Quoteप्रधानमंत्री ने सभी से महामारी से लड़ने में संपूर्ण संकल्प सुनिश्चित करने का आग्रह किया
Quoteगांवों को कोरोना मुक्त रखने तथा कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर का पालन करने का संदेश वहां भी फैलाएं, जहां मामलों में कमी आ रही हैं : प्रधानमंत्री
Quoteमहामारी से निपटने में तरीके और रणनीतियां गतिशील होनी चाहिए क्योंकि वायरस म्यूटेशन और अपना स्वरूप बदलने में माहिर है : प्रधानमंत्री

कोरोना की सेकेंड वेव से लड़ने के लिए, जिलों के आप सबसे प्रमुख यौद्धा हैं। सौ वर्षों में आई इस सबसे बड़ी आपदा में हमारे पास जो संसाधन थे, उनका बेहतर से बेहतर उपयोग करके आपने इतनी बड़ी लहर का मुक़ाबला किया है।

साथियों,

आपसे बातचीत की शुरुआत में, मैं आपको वो दिन याद दिलाना चाहता हूं, जब आप इस सेवा में आने के लिए तैयारी कर रहे थे। आप याद करिए, जब आप सिविल सर्विसेस या अन्य परीक्षाओं के लिए जुटे थे तो आप अपने परिश्रम पर, अपने काम करने के तरीके पर सबसे ज्यादा विश्वास करते थे। आप जिस भी क्षेत्र में रहें हों, वहां की छोटी-छोटी बारीकी से परिचित होते हुए, आप सोचते थे कि मैं इस दिक्कत को, इस तरह दूर करूंगा।

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आपकी यही सोच आपकी सफलता की सीढ़ी भी बनी। आज परिस्थितियों ने आपको अपनी क्षमताओं की नई तरह से परीक्षा देने का अवसर दिया है। अपने जिले की छोटी से छोटी दिक्कत को दूर करने के लिए, पूरी संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आपकी यही भावना काम आ रही है।

हां, कोरोना के इस काल ने आपके काम को पहले से कहीं अधिक challenging और demanding बना दिया है। महामारी जैसी आपदा के सामने सबसे ज्यादा अहमियत हमारी संवेदनशीलता और हमारे हौसले की ही होती है। इसी भावना से आपको जन-जन तक पहुँचकर जैसे काम कर रहे हैं, उसको और अधिक ताकत से और अधिक बड़े पैमाने पर करते रहना है।

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साथियों,

नए नए challenges के बीच हमें नए-नए तौर तरीकों और समाधानों की जरूरत होती है। और, इसलिए, ये जरूरी हो जाता है कि हम अपने स्थानीय अनुभवों को साझा करें, और एक देश के रूप में मिलकर हम सब काम करें।

अभी दो दिन पहले ही अन्‍य कुछ राज्यों के अधिकारियों से भी मुझे बात करने का मौका मिला था। उस बैठक में अनेक सुझाव, अनेक समाधान अलग-अलग जिलों के साथियों की तरफ से आए हैं। आज भी यहां कुछ जिलों के अफसरों ने अपने जिलों की स्थिति और अपनी रणनीति को हम सबके बीच साझा किया है।

जब फील्ड पर मौजूद लोगों से बातचीत होती है तो ऐसी अभूतपूर्व परिस्थितियों से निपटने में बहुत अधिक मदद मिलती है। बीते कुछ समय में ऐसे अनेक सुझाव मिले हैं। अनेक जिलों में परिस्थिति के अऩुसार कई इनोवेटिव तरीकों की भी जानकारी आप लोगों से मिली है। गांवों में कोरोना टेस्ट की सुविधा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए, मोबाइल वैन का तरीका कई लोगों ने अपनाया है। स्कूलों, पंचायत भवनों को कोविड केयर सेंटर्स में परिवर्तित करने का कुछ लोगों ने initiative लिया है।

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आप लोग खुद गाँव-गाँव जाते हैं, वहाँ की व्यवस्थाओं की निगरानी करते हैं, आप ग्रामीणों से बात करते हैं, तो इससे जो वहां का सामान्‍य नागरिक है, या वहां के गांव के जो एक प्रकार से लीडर लोग हैं, पांच होते हैं, 10 होते हैं, 15 होते हैं, अलग-अलग क्षेत्र के होते हैं, उनका जब शंकाओं का समाधान होता है और directly आपके साथ जुड़ते हैं तो उनका आत्‍मविश्‍वास अनेक गुना बढ़ जाता है। सारी आशंकाएं एक प्रकार से आत्मविश्वास में बदल जाती हैं।

