असम में कैंसर अस्पतालों से पूर्वोत्तर के साथ-साथ दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य सेवा की क्षमता में वृद्धि होगी
स्वास्थ्य सेवा के दृष्टिकोण के सात स्तंभों के रूप में 'स्वास्थ्य के सप्तऋषि' पर विस्तार से चर्चा की
“हमारा प्रयास है कि पूरे देश के नागरिकों को देश में कहीं भी केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके, उसके लिए कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए, यह एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य की भावना है"
​​​​​​​"केंद्र और असम सरकार चाय बागानों में काम करने वाले लाखों परिवारों को बेहतर जीवन देने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है"

असम के राज्यपाल श्री जगदीश मुखी जी, असम के लोकप्रिय और ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे वरिष्ठ सहयोगी श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, श्री रामेश्वर तेली जी, देश के विकास में अहम योगदान देने वाले श्री रतन टाटा जी, असम सरकार में मंत्री श्री केशब महंता जी, अजंता निओग जी, अतुल बोरा जी और इसी धरती की संतान और भारत के न्‍याय जगत को जिन्‍होंने उत्‍तम से उत्‍तम सेवाएं दीं और आज कानून बनाने की प्रक्रिया में संसद में हमारा साथ दे रहे श्रीमान रंजन गोगोई जी, श्री सांसदगण, विधायक गण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

प्रोठोमोटे मोई रोंगाली बिहू, आरु ऑसोमिया नॉबो-बॉर्खोर शुब्भेस्सा जोनाइसु !

उत्सव और उमंग के इस मौसम में, असम के विकास की धारा को और गति देने का आज ये जो भव्‍य समारोह है, उसमें मुझे भी आपकी उस उमंग के साथ जुड़ने का अवसर मिला है। आज इस ऐतिहासिक नगर से मैं असमिया गौरव, असम के विकास में अपना योगदान देने वाली यहां की सभी महान संतानों का स्मरण करता हूं और आदरपूर्वक उन सबको नमन करता हूं।

साथियों,

भारत रत्न भूपेन हज़ारिका जी का गीत है-

बोहाग माठो एटि ऋतु नोहोय नोहोय बोहाग एटी माह

अखोमिया जातिर ई आयुष रेखा गोनो जीयोनोर ई खाह !

असम की जीवनरेखा को अमिट और प्रखर बनाने के लिए हम दिन-रात आपकी सेवा करने का प्रयास करते रहते हैं। इसी संकल्प के साथ बार-बार आपके बीच आने का मन करता है। असम आज शांति के लिए, विकास के लिए एकजुट होकर उत्साह से भरा हुआ है, और मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही कार्बी आंगलोंग में देखा है और और मैं अनुभव कर रहा था क्‍या उमंग, क्‍या उत्‍साह, क्‍या सपने, क्‍या संकल्‍प।

साथियों,

थोड़ी देर पहले मैंने डिब्रूगढ़ में नए बने कैंसर अस्पताल और वहां बनी सुविधाओं को भी देखा। आज यहाँ असम के 7 नए कैंसर अस्पतालों का लोकार्पण किया गया है। एक जमाना था, सात साल में एक अस्‍पताल खुल जाए तो भी बहुत बड़ा उत्‍सव माना जाता था। आज वक्‍त बदल चुका है, एक दिन में एक राज्‍य में 7 अस्‍पताल खुल रहे हैं। और मुझे बताया गया है कि 3 और कैंसर अस्पताल आने वाले कुछ महीनों में और तैयार हो जाएंगे आपकी सेवा में। इनके अलावा आज राज्य के 7 नए आधुनिक अस्पतालों का निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो रहा है। इन अस्पतालों से असम के अनेक जिलों में अब कैंसर के इलाज की सुविधा और बढ़ेगी। अस्‍पताल आवश्‍यक तो है और सरकार बना भी रही है। लेकिन मैं जरा कुछ उलटी ही शुभकामना देना चाहता हूं। अस्‍पताल आपके चरणों में है, लेकिन मैं नहीं चाहता हूं असम के लोगों की जिंदगी में अस्‍पताल जाने की मुसीबत आ जाए। मैं आप सबके स्‍वास्‍थ्‍य की कामना करता हूं। आपके परिवार के किसी को भी अस्‍पताल जाना न पड़े और मुझे खुशी होगी कि हमारे सारे नए बनाए अस्‍पताल खाली ही रहें। लेकिन अगर आवश्यकता पड़ जाए, कैंसर के मरीजों को असुविधा के कारण मौत से मुकाबला करने की नौबत नहीं आनी चाहिए और इसलिए आपकी सेवा के लिए भी हम तैयार रहेंगे।

