भारतीय डेफलिम्पिक्स दल ने अब तक के सबसे ज्यादा पदकों की जीत के साथ इतिहास रचा है
"जब एक दिव्यांग एथलीट अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है, तो यह उपलब्धि, खेल उपलब्धि से भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है"
“देश की सकारात्मक छवि के निर्माण में आपका योगदान अन्य खिलाड़ियों से कई गुना अधिक है”
“अपना जुनून और उत्साह बनाए रखें; यह जुनून हमारे देश की प्रगति के नए द्वार खोलेगा”

प्रधानमंत्री जी : रोहित जी, आप तो senior most हैं इस दुनिया में। कितने साल हो गए रोहित जी खेलते-खेलते?

रोहित जी : 1997 से बहुत साल ऑलिम्पिक्स खेल चुका हूं मैं।

प्रधानमंत्री जी : जब सामने वाले खिलाड़ियों से खेलते हैं आप काफी तो पुराने आपके खिलाड़ी सामने आते होंगे। क्या अनुभव आता है?

रोहित जी : सर जब मैं पहले खेलता था 1997 से तो मेरे hearing लोगों के साथ मेरा कॉम्पिटिशन होता था और मैंने बढ़ने की कोशिश की और मैंने ऑलिम्पिक्स खेले। कॉम्पिटिशंस जैसे बिल्कुल hearing लोगों के साथ जैसा कॉम्पिटिशन होता है, मैंने भी उसमें आगे बढ़ने की कोशिश की और अब तक मैं लगभग hearing competitors के साथ खेल सकता हूं।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा रोहित खुद के विषय में बताइए। इस क्षेत्र में कैसे आए, शुरुआत में प्रेरणा किसने दी? और इतने लम्बे समय से जी जान से खेलते रहना कभी थकना नहीं।

रोहित जी : सर जब मैं बहुत छोटा था तो जब मैं मेरे ख्याल से मुझे याद भी नहीं है कि मैं जब देखता था, मैं बस ऐसे ही माता-पिता के साथ चलता था मैं देखता था, चीजें देख के खुश रहता था कि कैसे hearing लोग खेलते हैं, मैं भी चाहता था कि मैं भी खेलूं, मैंने भी वहीं से अपना aim तय किया और फिर आगे बढ़ता चला गया। जब मैं 1997 में मैंने खेलना शुरू किया तो पहले बधिर लोग खेलते नहीं थे, मुझे किसी तरीके का सपोर्ट नहीं मिल रहा था, बस सांत्वना दी जाती थी। मेरे पिता जी इसमें बहुत सहयोग करते थे खाना-पीना, जूस जो भी Diet चाहिए होती थी, उसका बहुत ध्यान दिया करते थे, भगवान की बहुत कृपा रही है तो मुझे भी बैडमिंटन इसलिए बहुत प्रिय है।

प्रधानमंत्री जी : अगर रोहित आप doubles में जब खेलते हैं, तो आपका पार्टनर मैंने सुना है महेश आपसे उम्र में बहुत छोटा है, इतना अंतर है आप इतने सीनियर हैं तो महेश बहुत छोटा है। क्‍या आप कैसे उसको संभालते हैं, कैसे गाइड करते हैं, उसके साथ कैसे match करते हैं अपने आप को?

रोहित जी : महेश बहुत छोटा है, 2014 में मेरे साथ खेलना शुरू हुआ है। मेरे घर के पास रहता था, मैंने उसे काफी कुछ सिखाया है। कैसे movement करनी चाहिए, कैसे hardwork करना है। Deaflympics में कैसे तैयार होना है तो वो थोड़ा सा रहता है disbalance लेकिन मैं उसको जो भी मैंने सिखाया, वो मुझे बहुत सपोर्ट करता है।

