इस क्षेत्र की महिलाओं ने प्रधानमंत्री को एक विशाल राखी भेंट की और महिलाओं की गरिमा और जीवन को आसान बनाने के लिए किए गए कार्यों को लेकर उन्हें धन्यवाद दिया
प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों के साथ बातचीत की
"सार्थक परिणाम तब प्राप्त होते हैं जब सरकार ईमानदारी से लाभार्थी के पास एक संकल्प के साथ पहुंचती है"
सरकार के 8 साल 'सेवा सुशासन और गरीब कल्याण' को समर्पित रहे हैं
"सैचुरेशन मेरा सपना है। हम सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को शत प्रतिशत सैचुरेशन के करीब ला पाए हैं। सरकारी तंत्र को इसकी आदत डालनी चाहिए और नागरिकों में विश्वास पैदा करना चाहिए”
शत-प्रतिशत लाभार्थियों की कवरेज यानि हर मत, हर पंथ हर वर्ग को एक समान रूप से सबका साथ, सबका विकास

नमस्कार।

आज का ये उत्कर्ष समारोह सचमुच में उत्तम है और इस बात का प्रमाण है जब सरकार ईमानदारी से, एक संकल्प लेकर लाभार्थी तक पहुंचती है, तो कितने सार्थक परिणाम मिलते हैं। मैं भरूच जिला प्रशासन को, गुजरात सरकार को सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी 4 योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन कवरेज के लिए आप सबको जितनी बधाई दूं उतनी कम है। आप सब अनेक अनेक बधाई के अधिकारी हैं। अभी मैं जब इन योजनाओं के लाभार्थियों से बातचीत कर रहा था, तो मैं देख रहा था कि उनके भीतर कितना संतोष है, कितना आत्मविश्वास है। मुसीबतों से मुकाबला करने में जब सरकार की छोटी सी भी मदद मिल जाए, और हौसला कितना बुलंद हो जाता है और मुसीबत खुद मजबूर हो जाती हैं और जो मुसीबत को झेलता है वो मजबूत हो जाता है। ये आज मैं आप सबके साथ बातचीत करके अनुभव कर रहा था। इन 4 योजनाओं में जिन भी बहनों को, जिन भी परिवारों को लाभ मिला है, वो मेरे आदिवासी समाज के भाई – बहन , मेरे दलित-पिछड़े वर्ग के भाई बहन, मेरे अल्पसंख्यक समाज के भाई – बहन, अक्सर हम देखते हैं कि जानकारी के अभाव में अनेक लोग योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। कभी – कभी तो योजनाएं कागज पर ही रह जाती हैं। कभी – कभी योजनाएं कोई बेईमान लोग उठाकर के ले जाते हैं फायदा। लेकिन जब इरादा हो, नीयत साफ हो, नेकी से काम करने का इरादा हो और जिस बात को लेकर के मैं हमेशा काम करने की कोशिश करता हूँ। वो है - सबका साथ- सबका विकास की भावना, जिससे नतीजे भी मिलते हैं। किसी भी योजना के शत प्रतिशत लाभार्थी तक पहुँचना एक बड़ा लक्ष्य है। काम कठिन ज़रूर है लेकिन रास्ता सही यही है। मैं सभी लाभार्थियों को, प्रशासन को ये आपने जो अचीव किया है इसके लिए बधाई देना ही है।

साथियों,

आप जानते हैं भलिभांति, हमारी सरकार जबसे आपने मुझे गुजरात से दिल्ली की सेवा के लिए भेजा, देश की सेवा के लिए भेजा, अब उसको भी 8 वर्ष हो जाएंगे। 8 वर्ष सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित रहे हैं। आज जो कुछ भी मैं कर पा रहा हूँ। वो आप ही लोगों के पास सीखा हूँ। आप ही के बीच में जीते हूए, विकास क्या होता है, दुख दर्द क्या होते हैं, गरीबी क्या होती है, मुसीबतें क्या होती हैं, उनको बहुत निकट से अनुभव किया है और वो ही अनुभव है जिसको लेकर के आज पूरी देश के लिए, देश के करोड़ों – करोड़ों नागरिकों के लिए, एक परिवार के सदस्य के रूप में काम कर रहा हूँ। सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि गरीब कल्याण की योजनाओं से कोई भी लाभार्थी जो भी उसका हकदार है, वो हकदार छुटना नहीं चाहिए। सबको लाभ मिलना चाहिए जो हकदार है और पूरा लाभ मिलना चाहिए और मेरे प्यारे भाईयों बहनों,

