हिमाचल प्रदेश ने आज एक प्रधानसेवक के नाते ही नहीं, बल्कि एक परिवार के सदस्य के नाते भी, मुझे गर्व का अवसर दिया है। मैंने छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हिमाचल को भी देखा है और आज विकास की गाथा को लिख रहे, हिमाचल को भी देख रहा हूं। ये सबकुछ देवी देवताओं के आशीर्वाद से, हिमाचल सरकार की कर्मकुशलता से और हिमाचल के जन-जन की जागरूकता से संभव हो पाया है। मैं फिर एक बार जिन–जिन से मेरा संवाद करने का अवसर मिला और जिस प्रकार से सबने बाते बताई इसके लिए मैं उनका तो आभार व्यक्त करता हूं। मैं पूरी टीम का आभार व्यक्त करता हूं। हिमाचल ने एक टीम के रूप में काम करने अद्भुत सिद्धि प्राप्त की है। मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं !!
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान राजेंद्र आर्लेकर जी, ऊर्जावान और लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान जयराम ठाकुर जी, संसद में हमारे साथी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिमाचल का ही संतान, श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री अनुराग ठाकुर जी, संसद में मेरे साथी और हिमाचल भाजपा अध्यक्ष श्रीमान सुरेश कश्यप जी, अन्य सभी मंत्रीगण, सांसद गण और विधायक गण, पंचायतों के जन-प्रतिनिधि और हिमाचल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !
100 वर्ष की सबसे बड़ी महामारी, 100 वर्ष में ऐसे दिन कभी देखे नहीं हैं, के विरुद्ध लड़ाई में हिमाचल प्रदेश, चैंपियन बनकर सामने आया है। हिमाचल भारत का पहला राज्य बना है, जिसने अपनी पूरी eligible आबादी को कोरोना टीके की कम से कम एक डोज़ लगा ली है। यही नहीं दूसरी डोज़ के मामले में भी हिमाचल लगभग एक तिहाई आबादी को पार कर चुका है।
साथियों,
हिमाचल के लोगों की इस सफलता ने देश का आत्मविश्वास भी बढ़ाया है और आत्मनिर्भर होना कितना जरूरी है, ये भी याद दिलाया है। सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन, 130 करोड़ भारतीयों के इसी आत्मविश्वास और वैक्सीन में आत्मनिर्भरता का ही परिणाम है। भारत आज एक दिन में सवा करोड़ टीके लगाकर रिकॉर्ड बना रहा है। जितने टीके भारत आज एक दिन में लगा रहा है, वो कई देशों की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता, प्रत्येक भारतवासी के परिश्रम और पराक्रम की पराकाष्ठा का परिणाम है। जिस 'सबका प्रयास' की बात मैंने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर कही थी, लाल किले से कही थी। मैं कहता हूं ये उसी का प्रतिबिंब है। हिमाचल के बाद सिक्किम और दादरा नगर हवेली ने शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पार कर लिया है और अऩेक राज्य इसके बहुत निकट पहुचं भी गये हैं। अब हमें मिलकर ये प्रयास करना है कि जिन्होंने पहली डोज़ ली है, वो दूसरी डोज़ भी ज़रूर लें।
भाइयों और बहनों,
आत्मविश्वास की यही जड़ी-बूटी हिमाचल प्रदेश के सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान का भी मूल है। हिमाचल ने खुद की क्षमता पर विश्वास किया, अपने स्वास्थ्य कर्मियों और भारत के वैज्ञानिकों पर विश्वास किया। ये उपलब्धि, सभी स्वास्थ्य-कर्मियों, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और दूसरे तमाम साथियों के बुलंद हौसले का परिणाम है। आरोग्य क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों की तो मेहनत है ही है। डॉक्टर हो, पैरामेडिक्ल स्टाफ हो, बाकी सहायक हो सबकी मेहनत है। इसमें भी बहुत बड़ी संख्या में हमारी बहनों की विशेष भूमिका रही है। अभी थोड़ी देर पहले फील्ड पर काम करने वाले हमारे तमाम साथियों ने विस्तार से बताया भी, कि उन्होंने किस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया है। हिमाचल में वो हर प्रकार की मुश्किलें थीं, जो टीकाकरण में बाधक सिद्ध होती हैं। पहाड़ी प्रदेश होने के नाते, लॉजिस्टिक्स की दिक्कत रहती है। कोरोना के टीके की स्टोरेज और ट्रांस्पोर्टेशन तो और भी मुश्किल होती है। लेकिन जयराम जी की सरकार ने जिस प्रकार की व्यवस्थाएं विकसित कीं, जिस प्रकार स्थितियों को संभाला वो सचमुच में प्रशंसनीय है। इसलिए हिमाचल ने सबसे तेज़ टीकाकरण, टीके की वेस्टेज किए बिना, ये बहुत बड़ी बात है इस काम को सुनिश्चित किया है।
साथियों,
