लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया
"अमृत काल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम"
"पिछले दो दशकों में गुजरात ने राज्य में शिक्षा प्रणाली को बदला"
"गुजरात हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अनोखे और बड़े प्रयोगों का हिस्सा रहा"
" राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए पीएम-श्री स्कूल मॉडल स्कूल होंगे"
"नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और प्रतिभा व नवाचार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है"
"अंग्रेजी भाषा को बुद्धिमत्ता के उपाय के रूप में लिया गया था, इसने ग्रामीण प्रतिभा पूल के दोहन में बाधा उत्पन्न की"
"शिक्षा, पुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है"
"21वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित अधिकांश नवाचार भारत में होंगे"
"गुजरात एक नवाचार केंद्र के रूप में देश के ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है"
"भारत के पास दुनिया की एक महान ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने की अपार संभावनाएं हैं"

नमस्‍ते,

कैसे हो सभी। हां, अब कुछ जोश आया।

गुजरात के गवर्नर श्री आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, गुजरात सरकार के मंत्रीगण, शिक्षा जगत के सभी दिग्गज, गुजरात के होनहार विद्यार्थी मित्र, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज गुजरात अमृतकाल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की तरफ बहुत बड़ा कदम उठा रहा है। विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात के निर्माण की तरफ ये एक मील का पत्थर सिद्ध होने वाला है। Mission Schools of Excellence इसके शुभारंभ पर मैं सभी गुजरातवासियों को, सभी अध्यापकों को, सभी युवा साथियों को, इतना ही नहीं, आने वाली पीढ़ियों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हाल ही में देश ने मोबाइल और इंटरनेट की 5th generation यानी 5G के युग में प्रवेश किया है। हमने इंटरनेट की 1G से लेकर 4G तक की सेवाओं का उपयोग किया है। अब देश में 5G बड़ा बदलाव लाने वाला है। हर जेनरेशन के साथ सिर्फ स्पीड ही नहीं बढ़ी है, बल्कि हर जेनरेशन ने टेक्नॉलॉजी को जीवन के करीब-करीब हर पहलू से जोड़ा है।

साथियों,

इसी प्रकार हमने देश में स्कूलों की भी अलग-अलग जेनरेशन को देखा है। आज 5G, स्मार्ट सुविधाएं, स्मार्ट क्लासरूम, स्मार्ट टीचिंग से आगे बढ़कर हमारी शिक्षा व्यवस्था को Next Level पर ले जाएगा। अब वर्चुअल रियलिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इसकी ताकत को भी हमारे छोटे-छोटे बाल साथी, हमारे विद्यार्थी स्कूलों में बड़ी आसानी से अनुभव कर पाएंगे। मुझे खुशी है कि इसके लिए गुजरात ने इस Mission Schools of Excellence के तौर पर पूरे देश में बहुत बड़ा और महत्‍वपूर्ण और सबसे पहला कदम उठा दिया है। मैं भूपेंद्र भाई को, उनकी सरकार को, उनकी पूरी टीम को भी साधुवाद देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

बीते दो दशकों में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, वो अभूतपूर्व है। 20 साल पहले हालत ये थी कि गुजरात में 100 में से 20 बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे। यानी 5वां हिस्‍सा शिक्षा से बाहर रह जाता था। और जो बच्चे स्कूल जाते थे, उनमें से बहुत सारे बच्चे 8वीं तक पहुंचते-पहुंचते ही स्कूल छोड़ देते थे। और इसमें भी दुर्भाग्य था कि बेटियों की स्थिति तो और खराब थी। गांव के गांव ऐसे थे, जहां बेटियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। आदिवासी क्षेत्रों में जो थोड़े बहुत पढ़ाई के केंद्र थे, वहां साइंस पढ़ाने की सुविधाएं तक नहीं थीं। और मुझे खुशी है, मैं जीतू भाई को और उनकी टीम की कल्पना को विशेष रूप से बधाई देता हूं। शायद आप वहां से देख रहे थे, क्‍या हो रहा है मंच पर, समझ नहीं आया होगा। लेकिन मेरा मन करता है, मैं बता दूं।