भाइयों और बहनों,

असम में कैंसर के इलाज के लिए इतनी विस्तृत, इतनी व्यापक व्यवस्था इसलिए अहम है, क्योंकि यहां बहुत बड़ी संख्या में कैंसर डिटेक्ट होता रहा है। असम ही नहीं नॉर्थ ईस्ट में कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या बन रहा है। इससे सबसे अधिक प्रभावित हमारे गरीब परिवार होते हैं, गरीब भाई-बहन होते हैं, हमारे मध्‍यम वर्ग के परिवार होते हैं। कैंसर के इलाज के लिए कुछ साल पहले तक यहां के मरीज़ों को बड़े-बड़े शहरों में जाना पड़ता था। और इसके कारण एक बहुत बड़ा आर्थिक बोझ गरीब और मीडिल क्लास परिवारों पर पड़ता था। गरीब और मीडिल क्लास की इस परेशानी को दूर करने के लिए बीते 5-6 सालों से जो कदम यहां उठाए गए हैं, उसके लिए मैं पूर्व मुख्‍यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी को और वर्तमान मुख्‍यमंत्री हिमंत जी और टाटा ट्रस्ट को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। असम कैंसर केयर फाउंडेशन के रूप में कैंसर के सस्ते और प्रभावी इलाज का इतना बड़ा नेटवर्क अब यहां तैयार है। ये मानवता की बहुत बड़ी सेवा है।

साथियों,

असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में कैंसर की इस बहुत बड़ी चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार भी निरंतर कोशिश कर रही है। राजधानी गुवाहाटी में भी कैंसर ट्रीटमेंट से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त किया जा रहा है। इस साल के बजट में नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपए की एक विशेष योजना, PM-DevINE में भी कैंसर के इलाज पर फोकस किया गया है। इसके तहत कैंसर के इलाज के लिए एक डेडिकेटेड फैसिलिटी गुवाहटी में तैयार होगी।

भाइयों और बहनों,

कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां एक परिवार के रूप में और एक समाज के रूप में हमें भावनात्मक रूप से और आर्थिक रूप से कमज़ोर करती हैं। इसलिए बीते 7-8 साल से देश में स्वास्थ्य को लेकर बहुत बड़े और व्यापक रूप से काम किया जा रहा है। हमारी सरकार ने सात विषयों पर या ये कह सकते हैं स्वास्थ्य के सप्तऋषियों पर फोकस किया है।

