“महान गुरु साहिब की कृपा से सरकार गुरु गोबिंद सिंह जी के 350 वर्ष, गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के 550 वर्ष और गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्ष के प्रकाश उत्सव जैसे शुभ अवसरों को मनाने की स्थिति में है"
“हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है; बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है”
"गुरु नानक देव जी की समझ, बाबर के आक्रमण से भारत के लिए उत्पन्न खतरे के बारे में स्पष्ट थी"
"गुरु तेग बहादुर का पूरा जीवन, 'राष्ट्र प्रथम' का उदाहरण है"
“औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है”
"आज देश का मंत्र है - एक भारत, श्रेष्ठ भारत; आज देश का लक्ष्य है - एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय; आज देश की नीति है - हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता"

वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह !!!

गुरपूरब के इस पावन कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़ रहे गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल जी, गुजरात विधानसभा के स्पीकर बहन नीमा आचार्य जी, राष्ट्रीय अल्पसंख्‍यक आयोग के अध्यक्ष श्रीमान इकबाल सिंह जी, सांसद श्री विनोद भाई चावड़ा जी, लखपत गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रेसिडेंट राजूभाई, श्री जगतार सिंह गिल जी, वहां उपस्थित अन्य सभी महानुभाव, सभी जनप्रतिनिधि गण और सभी श्रद्धालु साथियों! आप सभी को गुरपूरब की हार्दिक शुभकामनाएँ।

मेरा सौभाग्य है कि आज के इस पवित्र दिन मुझे लखपत साहिब से आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है। मैं इस कृपा के लिए गुरु नानक देव जी और सभी गुरुओं के चरणों में नमन करता हूँ।

साथियों,

गुरुद्वारा लखपत साहिब, समय की हर गति का साक्षी रहा है। आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूँ, तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है। एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था। इसीलिए तो गुरु नानक देव जी के पग यहाँ पड़े थे। चौथी उदासी के दौरान गुरु नानक देव जी कुछ दिन के लिए यहां रहे थे। लेकिन समय के साथ ये शहर वीरान हो गया। समंदर इसे छोड़कर चला गया। सिंध दरिया ने भी अपना मुख मोड़ लिया। 1998 के समुद्री तूफान से इस जगह को, गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफी नुकसान हुआ। और 2001 के भूकम्प को कौन भूल सकता है? उसने गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बड़ी क्षति पहुंचाई थी। लेकिन फिर भी, आज हमारा गुरुद्वारा लखपत साहिब वैसे ही गौरव के साथ खड़ा है।

मेरी तो बहुत अनमोल यादें इस गुरुद्वारे के साथ जुड़ी हैं। 2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने, कारीगरों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया। प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था।

साथियों,

गुजरात से यहां दिल्ली आने के बाद भी मुझे निरंतर अपने गुरुओं की सेवा का अवसर मिलता रहा है। 2016-17, गुरू गोविन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के 350 साल का पुण्य वर्ष था। हमने देश-विदेश में इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। 2019 में गुरू नानकदेव जी के प्रकाश पर्व के 550 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार पूरे उत्साह से इसके आयोजनों में जुटी। गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया। और अभी 2021 में हम गुरू तेग बहादुर जी के प्रकाश उत्सव के 400 साल मना रहे हैं।

आपने जरूर देखा होगा, अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं। गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? अभी कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा, जो भारत की ऐतिहासिक अमानत थी, जो कोई उनको चोरी करके ले गया था, वो 150 से ज्‍यादा ऐतिहासिक वस्‍तुएं हम वापस लाने में सफल हुए। इसमें से एक पेशकब्ज यानी छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद सिंह जी का नाम लिखा है। यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला।

