मुझे इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं इस विश्वविद्यालय से जुड़े समस्त चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय को बधाई देता हूं।
इन विगत वर्षों में आप सभी शिक्षण के साथ-साथ चिकित्सा प्रणालियों पर प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी अद्भुत काम करते रहे हैं।
25 साल का मतलब है कि यह विश्वविद्यालय अपने फलने-फूलने के चरम चरण में है। यह दौर निश्चित तौर पर और भी बड़ा सोचने एवं बेहतर करने का है। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में भी निरंतर उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा। मैं कोविड-19 स्थिति से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना करता हूं। मित्रों, यदि सामान्य स्थिति होती तो यह समारोह निश्चित रूप से और भी अधिक व्यापक होता। यदि वैश्विक महामारी का प्रकोप नहीं बढ़ा होता, तो मैं इस विशेष अवसर पर बेंगलुरू में ही आप सभी के साथ रहकर आमने-सामने चर्चाएं करना पसंद करता।
लेकिन, आज पूरी दुनिया दो विश्व युद्धों के बाद के एक सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। जिस तरह से विश्व युद्धों से पहले एवं बाद की दुनिया बदल गई थी, ठीक उसी तरह से कोविड से पहले और बाद की दुनिया भी एक-दूसरे से भिन्न होगी।
मित्रों, संकट की इस घड़ी में दुनिया बड़ी उम्मीदों एवं कृतज्ञता के साथ हमारे डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा कर्मियों और वैज्ञानिक समुदाय की ओर देख रही है। दुनिया को आपकी ‘देखभाल’ और ‘इलाज’ दोनों की ही जरूरत है।
मित्रों, कोविड-19 के खिलाफ भारत की इस दिलेर लड़ाई के मूल में चिकित्सा समुदाय और हमारे कोरोना योद्धाओं की कड़ी मेहनत है। वास्तव में, डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी सैनिकों की ही तरह हैं, लेकिन सैनिकों की वर्दी के बिना निरंतर कार्यरत हैं। वायरस एक अदृश्य दुश्मन हो सकता है, लेकिन हमारे कोरोना योद्धा यानी चिकित्सा कर्मी अजेय हैं। अदृश्य बनाम अजेय की लड़ाई में हमारे चिकित्सा कर्मियों की जीत सुनिश्चित है। मित्रों, इससे पहले वैश्वीकरण पर बहस के दौरान आर्थिक मुद्दों पर फोकस किया जाता रहा है। अब, दुनिया को निश्चित तौर पर एकजुट होकर विकास के मानवता केंद्रित पहलुओं पर फोकस करना चाहिए।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रों की प्रगति पहले से कहीं अधिक मायने रखेगी। मित्रों, पिछले छह वर्षों के दौरान भारत में हमने स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय पहल की हैं।
हम मोटे तौर पर चार स्तंभों पर काम कर रहे हैं:
पहला स्तंभ है – रोग निवारक स्वास्थ्य सेवा। इसमें योग, आयुर्वेद और सामान्य फिटनेस का विशेष महत्व शामिल है। 40 हजार से भी अधिक वेलनेस सेंटर खोले गए हैं जहां मुख्यत: जीवनशैली से संबंधित बीमारियों को नियंत्रित करने पर काफी फोकस किया जाता है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता रोग निवारक स्वास्थ्य सेवा का एक और अहम हिस्सा है।
दूसरा स्तंभ है – किफायती स्वास्थ्य सेवा। आयुष्मान भारत- दुनिया की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना भारत की ही है। दो साल से भी कम समय में एक करोड़ लोग इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। महिलाएं और गांवों में रहने वाले लोग इस योजना के प्रमुख लाभार्थियों में शामिल हैं।
तीसरा स्तंभ है - आपूर्ति के मोर्चे पर सुधार। भारत जैसे देश में समुचित चिकित्सा ढांचा और चिकित्सा शिक्षा की बुनियादी ढांचागत सुविधाएं होनी चाहिए। देश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान सुनिश्चित करने पर काम चल रहा है।
