Quoteप्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ उनके पैतृक गांव गए
Quote"परौंख एक भारत श्रेष्ठ भारत का बेहतरीन उदाहरण है"
Quote"राष्ट्रपति 'संविधान' और 'संस्कार' दोनों के प्रतीक हैं"
Quote"भारत में एक गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच सकता है"
Quote"भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है"
Quote"देश ने गरीबों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया है"
Quote“मैं चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें और स्वस्थ बने। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा और देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा”


नमस्कार!`

इसी गांव की संतान, परौंख गांव की मिट्टी में जन्म लेने वाले देश के राष्ट्रपति आदरणीय रामनाथ कोविन्द जी, आदरणीय श्रीमती सविता कोविंद जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्‍तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, मंच पर विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, उत्‍तर प्रदेश मंत्रीपरिषद के मं‍त्रीगण, सांसदगण, विधायकगण और विशाल संख्‍या में पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

राष्ट्रपति जी ने जब मुझे कहा था कि मुझे यहां आना है, तभी से मैं आपके पास आ करके गांव वालों से मिलने का इंतजार कर रहा था। आज यहां आकर वाकई मन को बड़ा सुकून मिला बहुत अच्छा लगा। इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन भी देखा है और बड़े होने पर उनको हर भारतीय का गौरव बनते भी देखा है।

यहाँ आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे इस गांव से कई यादें साझा कीं। मुझे पता चला कि पांचवीं के बाद जब उनका दाखिला 5-6 मील दूर के एक गांव में करा दिया गया था, तो नंगे पांव स्कूल तक दौड़ते हुए जाते थे और ये दौड़ सेहत के लिए नहीं होती थी। ये दौड़ इसलिए होती थी कि गर्मी से तपती हुई पगडंडी पर पैर कम जलें।

सोचिए, ऐसी ही तपती दोपहरी में पांचवीं में पढ़ने वाला कोई बालक नंगे पांव अपने स्कूल के लिए दौड़े जा रहा है। जीवन में ऐसा संघर्ष, ऐसी तपस्या इंसान को, इंसान बनने में बहुत मदद करती है। आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का ये अनुभव मेरे लिए जीवन की एक सुखद स्मृति की तरह है।

भाइयों और बहनों,

जब मैं राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने परौंख में भारतीय गाँव की कई आदर्श छवियों को महसूस किया। यहाँ सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। ये मंदिर इस गांव की, इस क्षेत्र की आध्यात्मिक आभा के साथ-साथ एक भारत-श्रेष्ठ भारत का भी प्रतीक है। और मैं कह सकता हूं कि ऐसा मंदिर है, जहां देवभक्ति भी है, देशभक्ति भी है। और मैं देशभक्ति इसलिए कह रहा हूं कि राष्ट्रपति जी के पिताजी की सोच को मैं प्रणाम करता हूं। उनकी कल्‍पनाशक्ति को प्रणाम करता हूं। वे अपने जीवन में तीर्थाटन करना, अलग-अलग यात्रा स्‍थानों पर जाना, ईश्‍वर के आशीर्वाद लेना, इसके लिए कभी घर से निकल जाते थे। कभी बद्रीनाथ गए, कभी केदारनाथ गए, कभी अयोध्‍या गए, कभी काशी गए, कभी मथुरा गए, अलग-अलग स्‍थान पर गए।

उस समय की उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि गांव के सभी लोगों के लिए वहां से कोई प्रसाद ले आएं, पूरे गांव को कुछ बांट सकें। तो उनकी कल्‍पना बड़ी मजेदार थी कि वो उस तीर्थ क्षेत्र से उस मंदिर परिसर से एकाध पत्‍थर ले आते थे। और पत्‍थर यहां पेड़ के नीचे रख देते थे। और उस पवित्र स्‍थान से पत्‍थर आया है, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से पत्‍थर आया है, इसके प्रति एक भाव जग जाता था और गांव वालों ने उसे मंदिर के रूप में पूजा की कि फलाने इलाके का पत्‍थर है, उस फलाने मंदिर के इलाके का पत्‍थर है, ये फलानी नदी के पास का पत्‍थर है। इसलिए मैं कहता हूं कि इसमें देवभक्ति भी है और देशभक्ति भी है।