जब हम किसी भी योजना में शत प्रतिशत यानि 100 परसेंट लक्ष्य को हासिल करते हैं, तो ये 100 परसेंट ये सिर्फ आंकड़ा नहीं है। अखबार में इस्तिहार देने का मामला नहीं है सिर्फ। इसका मतलब होता है – शासन, प्रशासन, संवेदनशील हैं। आपके सुख दुख का साथी है। ये उसका सबसे बड़ा सबूत है। आज देश में हमारी सरकार के आठ साल पूरे हो रहे हैं और जब आठ साल पूरे हो रहे हैं तो हम एक नए संकल्प के साथ, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयारी करते हैं। मुझे एक दिन एक बहुत बड़े नेता मिले, वरिष्ठ नेता हैं। वैसे हमारे लगातार विरोध भी करते रहे राजनीतिक विरोध भी करते रहे हैं। लेकिन मैं उनका आदर भी करता रहता हूं। तो कुछ बातों के कारण उनको थोड़ा सा राजी नाराजी थी तो एक दिन मिलने आए। तो कहा मोदी जी ये क्या करना है। दो दो बार आपको देश ने प्रधानमंत्री बना दिया। अब क्या करना है। उनको लगता था कि दो बार प्रधानमंत्री बन गया मतलब बहुत कुछ हो गया। उनको पता नहीं है मोदी किसी अलग मिट्टी का है। ये गुजरत की धरती ने उसको तैयार किया है और इसलिए जो भी हो गया अच्छा हो गया चलो अब आराम करो, नहीं मेरा सपना है – सैचुरेशन। शत प्रतिशत लक्ष्य की तरफ हम आगे बढ़ें। सरकारी मशीनरी को हम आदत डालें। नागरिकों को भी हम विश्वास पैदा करें। आपको याद होगा 2014 में जब आपने हमें सेवा का मौका दिया था तो देश की करीब-करीब आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक अकाउंट की सुविधा से सैंकड़ों मील दूर थी, एक प्रकार से वंचित थी। इन वर्षों में हम, सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को शत प्रतिशत सैचुरेशन के करीब करीब ला पाए हैं। अब आठ वर्ष के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, एक बार फिर कमर कस करके, सबका साथ लेकर के, सबके प्रयास से आगे बढ़ना ही है और हर जरूरतमंद को, हर हकदार को उसका हक दिलाने के लिए जी–जान से जुट जाना है। मैंने पहले कहा ऐसे काम कठिन होते हैं। राजनेता भी उनको हाथ लगाने से डरते हैं। लोकिन मैं राजनीति करने के लिए नहीं, मैं सिर्फ और सिर्फ देशवासियों की सेवा करने के लिए आया हूँ। देश ने संकल्प लिया है शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का, और जब शत प्रतिशत पहुँचते हैं ना तो सबसे पहला जो मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आता है, वो बहुत महत्वपूर्ण है। उसमें देश का नागरिक याचक की अवस्था से बाहर निकल जाता है पहले तो। वो मांगने के लिए कतार में खड़ा है। वो भाव खत्म हो जाता है। उसके अंदर एक विश्वास पैदा होता है कि ये मेरा देश है, ये मेरी सरकार है, ये पैसों पर मेरा हक है, मेरे देश के नागरिकों का हक है। ये भाव उसके अंदर भीतर पैदा होता है और उसके अंदर कर्तव्य के बीज भी बो देता है।