पहली कोशिश ये है कि बीमारी की नौबत ही नहीं आए। इसलिए Preventive Healthcare पर हमारी सरकार ने बहुत जोर दिया है। ये योग, फिटनेस, स्‍वच्‍छता, ऐसे कई कार्यक्रम इसके लिए चल रहे हैं। दूसरा, अगर बीमारी हो गई तो शुरुआत में ही पता चल जाए। इसके लिए देश भर में नए टेस्टिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं। तीसरा फोकस ये है कि लोगों को घर के पास ही प्राथमिक उपचार की बेहतर सुविधा हो। इसके लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटरों को पूरे देश में वेलनेस सेंटर के रूप में एक नई ताकत के साथ उसका एक नेटवर्क आगे बढ़ाया जा रहा है। चौथा प्रयास है कि गरीब को अच्छे से अच्छे अस्पताल में मुफ्त इलाज मिले। इसके लिए आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज आज भारत सरकार की तरफ से दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारा पांचवा फोकस इस बात पर है कि अच्छे इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों पर निर्भरता कम से कम हो। इसके लिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमारी सरकार अभूतपूर्व निवेश कर रही है। हमने देखा है कि आजादी के बाद से ही जितने भी अच्छे अस्पताल बने, वो बड़े शहरों में ही बने। थोड़ी सी भी तबीयत बिगड़े तो बड़े शहर भागो। यही होता रहा है। लेकिन 2014 के बाद से हमारी सरकार इस स्थिति को बदलते में जुटी हुई है। साल 2014 से पहले देश में सिर्फ 7 एम्स थे। इसमें से भी एक दिल्ली वालों को छोड़ दें, तो कहीं MBBS की पढ़ाई नहीं होती थी, कहीं OPD नहीं लगती थी, कुछ अधूरे बने पड़े थे। हमने इन सभी को सुधारा और देश में 16 नए एम्स घोषित किए।

एम्स गुवाहाटी भी इन्हीं में से एक है। हमारी सरकार देश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो, इस लक्ष्य पर काम कर रही है। 2014 से पहले देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे। अब इनकी संख्या बढ़कर करीब-करीब 600 तक पहुंच रही है।

साथियों,

हमारी सरकार का छठा फोकस इस बात पर भी है कि डॉक्टरों की संख्या को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए। बीते सात साल में MBBS और PG के लिए 70 हजार से ज्यादा नई सीटें जुड़ी हैं। हमारी सरकार ने 5 लाख से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स को भी एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर माना है। इससे भारत में डॉक्टर और मरीजों के बीच ratio में भी सुधार हुआ है। हाल ही में सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 50 प्रतिशत सीटों पर उतनी ही फीस ली जाएगी, जितनी किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में ली जाती है। इसका फायदा हजारों नौजवानों को मिल रहा है। देश को आजादी के बाद जितने डॉक्टर मिले, हमारी सरकार के प्रयासों से, अब उससे भी ज्यादा डॉक्टर अगले 10 वर्षों में मिलने जा रहे हैं।

साथियों,

हमारी सरकार का सातवां फोकस स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटाइजेशन का है। सरकार की कोशिश है कि इलाज के लिए लंबी-लंबी लाइनों से मुक्ति हो, इलाज के नाम पर होने वाले दिक्कतों से मुक्ति मिले। इसके लिए एक के बाद एक योजनाएं लागू की गई हैं। कोशिश ये है कि केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ पूरे देश के नागरिकों को देश में कहीं भी मिल सके, इसके लिए कोई बंदिश नहीं होनी चाहिए। यही वन नेशन, वन हेल्थ की भावना है। इसी ने 100 साल की सबसे बड़ी महामारी में भी देश को संबल दिया, चुनौती से निपटने की ताकत दी।

साथियों,

केंद्र सरकार की योजनाएं देश में कैंसर के इलाज को सुलभ और सस्ता बना रही है। एक और महत्‍वपूर्ण काम हमारी सरकार ने निर्णय किया है, गरीब की बेटा-बेटी भी डॉक्‍टर क्‍यों न बन सके, गांव में रहने वाला बच्‍चा भी जिसको जिंदगी में अंग्रेजी में पढ़ाई का मौका नहीं मिला, वो डॉक्‍टर क्‍यों न बन सके। और इसलिए अब भारत सरकार उस दिशा में आगे बढ़ रही है कि जो अपनी मातृभाषा में, स्‍थानीय भाषा में मेडिकल एजुकेशन करना चाहते हैं, उनके लिए भी सरकार सुविधाएं खड़ी करे, ताकि गरीब का बच्‍चा भी डॉक्‍टर बन सके।

