सांबा जिले की पल्ली पंचायत से देश भर की सभी ग्राम सभाओं को संबोधित किया
20,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया
बनिहाल काजीगुंड सड़क सुरंग का लोकार्पण किया जो जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों को करीब लाने में मदद करेगा
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे और रतले और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं के तीन रोड पैकेजों की आधारशिला रखी
देश के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों के विकास और कायाकल्प के उद्देश्य से एक पहल- अमृत सरोवर का शुभारंभ
"इस बार का पंचायती राज दिवस, जम्मू कश्मीर में मनाया जाना, एक बड़े बदलाव का प्रतीक है"
“बात लोकतंत्र की हो या संकल्प विकास का, आज जम्मू कश्मीर नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। बीते 2-3 सालों में जम्मू कश्मीर में विकास के नए आयाम बने हैं”
"जम्मू-कश्मीर में बरसों तक जिन साथियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है"
"दूरियां चाहे दिलों की हो, भाषा-व्यवहार की हो या फिर संसाधनों की, इनको दूर करना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है"
"आजादी का ये ‘अमृतकाल’ भारत का स्वर्णिम काल होने वाला है"
"घाटी के युवाओं को उन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा जिनका सामना उनके माता-पिता और दादा-दादी को करना पड़ा था"
"प्राकृतिक खेती की तरफ हमारा गांव बढ़ेगा तो पूरी मानवता को लाभ होगा"
"ग्राम पंचायतें ‘सबका प्रयास' के माध्यम से कुपोषण से निपटने में अहम भूमिका निभाएंगी"

भारत माता की जय

भारत माता की जय

जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री मनोज सिन्हा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी गिरिराज सिंह जी, इसी धरती की संतान मेरे साथी डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी, श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल जी, संसद में मेरे साथी श्री जुगल किशोर जी, जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश से जुड़े पंचायती राज के सभी जनप्रतिनिधिगण, भाइयों और बहनों !

शूरवीरें दी इस डुग्गर धरती जम्मू-च, तुसें सारे बहन-प्राऐं-गी मेरा नमस्कार ! देशभर से जुड़े साथियों को राष्ट्रीय पंचायती दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

आज जम्मू कश्मीर के विकास को गति देने के लिए ये बहुत बड़ा दिन है। यहां मैं जो जनसागर देख रहा हूं, जहां भी मेरी नजर पहुंच रही है लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। शायद कितने दशकों के बाद जम्‍मू–कश्‍मीर की धरती, हिन्‍दुस्‍तान के नागरिक ऐसा भव्‍य दृश्‍य देख पा रहे हैं। ये आपके प्‍यार के लिए, आपके उत्‍साह और उमंग के लिए, विकास और प्रगति के आपके संकल्‍प के लिए मैं विशेष रूप से आज जम्‍मू और कश्‍मीर के भाइयों-बहनों का आदरपूर्वक अभिनंदन करना चाहता हूं।

साथियो,

न ये भू-भाग मेरे लिए नया है, न मैं आपके लिए नया हूं। और मैं यहां की बारीकियों से अनेक वर्षों से परिचित भी रहा हूं, जुड़ा हुआ रहा हूं। मेरे लिए खुशी की बात है कि आज यहां कनेक्टिविटी और बिजली से जुड़े 20 हज़ार करोड़ रुपए...ये आंकड़ा जम्‍म-कश्‍मीर जैसे छोटे राज्‍य के लिए बहुत बड़ा आंकड़ा है..20 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। जम्मू-कश्मीर के विकास को नई रफ्तार देने के लिए राज्य में तेजी से काम चल रहा है। इन प्रयासों से बहुत बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर के नौजवानों को रोज़गार मिलेगा।

