“डबल इंजन वाली सरकार ने विकास कार्यों में दोगुनी रफ्तार लाई है”
"किसान क्रेडिट कार्ड ने खासकर हमारे पशुपालन श्रमिकों और मछुआरा समुदाय के लिए जीवन को बहुत आसान बना दिया है"
"सरकार ने न केवल बंदरगाहों के लिए पहल की है बल्कि बंदरगाह आधारित विकास को क्रियान्वित कर रही है"
"सरकार उद्यमिता के हर कदम पर युवाओं की मदद कर रही है"
"बढ़ता बुनियादी ढांचा पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है"
"कुछ राजनीतिक दलों ने गुजरात को गाली देना अपनी राजनीतिक विचारधारा बना ली है"
हम 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना और सरदार पटेल के सपनों को कमजोर नहीं होने देंगे"

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

ऐसा लगता है कि आपके वहाँ दीपावली जल्दी आ गई है, चाहे त्यौहार के दिन हो, सामने धनतेरस हो, दीपावली हो, नए साल की तैयारियाँ हो, सभी लोग अपने-अपने कार्यों में डूबे हुए हैं और फिर भी इतनी सारी जनता, जहाँ-जहाँ मेरी नजर पहुंच रही है, ऐसा लग रहा है कि जैसे आशीर्वाद की गंगा बह रही है, जय गिरनारी। इतनी बड़ी संख्या में संत महात्मा आशीर्वाद देने के लिए आए, इससे बड़ा उमंग क्या हो सकता है। ये तो सिंह की भी धरती है और नरसिंह की भी धरती है, और खास करके जो माताएं-बहनें बड़ी संख्या में आई हैं, उनके जो आशीर्वाद मिल रहे हैं, उनका मैं पूरे हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

भाइयों-बहनों,

आज जूनागढ़, गिर सोमनाथ, पोरबंदर, लोग तो आंकड़े भी नहीं गिन सकते, उतना बड़ा विकास 4 हजार करोड़ से भी ज्यादा के प्रोजेक्ट, उसका लोकार्पण-शिलान्यास हुआ है। एक जमाना था कि पूरे गुजरात का 12 महीने का कुल बजट जितना था, उससे भी ज्यादा लोकार्पण और शिलान्यास के कार्यक्रम आज मैं एक दिन के एक प्रवास में गुजरात की धरती पर कर रहा हूं। यह आपके आशीर्वाद का परिणाम है, और इन विकास के कार्यों का लाभ मेरे मछुआरे भाई-बहनों के जीवन को सरल बनाने में काम आएगा। अपना ये जूनागढ़ तो मैं हमेशा से कहता था कि गुजरात के पर्यटन क्षेत्र की राजधानी ऐसी ताकत हमारे इस जूनागढ़, गिर-सोमनाथ, हमारे पोरबंदर में है। रोजगार के स्वरोजगार के कई अवसर लेकर ये योजनाएं आई हैं। विकास की ऐसी बौछार, विकास के अनेक आयामों के लिए आप सभी का दीपावली की भेंट स्वरूप इस अवसर को मनाने के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन कर रहा हूँ, शुभकामनाएं दे रहा हूं।

भाइयों-बहनों,

आज मेरी छाती फूल जाती है, क्योंकि आपके कारण, आपके आशीर्वाद के कारण और मुझे इस बात कि ख़ुशी है कि गुजरात छोड़ने के बाद हमारी टीम ने जिस तरह से गुजरात को संभाला है, भूपेन्द्र भाई और उनकी टीम ने जिस तरह से गुजरात में तेज गति से विकास कार्य कर रहे हैं, उससे ज्यादा दूसरा आनंद क्या हो सकता है, आज गुजरात का विकास सभी क्षेत्र में बहुत तेज गति से चल रहा है।

