"अवसंरचना विकास देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने वाली शक्ति है"
"यह प्रत्येक हितधारक के लिए नई जिम्मेदारियों, नई संभावनाओं और साहसिक निर्णयों का समय है"
"भारत में सदियों से राजमार्गों के महत्व को स्वीकार किया गया है"
"हम 'गरीबी मनोभाव' की मानसिकता को खत्म करने में सफल रहे हैं"
"अब हमें अपनी गति में सुधार करके तीव्र गति प्राप्त करनी होगी"
"पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान; भारतीय अवसंरचना और इसके मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की रूपरेखा बदलने जा रहा है"
"पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है, जो विकास के साथ आर्थिक और अवसंरचना योजना को एकीकृत करती है"
"गुणवत्ता और बहु-मॉडल अवसंरचना के साथ, हमारी लॉजिस्टिक लागत आने वाले दिनों में और कम होने वाली है"
“भौतिक अवसंरचना के साथ-साथ देश की सामाजिक अवसंरचना का मजबूत होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है”
"आप न केवल देश के विकास में योगदान दे रहे हैं, बल्कि भारत के विकास इंजन को भी गति प्रदान कर रहे हैं"

नमस्कार जी।

मुझे खुशी है कि आज Infrastructure पर हो रहे इस वेबिनार में सैकड़ों स्टेकहोल्डर्स जुड़े हैं और 700 ज्यादा तो MD और CEO’s समय निकाल करके इस महत्वपूर्ण initiative का महात्मय समझ करके value addition का काम किया है। मैं सबका स्वागत करता हूं। इसके अलावा अनेकों सेक्टर एक्सपर्टस और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स भी बहुत बड़ी मात्रा में जुड़ करके इस वेबिनार को बहुत समृद्ध करेंगे, परिणामकारी करेंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्‍वास है। मैं फिर एक बार आप सभी का समय निकालने के लिए बहुत आभारी हूं, और हृदय से आपका स्वागत करता हूं। इस वर्ष का बजट Infrastructure Sector की Growth को नई Energy देने वाला है। दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स और कई प्रतिष्ठित media houses ने भारत के बजट और उसके Strategic Decisions की भूरि-भूरि प्रशंसा की हैI अब हमारा capex, साल 2013-14 की तुलना में, यानी मेरे आने से पहले जो स्थिति थी उसकी तुलना में 5 गुना अधिक हो गया है। National Infrastructure Pipeline के तहत सरकार आने वाले समय में 110 लाख करोड़ रुपए Invest करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में प्रत्येक स्टेकहोल्डर के लिए ये नए दायित्व का, नई संभावनाओं का और साहसपूर्ण निर्णय का समय है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास में, स्‍थायी विकास में, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए विकास में, इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व हमेशा से ही रहा है। जो लोग इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हिस्ट्री का अध्ययन करते हैं, वो इसे भली-भांति जानते हैं। जैसे हमारे यहां करीब ढाई हजार साल पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने उत्तरापथ का निर्माण कराया था। इस मार्ग ने सेंट्रल एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच व्यापार-कारोबार को बढ़ाने में बहुत मदद की। बाद में सम्राट अशोक ने भी इस मार्ग पर अनेक विकास कार्य करवाए। सोलहवीं शताब्दी में शेर शाह सूरी ने भी इस मार्ग का महत्व समझा और इसमें नए सिरे से विकास कार्यों को पूरा कराया। जब ब्रिटिशर्स आए तो उन्होंने इस रूट को और अपग्रेड किया और फिर ये जी-टी रोड कहलाई। यानी देश के विकास के लिए हाईवे के विकास की अवधारणा हजारों वर्ष पुरानी है। इसी तरह हम देखते हैं आजकल रीवर फ्रंट्स और वॉटरवेज की इतनी चर्चा है। इसी संदर्भ में हम बनारस के घाटों को अगर देखें तो वो भी एक तरह से हजारों वर्ष पहले बने रिवर फ्रंट ही तो हैं। कोलकाता से सीधी वॉटर कनेक्टिविटी की वजह से कितनी ही सदियों से बनारस, व्यापार-कारोबार का भी केंद्र रहा था।

