"खिलाड़ियों की शानदार मेहनत के कारण, देश एक प्रेरक उपलब्धि के साथ आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर रहा है"
"एथलीट देश के युवाओं को न केवल खेल में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं"
"आपने देश को विचार और लक्ष्य की एकता के सूत्र में पिरोया है जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम की एक बड़ी शक्ति भी रही है"
"तिरंगे की ताकत यूक्रेन में देखी गई जहां यह न केवल भारतीयों के लिए बल्कि युद्ध क्षेत्र से बाहर निकलने में अन्य देशों के नागरिकों के लिए भी यह सुरक्षा कवच बन गया था"
“हमारे पास एक खेल इकोसिस्‍टम बनाने की जिम्मेदारी है जो वैश्विक स्तर पर उत्कृष्ट, समावेशी, विविध और गतिशील है, कोई प्रतिभा छूटनी नहीं चाहिए'

चलिए, वैसे तो सब से बात करना मेरे लिए बहुत ही प्रेरक रहता है, लेकिन सबसे शायद बात करना संभव नहीं होता है। लेकिन अलग-अलग समय में आप में कइयों से किसी न किसी रूप में मुझे संपर्क में रहने का अवसर मिला है, बातचीत करने का अवसर मिला है, लेकिन मेरे लिए खुशी है कि आप समय निकाल कर मेरे निवास स्थान पर आए और परिवार के एक सदस्य के रूप में आए हैं। तो आपकी सिद्धि का यश आप के साथ जुड़कर के जैसे हर हिंदुस्तानी गर्व करता है, मैं भी गर्व कर रहा हूँ। आप सबका मेरे यहां बहुत-बहुत स्वागत है।

देखिए दो दिन बाद देश आज़ादी के 75 वर्ष पूरा करने वाला है। ये गर्व की बात है कि देश आप सभी की मेहनत से एक प्रेरणादायक उपलब्धि के साथ आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश कर रहा है।

साथियों,

बीते कुछ हफ्तों में देश ने खेल के मैदान में 2 बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ-साथ देश ने पहली बार Chess Olympiad का आयोजन किया है। ना सिर्फ सफल आयोजन किया है, बल्कि Chess में अपनी समृद्ध परंपरा को जारी रखते हुए, श्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया है। मैं Chess Olympiad में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों को और सभी मेडल विजेताओं को भी आज इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

कॉमनवेल्थ गेम्स शुरु होने से पहले मैंने आप सभी से कहा था, एक प्रकार से वादा किया था कि जब आप लौटेंगे तो हम मिलकर विजयोत्सव मनाएंगे। मेरा ये कॉन्फिडेंस था कि आप विजयी होकर के आने वाले हैं और मेरा ये मैनेजमेंट भी था कि मैं जरूर कितनी ही व्‍यस्‍तता होगी, आप लोगों के बीच समय निकालूंगा और विजयोत्सव मनाऊंगा। आज ये विजय के उत्सव का ही अवसर है। अभी जब आपसे मैं बात कर रहा था तो मैं वह आत्मविश्वास, वो हौसला देख रहा था और वही आपकी पहचान है, वही आपकी पहचान से जुड़ चुका है। जिसने मेडल जीता वो भी और जो आगे मेडल जीतने वाले हैं, वह भी आज प्रशंसा के पात्र हैं।

साथियों,

वैसे मैं आपको एक बात और बताना चाहता हूं। आप सभी तो वहां मुकाबला कर रहे थे, लेकिन हिन्‍दुस्‍तान में क्योंकि time difference रहता है, यहां करोड़ों भारतीय रतजगा कर रहे थे। देर रात तक आपके हर एक्शन, हर मूव पर देशवासियों की नज़र थी। बहुत से लोग अलार्म लगाकर सोते थे कि आपके प्रदर्शन का अपडेट लेंगे। कितने ही लोग बार-बार जाकर चेक करते थे कि स्कोर क्या हुआ है, कितने गोल, कितने प्वाइंट हुए हैं। खेलों के प्रति इस दिलचस्पी को बढ़ाने में, ये आकर्षण बढ़ाने में आप सबकी बहुत बड़ी भूमिका है और इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।