राष्ट्रपति जी के पिताजी इस मंदिर में पूजा किया करते थे। इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने में स्‍वाभाविक है कि मेरे मन में अनेक प्रकार के विचार मंडरा रहे थे। और मैं अपने-आपको धन्‍य पाता हूं कि मुझे उस मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिला है।

साथियों,

परौंख की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं, उसकी साक्षी आज दुनिया बन रही है। और मैं आज देख रहा था कि एक तरफ संविधान, दूसरी तरफ संस्‍कार, और आज गांव में राष्‍ट्रपति जी ने पद के द्वारा बनी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकल करके मुझे आज हैरान कर दिया। वे स्‍वयं हेलीपेड पर रिसीव करने आए। मैं बड़ी शर्मिन्‍दगी महसूस कर रहा था कि उनके मार्गदर्शन में हम काम कर रहे हैं, उनके पद की एक गरिमा है एक वरिष्‍ठता है।

मैंने कहा राष्‍ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्‍याय कर दिया आज, तो उन्‍होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं लेकिन कभी-कभी संस्‍कार की भी अपनी ताकत होती है। आज आप मेरे गांव में आए हैं। मैं यहां पर अतिथि का सत्‍कार करने के लिए आया हूं, मैं राष्‍ट्रपति के रूप में नहीं आया हूं। मैं इस गांव के एक बच्‍चे के रूप में जहां से जिंदगी शुरू हुई, उस गांव के नागरकि के रूप में मैं आज आपका स्‍वागत कर रहा हूं। अतिथि देवो भव: के संस्‍कार भारत में किस प्रकार से हमारी रगों में पहुंचे हैं, उसका उत्‍तम उदाहरण आज राष्‍ट्रपति जी ने प्रस्‍तुत किया। मैं राष्‍ट्रपति जी को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं।

राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था। आज वो विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है। उनके प्रयास से यहां अंबेडकर भवन के रूप में बाबा साहब के आदर्शों का प्रेरणा केंद्र भी बनाया गया है। मुझे विश्वास है, भविष्य में परौंख आपके सामूहिक प्रयासों से विकास के रास्ते पर और भी तेजी से आगे बढ़ेगा, और देश के सामने ग्रामीण विकास का मॉडल पेश करेगा।

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साथियों,

हम कहीं भी क्यों न पहुँच जाएँ, बड़े-बड़े शहरों या दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बस जाएँ, अगर हमने अपने गाँव को जिया है, तो हमारा गाँव हमारे भीतर से कभी नहीं निकलता है। वो हमारी रगों में बस जाता है, वो हमारी सोच में हमेशा रहता है। हम इसीलिए कहते हैं कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है, क्योंकि गाँव हमारी आत्माओं में बसता है।

आज जब देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ग्रामीण भारत के लिए, हमारे गांवों के लिए हमारे सपने और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी भारत की आज़ादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे। भारत का गांव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों! भारत का गांव यानी, जहां परम्पराएँ भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो! भारत का गांव यानी, जहां संस्कार भी हो और सहकार भी हो! जहां समता भी हो और ममता भी हो !

आज आजादी के अमृतकाल में ऐसे ही गांवों का पुनर्गठन, उनका पुनर्जागरण ये हमारा कर्तव्य है। आज इसी संकल्प को लेकर देश गांव-गरीब, कृषि-किसान और पंचायती लोकतन्त्र के विभिन्न आयामों में काम कर रहा है। आज भारत के गांवों में सबसे तेज गति से सड़कें बन रही हैं। आज भारत के गांवों में तेज गति से ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है। आज भारत के गांवों में तेज गति से घर बन रहे हैं, LED स्ट्रीट लाइटें लग रही हैं। शहरों के साथ-साथ हमारे गांव भी विकास के हर मार्ग पर कदम से कदम मिला करके चलें, ये नए भारत की सोच भी है और नए भारत का संकल्प भी है।