एक और दिलचस्प उदाहरण, तमिलनाडु के तंजावुर में कल्लणै डैम है। ये कल्लणै डैम चोल साम्राज्य के दौरान बना था। ये डैम करीब-करीब 2 हजार साल पुराना है और दुनिया के लोग ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि ये डैम आज भी Operational है। 2 हजार साल पहले बना ये डैम आज भी इस क्षेत्र में समृद्धि ला रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत की क्या विरासत रही है, क्या विशेषज्ञता रही है, क्या सामर्थ्य रहा है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर उतना बल नहीं दिया गया, जितना दिया जाना चाहिए था। हमारे यहां दशकों तक एक सोच हावी रही कि गरीबी एक मनोभाव है- poverty is a virtue. इसी सोच की वजह से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर Invest करने में पहले की सरकारों को दिक्कत होती थी। उनकी वोटबैंक की राज‍नीति के लिए अनुकूल नहीं होता था। हमारी सरकार ने ना सिर्फ इस सोच से देश को बाहर निकाला है बल्कि वो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड Invest भी कर रही है।

साथियों,

इस सोच और इन प्रयासों का जो नतीजा निकला है, वो भी आज देश देख रहा है। आज नेशनल हाईवे का average annual construction, 2014 से पहले की तुलना में लगभग दोगुना हो चुका है। उसी प्रकार से 2014 से पहले हर साल 600 रूट किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण होता था। आज ये लगभग 4 हज़ार रूट किलोमीटर तक पहुंच रहा है। अगर हम एयरपोर्ट की तरफ देखें तो एयरपोर्ट्स की संख्या भी 2014 की तुलना में 74 से बढ़ करके डेढ़ सौ के आसपास पहुंच चुकी है, यानि डबल हो चुकी है, यानी 150 एयरपोर्ट इतने कम समय में पूरे होना। उसी प्रकार से आज जब ग्लोबलाइजेशन का युग है तो सी-पोर्ट का भी बहुत महत्‍व होता है। हमारे पोर्ट्स की capacity augmentation भी पहले की तुलना में आज लगभग दोगुनी हो चुकी है।

साथियों,

हम इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण को देश की इकोनॉमी का ड्राइविंग फोर्स मानते हैं। इसी रास्ते पर चलते हुए भारत, 2047 तक विकसित भारत होने के लक्ष्य को प्राप्त करेगा। अब हमें अपनी गति और बढ़ानी है। अब हमें टॉप गियर में चलना है। और इसमें पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान की बहुत बड़ी भूमिका है। गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान, भारत के Infrastructure का, भारत के Multimodal Logistics का कायाकल्प करने जा रहा है। ये economic और infrastructure planning को, development को एक प्रकार से integrate करने का एक बहुत बड़ा Tool है। आप याद करिए, हमारे यहां बड़ी समस्या ये रही है कि पोर्ट, एयरपोर्ट बन जाते थे, लेकिन फर्स्ट माइल और लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर ध्यान ही नहीं दिया जाता था, प्राथमिकता नहीं होती थी। SEZ और industrial township बन जाते थे, लेकिन उनकी कनेक्टिविटी और बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत देरी हो जाती थी।

इस वजह से Logistics की कितनी दिक्कतें होती थीं, देश की GDP का कितना बड़ा हिस्सा अनावश्यक खर्च हो रहा था। और विकास के हर काम को एक प्रकार से रोक लग जाती थी। अब ये सारे nodes एक साथ, तय समय सीमा के आधार पर, सबको साथ लेकर एक प्रकार से ब्‍लू प्रिंट तैयार किए जा रहे हैं। और मुझे खुशी है कि PM गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के परिणाम भी आज आने शुरु हो गए हैं। हमने उन gaps की पहचान की है, जो हमारी logistic efficiency को प्रभावित करते हैं। इसलिए इस वर्ष के बजट में 100 critical projects को प्राथमिकता दी गई है और उसके लिए 75,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। क्वालिटी और मल्टी मॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर से हमारी Logistic Cost आने वाले दिनों में और कम होने वाली है। इसका भारत में बने सामान पर, हमारे प्रोडेक्ट्स की competency पर बहुत ही positive असर पड़ना ही पड़ना है। logistics सेक्टर के साथ-साथ ease of living और ease of doing business में बहुत सुधार आएगा। ऐसे में प्राइवेट सेक्टर के participation के लिए भी संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मैं प्राइवेट सेक्टर को इन प्रोजेक्ट्स में participate करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

