भारतीय डेफलिम्पिक्स दल ने अब तक के सबसे ज्यादा पदकों की जीत के साथ इतिहास रचा है
"जब एक दिव्यांग एथलीट अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है, तो यह उपलब्धि, खेल उपलब्धि से भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है"
“देश की सकारात्मक छवि के निर्माण में आपका योगदान अन्य खिलाड़ियों से कई गुना अधिक है”
“अपना जुनून और उत्साह बनाए रखें; यह जुनून हमारे देश की प्रगति के नए द्वार खोलेगा”

प्रधानमंत्री जी : रोहित जी, आप तो senior most हैं इस दुनिया में। कितने साल हो गए रोहित जी खेलते-खेलते?

रोहित जी : 1997 से बहुत साल ऑलिम्पिक्स खेल चुका हूं मैं।

प्रधानमंत्री जी : जब सामने वाले खिलाड़ियों से खेलते हैं आप काफी तो पुराने आपके खिलाड़ी सामने आते होंगे। क्या अनुभव आता है?

रोहित जी : सर जब मैं पहले खेलता था 1997 से तो मेरे hearing लोगों के साथ मेरा कॉम्पिटिशन होता था और मैंने बढ़ने की कोशिश की और मैंने ऑलिम्पिक्स खेले। कॉम्पिटिशंस जैसे बिल्कुल hearing लोगों के साथ जैसा कॉम्पिटिशन होता है, मैंने भी उसमें आगे बढ़ने की कोशिश की और अब तक मैं लगभग hearing competitors के साथ खेल सकता हूं।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा रोहित खुद के विषय में बताइए। इस क्षेत्र में कैसे आए, शुरुआत में प्रेरणा किसने दी? और इतने लम्बे समय से जी जान से खेलते रहना कभी थकना नहीं।

रोहित जी : सर जब मैं बहुत छोटा था तो जब मैं मेरे ख्याल से मुझे याद भी नहीं है कि मैं जब देखता था, मैं बस ऐसे ही माता-पिता के साथ चलता था मैं देखता था, चीजें देख के खुश रहता था कि कैसे hearing लोग खेलते हैं, मैं भी चाहता था कि मैं भी खेलूं, मैंने भी वहीं से अपना aim तय किया और फिर आगे बढ़ता चला गया। जब मैं 1997 में मैंने खेलना शुरू किया तो पहले बधिर लोग खेलते नहीं थे, मुझे किसी तरीके का सपोर्ट नहीं मिल रहा था, बस सांत्वना दी जाती थी। मेरे पिता जी इसमें बहुत सहयोग करते थे खाना-पीना, जूस जो भी Diet चाहिए होती थी, उसका बहुत ध्यान दिया करते थे, भगवान की बहुत कृपा रही है तो मुझे भी बैडमिंटन इसलिए बहुत प्रिय है।

प्रधानमंत्री जी : अगर रोहित आप doubles में जब खेलते हैं, तो आपका पार्टनर मैंने सुना है महेश आपसे उम्र में बहुत छोटा है, इतना अंतर है आप इतने सीनियर हैं तो महेश बहुत छोटा है। क्‍या आप कैसे उसको संभालते हैं, कैसे गाइड करते हैं, उसके साथ कैसे match करते हैं अपने आप को?

रोहित जी : महेश बहुत छोटा है, 2014 में मेरे साथ खेलना शुरू हुआ है। मेरे घर के पास रहता था, मैंने उसे काफी कुछ सिखाया है। कैसे movement करनी चाहिए, कैसे hardwork करना है। Deaflympics में कैसे तैयार होना है तो वो थोड़ा सा रहता है disbalance लेकिन मैं उसको जो भी मैंने सिखाया, वो मुझे बहुत सपोर्ट करता है।