लेकिन भाइयों-बहनों,

हम पुराने दिन याद करते हैं तो और कई बुजुर्ग यहाँ बैठे हैं, उन्हें पता है कि हमने कैसे-कैसे दिन निकाले हैं, 10 साल में 7 साल सूखा पड़ता था। पानी के लिए तरसते थे, एक तरफ कुदरत रुठी रहती थी और यह मेरे ये घेघुर समुद्र का खारा पानी अंदर आता ही जाता था, जमीन पर कुछ भी पैदा नहीं हो पाता था, ऐसी हमारी जमीन की दशा हो गई थी। काठियावाड़ खाली होता था, गाँव-गाँव लोग हिजरत करके, कोई सूरत जाते थे, कोई हिन्दुस्तान के दूसरे कोने में जाते थे, रोजी-रोटी के लिए दौड़ना पड़ता था। लेकिन हम सभी ने जो मेहनत की और समर्पण भाव से जो मेहनत करते हैं, न तो कुदरत भी आशीर्वाद देती है। गर्व करो भाइयों, 2001 के बाद ईश्वर की कृपा देखो, 20 साल से भी ज्यादा का वक़्त हो चुका है, एक साल भी सूखा नहीं पड़ा। इसे आशीर्वाद न कहें तो क्या कहें भाई, एक तरफ आपके आशीर्वाद दूसरी तरफ कुदरत के आशीर्वाद और उसके कारण विकास की भेंट लेकर जीवन जीने का आनंद आता है। एक जमाना था, माँ नर्मदा के दर्शन करने के लिए स्पेशल बस करके लोग जाते थे, पुण्य कमाने के लिए, समय बदला, मेहनत के मीठे फल के कारण माँ नर्मदा आज सौराष्ट्र के गाँव-गाँव में खुद आशीर्वाद देने के लिए आ रही हैं भाइयों। पानी पहुँचने लगा है, रास्ते अच्छे होने लगे हैं, फल-सब्जी उगाने वाले किसानों का जीवन बदल गया है भाइयों।

आज जूनागढ़ में, मुझे अभी हमारे गवर्नर साहब आचार्य देवव्रत जी बता रहे थे कि साहब, जूनागढ़ के किसानों ने तो प्राकृतिक खेती के काम को अच्छे तरीके से अपना लिया है, और पूरी ताकत से इसमें लगे हुए हैं। और भाइयों-बहनों जूनागढ़ का केसर आम भारत में ही नहीं आज दुनिया में इस आम की मिठास पहुँच रही है भाइयों। अपने भारत के पास इतना बड़ा समुद्र किनारा और उसमें गुजरात के पास तो इसका बड़ा हिस्सा, लेकिन हमको भूतकाल में यह समुद्र बोझ लगता था। यह नमकवाला क्षेत्र, नमकवाली हवा हमें जहर जैसी लगती थी, समय देखो भाइयों, जो समुद्र हमें मुसीबत दिखता था, वही समुद्र आज हमें मेहनत के फल दे रहा है। जो कच्छ के रण की धूल के कण अपने लिए मुसीबत लेकर घूमती थी, वही कच्छ आज गुजरात के विकास की नींव संभाली है, ऐसे यहाँ पर हो रही है। प्राकृतिक विपरीत परिस्थिति में भी गुजरात उसका भी मुकाबला किया है और प्रगति की नई ऊँचाईयां को हासिल किया है भाइयों। 20-25 साल पहले हमने जब स्थिति को बदलने के लिए संकल्प किया था, बीड़ा उठाया था, एक-एक पल खर्च किया था और आज वो 20-25 साल के युवा हैं, जिन्हें पता नहीं चलेगा कि पहले दिन कैसे थे, वह कल्पना भी नहीं कर सकेंगे, ऐसे अच्छे दिन लाने की कोशिश की है भाइयों।

हमने हमारे मछुआरे भाइयों-बहनों के विकास के लिए गुजरात में सागर खेडू योजना शुरु की। इस योजना के अंतर्गत हमारे मछुआरों की सुरक्षा, उनकी सुविधा, हमारे मछुआरे भाइयों–बहनों को कारोबार करने के लिए जरुरी इन्फ्रास्ट्रक्चर उसके लिए हमने जोर दिया है। और जिसका परिणाम यह हुआ कि 20 साल में किसी भी गुजराती होगा भाइयों कि 20 साल में मछली का निर्यात दुनिया में 7 गुना बढ़ गया। और भाइयों–बहनों जब अपने मछली का इतना निर्यात होता हो, और यह दुनिया में पहुँचती हो, तो मुझे एक पुरानी घटना याद आती है, जब मैं मुख्यमंत्री था, तब जापान का एक डेलिगेशन आया था, तो मैं गुजरात के विकास की उन्हें वीडियो बना के दिखा रहा था, और जैपनीज भाषा में उस पर एक कमेन्ट्री थी और वह लोग भी दिल से सभी चीज समझने की कोशिश कर रहे थे, उतने में अचानक वो जापान के लोग बोले की साहब प्लीज, यह जरा बंद करो, मैंने कहा क्या हुआ भाई, यह वीडियो पर मैं समझा रहा हूं। अभी और आप कह रहे हो तुरंत बंद करो, मुझे कुछ समझ में नहीं आया, मैंने कहा क्यों बंद करुं। तो उन्होंने कहा साहब आपने यह सब जो समुद्र किनारा दिखाया है, और मछुआरे दिखाने लगे हो, और वह जो सुरमी फिश दिख रही है, न तो मेरे मुँह में पानी आ रहा है, अब मैं बैठ नहीं सकता, अब मुझे जाने दो, इतनी अपनी कीर्ति है कि सुरमी फिश का नाम सुना और उनके मुँह में पानी आ गया। आज सुरमी नाम के फिश जापान के बाजार में गुजरात के नाम से पहचाने जाते हैं भाइयों। गुजरात के सुरमी फिश का सैंकड़ों करोड़ों रुपये का निर्यात साल में होता है और अब तो वलसाड में शी-फूड पार्क है, उसमें से भी निर्यात-एक्सपोर्ट होता है। फिसरीज सेक्टर में भी हम नई-नई सिद्धियां प्राप्त कर रहे हैं।

