​​​​​​​"यह संग्रहालय प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब है"
"आज़ादी का अमृत महोत्सव के काल में यह संग्रहालय एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है"
“देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत में बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है, मैंने लाल किले से भी यह बात कई बार दोहराई है”
"यह देश के युवाओं को विश्वास दिलाता है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी शीर्षतम पदों पर पहुंच सकता है"
"एक दो अपवादों को छोड़ दें, तो भारत में लोकतंत्र को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है"
"आज जब एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है, विश्व भारत को एक आशा और विश्वास भरी नजरों से देख रहा है, तो भारत को भी हर पल नई ऊंचाई पर पहुंचने के लिए अपने प्रयास बढ़ाने होंगे"


केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, संसद में मेरे अन्य वरिष्ठ सहयोगीगण, विभिन्न राजनीतिक दलों के सम्मानित साथी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

देश के अलग-अलग हिस्सों में आज त्योहारों और उत्सवों का अवसर है। आज बैसाखी है, बोहाग बीहू है, आज से ओडिया नव वर्ष भी शुरू हो रहा है, हमारे तमिलनाडु के भाई-बहन भी नए वर्ष का स्वागत कर रहे हैं, मैं उन्हें ‘पुत्तांड’ की बधाई देता हूं। इसके अलावा भी कई क्षेत्रों में नव वर्ष शुरू हो रहा है, अनेक पर्व मनाए जा रहे हैं। मैं समस्त देशवासियों को सभी पर्वों की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी को भगवान महावीर जयंती की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

साथियों,

आज का ये अवसर तो अन्य कारणों से और विशेष हो गया है। आज पूरा देश बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर आदरपूर्वक, श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। बाबा साहेब जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार रहे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया। इस संसदीय प्रणाली का प्रमुख दायित्व देश के प्रधानमंत्री का पद रहा है। ये मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे, प्रधानमंत्री संग्रहालय, देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। ऐसे समय में, जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब ये म्यूजियम, एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है। इन 75 वर्षों में देश ने अनेक गौरवमय पल देखे हैं। इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है। ऐसे बहुत से पलों की झलक प्रधानमंत्री संग्रहालय में भी देखने को मिलेगी। मैं सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। थोड़ी देर पहले इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी साथियों से मिलने का भी मुझे अवसर मिला। सभी लोगों ने बहुत प्रशंसनीय काम किया है। इसके लिए पूरी टीम को मैं बधाई देता हूं। मैं आज यहां पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों को भी देख रहा हूं। आप सभी का अभिनंदन है, स्वागत है। प्रधानमंत्री संग्रहालय के लोकार्पण का ये अवसर आप सभी की उपस्थिति से और भव्य बन गया है। आपकी उपस्थिति ने प्रधानमंत्री संग्रहालय की सार्थकता को, इसकी प्रासंगिकता को और बढ़ा दिया है।

साथियों,

देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत के बाद बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लाल किले से भी ये बात कई बार दोहराई है। आज ये संग्रहालय भी प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है। देश के हर प्रधानमंत्री ने अपने समय की अलग-अलग चुनौतियों को पार करते हुए देश को आगे ले जाने की कोशिश की है। सबके व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व के अलग-अलग आयाम रहे। ये सब लोक स्मृति की चीजें हैं। देश की जनता, विशेषकर युवा वर्ग, भावी पीढ़ी सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में जानेगी, तो उन्हें प्रेरणा मिलेगी। इतिहास और वर्तमान से भविष्य के निर्माण की राह पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने कभी लिखा था-