मुझे याद है कि जामनगर में, दो साल पहले जो 700 बेड का आधुनिक अस्पताल बनाया गया है, वो भी गुरू गोविंद सिंह जी के नाम पर है। और अभी हमारे मुख्‍यमंत्री भूपेन्‍द्र भाई इसका विस्‍तार से वर्णन भी कर रहे थे। वैसे ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे। देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है। मुझे बताया गया है कि गुजरात सरकार, लखपत साहिब गुरुद्वारा और गुरुद्वारा बेट द्वारका के विकास कार्यों में बढ़ोतरी में भी पूरा सहयोग कर रही है, आर्थिक सहयोग भी कर रही है।

साथियों,

गुरु नानक देव जी ने अपने सबदों में कहा है-

गुर परसादि रतनु हरि लाभै,

मिटे अगिआन होई उजिआरा॥

अर्थात्, गुरु के प्रसाद से ही हरि-लाभ होता है, यानी ईश्वर की प्राप्ति होती है, और अहम का नाश होकर प्रकाश फैलता है। हमारे सिख गुरुओं ने भारतीय समाज को हमेशा इसी प्रकाश से भरने का काम किया है। आप कल्पना करिए, जब हमारे देश में गुरु नानक देव जी ने अवतार लिया था, तमाम विडंबनाओं और रूढ़ियों से जूझते समाज की उस समय स्थिति क्या थी? बाहरी हमले और अत्याचार उस समय भारत का मनोबल तोड़ रहे थे। जो भारत विश्व का भौतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन करता था, वो स्वयं संकट में था। जब हम इन परिस्थितियों को देखते हैं, तो हम सोचते हैं, कि उस कालखंड में अगर गुरुनानक देव जी ने अपना प्रकाश न फैलाया होता तो क्या होता? गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया। आप देखिए, जब देश जात-पात और मत-मतांतर के नाम पर कमजोर पड़ रहा था तब गुरु नानक देव जी ने कहा था-

''जाणहु जोति न पूछहु जाती, आगे जात न हे''।

अर्थात्, सभी में भगवान के प्रकाश को देखें, उसे पहचानें। किसी की जाति न पूछिए। क्योंकि जाति से किसी की पहचान नहीं होती, न जीवन के बाद की यात्रा में किसी की कोई जाति होती है। इसी तरह, गुरु अर्जुनदेव जी ने पूरे देश के संतों के सद्विचारों को पिरोया, और पूरे देश को भी एकता के सूत्र से जोड़ दिया। गुरु हरकिशन जी ने आस्था को भारत की पहचान के साथ जोड़ा। दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में उन्होंने दुःखी लोगों का रोग-निवारण कर मानवता का जो रास्ता दिखाया था, वो आज भी हर सिख और हर भारतवासी के लिए प्रेरणा है। कोरोना के कठिन समय में हमारे गुरुद्वारों ने जिस तरह सेवा की ज़िम्मेदारी उठाई, वो गुरु साहिब की कृपा और उनके आदर्शों का ही प्रतीक है। यानी, एक तरह से हर गुरु ने अपने अपने समय में देश को जैसी जरूरत थी, वैसा नेतृत्व दिया, हमारी पीढ़ियों का पथप्रदर्शन किया।

साथियों,

हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है। गुरु नानकदेव जी के समय से ही आप देखिए, जब विदेशी आक्रांता तलवार के दम पर भारत की सत्ता और सम्पदा को हथियाने में लगे थे, तब गुरु नानकदेव जी ने कहा था-

पाप की जंझ लै काबलहु धाइआ, जोरी मंगै दानु वे लालो।

यानी, पाप और जुल्म की तलवार लेकर बाबर काबुल से आया है, और ज़ोर-जुल्म से भारत की हुकूमत का कन्यादान मांग रहा है। ये गुरू नानक देव जी की स्पष्टता थी, दृष्टि थी। उन्होंने ये भी कहा था-

खुरासान खसमाना कीआ हिंदुसतान डराइआ ॥

यानि खुरासान पर कब्जा करने के बाद बाबर हिंदुस्तान को डरा रहा है। इसी में आगे वो ये भी बोले-

