केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री ने राज्यों से पीएलआई स्कीम का भरपूर लाभ उठाने और अधिकतम निवेश आकर्षित करने के लिए आग्रह किया।

नमस्कार !

नीति आयोग की Governing Council में, मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। देश की प्रगति का आधार है कि केंद्र और राज्य साथ मिल करके कार्य करें और निश्चित दिशा में आगे बढ़ें। कॉपरेटिव फेडरेलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं, हमें प्रयत्नपूर्वक कॉम्पटीटिव कॉपरेटिव फेडरेलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच, district तक ले जाना है ताकि विकास की स्पर्धा निरंतर चलती रहे, विकास एक प्राइम एजेंडा बना रहे। देश को नई ऊंचाई पर ले जाने की स्पर्धा कैसे बढ़े, ये मंथन करने के लिए पहले भी हमने कई बार चर्चा की है आज भी स्वाभाविक है कि इस समिट में उस पर बल दिया जाएगा। हमने कोरोना कालखंड में देखा है कि कैसे जब राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, तो पूरा देश सफल हुआ और दुनिया में भी भारत की एक अच्छी छवि निर्माण हुई।

साथियों,

आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है, तब इस गवर्निंग काउंसिल की बैठक और महत्वपूर्ण हो गई है। मैं राज्यों से भी आग्रह करूंगा कि आजादी के 75 वर्ष के लिए अपने-अपने राज्यों में समाज के सभी लोगों को जोड़ करके समितियों का निर्माण हो, जिलों में भी समितियों का निर्माण हो। अब से कुछ देर पहले इस बैठक के लिए बिंदुओं का एक सरसरा उल्‍लेख आपके सामने हुआ है। इन Agenda points का चयन, देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इन एजेंडा प्वाइंट्स पर राज्यों से सुझाव लेने के लिए, राज्यों को तैयारी का पर्याप्त समय देने के लिए एक नया प्रयोग शुरू किया गया कि इस बार नीति आयोग के साथ राज्यों के सभी प्रमुख अधिकारियों के साथ एक अच्छा सा वर्कशॉप भी हुआ इससे पूर्व, और उस चर्चा में जो प्वाइंट्स आए उनको भी इसमें जोड़ने के लिए हमने प्रयास किया है। और इसके कारण काफी सुधार और एक प्रकार से राज्यों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एजेंडा बना है। इस प्रक्रिया से गुजरने की वजह से इस बार गवर्निंग काउंसिल के एजेंडा Points बहुत specific हैं और ये हमारी चर्चा को और सारगर्भित बनाएंगे।

साथियों,

पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि हमारे देश के गरीबों को empower करने की दिशा में बैंक खाते खुलने से, टीकाकरण बढ़ने से, स्वास्थ्य सुविधा बढ़ने से, मुफ्त बिजली कनेक्शन मिलने से, मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त शौचालय निर्माण की योजनाओं से, उनके जीवन में, खास करके गरीबों के जीवन में एक अभूतपूर्व बदलाव नजर आ रहा है। देश में अभी हर गरीब को पक्की छत देने का अभियान भी तेज गति से चल रहा है। कुछ राज्य बहुत अच्छा perform कर रहे हैं, कुछ राज्यों को अपनी गति बढ़ाने की आवश्यकता भी है। 2014 के बाद से देखें तो गांवों और शहरों को मिलाकर 2 करोड़ 40 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा किया गया है। आपको मालूम है देश के छह शहरों में आधुनिक टेक्‍नोलॉजी से घरों को बनाने का एक अभियान चल रहा है। एकाध महीने के भीतर-भीतर नई टेक्‍नोलॉजी से, तेजी से अच्छी क्वालिटी के मजबूत मकान बनाने की दिशा में देश के 6 शहरों में नए मॉडल तैयार होंगे। वो भी इस काम के लिए हर राज्य को ये उपयोगी होने वाला है। उसी प्रकार से पानी की कमी और प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारी, लोगों के विकास में बाधा न बने, कुपोषण की समस्याओं को वो बढ़ाए नहीं, इस दिशा में भी मिशन मोड में काम हो रहा है। जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पिछले 18 महीनों में ही साढ़े तीन करोड़ से भी अधिक ग्रामीण घरों को पाइप वॉटर सप्लाई से जोड़ा जा चुका है। गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए भारत नेट स्कीम एक बड़े बदलाव का माध्यम बन रही है। ऐसी सारी योजनाओ में जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करेंगी तो काम की गति भी बढ़ेगी और अंतिम व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचना भी सुनिश्चित हो जाएगा।