साथियों,

आज अनेक परिवारों को गांवों में उनके घर के प्रॉपर्टी कार्ड भी मिले हैं। ये स्वामित्व कार्ड गांवों में नई संभावनाओं को प्रेरित करेंगे। आज 100 जनऔषधि केंद्र जम्मू कश्मीर के गरीब और मिडिल क्लास को सस्ती दवाएं, सस्ता सर्जिकल सामान देने का माध्यम बनेंगे। 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का जो संकल्प देश ने उठाया है, उसी दिशा में भी जम्मू कश्मीर ने आज एक ब़ड़ी पहल की है। पल्ली पंचायत देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत बनने की तरफ बढ़ रही है।

ग्‍लासगो में दुनिया के बड़े-बड़े दिग्‍गज इक्‍टठे हुए थे। कार्बन न्‍यूट्रल को ले करके बहुत सारे भाषण हुए, बहुत सारे बयान हुए, बहुत सारी घोषणाएं हुईं। लेकिन ये हिन्‍दुस्‍तान है जो ग्‍लासगो के आज जम्‍मू-कश्‍मीर की एक छोटी पंचायत, पल्‍ली पंचायत के अंदर देश की पहली कार्बन न्‍यूट्रल पंचायत बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज मुझे पल्ली गांव में, देश के गांवों के जन प्रतिनिधियों के साथ जुड़ने का भी अवसर मिला है। इस बड़ी उपलब्धि और विकास के कामों के लिए जम्मू- कश्मीर को बहुत-बहुत बधाई !

यहां मंच पर आने से पहले मैं यहां के पंचायत के सदस्‍यों के साथ बैठा था। उनके सपने, उनके संकल्‍प और उनके नेक इरादे मैं महसूस कर रहा था। और मुझे खुशी तब हुई कि मैं दिल्‍ली के लालकिले पर से 'सबका प्रयास' ये बोलता हूं। लेकिन आज जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती ने, पल्‍ली के नागरिकों ने 'सबका प्रयास' क्‍या होता है, ये मुझे करके दिखाया है। यहां के पंच-सरपंच मुझे बता रहे थे कि जब यहां मैं ये कार्यक्रम का आयोजन तय हुआ तो सरकार के लोग आते थे, कॉन्ट्रैक्टर्स आते थे सब बनाने वाले, अब यहां तो कोई ढाबा नहीं है, यहां तो कोई लंगर नहीं चलता है, ये लोग आ रहे हैं तो उनको खाने का क्‍या करें। तो मुझे यहां के पंच-सरपंच ने बताया कि हर घर से, कोई घर से 20 रोटी, कहीं 30 रोटी इखट्ठी करते थे और पिछले 10 दिन से यहां जो भी लोग आए हैं सबको गांव वालों ने खाना खिलाया है। 'सबका प्रयास' क्‍या होता है ये आप लोगों ने दिखा दिया है। मैं हृदय से यहां के सभी मेरे गांववासियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

भाइयों और बहनों,

इस बार का पंचायती राज दिवस, जम्मू कश्मीर में मनाया जाना, एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। ये बहुत ही गर्व की बात है, कि जब लोकतंत्र जम्मू कश्मीर में ग्रास रूट तक पहुंचा है, तब यहां से मैं देशभर की पंचायतों से संवाद कर रहा हूं। हिन्‍दुस्‍तान में पंचायती राज व्‍यवस्‍था लागू हुई, बहुत ढोल पीटे गए, बड़ा गौरव भी किया गया और वो गलत भी नहीं था। लेकिन एक बात हम भूल गए, वैसे तो कहा करते थे हम कि भारत में पंचायती राज व्‍यवस्‍था लागू की गई है लेकिन देशवासियों को पता होना चाहिए कि ये इतनी अच्‍छी व्‍यवस्‍था होने के बावजूद भी मेरे जम्‍मू-कश्‍मीर के लोग उससे वंचित थे, यहां नहीं था। दिल्‍ली में आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया और पंचायती राज व्‍यवस्‍था जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर लागू हो गई। अकेले जम्‍मू-कश्‍मीर के गांवों में 30 हजार से ज्‍यादा जनप्रतिनिधि चुन करके आए हैं और वो आज यहां का कारोबार चला रहे हैं। यही तो लोकतंत्र की ताकत होती है। पहली बार त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और डीडीसी के चुनाव यहां शांतिपूर्ण तरीके से संपन्‍न हुए और गांव के लोग गांव का भविष्‍य तय कर रहे हैं।