एती मार पई करलाणे तैं की दरदु न आइआ।

अर्थात, उस समय इतना अत्याचार हो रहा था, लोगों में चीख-पुकार मची थी। इसीलिए, गुरुनानक देव जी के बाद आए हमारे सिख गुरुओं ने देश और धर्म के लिए प्राणों की बाजी लगाने में भी संकोच नहीं किया। इस समय देश गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश उत्सव मना रहा है। उनका पूरा जीवन ही 'राष्ट्र प्रथम' के संकल्प का उदाहरण है। जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है। जिस तरह देश ने उन्हें 'हिन्द की चादर' की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है। औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है।

इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है। राष्ट्र के लिए, राष्ट्र के मूल विचारों के लिए दशम गुरु ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनके दो साहिबजादों, जोराबर सिंह और फतेह सिंह को आतताइयों ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया। लेकिन गुरु गोबिन्द सिंह जी ने देश की आन-बान और शान को झुकने नहीं दिया। चारों साहिबजादों के बलिदान की याद में हम आज भी शहीदी सप्ताह मनाते हैं, और वो इस समय भी चल रहा है।

साथियों,

दशम गुरु के बाद भी, त्याग और बलिदान का ये सिलसिला रुका नहीं। बीर बाबा बन्दा सिंह बहादुर ने अपने समय की सबसे शक्तिशाली हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं। सिख मिसलों ने नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण को रोकने के लिए हजारों की संख्या में बलिदान दिया। महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब से बनारस तक जिस तरह देश के सामर्थ्य और विरासत को जीवित किया, वो भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है। ये ऐसी परंपरा है, जिसमें सदियों पहले हमारे गुरुओं ने प्राण फूंके थे, और वो आज भी उतनी ही जाग्रत है, उतनी ही चेतन है।

साथियों,

ये समय आज़ादी के अमृत महोत्सव का है। आज जब देश अपने स्वाधीनता संग्राम से, अपने अतीत से प्रेरणा ले रहा है, तो हमारे गुरुओं के आदर्श हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। आज देश जो प्रयास कर रहा है, जो संकल्प ले रहा है, उन सबमें वही सपने हैं जो सदियों से देश पूरे होते देखना चाह रहा है। जिस तरह गुरु नानकदेव जी ने 'मानव जात' का पाठ हमें सिखाया था, उसी पर चलते हुये आज देश 'सबका साथ, सबका विकास, और सबका विश्वास' के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है। इस मंत्र के साथ आज देश 'सबका प्रयास' को अपनी ताकत बना रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है। आज देश का मंत्र है- 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत'।

आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय। आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता। आप देखिए, कोरोना का इतना मुश्किल समय आया लेकिन देश ने प्रयास किया कि कोई गरीब भूखे पेट नहीं सोए। आज देश के हर प्रयास का, हर योजना का लाभ देश के हर हिस्से को समान रूप से मिल रहा है। इन प्रयासों की सिद्धि समरस भारत को मजबूत, गुरु नानकदेव जी की शिक्षाओं को चरितार्थ करेगी।

इसलिए सभी का दायित्व है कि ऐसे महत्वपूर्ण समय में, कोई हमारे सपनों पर, देश की एकजुटता पर आंच ना ला सके। हमारे गुरू, जिन सपनों के लिए जीए, जिन सपनों के लिए उन्होंने अपना जीवन खपा दिया, उनकी पूर्ति के लिए हम सभी एकजुट हो करके चलें, हमारे बीच एकजुटता बहुत अनिवार्य है। हमारे गुरू, जिन खतरों से देश को आगाह करते थे, वो आज भी वैसे ही हैं। इसलिए हमें सतर्क भी रहना है और देश की सुरक्षा भी करनी है।

मुझे पूरा भरोसा है, गुरु नानक देव जी के आशीर्वाद से हम अपने इन संकल्पों को जरूर पूरा करेंगे, और देश एक नई ऊंचाई तक पहुंचेगा। आखिरी में, मैं लखपत साहिब के दर्शन करने आए श्रद्धालुओं से एक आग्रह भी करना चाहता हूं। इस समय कच्छ में रण-उत्सव चल रहा है। आप भी समय निकालकर, रण-उत्सव में जरूर जाएं।

