Quote"आज का कार्यक्रम मजदूर एकता के बारे में है और आप और मैं दोनों मजदूर हैं"
Quote"क्षेत्र में सामूहिक रूप से काम करने से अलग-थलग रहकर काम करने की भावना ख़त्म हो जाती है और एक टीम का निर्माण होता है"
Quote"सामूहिक भावना में शक्ति है"
Quote“एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम के दूरगामी लाभ होते हैं, सीडब्ल्यूजी व्यवस्था ने निराशा की भावना पैदा की, जबकि जी20 ने देश को बड़े आयोजन के प्रति आश्वस्त किया
Quote"मानवता के कल्याण के लिए भारत मजबूती से खड़ा है और जरूरत के समय हर जगह पहुंचता है"

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।

  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • JBL SRIVASTAVA May 27, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • Vaishali Tangsale February 12, 2024

    🙏🏻🙏🏻👏🏻
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 11, 2024

    जय हो
  • Babla sengupta February 02, 2024

    Babla
  • Uma tyagi bjp January 28, 2024

    जय श्री राम
  • Babla sengupta December 24, 2023

    Babla sengupta
  • CHANDRA KUMAR September 25, 2023

    लोकसभा चुनाव 2024 विपक्षी गठबंधन का नाम 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) रखा गया है। बंगलूरू में एकजुट हुए समान विचारधारा वाले 26 राजनीतिक दलों ने इस नाम पर सहमति जताई और अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का संकल्प लिया। कांग्रेस पार्टी ने बहुत चतुराई से सत्ता पाने का तरीका खोज लिया है: 1. बीजेपी 10 वर्ष सत्ता में रहकर कुछ नहीं किया, इसीलिए अब सत्ता हमलोगों को दे दो। 2. जितना भ्रष्टाचारी नेता हमारे पार्टी में था, वो सब बीजेपी में चला गया। अब दोनों तरफ भ्रष्टाचारी लोग है, इसीलिए सत्ता मुझे दे दो। 3. बीजेपी ने काला धन विदेश से नहीं लाया, इसीलिए सभी काला धन बीजेपी का है। अडानी अंबानी का काला धन बीजेपी बचा रही है। इसीलिए मुझे सत्ता दे दो, हम अडानी अंबानी का पैसा जनता में बांट देंगे। 4. सिर्फ बीजेपी ही देशभक्त पार्टी नहीं है, हम देशभक्त पार्टी हैं और मेरा पार्टी गठबंधन का नाम ही इंडिया है। 5. भारतीयों के पास सभी समस्या का अब एक ही उपाय है, बीजेपी को छोड़कर विपक्ष को अपना लो। क्योंकि विपक्ष एकजुट हो गया है तो एकसाथ काम भी कर लेगा। अब बीजेपी को यह साबित करना होगा की 1. राष्ट्र निर्माण के लिए दस वर्ष पर्याप्त नहीं है। हमने दस वर्ष में जो काम किया है, उससे भी ज्यादा काम अगले पांच वर्ष में करेंगे। 2. सभी विपक्षी दल देश को लूटने के लिए एकजुट हो गया है, विपक्षी दलों में एक भी दूरदर्शी नेता नहीं हैं। 3. विपक्षी दल नेतृत्व विहीन है, देश हित बड़ा निर्णय ले सकने वाला एक भी नेता विपक्ष के पास नहीं है। 4. बीजेपी ने आज तक ईमानदारी से देश हित में कार्य किया है, सभी बड़े प्रोजेक्ट समय पर और कम खर्च में पूरा किया है। 5. बीजेपी कालाधान वापस लाने के प्रयास में जुटा हुआ है। अब बीजेपी को दो कदम और उठाने की जरूरत है: 1. मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं को मतदान करने से वंचित कर दिया जाए। इससे विपक्षी दलों का बहुत बड़ा नुकसान होगा। 