साथियों,

बात डेमोक्रेसी की हो या संकल्‍प डेवलपमेंट का हो, आज जम्मू कश्मीर पूरे देश के लिए एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। बीते 2-3 सालों में जम्मू कश्मीर में विकास के नए आयाम बने हैं। केंद्र के लगभग पौने 2 सौ कानून, जो जम्‍मू के नागरिकों को अधिकार देते थे, वो लागू नहीं किए जाते थे। हमने जम्‍मू-कश्‍मीर के हर नागरिक को empower करने के लिए उन कानूनों को लागू कर दिया और आपको ताकतवर बनाने का काम कर दिया। जिनका सबसे अधिक लाभ यहां की बहनों को हुआ, यहां की बेटियों को हुआ है, यहां के गरीब को, यहां के दलित को, यहां के पीड़ित को, यहां के वंचित को हुआ है।

आज मुझे गर्व हो रहा है कि आजादी के 75 साल के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर के मेरे वाल्मीकि समाज के भाई-बहन हिन्‍दुस्‍तान के नागरिकों की बराबरी में आने का कानूनी हक प्राप्‍त कर सके हैं। दशकों-दशक से जो बेड़ियां वाल्मीकि समाज के पांव में डाल दी गई थीं, उनसे अब वो मुक्त हो चुका है। आजादी के सात दशक के बाद उसको आजादी मिली है। आज हर समाज के बेटे-बेटियां अपने सपनों को पूरा कर पा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में बरसों तक जिन साथियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। आज बाबा साहेब की आत्‍मा जहां भी होगी, हम सबको आशीर्वाद देती होगी कि हिन्‍दुस्‍तान का एक कोना इससे वंचित था, मोदी सरकार ने आ करके बाबा साहेब के सपनों को भी पूरा किया हैं । केंद्र सरकार की योजनाएं अब यहां तेज़ी से लागू हो रही हैं, जिसका सीधा फायदा जम्मू कश्मीर के गांवों को हो रहा है। एलपीजी गैस कनेक्शन हो, बिजली कनेक्शन हो, पानी कनेक्शन हो, स्वच्छ भारत अभियान के तहत टॉयलेट्स हों, इसका बड़ा लाभ जम्मू कश्मीर को मिला है।

साथियों,

आज़ादी के अमृतकाल यानि आने वाले 25 साल में नया जम्मू कश्मीर, विकास की नई गाथा लिखेगा। थोड़ी देर पहले UAE से आए एक डेलीगेशन से बातचीत करने का अवसर मुझे मिला है। वो जम्मू कश्मीर को लेकर बहुत उत्साहित हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, आजादी के 7 दशकों के दरमियान जम्मू कश्मीर में मात्र 17 हज़ार करोड़ रुपए का ही प्राइवेट इन्वेस्टमेंट हो पाया था। सात दशक में 17 हजार, और पिछले दो साल के भीतर-भीतर ये आंकड़ा 38 हज़ार करोड़ रुपए पर पहुंचा है। 38 हजार करोड़ रुपये यहां इन्‍वेस्‍टमेंट के लिए प्राइवेट कंपनियां आ रही हैं।