बीते वर्षों में कैंसर की अनेकों ऐसी ज़रूरी दवाएं हैं, जिनकी कीमतें लगभग आधी हो गई हैं। इससे हर साल कैंसर मरीज़ों के लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 900 से ज्यादा दवाएं सस्‍ते में उपलब्‍ध हों, जो दवाएं 100 रुपए में मिलती हैं, वो 10 रुपये, 20 रुपये में मिल जाएं, इसका प्रबंध किया गया है। इनमें से अनेकों दवाएं कैंसर के इलाज से जुड़ी हैं। इन सुविधाओं से भी मरीज़ों के सैकड़ों करोड़ रुपए बच रहे हैं। किसी परिवार में बुजुर्ग मां-बाप हों, डाय‍बिटीज जैसी बीमारी हो तो मध्‍यम वर्ग, निम्‍न-मध्‍यम परिवार का महीने का 1000, 1500, 2 हजार रुपये दवाई का खर्चा होता है। जन-औषधि केंद्र में वो खर्चा 80, 90, 100 रुपये में पूरा हो जाता है, ये चिंता हमने की है।

यही नहीं, आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभ पाने वालों में बहुत बड़ी संख्या में कैंसर के पेशेंट्स हैं। जब ये योजना नहीं थी तो बहुत सारे गरीब परिवार कैंसर के इलाज से बचते थे। वो सोचते थे कि अगर अस्‍पताल जाओ तो बेटे के लिए कर्ज करना पड़ेगा और ये कर्ज मेरे बच्‍चों को भुगतना पड़ेगा। बूढ़े मां-बाप मरना पसंद करते थे, लेकिन बच्‍चों पर बोझ बनना पसंद नहीं करते थे, अस्‍पताल नहीं जाते थे, इलाज नहीं करवाते थे। गरीब मां-बाप अगर इलाज के अभाव में मरें तो फिर हम किस काम के लिए हैं। विशेष रूप से हमारी माताएं-बहनें, वो तो इलाज ही नहीं कराती थीं। वो देखती थीं कि इलाज के लिए कर्ज़ लेना पड़ता है, घर और ज़मीन बेचनी पड़ती है। हमारी माताओं-बहनों-बेटियों को इस चिंता से भी मुक्त करने का भी काम हमारी सरकार ने किया है।

भाइयों और बहनों,

आयुष्मान भारत योजना से सिर्फ मुफ्त इलाज ही नहीं मिल रहा है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने में भी मदद मिल रही है। असम सहित पूरे देश में जो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खुल रहे हैं, उनमें 15 करोड़ से अधिक साथियों की कैंसर से जुड़ी जांच हो चुकी है। कैंसर की स्थिति में तो ये बहुत ज़रूरी है कि जल्द से जल्द बीमारी का पता चले। इससे बीमारी को गंभीर बनने से रोका जा सकता है।

साथियों,

देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने का जो अभियान चल रहा है, उसका लाभ भी असम को मिल रहा है। हिमंत जी और उनकी टीम हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने के राष्ट्रीय संकल्प के लिए प्रशंसनीय प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि ऑक्सीजन से लेकर वैंटिलेटर्स तक, सारी सुविधाएं असम में लगातार बढ़ती रहें। क्रिटिकल केयर इंफ्रास्ट्रक्चर असम में तेज़ी से ज़मीन पर उतरे, इसके लिए असम सरकार ने बेहतरीन काम करने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं।

भाइयों और बहनों,

कोरोना के संक्रमण से देश और दुनिया लगातार लड़ रही है। भारत में टीकाकरण अभियान का दायरा बहुत बढ़ गया है। अब तो बच्चों के लिए भी अनेक वैक्सीन्स अप्रूव हो गई हैं। प्रीकॉशन डोज़ के लिए भी अनुमति दे दी गई है। अब ये हम सभी का दायित्व है कि समय पर खुद भी टीका लगाएं और बच्चों को भी ये सुरक्षा कवच दें।