आपकी मौजूदगी से, आपके संवाद से गाँव में ये डर निकल जाता है कि कुछ हो गया तो हम कहाँ जाएंगे, हमारा क्या होगा? आपको देखते ही वो सारा मन उसका बदल जाता है। इससे लोगों में साहस के साथ ही अपने गाँव को बचाने की जागरूकता भी बढ़ती है। और मेरा आग्रह है हमें गांव-गांव यही संदेश पक्‍का करना है कि हमें अपने गांव को कोरोना से मुक्‍त रखना है और लंबे अर्से तक जागरूकता से प्रयास करना है।

साथियों,

बीते कुछ समय में...ये बात यही है कि देश में एक्टिव केस कम होना शुरू हुए हैं, आप भी अपने जिले में अनुभव करते होंगे कि 20 दिन पहले जो एकदम से आपके ऊपर प्रेशर आया था अब आपको भी काफी महसूस होता होगा बदलाव। लेकिन आपने इन डेढ़ सालों में ये अनुभव किया है कि जब तक ये संक्रमण minor scale पर भी मौजूद है, तब तक चुनौती बनी रहती है। कई बार जब केस कम होने लगते हैं, तो लोगों को भी लगने लगता है कि अब चिंता की बात नहीं वो तो चला गया, लेकिन अनुभव दूसरा है। Testing और Distancing जैसे measures को लेकर लोगों में गंभीरता कम ना हो, इसके लिए सरकारी तंत्र, सामाजिक संगठन, जन-प्रतिनिधि, इन सबके बीच में एक सामूहिक जिम्‍मेदारी का भाव हमें पक्‍का करना होगा, और प्रशासन की जिम्‍मेदारी और बढ़ जाती है।

Covid Appropriate Behaviour जैसे मास्क पहनना, हाथ धुलना, जब इनमें कोई कमी नहीं आती, आपके जिलों में, आपके जिलों के बाजारों में, गांवों में, केस कम से कम होने के बाद भी लोग सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, तो ये कोरोना से लड़ाई में बहुत मदद करता है। स्थितियों पर लगातार नजर रखने से, जिले के सारे प्रमुख विभागों, जैसे पुलिस का विभाग हो, साफ-सफाई की बात हो, इन सारी व्‍यवस्‍थाओं का, इनके बीच में बेहतर तालमेल और प्रभावी परिणाम स्‍वाभाविक रूप से निकलने लगते हैं।

मुझे आपके कई जिलों से इस रणनीति पर काम करने के रिजल्ट्स की जानकारी मिलती रही है। इन जगहों पर आपने वाकई बड़ी संख्या में लोगों का जीवन बचाया है।

साथियों,

फील्ड में किए गए आपके कार्यों से, आपके अनुभवों और फीडबैक्स से ही practical और effective policies बनाने में मदद मिलती है। टीकाकरण की रणनीति में भी हर स्तर पर राज्यों और अनेक स्टेकहोल्डर से मिलने वाले सुझावों को शामिल करके आगे बढ़ाया जा रहा है।

इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से 15 दिन के टीकों की उपलब्धता की जानकारी राज्यों को दी जा रही है। वैक्सीन सप्लाई टाइम लाइन की स्पष्टता होने से टीकाकरण से जुड़े मैनेजमेंट में आप सभी को और आसानी होने वाली है।

मुझे विश्वास है कि हर जिले और वैक्सीनेशन सेंटर के स्तर पर सप्लाई और सुदृढ़ होगी। इससे टीकाकरण से जुड़ी अनिश्चितताओं को दूर करने में, पूरी प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करने में बहुत मदद मिलेगी। वैक्सीनेशन का जो प्लान है, जो कैलेंडर है, उसको हम नियमित रूप से अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक साझा करेंगे तो लोगों को कम से कम परेशानी होगी।

साथियों,

पिछली महामारियां हों या फिर ये समय, हर महामारी ने हमें एक बात सिखाई है। महामारी से डील करने के हमारे तौर-तरीकों में निरंतर बदलाव, निरंतर इनोवेशन, निरंतर upgradation बहुत ज़रूरी है। ये वायरस mutation में, स्वरूप बदलने में माहिर है, एक प्रकार से बहरूपिया भी है और ये वायरस धूर्त भी है, तो हमारे तरीके और strategies भी डायनामिक होने चाहिए।