साथियों,

आज केंद्र से भेजी पाई-पाई भी यहां ईमानदारी से लग रही है और इन्वेस्टर भी खुले मन से पैसा लगाने आ रहे हैं। अभी मुझे हमारे मनोज सिन्‍हा जी बता रहे थे कि तीन साल पहले यहां के जिलों के हाथ में, पूरे राज्‍य में पांच हजार करोड़ रुपया ही उनके नसीब होता था और उसमें लेह-लद्दाख सब आ जाता था। उन्‍होंने कहा- छोटा सा राज्‍य है, आबादी कम है। लेकिन पिछले दो साल में जो गति आई है, इस बार बजट में जिलों के पास 22 हजार करोड़ रुपये सीधे-सीधे पंचायतों के पास विकास के लिए दिए जा रहे हैं व इतने छोटे राज्‍य में ग्रास रूट लेवल के डेमोक्रेटिक सिस्‍टम के द्वारा विकास के काम के लिए कहां 5 हजार करोड़ और कहां 22 हजार करोड़ रुपये, ये काम हुआ है भाइयो।

आज मुझे खुशी है, रतले पावर प्रोजेक्ट और क्वार पावर प्रोजेक्ट जब बनकर तैयार होंगे, तो जम्मू कश्मीर को पर्याप्त बिजली तो मिलेगी ही, जम्‍मू-कश्‍मीर के लिए एक कमाई का बहुत बड़ा नया क्षेत्र खुलने वाला है जो जम्‍मू-कश्‍मीर को नई आर्थिक ऊंचाइयों की ओर ले जाएगा। अब देखिए, कभी दिल्ली से एक सरकारी फाइल चलती थी, जरा मेरी बात समझना। दिल्‍ली से एक सरकारी फाइल चलती थी तो जम्‍मू-कश्‍मीर पहुंचते-पहुंचते दो-तीन हफ्ते लग जाते थे। मुझे खुशी है कि आज 500 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट सिर्फ 3 हफ्ते के भीतर यहां लागू हो जाता है, बिजली पैदा करना शुरू करता है। पल्ली गांव के सभी घरों में अब सोलर बिजली पहुंच रही है। ये ग्राम ऊर्जा स्वराज का भी बहुत बड़ा उदाहरण बना है। काम के तौर-तरीकों में यही बदलाव जम्मू-कश्मीर को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

साथियों,

मैं जम्‍मू–कश्‍मीर के नौजवानों को कहना चाहता हूं, ''साथियो मेरे शब्‍दों पर भरोसा कीजिए। घाटी के नौजवान, आपके माता-पिता को, आपके दादा-दादी को, आपके नाना-नानी को जिन मुसीबतों से जिंदगी जीनी पड़ी, मेरे नौजवान आपको भी भी ऐसी मुसीबतों से जिंदगी जीनी नहीं पड़ेगी, ये मैं करके दिखाऊंगा ये मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं'' I बीते 8 सालों में एक भारत, श्रेष्ठ भारत के मंत्र को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार ने दिन रात काम किया है। जब मैं एक भारत, श्रेष्ठ भारत की बात करता हूं, तब हमारा फोकस कनेक्टिविटी पर भी होता है, दूरियां मिटाने पर भी होता है। दूरियां चाहे दिलों की हो, भाषा-व्यवहार की हो या फिर संसाधनों की, इनको दूर करना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। जैसे हमारे डोगरों के बारे में लोक संगीत में कहते हैं- मिट्ठड़ी ऐ डोगरें दी बोली, ते खंड मिट्ठे लोक डोगरे I ऐसी ही मिठास, ऐसी ही संवेदनशील सोच देश के लिए एकता की ताकत बनती है और दूरियां भी कम होती हैं।

भाइयों और बहनों,

हमारी सरकार के प्रयास से अब बनिहाल- काज़ीगुंड टनल से जम्मू और श्रीनगर की दूरी 2 घंटे कम हो गई। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला को लिंक करने वाला आकर्षक आर्क ब्रिज भी जल्द देश को मिलने वाला है। दिल्ली-अमृतसर-कटरा हाईवे भी दिल्ली से मां वैष्णो के दरबार की दूरी को बहुत कम करने वाला है। और वो दिन दूर नहीं होगा जब कन्‍याकुमारी की दूरी वैष्‍णों देवी से एक सड़क से मिलने वाले हैं। जम्मू कश्मीर हो, लेह-लद्दाख हो, हर तरफ से ये कोशिश की जा रही है कि जम्मू कश्मीर के ज्यादातर हिस्से 12 महीने देश से कनेक्टेड हों।