प्रधानमंत्री जी : रोहित जी, हम भी आपके साथ कर देंगे। रोहित जी आपका जीवन एक खिलाड़ी के तौर पर और एक व्यक्ति के तौर पर मैं समझता हूं आप में लीडरशिप क्वालिटी है, आप में कॉन्फिडेंस लेवल है और आप किसी चीज से ऊब नहीं जाते हैं। लगातार उसमें चेतना भरते रहते हैं। मैं पक्का मानता हूं कि देश के युवा उनके लिए आप वाकई बहुत ही प्रेरक रहे हैं। आपने अपने जीवन की बाधाओं से कभी हार नहीं मानी। ठीक है परमात्मा ने कुछ कमी दी, लेकिन आपने कभी हार नहीं मानी। आप पिछले 27 साल से देश के लिए पदक जीत रहे हैं। और मैं देख रहा हूं कि आप अभी भी संतुष्ट नहीं हैं, कुछ न कुछ करने का जज्बा है और मैं देख रहा हूं कि उम्र बढ़ती है लेकिन साथ-साथ आपका प्रदर्शन भी बहुत बेहतर होता जा रहा है। आप अपने टारगेट नए तय करते जाते हो। नए टारगेट को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। मैं समझता हूं कि खिलाड़ी के जीवन में यही एक गुण बहुत बड़ी ताकत होता है। वो कभी संतोष नहीं मानता है। बहुत नए goal set करता है, उसके लिए खुद को खपा देता है और उसी का परिणाम है कि कुछ न कुछ प्राप्त करता रहता है। मेरी तरफ से, मेरे देश की तरफ से रोहित को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

रोहित जी : बहुत-बहुत धन्यवाद! मैं भी आपको अभिनंदन करता हूं सर।

उद्घोषक : श्री वीरेन्द्र सिंह (Wrestling)

प्रधानमंत्री जी : जी वीरेन्द्र! कैसे हो?

वीरेन्द्र सिंह : जी, बिलकुल मैं ठीक हूं।

प्रधानमंत्री जी : आप ठीक हैं?

वीरेन्द्र सिंह : जी, जी!

प्रधानमंत्री जी : बताइए अपने विषय में थोड़ा, बताइए देशवासी देखना चाहते हैं आपको।

वीरेन्द्र सिंह : मेरे पिता जी और मेरे चाचा जी पहलवान थे। मैंने उन्हीं को देखकर पहलवानी सीखी और वो गुण मुझ में आया और मैंने ये निरंतर प्रयास किया कि मैं बढ़ता रहूं। बचपन से ही मैंने अपने मेरे मम्मी-पापा मुझे सपोर्ट करते थे। मेरे पिता जी ने सपोर्ट किया और मैं वो पहलवानी सीखता चला गया और आज इस स्‍तर पर पहुंचा हूं।

प्रधानमंत्री जी : लेकिन पिता जी को और चाचा को संतोष है?

वीरेन्द्र सिंह : नहीं, वो चाहते हैं कि मैं और करूं, और खेलूं, और बढ़ता रहूं, और तरक्की करता रहूं कि जैसे-जैसे देखता हूं कि जो hearing समाज के लोग हैं वो आगे निरंतर बढ़ते जा रहे हैं, जैसे कि वो लोग जीतते जा रहे हैं, मैं भी hearing लोगों के साथ खेलता हूं, मैंने भी उनको मात दी है और मैं selection में आया हूं, पर मैं सुन नहीं पाता था इस वजह से मुझे निकाल दिया गया और मैं नहीं रह पाया और मैं इसके लिए बहुत पछताया और रोया भी। पर फिर मैंने बधिर समाज में जब मैंने अंदर आया, मैं आया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मैं खुशी के मारे फूला नहीं समाया कि मैं जीत गया। जब मैंने मेडल पहली बार जीता, ऐसे ही मुझे लगता था कि चलो छोड़ो अब, मैं क्यों hearing समाज के पीछे जाऊं? अब मैं बधिर समाज में ही एक नाम कमा सकता हूं और मैं उसको निरंतर आगे बढ़ सकता हूं। मैंने कई मेडल जीते, 2005 में, उसके बाद 2007 में, उसके बाद मैंने फर्स्ट ओलंपिक्‍स जब जीता था, Turkey में जीता था।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा वीरेन्द्र ये बताओ। अच्छा 2005 से लेकर अब तक के हर Deaflympics में आप पदक जीत कर के ही आए हैं। ये निरंतरता आप कहा से लाते हैं? इसके पीछे क्या प्रेरणा है आपकी?

वीरेन्द्र सिंह : मैं Diet पर इतना ध्यान नहीं देता हूं जितना मैं प्रैक्टिस पर ध्यान देता हूं। मैं लगातार hearing लोगों के साथ प्रैक्टिस करता हूं। बहुत मेहनत करता हूं। वो मेहनत जाया नहीं जाती है, मैं बिल्कुल देखता हूं कि वो कैसे खेल रहे हैं और उसको निरंतर बढ़ता रहता हूं। सुबह-शाम मैं लगातार प्रैक्टिस में बहुत ध्यान देता हूं। मेरा ये aim रहता है कि मैं बाहर कहीं जाऊंगा खेलने तो मैं अपने मां-बाप के चरण स्पर्श करके निकलता हूं अपने देश को छोड़ के और मैं उनको याद करके ही खेलता हूं। और मैं खुश रहता हूं कि मैं विजयी होकर के आया हूं। ये मेरे मन में मेरी आशा रहती है।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा वीरेन्द्र दुनिया में वो कौन खिलाड़ी है जिसके साथ खेलते समय तुम्हें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है? तुम्हें उनका खेल देखने का मन करता है, वो कौन हैं?