आप सोचिए, क्या किसी ने कल्पना की थी कि एक दिन खेती से जुड़े मुश्किल से मुश्किल काम अब ड्रोन के जरिए से भी होना शुरू हो जाएंगे। लेकिन आज देश इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। मुझे बताया गया है कि यहां इस गांव में भी 300 से ज्यादा लोगों को स्वामित्व के तहत घरौनी दी जा चुकी है, प्रॉपर्टी के कागज दिए जा चुके हैं। टेक्नालॉजी के जरिए कैसे किसान की सुविधा और आमदनी दोनों बढ़ें, इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।

साथियों,

हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है, और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। जनधन योजना हो, आवास योजना हो, उज्ज्वला के तहत मिला गैस कनेक्शन हो, हर घर जल अभियान हो, आयुष्मान भारत योजना हो, इन सभी का लाभ करोड़ों गांववासियों को मिला है। गरीब कल्याण के लिए देश ने जिस गति से काम किया है, वो अभूतपूर्व है।

अब देश का एक लक्ष्य है, हर योजना का शत-प्रतिशत लाभ शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाना, यानि शत-प्रतिशत सशक्तिकरण। न कोई भेदभाव, न कोई फर्क! यही तो सामाजिक न्याय है। समरसता और समानता का बाबा साहब का यही वो सपना था जिसे आधार बनाकर उन्होंने हमें हमारा संविधान दिया था। बाबा साहब का वो सपना आज पूरा हो रहा है। देश उस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आज का ये अवसर एक और बात के लिए बहुत ऐतिहासिक है। और ये बात सभी के लिए नोट करने वाली है, क्योंकि ये देश के लोकतंत्र की ताकत, देश के गांवों की ताकत को एक साथ दिखाती है। यहाँ इस मंच पर आदरणीय राष्ट्रपति जी, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उपस्थित हैं। मुझे भी आपने, आप सब देशवासियों ने देश की सेवा के लिए इतना बड़ा दायित्व सौंपा है। हम चारों लोग किसी न किसी छोटे गांव या कस्बे से निकलकर यहाँ तक पहुंचे हैं।

मेरा भी जन्म गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। गाँव की संस्कृति, संस्कार, और हमारे यहां जुड़े संघर्षों ने हमारे जैसे कितने ही लोगों को तराशा, हमारे संस्कारों को मजबूत किया। यही हमारे लोकतन्त्र की ताकत है। भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद पहुंच सकता है।

लेकिन भाइयों और बहनों,

आज जब हम लोकतन्त्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ये परिवारवाद ही है जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।

वैसे साथियों,

मैं जब परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं तो कुछ लोगों को लगता है कि ये राजनीतिक बयान है, मैं किसी राजनीतिक दल के खिलाफ बात कर रहा हूं, वैसा प्रचार होता है। मैं देख रहा हूं कि जो लोग परिवारवाद की मेरी व्याख्या में सही बैठते हैं, वो मुझसे भड़के हुए हैं, गुस्‍से में हैं। देश के कोने-कोने में ये परिवारवादी मेरे खिलाफ अब एकजुट हो रहे हैं। वो इस बात से भी नाराज हैं कि क्यों देश का युवा, परिवारवाद के खिलाफ मोदी की बातों को इतनी गंभीरता से ले रहा है।

साथियों,

मैं इन लोगों को कहना चाहता हूं कि मेरी बात का गलत अर्थ ना निकालें। मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों। मैं तो चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें, खुद अपना इलाज करें। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा, देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा।

खैर, परिवारवादी पार्टियों से मैं कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा हूं। इसलिए, मैं आपके बीच भी कहूंगा कि ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम देश में परिवारवाद जैसी बुराइयों को न पनपने दें। गांव के गरीब का बेटा, गांव के गरीब की बेटी भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री बन सके, इसके लिए परिवारवादी पार्टियों को रोका जाना बहुत जरूरी है।