सरहदी गांवों के विकास के लिए भी हमारी सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है। हिन्‍दुस्‍तान भर की सरहदों के आखिरी गांव के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना इस बार बजट में मंजूर की गई है। उसका लाभ हिन्‍दुस्‍तान के सभी आखिरी गांवों को जो सीमा पर सटे हुए हैं, वो वाइब्रेंट विलेज के तहत मिलेगा। इसका अधिक फायदा पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर को भी मिलने वाला है।

साथियों,

आज जम्मू कश्मीर सबका साथ, सबका विकास का भी एक उत्तम उदाहरण बनता जा रहा है। राज्य में अच्छे औऱ आधुनिक अस्पताल हों, ट्रांसपोर्ट के नए साधन हों, उच्च शिक्षा के संस्थान हों, यहां के युवाओं को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को लागू किया जा रहा है। विकास और विश्वास के बढ़ते माहौल में जम्मू कश्मीर में टूरिज्म फिर से फलने लगा है। मुझे बताया गया है कि अगले जून-जुलाई तक यहां के सारे पर्यटन स्थल बुक हो चुके हैं, जगह मिलना मु‍श्किल हो गया है। पिछले कई बरसों में जितने पर्यटक यहां पर नहीं आए उतने कुछ ही महीनों में यहां आ रहे हैं।

साथियों,

आज़ादी का ये अमृतकाल भारत का स्वर्णिम काल होने वाला है। ये संकल्प सबका प्रयास से सिद्ध होने वाला है। इसमें लोकतंत्र की सबसे ज़मीनी ईकाई, ग्राम पंचायत की, आप सभी साथियों की भूमिका बहुत अहम है। पंचायतों की इसी भूमिका को समझते हुए, आज़ादी के अमृत महोत्सव पर अमृत सरोवर अभियान की शुरुआत हुई है। आने वाले 1 साल में, अगले वर्ष 15 अगस्त तक हमें हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर तैयार करने हैं, हर जिले में 75 अमृत सरोवर।

हमें ये भी प्रयास करना है कि इन सरोवरों के आसपास नीम, पीपल, बरगद आदि के पौधे उस इलाके के शहीदों के नाम पर लगाएं। और कोशिश ये भी करनी है कि जब ये अमृत सरोवर का आरंभ करते हो, शिलान्यास करते हो तो वो शिलान्‍यास भी किसी न किसी शहीद के परिवार के हाथों से, किसी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के हाथों से कराएं और आजादी के लिए ये अमृत सरोवर के अभियान को हम एक गौरवपूर्ण पृष्‍ठ के रूप में जोड़ें।

भाइयों और बहनों,

बीते सालों में पंचायतों को अधिक अधिकार, अधिक पारदर्शिता और टेक्नॉलॉजी से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। ई-ग्राम-स्वराज अभियान से पंचायत से जुड़ी प्लानिंग से लेकर पेमेंट तक की व्यवस्था को जोड़ा जा रहा है। गांव का सामान्य लाभार्थी अब अपने मोबाइल फोन पर ये जान सकता है कि पंचायत में कौन सा काम हो रहा है, उसका स्टेटस क्या है, कितना बजट खर्च हो पा रहा है। पंचायत को जो फंड मिल रहे हैं, उनके ऑडिट की ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। Citizen’s Charter campaign के ज़रिए राज्यों और ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वो जन्म प्रमाण पत्र, शादी के सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी से जुड़े अनेक विषयों को ग्राम पंचायत के स्तर पर ही हल कर दें। स्वामित्व योजना से ग्राम पंचायतों के लिए प्रॉपर्टी टैक्स की असेसमेंट आसान हो गई है, जिसका लाभ कई ग्राम पंचायतों को हो रहा है।