भाइयों-बहनों,

पिछले 8 सालों में डबल इंजन की सरकार का डबल लाभ मेरे गुजरात के समुद्र किनारे को समुद्री तट को मिला है। मछली हो, शी-फूड हो, उसका व्यापार बढ़ा है, पहले अपने यहाँ चैनल की गहराई चाहिए थी, अपने मछुआरे भाइयों को उथलेपन के कारण परेशानी रहती थी। मछली पकड़ी हो और उसे समुद्र के किनारे पर लाना हो तो बहुत परेशानी होती थी, अब जब गुजरात के अंदर फिशिंग हार्बर बनाने का अभियान शुरु किया, तो हमने हमारे सागर खेडू की मुसीबतें दूर करने की कोशिश की। दो दशक में कितने बड़े फिशिंग हार्बर विकसित किए गए और जो पुराने थे, उन्हें भी अपग्रेड किया गया। डबल इंजन सरकार बनने के बाद इस कार्य में डबल गति आ गई। आज भी 3 फिशिंग हार्बर विकसित करने का शिलान्यास हो रहा है भाइयों। आप कल्पना कर सकते हैं कि अपने क्षेत्र में कैसी आर्थिक तेजी आने वाली है। उनकी (मछुआरों की) जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव आने वाला है। फिश हार्बर से मछली का ट्रांसपोर्टेशन बहुत आसान हो जायेगा और एक्सपोर्ट भी बहुत तेजी से होगा। इसके साथ ही अब हम ड्रोन पॉलिसी लेकर आए हैं। अब तो ड्रोन 20-20 किलो, 25-25 किलो, 50 किलो का माल उठाकर ले जाता है, और उसके कारण जहाँ समुद्र नहीं है, ऐसे जो क्षेत्र हैं, इस ड्रोन से मछली पहुँचे और ताजा माल पहुँचे इसके लिए अवसर खड़े किए जा रहे हैं भाइयों। विकास कितना लाभ पहुँचाता है न उसका यह उदाहरण है भाइयों।

भाइयों-बहनों,

डबल इंजन की सरकार, मेरे किसान भाई, हमारे गाँव उनकी जरूरतों को ध्यान में रखके काम करती है, हमारी सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि, आपने देखा, अभी दो दिन पहले ही दिल्ली से मैंने दो हजार रुपए एक-एक किसान के खातों में डाले हैं, और खेत में बैठे किसानों के खाते में उनके मोबाइल में तुरंत ही 2 हजार रुपए आ गए और ये रुपए उनके खाते में जमा हो गए भाई। और अब तक जितने भी रुपये दिए हैं, न उसमें कुल रकम 2 लाख 16 हजार करोड़ रूपए लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपए यह मेरे किसानों के खाते में जमा किए हैं भाइयों।

भाइयों-बहनों,

इसका लाभ मेरे गुजरात के किसानों को भी मिला है, उनके भी खातो में हजारों-करोड़ रूपए, और उसका बड़ा लाभ छोटे किसानों को मिला है, जिनके पास सिर्फ एक बीघा-दो बीघा जमीन हो, सिंचाई के लिए पानी ढूँढना पड़े, जो बारिश पर भरोसा रख के जीते हैं, उनके लिए तो ये पैसे बहुत काम आएंगे। हमारी सरकार जिसने पहली बार पशुपालन हो, किसान हो, सागर खेडू के मेरे मछुआरे हो, उसे किसान क्रेडिट कार्ड– केसीसी की सुविधा से हमने जोड़ दिया। पहले यह सिर्फ किसानों के लिए था। हमने उसका विस्तार करके पशुपालकों को इसमें जोड़ा है, मछुआरों को भी इसमें शामिल किया है और जिसके कारण बैंक से लोन लेने के लिए मेरे मछुआरों और मेरे पशुपालकों के लिए रास्ता आसान हो गया है। और जिसका लाभ 3.50 करोड़ से भी ज्यादा लोग ले रहे हैं भाइयों-बहनों, और बहुत ही कम ब्याज पर ये पैसे मिल रहे हैं। उन्हें साहूकारों के घर नहीं जाना पड़ता, कर्ज के नीचे डूबना नहीं पड़ता, और अपने धंधे के विकास के लिए वे इस पैसे का सच्चा उपयोग कर सकते हैं। बोट से लेकर जैकेट तक, डीजल हो, लेबर हो, ऑइल हो, इन सभी के लिए यह खर्च उसे बड़ी ताकत देती है भाइयों। और जो लोग समय पर पैसे वापस दे देते हैं, तय की गई तारीख पर पैसे वापस दे देते हैं, तो ब्याज शून्य हो जाता है, जीरो ब्याज लगता है। इससे बड़ा लाभ दूसरा क्या होगा भाइयों। इस किसान क्रेडिट कार्ड ने मेरे पशुपालको की जिंदगी भी आसान बना दी है, पिछले दो दशकों में गुजरात में जो बंदरगाह का विकास हुआ हैं, उसने भी गुजरात के विकास को एक प्रकार से समृद्धि के प्रवेश द्वार से जोड़ दिया है, नई क्षमताओं से जोड़ दिया है।

