पीएम-स्वनिधि योजना का मकसद है कि रेहड़ी-पटरी वाले नई शुरुआत कर सकें, अपना काम फिर शुरू कर सकें, इसके लिए उन्हें आसानी से पूंजी मिले: प्रधानमंत्री मोदी
हमारे देश में गरीबों की बात बहुत हुई है लेकिन गरीबों के लिए जितना काम पिछले 6 साल में हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ: पीएम मोदी
हाल में सरकार ने शहरों में आप जैसे साथियों के उचित किराए में बेहतर आवास उपलब्ध कराने की भी एक बड़ी योजना शुरु की है, एक देश, एक राशन कार्ड की सुविधा से आप देश में कहीं भी जाएंगे तो अपने हिस्से का सस्ता राशन ले पाएंगे: प्रधानमंत्री

केंद्रीय मंत्रीपरिषद के मेरे साथी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी, राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, प्रशासन से जुड़े लोग, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के सभी लाभार्थी और इस कार्यक्रम में शामिल हुए मध्‍यप्रदेश के और मध्‍यप्रदेश से बाहर के सभी मेरे प्‍यारे मेरे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के सभी लाभार्थियों को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अब से कुछ देर पहले मुझे कुछ साथियों से बातचीत करने का अवसर मिला। उनकी बातों में एक विश्वास भी है, एक उम्मीद भी नजर आती है। ये भरोसा प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की मैं मानता हूं सबसे बड़ी सफलता है, सबसे बड़ी ताकत है। आपके श्रम की ताकत को, आपके आत्मसम्मान और आत्मबल को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।

देशभर के जो साथी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें भी मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं। विशेषतौर पर मध्य प्रदेश और शिवराज जी की टीम को मैं बहुत बधाई देता हूं, उनके प्रयासों से सिर्फ 2 महीने के समय में मध्य प्रदेश में 1 लाख से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स- रेहड़ी-पटरी वालों को स्वनिधि योजना का लाभ सुनिश्चित हुआ है।

कोरोना के बावजूद इतने कम समय में साढ़े 4 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को पहचान पत्र देना, सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग देना, मैं समझता हूं ये बहुत बड़ा काम है। मुझे विश्वास है कि अन्‍य राज्य भी मध्‍य प्रदेश के इस प्रयास से प्रेरणा ले करे जरूर प्रोत्साहित होंगे और हिन्‍दुस्‍तान के हर शहर में जितने भी हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन हैं उनकेा बैंक से पैसा मिले, इसके लिए आप सक्रिय प्रयास करेंगे।

साथियों, दुनिया में जब भी कोई ऐसा बड़ा संकट आता है, महामारी आती है तो उसका सबसे पहला और सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे गरीब भाई-बहनों पर ही पड़ता है। अधिक बारिश हो जाए तो भी तकलीफ गरीब को, अधिक ठंड आ जाए तो भी तकलीफ गरीब को, अधिक गरमी आ जाए तो भी तकलीफ गरीब को। गरीब को रोजगार का संकट होता है, उसके खाने-पीने का संकट होता है, उसकी जो जमा-पूंजी होती है वो खत्म हो जाती है। महामारी ये सब विपदाएं अपने साथ लेकर आती है। हमारे जो गरीब भाई बहन हैं, जो श्रमिक साथी हैं, जो रेहड़ी-पटरी वाले साथी हैं, इन सबने महामारी के इस संकट को सबसे ज्यादा महसूस किया है।

अनेकों ऐसे साथी हैं जो किसी दूसरे शहर में काम करते थे, लेकिन महामारी के दौरान उन्हें अपने गांव लौटना पड़ा। और इसलिए, कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान पहले दिन से सरकार का, देश का, ये प्रयास रहा है कि गरीब की जितनी दिक्‍कतें हम कम कर सकें उसको कम करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करें। देश ने इस दौरान हमारे देश के ऐसे जो लोग तकलीफ में थे, उनके खाने की चिंता की, राशन की चिंता की, मुफ्त गैस सिलिंडर भी दिए गए।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान चलाकर, लाखों लोगों को इस दौरान रोजगार भी दिया गया। गरीबों के लिए निरंतर हो रहे इन कार्यों के बीच, एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिस पर खास ध्यान देने की जरूरत थी। ये थे मेरे रेहड़ी-पटरी-ठेले वाले भाई बहन। रेहड़ी-ठेले वाले हमारे लाखों साथियों का परिवार तो उनकी रोज की मेहनत से चलता है। कोरोना के कारण बाजार बंद हो गए, खुद की जान बचाने के लिए लोग घरों में ज्यादा रहने लगे, तो इसका बहुत बड़ा असर ये हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाई बहन हैं, उनके कारोबार पर ही पड़ा। उनको मुश्किलों से निकालने के लिए ही प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत हुई है।