प्रधानमंत्री जी : रोहित जी, हम भी आपके साथ कर देंगे। रोहित जी आपका जीवन एक खिलाड़ी के तौर पर और एक व्यक्ति के तौर पर मैं समझता हूं आप में लीडरशिप क्वालिटी है, आप में कॉन्फिडेंस लेवल है और आप किसी चीज से ऊब नहीं जाते हैं। लगातार उसमें चेतना भरते रहते हैं। मैं पक्का मानता हूं कि देश के युवा उनके लिए आप वाकई बहुत ही प्रेरक रहे हैं। आपने अपने जीवन की बाधाओं से कभी हार नहीं मानी। ठीक है परमात्मा ने कुछ कमी दी, लेकिन आपने कभी हार नहीं मानी। आप पिछले 27 साल से देश के लिए पदक जीत रहे हैं। और मैं देख रहा हूं कि आप अभी भी संतुष्ट नहीं हैं, कुछ न कुछ करने का जज्बा है और मैं देख रहा हूं कि उम्र बढ़ती है लेकिन साथ-साथ आपका प्रदर्शन भी बहुत बेहतर होता जा रहा है। आप अपने टारगेट नए तय करते जाते हो। नए टारगेट को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। मैं समझता हूं कि खिलाड़ी के जीवन में यही एक गुण बहुत बड़ी ताकत होता है। वो कभी संतोष नहीं मानता है। बहुत नए goal set करता है, उसके लिए खुद को खपा देता है और उसी का परिणाम है कि कुछ न कुछ प्राप्त करता रहता है। मेरी तरफ से, मेरे देश की तरफ से रोहित को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

रोहित जी : बहुत-बहुत धन्यवाद! मैं भी आपको अभिनंदन करता हूं सर।

उद्घोषक : श्री वीरेन्द्र सिंह (Wrestling)

प्रधानमंत्री जी : जी वीरेन्द्र! कैसे हो?

वीरेन्द्र सिंह : जी, बिलकुल मैं ठीक हूं।

प्रधानमंत्री जी : आप ठीक हैं?

वीरेन्द्र सिंह : जी, जी!

प्रधानमंत्री जी : बताइए अपने विषय में थोड़ा, बताइए देशवासी देखना चाहते हैं आपको।

वीरेन्द्र सिंह : मेरे पिता जी और मेरे चाचा जी पहलवान थे। मैंने उन्हीं को देखकर पहलवानी सीखी और वो गुण मुझ में आया और मैंने ये निरंतर प्रयास किया कि मैं बढ़ता रहूं। बचपन से ही मैंने अपने मेरे मम्मी-पापा मुझे सपोर्ट करते थे। मेरे पिता जी ने सपोर्ट किया और मैं वो पहलवानी सीखता चला गया और आज इस स्‍तर पर पहुंचा हूं।

प्रधानमंत्री जी : लेकिन पिता जी को और चाचा को संतोष है?

वीरेन्द्र सिंह : नहीं, वो चाहते हैं कि मैं और करूं, और खेलूं, और बढ़ता रहूं, और तरक्की करता रहूं कि जैसे-जैसे देखता हूं कि जो hearing समाज के लोग हैं वो आगे निरंतर बढ़ते जा रहे हैं, जैसे कि वो लोग जीतते जा रहे हैं, मैं भी hearing लोगों के साथ खेलता हूं, मैंने भी उनको मात दी है और मैं selection में आया हूं, पर मैं सुन नहीं पाता था इस वजह से मुझे निकाल दिया गया और मैं नहीं रह पाया और मैं इसके लिए बहुत पछताया और रोया भी। पर फिर मैंने बधिर समाज में जब मैंने अंदर आया, मैं आया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मैं खुशी के मारे फूला नहीं समाया कि मैं जीत गया। जब मैंने मेडल पहली बार जीता, ऐसे ही मुझे लगता था कि चलो छोड़ो अब, मैं क्यों hearing समाज के पीछे जाऊं? अब मैं बधिर समाज में ही एक नाम कमा सकता हूं और मैं उसको निरंतर आगे बढ़ सकता हूं। मैंने कई मेडल जीते, 2005 में, उसके बाद 2007 में, उसके बाद मैंने फर्स्ट ओलंपिक्‍स जब जीता था, Turkey में जीता था।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा वीरेन्द्र ये बताओ। अच्छा 2005 से लेकर अब तक के हर Deaflympics में आप पदक जीत कर के ही आए हैं। ये निरंतरता आप कहा से लाते हैं? इसके पीछे क्या प्रेरणा है आपकी?

वीरेन्द्र सिंह : मैं Diet पर इतना ध्यान नहीं देता हूं जितना मैं प्रैक्टिस पर ध्यान देता हूं। मैं लगातार hearing लोगों के साथ प्रैक्टिस करता हूं। बहुत मेहनत करता हूं। वो मेहनत जाया नहीं जाती है, मैं बिल्कुल देखता हूं कि वो कैसे खेल रहे हैं और उसको निरंतर बढ़ता रहता हूं। सुबह-शाम मैं लगातार प्रैक्टिस में बहुत ध्यान देता हूं। मेरा ये aim रहता है कि मैं बाहर कहीं जाऊंगा खेलने तो मैं अपने मां-बाप के चरण स्पर्श करके निकलता हूं अपने देश को छोड़ के और मैं उनको याद करके ही खेलता हूं। और मैं खुश रहता हूं कि मैं विजयी होकर के आया हूं। ये मेरे मन में मेरी आशा रहती है।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा वीरेन्द्र दुनिया में वो कौन खिलाड़ी है जिसके साथ खेलते समय तुम्हें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है? तुम्हें उनका खेल देखने का मन करता है, वो कौन हैं?