सागरमाला योजना के तहत देश के पूरे समुद्र तट पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती हो, सिर्फ बंदरगाहों का विकास नहीं, पोर्ट का विकास नहीं, पोर्ट लेड डेवलपमेन्ट का कार्य हमने किया है। और आज आपने देखा कि गुजरात में सागर तट पर सागरमाला के कितने बड़े अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। कोस्टल हाइवे जिसके कारण जूनागढ़ के अलावा पोरबंदर, जामनगर, देवभूमि द्वारका, मोरबी से लेकर मध्य से लेकर साउथ गुजरात तक इसका विस्तार किया है भाइयों, इसका मतलब यह हुआ कि गुजरात की पूरी कोस्ट लाइन उसकी कनेक्टिविटी मजबूत होने वाली है।

भाइयों-बहनों,

पिछले 8 सालों में सरकार ने माताओं-बहनों के जीवन के लिए जो कार्य किया है, एक के बाद एक जो कदम उठाए हैं, उसके कारण मेरी माताएँ–बहनें सम्मान के साथ जी सके, ऐसी व्यवस्था की है और जिसका लाभ मेरी गुजरात की लाखों माताओं-बहनों को मिला है, और इसीलिए तो यह गुजरात मेरे लिए तो एक शक्ति कवच बन गया है, शक्ति कवच, इन माताओं-बहनों का मैं हमेशा ऋणी हूं। देश के लिए कई बड़े अभियान चलाए गए, जिसका सीधा लाभ मेरी इन माताओं-बहनों को मिला है। स्वच्छ भारत के तहत करोड़ों शौचालय बनाए गए और शौचालय के लिए अपने यहाँ जाजरु शब्द का उपयोग होता है, हमारे यहाँ उत्तर भारत की बहनें कहती है कि यह तो हमारे लिए गर्व वाली, हमारे सम्मान वाली व्यवस्था है। करोड़ों शौचालय बनाकर बहनों को हमने अनेक मुसीबतों से मुक्ति दिलाई। और जिसके कारण उनके स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ। हमने उज्ज्वला योजना गैस पहुँचाने की व्यवस्था खड़ी की और मैं भूपेन्द्र भाई का भी अभिनंदन करता हूं। उनकी सरकार ने इस दीपावली के त्योहारों को ध्यान में रखके दो गैस के सिलेंडर मुफ्त देने का निर्णय लिया है, जिससे हमारे गरीब के घर में भी दीपावली मने।