इस योजना का मकसद है कि वो लोग नई शुरुआत कर सकें, अपना काम फिर शुरू कर सकें, इसके लिए उन्हें आसानी से पूंजी मिले। उनको बाहर बहुत ब्‍याज दे करके रुपये लाने के लिए मजबूर न होना पड़े। ये भी पहली बार हुआ है कि रेहड़ी-पटरी वालों के लाखों लोगों के नेटवर्क को सही मायने में सिस्टम से जोड़ा गया है, उनको एक पहचान मिली है। स्वनिधि योजना, स्वनिधि से स्वरोज़गार, स्वरोज़गार से स्वावलंबन, और स्वावलंबन से स्वाभिमान की यात्रा का अहम पड़ाव है।

साथियों, स्वनिधि योजना के बारे में आप सबको बताया ही गया है। जिन साथियों से अभी मैंने बात की, उन्हें इसकी काफी जानकारी है। लेकिन ये बहुत आवश्यक है कि हर जरूरतमंद को, हर रेहड़ी-पटरी वाले को इस योजना के बारे में सब कुछ अच्छी बातें अच्‍छी तरह पता होनी चाहिए। तभी तो हमारे गरीब भाई-बहन उसका फायदा उठा पाएंगे।

इस योजना को ऐसे ही इतना सरल बनाया गया है कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी इससे जुड़ सके। अभी जैसे हमारी बहन अर्चना जी बता रहीं थीं कि उनका इतनी सरलता से काम हो गया। उनको कोई दिक्‍कत नहीं हुई। इसमें टेक्नॉलॉजी के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की गई है कि रेहड़ी, ठेले वाले साथियों को कागज़ जमा कराने के लिए लंबी लाइनें नहीं लगानी होंगी। आप कॉमन सर्विस सेंटर में, नगर पालिका कार्यालय में, बैंक की ब्रांच में जाकर अपना आवेदन अपलोड कर सकते हैं। यही नहीं बैंक के Business Correspondent और नगर पालिका के कर्मचारी, भी आपके पास आकर आपसे आवेदन ले सकते हैं। आपको जैसी सुविधा सही लगे, आप उसका इस्तेमाल करें। सारी व्‍यवस्‍था इतनी सरल बनाई गई है इसका प्रयास किया गया है।

साथियों, ये एक ऐसी योजना है, जिसमें आपको ब्याज़ से पूरी तरह से मुक्ति भी मिल सकती है। इस योजना के तहत वैसे भी ब्याज में 7 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। लेकिन अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको ये भी नहीं देना पड़ेगा। अब जैसे अगर आप समय पर यानि 1 साल के भीतर बैंक से लिए गए पैसे को चुका देते हैं तो आपको ब्याज़ में छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, जब आप डिजिटल लेनदेन करेंगे, अपने मोबाइल फोन से पैसा लेना और देना, थोक व्‍यापारी को भी मोबाइल से देना और जो आपसे खरीद लेने के लिए आते हैं उनसे मोबाइल से लेना; तो आपके खाते में सरकार की तरफ से इनाम के रूप में कुछ पैसे कैशबैक के रूप में भेजे जाएंगे। यानि सरकार आपके खाते में कुछ पैसे अलग से डालेगी। इस तरह आपकी जो कुल बचत होगी वो ब्याज़ से भी ज्यादा बचत हो जाएगी।

इसके अलावा, अगर आप दूसरी बार ऋण लेंगे, तो और भी ज्यादा ऋण की सुविधा मिलेगी। अगर इस बार 10 हजार मिला है और आप आपका अच्‍छा काम रहा तो आपको 15 हजार की जरूरत है तो 15 हजार हो जाएगा, फिर अच्‍छा काम किया तो 20 हजार हो सकता है, 25 हजार हो सकता है, 30 हजार हो सकता है। और अभी प्रारंभ में हमारे छगनलाल जी तो बता रहे थे वो दस गुना करना चाहते हैं, एक लाख तक पहुंचना चाहते हैं। ये जब सुनता हूं तो बड़ा आनंद होता है।