साथियों,

केंद्र और असम सरकार चाय बागानों में काम करने वाले लाखों परिवारों को बेहतर जीवन देने के लिए पूरी ईमानदारी से जुटी है। मुफ्त राशन से लेकर हर घर जल योजना के तहत जो भी सुविधाएं हैं, असम सरकार उनको तेज़ी से चाय बागानों तक पहुंचा रही है। शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बेहतर बनाने के लिए भी लगातार कोशिश की जा रही है। विकास के लाभ से समाज का कोई भी व्यक्ति, कोई भी परिवार ना छूटे, ये हमारा प्रयास है, ये हमारा संकल्‍प है।

भाइयों और बहनों,

आज भारत में विकास की जिस धारा को लेकर हम चल रहे हैं, उसमें जनकल्याण के दायरे को हमने बहुत व्यापक कर दिया है। पहले सिर्फ कुछ सब्सिडी को ही जनकल्याण से जोड़कर देखा जाता था। इंफ्रास्ट्रक्चर के, कनेक्टिविटी के प्रोजेक्ट्स को वेलफेयर से जोड़कर नहीं देखा जाता था। जबकि बेहतर कनेक्टिविटी के अभाव में जन सुविधाओं की डिलीवरी बहुत मुश्किल होती है। पिछली सदी की उस अवधारणा को पीछे छोड़कर अब देश आगे बढ़ रहा है। आज आप देखते हैं कि असम के दूर-सूदूर क्षेत्रों में सड़कें बन रही हैं, ब्रह्मपुत्र पर पुल बन रहे हैं, रेल नेटवर्क सशक्त हो रहा है। इन सबसे स्कूल-कॉलेज, अस्पताल जाना आसान हुआ है। रोज़ी-रोटी के अवसर खुल रहे हैं, गरीब से गरीब को पैसे की बचत हो रही है। आज गरीब से गरीब को मोबाइल फोन की सुविधा मिल रही है, इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है। इससे उसे सरकार की हर सेवा प्राप्‍त करना आसान हुआ है, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की सोच के साथ हम असम और देश के विकास को गति देने में जुटे हैं। हमारी कोशिश है कि असम की कनेक्टिविटी सशक्त हो, यहां इन्वेस्टमेंट के नए अवसर बनें। असम में निवेश के लिए अनेक संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को हमें अवसरों में बदलना है। चाय हो, ऑर्गेनिक खेती हो, ऑयल से जुड़े उद्योग हों या फिर टूरिज्म, असम के विकास को हमें नई बुलंदी तक ले जाना है।

साथियों,

आज असम की मेरी यात्रा मेरे लिए बहुत यादगार है। एक तरफ मैं उन लोगों से मिल करके आया हूं, जो बम-बंदूक का रास्‍ता छोड़ करके शांति की राह में विकास की धारा में जुड़ना चाहते हैं और अभी मैं आप लोगों के बीच में हूं, जो बीमारी के कारण जिंदगी में जूझना न पड़े, उनकी सुख-शांति की व्‍यवस्‍था हो और उसमें आप लोग आशीर्वाद देने आए हैं। बिहू अपने-आप में सबसे बड़ा उमंग और उत्‍सव का त्योहार और आज हजारों माता-बहनों ने, मैं असम में बहुत सालों से आ रहा हूं। शायद ही कोई बिहू ऐसा हो जब मेरा उस समय असम का दौरा न हुआ हो। लेकिन आज मैंने इतनी बड़ी तादाद में एक साथ माताओं-बहनों को बिहू में झूमते हुए देखा। मैं इस प्‍यार के लिए, इस आशीर्वाद के लिए विशेष करके असम की माताओं-बहनों को प्रणाम करता हूं। उनका हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

साथियों,

एक बार फिर, श्रीमान रतन टाटा जी खुद यहां पहुंचे। उनका नाता चाय से शुरू हुआ और चाहत तक विस्तृत हुआ है और आज आपके उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी वो हमारे साथ शरीक हुए हैं। मैं उनका भी स्वागत करते हुए एक बार फिर आप सभी को ये अनेक नई सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए-

भारत माता की - जय !

भारत माता की - जय !

भारत माता की - जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

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