2. इंडिया शब्द को संविधान से पूरी तरह हटा दिया जाए। इससे देशभर में इंडिया शब्द से ही विश्वास उठ जायेगा। विपक्षी दल इंडिया ब्रांड का इस्तेमाल बीजेपी के खिलाफ करना चाहता है, इसका प्रति उत्तर देना ही होगा। सर्वोत्तम उपाय : 1. संविधान में संशोधन किया जाए, और एक अधिनियम संविधान में जोड़ दिया जाए। अथवा एक अध्यादेश चुनाव से ठीक पहले पारित कर दिया जाए , "विदेशी धर्म का अनुयाई, विदेशी है। अर्थात सभी मुस्लिम , ईसाई, यहूदी, पारसी, जोराष्ट्रीयन आदि विदेशी है। इन्हें भारत में शरणार्थी घोषित किया जाता है तथा इनसे भारतीय नागरिकता वापस लिया जाता है।" इसके बाद कोई भी विदेशी धर्म मानने वाला मतदान नहीं कर पायेगा और चुनाव में प्रतिनिधि के रूप में खड़ा भी नहीं हो पायेगा। बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव 2024 में विजयी होना बहुत आवश्यक है। विपक्षी दल मोदी को हर हाल में हराना चाहता है। भारतीयों ने पृथ्वीराज चौहान को हारते देखा, महाराणा प्रताप को भागते देखा, शिवाजी को छिपते देखा और सुभाष चंद्र बोस को लापता होते देखा। अब मोदीजी को हारते हुए देखने का मन नहीं कर रहा है। इसीलिए बीजेपी वालों तुम्हें लोकसभा चुनाव 2024 हर हाल में जीतना है, विजय महत्वपूर्ण है, इतिहास में विजेता के सभी अपराध क्षम्य है। अर्जुन ने शिखंडी के पीछे छिपकर भीष्म का वध किया, युधिष्ठिर ने झूठ बोलकर द्रोणाचार्य का वध कराया, अर्जुन ने निहत्थे कर्ण पर बाण चलाया, भीम ने दुर्योधन के कमर के नीचे मारा तब जाकर महाभारत का युद्ध जीता गया। रामजी ने बाली का छिपकर वध किया था। इसीलिए बीजेपी को चाहिए की वह मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं को लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान ही नहीं करने दे। जैसे एकलव्य और बर्बरीक को महाभारत के युद्ध में भाग लेने नहीं दिया गया। एकलव्य का अंगूठा ले लिया गया और बर्बरीक का गर्दन काट दिया गया। 2. लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान कार्य को शिक्षक वर्ग ही संभालेगा। शिक्षक ही presiding officer बनकर चुनाव संपन्न कराता है। इसीलिए सभी शिक्षक को उत्तम शिक्षण कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने के बहाने से, दुर्गा पूजा में कपड़ा खरीदने हेतु, सभी शिक्षक के बैंक खाते में दो हजार भेज दिया जाए। सभी शिक्षक बीजेपी को जीतने के लिए जोर लगा देगा। 3. बीजेपी के द्वारा देश के सभी राज्य में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन कराया जाए और नारी सशक्तिकरण का संदेश देश भर में दिया जाए। दुर्गा मां की प्रतिमा के थोड़ा बगल में भारत माता का प्रतिमा भी हर जगह बनवाया जाए। चंद्रयान की सफलता को हर जगह प्रदर्शित करवाया जाए। यदि संभव हो तो हर हिंदू मजदूर, खासकर बिहारी मजदूरों को जो दूसरे राज्य में गए हुए हैं, को घर पहुंचने के लिए पैसा दिया जाए और उस पैसे को थोड़ा बढ़ाकर दिया जाए, ताकि हर मजदूर अपने अपने बच्चों के लिए कपड़ा भी खरीदकर ले जाए। बीजेपी को एक वर्ष तक गरीब वर्ग को कुछ न कुछ देना ही होगा, तभी आप अगले पांच वर्षों तक सत्ता में बने रहेंगे। 4. देशभक्ति का नया सीमा रेखा खींच दीजिए, जिसे कांग्रेस और विपक्षी दल पार नहीं कर सके। लोकसभा में एक प्रस्ताव लेकर 1947 के भारत विभाजन को रद्द कर दिया जाए। इससे निम्न लाभ होगा: 1. भारतीय जनता के बीच संदेश जायेगा की जिस तरह से बीजेपी ने राम मंदिर बनाया, धारा 370 को हटाया, उसी तरह से पाकिस्तान को भारत में मिलाया जायेगा। 2. पाकिस्तान की सीमा रेखा का महत्व खत्म हो जायेगा। यदि भारतीय सेना पाकिस्तान की सीमा पार भी कर जायेगी, तब भी उसे अपराध। नहीं माना जायेगा। 3. चीन पाकिस्तान कोरिडोर गैर कानूनी हो जायेगा। भारत अधिक मुखरता से चीन पाकिस्तान कोरिडोर का विरोध अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कर सकेगा। 