भाइयों-बहनो,

सभी के घर में पानी पहुँचे, नल से पानी पहुँचे, हमें पता है एक जमाना था, मुख्यमंत्री को विधायक आवेदन पत्र देते थे, मैं पहले की सरकारों की बात कर रहा हूँ, और विधायक की मांग हुआ करती थी कि हमारे पाँच गाँव में जरा हैंड पंप लगा दीजिए। और जो मुख्यमंत्री हेन्ड पंप की बात को मंजूर करता था तो उसका यहाँ ढोल-नगाड़ा बजा के उसका आनंद-जलसा होता था। वह एक जमाना था, हैंड पंप के लिए सब राह देखते थे, यह आपका बेटा अब घर-घर नल से जल पहुँचा रहा है भाइयों। और शुद्ध पानी मिलने के कारण, बीमारी भी कम होती है, बच्चों की बीमारी भी कम होती है, माता-बहनों की मुसीबतें कम होती हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना प्रसूति के दौरान मेरी माता-बहनों को उनके शरीर के अंदर पोषक तत्व कम न हो, मां के गर्भ में जो बच्चा है, उसका विकास कम न हो, बच्चा विकलांग पैदा न हो, दिव्यांग पैदा न हो, अविकसित शरीर वाला बच्चा पैदा न हो, उसके लिए मां के स्वास्थ्य की चिंता के लिए इस मातृ वंदना योजना लाई गई। स्वस्थ बच्चे का जन्म हो, माता स्वस्थ रहे और स्वस्थ बच्चा हो तो भारत का भविष्य भी स्वस्थ होता है भाइयों। हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत जो घर दिए हैं, उस घर में भी, मेरा तो आग्रह है कि जब मैं गुजरात में था, तब से ये आग्रह रहा है कि मैं जो भी सरकार की व्यवस्था दूंगा बहनों के नाम पर ही दूंगा। भूकंप के बाद जो घर दिए, वो भी बहनों के नाम पर ही दिए। क्योंकि हमें पता है कि हमारी माताओं–बहनों की स्थिति कैसी थी। खेत हो तो पुरुष के नाम पर, दुकान हो तो पुरुष के नाम पर, घर हो तो पुरुष के नाम पर, गाड़ी हो तो पुरुष के नाम पर, और पति न हो तो बेटे के नाम पर, हमारी माताओं–बहनों के नाम पर कुछ नहीं होता था और मुसीबत आए तो जाए कहाँ। आपके इस बेटे ने तय किया कि अब जो सरकारी मकान मिलेगा, व्यवस्था मिलेगी तो यह मेरी माताओं–बहनों के नाम पर मिलेगी। आज जो मेरी बहनों को मकान मिले हैं न, मेरी यह माताएं-बहनें वो लखपति के लिस्ट में आ गई हैं भाइयों। आज हमारी सरकार गाँव-गाँव महिला उद्यमशिलता, सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से, सखी मंडल द्वारा व्यापक विस्तार कर रही है, देश भर में 8 करोड़ से ज्यादा बहनें, स्व सहायता समूह, जिसे अपने गुजरात में सखी मंडल के नाम से जानते हैं, लाखों बहनें गुजरात में उसका लाभ ले रही है। मुद्रा योजना बैंक से बिना गारंटी के बहनों को लोन मिले और मेरे लिए खुशी की बात यह है कि यह लोन सभी के लिए था। फिर भी 70% लोन लेने वाली मेरी बहनें हैं, और जो छोटा-मोटा उद्योग कर रही हैं, और 2-3 लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

भाइयों-बहनों,

आज मेरे कितने युवा साथियों का आने वाला भविष्य कितना उज्ज्वल हो, उनको यहाँ जब सामने देखता हूं, तब मेरा विश्वास बढ़ रहा है, और उनमें आशा का संचार होता है। गुजरात के तेज विकास को लेकर अब मेरे गुजरात के जवान लोग स्वस्थ हो गये हैं। मैंने 8 सालों में गुजरात सहित पूरे देश में हमारे युवकों का सामर्थ्य बने, उसके लिए अनेक कदम उठाए हैं। शिक्षण से लेकर रोजगार, रोजगार से आगे स्वरोजगार, उनके लिए हमने अनेक अवसर पैदा हो, उनकी चिंता की हैं। अभी मैं गांधीनगर में डिफेंस एक्सपो रक्षा के साधनों का उद्घाटन कर के आ रहा हूं। अब गुजरात टॉप में रहे ऐसी ताकत आ गई है और यह मेरे जवान लोगों के लिए अवसर लेकर आ रही है। पिछले 8 सालों में देश में सैकड़ों नए विश्व विद्यालय बनाए, हजारों नए कॉलेज बनाए, हमारे गुजरात में तो निरतंर शिक्षा के नए-नए संस्थान बने हैं, और उसमें उच्च शिक्षा लेने वाले विद्यार्थी तेजस्वी बनकर परिवार का नाम रौशन करें, गांव का नाम रौशन करें, राज्य का नाम रौशन करें और मेरे देश का नाम रौशन करें, आज वह हमारा सौभाग्य है। पहले गुजरात में हमारे युवाओं को पढ़ना हो तो राज्य के बाहर जाना पड़ता था। आज 20 साल के अंदर जो तपस्या की है, उसकी वजह से, एक से बढ़कर एक यूनिवर्सिटी का और कॉलेज का विस्तार किया है। और अब तो नई शिक्षण नीति, राष्ट्रीय शिक्षण नीति, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भी लागू हो गई है। इसके तहत मेडिकल, इंजीनियरिंग हमारे यहाँ तो गांव में अंग्रेजी स्कूल होते नहीं? और वह 8वीं और 10वीं में अंग्रेजी में न पढ़ा हो तो इंजीनियरिंग भी ना हो सके, मेडिकल भी ना हो सके और डॉक्टर भी न बन सके, क्यों? गरीब मां-बाप के बच्चों को डॉक्टर बनने का हक है या नहीं? गरीब मां-बाप की संतानों को डॉक्टर बनने का हक होना चाहिए या नहीं? इन्जीनियर बनने का हक है या नहीं? पर उसको वह बोर्ड लगाया है कि अंग्रेजी आती है तो ही होगा। हमने फाइनल कर दिया कि मातृभाषा में भी डॉक्टर बनना हो तो बन सकते हैं, मातृभाषा में इन्जीनियर बन सकेंगें। यह गुलामी की मानसिकता जानी चाहिए। उसके कारण से मध्यम वर्ग हो, गरीब हो, गाँव हो, अंग्रेजी नहीं आती होगी तो उनकी विकास यात्रा नहीं रुकेगी। क्योंकि क्षमता तो उनमें भी होती है। उनके कारण आज दुनिया में हमारा डंका बज रहा है। डिजिटल इंडिया की चर्चा है, गांव-गांव में डिजिटल इंडिया का लाभ हमारे युवाओं को मिल रहा है। 5 से 6 लाख कॉमन सर्विस सेंटर देश में बन चुके हैं, और वहाँ गांव में बैठकर लोग सेवा दे रहे हैं। फोन पर आज सस्ते इंटरनेट के कारण से आज गांव-गांव गरीबों के घर भी दुनिया की श्रेष्ठ पुस्तकों को पढ़ने की सुविधा हो चुकी है।

