शहरीकरण को एक चुनौती के रूप में नहीं, बल्कि देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाने के अवसर के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए : प्रधानमंत्री
2014 में जब हमारी सरकार बनी, उस समय सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है : प्रधानमंत्री
आज तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करके देश की ताकत को बढ़ाया जा रहा है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत को मजबूत किया जा रहा है : प्रधानमंत्री
मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है और विदेशी मुद्रा बचती है : प्रधानमंत्री
विभिन्न प्रकार के मेट्रो- RRTS, MetoLite, MetroNeo और Water Metro पर कार्य किया जा रहा है: प्रधानमंत्री

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी, DMRC के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री मंगू सिंह जी, देश में चल रही मेट्रो परियोजनाओं के वरिष्ठ पदाधिकारी गण, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

मुझे आज से लगभग तीन साल पहले मैजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था। आज फिर, इसी रूट पर देश की पहली पूरी तरह से Automated Metro, जिसको हम बोलचाल की भाषा में 'ड्राइवरलेस मेट्रो' भी कहते हैं, इसका उद्घाटन करने का अवसर मिला। ये दिखाता है कि भारत कितनी तेज़ी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज National Common Mobility Card, इससे भी दिल्ली मेट्रो जुड़ रही है। पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में हो रहा है। आज का ये आयोजन Urban development को urban ready और future ready करने का प्रयास है।

साथियों,

भविष्य की जरूरतों के लिए देश को आज तैयार करना, आज काम करना, ये गवर्नेंस का अहम दायित्व है। लेकिन कुछ दशक पहले जब शहरीकरण- urbanization का असर और urbanization का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था, उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा। भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम होता था, भ्रम की स्थिति बनी रहती थी। उस समय तेजी से शहरीकरण हो रहा है, लेकिन इसके After Effects से निपटने के लिए हमारे शहरों को उतनी तेजी से तैयार नहीं किया गया। परिणाम ये हुआ कि देश के बहुत से हिस्सों में शहरी Infrastructure की मांग और पूर्ति में बहुत ज्यादा अंतर आ गया।

साथियों,

इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम Ease of Living बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है। देश में मेट्रो रेल का निर्माण भी इसका एक उदाहरण है। दिल्ली में ही मेट्रो की चर्चा बरसों तक चली। लेकिन पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से। यहां जो मेट्रो सर्विस के इतने experts इस कार्यक्रम में जुड़े हैं। वो भी इसे भली-भांति जानते हैं कि मेट्रो निर्माण की क्या स्थिति थी।

साथियों,

साल 2014 में जब हमारी सरकार बनी, उस समय सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं। साल 2014 में मेट्रो पर सवारी करने वालों की संख्या 17 लाख प्रतिदिन थी। अब ये संख्या पांच गुना बढ़ गयी है। अब 85 लाख लोग हर दिन मेट्रो से सवारी करते हैं। याद रखिए ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं ये करोड़ों भारतीयों के जीवन में आ रही Ease of Living के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने Infrastructure नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य हैं।

साथियों,

आखिर ये परिवर्तन, ये बदलाव आया कैसे? ब्यूरोक्रेसी वही है, लोग वही हैं, फिर कैसे इतना तेज काम हुआ? इसकी वजह यही रही कि हमने शहरीकरण को चुनौती नहीं बल्कि अवसर के रुप देखा। हमारे देश में पहले कभी मेट्रो को लेकर कोई नीति ही नहीं थी। कोई नेता कहीं वायदा कर आता था, कोई सरकार किसी को संतुष्ट करने के लिए मेट्रो का ऐलान कर देती थी। हमारी सरकार ने इस helotism से बाहर आ करके मेट्रो के संबंध में पॉलिसी भी बनाई और उसे चौतरफा रणनीति के साथ लागू भी किया। हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया Make In India के ज्यादा से ज्यादा विस्तार पर, हमने जोर दिया आधुनिक technology के उपयोग पर।

साथियों,

आप में से अधिकांश लोग जानते हैं कि देश के अलग-अलग शहरों की अलग आवश्यकताएं, आकांक्षाएं और चुनौतियां अलग-अलग होती हैं। अगर हम एक ही फिक्स मॉडल बनाकर मेट्रो रेल का संचालन करते तो तेजी से विस्तार संभव ही नहीं था। हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरुरतों और वहां की professional lifestyle के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग-अलग शहरो में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं- RRTS यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम- दिल्ली मेरठ RRTS का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा।

मेट्रो लाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रो लाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। मेट्रो नियो - जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है। जिन शहरों में बड़ी वाटर बॉडीज हैं वहां के लिए अब वॉटर मेट्रो पर काम किया जा रहा है। इससे शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही, उनके पास मौजूद द्वीपों के लोगों को Last Mile connectivity का लाभ मिल सकेगा। कोच्चि में यह काम तेजी से चल रहा है। और

साथियों,

हमें ये भी ध्यान रखना है कि मेट्रो आज सिर्फ सुविधा संपन्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट का माध्यम भर नहीं है। ये प्रदूषण कम करने का भी बहुत बड़ा ज़रिया है। मेट्रो नेटवर्क के कारण सड़क से हज़ारों वाहन कम हुए हैं, जो प्रदूषण का और जाम का कारण बनते थे।

साथियों,

मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया भी उतना ही महत्वपूर्ण है। Make In India से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से जहां भारतीय Manufacturers को फायदा हुआ है वहीं हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है।