कुछ दिन पहले ही पंचायतों में ट्रेनिंग के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी के उपयोग से जुड़ी नई नीति को भी स्वीकृति दी गई है। इसी महीने 11 से 17 अप्रैल तक पंचायतों के नवनिर्माण के संकल्प के साथ आइकॉनिक वीक का आयोजन भी किया गया ताकि गांव-गांव तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का काम हो सके। सरकार का संकल्प ये है कि गांवों में हर व्यक्ति, हर परिवार के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे हर पहलू का विकास सुनिश्चित हो। सरकार की कोशिश यही है कि गांव के विकास से जुड़े हर प्रोजेक्ट को प्लान करने, उसके अमल में पंचायत की भूमिका ज्यादा हो। इससे राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में पंचायत अहम कड़ी बनकर उभरेगी।

साथियों,

पंचायतों को ज्यादा अधिकार देने का लक्ष्य पंचायतों को सही मायने में, सशक्तिकरण का सेंटर बनाने का है। पंचायतों की बढ़ती हुई शक्ति, पंचायतों को मिलने वाली राशि गांव के विकास को नई ऊर्जा दे, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। पंचायती राज व्यवस्था में बहनों की भागीदारी को और बढ़ाने पर भी हमारी सरकार का बहुत जोर है।

भारत की बहनें-बेटियां क्या कर सकती हैं, ये कोरोना काल के दुनिया भर में भारत के अनुभव ने विश्‍व को बहुत कुछ सिखाया है। आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कैसे ट्रैकिंग से लेकर टीकाकरण तक, छोटे-छोटे हर काम को करके कोरोना के खिलाफ की लड़ाई को मजबूती देने का काम हमारी बेटियों ने किया है, हमारी माताओं-बहनों ने किया है।

गांव के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ा नेटवर्क महिला शक्ति से ही अपनी ऊर्जा पा रहा है। महिला स्वयं सहायता समूह, गांवों में आजीविका के, जनजागरण के नए आयाम गढ़ रहे हैं। पानी से जुड़ी व्यवस्थाएं, हर घर जल अभियान में भी जो महिलाओं की भूमिका तय की गई है, उसको हर पंचायत तेज़ी से व्यवस्थित करे, ये बहुत आवश्यक है।

मुझे बताया गया है कि अभी तक 3 लाख पानी समितियां पूरे देश में बन चुकी हैं। इन समितियों में 50 प्रतिशत महिलाएं होना अनिवार्य है, 25 प्रतिशत तक समाज के कमज़ोर तबके के सदस्य हों, ये भी सुनिश्चित होना जरूरी है। अब गांव में नल से जल तो पहुंच रहा है, लेकिन साथ-साथ इसकी शुद्धता, इसकी निरंतर सप्लाई, इसको सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को ट्रेन करने का काम भी पूरे देश में चल रहा है, लेकिन मैं चाहूंगा कि उसमें तेजी जरूरी है। अभी तक 7 लाख से अधिक बहनों को, बेटियों को पूरे देश में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। लेकिन मुझे इस दायरे को भी बढ़ाना है, गति को भी बढ़ाना है। मेरा आज देश भर की पंचायतों से आग्रह है कि जहां अभी ये व्यवस्था नहीं हुई है, वहां इसको जल्द से जल्द लागू किया जाए।