पहले, मैंने बीच में पक्का किया था कि जैसे रेलवे स्टेशन पर जिस तरह वाई-फाई है, युवाओं को शाम को प़ढ़ने आना हो। रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफ़ॉर्म पर वाई-फाई मुफ्त में दें, और मैंने देखा कि बच्चे मोबाइल फोन लेकर वहाँ पढ़ने जाते थे, और UPSC और GPSC का एग्जाम देते थे और उसमें उर्तीण होते थे। आज अच्छी से अच्छी पढ़ाई, शिक्षा के लिए डिजिटल इंडिया की सेवा मिल रही है। उनकी वजह से गांव में भी डिजिटल इंडिया की वजह से पढ़ना हो सका है। डिजिटल इंडिया युवाओं की प्रतिभा को निखारने का अवसर दे रहा है। किसी को कुछ भी बनना हो तो आज डिजिटल की व्यवस्था से पढ़ सकते हैं। उन्हें पेन्टर बनना हो, गायक बनना हो, नृत्यकला क्षेत्र में आगे बढ़ना हो, कारपेन्टर बनना हो तो वह बन सकता है, उसे कोई भी काम सीखना हो तो आज घर में बैठे वह सीख सकता है।

भाइयों-बहनों,

इसकी वजह से रोजगार की संभावना बढ़ी है। युवाओं की ताकत, बाजार से आगे दुनिया के बाजार तक पहुंच रही है। यह वक्त, सोचो मेड इन इंडिया, भारत में पहले दो गोदाम थे, मोबाइल बनाने के। आज 200 से ज्यादा हैं, वह भी केवल 8 सालों में। अभी 1 मिलियन मोबाइल फोन, दुनिया में भारत से बनकर पहुंचे हैं। यह ताकत है अपनी। आज जिस तरह से टूरिज्म का विकास हो रहा है, उसका मूल कारण है, हमने जो इन्फ्रास्ट्रकचर बनाया है। आप सोचो, हमारा माधवपुर का मेला, भगवान कृष्ण के साथ जुड़ी हुई घटना, कैसे अंतरराष्ट्रीय बन गई, माधवपुर के मेले में नॉर्थ ईस्ट के मुख्यमंत्री आए और एक सप्ताह तक मजा आया। ये हमारे गिरनार का रोपवे कितनी मुश्किलों से निकला है। कैसी सरकार थी, इतना करने में तकलीफ होती थी। जो आपने मुझे वहां भेजा ना तो आपके यहाँ रोपवे भी आ गया, और मुझे कितने लोग फोटो भेजते हैं, कि हमारी 80 साल की दादी की बहुत इच्छा थी कि गिरनार में जाके मा अंबा को सिर झुका के आएं। ये आप रोप-वे लाए, उसकी वजह से मैंने मेरी मां की इच्छा पूरी कर ली। मुझे आप बताओ कि उस मां का आर्शीवाद मुझे न मिले तो किसे मिले भाई।