Scientific level पर हमारे वैज्ञानिक वायरस के बदलते स्वरूपों से निपटने के लिए दिन-रात काम कर ही रहे हैं। वैक्सीन बनाने से लेकर, SOPs और नई ड्रग्स बनाने तक, लगातार काम हो रहा है। जब हमारी administrative approach भी इतनी ही innovative और डायनामिक रहती है तो हमें असाधारण परिणाम मिलते हैं। आपके जिले की चुनौतियां unique होंगी इसलिए आपके समाधान भी उतने ही unique होने चाहिए। एक विषय वैक्सीन वेस्टेज का भी है। एक भी वैक्सीन की वेस्टेज का मतलब है, किसी एक जीवन को जरूरी सुरक्षा कवच नहीं दे पाना। इसलिए वैक्सीन वेस्टेज रोकना बहुत जरूरी है।

मेरा ये भी कहना है कि जब आप अपने जिले के आंकड़ों की समीक्षा करते हैं तो उसमें Urban और Rural, इस पर भी अलग-अलग से आप गौर करें, ताकि आपका फोकस रहे। Even Tier-2, Tier-3 Cities को भी अलग से उसका analysis करें ताकि आप focus way में अपना strategy बर्ताव कर सकते हैं- कहां कितनी ताकत लगानी है, किस प्रकार की ताकत लगानी है, ये बड़ी आसानी से आप कर पाएंगे। और इससे जब एक प्रकार से देखेंगे तो ग्रामीण इलाकों में कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी।

और मैं भी लंबे अर्से तक आप ही की तरह कुछ न कुछ काम करते-करते यहां पहुंचा हूं। मेरा अनुभव है कि गांव के लोगों को अगर सही बात समय पर पहुंचा दी जाए तो वो बहुत religiously इसको follow करते हैं। और जो शहरों में कभी-कभी हमको किसी चीज को लागू करने में मेहनत पड़ती है, गांव में उतनी मेहनत नहीं पड़ती है। हां, clarity चाहिए। गांव के अंदर एक टीम बनानी चाहिए। आप देखिए, वो परिणाम खुद दे देते हैं आपको।

साथियों,

सेकंड वेव के बीच, वायरस mutation की वजह से अब युवाओं और बच्चों के लिए भी ज्यादा चिंता जताई जा रही है। अभी तक हमारी जो रणनीति रही है, आपने जिस तरह फील्ड में काम किया है, उसने इस चिंता को उतना गंभीर होने से रोकने में मदद तो की है लेकिन हमें आगे के लिए और अधिक तैयार रहना ही होगा। और सबसे पहला काम आप कर सकते हैं कि अपने जिले में युवाओं, बच्चों में संक्रमण और उसकी गंभीरता के आंकड़े व्यवस्थित करें। अलग से उस पर regular आप analysis कीजिए। आप स्‍वयं भी...मेरा सभी आप प्रमुख अधिकारियों से आग्रह है कि आप स्‍वयं भी उसका आकलन करें। इससे आगे के लिए तैयारी करने में मदद मिलेगी।

साथियों,

मैंने पिछली बार की एक बैठक में भी कहा था कि जीवन बचाने के साथ-साथ हमारी प्राथमिकता जीवन को आसान बनाए रखने की भी है। गरीबों के लिए मुफ्त राशन की सुविधा हो, दूसरी आवश्यक सप्लाई हो, कालाबाज़ारी पर रोक हो, ये सब इस लड़ाई को जीतने के लिए भी जरूरी हैं, और आगे बढ़ने के लिए भी आवश्यक है। आपके पास पिछले अनुभवों की ताकत भी है, और पिछले प्रयासों की सफलता का मोटिवेशन भी है। मुझे पूरा भरोसा है कि सभी आप सभी अपने-अपने जिलों को संक्रमण मुक्त करने में सफलता पाएंगे।