वीरेन्द्र सिंह : जितने भी wrestlers होते हैं, मैं उनको देखता हूं कि strategy क्या है? मैं वो देख के सीखता हूं कि वो कैसे दांव खेलते हैं। मैं उन्हीं को देख के खेलता हूं और मैं सोचता हूं कि मुझे उस पर ध्यान रखना है कि मैं भी घर पर उसको निरंतर सोचता भी रहता हूं कि उस खिलाड़ी ने कैसा खेला था। तो मेरे को भी उससे अच्छा और उससे बराबर की टक्कर दे के खेलना है। मुझे उससे बिल्कुल घबराना नहीं है। एकदम सामने की कड़ाके की टक्कर देनी है और जीतना है उस दांव-पेच के साथ।

प्रधानमंत्री जी : वीरेन्द्र अच्छी बात है कि आप खेल की दुनिया में उस्‍ताद भी हैं, साथ-साथ विद्यार्थी भी हैं। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। आपकी जो इच्छा शक्ति है, वो सचमुच में हर किसी को प्रेरित करती है। इसके साथ ही मेरा मानना है कि आपसे देश के खिलाड़ी और युवा दोनों जो सीख सकते हैं और वो है आपकी निरंतरता, एक बार शिखर पर पहुंचना कठिन है पर उससे भी कठिन है कि जहां पहुंचे हैं वहां टिके रहना और फिर भी ऊपर जाने की कोशिश करते रहना। आपने शिखर पर पहुंचने के लिए तपस्या की। आपके चाचा ने, आपके पिता जी ने लगातार आपका मार्गदर्शन किया, आपकी मदद की। पहुंचना एक बात है, पहुंचने के बाद टिके रहना, ये मैं समझता हूं आपकी गजब की ताकत हैं और इसलिए खिलाड़ी जगत इस बात को समझेगा, आपसे सीखेगा, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रधानमंत्री जी : धनुष, नाम तो धनुष है, पर shooting करता है?

धनुष : जी, जी मैं shooting करता हूं।

प्रधानमंत्री जी : बताइए धनुष! अपने विषय में बताइए!

धनुष : जी, मैं निरंतर प्रैक्टिस में शूटिंग करता रहा। मेरी फैमिली का सपोर्ट मुझे बहुत रहा कि मुझे stagewise वो कि मुझे बताते रहे कि मुझे जीतना ही है, फर्स्‍ट ही आना है। मैं चार बार विदेश जा चुका हूं जीतने के लिए और मेरा ये हमारा निश्‍चय रहता है कि मैंने निश्चय किया होता है कि मुझे फर्स्‍ट ही मेडल लाना है, मुझे गोल्‍ड ही जीतना है।

प्रधानमंत्री जी : धनुष जी, आप, और विद्यार्थी जो चाहते हैं इस खेल में आगे बढ़ना, आप उनकी क्या मदद कर सकते हैं?

धनुष : मैं स्‍पोर्ट्स के लिए बच्चों को बताऊंगा कि हां हम इसमें आगे बढ़ सकते हैं। हमें प्रयास करते रहना चाहिए। लगातार प्रैक्टिस आपको आगे बढ़ाएगी। आपको लगातार रनिंग प्रैक्टिस करनी चाहिए, फिट रहना चाहिए। बस सर मैं इतना ही कहना चाहता हूं।

प्रधानमंत्री जी : योगा करते हो?

धनुष : जी मैं करता आ रहा हूं काफी टाइम से योगा।

प्रधानमंत्री जी : और मेडिटेशन करते हो?

धनुष : हां करता हूं लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन कभी-कभार करता हूं ध्‍यान रखने की वजह से।

प्रधानमंत्री जी : तुम्हें पता है ये शूटिंग में मेडिटेशन, ध्यान ये बहुत काम आता है?