अभी जो बच्चे मुझे मिले, वो वह बच्चे थे, जब 2003 में पहला स्कूल प्रवेशोत्सव किया था और मैं आदिवासी गांव में गया था। 40-45 डिग्री गर्मी थी। 13,14 और 15 जून के वह दिन थे और जिस गांव में बच्चों का सबसे कम शिक्षण था, और लड़कियों की सबसे कम शिक्षा थी, उस गांव में मैं गया था। और मैंने गांव में कहा था कि मैं भिक्षा मांगने आया हूं। और आप मुझे भिक्षा में वचन दीजिए, कि मुझे आपकी बालिका को पढ़ाना है, और आप अपनी लड़कियों को पढ़ायेंगे। और उससे पहले कार्यक्रम में जिन बच्चों की उंगली पकड़कर मैं स्कूल ले गया था, उन बच्चों का आज मुझे दर्शन करने का मौका मिला है। इस मौके पर मैं सबसे पहले उनके माता-पिता को वंदन करता हूं, क्योंकि उन्होंने मेरी बात को स्वीकारा। मैं स्कूल ले गया, परंतु उन्होंने उसके महात्मय को समझकर उन्होंने बच्चों को जितना पढ़ा सके, उतना पढ़ाया और आज वह खुद के पैर पर खड़े हुए मिले। मुझे इन बच्चों से मिलकर खासकर उनके माता-पिता को वंदन करने का मन होता है। और गुजरात सरकार जीतूभाई को बधाई देता हूं कि मुझे इन बच्चों से मिलने का आज अवसर मिला, जिसे पढ़ाने के लिए उंगली पकड़कर ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला था।

साथियों,

इन दो दशकों में गुजरात के लोगों ने अपने राज्य में शिक्षा व्यवस्था का कायाकल्प करके दिखा दिया है। इन दो दशकों में गुजरात में सवा लाख से अधिक नए क्लासरूम बने, 2 लाख से ज्यादा शिक्षक भर्ती किए गए। मुझे आज भी वो दिन याद है, जब शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवनी महोत्सव का आरंभ हुआ था। प्रयास ये था कि बेटा-बेटी जब पहली बार स्कूल जाएं तो उसे उत्सव की तरह मनाया जाए। परिवार में उत्‍सव हो, मोहल्ले में उत्‍सव हो, पूरे गांव में उत्‍सव हो, क्‍योंकि देश की नई पीढ़ी को हम शिक्षित और संस्‍कारित करने का आरंभ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने गांव-गांव जाकर खुद, सभी लोगों से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का आग्रह किया था और परिणाम ये हुआ है कि आज गुजरात में करीब-करीब हर बेटा-बेटी स्कूल पहुंचने लगा है, स्कूल के बाद अब कॉलेज जाने लगा है।

साथियों,

इसके साथ ही हमने शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सबसे ज्यादा बल दिया, Outcome पर बल दिया है। इसलिए हमने प्रवेशोत्सव के साथ-साथ गुणोत्सव की शुरुआत की थी। क्‍वालिटी एजुकेशन, मुझे अच्छी तरह याद है कि गुणोत्सव में, हर एक विद्यार्थी का, उसकी क्षमताओं का, उसकी रुचि का, उसकी अरुचि का विस्तार से आकलन किया जाता था, साथ-साथ शिक्षकों का भी आकलन होता था।

इस बहुत बड़े अभियान में स्कूली व्यवस्था के साथ-साथ हमारे ब्यूरोक्रेट्स, हमारे अधिकारी, Even पुलिस के अधिकारी, फॉरेस्‍ट के अधिकारी, वे भी तीन दिन के लिए गांव-गांव स्‍कूलों में जाते थे, हिस्‍सा बन जाते थे अभियान का।

औऱ मुझे बहुत खुशी है कि कुछ दिन पहले जब मैं गांधीनगर आया था, तो उस गुणोत्सव का एक बहुत ही Advanced, Technology Based Version, विद्या समीक्षा केंद्र के रूप में मुझे देखने को मिला। विद्या समीक्षा केंद्रों की आधुनिकता देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा। और हमारी भारत सरकार ने, हमारे शिक्षा मंत्री ने, देशभर के शिक्षा मंत्रियों को और शिक्षा विभाग के अधिकारियों यहां गांधीनगर बुलाया था। और सबके सब ये विद्या समीक्षा केंद्र को घंटों तक उसका अध्‍ययन करने में लगे रहे। और बाद में भी राज्‍यों से डेलिगेशन आते हैं और विद्या समीक्षा केंद्र का अध्‍ययन करके उस मॉडल को अपने राज्‍य में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। गुजरात इसके लिए भी अभिनंदन का अधिकारी है।