साथियों,

जब सैच्यूरेशन होता है ना तो भेदभाव की सारी गुंजाइश खत्म हो जाती हैं। किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं पड़ती है। हरेक को विश्वास रहता है, भले उसको पहले मिला होगा लेकिन बाद में भी मुझे मिलेगा ही। दो महीने बाद मिलेगा, छह महीने बाद मिलेगा, लेकिन मिलने वाला है। उसको किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं पड़ती और जो देने वाला है वो भी किसी को ये नहीं कह सकता है तुम मेरे हो इसलिए दे रहा हूँ। वो तो मेरा नहीं है इसलिए नहीं दे रहा हूँ। भेदभाव नहीं कर सकता और देश ने संकल्प लिया है शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का, आज जब शत प्रतिशत होता है तो तुष्टिकरण की राजनीति तो समाप्त ही हो जाती है। उसके लिए कोई जगह नहीं बचती है। शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का मतलब होता है, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना। जिसका कोई नहीं है, उसके लिए सरकार होती है। सरकार के संकल्प होते हैं। सरकार उसकी साथी बनकर के चलती है। ये भाव देश के दुर दराज जंगलों में रहने वाला मेरा आदिवासी हो, झुग्गी झोपड़ी में जीने वाला मेरा कोई गरीब मां बहन हो, बुढ़ापे में अकेला जिंदगी गुजारने वाला कोई व्यक्ती हो, हर किसी को ये विश्वास पैदा कराना है वो उसके हक की चीजें उसके दरवाजे पर आकर के देने के लिए प्रयास किया है।

साथियों,

शत-प्रतिशत लाभार्थियों की कवरेज यानि हर मत, हर पंथ हर वर्ग को एक समान रूप से सबका साथ, सबका विकास शत प्रतिशत लाभ गरीब कल्याण की हर योजना से कोई छूटे ना, कोई पीछे ना रहे। ये बहुत बड़ा संकल्प है। आपने आज जो राखी दी हैं ना, सब विधवा माताओं ने, मेरे लिए जो राखी भी इतनी बड़ी बनाई है राखी। ये सिर्फ धागा नहीं है। ये आपने मुझे एक शक्ति दी है, सामर्थ्य दिया है, और जिन सपनों को लेकर के चले हैं। उन सपनों को पूरा करने के लिए शक्ति दी है। इसलिए आज जो आपने मुझे राखी दी है उसे मैं अनमोल भेंट मानता हूं। ये राखी मुझे हमेशा देश के गरीबों की सेवा के लिए, शत प्रतिशत सैचुरेशन की तरफ सरकारों को दौड़ाने के लिए प्रेरणा भी देगी, साहस भी देगी और साथ भी देगी। यही तो है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। आज राखी भी सब विधवा माताओं के प्रयास से बनी है और मैं तो जब गुजरात में था, बार बार मैं कहता था, कभी कभी खबरें आती थीं। मेरे पर, मेरी सुरक्षा को लेकर के खबरे आती थीं। एकआद बार तो मेरी बीमारी की खबर आ गई थी तब मैं कहता था भाई कोटि – कोटि माताओं बहनों को रक्षाकवच मिला हुआ है। जब तक ये कोटी – कोटी माताओं बहनों का रक्षाकवच मुझे मिला हुआ है वो रक्षाकवच को भेदकर के कोई भी मुझे कुछ नहीं कर सकता है और आज मैं देख रहा हूँ हर कदम पर, हर पल माताएँ बहनें, उनके आर्शीवाद हमेशा मुझपर बने रहते हैं। इन माताओं बहनों का जितना मैं कर्ज चुकाऊं उतना कम है। और इसिलिए साथियों, इसी संस्कार के कारण मैंने लाल किले से हिम्मत की थी एक बार बोलने की, कठिन काम है मैं फिर कह रहा हूं। मुझे मालुम है ये कठिन काम है, कैसे करना मुश्किल है मैं जानता हूं। सब राज्यों को प्रेरित करना, साथ लेना मुशकिल काम है मैं जानता हूं। सभी सरकारी कर्मचारियों को इस काम के लिए दौड़ाना कठिन है मैं जानता हूं। लेकिन ये आजादी का अमृतकाल है। आजादी का 75 साल हुए हैं। इस अमृतकाल में मूलभूत सुविधाओं की योजनाओं के सैचुरेशन की बात मैंने लाल किले से कही थी। शत-प्रतिशत सेवाभाव का हमारा ये अभियान, सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस, का बहुत बड़ा माध्यम है। मुझे खुशी है कि हमारे गुजरात के मृदीय और मक्कम मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, उनके नेतृत्व में गुजरात सरकार इस संकल्प को सिद्ध करने में पूरी निष्ठा के साथ जुटी है।

