प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ उनके पैतृक गांव गए
"परौंख एक भारत श्रेष्ठ भारत का बेहतरीन उदाहरण है"
"राष्ट्रपति 'संविधान' और 'संस्कार' दोनों के प्रतीक हैं"
"भारत में एक गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच सकता है"
"भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है"
"देश ने गरीबों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया है"
“मैं चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें और स्वस्थ बने। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा और देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा”


नमस्कार!`

इसी गांव की संतान, परौंख गांव की मिट्टी में जन्म लेने वाले देश के राष्ट्रपति आदरणीय रामनाथ कोविन्द जी, आदरणीय श्रीमती सविता कोविंद जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्‍तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, मंच पर विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, उत्‍तर प्रदेश मंत्रीपरिषद के मं‍त्रीगण, सांसदगण, विधायकगण और विशाल संख्‍या में पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

राष्ट्रपति जी ने जब मुझे कहा था कि मुझे यहां आना है, तभी से मैं आपके पास आ करके गांव वालों से मिलने का इंतजार कर रहा था। आज यहां आकर वाकई मन को बड़ा सुकून मिला बहुत अच्छा लगा। इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन भी देखा है और बड़े होने पर उनको हर भारतीय का गौरव बनते भी देखा है।

यहाँ आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे इस गांव से कई यादें साझा कीं। मुझे पता चला कि पांचवीं के बाद जब उनका दाखिला 5-6 मील दूर के एक गांव में करा दिया गया था, तो नंगे पांव स्कूल तक दौड़ते हुए जाते थे और ये दौड़ सेहत के लिए नहीं होती थी। ये दौड़ इसलिए होती थी कि गर्मी से तपती हुई पगडंडी पर पैर कम जलें।

सोचिए, ऐसी ही तपती दोपहरी में पांचवीं में पढ़ने वाला कोई बालक नंगे पांव अपने स्कूल के लिए दौड़े जा रहा है। जीवन में ऐसा संघर्ष, ऐसी तपस्या इंसान को, इंसान बनने में बहुत मदद करती है। आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का ये अनुभव मेरे लिए जीवन की एक सुखद स्मृति की तरह है।

भाइयों और बहनों,

जब मैं राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने परौंख में भारतीय गाँव की कई आदर्श छवियों को महसूस किया। यहाँ सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। ये मंदिर इस गांव की, इस क्षेत्र की आध्यात्मिक आभा के साथ-साथ एक भारत-श्रेष्ठ भारत का भी प्रतीक है। और मैं कह सकता हूं कि ऐसा मंदिर है, जहां देवभक्ति भी है, देशभक्ति भी है। और मैं देशभक्ति इसलिए कह रहा हूं कि राष्ट्रपति जी के पिताजी की सोच को मैं प्रणाम करता हूं। उनकी कल्‍पनाशक्ति को प्रणाम करता हूं। वे अपने जीवन में तीर्थाटन करना, अलग-अलग यात्रा स्‍थानों पर जाना, ईश्‍वर के आशीर्वाद लेना, इसके लिए कभी घर से निकल जाते थे। कभी बद्रीनाथ गए, कभी केदारनाथ गए, कभी अयोध्‍या गए, कभी काशी गए, कभी मथुरा गए, अलग-अलग स्‍थान पर गए।

उस समय की उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि गांव के सभी लोगों के लिए वहां से कोई प्रसाद ले आएं, पूरे गांव को कुछ बांट सकें। तो उनकी कल्‍पना बड़ी मजेदार थी कि वो उस तीर्थ क्षेत्र से उस मंदिर परिसर से एकाध पत्‍थर ले आते थे। और पत्‍थर यहां पेड़ के नीचे रख देते थे। और उस पवित्र स्‍थान से पत्‍थर आया है, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से पत्‍थर आया है, इसके प्रति एक भाव जग जाता था और गांव वालों ने उसे मंदिर के रूप में पूजा की कि फलाने इलाके का पत्‍थर है, उस फलाने मंदिर के इलाके का पत्‍थर है, ये फलानी नदी के पास का पत्‍थर है। इसलिए मैं कहता हूं कि इसमें देवभक्ति भी है और देशभक्ति भी है।

राष्ट्रपति जी के पिताजी इस मंदिर में पूजा किया करते थे। इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने में स्‍वाभाविक है कि मेरे मन में अनेक प्रकार के विचार मंडरा रहे थे। और मैं अपने-आपको धन्‍य पाता हूं कि मुझे उस मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिला है।

साथियों,

परौंख की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं, उसकी साक्षी आज दुनिया बन रही है। और मैं आज देख रहा था कि एक तरफ संविधान, दूसरी तरफ संस्‍कार, और आज गांव में राष्‍ट्रपति जी ने पद के द्वारा बनी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकल करके मुझे आज हैरान कर दिया। वे स्‍वयं हेलीपेड पर रिसीव करने आए। मैं बड़ी शर्मिन्‍दगी महसूस कर रहा था कि उनके मार्गदर्शन में हम काम कर रहे हैं, उनके पद की एक गरिमा है एक वरिष्‍ठता है।