भाइयों–बहनों,

दो दशक पहले हमने एक स्थिति को बदलने का संकल्प किया। आज एशिया का सबसे बड़ा रोपवे, उसमें एक मेरा गिरनार का रोप-वे है। यह मेरा जूनागढ़ जिला, जहां के कृषि उत्पाद इतने अच्छे हों, मत्स्य उद्योग अच्छा हो, फिर भी हमारे केशोद का एयरपोर्ट, अभी तो जीवंत हो चुका है। मैंने अभी ऑफिसरों को बुलाया था। मैंने बोला, बहुत दिनों से मैं केशोद का एयरपोर्ट देख रहा हूं। हम कुछ नया कर सकते हैं, कुछ रिसर्च करके देखो, इसको थोड़ा बड़ा बनाए, तो यहां से आम डायरेक्ट विमान में बिकने को जाएं। यहां के फ्रूट जाएं, यहां की सब्जी जाए और दुनिया के टूरिस्टों को गिर के सिंह देखने हो, सोमनाथ दादा के चरण में आना हो, या हमारे गिरनार को देखना हो, तो हमारी हवाई पट्टी जरा बड़ी हो, तो उन्होंने कहा सर, हमें थोड़ा समय दीजिए, हम आपको रिसर्च करके बताएगें। मैंने बोला थोड़ा जल्दी करना, मुझे जाना है जूनागढ़, पर भाइयों-बहनों एक विचार आए ना फिर मैं लगा ही रहता हूं। कोई न कोई रास्ता मैं निकालकर रहूंगा। आप यह बात पक्की मान कर चलना, विकास करना है मुझे, हिंदुस्तान के बड़े-बड़े शहरों को जो मिलता है, वह मेरे जूनागढ़ को मिलना चाहिए। उसके लिए मैं काम कर रहा हूं। गिर सोमनाथ सहित यह समग्र क्षेत्र की आस्था, तपस्वियों की भूमि, जैनाचार्यों की तपस्या के लिए पहचाना जाता। मैं भी एक जमाना था, गिरनार की तलहटी में जाकर उसमें घूमकर आता था। सब संतों की बीच में रहने का मुझे सुख मिला है। संत और सुरा की यह जोड़ी, हमारे मंदिरों, जैन लोगों के लिए भी दतात्रेय के उपासकों के लिए भी, क्या नहीं है यहां। पूरे देश को आकर्षित करने की ताकत मेरे गिर की भूमि में है भाइयों-बहनों। इसीलिए हरेक हिंदुस्तानी को यहां तक खिंचकर लाना है। उनके लिए व्यवस्था खड़ी करनी है और इस व्यवस्था की अभिलाषा को पूरी करके रहेंगे, यह मुझे विश्वास है। हमारे गिर के सिंह की गर्जना को सुनना समग्र दुनिया का मन होता है और गिर के सिंह की जब गर्जना सुनते हैं, तब गुजरात की गर्जना उनके कान में पड़ती है।

आज दुनिया गर्व से देख रही है कि आज 20 साल में यह मेरे गिर के सिंह की संख्या डबल हो गई है। इनकी इतनी अच्छे से रखवाली की चिंता की कि किसी भी हिंदुस्तानी को गर्व हो, भाइयों-बहनों। हमारा केशोद एयरपोर्ट का अगर विकास हुआ तो हमारे यह सब विकास की नई ऊंचाई पहुंचने वाली है। रोजगार के नए अवसर बनने वाले हैं। यहाँ होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी, ऑटो न जाने कितने विकास की संभावनाएँ होगी भाइयों-बहनों। गुजरात हमारा सौराष्ट्र, कच्छ, काठियावाड़ यह धरती देशभक्तों की धरती रही है। राष्ट्र प्रथम को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाली यह धरती है। इसके लिए भाई एक गंभीर बात करने का मेरा मन हो रहा है। यह धरती की ताकत है, जिसके लिए मुझे नाज है। यहां का जो वीरजी सिंह की गर्जना सुनकर बड़ा हुआ हो, उनकी सामना करने की ताकत भी बड़ी होती हो और जिनकी सामना करने की ताकत बड़ी हो न उसके सामने मन रखकर बोलने में भी मजा आता है।

भाइयों–बहनों

आप भी जरा सोचना अंतरिक्ष के अंदर कोई मंगलयान, चंद्रयान हम छोड़ें और सफलता मिले तो यह वैज्ञानिकों की सफलता का आपको आनंद होगा या नहीं, जरा जोर से बोले आनंद है या नहीं, गर्व है या न हो, आप कई बार इसमें तो कोई गुजराती वैज्ञानिक था ही नहीं, इसमें तो वह दक्षिण वाले थे, तामिलनाडु वाले थे, वो केरल वाले थे, बैंगलोर वाले थे, यानी आपका गर्व कम हो जाए। कुछ भी काम हो, हिंदुस्तान के कोई भी जगह के आदमी ने देश के लिए किया हो, गर्व हो या ना हो, होना चाहिए या नहीं। आप सोचो ओलंपिक की रेस हो रही हो और हरियाणा का जवान जाकर तिरंगा झंड़ा वहा फहरा रहा हो, और गोल्ड मेडल लेकर आ रहा हो, तो वह हरियाणा का लड़का या लड़की हो, आप को आनंद होगा या नहीं, भारत का मान बढ़ा या नहीं, गर्व होगा कि नहीं।