साथियों,

इस बार का जो हमारा प्रदर्शन रहा है, उसका ईमानदार आकलन सिर्फ मेडल की संख्या से संभव नहीं है। हमारे कितने खिलाड़ी इस बार neck to neck कंपीट करते नज़र आए हैं। ये भी अपने आप में किसी मेडल से कम नहीं है। ठीक है कि प्वाइंट वन सेकेंड, प्वाइंट वन सेंटीमीटर का फासला रह गया होगा, लेकिन उसे भी हम कवर कर लेंगे। ये मेरा आपके प्रति पूरा विश्वास है। मैं इसलिए भी उत्साहित हूं कि जो खेल हमारी ताकत रहे हैं, उनको तो हम मज़बूत कर ही रहे हैं, हम नए खेलों में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। हॉकी में जिस प्रकार हम अपनी लैगेसी को फिर हासिल कर रहे हैं, उसके लिए मैं दोनों टीमों के प्रयास, उनकी मेहनत, उनके मिजाज, उसकी बहुत-बहुत सराहना करता हूँ, पूरी-पूरी प्रशंसा करता हूँ। पिछली बार की तुलना में इस बार हमने 4 नए खेलों में जीत का नया रास्ता बनाया है। लॉन बाउल्स से लेकर एथलेटिक्स तक, अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा है। इस प्रदर्शन से देश में नए खेलों के प्रति युवाओं का रुझान बहुत बढ़ने वाला है।

नए खेलों में हमें इसी तरह अपना प्रदर्शन और सुधारते चलना है। मैं देख रहा हूँ, पुराने सारे चेहरे मेरे सामने हैं, शरत हों, किदांबी हों, सिंधु हों, सौरभ हों, मीराबाई हों, बजरंग हों, विनेश, साक्षी, आप सभी सीनियर एथलीट्स ने उम्मीद के मुताबिक लीड किया है। हर एक का हौसला बुलंद किया है। और वहीं हमारे युवा एथलीट्स ने तो कमाल ही कर दिया है। गेम्स की शुरुआत से पहले मेरी जिन युवा साथियों से बात हुई थी, उन्होंने अपना वादा पूरा निभाया है। जिन्होंने डैब्यू किया है, उनमें से 31 साथियों ने मेडल जीते हैं। ये दिखाता है कि आज हमारे युवाओं का कॉन्फिडेंस कितना बढ़ रहा है। जब अनुभवी शरत dominate करते हैं और अविनाश, प्रियंका और संदीप, पहली बार दुनिया के श्रेष्ठ एथलीट्स को टक्कर देते हैं, तो नए भारत की स्पिरिट दिखती है। स्पिरिट ये कि- हम हर रेस में, हर कंपीटिशन में, अड़े हैं, तैयार खड़े हैं। एथलेटिक्स के पोडियम पर एक साथ, दो-दो स्थान पर तिरंगे को सलामी देते भारतीय खिलाड़ियों को हमने कितनी बार देखा है। और साथियों, अपनी बेटियों के प्रदर्शन से तो पूरा देश ही गदगद है। अभी जब मैं पूजा से बात कर रहा था तो मैंने उल्लेख भी किया, पूजा का वो भावुक वीडियो देख सोशल मीडिया के माध्यम से कहा भी था कि आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है। आप देश के लिए विजेता हैं, बस अपनी ईमानदारी और परिश्रम में कभी कमी नहीं छोड़नी है। ओलंपिक्स के बाद विनेश से भी मैंने यही कहा था और मुझे खुशी है कि उन्होंने निराशा को पीछे छोड़ते हुए श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। बॉक्सिंग हो, जूडो हो, कुश्ती हो, जिस प्रकार बेटियों ने डॉमिनेट किया, वो अद्भुत है। नीतू ने तो प्रतिद्वंदियों को मैदान छोड़ने पर ही मजबूर कर दिया। हरमनप्रीत के नेतृत्व में पहली बार में ही क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सभी खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है, लेकिन रेणुका की स्विंग का तोड़ किसी के पास अभी भी नहीं है। दिग्गजों के बीच टॉप विकेट टेकर रहना, कोई कम उपलब्धि नहीं है। इनके चेहरे पर भले ही शिमला की शांति रहती हो, पहाड़ों की मासूम मुस्कान रहती हो, लेकिन उनका अग्रेशन बड़े-बड़े बैटर्स के हौसले पस्त कर देता है। ये प्रदर्शन निश्चित रूप से दूर-सुदूर के क्षेत्रों में भी बेटियों को प्रेरित करेगा, प्रोत्साहित करेगा।

 