धनुष : जी, बिल्कुल केंद्रित करना पड़ता है जी। बिल्कुल hole करके एक दम केंद्र लगाकर एक दम निशाने पर एक दम ध्यान रख कर करना पड़ता है।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा धनुष बताइए, छोटी उम्र से तुमने इतनी सारी सिद्धियां प्राप्त की हैं, दुनिया में जाकर के आए हो। तुम्हारी सबसे बड़ी प्रेरणा क्या है? कौन तुम्हें प्रेरित करता है?

धनुष : मुझे सबसे ज्यादा मैं अपनी मां से बहुत मेरा लगाव है। वो उनके साथ मुझे बहुत खुशी मिलती है। मेरे पापा भी मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं और मुझे प्यार करते हैं। लेकिन पहले 2017 में, मैं जब थोड़ा परेशान रहता था, उदास रहता था तो मम्मी का सपोर्ट बहुत रहता था और फिर निरंतर प्रयास करते-करते जब मैं जीतने लगा तो मुझे बहुत खुशी मिलने लगी और वही मेरी प्रेरणा को स्त्रोत बनता चला गया।

पीएम – धनुष सबसे पहले तो आपकी माताजी और आपके परिवार को प्रणाम करता हूं, और विशेषकर आपकी माताजी को। जैसा आपने वर्णन किया कि वो कैसे आपको संभालती थीं, कैसे आपको प्रोत्साहित करती थीं, कैसे आपको लड़ाई जीतने में मदद करती थीं और हर चुनौती के सामने खड़े रहने के लिए आपको तैयार करती थीं। तो सचमुच में आप बड़े भाग्यवान हैं और आपने बताया कि आपने खेलो इंडिया में भी कुछ नया सीखने का प्रयास किया, नई चीजों को जानने का प्रयास किया। और खेलो इंडिया ने आज देश को बहुत अच्‍छे-अच्‍छे खिलाड़ी दिए हैं। कई खेल प्रतिभाओं को आगे जाने में भी मदद मिली है। आपने अपने सामर्थ्य को पहचाना। लेकिन मेरा विश्‍वास है कि आपका सामर्थ्‍य, धनुष इससे भी ज्यादा है और आप इससे भी ज्यादा पराक्रम करके दिखाओगे, ये मुझे विश्‍वास है। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं।

धनुष – बहुत-बहुत धन्यवाद।

उद्घोषक - सुश्री प्रियशा देशमुख- शूटिंग

प्रधानमंत्री जी – अच्छा प्रियशा, आप पुणे से हैं।

प्रियशा – Actually मैं महाराष्ट्र, से हूं। मेरा नाम प्रियशा देशमुख है। वो मैं आठ साल में प्रैक्टिस कर रही हूं शूटिंग में। उससे पहले मैंने बेडमिंटन, सब कुछ करा लेकिन तब मैं हार गई तो मैंने सोचा शूटिंग आसान है। तो मैं शूटिंग में 2014 में join हुई। उसके बाद 2014-15 में नेशनल कैंप था वहां मैं अपनी कैटेगरी ७ गोल्‍ड मेडल और ओपन कैटेगरी में सिल्वर medal मिला है और पहले मैं की फर्स्ट वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रशिया में था तो मैं पहली बार इंटरनेशनल पर खेला। तो मुझे थोड़ा सा डर लगा था और परेशान भी हुई। लेकिन दादी जी के आशीर्वाद से और मेरे पापा ने मुझे समझाया कि जो कुछ भी हो आप पहली बार जा रहे हो तो जाओ, खेलो, जो मिलेगा वो मिलेगा । लेकिन अब performance करके दिखाओ। परंतु मुझे पता नहीं क्‍या मिला लेकिन जब लास्‍ट टाइम में मेरा क्‍वालिफिकेशन हुआ तो फाइनल हुआ। बाद में तो फाइनल हो गया तो मेरे को और मॉडल मिला।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा 2017 में आप छठे स्थान पर आई थीं। इस बार स्वर्ण लेकर आई हैं। ये कोई छोटी सिद्धि नहीं है। तो तुम्हें अभी भी संतोष नहीं है, अभी भी अपने-आप से शिकायत करती रहती हो।