वीरेन्द्र सिंह : जितने भी wrestlers होते हैं, मैं उनको देखता हूं कि strategy क्या है? मैं वो देख के सीखता हूं कि वो कैसे दांव खेलते हैं। मैं उन्हीं को देख के खेलता हूं और मैं सोचता हूं कि मुझे उस पर ध्यान रखना है कि मैं भी घर पर उसको निरंतर सोचता भी रहता हूं कि उस खिलाड़ी ने कैसा खेला था। तो मेरे को भी उससे अच्छा और उससे बराबर की टक्कर दे के खेलना है। मुझे उससे बिल्कुल घबराना नहीं है। एकदम सामने की कड़ाके की टक्कर देनी है और जीतना है उस दांव-पेच के साथ।

प्रधानमंत्री जी : वीरेन्द्र अच्छी बात है कि आप खेल की दुनिया में उस्‍ताद भी हैं, साथ-साथ विद्यार्थी भी हैं। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। आपकी जो इच्छा शक्ति है, वो सचमुच में हर किसी को प्रेरित करती है। इसके साथ ही मेरा मानना है कि आपसे देश के खिलाड़ी और युवा दोनों जो सीख सकते हैं और वो है आपकी निरंतरता, एक बार शिखर पर पहुंचना कठिन है पर उससे भी कठिन है कि जहां पहुंचे हैं वहां टिके रहना और फिर भी ऊपर जाने की कोशिश करते रहना। आपने शिखर पर पहुंचने के लिए तपस्या की। आपके चाचा ने, आपके पिता जी ने लगातार आपका मार्गदर्शन किया, आपकी मदद की। पहुंचना एक बात है, पहुंचने के बाद टिके रहना, ये मैं समझता हूं आपकी गजब की ताकत हैं और इसलिए खिलाड़ी जगत इस बात को समझेगा, आपसे सीखेगा, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रधानमंत्री जी : धनुष, नाम तो धनुष है, पर shooting करता है?

धनुष : जी, जी मैं shooting करता हूं।

प्रधानमंत्री जी : बताइए धनुष! अपने विषय में बताइए!

धनुष : जी, मैं निरंतर प्रैक्टिस में शूटिंग करता रहा। मेरी फैमिली का सपोर्ट मुझे बहुत रहा कि मुझे stagewise वो कि मुझे बताते रहे कि मुझे जीतना ही है, फर्स्‍ट ही आना है। मैं चार बार विदेश जा चुका हूं जीतने के लिए और मेरा ये हमारा निश्‍चय रहता है कि मैंने निश्चय किया होता है कि मुझे फर्स्‍ट ही मेडल लाना है, मुझे गोल्‍ड ही जीतना है।

प्रधानमंत्री जी : धनुष जी, आप, और विद्यार्थी जो चाहते हैं इस खेल में आगे बढ़ना, आप उनकी क्या मदद कर सकते हैं?

धनुष : मैं स्‍पोर्ट्स के लिए बच्चों को बताऊंगा कि हां हम इसमें आगे बढ़ सकते हैं। हमें प्रयास करते रहना चाहिए। लगातार प्रैक्टिस आपको आगे बढ़ाएगी। आपको लगातार रनिंग प्रैक्टिस करनी चाहिए, फिट रहना चाहिए। बस सर मैं इतना ही कहना चाहता हूं।

प्रधानमंत्री जी : योगा करते हो?

धनुष : जी मैं करता आ रहा हूं काफी टाइम से योगा।

प्रधानमंत्री जी : और मेडिटेशन करते हो?

धनुष : हां करता हूं लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन कभी-कभार करता हूं ध्‍यान रखने की वजह से।

प्रधानमंत्री जी : तुम्हें पता है ये शूटिंग में मेडिटेशन, ध्यान ये बहुत काम आता है?