गुजरात में लंबे अरसे तक मैं मुख्‍यमंत्री रहा और मैंने अनुभव किया है कि जब मैंने गुजरात में पानी का काम महिलाओं के हाथ में दिया, गांवों में पानी की व्‍यवस्‍था की चिंता महिलाओं ने इतनी बखूबी की, क्‍योंकि पानी न होने का मतलब क्‍या होता है, वो महिलाएं ज्‍यादा समझती हैं। और बड़ी संवेदनशीलता के साथ, जिम्‍मेदारी के साथ काम किया। और इसलिए मैं उस अनुभव के आधार पर कहता हूं मेरे देश की सारी पंचायतें पानी के इस काम में जितना ज्‍यादा महिलाओं को जोड़ेंगी, जितना ज्‍यादा महिलाओं की टेनिंग करेंगे, जितना ज्‍यादा महिलाओं पर भरोसा करेंगे, मैं कहता हूं पानी की समस्‍या का समाधान उतना ही जल्‍दी होगा, मेरे शब्‍दों पर विश्‍वास कीजिए, हमारी माताओं-बहनों की शक्ति पर भरोसा कीजिए। गांव में हर स्तर पर बहनों-बेटियों की भागीदारी को हमें बढ़ाना है, उन्हें प्रोत्साहन देना है।

भाइयों और बहनों,

भारत की ग्राम पंचायतों के पास फंड्स और रैवेन्यु का एक लोकल मॉडल भी होना जरूरी है। पंचायतों के जो संसाधन हैं उनका कमर्शियली कैसे उपयोग किया जा सकता है, इसके बारे में ज़रूर प्रयास होना चाहिए। अब जैसे, कचरे से कंचन, गोबरधन योजना या हम कहें प्राकृतिक खेती की योजना। और इन सारी चीजों से धन की संभावनाएं बढ़ेंगी, नए कोष बनाए जा सकते हैं। बायोगैस, बायो-सीएनजी, जैविक खाद, इसके लिए छोटे-छोटे प्लांट भी लगें, इससे भी गांव की आय बढ़ सकती है, इसके लिए कोशिश करनी चाहिए। और इसके लिए कचरे का बेहतर मैनेजमेंट ज़रूरी है।

मैं आज गांव के लोगों से, पंचायत के लोगों से आग्रह करूंगा कि दूसरे NGO's के साथ मिल करके, और संगठनों के साथ मिल करके आपको रणनीति बनानी होगी, नए-नए संसाधन विकसित करने होंगे। इतना ही नहीं, आज हमारे देश में ज्‍यादातर राज्‍यों में 50 प्रतिशत बहनें प्रतिनिधि हैं। कुछ राज्‍यों में 33 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। मैं खास आग्रह करूंगा घरों से जो कचरा निकलता है गीला और सूखा, ये अलग घर में ही करने की आदत डाल दी जाए। उसको अलग करके चलें, आप देखिए वो भी, वो कचरा आपके यहां सोने की तरह काम आना शुरू हो जाएगा। इस अभियान को गांव के स्‍तर पर मुझे चलाना है और मैं आज देशभर के पंचायत के लोग मेरे से जुड़े हुए हैं तो मैं इसका भी आग्रह करूंगा।

साथियों,

पानी का सीधा संबंध हमारी खेती से है, खेती का संबंध हमारे पानी की क्वालिटी से भी है। जिस प्रकार के कैमिकल हम खेतों में डाल रहे हैं और उससे हमारी धरती माता की सेहत को बर्बाद कर रहे हैं, हमारी मिट्टी खराब हो रही है। और जब पानी, वर्षा का पानी भी नीचे उतरता है, तो वो कैमिकल ले करके नीचे जाता है और वही पानी हम पीते हैं, हमारे पशु पीते हैं, हमारे छोटे-छोटे बच्‍चे पीते हैं। बीमारियों की जड़ें हम ही लगा रहे हैं और इसलिए हमें अपनी इस धरती मां को कैमिकल से मुक्त करना ही होगा, कैमिकल फर्टिलाइजर से मुक्‍त करना होगा। और इसके लिए प्राकृतिक खेती की तरफ हमारा गांव, हमारा किसान बढ़ेगा तो पूरी मानवता को लाभ होगा। ग्राम पंचायत के स्तर पर कैसे प्राकृतिक खेती को हम प्रोत्साहित कर सकते हैं, इसके लिए भी सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