साथियों,

आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया Metro Components के निर्माण में जुटी हैं। इससे Make in India के साथ ही, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।

साथियों,

आधुनिक से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल ये समय की मांग है। अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा है। हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत उर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा। Artificial Intelligence से लैस प्लैटफॉर्म्स और स्क्रीनिंग दरवाजे, इन आधुनिक तकनीकों पर भी काम तेजी से चल रहा है।

साथियों,

आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय स्तर पर Common Mobility Card इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। कॉमन मोबिलिटी कार्ड का लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी public transport से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको integrated access देगा। यानी, एक कार्ड ही हर जगह के लिए पर्याप्त है। ये हर जगह चलेगा।

साथियों,

मेट्रो में सफर करने वाले जानते हैं, किस तरह अक्सर सिर्फ एक टोकन लेने के लिए कितनी कितनी देर लाइन में लगे रहना होता था। दफ्तर या कॉलेज पहुँचने में देर हो रही है, और ऊपर से टिकट की परेशानी। मेट्रो से उतर भी गए तो बस का टिकट! आज जब हर किसी के पास समय की कमी है तो रास्तों में समय नहीं गंवाया जा सकता। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ऐसी दिक्कतें अब देश के लोगों के सामने रुकावट न बनें, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।

साथियों,

देश के सामर्थ्य और संसाधनों का देश के विकास में सही इस्तेमाल हो, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। आज तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करके देश की ताकत को बढ़ाया जा रहा है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत को मजबूत किया जा रहा है। वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड की तरह ही बीते वर्षों में हमारी सरकार ने देश की व्यवस्थाओं का एकीकरण करने के लिए अनेक काम किए हैं। One Nation, One Fast tag से देशभर के highway पर travel seamless हुआ है। अनावश्यक रोकटोक रुकी है। जाम से मुक्ति मिली है, देश का समय और देरी से होने वाला नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन टैक्स यानि GST से देशभर में टैक्स का जाम समाप्त हुआ है, डायरेक्‍ट टैक्स से जुड़ी व्यवस्था एक जैसी हुई है। One Nation, One Power Grid से देश के हर हिस्से में पर्याप्त और निरंतर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।

बिजली का नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन गैस ग्रिड, इससे समंदर से दूर देश के उन हिस्सों की Seamless Gas Connectivity सुनिश्चित हो रही है, जहां गैस आधारित जीवन और अर्थव्यवस्था पहले सपना हुआ करता था। वन नेशन, वन हेल्थ एश्योरेंस स्कीम यानि आयुष्मान भारत से देश के करोड़ों लोग एक राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं भी इसका लाभ ले रहे हैं। One Nation, One Ration Card, इससे भी एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशनकार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। एक राशनकार्ड से पूरे देश में कहीं भी सस्ते राशन की सुविधा संभव हो पाई है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और e-NAM जैसी व्यवस्थाओं से One Nation, One Agriculture Market की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

देश का हर छोटा-बड़ा शहर, 21वीं सदी के भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा सेंटर होने वाला है। हमारी दिल्ली तो देश की राजधानी भी है। आज जब 21वीं सदी का भारत दुनिया में नई पहचान बना रहा है, तो हमारी राजधानी में वो भव्यता रिफ्लेक्ट होनी चाहिए। इतना पुराना शहर होने की वजह से इसमें चुनौतियां ज़रूर हैं लेकिन इन चुनौतियों के साथ ही हमें इसको आधुनिकता की नई पहचान देनी है। इसलिए आज दिल्ली को आधुनिक स्वरूप देने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली में electric mobility को बढ़ाने के लिए सरकार ने इनकी खरीद पर टैक्स में भी छूट दी है।

दिल्ली की सैकड़ों कॉलोनियों का नियमितिकरण हो या फिर झुग्गियों में रहने वाले परिवारों को बेहतर आवास देने के प्रयास। दिल्ली की पुरानी सरकारी इमारतों को आज की ज़रूरत के अनुसार Environmental Friendly बनाया जा रहा है। जो पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है उसको आधुनिक टेक्नॉलॉजी आधारित Infrastructure से बदला जा रहा है।

साथियों,

दिल्ली में पुराने टूरिज्ट डेस्टिनेशंस के अलावा 21वीं सदी के नए आकर्षण भी हों, इसके लिए काम जारी है। दिल्ली, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस, International Exhibition, इंटरनेशनल बिजनेस टूरिज्म का अहम सेंटर होने वाला है। इसके लिए द्वारका में देश का सबसे बड़ा सेंटर बन रहा है। इसी तरह एक ओर जहां नई संसद भवन के निर्माण का काम शुरू हुआ है, वहीं एक बहुत बड़े भारत वंदना पार्क को भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे हर काम से दिल्ली वालों के लिए हज़ारों रोज़गार भी बन रहे हैं और शहर की तस्वीर भी बदल रही है।

दिल्ली 130 करोड़ से अधिक आबादी की, दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत की राजधानी है, उसी भव्यता के दर्शन यहां होने चाहिए। मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर काम करते हुए, दिल्ली का नागरिकों का जीवन और बेहतर बनाएंगे, दिल्ली को और आधुनिक बनाएंगे।

एक बार फिर नई सुविधाओं के लिए मैं देश को भी और दिल्लीवासियों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

धन्यवाद !

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.