भाइयों,

काशी के अंदर कोई संगीत की साधना करें और दुनिया में संगीत की जयजयकार हो, करने वाला आदमी काशी का हो, तप उसने किया हो, दुनिया में नाम उसका गुंजता हो, लेकिन पता चले कि भारत का ही है, हमें गर्व होगा कि नहीं, हमारे पश्चिम बंगाल के अंदर महान विद्वान लोगों की भूमि, साहित्य की श्रेष्ठ रचनाएं, क्रांतिवीरों की भूमि उनके द्वारा कोई उत्तम काम हो तो हमे आनंद होगा या नहीं, अरे हमारे दक्षिण की फिल्में आज दुनिया में डंका बजा रही हैं, दक्षिण भारत की भले भाषा न जानते हो, फिर भी दक्षिण भारत के फिल्म बनाने वाला दुनिया में डंका बजाए, करोड़ रुपये का मुनाफा करे, गर्व होगा या नहीं, पूरा हिंदुस्तान नाच उठे या नहीं, वो फिल्म न देख सकता हो, समझ सकता हो, फिर आनंद होगा या नहीं, हिंदुस्तान की कोई भी जगह से कोई भी आदमी, किसी भी जाति का हो, किसी भी भाषा का हो, किसी भी प्रदेश का हो, वो अच्छा काम करे औऱ इस देश के सभी लोगों को गर्व होगा, और होता ही है। फिर भी विकृति देखे, पिछले दो दशकों से, विकृत मानसिकता वाले लोग एक अलग प्रकार की सोच लिए खड़े हुए हैं। गुजरात का कुछ अच्छा हो, गुजरात का कोई नाम कमाए, गुजरात का मानवी कोई प्रगति करे, गुजरात प्रगति करे, तो उनके पेट में दर्द होता है भाइयों। गुजरात को अपमानित करने का गलत भाषा में बोलने का कितने राजकीय पक्षों को जैसे गुजरात को गाली दिए बिना गुजरातियों को गाली दिए बिना उनकी राजनीतिक विचारधारा अधूरी रहती है भाइयों-बहनों। उनके सामने गुजरात को आंख लाल करने की जरुरत है की नहीं है। मेहनत गुजराती करे, तप गुजराती करे, देश भर के लोगों को रोजी रोटी देने का काम करे, उस गुजरात को इस तरह बदनाम किया जाए। यह सहन करना है भाई हमें? मैं यह जोमवर्ती वीरों की भूमि पर आह्वान कर रहा हूं, अब गुजरातियों का अपमान, गुजरात का अपमान, गुजरात की धरा सहन नहीं करेगी, इस देश में किसी का भी अपमान नहीं होना चाहिए। बंगाली का भी अपमान नहीं होना चाहिए। तमिल का भी नहीं होना चाहिए। केरल के भाई का भी नहीं होना चाहिए, देश के हरेक नागरिक, उनका पुरुषार्थ, उनका पराक्रम, उनकी सिद्धि हम सब के लिए गर्व की बात होनी चाहिए। उन्हें राजनीति में बांधने का कल्चर बंद होना चाहिए। एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को चुरचुर नहीं होने देंगे, सरदार साहेब जैसे लोगों ने जो मेहनत की है, उसे व्यर्थ जाने नहीं देना चाहिए। निराशा फैलाने वाले लोग अपनी निराशाओं को गुजरात के मन पर थोपने वाले, झूठ परोसने वाले लोगों को से गुजरात को चेतने की जरुरत है, भाइयों-बहनों। गुजरात की एकता गुजरात की ताकत है। गुजरात ने एक बनकर नेक बनकर देश के अच्छे के लिए कभी पीछे नहीं हटा है।

ऐसे गुजरात को मैं नमन करता हूं, ऐसे गुजरातियों को मैं नमन करता हूं, आप यह एकता बनाकर रखें, विकास की बात बढ़ाते चलें, विकास करते रहें औऱ आज जो यह विकास के अनेक अवसर आपके घर तक आए हैं, उसकी आपको अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ दीवाली के अवसर आ रहे हैं। आपको दीवाली की खूब-खूब शुभकामनाएँ। नए साल का समय आ रहा है, नए संकल्प के साथ फिर एक बार, सभी को शुभकामनाएं।

भारत माता की जय, भारत माता की जय,

भारत माता की जय।

खूब-खूब धन्यवाद, भाइयों-बहनों।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.