प्रियशा – नहीं थी, मैं तो confident नहीं थी, मैं फिर भी डर रही हूं। दादी और पापा के आशीर्वाद और मेरा गुरु है अंजलि भागवत, उस कोच ने मुझे सिखाया जो करना है करो, लेकिन लेकिन पॉजिटिव सोचो तो कर लेंगे। और अभी, अभी सेकंड ओलंपिक में ब्राजील में हुआ तो धनुष के साथ में टीम में मुझे गोल्ड मेडल मिला। तो दादी ओलम्पिक होने के पहले, इस दुनिया में नहीं है अभी, उसने मुझे प्रॉमिस दिया था कि हम पदक जीत कर अवश्य आएंगे लेकिन दादी ने मुझसे वादा लिया कि अब मेडल अवश्य मिलेगा। लेकिन अचानक उनकी मौत होने के बाद तो मैंने उसका स्वप्न मैंने पूरा कर दिया तो मेरे को अच्छा लग रहा है।

प्रधानमंत्री जी – देखिए प्रियशा, सबसे पहले तो मैं अंजलि भागवत जी को भी बधाई देता हूं, उन्‍होंने तुम्‍हारे लिए अपना इतना जी-जान से मेहनत की।

प्रियशा – थैंक्यू सर!

प्रधानमंत्री जी – मैं सचमुच में बताता हूं कि एक तो तुम्हारा, तुम्हारे माता-पिता का, लेकिन कोच भी अगर जी-जान से तुम्हारे लिए काम करता है, तो उसके कारण बहुत बड़ा बदलाव मैं देख रहा हूं। अच्छा ये बताओ आप हो तो पुणे से, हैं, और पुणे के लोग तो बहुत शुद्ध मराठी बोलते हैं।

प्रियंशा – हां पता है मैं मराठी हूं।

प्रधानमंत्री जी – तो आप इतनी बढ़िया हिन्‍दी कैसे बोलती हैं।

प्रियंशा – मैं मराठी, हिंदी सब बोलती हूं लेकिन प्रॉब्लम ऐसा है मराठी में तो मुझे मेरी लैंग्वेज होती है। मेरे को होता है कि दुनिया में एक लैंग्वेज में बात नहीं करना, सब लैंग्वेज में बात करते हैं, लेकिन मैं कम बात करती हूं मराठी में।

प्रधानमंत्री जी – मुझे ये भी बताया गया, आपकी दादी ने हमेशा आपको प्रोत्साहित किया, कभी निराश नहीं होने दिया, कभी आपको उदास नहीं होने दिया। अनेक चुनौतियों को आप कर पाईं और जैसा मुझे बताया गया है कि आपने नए-नए तरीके से इसको सीखने का प्रयास किया है। मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप सबको प्रेरणा देती रहेंगी।

प्रियशा – थैंक्यू !

उद्घोषक – जाफरीन शेख- टेनिस

प्रधानमंत्री जी – हां जाफरीन नमस्‍ते।

जाफरीन – I am Jafrin Shekh, Tennis Player. I have won Bronze Medal in deaf Olympic 2021. मुझे मेरे बप्‍पा बहुत स्‍पोर्ट करते हैं, बहुत मेहनत करते हैं। मेरा इंडिया में तो बहुत मैडल हुआ। Thank You Narendra Modi, Prime Minister of India.

प्रधानमंत्री जी – अच्‍छा जाफरीन, आप और पृथ्वी शेखर, आपकी जोड़ी ने बड़ा कमाल कर दिया। आप दोनों एक-दूसरे को कोर्ट में मदद कैसे करते थे। एक-दूसरे की मदद कैसे करते हैं।

जाफरीन - हम दोनों सपोर्ट करते हैं (अस्पष्ट)

प्रधानमंत्री जी – देखिए, टेनिस में मैं तो कोई‍ खिलाड़ी नहीं रहा हूं, मुझे वो नसीब नहीं हुआ है, लेकिन कहते हैं कि टेनिस एक ऐसा खेल है कि उसमें टैक्नीक पर बड़ा बल रहता है और टैक्नीक की तरफ काफी फोकस रहता है। आपने इस खेल को न सिर्फ अपनाया, लेकिन कई बार आपने देश का नाम ऊंचा किया। इन चीजों को आत्मसात करने में आपको मेहनत कितनी पड़ती थी।

जाफरीन – सर, मैंने बहुत मेहनत किया, हमेशा बहुत मेहनत किया (अस्पष्ट)

प्रधानमंत्री जी – अच्‍छा आप एक प्रकार से देश की बेटियों का, उनके सामर्थ्य का एक प्रकार से पर्याय तो है ही, साथ ही आप छोटी-छोटी बच्चियों के लिए भी एक प्रेरणा हैं। आपने साबित कर दिया है कि भारत की बेटी अगर कुछ ठान ले तो कोई भी बाधा उसको रोक नहीं सकती है। मेरी तरफ से जाफरीन को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आपके पिताजी को विशेष रूप से अभिनंदन कि उन्‍होंने आपके पीछे इतनी मेहनत की और आपको यहां तक पहुंचाया।

जाफरीन – सर, आप सबको स्‍पोर्ट करते हैं, (अस्पष्ट) स्‍पोर्ट करो।

प्रधानमंत्री जी – मैं करूंगा।

जाफरीन - थैंक्‍यू सर, थैक्‍यू !