साथियों,

इस वर्ष के बजट पर जिस तरह का एक positive response आया है, चारों तरफ से एक नई आशा का वातावरण पैदा हो गया है, उसने जता दिया है कि mood of the nation क्या है। देश मन बना चुका है। देश तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, देश अब समय नहीं गंवाना चाहता है। और कुल मिला करके देश के मन को बनाने में देश का युवा मन बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहा है और तभी ये बदलाव के प्रति एक नया आकर्षण पैदा हुआ है। और हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है। आत्मनिर्भर भारत एक ऐसे नए भारत की तरफ कदम है जहां हर व्यक्ति, हर संस्था, हर उद्यम को अपनी पूरी क्षमताओं से आगे बढ़ने का अवसर मिले।

साथियों,

आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे। और इसलिए मैं हमेशा कहता हूं Zero Defect, Zero Effect. भारत जैसा युवा देश, उसकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए हमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना होगा, innovation को बढ़ावा देना होगा, Technology का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना पड़ेगा, शिक्षा, कौशल के बेहतर अवसर उन्हें देने होंगे।

साथियों,

हमें अपने businesses को, MSMEs को, Start-ups को और मजबूत करने की जरूरत है। हमारे हर राज्य की अपनी एक खूबी है, हर राज्य के हर जिले के पास अपना हुनर है, अपनी खासियत है। कई प्रकार के potentials, हम बारीकी से देखें तो नजर आते हैं। सरकार द्वारा, देश के सैकड़ों जिलों के products को शॉर्टलिस्ट करके उनके वैल्यू एडिशन के लिए, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट के लिए उन्हें प्रमोट किया जा रहा है। इससे राज्यों के बीच एक स्वस्थ स्पर्धा अभी प्रारंभ हुई है लेकिन इसे आगे बढ़ाना है। कौन राज्य सबसे ज्यादा export करता है, अधिक से अधिक प्रकार की चीजें export करता है, अधिकतम देशों में export करता है, अधिक से अधिक मूल्य की चीजें export करता है। और फिर जिलों में भी ये स्पर्धा बने और इस export पर विशेष बल हर राज्य हर जिले में कैसे दें। हमें इस प्रयोग को जिलों और ब्लॉक्स के बीच भी लेकर जाना है। हमें राज्यों के संसाधनों का पूरा इस्तेमाल करना होगा, राज्यों से होने वाला एक्सपोर्ट हमें आग्रहपूर्वक उसका हिसाब हर महीने लेना चाहिए और उसको बढ़ाना चाहिए।

Policy framework और केंद्र एवं राज्यों के बीच बेहतर तालमेल भी बहुत जरूरी है। अब जैसे हमारे यहां coastal states में मत्स्य उद्योग को, blue economy को और मछली को विदेशों में export करने के लिए असीमित अवसर हैं। हमारे coastal states उसके लिए क्यों न special initiative लें। देखिए इकोनॉमी को बहुत बड़ा बल मिल सकता है, हमारे fisher man को बहुत बड़ा बल मिल सकता हैं। मैं चाहूंगा कि आप इस बात से परिचित हों कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए एक PLI schemes शुरू की हैं। ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए। कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने का लाभ भी राज्यों को बढ़-चढ़कर उठाना चाहिए। आपको ऐसी कंपनियों से संपर्क करना चाहिए कि दुनिया में इतना कम टैक्स रेट जब दिया गया है तो उसका फायदा आपके राज्य को मिलना चाहिए।

साथियों,

इस बार के बजट में इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिए गए फंड की भी काफी चर्चा हो रही है। इनफ्रास्ट्रक्चर पर