राज्य की पूरी स्कूली शिक्षा के पल-पल की जानकारी लेने के लिए ये एक केंद्रीय व्यवस्था बनाई गई है, एक अभिनव प्रयोग किया गया है। गुजरात के हज़ारों स्कूलों, लाखों शिक्षकों और करीब सवा करोड़ स्टूडेंट्स की यहां से समीक्षा की जाती है, उनको फीडबैक दिया जाता है। जो डेटा आता है, उसका बिग डेटा एनालिसिस, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वीडियो वॉल और ऐसी तकनीक से विश्लेषण किया जाता है। उसके आधार पर बच्चों को बेहतर प्रदर्शन के लिए आवश्यक सुझाव दिए जाते हैं।

साथियों,

गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में, हमेशा ही कुछ नया, कुछ Unique और बड़े प्रयोग करना, ये गुजरात के डीएनए में है, स्‍वभाव में है। गुजरात में पहली बार टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की स्थापना हमने की थी। Children University, दुनिया में एकमात्र यूनिवर्सिटी, और उस खेल महाकुंभ का अनुभव देखिए, उसके कारण सरकारी मशीनरी को जो काम करने की आदत बन गई, गुजरात के युवा धन की खेल के प्रति जो रुचि बनी, ये जो इको-सिस्‍टम तैयार हुआ, उसका परिणाम है जब आज बहुत सालों के बाद राष्‍ट्रीय खेल महोत्‍सव गुजरात में हुआ अभी पिछले सप्‍ताह। मैंने इतनी तारीफ सुनी है, क्‍योंकि मैं खिलाड़ियों के संपर्क में रहता हूं, उनकी कोचिंग के संपर्क में रहता हूं, ढेर सारी बधाईयां मुझे दे रहे हैं। मैंने कहा भाई, बधाइयां मुझे न दो आप गुजरात के मुख्‍यमंत्री और गुजरात सरकार को दीजिए, ये सारा उनका पुरुषार्थ है, उनका परिश्रम है, जिनके कारण इतना बड़ा देश का खेल उत्‍सव हुआ। और सारे खिलाड़ी कह रहे थे कि साहब हम अंतरराष्ट्रीय खेलों में जाते हैं और जो हम हॉस्पिटैलिटी और व्‍यवस्‍था देखते हैं, गुजरात ने उसी तरह से मन लगाकर योजनाएं बनाईं, हमारा स्‍वागत-सम्‍मान किया। मैं सचमुच में इस कार्यक्रम को सफल बना करके खेल जगत को गुजरात ने जिस प्रकार से प्रोत्‍साहित किया है, इस कार्यक्रम को host करके, जो एक नए standard पर स्‍थापित किए हैं, इसके लिए गुजरात ने देश की बहुत बड़ी सेवा की है। मैं गुजरात के सभी अधिकारियों को, गुजरात सरकार को, गुजरात के खेल जगत के सभी लोगों को हृदय से अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

एक दशक पहले ही गुजरात के 15 हज़ार स्कूलों में TV पहुंच चुका था। 20 हज़ार से ज्यादा स्कूलों में Computer aided learning labs, ऐसी अनेकों व्यवस्थाएं बहुत साल पहले ही गुजरात के स्कूलों का अभिन्न अंग बन गई थीं। आज गुजरात में 1 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स और 4 लाख से अधिक टीचर्स की ऑनलाइन अटेंडेंस होती है। नए प्रयोगों के इसी सिलसिले को जारी रखते हुए आज गुजरात के 20 हज़ार स्कूल, शिक्षा के 5G दौर में प्रवेश करने जा रहे हैं। Mission schools of excellence के तहत इन स्कूलों में 50 हज़ार नए क्लासरूम, एक लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूम, इनको आधुनिक रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों में आधुनिक डिजिटल और फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर तो होगा ही, ये बच्चों के जीवन, उनकी शिक्षा में व्यापक बदलाव का भी अभियान है। यहां बच्चों के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए हर पहलू, हर पक्ष पर काम किया जाएगा। यानी विद्यार्थी की ताकत क्या है, सुधार की गुंजाइश क्या है, इस पर फोकस किया जाएगा।