साथियों, बीते 3-4 साल के दौरान देश में डिजिटल लेनदेन का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। कोरोना काल में हम सब महसूस भी कर रहे हैं कि ये कितना जरूरी भी है। अब ग्राहक नकद पैसे देने से बचते हैं। सीधे मोबाइल से ही पेमेंट करते हैं। इसलिए, हमारे रेहड़ी पटरी वाले साथी इस डिजिटल दुकानदारी में बिल्‍कुल पीछे न रहे, और आप कर सकते हैं। हमारे कुशवाहा जी के ठेले पर हमने देखा, उनको क्‍यूआर कोड लगाकर रखा हुआ है। अब बड़े-बड़े मॉल में भी नहीं होता है ये। हमारा गरीब आदमी हर नई चीज सीखने को तैयार होता है। और इसके लिए बैंकों और डिजिटल पेमेंट की सुविधा देने वालों के साथ मिलकर एक नई शुरुआत की गई है। अब बैंको और संस्थाओं के प्रतिनिधि आपके पते पर आएंगे, आपकी रेहड़ी, ठेले पर आएंगे और क्यूआर कोड देंगे। उसका उपयोग कैसे करना है, ये भी बताएंगे। मैं अपने रेहडी पटरी वाले साथियों से अपील करता हूँ की वो अपना ज़्यादा से ज़्यादा लेन -देन डिजिटल करे और पूरी दुनिया के सामने एक नया उदाहरण प्रस्तुत करे ।

साथियों, टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हुए हमारे जो खाने-पीने का व्यवसाय करने वाले साथी हैं, जिसको हम स्ट्रीट फूड वेंडर भी कहते हैं, उनको ऑनलाइन प्लेटफॉर्म देने की भी योजना बनाई गई है। यानि बड़े-बड़े रेस्टोरेंट की तरह ही रेहड़ी-ठेले वाले भी अपने ग्राहकों को ऑनलाइन डिलिवरी कर पाएं, इस प्रकार की सुविधा देने का प्रयास चल रहा है और थोड़े ही दिन में आप लोग जरूर आगे आएंगे तो इसको हम और आगे बढ़ाएंगे। मुझे विश्वास है कि इस प्रकार की कोशिशों से रेहड़ी, पटरी, ठेलेवालों, फेरीवारों का कामकाज और बढ़ेगा, उनकी कमाई और बढ़ेगी।

साथियों, स्ट्रीट-वेंडर्स से जुड़ी एक और योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से जुड़ने वाले जो भी रेहड़ी-पटरी वाले लोग होंगे, उनका जीवन आसान बने, उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलें, ये भी सुनिश्चित किया जाएगा। यानि रेहड़ी-पटरी या ठेला लगाने वाले मेरे भाई-बहनों के पास उज्जवला का गैस कनेक्शन है या नहीं, उनके घर बिजली कनेक्शन है या नहीं, वो आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हैं या नहीं, उन्हें 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीना वाली बीमा योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं, उनके पास अपनी पक्की छत है या नहीं, ये सारी बातें देखी जाएंगी और जहां कमी होगी पूरा करने के लिए सरकार सक्रिय रूप से प्रयास करेगी। जिस-जिस के पास ये सब नहीं होगा, उनके लिए प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाएगा।

साथियों, हमारे देश में गरीबों की बात बहुत हुई है लेकिन गरीबों के लिए जितना काम पिछले 6 साल में हुआ है, और बिल्‍कुल प्‍लानिंग से हुआ है, एक चीज के दूसरी चीज, दूसरे से जुड़ी हुई तीसरी चीज, हर चीज की भरपाई हो और गरीबी से लड़ने की उसको ताक‍त मिले और खुद ही गरीबी को परास्‍त करके गरीबी से बाहर निकले, उस दिशा में एक के बाद एक कदम, अनेक नई पहलें उठाई गई हैं और ये पहले कभी नहीं हुआ। हर वो क्षेत्र, हर वो सेक्टर जहां गरीब-पीड़ित-शोषित-वंचित-दलित-आदिवासी अभाव में था, सरकार की योजनाएं उसका संबल बनकर आईं हैं।