मैंने कहा राष्‍ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्‍याय कर दिया आज, तो उन्‍होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं लेकिन कभी-कभी संस्‍कार की भी अपनी ताकत होती है। आज आप मेरे गांव में आए हैं। मैं यहां पर अतिथि का सत्‍कार करने के लिए आया हूं, मैं राष्‍ट्रपति के रूप में नहीं आया हूं। मैं इस गांव के एक बच्‍चे के रूप में जहां से जिंदगी शुरू हुई, उस गांव के नागरकि के रूप में मैं आज आपका स्‍वागत कर रहा हूं। अतिथि देवो भव: के संस्‍कार भारत में किस प्रकार से हमारी रगों में पहुंचे हैं, उसका उत्‍तम उदाहरण आज राष्‍ट्रपति जी ने प्रस्‍तुत किया। मैं राष्‍ट्रपति जी को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं।

राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था। आज वो विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है। उनके प्रयास से यहां अंबेडकर भवन के रूप में बाबा साहब के आदर्शों का प्रेरणा केंद्र भी बनाया गया है। मुझे विश्वास है, भविष्य में परौंख आपके सामूहिक प्रयासों से विकास के रास्ते पर और भी तेजी से आगे बढ़ेगा, और देश के सामने ग्रामीण विकास का मॉडल पेश करेगा।

साथियों,

हम कहीं भी क्यों न पहुँच जाएँ, बड़े-बड़े शहरों या दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बस जाएँ, अगर हमने अपने गाँव को जिया है, तो हमारा गाँव हमारे भीतर से कभी नहीं निकलता है। वो हमारी रगों में बस जाता है, वो हमारी सोच में हमेशा रहता है। हम इसीलिए कहते हैं कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है, क्योंकि गाँव हमारी आत्माओं में बसता है।

आज जब देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ग्रामीण भारत के लिए, हमारे गांवों के लिए हमारे सपने और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी भारत की आज़ादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे। भारत का गांव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों! भारत का गांव यानी, जहां परम्पराएँ भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो! भारत का गांव यानी, जहां संस्कार भी हो और सहकार भी हो! जहां समता भी हो और ममता भी हो !

आज आजादी के अमृतकाल में ऐसे ही गांवों का पुनर्गठन, उनका पुनर्जागरण ये हमारा कर्तव्य है। आज इसी संकल्प को लेकर देश गांव-गरीब, कृषि-किसान और पंचायती लोकतन्त्र के विभिन्न आयामों में काम कर रहा है। आज भारत के गांवों में सबसे तेज गति से सड़कें बन रही हैं। आज भारत के गांवों में तेज गति से ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है। आज भारत के गांवों में तेज गति से घर बन रहे हैं, LED स्ट्रीट लाइटें लग रही हैं। शहरों के साथ-साथ हमारे गांव भी विकास के हर मार्ग पर कदम से कदम मिला करके चलें, ये नए भारत की सोच भी है और नए भारत का संकल्प भी है।

आप सोचिए, क्या किसी ने कल्पना की थी कि एक दिन खेती से जुड़े मुश्किल से मुश्किल काम अब ड्रोन के जरिए से भी होना शुरू हो जाएंगे। लेकिन आज देश इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। मुझे बताया गया है कि यहां इस गांव में भी 300 से ज्यादा लोगों को स्वामित्व के तहत घरौनी दी जा चुकी है, प्रॉपर्टी के कागज दिए जा चुके हैं। टेक्नालॉजी के जरिए कैसे किसान की सुविधा और आमदनी दोनों बढ़ें, इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।

साथियों,

हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है, और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। जनधन योजना हो, आवास योजना हो, उज्ज्वला के तहत मिला गैस कनेक्शन हो, हर घर जल अभियान हो, आयुष्मान भारत योजना हो, इन सभी का लाभ करोड़ों गांववासियों को मिला है। गरीब कल्याण के लिए देश ने जिस गति से काम किया है, वो अभूतपूर्व है।

अब देश का एक लक्ष्य है, हर योजना का शत-प्रतिशत लाभ शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाना, यानि शत-प्रतिशत सशक्तिकरण। न कोई भेदभाव, न कोई फर्क! यही तो सामाजिक न्याय है। समरसता और समानता का बाबा साहब का यही वो सपना था जिसे आधार बनाकर उन्होंने हमें हमारा संविधान दिया था। बाबा साहब का वो सपना आज पूरा हो रहा है। देश उस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आज का ये अवसर एक और बात के लिए बहुत ऐतिहासिक है। और ये बात सभी के लिए नोट करने वाली है, क्योंकि ये देश के लोकतंत्र की ताकत, देश के गांवों की ताकत को एक साथ दिखाती है। यहाँ इस मंच पर आदरणीय राष्ट्रपति जी, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उपस्थित हैं। मुझे भी आपने, आप सब देशवासियों ने देश की सेवा के लिए इतना बड़ा दायित्व सौंपा है। हम चारों लोग किसी न किसी छोटे गांव या कस्बे से निकलकर यहाँ तक पहुंचे हैं।