भाइयों और बहनों,

प्राकृतिक खेती का सबसे अधिक लाभ अगर किसी को होगा तो वो मेरे छोटे किसान भाइयों-बहनों को होने वाला है। इनकी आबादी देश में 80 प्रतिशत से अधिक है। जब कम लागत में अधिक फायदा होगा, तो ये छोटे किसानों के लिए बहुत प्रोत्साहन देगा। बीते सालों में केंद्र सरकार की नीतियों का सबसे अधिक लाभ हमारे इन छोटे किसान को हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से हज़ारों करोड़ रुपए इसी छोटे किसान के काम आ रहे हैं। किसान रेल के माध्यम से छोटे किसान के फल-सब्जियां भी पूरे देश के बड़े बाज़ारों तक कम कीमत में पहुंच पा रही हैं। FPO यानि किसान उत्पादक संघों के गठन से भी छोटे किसानों को बहुत ताकत मिल रही है। इस साल भारत ने विदेशों को रिकॉर्ड फल-सब्जियां एक्सपोर्ट की हैं, तो इसका एक बड़ा लाभ भी देश के छोटे-छोटे किसानों को हो रहा है।

साथियों,

ग्राम पंचायतों को सबको साथ लेकर एक और काम भी करना होगा। कुपोषण से, एनीमिया से, देश को बचाने का जो बीड़ा केंद्र सरकार ने उठाया है उसके प्रति ज़मीन पर लोगों को जागरूक भी करना है। अब सरकार की तरफ से जिन योजनाओं में भी चावल दिया जाता है, उसको फोर्टिफाई किया जा रहा है, पोषण युक्त किया जा रहा है। ये फोर्टिफाइड चावल स्वास्थ्य के लिए कितना आवश्यक है, इसको लेकर जागरूकता फैलाना हम सभी का दायित्व है। आज़ादी के अमृत महोत्सव में हमारी बहनों-बेटियों-बच्चों को कुपोषण से, एनीमिया से मुक्त करने के संकल्प हमें लेना है और जब तक इच्छित परिणाम मिलता नहीं है, सिद्धि प्राप्‍त नहीं होती है, मानतवा के इस काम को हमें छोड़ना नहीं है, लगे रहना है और कुपोषण को हमें हमारी धरती से विदाई देनी है।

भारत का विकास वोकल फॉर लोकल के मंत्र में छिपा है। भारत के लोकतंत्र के विकास की ताकत भी लोकल गवर्नेंस ही है। आपके काम का दायरा भले ही लोकल है, लेकिन इसका सामूहिक प्रभाव वैश्विक होने वाला है। लोकल की इस ताकत को हमें पहचानना है। आप अपनी पंचायत में जो भी काम करेंगे, उससे देश की छवि और निखरे, देश के गांव और सशक्त हों, यही मेरी आज पंचायत दिवस पर आप सबसे कामना है।

एक बार फिर जम्मू कश्मीर को विकास कार्यों के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और देशभर में लाखों की तादाद में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को मैं कहना चाहूंगा पंचायत हो या पालिर्यामेंट, कोई काम छोटा नहीं है। अगर पंचायत में बैठ करके मैं मेरे देश को आगे ले जाऊंगा, इस संकल्‍प से पंचायत को आगे बढ़ाएंगे तो देश को आगे बढ़ने में देर नहीं होगी। और मैं आज पंचायत स्‍तर पर चुने हुए प्रतिनिधियों का उत्‍साह देख रहा हूं, उमंग देख रहा हूं, संकल्‍प देख रहा हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी पंचायत राज व्‍यवस्‍था भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने का एक सशक्‍त माध्‍यम बनेगी। और उन शुभकामनाओं के साथ मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और धन्‍यवाद देता हूं।

मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद !!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।