होने वाला ये खर्च देश की अर्थव्यवस्था को कई स्तर पर आगे बढ़ाने का काम करेगा, रोजगार के भी बहुत अवसर पैदा करेगा। एक multiple effect होता है इसका। National Infrastructure Pipeline में राज्यों का हिस्सा 40 प्रतिशत है और इसलिए ये जरूरी है कि राज्य और केंद्र मिलकर अपने बजट्स को synergize करें, प्लानिंग करें, और प्राथमिकताओं को प्राथमिकताओं को तय करें। अब भारत सरकार ने अपना बजट पहले की तुलना में एक महीना pre-pone किया है। राज्यों के बजट और केन्‍द्र के बजट के बीच में तीन-चार सप्ताह मिल जाते हैं। तो केंद्र के बजट के light में राज्यों का बजट बनता है तो दोनों मिल करके एक दिशा में आगे बढ़ते हैं। और मैं चाहूंगा कि इस दिशा में राज्यों के बजट चर्चा करते होंगे। जिन राज्यों का बजट अभी आने वाला है, वो इस काम को और प्राथमिकता पर कर सकते हैं। केंद्रीय बजट के साथ ही, राज्यों का बजट भी विकास को गति देने में, राज्यों को आत्मनिर्भर बनाने में उतना ही अहम है।

साथियों,

15वें वित्त आयोग में लोकल बॉडीज़ के आर्थिक संसाधनों में बड़ा इजाफा होने जा रहा है। स्थानीय स्तर पर Governance में सुधार, लोगों की Quality of Life और उनके आत्मविश्वास का आधार बनती है। इन सुधारों में Technology के साथ-साथ जनभागीदारी भी बहुत आवश्यक है। मैं समझता हूं कि पंचायती राज व्यवस्था तथा नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस Convergence तथा Outcomes के लिए जिम्मेदार बनाने का भी समय आ गया है। स्थानीय स्तर पर बदलाव के लिए जिले, राज्य और केंद्र एक साथ मिलकर काम करते हैं तो परिणाम कितने सकारात्मक आते हैं, इसके लिए आकांक्षी जिलों का उदाहरण हमारे सामने है। Aspirational Districts का जो प्रयोग रहा है वो अच्छे परिणाम दे रहा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोरोना के कारण जो गति आनी चाहिए थी वो नहीं आई है। लेकिन अब फिर से हम उस पर बल दे सकते हैं।

साथियों,

कृषि अपार क्षमताओं से भरी हुई है। लेकिन फिर भी कुछ सच्चाइयां हमें स्वीकार करनी होंगी। हम कृषि प्रधान देश कहे जाते हैं उसके बावजूद भी आज करीब-करीब 65-70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं। ये हम बंद कर सकते हैं। हमारे किसानों के खाते में पैसा जा सकता है। ये पैसों का हकदार तो हमारा किसान है। लेकिन इसके लिए हमारी योजनाएं उस प्रकार से हमें बनानी होंगी। हमने पिछले दिनों दालों में प्रयोग किया था, उसमें सफलता मिली। अब दालों को बाहर से लाने में खर्चा हमारा काफी कम हुआ है। ऐसी कई चीजें, कई खाद्य चीजें बिना कारण हमारे टेबल पर आज आ जाती हैं। हमारे देश के किसानों को ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है, थोड़ा गाइड करने की जरूरत है। और इसलिए ऐसे कई कृषि उत्पाद हैं, जो हमारे किसान न सिर्फ देश के लिए पैदा कर सकते हैं बल्कि दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी राज्य अपनी agro-climatic regional planning उसकी strategy बनाएँ, उसके हिसाब से किसानों की मदद करें।

साथियों,

बीते वर्षों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक holistic approach अपनाई गई है। इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में भी देश में कृषि निर्यात में काफी बढोतरी हुई है। लेकिन हमारा potential इससे कई गुना ज्यादा है। हमारे products का wastage कम से कम हो, इसके लिए स्टोरेज और प्रोसेसिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है और उसमें investment के लिए हमें जितनी भी potential जहां भी हैं उसे जोड़ना पड़ेगा। हम ये जानते हैं कि भारत, साउथ ईस्ट एशिया में रॉ फिश एक्सपोर्ट करता है। जो मैंने प्रांरभ में कहा वहाँ वो फिश process करके भारी मुनाफे और processed products के तौर पर बेची जाती है। क्या हम सीधे processed fish products को बड़े पैमाने पर export नहीं कर सकते? हमारे सभी coastal states खुद अपना initiative ले करके इस पूरे ग्लोबल मार्केट पर अपना प्रभाव पैदा नहीं कर सकते? ऐसी स्थिति कई और क्षेत्रों, कई और Products के साथ है। हमारे किसानों को जरूरी आर्थिक संसाधन मिलें, बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर मिले, आधुनिक technology मिले, इसके लिए Reforms बहुत जरूरी हैं।