साथियों,

आप सभी देश को सिर्फ एक मेडल नहीं, सिर्फ सेलिब्रेट करने का, गर्व करने का अवसर ही देते हैं, ऐसा नहीं है। बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को आप और सशक्त करते हैं। आप खेल में ही नहीं, बाकी सेक्टर में भी देश के युवाओं को बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। आप सभी देश को एक संकल्प, एक लक्ष्य के साथ जोड़ते हैं, जो हमारी आज़ादी की लड़ाई की भी बहुत बड़ी ताकत थी। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मंगल पांडे, तात्या टोपे, लोकमान्य तिलक, सरदार भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक़ उल्ला खाँ और रामप्रसाद बिस्मिल,, अनगिनत सेनानी, अनगिनत क्रांतिवीर जिनकी धारा अलग थी, लेकिन लक्ष्य एक था। रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी चेनम्मा, रानी गाइदिनल्यू और वेलु नचियार जैसी अनगिनत वीरांगनाओं ने हर रूढ़ी को तोड़ते हुए आज़ादी की लड़ाई लड़ी। बिरसा मुंडा हो और अल्लूरी सीताराम राजू हो, गोविंद गुरु हो, जैसे अनेक महान आदिवासी सेनानियों ने सिर्फ और सिर्फ अपने हौसले, अपने जज्बे से इतनी ताकतवर सेना से टक्कर ली। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर, आचार्य विनोबा भावे, नाना जी देशमुख, लालबहादुर शास्त्री, श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसी अनेक विभूतियों ने आज़ाद भारत के सपनों को पूरा करने के लिए जीवन खपा दिया। आज़ादी की लड़ाई से लेकर आज़ाद भारत के नवनिर्माण में जिस तरह से पूरे भारत ने एकजुट होकर प्रयास किया, उसी भावना से आप भी मैदान में उतरते हैं। आप सभी का राज्य, जिला, गांव, भाषा भले ही कोई भी हो, लेकिन आप भारत के मान, अभिमान के लिए, देश की प्रतिष्ठा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। आपकी भी प्रेरणाशक्ति तिरंगा है और तिरंगे की ताकत क्या होती है, ये हमने कुछ समय पहले ही यूक्रेन में देखा है। तिरंगा युद्धक्षेत्र से बाहर निकलने में भारतीयों का ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोगों के लिए भी सुरक्षा कवच बन गया था।

साथियों,

बीते समय में हमने दूसरे टूर्नामेंट्स में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हमारा अब तक का सबसे सफलतम प्रदर्शन रहा है। वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी बहुत प्रशंसनीय प्रदर्शन रहा है। इसी प्रकार वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप और पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स इसमें भी कई नए रिकॉर्ड बनाए गए हैं। ये भारतीय खेल के लिए निश्चित रुप से उत्साह और उमंग का समय है। यहां अनेक कोच भी हैं, कोचिंग स्टाफ के मेंबर्स भी हैं और देश में खेल प्रशासन से जुड़े साथी भी हैं। इन सफलताओं में आपकी भूमिका भी बेहतरीन रही है। आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन ये भी तो मेरेे हिसाब से शुरुआत है, हम संतोष मानकर के चुप बैठने वाले नहीं हैं। भारत के खेलों का स्वर्णिम काल दस्तक दे रहा है दोस्‍तों। मुझे खुशी है कि खेलो इंडिया के मंच से निकले अनेक खिलाड़ियों ने इस बार बेहतरीन प्रदर्शन किया है। TOPS का भी पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिल रहा है। नए टैलेंट की खोज और उनको पोडियम तक पहुंचाने के हमारे प्रयासों को हमें और तेज़ करना है। हमारे ऊपर एक ऐसे स्पोर्टिंग इकोसिस्टम के निर्माण की ज़िम्मेदारी है जो विश्व में श्रेष्ठ हो, इंक्लूसिव हो, डायवर्स हो़, डायनामिक हो। कोई भी टैलेंट छूटना नहीं चाहिए, क्योंकि वो देश की संपदा है, देश की अमानत है। मैं सभी एथलीट्स से आग्रहपूर्वक कहूंगा कि आपके सामने अब एशियन गेम्स हैं, ओलंपिक्स हैं। आप जमकर तैयारी कीजिए। आजादी के 75 वर्ष पर मेरा आपसे एक और आग्रह है। पिछली बार मैंने आपसे देश के 75 स्कूलों, शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया था। मीट द चैंपियन अभियान के तहत अनेक साथियों ने व्यस्तताओं के बीच ये काम किया भी है। इस अभियान को जारी रखें। जो साथी अभी नहीं जा पाए हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है कि आप ज़रूर जाएं, आपको देश का युवा अब रोल मॉडल के रूप में देखता है और इसलिए आपकी बातों को वो ध्यान से सुनता है। आपकी सलाह को वो जीवन में उतारने के लिए वो उतावला है। और इसलिए आपके पास ये जो सामर्थ्‍य पैदा हुआ है, जो स्वीकृति बनी है, जो सम्मान बढ़ा है वो देश की युवा पीढ़ी के लिए भी काम आना चाहिए। मैं फिर एक बार आप सबकी इस विजय यात्रा को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ ! बहुत-बहुत बधाई देता हूं ! धन्यवाद !

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।