प्रियदर्शन इतिहास कंठ में, आज ध्वनित हो काव्य बने।

वर्तमान की चित्रपटी पर, भूतकाल सम्भाव्य बने।

भाव ये कि, हमारी सांस्कृतिक चेतना में जो गौरवशाली अतीत समाहित है वो काव्य में बदलकर गूंजे, इस देश का सम्पन्न इतिहास हम वर्तमान पटल पर भी संभव कर सकें। आने वाले 25 वर्ष, आजादी का ये अमृतकाल, देश के लिए बहुत अहम है। मुझे विश्वास है कि ये नवनिर्मित प्रधानमंत्री संग्रहालय, भविष्य के निर्माण का भी एक ऊर्जा केंद्र बनेगा। अलग-अलग दौर में लीडरशिप की क्या चुनौतियां रहीं, कैसे उनसे निपटा गया, इसको लेकर भी भावी पीढ़ी के लिए ये एक बड़ी प्रेरणा का माध्यम बनेगा। यहां प्रधानमंत्रियों से संबंधित दुर्लभ तस्वीरें, भाषण, साक्षात्कार, मूल लेखन जैसी स्मरणीय वस्तुएं रखी गयी हैं।

साथियों,

सार्वजनिक जीवन में जो लोग उच्च पदों पर रहते हैं, जब हम उनके जीवन पर दृष्टि डालते हैं, तो ये भी एक तरह से इतिहास का अवलोकन करना ही होता है। उनके जीवन की घटनाएं, उनके सामने आई चुनौतियां, उनके फैसले, बहुत कुछ सिखाते हैं। यानी एक तरह से उनका जीवन चल रहा होता है और साथ-साथ इतिहास का निर्माण भी होता चलता है। इस जीवन को पढ़ना, इतिहास के अध्ययन की तरह है। इस म्यूजियम से स्वतंत्र भारत का इतिहास जाना जा सकेगा। हमने कुछ साल पहले ही संविधान दिवस मनाने की शुरुआत कर राष्ट्रीय चेतना जगाने की तरफ अहम कदम उठाया है। ये उसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है।

साथियों,

देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की उसकी पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष-सृजन को जानेंगे। भावी पीढ़ी को ये भी सीख मिलेगी कि हमारे लोकतांत्रिक देश में किस-किस पृष्ठभूमि से आकर अलग-अलग प्रधानमंत्री बनते रहे हैं। ये हम भारतवासियों के लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे ज्यादातर प्रधानमंत्री बहुत ही साधारण परिवार से रहे हैं। सुदूर देहात से आकर, एकदम गरीब परिवार से आकर, किसान परिवार से आकर भी प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास को दृढ़ करता है। ये देश को युवाओं को भी विश्वास देता है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी शीर्षतम पदों पर पहुंच सकता है।

साथियों,

इस संग्रहालय में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य भी है। यह संग्रहालय, देश के लोगों को बीते समय की यात्रा करवाते हुए नई दिशा, नए रूप में भारत की विकास यात्रा पर ले जाएगा। एक ऐसी यात्रा जहां पर आप एक नए भारत के सपने को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए निकट से देख सकेंगे। इस बिल्डिंग में 40 से अधिक गैलरियां हैं और लगभग 4 हज़ार लोगों के एक साथ भ्रमण की व्यवस्था है। वर्चुअल रियल्टी, रोबोट्स और दूसरी आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से तेज़ी से बदल रहे भारत की तस्वीर ये संग्रहालय दुनिया को दिखाएगा। ये टेक्नॉलॉजी के माध्यम से ऐसा अनुभव देगा जैसे हम वाकई उसी दौर में जी रहे हैं, उन्हीं प्रधानमंत्रियों के साथ सेल्फी ले रहे हैं, उनसे संवाद कर रहे हैं।

साथियों,

हमें अपने युवा साथियों को इस म्यूजियम में आने के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए। ये म्यूजियम उनके अनुभवों को और विस्तार देगा। हमारे युवा सक्षम हैं, और उनमें देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता है। वे अपने देश के बारे में, स्वतंत्र भारत के महत्वपूर्ण अवसरों के बारे में जितना अधिक जानेंगे, समझगें, उतना ही वो सटीक फैसले लेने में सक्षम भी बनेंगे। ये संग्रहालय, आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का, विचार का, अनुभवों का एक द्वार खोलने का काम करेगा। यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी, जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी। इतिहास के जो विद्यार्थी रिसर्च करना चाहते हैं, उन्हें भी यहां आकर बहुत लाभ होगा।