साथियों,

5G टेक्नॉलॉजी, इस व्‍यवस्‍था का लाभ बहुत आसान होने वाला है। और सरल शब्‍दों में किसी को समझाना है, सामान्‍य मानवी को ये लगता है कि पहले 2जी था, 4जी था, 5जी हुआ। ऐसा नहीं है, अगर 4जी को मैं साइकिल कहूं, बाइसिकिल कहूं तो 5जी हवाई जहाज है, इतना फर्क है। टेक्‍नोलॉजी को अगर मुझे गांव की भाषा में समझाना है, तो मैं ऐसा कहूंगा। 4जी मतलब साइकिल, 5जी मतलब आपके पास हवाई जहाज है, वो ताकत है इसमें।

अब गुजरात को बधाई इसलिए है कि उसने इस 5जी की ताकत को समझते हुए इस आधुनिक शिक्षा, इसका बहुत बड़ा मिशन excellency के लिए किया है, ये गुजरात के भाग्‍य को बदलने वाली चीज है। और इससे हर बच्चे को उसकी ज़रूरत के हिसाब से सीखने का मौका मिल पाएगा। इससे विशेष रूप से दूर-सुदूर के गांवों के स्कूलों की पढ़ाई में बहुत मदद मिलेगी। जहां दूर बेस्‍ट टीचर्स की जरूरत है, आराम से इससे उपलब्‍ध हो जाएगा। बेस्‍ट क्लास लेने वाला व्‍यक्ति हजारों किलोमीटर दूर होगा, ऐसा ही लगेगा, जैसे मेरे सामने बैठकर मुझे पढ़ा रहा है। हर विषय के बेस्ट कंटेंट हर किसी के पास पहुंच पाएंगे। अब जैसे अलग-अलग स्किल्स को सिखाने वाले श्रेष्ठ टीचर अब एक जगह से ही, अलग-अलग गांव-शहरों में बैठे बच्चों को एक ही समय में वर्चुअली रियल टाइम में पढ़ा सकेंगे, सिखा सकेंगे। इससे अलग-अलग स्कूलों में जो गैप अभी देखने को मिलता है, वो भी काफी हद तक दूर होगा।

आंगनबाड़ी और बाल वाटिका से लेकर करियर गाइडेंस और कंपीटिटिव एग्जाम की तैयारियों तक, ये आधुनिक स्कूल, विद्यार्थियों की हर ज़रूरत को पूरा करेंगे। कला, शिल्प, व्यवसाय से लेकर कोडिंग और रोबोटिक्स तक, हर प्रकार की शिक्षा छोटी उम्र से ही यहां उपलब्ध रहेगी। यानी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर पहलू को यहां ज़मीन पर उतारा जाएगा।

भाइयों और बहनों,

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पूरे देश में इसी प्रकार के बदलाव को आज केंद्र सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इसलिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में साढ़े 14 हज़ार से अधिक पीएम श्री स्कूल बनाने का भी फैसला किया है। ये पायलट प्रोजेक्‍ट है, हिन्‍दुस्‍तान के अलग-अलग कोने में इसकी शुरूआत होगी, इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी और साल भर के अंदर उसमें जो अगर कुछ कमियां हैं, कुछ जोड़ने की जरूरत है, बदलती हुई टेक्‍नोलॉजी को उसके साथ जोड़ने की जरूरत है, उसमें बदलाव करके एक परफेक्‍ट मॉडल बना करके देश के सबसे ज्‍यादा स्‍कूलों में ले जाने का भविष्‍य में प्रयास किया जाएगा। ये स्कूल पूरे देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के लिए मॉडल स्कूल होंगे।

केंद्र सरकार इस योजना पर 27 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जिस प्रकार क्रिटिकल थिंकिंग पर फोकस किया गया है, बच्चों को अपनी ही भाषा में बेहतर शिक्षा का विजन हो, उसको ये स्कूल ज़मीन पर उतारेंगे। ये एक प्रकार से बाकी स्कूलों के लिए पथप्रदर्शक के रूप में काम करेंगे।

साथियों,

आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का संकल्प लिया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुलामी की मानसिकता से देश को बाहर निकालकर टैलेंट को, इनोवेशन को निखारने का प्रयास है। अब देखिए, देश में क्या स्थिति बनाकर रख दी गई थी। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को इंटेलिजेंस का पैमाना मान लिया गया था। जबकि भाषा तो सिर्फ संवाद का कम्यूनिकेशन का एक माध्यम भर है। लेकिन इतने दशकों तक भाषा एक ऐसी रुकावट बन गई थी, जिसने देश के गांवों में, गरीब परिवारों में प्रतिभा का जो भंडार था, उसका लाभ देश को नहीं मिल पाया। ना जाने कितने ही प्रतिभाशाली बच्‍चे, देशवासी सिर्फ इसलिए डॉक्टर, इंजीनियर नहीं बन पाए, क्योंकि उनको जो भाषा समझ आती थी, उसमें उनको पढ़ाई का अवसर नहीं मिला। अब ये स्थिति बदली जा रही है। भारतीय भाषाओं में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, मेडिकल, की पढ़ाई का विकल्प अब विद्यार्थियों को मिलना शुरू हो गया है।