धनुष : जी, बिल्कुल केंद्रित करना पड़ता है जी। बिल्कुल hole करके एक दम केंद्र लगाकर एक दम निशाने पर एक दम ध्यान रख कर करना पड़ता है।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा धनुष बताइए, छोटी उम्र से तुमने इतनी सारी सिद्धियां प्राप्त की हैं, दुनिया में जाकर के आए हो। तुम्हारी सबसे बड़ी प्रेरणा क्या है? कौन तुम्हें प्रेरित करता है?

धनुष : मुझे सबसे ज्यादा मैं अपनी मां से बहुत मेरा लगाव है। वो उनके साथ मुझे बहुत खुशी मिलती है। मेरे पापा भी मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं और मुझे प्यार करते हैं। लेकिन पहले 2017 में, मैं जब थोड़ा परेशान रहता था, उदास रहता था तो मम्मी का सपोर्ट बहुत रहता था और फिर निरंतर प्रयास करते-करते जब मैं जीतने लगा तो मुझे बहुत खुशी मिलने लगी और वही मेरी प्रेरणा को स्त्रोत बनता चला गया।

पीएम – धनुष सबसे पहले तो आपकी माताजी और आपके परिवार को प्रणाम करता हूं, और विशेषकर आपकी माताजी को। जैसा आपने वर्णन किया कि वो कैसे आपको संभालती थीं, कैसे आपको प्रोत्साहित करती थीं, कैसे आपको लड़ाई जीतने में मदद करती थीं और हर चुनौती के सामने खड़े रहने के लिए आपको तैयार करती थीं। तो सचमुच में आप बड़े भाग्यवान हैं और आपने बताया कि आपने खेलो इंडिया में भी कुछ नया सीखने का प्रयास किया, नई चीजों को जानने का प्रयास किया। और खेलो इंडिया ने आज देश को बहुत अच्‍छे-अच्‍छे खिलाड़ी दिए हैं। कई खेल प्रतिभाओं को आगे जाने में भी मदद मिली है। आपने अपने सामर्थ्य को पहचाना। लेकिन मेरा विश्‍वास है कि आपका सामर्थ्‍य, धनुष इससे भी ज्यादा है और आप इससे भी ज्यादा पराक्रम करके दिखाओगे, ये मुझे विश्‍वास है। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं।

धनुष – बहुत-बहुत धन्यवाद।

उद्घोषक - सुश्री प्रियशा देशमुख- शूटिंग

प्रधानमंत्री जी – अच्छा प्रियशा, आप पुणे से हैं।

प्रियशा – Actually मैं महाराष्ट्र, से हूं। मेरा नाम प्रियशा देशमुख है। वो मैं आठ साल में प्रैक्टिस कर रही हूं शूटिंग में। उससे पहले मैंने बेडमिंटन, सब कुछ करा लेकिन तब मैं हार गई तो मैंने सोचा शूटिंग आसान है। तो मैं शूटिंग में 2014 में join हुई। उसके बाद 2014-15 में नेशनल कैंप था वहां मैं अपनी कैटेगरी ७ गोल्‍ड मेडल और ओपन कैटेगरी में सिल्वर medal मिला है और पहले मैं की फर्स्ट वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रशिया में था तो मैं पहली बार इंटरनेशनल पर खेला। तो मुझे थोड़ा सा डर लगा था और परेशान भी हुई। लेकिन दादी जी के आशीर्वाद से और मेरे पापा ने मुझे समझाया कि जो कुछ भी हो आप पहली बार जा रहे हो तो जाओ, खेलो, जो मिलेगा वो मिलेगा । लेकिन अब performance करके दिखाओ। परंतु मुझे पता नहीं क्‍या मिला लेकिन जब लास्‍ट टाइम में मेरा क्‍वालिफिकेशन हुआ तो फाइनल हुआ। बाद में तो फाइनल हो गया तो मेरे को और मॉडल मिला।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा 2017 में आप छठे स्थान पर आई थीं। इस बार स्वर्ण लेकर आई हैं। ये कोई छोटी सिद्धि नहीं है। तो तुम्हें अभी भी संतोष नहीं है, अभी भी अपने-आप से शिकायत करती रहती हो।