साथियों,

राष्ट्रपति जी के इस गांव में आज आ करके मैं आज उपहार स्वरूप कुछ मांगने आया हूं, मैं कुछ मांगना चाहता हूं। आपको लगेगा ये कैसा प्रधानमंत्री है, हमारे गांव में आया, लाया कुछ नहीं और मांग रहा है हमसे। मैं मांग रहा हूं, आप दोगे ना...मैं गांव से मांगूंगा तो मिलेगा ना...जिन-जिन गांव से लोग आए हैं वो भी देंगे ना। देखिए, आपने अपने गांव में इतना विकास किया है।

आज जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपको अपना प्रयास बढ़ाना है। अमृतकाल में देश ने संकल्प लिया है कि देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाएं जाएंगे। और अभी योगीजी बता रहे थे कि यहां परौंख में भी 2 अमृत सरोवरों का निर्माण हो रहा है। आपको इस अमृत सरोवर के निर्माण में मदद भी करनी है, कारसेवा भी करनी है और इसकी भव्यता भी बनाए रखनी है।

मैं आपसे एक और बात की भी मांग करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि आप मेरी इस मांग को भी पूरा करेंगे और वो है प्राकृतिक खेती, नैचुरल फार्मिंग। परौंख गांव में ज्यादा से ज्यादा किसान नैचुरल फार्मिंग को अपनाएं, प्राकृतिक खेती को अपनाएं तो ये देश के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण बनेगा।

साथियों,

भारत की सफलता का एक ही रास्ता है- सबका प्रयास। सबके प्रयास से ही आत्मनिर्भर भारत का सपना भी पूरा होगा। और, आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है आत्मनिर्भर गांव, आत्मनिर्भर युवा। हमारे गांव गति पकड़ेंगे तो देश गति पकड़ेगा। हमारे गांव विकास करेंगे तो देश विकास करेगा।

आदरणीय कोविन्द जी के रूप में देश को राष्ट्रपति देने वाले परौंख ने ये साबित कर दिया है, कि गांवों की मिट्टी में कितना सामर्थ्य होता है। हमें इस सामर्थ्य का, इस प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना है। हम सब मिलकर काम करेंगे, और देश के सपनों को पूरा करेंगे।

इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर आदरणीय राष्ट्रपति जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ कि उन्होंने अपने साथ मुझे भी यहाँ आने का अवसर दिया। मैं आप सभी का भी एक बार फिर हृदय से अभिनंदन करता हूँ और गांव की हर गली में जहां-जहां गया, जिस उमंग और उत्‍साह से आपने अभिवादन किया, पुष्‍प वर्षा की, स्‍नेह वर्षा की, अपने प्‍यार से अभिभूत कर दिया। मैं आपके इस प्‍यार को कभी भूल नहीं पाऊंगा। आपके इस स्‍वागत को कभी भूल नहीं पाऊंगा। और गांव के अंदर जितना भी समय बिताने का अवसर मिला, खुद के बचपन के साथ भी मैं जुड़ गया। इसलिए भी मैं आप गांववासियों का हृदय से अभिनंदन करते हुए मेरे वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • Reena chaurasia August 28, 2024

    जय हो
  • JBL SRIVASTAVA June 02, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय श्रीराम
  • Vaishali Tangsale February 14, 2024

    🙏🏻🙏🏻
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 12, 2024

    जय हो
  • sidhdharth Hirapara February 07, 2024

    Jay Ho
  • Mahendra singh Solanky January 30, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो
  • Bharat mathagi ki Jai vanthay matharam jai shree ram Jay BJP Jai Hind September 19, 2022

    வே
  • G.shankar Srivastav September 11, 2022

    नमस्ते
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दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस होने के बाद प्रधानमंत्री ने सभी से शांत रहने और सुरक्षा सावधानियों का पालन करने का आग्रह किया
February 17, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में महसूस किए गए भूकंप के झटकों के बाद सभी से शांत रहने और सुरक्षा सावधानियों का पालन करने का आग्रह किया है। श्री मोदी ने कहा कि अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

अपनी एक पोस्ट मे प्रधानमंत्री ने कहा;

"दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सभी से शांत रहने, सुरक्षा सावधानियों का पालन करने और संभावित झटकों के प्रति सतर्क रहने का आग्रह है। अधिकारी स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।”