देश में 22 और एम्स खोलने की दिशा में तेजी से प्रगति देखी गई है। पिछले पांच वर्षों में हम एमबीबीएस में तीस हजार से भी अधिक सीटें और स्नातकोत्तर में पंद्रह हजार सीटें जोड़ने में सक्षम साबित हुए हैं। यह आजादी के बाद से लेकर अब तक किसी भी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में सबसे बड़ी वृद्धि है। संसद के एक अधिनियम के माध्यम से ‘भारतीय चिकित्सा परिषद’ का स्थान एक नए ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग’ ने लिया है। यह चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने में काफी मददगार साबित होगा जिससे यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो जाएगा।
चौथा स्तंभ है - मिशन मोड में कार्यान्वयन - कागज पर अच्छी तरह से परिकल्पित आइडिया केवल एक अच्छा आइडिया होता है और जब एक अच्छा आइडिया अच्छी तरह से लागू किया जाता है तो यह एक महान आइडिया बन जाता है। अत: कार्यान्वयन अत्यंत आवश्यक है।
यहां मैं भारत के ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ की सफलता पर प्रकाश डालना चाहता हूं जो बच्चों और उनकी माताओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। भारत वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है। यह वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही होने जा रहा है। ‘मिशन इन्द्रधनुष’ ने टीकाकरण कवरेज में वार्षिक वृद्धि की हमारी दर को चार गुना बढ़ा दिया है। मित्रों, केंद्र सरकार ने हाल ही में 50 से भी अधिक विभिन्न संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों की शिक्षा के विस्तार के लिए एक नया कानून लाने की मंजूरी दी है। यह कानून जब पारित हो जाएगा तो देश में पैरा-मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करेगा। यह अन्य देशों को कुशल संसाधनों की आपूर्ति करने में भी भारत की मदद करेगा।
मित्रों, तीन आइडिया ऐसे हैं जिन पर मैं अधिकतम चर्चा और भागीदारी का आग्रह करना चाहता हूं।
पहला है - टेली-मेडिसिन में प्रगति। क्या हम ऐसे नए मॉडलों के बारे में सोच सकते हैं जो टेली-मेडिसिन को बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बनाने में सक्षम हैं।
दूसरा स्वास्थ्य क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ से संबंधित है। इससे जुड़े शुरुआती फायदे मुझे आशावान बनाते हैं। हमारे घरेलू निर्माताओं ने पीपीई का उत्पादन शुरू कर दिया है और उन्होंने कोविड योद्धाओं को लगभग 1 करोड़ पीपीई की आपूर्ति की है। इसी तरह, हमने सभी राज्यों को 1.2 करोड़ ‘मेक इन इंडिया’ एन-95 मास्क की आपूर्ति की है।
तीसरा है- अधिक स्वस्थ समाज के लिए आईटी से संबंधित टूल या साधन। मुझे विश्वास है कि आप सभी के मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु एप है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक 12 करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड किया है। यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अत्यंत मददगार रहा है।
मित्रों, मुझे एक ऐसी बात की जानकारी है जो आप सभी के लिए काफी चिंता का विषय है। भीड़ की मानसिकता के कारण जो लोग अग्रिम पंक्ति पर काम कर रहे हैं, जो लोग ड्यूटी पर हैं, चाहे वे डॉक्टर हों या नर्स, सफाई कर्मचारी एवं अन्य कर्मी हों, उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं - हिंसा, दुर्व्यवहार और अशिष्ट व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ आपकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। हमने अग्रिम पंक्ति वाले कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये का बीमा कवर भी प्रदान किया है।
मित्रों, मैं पिछले 25 वर्षों में इस विश्वविद्यालय की उपयोगी यात्रा के बारे में जानकर अत्यंत प्रसन्न हूं जिसने हजारों चिकित्सा और अर्ध-चिकित्सा कर्मियों को तैयार किया है जो इस चुनौतीपूर्ण समय में गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय आगे भी उत्कृष्ट गुणवत्ता और कुशलता वाले स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार करना जारी रखेगा, जो इस राज्य और देश दोनों को ही गौरवान्वित करेंगे।
धन्यवाद। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।