्यादा आए इसके लिए प्रयास करें। उनको ये अवसर है, उनके पास राज्यों में कुछ सरकारें हैं। और इसके लिए वो भाजपा की सरकारों से स्पर्धा करें, NDA की सरकारों से स्पर्धा करें, सकारात्मक स्पर्धा करें। जिन लोगों को जहां सेवा करने का मौका मिला है वहां पर वे रोजगार के लिए स्पर्धा करें। कौन सरकार ज्यादा रोजगार देती है उस स्पर्धा के लिए मैदान में आए, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे यहां भी कहा है कि गहना कर्मणोगति:- यानि कर्म की गति गहन है। इसलिए आक्षेप, झूठ, फरेब डिबेट ऐसे जीतने के बजाय कर्म से, कुशलता से, समर्पण भाव से, सेवा भाव से जरा लोगों के दिल जीतने के लिए कोशिश होनी चाहिए।

आदरणीय सभापति जी,

इस समय चर्चा के बीच अभी मुझे एक दुखद खबर भी दी गई है, यूपी के हाथरस में जो भगदड़ हुई, उसमें अनेकों लोगों की दुखद मृत्यु होने की जानकारी आ रही है। जिन लोगों की इस हादसे में जान गई है, मैं उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं सभी घायलों के जल्द से जल्द ठीक होने की कामना करता हूं। राज्य सरकार की देखरेख में प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है। केंद्र सरकार के वरिष्ठ उत्तर प्रदेश सरकार के लगातार संपर्क में है। मैं इस सदन के माध्यम से सभी को ये भरोसा देता हूं कि पीड़ितों की हर तरह से मदद की जाएगी।

आदरणीय सभापति जी,

आज एक लंबी चर्चा और आपने देखा है, मैं पहली बार लोकसभा में प्रधानमंत्री के रूप में यहां सेवा के लिए आप लोगों ने अवसर दिया तब भी मुझे ऐसा ही मुकाबला करना पड़ा था। 2019 में भी मुझे ऐसा ही मुकाबला करना पड़ा। मुझे राज्यसभा में भी ऐसा ही मुकाबला करना पड़ा, और इसलिए अब तो ये भी बड़ा मजबूत हो गया है। मेरा हौसला भी मजबूत है, मेरी आवाज भी मजबूत है और मेरे संकल्प भी मजबूत हैं।

आदरणीय सभापति जी,

ये कितनी ही संख्या का दावा क्यों न करते हो, 2014 में जब हम आए राज्यसभा में हमारी ताकत बहुत कम थी और चेयर का भी जरा झुकाव दूसरी तरफ था। लेकिन सीना तानकर के देश की सेवा करने के संकल्प से हम डिगे नहीं। मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं आपने जो फैसला सुनाया है, आपने हमें सेवा करने का जो आदेश दिया है, ऐसी किसी रूकावटों से ना मोदी डरने वाला, ना ये सरकार डरने वाली है। जिन संकल्पों को लेकर के हम चले हैं उन संकल्पों को पूरा करके रहेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

जो नए सांसद चुनकर आए हैं, उनको मैं विशेष रूप से शुभकामनाएं देता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

मैं मानता हूं कि बहुत कुछ सीखेंगे, समझेंगे और देश के इन लोगों के नजरों से गिरते हुए बचने का प्रयास भी करेंगे। इसलिए मैं उनको भी परमात्मा कुछ सद्बुद्धि दे, बालक बुद्धि को भी सद्बुद्धि दे, इस अपेक्षा के साथ आदरणीय राष्ट्रपति श्री महोदया का जो उद्बोधन है, उसके प्रति भी ह्दय से आभार व्यक्त करता हूं और आपको भी अध्यक्ष जी, आपने मुझे समय दिया, विस्तार से मुझे बात बताने का मौका दिया और किसी का कोलाहल सत्य की आवाज को दबा नहीं सकता है, सत्य ऐसे प्रयासों के बीच दबता नहीं है, और झूठ की कोई जड़े नहीं होती हैं।

आदरणीय सभापति जी,

जिन लोगों को अवसर नहीं दिया, वो उनकी पार्टी की जिम्मेदारी है, वो आगे से अपने सांसदों को ध्यान रखेंगे, ये मैं अपेक्षा करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

मैं इस सदन का भी धन्यवाद करते हुए, मुझे बहुत आनंद आया आज, बहुत आनंद आया। सत्य की ताकत क्या होती है, वो आज मैंने जी करके देखा, सत्य का सामर्थ्य क्या होता है, उसको मैंने आज उसका साक्षात्कार किया है। और इसलिए सभापति जी मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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