साथियों,

निश्चित तौर पर इसमें हमारे राज्यों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। राज्य सरकारों के पास इसके लिए फंड की कमी ना हो, इस हेतु से 50 साल तक के interest free loan को एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाया गया है। इसमें भी पिछले वर्ष के Budgetary expenditure की तुलना में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। मकसद यही है कि राज्य भी quality infrastructure को प्रमोट करें।

साथियों,

इस वेबिनार में आप सभी को मेरा आग्रह रहेगा कि एक और विषय पर अगर आप सोच सकते हैं तो जरूर सोचिए। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए विभिन्न तरह के Material का होना उतना ही जरूरी है। यानि ये हमारी manufacturing industry के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं बनाता है। अगर ये सेक्टर अपनी जरूरतों का आकलन करके पहले से forecast करे, इसका भी कोई मैकेनिज्म डवलप हो पाए तो कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को भी materials mobilize करने में उतनी ही आसानी होगी। हमें integrated approach की जरूरत है, सर्कुलर इकोनॉमी का हिस्सा भी हमें हमारे भावी निर्माण कार्यों के साथ जोड़ना होगा। Waste में से best का concept भी उसका हिस्‍सा बनना जरूरी है। और मैं समझता हूं, इसमें पीएम गति-शक्ति नेशनल मास्टर प्लान की भी बड़ी भूमिका है।

साथियों,

जब किसी स्थान पर इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप होता है, तो वो अपने साथ विकास भी लेकर आता है। एक प्रकार से डेवलपमेंट की पूरी इकोसिस्टिम simultaneous अपने आप खड़ी होना शुरू हो जाती है। और मैं जरूर जब अपने पुराने दिनों को याद करता हूं, जब कच्‍छ में भूंकप आया तो स्‍वाभाविक है कि सरकार के सामने इतना बड़ा हादसा आये तो पहले ही क्‍या कल्‍पना रहती है। मैंने ये कहा चलो भाई जल्‍दी से जल्‍दी काम इधर-उधर करके पूरा करो, नार्मल लाइफ की ओर चलो। मेरे सामने 2 रास्ते थे, या तो उस क्षेत्र को सिर्फ और सिर्फ राहत और बचाव के कार्यों के बाद, छोटी मोटी जो भी टूट फूट है उसको ठीक कर करके उन जिलों को उनके नसीब पर छोड़ दें या फिर आपदा को अवसर में बदलूं, नई अप्रोच के साथ कच्छ को आधुनिक बनाने की दिशा में जो कुछ भी हादसा हुआ है, जो कुछ भी नुकसान हुआ है, लेकिन अब कुछ नया करूं, कुछ अच्‍छा करूं, कुछ बहुत बड़ा करूं।

और साथियों आपको खुशी होगी मैंने राजनीतिक लाभ-गैर लाभ न सोचा, तत्‍काल हल्‍का–फुल्‍का काम करके निकल जाने का और वाहवाही लूटने का काम नहीं किया, मैंने लंबी छलांग लगाई, मैंने दूसरा रास्ता चुना और कच्छ में विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को अपने कार्यों का मुख्य आधार बनाया। तब गुजरात सरकार ने कच्छ के लिए राज्य की सबसे अच्छी सड़कें बनवाईं, बहुत चौड़ी सड़कें बनवाईं, बड़ी-बड़ी पानी की टंकियां बनवाईं, बिजली की व्यवस्था लंबे समय तक काम आए, ऐसी करी। और तब मुझे मालूम है बहुत लोग मुझे कहते थे, अरे इतने बड़े रोड़ बना रहे हो, पांच मिनट, दस मिनट में भी भी एक व्‍हीकल यहां आता नहीं है, क्‍या करोगे इसको बनाकर। इतना खर्चा कर रहे हो। ऐसा मुझे कह रहे थे। कच्‍छ में तो यानी एक प्रकार से नेगेटिव ग्रोथ था, लोग वहां छोड़ छोड़ करके कच्‍छ छोड़ रहे थे, पिछले 50 साल से छोड़ रहे थे।