साथियों,

हमारी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा, जनकल्याण और गरीब को गरिमा का ये सारा जो मेरा सैचूरेशन का अभियान है अगर एक शब्द में कहना है तो वो यही है गरीब को गरिमा। गरीब की गरिमा के लिए सरकार। गरीब की गरिमा के लिए संकल्प और गरीब की गरिमा के संस्कार। यही तो हमें प्रेरित करते हैं। पहले हम जब सोशल सिक्यूरिटी की बात सुनते थे, तो अक्सर दूसरे छोटे-छोटे देशों के उदाहरण देते थे। भारत में इनको लागू करने के जो भी प्रयास हुए हैं उनका दायरा और प्रभाव दोनों बहुत सीमित रहे हैं। लेकिन साल 2014 के बाद देश ने अपने दायरे को व्यापक किया, देश सबको साथ लेकर चला। परिणाम हम सभी के सामने है। 50 करोड़ से अधिक देशवासियों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिली, करोड़ों लोगों को 4 लाख रुपए तक के दुर्घटना और जीवन बीमा की सुविधा मिली, करोड़ों भारतीयों को 60 वर्ष की आयु के बाद एक निश्चित पेंशन की व्यवस्था मिली। अपना पक्का घर, टॉयलेट, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, पानी का कनेक्शन, बैंक में खाता, ऐसी सुविधाओं के लिए तो गरीब सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर के उनकी जिंदगी पूरी हो जाती थी। वो हार जाते थे। हमारी सरकार ने इन सारी परिस्थितियों को बदला, योजनाओं में सुधार किया, नए लक्ष्य बनाए और उन्हें निरंतर हम प्राप्त भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को पहली बार सीधी मदद मिली। छोटे किसानों को तो कोई पुछता नहीं था भाई और हमारे देश में 90 पर्सेंट छोटे किसान हैं। 80 पर्सेंट से ज्यादा, करीब-बरीब 90 पर्सेंट। जिसके पास 2 एकड़ भूमि मुश्किल से है। उन छोटे किसानों के लिए हमनें एक योजना बनाई। हमारे मछुआरे भाई बहन, बैंक वाले उनको पुछते नहीं थे। हमने किसान क्रेडिट कार्ड जैसा है वो मछुआरों के लिए शुरू किया। इतना ही नहीं रेहड़ी पटरी ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के रूप में बैंक से पहली बार सहायता सुनिश्चित हुई है और मैं तो चाहूँगा और हमारी सीआर पाटील जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सभी नगरों में ये रेहड़ी पटरी वालों को स्वनिधि के पैसे मिले। उनका व्यापार कारोबार ब्याज के चक्कर से मुक्त हो जाए। जो भी मेहनत करके कमाएं वो घर के काम आएं। इसके लिए जो अभियान चलाया है। मैं चाहुंगा भरुच हो, अंकलेश्वर हो, वालिया हो सभी अपने इन नगरों में भी इसका फायदा पहँचे। वैसे तो भरुच से मुझे साक्षात मुलाकात लेनी चाहिए, और काफी समय से आया नहीं, तो मन भी होता है, क्योंकि भरुच के साथ मेरा संबंध बहुत पुराना रहा है। और भरुच तो अपनी सांस्कृतिक विरासत है, व्यापार का, सांस्कृतिक विरासत का हजारो साल पुराना केन्द्र रहा है। एक जमाना था, दुनिया को एक करने में भरुच का नाम था। और अपनी सांस्कृतिक धरोहर, अपने किसान, अपने आदिवासी भाईओ, और अब तो, व्यापार-उधोग से धमधमा रहा है भरूच-अंकलेश्वर अपना। भरूच-अंकलेश्वर ट्वीन सिटी बन गया है। पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। और मैं जितने समय रहा, पुराने दिन सब याद हैं। आज आधुनिक विकास की तरफ भरुच जिले का नाम हो रहा है। अनेक कार्य हो रहे हैं, और स्वाभाविक है भरुच जब, भरुच के लोगों के पास आता हुँ तब पुराने-पुराने लोग सब याद आते है। अनेक लोग, पुराने-पुराने मित्र, वरिष्ठ मित्र, कभी-कभी, अभी भी संपर्क होता है। बहुत सालों पहले मैं जब संघ का काम करता था, तब बस में से उतरूँ, तब चलता-चलता मुक्तिनगर सोसायटी जाता था। मूळचंदभाई चौहान के घर, हमारे बिपीनभाई शाह, हमारे शंकरभाई गांधी, अनेक मित्रो सब पुराने पुराने और जब आप लोगों को देखता हुँ। तब मुझे मेरे बहादूर साथी शिरीश बंगाली बहुत याद आते है। समाज के लिये जीनेवाले। और हमें पता है लल्लूभाई की गली से निकलते है तब अपना पांचबत्ती विस्तार। अभी जो 20-25 साल के युवक- युवती है। उनको तो पता भी नहीं होगा, कि ये पांचबत्ती और लल्लूभाई की गली का क्या हाल था। एक दम पतले रास्ते, स्कूटर पर जाना हो तो भी मुश्किल हो जाती थी। और इतने सारे गढ्ढे, क्योंकि मुझे बराबर याद है मैं जाता था। और पहले तो मुझे कोइ सार्वजनिक सभा करने का मौका नहीं मिलता था। सालों पहले भरुच वालों ने मुझे पकडा, अपनी शक्तिनगर सोसायटी में। तब तो मैं राजनीति में आया भी नहीं था। शक्तिनगर सोसायटी में एक सभा रखी थी, 40 साल हो गये होंगे। और मैं हैरान हो गया कि, सोसायटी में खड़े रहने की भी जगह नहीं थी। और इतने सारे लोग-इतने सारे लोग, आर्शिवाद देने आये थे। मेरा कोई नाम नहीं, कोई जानता नहीं, फिर भी जबरदस्त और बड़ी सभा हुई। उस दिन तब तो मैं राजनिती में कुछ था ही नहीं। नय़ा-नया था, सीख रहा था। उस समय मुझे कितने पत्रकार मित्र मिले, मेरा भाषण समाप्त होने के बाद। मैंने उनसे कहा, आप लिखकर रखो, इस भरुच के अंदर कोंग्रेस कभी भी जितेगी नहीं। ऐसा मैंने उस समय पर कहा था। आज से 40 साल पहले। तब सब हँसने लगे, मेरा मजाक उड़ाने लगे, और आज मुझे कहना है कि भरुच के लोगों के प्यार और आर्शिवाद से वह बात मेरी सही हुई है।