प्रियशा – नहीं थी, मैं तो confident नहीं थी, मैं फिर भी डर रही हूं। दादी और पापा के आशीर्वाद और मेरा गुरु है अंजलि भागवत, उस कोच ने मुझे सिखाया जो करना है करो, लेकिन लेकिन पॉजिटिव सोचो तो कर लेंगे। और अभी, अभी सेकंड ओलंपिक में ब्राजील में हुआ तो धनुष के साथ में टीम में मुझे गोल्ड मेडल मिला। तो दादी ओलम्पिक होने के पहले, इस दुनिया में नहीं है अभी, उसने मुझे प्रॉमिस दिया था कि हम पदक जीत कर अवश्य आएंगे लेकिन दादी ने मुझसे वादा लिया कि अब मेडल अवश्य मिलेगा। लेकिन अचानक उनकी मौत होने के बाद तो मैंने उसका स्वप्न मैंने पूरा कर दिया तो मेरे को अच्छा लग रहा है।

प्रधानमंत्री जी – देखिए प्रियशा, सबसे पहले तो मैं अंजलि भागवत जी को भी बधाई देता हूं, उन्‍होंने तुम्‍हारे लिए अपना इतना जी-जान से मेहनत की।

प्रियशा – थैंक्यू सर!

प्रधानमंत्री जी – मैं सचमुच में बताता हूं कि एक तो तुम्हारा, तुम्हारे माता-पिता का, लेकिन कोच भी अगर जी-जान से तुम्हारे लिए काम करता है, तो उसके कारण बहुत बड़ा बदलाव मैं देख रहा हूं। अच्छा ये बताओ आप हो तो पुणे से, हैं, और पुणे के लोग तो बहुत शुद्ध मराठी बोलते हैं।

प्रियंशा – हां पता है मैं मराठी हूं।

प्रधानमंत्री जी – तो आप इतनी बढ़िया हिन्‍दी कैसे बोलती हैं।

प्रियंशा – मैं मराठी, हिंदी सब बोलती हूं लेकिन प्रॉब्लम ऐसा है मराठी में तो मुझे मेरी लैंग्वेज होती है। मेरे को होता है कि दुनिया में एक लैंग्वेज में बात नहीं करना, सब लैंग्वेज में बात करते हैं, लेकिन मैं कम बात करती हूं मराठी में।

प्रधानमंत्री जी – मुझे ये भी बताया गया, आपकी दादी ने हमेशा आपको प्रोत्साहित किया, कभी निराश नहीं होने दिया, कभी आपको उदास नहीं होने दिया। अनेक चुनौतियों को आप कर पाईं और जैसा मुझे बताया गया है कि आपने नए-नए तरीके से इसको सीखने का प्रयास किया है। मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप सबको प्रेरणा देती रहेंगी।

प्रियशा – थैंक्यू !

उद्घोषक – जाफरीन शेख- टेनिस

प्रधानमंत्री जी – हां जाफरीन नमस्‍ते।

जाफरीन – I am Jafrin Shekh, Tennis Player. I have won Bronze Medal in deaf Olympic 2021. मुझे मेरे बप्‍पा बहुत स्‍पोर्ट करते हैं, बहुत मेहनत करते हैं। मेरा इंडिया में तो बहुत मैडल हुआ। Thank You Narendra Modi, Prime Minister of India.

प्रधानमंत्री जी – अच्‍छा जाफरीन, आप और पृथ्वी शेखर, आपकी जोड़ी ने बड़ा कमाल कर दिया। आप दोनों एक-दूसरे को कोर्ट में मदद कैसे करते थे। एक-दूसरे की मदद कैसे करते हैं।

जाफरीन - हम दोनों सपोर्ट करते हैं (अस्पष्ट)

प्रधानमंत्री जी – देखिए, टेनिस में मैं तो कोई‍ खिलाड़ी नहीं रहा हूं, मुझे वो नसीब नहीं हुआ है, लेकिन कहते हैं कि टेनिस एक ऐसा खेल है कि उसमें टैक्नीक पर बड़ा बल रहता है और टैक्नीक की तरफ काफी फोकस रहता है। आपने इस खेल को न सिर्फ अपनाया, लेकिन कई बार आपने देश का नाम ऊंचा किया। इन चीजों को आत्मसात करने में आपको मेहनत कितनी पड़ती थी।

जाफरीन – सर, मैंने बहुत मेहनत किया, हमेशा बहुत मेहनत किया (अस्पष्ट)

प्रधानमंत्री जी – अच्‍छा आप एक प्रकार से देश की बेटियों का, उनके सामर्थ्य का एक प्रकार से पर्याय तो है ही, साथ ही आप छोटी-छोटी बच्चियों के लिए भी एक प्रेरणा हैं। आपने साबित कर दिया है कि भारत की बेटी अगर कुछ ठान ले तो कोई भी बाधा उसको रोक नहीं सकती है। मेरी तरफ से जाफरीन को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आपके पिताजी को विशेष रूप से अभिनंदन कि उन्‍होंने आपके पीछे इतनी मेहनत की और आपको यहां तक पहुंचाया।

जाफरीन – सर, आप सबको स्‍पोर्ट करते हैं, (अस्पष्ट) स्‍पोर्ट करो।

प्रधानमंत्री जी – मैं करूंगा।

जाफरीन - थैंक्‍यू सर, थैक्‍यू !