लेकिन साथियो, उस समय इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो हमने इंवेस्ट किया, उस समय की आवश्‍यकता को छोड़ करके भविष्‍य की भी आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रख करके सारा प्‍लान किया, आज उसका लाभ कच्छ जिले को अद्भुत मिल रहा है। आज कच्छ, गुजरात का सबसे तेज विकास करने वाला जिला बन गया है। जो कभी सीमा पर यानी एक प्रकार से अफसरों की भी पोस्टिंग करते थे तो punishment in posting माना जाता था, कालापानी की सजा बोला जाता था। वो आज सबसे डेवलप डिस्ट्रिक्ट बन रहा है। इतना बड़ा क्षेत्र जो कभी वीरान था, वो अब वाइब्रेंट है और वहां की चर्चा आज पूरे देश में है। एक ही डिस्ट्रिक्ट में पांच तो एयरपोर्ट हैं। और इसका पूरा क्रेडिट अगर किसी को जाता है तो वो कच्छ में जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना, आपदा को अवसर में पलटा, और तत्‍कालीन जरूरतों से आगे सोचा, उसका आज परिणाम मिल रहा है।

साथियों,

Physical infrastructure की मजबूती के साथ ही देश के social infrastructure का भी मजबूत होना उतना ही आवश्यक है। हमारा social infrastructure जितना मजबूत होगा, उतने ही टेलेंटेड युवा, Skilled युवा, काम करने के लिए आगे आ पाएंगे। इसलिए ही skill development, project management, finance skills, entrepreneur skill ऐसे अनेक विषयों पर भी प्राथमिकता देना, जोर देना उतना ही आवश्यक है। अलग-अलग सेक्टर्स में, छोटे और बड़े उद्योगों में हमें skill forecast के बारे में भी एक मैकेनिज्म विकसित करना होगा। इससे देश के Human Resource Pool को भी बहुत फायदा होगा। मैं सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से भी कहूंगा कि इस दिशा में तेजी से काम करें।

साथियों,

आप सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण ही नहीं कर रहे, बल्कि भारत की ग्रोथ age को momentum देने का भी काम कर रहे हैं। इसलिए इस बेबिनार में जुड़े हर स्टेकहोल्डर की भूमिका और उनके सुझाव बहुत अहम हैं। और ये भी देखिए कि जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो कभी-कभी रेल, रोड, एयरपोर्ट, पोर्ट उसी के आसपास; अब देखिए इस बजट में गांवों में भंडारण का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट लिया गया है स्‍टोरेज के लिए, किसानों की पैदावार के स्टोरेज के लिए। कितना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना पड़ेगा। हम अभी से सोच सकते हैं।

देश में wellness centre बनाए जा रहे हैं। लाखों गांवों में health services के लिए उत्तम से उत्तम wellness centre बनाए जा रहे हैं। ये भी एक इंफ्रास्ट्रक्चर है। हम नए रेलवे स्‍टेशन बना रहे हैं, ये भी इंफ्रास्ट्रक्चर का काम है। हम हर परिवार को पक्‍का घर देने का काम कर रहे हैं, वो भी इंफ्रास्ट्रक्चर का काम है। इन कामों में हमें नई टेक्नोलॉजी, material में भी नयापन, कंस्‍ट्रक्‍शन टाइम में भी समय सीमा में काम कैसे हो, इन सारे विषयों पर अब भारत को बहुत ब‍ड़ी छलांग लगाने की जरूरत है। और इसलिए ये वेबिनार बहुत ही महत्वपूर्ण है।

मेरी आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं! आपका ये मंथन, आपके ये विचार, आपका अनुभव इस बजट को उत्तम से उत्तम तरीके से implement करने का कारण बनेगा, तेज ग‍ति से implementation होगा और सर्वाधिक अच्‍छे outcome वाला परिणाम मिलेगा। ये मुझे पूरा विश्‍वास है। मेरी तरफ से आपको बहुत शुभकामनाएं हैं।

धन्यवाद!

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.