साथियों,

हाल ही में ऐसे कई Reforms किए गए हैं जो regulation को कम करते हैं, सरकार का दखल कम करते हैं। मैंने पिछले दिनों देखा, सरकार के अंदर सामान्य व्यक्ति को complains हजारों ऐसे complains हैं जिसको हम निकाल सकते हैं। जैसे पिछले दिनों हमने 1500 कानून ख़त्म किए। मैं राज्यों से आग्रह करूंगा आप एक छोटी टीम बिठाइए, बिना कारण अब जब टेक्‍नोलॉजी है तो बार-बार चीजें मांगने की जरूरत नहीं है लोगों से। ये complains का burden देश के नागरिक के सिर पर से हम कम करें। राज्य आगे आएं। मैंने भी भारत सरकार में कहा है और हमारे केबिनेट सेक्रेटरी उसके पीछे लगे हुए हैं। Complains की संख्या अब जितनी कम हो करनी है। ये भी Ease of living के लिए बहुत जरूरी है।

उसी प्रकार से साथियों युवाओं को अपना सामर्थ्य खुलकर दिखाने का भी हमें मौका देना होगा। कुछ महीना पहले ही आपने देखा होगा कुछ महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। उसकी चर्चा बहुत ज्यादा नहीं होती है लेकिन इसका परिणाम बहुत बड़ा होता है। OSP regulations को Reform किया गया था। इससे युवाओं को कहीं से भी काम करने की Flexibility मिली है। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे Tech सेक्टर को मिला है।

मैं अभी पिछले दिनों आईटी सेक्टर के लोगों से बात कर रहा था। मुझे कईयों ने बताया कि उनके 95 प्रतिशत लोग अब घर से ही काम कर रहे हैं और उनका काम अच्छा चल रहा है। अब देखिए ये कितना बड़ा बदलाव आ रहा है। हमें इन चीजों पर बल देना होगा। हमें ऐसी जो बंदिशें हैं उन सारी बंदिशों को समाप्त करना चाहिए। काफी मात्रा में हमने पिछले दिनों reform करके किया भी है। आपने देखा होगा कुछ दिन पहले हमने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय किया है। Geo special data से जुड़े नियमों को भी liberalise कर दिया है। जो अभी हमने किया है वो अगर आज से दस साल पहले हम कर पाते तो शायद ये गूगल वगैरह भारत के बाहर नहीं बनते, वो हमारे यहां बनते। हमारे लोगों का टेलेंट है लेकिन product हमारे नहीं हैं। इससे हमारे स्टार्ट अप्स और Tech सेक्टर को तो बहुत बड़ी मदद मिली ही है। मैं चाहता हूं कि ये फैसला देश के सामान्य मानवी की Ease of Living बढ़ाने में भी मदद करेगा।

और साथियों में दो चीजों का आग्रह करूंगा। आज विश्व में हमें एक अवसर प्राप्त हुआ है। उस अवसर को जुटाने के लिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए Ease of doing business और भारत के नागरिकों के लिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए Ease of Living. Globally भारत की positioning के लिए, भारत को opportunities gain करने के लिए Ease of doing business का महत्व है और उसके लिए हमारे कानूनों में सुधार करना होगा, व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा और देश के नागरिकों की आशा-अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उसके जीवन को सरल करने के लिए, Ease of Living के लिए जो चीज आवश्यक है, उस पर बल देना पड़ेगा।

साथियो,

मैं अब आपके अनुभव, आपके सुझाव सुनने के लिए उत्सुक हूं। आज हम दिनभर बैठने वाले हैं। बीच में एक थोड़ा समय के लिए ब्रेक लेंगे लेकिन हम सारे विषयों पर बात करेंगे। मुझे विश्वास है कि हमेशा की तरह इस बार भी आप सभी की तरफ से रचनात्मक और सकारात्मक विचार सुनने को मिलेंगे जो देश को आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। और हम सब मिल करके, केंद्र और राज्य, हम एक देश के रूप में एक ही दिशा में जितनी शक्ति लगा सकते हैं लगा करके विश्व में एक अभूतपूर्व अवसर भारत के लिए पैदा होता है, ये मौका हम जाने नहीं देंगे। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार इस महत्वपूर्ण समिट में आपकी उपस्थिति का स्वागत करता हूं। आपके सुझावों का इंतजार करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!