इतना सारा प्यार, भरुच और आदिवासी परिवारों की तरफ से, क्योंकि मैं सारे गाँव घुमता था, तब अनेक जन-जातिय परिवार के बीच रहने का, उनके सुख-दुख में काम करने का, हमारे एक चंदुभाई देशमुख थे पहले, उनके साथ काम करने का, फिर हमारे मनसुखभाई ने सारा काम-काज संभाल लिया। हमारी बहुत सारी जिम्मेवारी उन्होनें ले ली। और इतने सारे साथी, इतने सारे लोगों के साथ काम किया है, वह सब दिन, जब आपके बीच आया हुँ, तब आपके समक्ष आता तो कितना मजा आता। इतने दूर हुँ तब भी सब याद आने लगा। और उस समय याद है सब्जी बेचनेवाले के लिए रास्ता इतना खराब की, कोई आए तब उसकी सब्जी भी नीचे गिर जाये। ऐसी दशा थी, और जब मैं रास्ते पर जाता तो देखता कि, गरीब का थैला उलटा हो गया, तब मैं उसे सीधा करके देता था। ऐसे समय में मैंने भरूच में काम किया है। और आज चारों तरफ भरुच अपना विकसित हो रहा है। सड़को में सुधार हुआ है, जीवन व्यवस्था में सुधार हुआ है, शिक्षण-संस्था, आरोग्य-व्यवस्थाओं, तेज गति से अपना भरुच जिला आगे बढ़ा है। मुझे पता है पूरा आदिवासी विस्तार उमरगाँव से अंबाजी, पूरे आदिवासी पट्टे में, गुजरात में आदिवासी मुख्यमंत्री रहे हैं। परंतु विज्ञान की स्कुलें नहीं है, बोलो, विज्ञान की स्कुलें, मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरु करने का मौका मिला। और जो विज्ञान की स्कुलें ही ना हो, तो किसी को ईन्जीनियर बनना हो, डोक्टर बनना हो तो कैसे बने ? अभी हमारे याकुबभाई बात करते थे, बेटी को डोक्टर बनना है, क्यों बनने की संभावना हुई, क्योंकि अभ्यास शरु हुआ भाई। इसलिए बेटी ने भी तय किया कि मुझे डोक्टर बनना है, आज परिवर्तन आया है ना । उसी तरह से भरुच में औधोगिक विकास, और अब तो अपना भरुच अनेक मेन लाईन, फ्रंट कोरीडोर और बुलेट ट्रेन कहो, एक्सप्रेस-वे कहो, कोई आवागमन का साधन ना हो, कि जो भरुच को ना छुता हो।