4. पाकिस्तानी पंजाब के क्षेत्र में सिक्खों का घुसपैठ कराकर, जमीन पर एक एक इंच कब्जा किया जाए। जैसे चीन पड़ोसी देश के जमीन को कब्जाता है, बिलकुल वैसा ही रणनीति अपनाया जाए। पाकिस्तान आज बहुत कमजोर हो गया है, उसके जमीन को धीरे धीरे भारत में मिलाया जाए। 5. कश्मीर में पांच लाख बिहारी लोगों को घर बनाकर दिया जाए। इससे कश्मीर का डेमोग्राफी बदलेगा और कश्मीरी पंडित को घर वापसी का साहस जुटा पायेगा। कांग्रेस पार्टी जितना इसका विरोध करेगा बीजेपी को उतना ही ज्यादा फायदा होगा। 6. भाषा सेतु अभियान : इस अभियान के तहत देश भर में सभी भाषाओं को बराबर महत्व देते हुए, संविधान में वर्णित तथा प्रस्तावित सभी भाषाओं के शिक्षकों की भर्ती निकाली जाए। इससे भारतवासियों के बीच अच्छा संदेश जायेगा। उत्तर भारत में दक्षिण भारतीय भाषाएं सिखाई जाए और दक्षिण भारत में उत्तर भारतीय भाषाएं सिखाई जाए। पूरब में पश्चिमी भारतीय भाषाएं सिखाई जाए और पश्चिम में पूर्वी भारत की भाषाएं सिखाई जाए। कर्मचारी चयन आयोग दिल्ली को आदेश दिया जाए, की वह (1) असमिया, ( 2 ) बंगाली (3) गुजराती, (4) हिंदी, (5) कन्नड, (6) कश्मीरी, (7) कोंकणी, (8) मलयालम, ( 9 ) मणिपुरी, (10) मराठी, (11) नेपाली, ( 12 ) उड़िया, ( 13 ) पंजाबी, ( 14 ) संस्कृत, ( 15 ) सिंधी, ( 16 ) तमिल, ( 17 ) तेलुगू (18) उर्दू (19) बोडो, (20) संथाली (21) मैथिली (22) डोंगरी तथा (१) अंगिका (२) भोजपुरी (३) छतीसगढ़ी और (४) राजस्थानी भाषाओं के शिक्षक की भर्ती निकाले। प्रत्येक भाषा में पांच हजार शिक्षक की भर्ती निकाले, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी राज्य में नियुक्त किया जा सके, और भविष्य में किसी भी विद्यालय अथवा किसी भी राज्य में स्थानांतरित किया जा सके। 7. भाषा सेतु अभियान को सफल बनाने के लिए, देश भर में पांच वर्ष के लिए अंग्रेजी भाषा को शिक्षण का माध्यम बनाने पर प्रतिबंधित कर दिया जाए। अंग्रेजी एक विषय के रूप में पढ़ाया जा सकता है लेकिन अंग्रेजी माध्यम में सभी विषय को पढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। इससे देश भर में अभिभावकों से पैसा वसूल करने के षड्यंत्र को रोका जा सकेगा। 8. देश में किसी भी परीक्षा में अंग्रेजी माध्यम में प्रश्न नहीं पूछा जाए। अंग्रेजी विषय ऐच्छिक बना दिया जाए। यूपीएससी एसएससी आदि परीक्षाओं में, भाषा की नियुक्ति में ही अलग से अंग्रेजी का प्रश्न पत्र दिया जाए। अन्य सभी प्रकार की नियुक्ति में अंग्रेजी विषय को हटा दिया जाए। इससे देश भर में बीजेपी का लोक प्रियता बढ़ जायेगा। भारतीय बच्चों के लिए अंग्रेजी पढ़ना बहुत ही कठिन कार्य है, अंग्रेजी भाषा का ग्रामर , उच्चारण, शब्द निर्माण कुछ भी नियम संगत नहीं है। अंग्रेजी भाषा में इतनी अधिक भ्रांतियां है और अंग्रेजी भाषा इतना अव्यवहारिक है कि इसे सीखने में बच्चों की सारी ऊर्जा खर्च हो जाती है। बच्चों के लिए दूसरे विषय पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता हैं। बच्चों की रचनात्मकता, कल्पनाशीलता को निखारने के लिए अंग्रेजी से उन्हें आजाद करना होगा, बच्चों को उसके मातृभाषा से जोड़ना होगा। छात्रों को अपनी सभ्यता संस्कृति भाषा आदि पर गर्व करना सिखाना होगा। 9. राजस्थान के कोटा में 24 छात्रों ने इसी वर्ष आत्महत्या कर लिया। मोदीजी को उन सभी आत्महत्या कर चुके छात्र छात्राओं के माता पिता से मिलना चाहिए। जिन बच्चों ने डॉक्टर बनकर दूसरे की जान बचाने का सपना देखा, उन्हीं बच्चों ने तनाव में आकर अपना जान दे दिया। 