देश के नागरिक का जीवन बचाने में, देश को विजयी बनाने में हम सभी सफल होंगे, और मेरा आज कुछ साथियों को सुनने का मौका मिला है लेकिन आपके पास, हरेक के पास कुछ न कुछ सफलता की गाथाएं हैं। बड़े अच्‍छे innovative प्रयोग आप सबने कहीं न कहीं किए हैं। अगर वो आप मुझे पहुंचा देंगे तो जरूर इसको देशभर में पहुंचाने में मुझे सुविधा होगी। क्‍योंकि intellectually debate करके कितनी भी चीज क्‍यों न निकालें लेकिन उससे ज्‍यादा ताकत जो फील्‍ड में काम करता है, उसने जो अनुभव किया है और उसने जो रास्‍ते खोजे थे, वो बहुत ताकतवर होते हैं। और इसलिए आप सबकी भूमिका बहुत बड़ी है। और इसलिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप इसको निकालिए।

दूसरा, पिछले सौ साल में किसी के जीवन में इतने बड़े संकट से जूझने की जिम्‍मेदारी नहीं आई है। आप district में बैठे हैं, आपके जिम्‍मे सबसे बड़ा बोझ आया है। आपने बहुत चीजें observe की होंगी...मानव मन को observe किया होगा, व्‍यवस्‍थाओं की मर्यादाओं को देखा होगा, कम से कम संसाधनों का optimum utilisation करके आपने नए रिकॉर्ड स्‍थापित किए होंगे। जब भी मौका मिले इसको जरा जरूर अपनी डायरी में लिख करके रखिए। आने वाली पीढ़ियों को आपके अनुभव काम आएंगे क्योंकि पिछली शताब्दी में सौ साल पहले जो बड़ी महामारी हुई उसके उतने रिकॉर्ड उपलब्‍ध नहीं हैं I उसका रूप कैसा था, संकट कितना गहरा था, कहां क्‍या हुआ, बाहर निकलने के रास्‍ते क्‍या खोजे गए। लेकिन आज हमारे district के अफसर अगर district gazette की तरह इसको बनाएंगे तो भविष्‍य की पीढ़ियों को भी हमारी ये मेहनत, हमारे अनुभव...ये आने वाली पीढ़ियों के लिए भी काम आएगा।

और मैं आपको भी इस सफलता के लिए, इस मेहनत के लिए और आपको-आपकी पूरी टीम को, जिस् प्रकार से आप लोगों ने इसका नेतृत्व किया है आपको बधाई देता हू, आपकी सराहना करता हूं और मैं आशा करता हूं कि आप और अधिक सफलता प्राप्‍त करेंगे, तेजी से सफलता प्राप्‍त करेंगे और जनसामान्य के अंदर विश्वास पैदा करेंगे।

सामान्य मानवी का विश्वास विजय की सबसे बड़ी जड़ी-बूटी है...इससे बड़ी जड़ी-बूटी नहीं हो सकती है और ये काम आप आसानी से कर सकते हैं। आप स्वस्थ रहें, कार्य का बोझ आप पर ज्‍यादा है मैं अनुभव करता हूं। अब बारिश का सीजन आएगा तो और एक सीजनल जो प्रेशर रहता है वो तो बढ़ने ही वाला है। लेकिन इन सबके बीच भी आप स्‍वस्‍थ भी रहें...आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहें और आपका जिला जल्‍द से जल्‍द स्‍वस्‍थ हो, हर नागरिक स्‍वस्‍थ हो, ये आपकी कामना ईश्‍वर पूरी करे...आपका पुरुषार्थ पूरी करेगा।

मेरी तरफ से आपको बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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भारत, दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है: पीएम मोदी
June 28, 2025
Quoteअंतरिक्ष में भारतीय ध्वज फहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteविज्ञान और अध्यात्म, दोनों हमारे राष्ट्र की शक्ति हैं: प्रधानमंत्री
Quoteचंद्रयान मिशन की सफलता के साथ ही देश के बच्चों और युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि फिर से बढ़ी है, अंतरिक्ष में अन्वेषण का जुनून है, अब आपकी ऐतिहासिक यात्रा इस संकल्प को और शक्ति दे रही है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमें गगनयान मिशन को आगे ले जाना है, हमें अपना स्पेस स्टेशन बनाना है और चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भी उतारना है: प्रधानमंत्री
Quoteआज मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है, आपकी ऐतिहासिक यात्रा केवल अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये विकसित भारत की हमारी यात्रा को गति और नया जोश प्रदान करेगी: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्ला: नमस्कार!

प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री: वाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!