प्रधानमंत्री जी – मैं करूंगा। आपकी ये ऊर्जा मैं कह सकता हूं कि जो मुकाम आप लोगों ने हासिल किया, आपका जज्‍बा इससे बहुत आगे जाने का है। ये जज़्बा बनाकर रखिएगा, ये जोश बनाकर रखिएगा। इसी जोश से देश की जीत के नए रास्ते खुलेंगे। भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का‍ निर्माण होगा। और मैं मानता हूं हमारे जनरल खेल के जगत में कोई व्यक्ति नाम लेकर आता है तो वहां के sports culture की sports ability की बात होती है। लेकिन कोई दिव्यांग, कोई शारीरिक रूप से मजबूरी में जिंदगी गुजारने वाला व्यक्ति, वो जब दुनिया के अंदर नाम रोशन करता है तो वो सिर्फ खिलाड़ी जीत करके नहीं आता, वो सिर्फ खेल का खेल नहीं रहता है, वो उस देश की छवि को भी लेकर जाता है कि हां ये देश ऐसा है कि जहां दिव्‍यांग जनों के प्रति भी यही संवेदना है, यही भाव है और यही सामर्थ्‍य की पूजा वो देश करता है।

ये बहुत बडी ताकत होती है। और इसके कारण दुनिया में आप जहां भी गए होंगे, दुनिया में जब भी आपकी इस सिद्धि को किसी ने देखा होगा, तो आपको देखता होगा, आपके खेल को देखता होगा, आपके मेडल को देखता होगा, लेकिन back of the mind सोचता होगा, अच्छा! हिन्‍दुस्‍तान में ये वातावरण है, हरेक को समानता है, हरेक को अवसर हे। और उससे देश की छवि बनती है। यानी सामान्‍य खिलाड़ी देश की छवि बनाता है, उससे अनेक गुना ज्‍यादा अच्‍छी छवि देश की बनाने का काम आपके द्वारा होता है। आपके प्रयत्नों के द्वारा होता है। यानी, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है।

आप सभी को एक बार फिर ये शानदार जीत के लिए और देश का नाम रोशन करने के लिए, देश का नाम ऊंचा करने के लिए, भारत का तिरंगा झंडा फहराने के लिए, और वो भी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, उस समय देश के तिरंगे को फहराने के लिए आप सब बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं।

आपके इस पुरुषार्थ में आपके परिवारजनों का, आपके माता-पिता का, आपके कोचेज का, आपके आसपास का जो एनवायरनमेंट होगा, उन सबका बहुत बड़ा योगदान रहा है। और इसलिए उन सबको भी मैं बधाई देता हूं।

जिन भी खिलाड़ियों ने इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया, उन्होंने पूरे देश के सामने हौसले का एक अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। कुछ लोग होंगे जो मेडल तक शायद नहीं पहुंच पाए होंगे, लेकिन ये मान के चलिए कि उस मैडल ने आपको देख लिया है। अब वो मेडल आपका इंतजार कर रहा है। वो मेडल आपका इंतजार कर रहा है। आप ये मत सोचिए कि अब आप पीछे हैं। आप जरूर सिद्धि प्राप्त करेंगे, आप विजयी हो करके आएंगे और जो विजयी हुए हैं वे भी अब तो आपकी प्रेरणा का कारण बनेंगे। और इस खेल के अंदर अब तक के सारे रिकॉर्ड आप तोड़ करके आए हैं। हिंदुस्तान के सारे रिकॉर्ड आप तोड़ करके आए हैं।

इसलिए इस टीम का हृदय से मैं गर्व करता हूं, अभिनंदन करता हूं और आजादी का अमृत महोत्सव, उसमें भी आप प्रेरणा बनेंगे, देश के तिरंगे को आगे लहराने में हर नौजवान के लिए आप प्रेरणा बनेंगे, इसी अपेक्षा के साथ मैं सबसे पहले आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत आगे बढ़ने के लिए निमंत्रित करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.