10. देश भर के निजी शिक्षण संस्थानों के लिए कुछ नियम बनाना चाहिए : १. शिक्षण संस्थानों के एक कमरे में अधिकतम साठ (60) बच्चों को ही बैठाकर पढ़ा सकता है। अर्थात शिक्षक छात्र का अनुपात हमेशा एक अनुपात साठ हो, चाहे क्लासरूम कितना ही बड़ा क्यों न हो। क्योंकि छात्रों को अपने शिक्षक से प्रश्न भी पूछना होता है, यदि एक क्लासरूम में सौ ( 100 ) से ज्यादा छात्र बैठा लिया जाए, तब छात्र शिक्षक के बीच दूरियां पैदा हो जाती है। फिर छात्र तनाव में रहने लगता है। वह शिक्षक को कुछ बता नहीं पाता है और आत्महत्या कर लेता है। २. एक शिक्षक एक छात्र से अधिकतम एक हजार रुपए प्रति महीना शिक्षण शुल्क ले सकता है और वर्ष में अधिकतम बारह हजार रुपए। इससे अभिभावक से पैसा मांगने में छात्रों को शर्मिंदा होना नहीं पड़ेगा। छात्र अपने अभिभावक से पैसा मांगते समय बहुत तनाव में रहता है। कई बार अभिभावक कह देता है, सिर्फ पैसा पैसा, कितना पैसा देंगे हम। ३. एक शिक्षण संस्थान, एक छात्र से ऑनलाइन शिक्षण शुल्क अधिकतम पांच हजार रुपए ले सकता है। क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण कार्य में कई छात्र एक साथ जुड़ जाते हैं। कई बार रिकॉर्डिंग किया हुआ शिक्षण सामग्री दे दिया जाता है। इन शिक्षण सामग्री का मनमाना शुल्क लेने से रोका जाए। भारत में गरीब छात्र तभी अपराधी बनता है जब वह देखता है की शिक्षा भी सोना चांदी की तरह खरीदा बेचा जा रहा है। इसका इतना पैसा , उसका उतना पैसा। ४. शिक्षण संस्थान केवल शिक्षा देने का कार्य करेगा। बच्चों का यूनिफॉर्म बेचना, किताब कॉपी बेचना, होस्टल से पैसा कमाना, एक साथ इतने सारे स्रोतों से पैसा कमाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। यह सभी कार्य अलग अलग संस्थान, अलग अलग लोगों के द्वारा किया जाए। यदि कोई शिक्षण संस्थान छात्रों से अवैध पैसा लेते हुए पकड़ा जाए तब उन पर आजीवन शिक्षण कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया जाए। ५. गरीब विद्यार्थियों की एक बहुत बड़ी समस्या यह है की उन्हें यूनिफॉर्म पहनना पड़ता है। विद्यालय जाते समय अलग कपड़ा पहनना और वापस आकर घर का कपड़ा पहनना। मतलब एक दिन में दो कपड़ा गंदा हो जाता है। छात्र के पास कम से कम चार जोड़ा कपड़ा होना चाहिए। छोटे छोटे बच्चों को हर रोज रंग बिरंगा कपड़ा पहनकर विद्यालय आने देना चाहिए। इसीलिए प्राथमिक विद्यालय के छोटे छोटे बच्चों को यूनिफॉर्म पहनने के अनुशासन से मुक्त रखा जाए। निजी शिक्षण संस्थानों को भी निर्देश दिया जाए की वह छोटे बच्चों को रंग बिरंगे कपड़ों में ही विद्यालय आने के लिए प्रेरित करे। बच्चों के अंदर की विविधता को ईश्वर ने विकसित किया है। यदि ईश्वर ने यूनिफॉर्म चाइल्ड पॉलिसी लागू कर दिया, और हम सबों के बच्चे एक जैसे दिखने लगे, तब कितनी समस्या होगी, जरा सोचकर देखिए। पश्चिमी देशों की मान्यता को रद्द किया जाए और यूनिफॉर्म में विद्यालय आने की बाध्यता को हटाया जाए। न्यायालय के न्यायाधीश काला चोगा पहनते हैं जिससे वे बड़े अजीब लगते हैं। कानून लागू कराने वाले व्यक्ति को सभी रंगों को प्राथमिकता देनी चाहिए, काले कपड़े तो चोर पहनकर रात में चोरी करने निकलते हैं ताकि पकड़े जाने से बच सके। न्यायालय के न्यायाधीशों को काला चोगा पहनने के बजाए, राजस्थानी अंगरखे को पहनना चाहिए, जिसमें वह ज्यादा आकर्षक और भव्य लगेगा। अभी न्यायालय जाने पर चारों तरफ अजीब सा उदासी, मायूसी, गमगीन माहौल नजर आता है। ऊपर से काले कोट वाले वकील और काले चोगे वाले न्यायाधीश वातावरण को निराशा से भर देता है। भारतीय न्यायाधीश को भारतीय अंगरखा पहनना चाहिए, राजस्थानी लोग कई तरह के सुंदर आकर्षक अंगरखा बनाना जानता है। उनमें से कोई भी न्यायाधीशों को पहनने के लिए सुझाव दिया जाए।
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