प्रधानमंत्री जी – मैं करूंगा। आपकी ये ऊर्जा मैं कह सकता हूं कि जो मुकाम आप लोगों ने हासिल किया, आपका जज्‍बा इससे बहुत आगे जाने का है। ये जज़्बा बनाकर रखिएगा, ये जोश बनाकर रखिएगा। इसी जोश से देश की जीत के नए रास्ते खुलेंगे। भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का‍ निर्माण होगा। और मैं मानता हूं हमारे जनरल खेल के जगत में कोई व्यक्ति नाम लेकर आता है तो वहां के sports culture की sports ability की बात होती है। लेकिन कोई दिव्यांग, कोई शारीरिक रूप से मजबूरी में जिंदगी गुजारने वाला व्यक्ति, वो जब दुनिया के अंदर नाम रोशन करता है तो वो सिर्फ खिलाड़ी जीत करके नहीं आता, वो सिर्फ खेल का खेल नहीं रहता है, वो उस देश की छवि को भी लेकर जाता है कि हां ये देश ऐसा है कि जहां दिव्‍यांग जनों के प्रति भी यही संवेदना है, यही भाव है और यही सामर्थ्‍य की पूजा वो देश करता है।

ये बहुत बडी ताकत होती है। और इसके कारण दुनिया में आप जहां भी गए होंगे, दुनिया में जब भी आपकी इस सिद्धि को किसी ने देखा होगा, तो आपको देखता होगा, आपके खेल को देखता होगा, आपके मेडल को देखता होगा, लेकिन back of the mind सोचता होगा, अच्छा! हिन्‍दुस्‍तान में ये वातावरण है, हरेक को समानता है, हरेक को अवसर हे। और उससे देश की छवि बनती है। यानी सामान्‍य खिलाड़ी देश की छवि बनाता है, उससे अनेक गुना ज्‍यादा अच्‍छी छवि देश की बनाने का काम आपके द्वारा होता है। आपके प्रयत्नों के द्वारा होता है। यानी, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है।

आप सभी को एक बार फिर ये शानदार जीत के लिए और देश का नाम रोशन करने के लिए, देश का नाम ऊंचा करने के लिए, भारत का तिरंगा झंडा फहराने के लिए, और वो भी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, उस समय देश के तिरंगे को फहराने के लिए आप सब बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं।

आपके इस पुरुषार्थ में आपके परिवारजनों का, आपके माता-पिता का, आपके कोचेज का, आपके आसपास का जो एनवायरनमेंट होगा, उन सबका बहुत बड़ा योगदान रहा है। और इसलिए उन सबको भी मैं बधाई देता हूं।

जिन भी खिलाड़ियों ने इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया, उन्होंने पूरे देश के सामने हौसले का एक अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। कुछ लोग होंगे जो मेडल तक शायद नहीं पहुंच पाए होंगे, लेकिन ये मान के चलिए कि उस मैडल ने आपको देख लिया है। अब वो मेडल आपका इंतजार कर रहा है। वो मेडल आपका इंतजार कर रहा है। आप ये मत सोचिए कि अब आप पीछे हैं। आप जरूर सिद्धि प्राप्त करेंगे, आप विजयी हो करके आएंगे और जो विजयी हुए हैं वे भी अब तो आपकी प्रेरणा का कारण बनेंगे। और इस खेल के अंदर अब तक के सारे रिकॉर्ड आप तोड़ करके आए हैं। हिंदुस्तान के सारे रिकॉर्ड आप तोड़ करके आए हैं।

इसलिए इस टीम का हृदय से मैं गर्व करता हूं, अभिनंदन करता हूं और आजादी का अमृत महोत्सव, उसमें भी आप प्रेरणा बनेंगे, देश के तिरंगे को आगे लहराने में हर नौजवान के लिए आप प्रेरणा बनेंगे, इसी अपेक्षा के साथ मैं सबसे पहले आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत आगे बढ़ने के लिए निमंत्रित करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।