साथियों,

भारत, लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है। भारत के लोकतंत्र की बड़ी विशेषता ये भी है कि समय के साथ इसमें निरंतर बदलाव आता रहा है। हर युग में, हर पीढ़ी में, लोकतंत्र को और आधुनिक बनाने, और अधिक सशक्त करने का निरंतर प्रयास हुआ है। समय के साथ जिस तरह कई बार समाज में कुछ कमियां घर कर जाती हैं, वैसे ही लोकतंत्र के सामने भी समय-समय पर चुनौतियां आती रही हैं। इन कमियों को दूर करते रहना, खुद को परिष्कृत करते रहना, भारतीय लोकतंत्र की खूबी है। और इसमें हर किसी ने अपना योगदान दिया है। एक दो अपवाद छोड़ दें तो हमारे यहां लोकतंत्र को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है। इसलिए हमारा भी ये दायित्व है कि अपने प्रयासों से हम लोकतंत्र को और ज्यादा मजबूत करते रहें। आज जो भी चुनौतियां हमारे लोकतंत्र के सामने हैं, समय के साथ जो भी कमियां घर कर गई हैं, उन्हें दूर करते हुए हम आगे बढ़ें, ये लोकतंत्र की भी हमसे अपेक्षा है और देश की भी हम सभी से अपेक्षा है। आज का ये ऐतिहासिक अवसर, लोकतंत्र को सशक्त और समृद्ध करने के संकल्प को दोहराने का भी एक बेहतरीन अवसर है। हमारे भारत में, विभिन्न विचारों, विभिन्न परंपराओं का समावेश होता रहा है। और हमारा लोकतंत्र हमें ये बात सिखाता है कि कोई एक विचार ही उत्तम हो, ये जरूरी नहीं है। हम तो उस सभ्यता से पले-बढ़े हैं जिसमें कहा जाता है-

आ नो भद्राः

क्रतवो यन्तु विश्वतः

यानि हर तरफ से नेक विचार हमारे पास आएं ! हमारा लोकतंत्र हमें प्रेरणा देता है, नवीनता को स्वीकारने की, नए विचारों को स्वीकारने की। प्रधानमंत्री संग्रहालय में आने वाले लोगों को लोकतंत्र की इस ताकत के भी दर्शन होंगे। विचारों को लेकर सहमति-असहमति हो सकती है, अलग-अलग राजनीतिक धाराएं हो सकती हैं लेकिन लोकतंत्र में सबका ध्येय एक ही होता है- देश का विकास। इसलिए ये म्यूजियम सिर्फ प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों, उनके योगदान तक ही सीमित नहीं है। ये हर विषम परिस्थितियों के बावजूद देश में गहरे होते लोकतंत्र, हमारी संस्कृति में हज़ारों वर्षों से फले-फूले लोकतांत्रिक संस्कारों की मज़बूती और संविधान के प्रति सशक्त होती आस्था का भी प्रतीक है।