મુંજા કચ્છી ભા ભેણ કીં અયો ? હેવર ત સી કચ્છમે દિલ્હી, પંજાબ જેડો પોંધો હુધો ન ? ખાસો ખાસો સી મે આંજો અને આજે કુંટુંબજો ખ્યાલ રખજા ભલે પણ કચ્છ અને કચ્છી માડુ મુંજે ધિલ મેં વસેતા તડે આઉ કેડા પણ વાં- જેડા પણ વેના કચ્છકે જાધ કરે વગર રહીં નતો સગાજે પણ ઈ ત આજોં પ્રેમ આય ખાસો ખાસો જડે પણ આંઉ કચ્છમેં અચીધોસ આ મણી કે મેલધોસ આ મેડી કે મુંજા જેજા જેજા રામ રામ....ધ્યાન રખીજા.

साथियों,

रण-उत्सव के दौरान पिछले एक-डेढ़ महीने में एक लाख से ज्यादा टूरिस्ट, कच्छ के मनोरम दृश्यों, खुले आकाश का आनंद लेने वहां आ चुके हैं। जब इच्छाशक्ति हो, लोगों के प्रयास हों, तो कैसे धरती का कायाकल्प हो सकता है, ये मेरे कच्छ के परिश्रमी लोगों ने करके दिखाया है। एक समय था जब कच्छ के लोग रोजी रोटी के लिए दुनिया भर में जाया करते थे, आज दुनिया भर से लोग कच्छ की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। अभी पिछले दिनों धौलाविरा को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है। इस वजह से वहां टूरिज्म को और बढ़ावा मिलेगा। गुजरात सरकार ने अब वहां एक भव्य टेंट सिटी का भी निर्माण कर दिया है। इससे पर्यटकों की सहूलियत और बढ़ेगी। अब धोरड़ो से सीधा, रण के बीच में धौलावीरा जाने के लिए नई सड़क का निर्माण भी तेज गति से चल रहा है। आने वाले समय में भुज और पश्चिम कच्छ से खड़ीर और धौलावीरा विस्तार में आने-जाने के लिए बहुत आसानी होगी। इसका लाभ कच्छ के लोगों को होगा, उद्यमियों को होगा, पर्यटकों को होगा। खावड़ा में री-न्यूएबल एनर्जी पार्क का निर्माण भी तेजी से जारी है। पहले पश्चिम कच्छ और भुज से धौलावीरा जाने के लिए, भचाऊ-रापर होकर जाना पड़ता था। अब सीधा खावड़ा से धौलावीरा जा सकेंगे। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नारायण सरोवर, कोटेश्वर, माता का मढ़, हाजी पीर, धोरड़ो टेंट सिटी, और धौलावीरा, ये नया मार्ग बनने से इन सभी स्थलों में आना-जाना आसान होगा।

साथियों,

आज हम सभी के श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती भी है। अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह रहा है। भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी गुजरात के साथ कंधे से कंधा मिला करके उनकी सरकार खड़ी रही थी। आज कच्छ जिस तरह प्रगति के पथ पर है, उसे देखकर अटल जी जहां भी होंगे, जरूर संतुष्ट होते होंगे, खुश होते होंगे। मुझे विश्वास है, कच्छ पर हमारे सभी महानुभाव, सभी श्रद्धेय जनों का आशीर्वाद ऐसे ही बना रहेगा। आप सभी को एक बार फिर गुरपूरब की हार्दिक बधाई, अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella meets Prime Minister, Shri Narendra Modi
January 06, 2025

Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella met with Prime Minister, Shri Narendra Modi in New Delhi.

Shri Modi expressed his happiness to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. Both have discussed various aspects of tech, innovation and AI in the meeting.

Responding to the X post of Satya Nadella about the meeting, Shri Modi said;

“It was indeed a delight to meet you, @satyanadella! Glad to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. It was also wonderful discussing various aspects of tech, innovation and AI in our meeting.”