इसलिए एक प्रकार से भरुच युवाओं के सपनों का जिला बन रहा है। नवयुवाओं के आकांक्षाओं का शहर और विस्तार बन रहा है। और माँ नर्मदा स्टेच्यु ओफ युनिटी के बाद तो, अपना भरुच हो या राजपीपला हो, पूरे हिन्दुस्तान में, और दुनिया में आपका नाम छा गया है। कि भाई स्टेच्यु ओफ युनिटी जाना हो तो कहाँ से जाना ? तो कहा जाता है भरूच से, राजपीपला से जाना। और अब हम दुसरा वियर भी बना रहे है। मुझे याद है भरुच नर्मदा के किनारे पीने के पानी की मुश्किल होती थी। नर्मदा के किनारे हो, और पीने के पानी की मुश्किल पड़े, तो उसका उपाय क्या होगा? तो उसका उपाय हमने ढुंढ लिया । तो पूरे समुद्र के उपर पूरा बडा वियर बना दिया । तो समुद्र का खारा पानी उपर आये नहीं। और नर्मदा का पानी रुका रहे और नर्मदा का पानी केवडीया मे भरा रहे। और कभी भी पीने के पानी की मुश्किल ना पड़े उसका काम चल रहा है। और मैं तो भूपेन्द्रभाई को अभिनंदन देता हुँ, कि वह काम को आगे बढा रहे है। कितना सारा लाभ होगा कि, आप उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। इसलिए मित्रों, मुझे आप लोगो से मिलने का मौका मिला, मुझे बहुत खुशी मिली। पुराने-पुराने मित्रों की याद आये स्वाभाविक बात है, हमारे ब्लु ईकोनोमी का जो काम चल रहा है, उसमें भरुच जिला बहुत कुछ कर सकता है। समुद्र के अंदर जो संपदा है, अपनी सागरखेड़ु योजना है, उसका लाभ लेकर हमें आगे बढना है। शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, शिपिंग हो, कनेक्टीवीटी हो, हर क्षेत्र में बडी तेजी से आगे बढ़ना है। आज मुझे आनंद हुआ कि भरुच जिले ने बड़ी पहल की है। आप सब लोगों को बहुत-बहुत अभिनंदन देता हुँ। शुभकामनाएँ देता हुँ, जय-जय गरवी गुजरात, वंदे मातरम।

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