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ जन संवाद और जनभागीदारी भी, टीकाकरण की सफलता का बहुत बड़ा पहलू है। हिमाचल में तो पहाड़ के इर्द-गिर्द बोलियां तक पूरी तरह से बदल जाती हैं। ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण है। जहां आस्था जीवन का एक अटूट हिस्सा है। जीवन में देवी-देवताओं की भावनात्मक उपस्थिति है। थोड़ी देर पहले कुल्लू जिला के मलाणा गांव की बात यहां हमारी बहन ने बताई। मलाणा ने लोकतंत्र को दिशा देने में, ऊर्जा देने में हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। वहां की टीम ने विशेष कैंप लगाया, तार-स्पैन से टीके का बॉक्स पहुंचाया और वहां के देवसमाज से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों को विश्वास में लिया। जन-भागीदारी और जनसंवाद की ऐसी रणनीति शिमला के डोडरा क्वार, कांगड़ा के छोटा-बड़ा भंगाल, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और पांगी-भरमौर जैसे हर दुर्गम क्षेत्र में भी काम आई।
साथियों,
मुझे खुशी है कि लाहौल स्पीति जैसा दुर्गम जिला हिमाचल में भी शत-प्रतिशत पहली डोज़ देने में अग्रणी रहा है। ये वो क्षेत्र है जो अटल टनल बनने से पहले, महीनों-महीनों तक देश के बाकी हिस्से से कटा रहता था। आस्था, शिक्षा और विज्ञान मिलकर कैसे जीवन बदल सकते हैं, ये हिमाचल ने बार-बार कर दिखाया है। हिमाचल वासियों ने किसी भी अफवाह को, किसी भी अपप्रचार को टिकने नहीं दिया। हिमाचल इस बात का प्रमाण है कि देश का ग्रामीण समाज किस प्रकार दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान को सशक्त कर रहा है।
साथियों,
तेज़ टीकाकरण का लाभ हिमाचल के टूरिज्म उद्योग को भी होगा, जो बड़ी संख्या में युवाओं के रोज़गार का माध्यम है। लेकिन ध्यान रहे, मास्क और दो गज़ की दूरी का मंत्र हमने टीके के बावजूद भूलना नहीं है। हम तो हिमाचल के लोग हैं हमे मालूम है snow fall बंद हो जाता है। उसके बावजूद भी हम जब चलने के लिए निकलते हैं तो बराबर संभल-संभल कर के पैर रखते हैं। हमें पता है ना snow fall बंद होने के बाद भी संभाल कर के चलते हैं। बारिश के बाद भी आपने देखा होगा, बारिश बंद हो गई होगी, छाता बंद कर दिया लेकिन पैर संभाल कर रखते हैं। वेसे ही इस कोरोना महामारी के बाद जो बातों को संभालना है वो संभालना ही है। कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश, बहुत से युवाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम, वर्क फ्रॉम एनीवेयर, इसका पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गया। बेहतर सुविधाओं, शहरों में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी का हिमाचल को बहुत लाभ मिल रहा है।
भाइयों और बहनों,
कनेक्टिविटी से जीवन और आजीविका पर कितना सकारात्मक असर पड़ता है, ये इस कोरोना काल में भी हिमाचल प्रदेश ने अनुभव किया है। कनेक्टिविटी चाहे रोड की हो, रेल की हो, हवाई कनेक्टिविटी हो या फिर इंटरनेट कनेक्टिविटी, आज देश की ये सबसे बड़ी प्राथमिकताएं हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत आज 8-10 घरों वाली बस्तियां भी सड़कों से जुड़ रही हैं। हिमाचल के नेशनल हाईवे चौड़े हो रहे हैं। ऐसी ही सशक्त होती कनेक्टिविटी का सीधा लाभ पर्यटन को भी मिल रहा है, फल-सब्ज़ी का उत्पादन करने वाले किसान-बागबानों को भी स्वाभाविक रूप से मिल रहा है। गांव-गांव इंटरनेट पहुंचने से हिमाचल की युवा प्रतिभाएं, वहां की संस्कृति को, पर्यटन की नई संभावनाओं को देश-विदेश तक पहुंचा पा रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
आधुनिक टेक्नॉलॉजी का, डिजिटल टेक्नॉलॉजी का ये लाभ हिमाचल को आने वाले समय में और अधिक होने वाला है। विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। इससे दूर-सुदूर के स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी बड़े अस्पतालों से, बड़े स्कूलों से डॉक्टर और टीचर्स वर्चुअली जुड़ सकते हैं।
अभी हाल में देश ने एक और फैसला लिया है, जिसे मैं विशेषतौर पर हिमाचल के लोगों को बताना चाहता हूं। ये है ड्रोन टेक्नोलॉजी से जुड़े नियमों में हुआ बदलाव। अब इसके नियम बहुत आसान बना दिए गए हैं। इससे हिमाचल में हेल्थ से लेकर कृषि जैसे अनेक सेक्टर में नई संभावनाएं बनने वाली हैं। ड्रोन अब दवाओं की होम डिलिविरी में भी काम आ सकता है, बाग-बगीचों में भी काम आ सकता है और इसका इस्तेमाल जमीन के सर्वे में तो किया ही जा रहा है। मैं समझता हूं, ड्रोन टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल, हमारे पहाड़ी इलाकों के लोगों का पूरा जीवन बदल सकता है। जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए भी हिमाचल में ड्रोन टेक्नॉलॉजी का बहुत इस्तेमाल हो सकता है। केंद्र सरकार की निरंतर ये कोशिश है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग सरकारी सेवाओं में भी हो।