आप याद करिए, हमारे देश का गरीब तो कागजों के डर से बैंक के दरवाजे तक ही नहीं जा पाता था। प्रधानमंत्री जनधन योजना के माध्यम से देशभर में 40 करोड़ से अधिक गरीबों के, निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के बैंक खाते खुलवाए गए हैं। इन जनधन खातों से हमारा गरीब बैंक से जुड़ा, और तभी तो आसान लोन उसे मिल रहा है, सूदखोरों के चंगुल से वो बाहर निकला है। इन्हीं बैंक खातों की वजह से गरीबों को बिना रिश्वत, आवास मिल रहे हैं, किसानों को सीधी उनके बैंक खाते में मदद पहुँच रही है। कोरोना काल में ही पूरे देश की 20 करोड़ से अधिक बहनों के जनधन खाते में करीब 31 हज़ार करोड़ रुपए जनधन योजना के कारण ही जमा हो पाए हैं। इसी तरह पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देशभर के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में 94 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे ट्रांसफर किए गए हैं।

साथियो, हमारा गरीब इन वर्षों में जिस तरह जनधन खातों से, बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ा है, उसने एक नई शुरूआत की है। अब बहुत जल्द शहरों की तरह हमारे गाँव भी ऑनलाइन मार्केट से जुड़ेंगे, दुनिया का बाज़ार हमारे गाँवों तक पहुंच जाएगा। इस बार 15 अगस्त को देश ने इसके लिए एक संकल्प लिया है। देश के सभी गाँवों को अगले एक हजार दिनों में ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा। यानि, गाँव-गाँव में, घर-घर में तेज इंटरनेट पहुंचेगा। इससे डिजिटल क्रांति के फायदे भी उतनी ही तेजी से गांव तक, गरीबों तक पहुंचेगे। इसी तरह, देश ने डिजिटल हेल्थ मिशन की भी शुरुआत की है। यानि अब हर देशवासी को एक हेल्थ ID मिलेगी। आपकी सारी जानकारी सुरक्षित तरीके से उसमें रहेगी। इस ID की मदद से आप डॉक्टर से appointment भी ऑनलाइन ले सकेंगे, और हेल्थ चेकअप और reports भी ऑनलाइन ही दिखा पाएंगे। यानि एक तरह से देखें, तो पहले प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना से बीमा सुरक्षा मिली, फिर आयुष्मान भारत के तहत पाँच लाख तक मुफ्त इलाज मिला, और अब डिजिटल हेल्थ मिशन से आसान इलाज की सुविधा भी मिलने जा रही।

साथियों, देश का प्रयास है कि हर एक देशवासी का जीवन आसान हो, हर एक देशवासी समर्थ हो, सशक्त हो, और सबसे बड़ी बात आत्मनिर्भर हो। हाल में सरकार ने शहरों में आप जैसे साथियों को उचित किराए में बेहतर आवास उपलब्ध कराने की भी एक बड़ी योजना शुरु की है। एक देश, एक राशन कार्ड की सु‍विधा से आप देश में कहीं भी जाएंगे तो अपने हिस्से का सस्ता राशन आप उस शहर में भी ले पाएंगे। आप जहां जाएंगे आपका हक भी आपके साथ-साथ चलेगा।

साथियों, अब जब आप नए सिरे से अपने व्यवसाय को शुरु कर रहे हैं, तब आपको कुछ सावधानियां ज़रूर रखनी होंगी। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, कोई तरीका नहीं निकल आता, कोरोना का खतरा बना ही रहेगा। ऐसे में आपको अपनी भी और अपने ग्राहकों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखना है। मास्क हो, हाथ की साफ-सफाई हो, अपने स्थान के आसपास की साफ-सफाई हो, दो गज़ की दूरी हो, इससे किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करना है। कोशिश ये भी करनी है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल भी न करें। आप कोरोना से बचाव के जितने इंतजाम अपने ठेले, या अपनी पटरी पर करेंगे, लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा और आपकी दुकानदारी भी बढ़ेगी। आपको खुद भी इन नियमों का पालन करना है और सामने वाले से भी इसका पालन करने के लिए आग्रह करते रहना है। एक बार फिर आपको एक नई शुरुआत के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप स्‍वस्‍थ रहें, आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहे, आपका कारोबार भी फले-फूले; इसी एक अपेक्षा के साथ मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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