गरीब माता भी बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में ना पढ़ा सकती हो, तब भी वह लड़के-लड़की को डॉक्टर बनाने का सपना देख सकती है। और उसकी मातृभाषा में भी बच्चा डॉक्टर बन सकता है, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं, जिससे गरीब के घर में भी डॉक्टर तैयार हो। गुजराती सहित अनेक भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम बनाने के लिए प्रयास चल रहे हैं। ये विकसित भारत के लिए सबके प्रयास का समय है। देश में ऐसा कोई नहीं होना चाहिए, जो किसी भी कारण से छूट जाए। यही नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की स्पिरिट है और इसी स्पिरिट को आगे बढ़ाना है।

साथियों,

शिक्षा, पुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है। हम स्वभाव से ही नॉलेज के, ज्ञान के समर्थक रहे हैं। और इसलिए हमारे पूर्वजों ने ज्ञान-विज्ञान में पहचान बनाई, सैकड़ों वर्ष पहले दुनिया की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ बनाईं, विशालतम लाइब्रेरी स्थापित की। हालांकि फिर एक दौर आया, जब आक्रांताओं ने भारत की इस संपदा को तबाह करने का अभियान छेड़ा। लेकिन शिक्षा के विषय में भारत ने अपने मजबूत इरादों को न छोड़ा, मजबूत आग्रह को कभी नहीं छोड़ा। जुल्म सहे, लेकिन शिक्षा का रास्ता नहीं छोड़ा।

यही कारण है आज भी ज्ञान-विज्ञान की दुनिया में, इनोवेशन में हमारी अलग पहचान है। आज़ादी के अमृतकाल में अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा को वापस लाने का अवसर है। भारत के पास दुनिया की श्रेष्ठ नॉलेज इकोनॉमी बनने का भरपूर सामर्थ्य पड़ा है, अवसर भी इंतजार कर रहे हैं। 21वीं सदी में साइंस से जुड़े, टेक्नोलॉजी से जुड़े अधिकांश इनोवेशन, अधिकांश इन्वेंशन भारत में ही होंगे, और मैं जब कहता हूं, उसका कारण मेरा मेरे देश के नौजवानों पर, मेरे देश के नौजवानों के टैलेंट पर मेरा भरोसा है, इसलिए ये कहने का मैं साहस कर रहा हूं।

इसमें भी गुजरात के पास बहुत बड़ा अवसर है। अभी तक गुजरात की पहचान, क्‍या थी, हम व्‍यापारी, कारोबारी। एक जगह से माल लेते थे, दूसरी जगह पर बेचते थे और बीच में दलाली से जो मिलता था, उससे रोजी-रोटी कमाते थे। उसमें से बाहर निकल कर गुजरात धीरे-धीरे मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में अपना नाम कमाने लगा है। और अब 21वीं सदी में गुजरात देश के नॉलेज हब के रूप में, इनोवेशन हब के रूप में विकसित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि गुजरात सरकार का Mission Schools of Excellence, इसी स्पिरिट को बुलंद करेगा।

साथियों,

मुझे इस अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में आज आने का मौका मिला है। अभी एक घंटे पहले मैं देश की रक्षा शक्ति वाले कार्यक्रम से जुड़ा था, घंटे भर के बाद देश की, गुजरात की ज्ञान शक्ति के इस कार्यक्रम में जुड़ने का अवसर मिला है। और यहां से अभी जा रहा हूं जूनागढ़, फिर राजकोट, वहां समृद्धि के क्षेत्र को छूने का मुझे प्रयास करने का अवसर मिलेगा।

साथियों,

एक बार फिर मैं गुजरात के विद्या जगत को, गुजरात की भावी पीढ़ी को, उनके माता-पिता को आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर। ये महत्वपूर्ण अवसर है साथियों, इसके लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। भूपेंद्र भाई और उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

धन्यवाद।

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