भाइयों और बहनों,
हिमाचल आज तेज़ विकास के पथ पर अग्रसर है। लेकिन प्राकृतिक आपदाएं भी आज हिमाचल के लिए बड़ी चुनौती बन रही हैं। बीते दिनों अनेक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में हमें अनेक साथियों को खोना पड़ा है। इसके लिए हमें वैज्ञानिक समाधानों की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ना होगा, लैंडस्लाइड को लेकर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम से जुड़ी रिसर्च को प्रोत्साहित करना होगा। यही नहीं, पहाड़ी क्षेत्रों की ज़रूरतों को देखते हुए कंस्ट्रक्शन से जुड़ी टेक्नॉलॉजी में भी नए इनोवेशंस के लिए अपने युवाओं को हमें प्रेरित करते रहना है।
साथियों,
गांव और कम्यूनिटी को जोड़ने के कितने सार्थक परिणाम मिल सकते हैं, इसका बड़ा उदाहरण जल जीवन मिशन है। आज हिमाचल के उन क्षेत्रों में भी नल से जल आ रहा है, जहां कभी ये असंभव माना जाता था। यही अप्रोच वन संपदा को लेकर भी अपनाई जा सकती है। इसमें गांव में जो हमारी बहनों के स्वयं सहायता समूह हैं, उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है। विशेष रूप से जड़ी-बूटियों, सलाद, सब्जियों को लेकर हिमाचल के जंगलों में बहुत संभावनाएं हैं, जिनकी डिमांड निरंतर बढ़ती जा रही है। इस संपदा को हमारी परिश्रमी बहनें, वैज्ञानिक तरीकों से कई गुना बढ़ा सकती हैं। अब तो ई-कॉमर्स के नए माध्यम से हमारी बहनों को नए तरीके भी मिल रहे हैं। इस 15 अगस्त को मैंने लाल किले से कहा भी है, कि केंद्र सरकार अब बहनों के स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने वाली है। इस माध्यम से हमारी बहनें, देश और दुनिया में अपने उत्पादों को बेच पाएंगी। सेब, संतरा, किन्नु, मशरूम, टमाटर, ऐसे अनेक उत्पादों की हिमाचल की बहनें देश के कोने-कोने में पहुंचा पाएंगी। केंद्र सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए का एक विशेष एग्री- इंफ्रास्ट्रक्चर फंड भी बनाया है। बहनों के स्वयं सहायता समूह हों, किसान उत्पादक संघ हों, वो इस फंड की मदद से अपने गांव के पास ही कोल्ड स्टोरेज या फिर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं। इससे अपने फल-सब्जी के भंडारण के लिए उनको दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हिमाचल के परिश्रमी हमारे किसान-बागबान इसका अधिक से अधिक लाभ उठाएंगे, इसका मुझे पूरा विश्वास है।
साथियों,
आज़ादी के अमृतकाल में हिमाचल के किसानों और बागबानों से एक और आग्रह मैं करना चाहता हूं। आने वाले 25 सालों में क्या हम हिमाचल की खेती को फिर से ऑर्गेनिक बनाने के लिए प्रयास कर सकते हैं? धीरे-धीरे हमें केमिकल से अपनी मिट्टी को मुक्त करना है। हमें ऐसे भविष्य की तरफ बढ़ना है, जहां मिट्टी और हमारे बेटे बेटियों का स्वास्थ्य उत्तम रहे। मुझे हिमाचल के सामर्थ्य पर विश्वास है। हिमाचल की युवा शक्ति पर विश्वास है।जिस प्रकार सीमा की सुरक्षा में हिमाचल के नौजवान आगे रहते हैं, उसी प्रकार मिट्टी की सुरक्षा में भी हमारे हिमाचल का हर गांव, हर किसान अग्रणी भूमिका निभाएंगे। हिमाचल, असाध्य को साधने की अपनी पहचान को सशक्त करता रहे, इसी कामना के साथ फिर एक बार आप सभी को बहुत बधाई। हिमाचल संपूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को भी देश में सबसे पहले हासिल करे, इसके लिए अनेक शुभकामनाएं। आज मैं सभी देशवासियों को कोरोना से सतर्क रहने का फिर आग्रह करूंगा। अब तक लगभग 70 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी है। इसमें देशभर के डॉक्टरों, नर्सेस, आंगनवाड़ी-आशा बहनों की, स्थानीय प्रशासन, वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों औऱ भारत के वैज्ञानिकों की बहुत बड़ी तपस्या रही है। वैक्सीन तेजी से लग रही है, लेकिन हमें किसी भी तरह की उदासीनता और लापरवाही से बचना है और मैं Day 1 से एक मंत्र बोल रहा हूं। 'दवाई भी कड़ाई भी' के मंत्र को हमें भूलना नहीं है। एक बार फिर हिमाचल के लोगों को अनेक – अनेक शुभकामनाएं। बहुत- बहुत धन्यवाद !