साथियों,

अपनी विरासत को सहेजना, उसे भावी पीढ़ी तक पहुंचाना प्रत्येक राष्ट्र का दायित्व होता है। अपने स्वतंत्रता आंदोलन, अपने सांस्कृतिक वैभव के तमाम प्रेरक प्रसंगों और प्रेरक व्यक्तित्वों को सामने, जनता जनार्दन के सामने लाने के लिए हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। देश से चोरी हुई मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस लाना हो, पुराने म्यूज़ियम का पुनर्निर्माण हो, नए संग्रहालय बनाना हो, एक बहुत बड़ा अभियान बीते 7-8 वर्षों से लगातार जारी है। और इन प्रयासों के पीछे एक और बड़ा मकसद है। जब हमारी नौजवान पीढ़ी, ये जीवंत प्रतीक देखती है, तो उसे तथ्य का भी बोध होता है और सत्य का भी बोध होता है। जब कोई जलियांवाला बाग स्मारक को देखता है, तो उसे उस आजादी के महत्व का पता चलता है, जिसका वो आनंद ले रहा है। जब कोई आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय देखता है, तो उन्हें पता चलता है कि आजादी की लड़ाई में दूर से दूर जंगलों में रहने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने कैसे हर क्षेत्र का योगदान रहा, हर वर्ग ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया। जब कोई क्रांतिकारियों पर बने संग्रहालय को देखता है, तो उन्हें एहसास होता है कि देश के लिए बलिदान होने का मतलब क्या होता है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि यहां दिल्ली में हमने बाबा साहेब की महापरिनिर्वाण स्थली, अलीपुर रोड पर बाबा साहेब मेमोरियल का निर्माण करवाया है। बाबा साहेब आंबेडकर के जो पंचतीर्थ विकसित किए गए हैं, वो सामाजिक न्याय और अटूट राष्ट्रनिष्ठा के लिए प्रेरणा के केंद्र हैं।

साथियों,

यह प्रधानमंत्री संग्रहालय भी लोगों द्वारा चुने गए प्रधान मंत्रियों की विरासत को प्रदर्शित करके, सबका प्रयास की भावना का उत्सव मनाता है। इसका जो Logo है, उस पर भी आप सबका जरूर ध्‍यान होगा। प्रधानमंत्री संग्रहालय का Logo कुछ इस तरह का है कि उसमें कोटि-कोटि भारतीयों के हाथ चक्र को थामे हुए हैं। ये चक्र, 24 घंटे निरंतरता का प्रतीक है, समृद्धि के संकल्प के लिए परिश्रम का प्रतीक है। यही वो प्रण है, यही तो वो चेतना है, यही वो ताकत है, जो आने वाले 25 वर्षों में भारत के विकास को परिभाषित करने वाली है।

साथियों,

भारत के इतिहास की महानता से, भारत के समृद्धि काल से हम सभी परिचित रहे हैं। हमें इसका हमेशा बहुत गर्व भी रहा है। भारत की विरासत से और भारत के वर्तमान से, विश्व सही रूप में परिचित हो, ये भी उतना ही आवश्यक है। आज जब एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है, विश्व, भारत को एक आशा और विश्वास भरी नजरों से देख रहा है, तो भारत को भी हर पल नई ऊंचाई पर पहुंचने के लिए अपने प्रयास बढ़ाने होंगे। और ऐसे समय में, आजादी के बाद के ये 75 वर्ष, भारत के प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल, ये प्रधानमंत्री संग्रहालय, हमें निरंतर प्रेरणा देगा। ये संग्रहालय, हमारे भीतर, भारत के लिए बड़े संकल्पों का बीज बोने का सामर्थ्य रखता है। ये संग्रहालय, भारत के भविष्य को बनाने वाले युवाओं में कुछ कर गुजरने की भावना पैदा करेगा। आने वाले समय में यहां जो भी नाम जुड़ेंगे, उनके जो भी काम जुड़ेंगे, उनमें हम सभी एक विकसित भारत के सपने को साकार होने का सुकून ढूंढ पाएंगे। इसके लिए आज मेहनत करने का समय है। आज़ादी का ये अमृतकाल एकजुट, एकनिष्ठ, प्रयासों का है। देशवासियों से मेरा आग्रह है कि आप खुद भी आएं और अपने बच्चों को भी इस म्यूजियम का दर्शन कराने जरूर लाएं। इसी आमंत्रण के साथ, इसी आग्रह के साथ, एक बार फिर प्रधानमंत्री संग्रहालय की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।