मेरा भी जन्म गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। गाँव की संस्कृति, संस्कार, और हमारे यहां जुड़े संघर्षों ने हमारे जैसे कितने ही लोगों को तराशा, हमारे संस्कारों को मजबूत किया। यही हमारे लोकतन्त्र की ताकत है। भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद पहुंच सकता है।

लेकिन भाइयों और बहनों,

आज जब हम लोकतन्त्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ये परिवारवाद ही है जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।

वैसे साथियों,

मैं जब परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं तो कुछ लोगों को लगता है कि ये राजनीतिक बयान है, मैं किसी राजनीतिक दल के खिलाफ बात कर रहा हूं, वैसा प्रचार होता है। मैं देख रहा हूं कि जो लोग परिवारवाद की मेरी व्याख्या में सही बैठते हैं, वो मुझसे भड़के हुए हैं, गुस्‍से में हैं। देश के कोने-कोने में ये परिवारवादी मेरे खिलाफ अब एकजुट हो रहे हैं। वो इस बात से भी नाराज हैं कि क्यों देश का युवा, परिवारवाद के खिलाफ मोदी की बातों को इतनी गंभीरता से ले रहा है।

साथियों,

मैं इन लोगों को कहना चाहता हूं कि मेरी बात का गलत अर्थ ना निकालें। मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों। मैं तो चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें, खुद अपना इलाज करें। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा, देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा।

खैर, परिवारवादी पार्टियों से मैं कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा हूं। इसलिए, मैं आपके बीच भी कहूंगा कि ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम देश में परिवारवाद जैसी बुराइयों को न पनपने दें। गांव के गरीब का बेटा, गांव के गरीब की बेटी भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री बन सके, इसके लिए परिवारवादी पार्टियों को रोका जाना बहुत जरूरी है।

साथियों,

राष्ट्रपति जी के इस गांव में आज आ करके मैं आज उपहार स्वरूप कुछ मांगने आया हूं, मैं कुछ मांगना चाहता हूं। आपको लगेगा ये कैसा प्रधानमंत्री है, हमारे गांव में आया, लाया कुछ नहीं और मांग रहा है हमसे। मैं मांग रहा हूं, आप दोगे ना...मैं गांव से मांगूंगा तो मिलेगा ना...जिन-जिन गांव से लोग आए हैं वो भी देंगे ना। देखिए, आपने अपने गांव में इतना विकास किया है।

आज जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपको अपना प्रयास बढ़ाना है। अमृतकाल में देश ने संकल्प लिया है कि देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाएं जाएंगे। और अभी योगीजी बता रहे थे कि यहां परौंख में भी 2 अमृत सरोवरों का निर्माण हो रहा है। आपको इस अमृत सरोवर के निर्माण में मदद भी करनी है, कारसेवा भी करनी है और इसकी भव्यता भी बनाए रखनी है।

मैं आपसे एक और बात की भी मांग करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि आप मेरी इस मांग को भी पूरा करेंगे और वो है प्राकृतिक खेती, नैचुरल फार्मिंग। परौंख गांव में ज्यादा से ज्यादा किसान नैचुरल फार्मिंग को अपनाएं, प्राकृतिक खेती को अपनाएं तो ये देश के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण बनेगा।

साथियों,

भारत की सफलता का एक ही रास्ता है- सबका प्रयास। सबके प्रयास से ही आत्मनिर्भर भारत का सपना भी पूरा होगा। और, आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है आत्मनिर्भर गांव, आत्मनिर्भर युवा। हमारे गांव गति पकड़ेंगे तो देश गति पकड़ेगा। हमारे गांव विकास करेंगे तो देश विकास करेगा।

आदरणीय कोविन्द जी के रूप में देश को राष्ट्रपति देने वाले परौंख ने ये साबित कर दिया है, कि गांवों की मिट्टी में कितना सामर्थ्य होता है। हमें इस सामर्थ्य का, इस प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना है। हम सब मिलकर काम करेंगे, और देश के सपनों को पूरा करेंगे।

इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर आदरणीय राष्ट्रपति जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ कि उन्होंने अपने साथ मुझे भी यहाँ आने का अवसर दिया। मैं आप सभी का भी एक बार फिर हृदय से अभिनंदन करता हूँ और गांव की हर गली में जहां-जहां गया, जिस उमंग और उत्‍साह से आपने अभिवादन किया, पुष्‍प वर्षा की, स्‍नेह वर्षा की, अपने प्‍यार से अभिभूत कर दिया। मैं आपके इस प्‍यार को कभी भूल नहीं पाऊंगा। आपके इस स्‍वागत को कभी भूल नहीं पाऊंगा। और गांव के अंदर जितना भी समय बिताने का अवसर मिला, खुद के बचपन के साथ भी मैं जुड़ गया। इसलिए भी मैं आप गांववासियों का हृदय से अभिनंदन करते हुए मेरे वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।